पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में फिर से सुनवाई,ईडी ने जमानत का किया विरोध,जज ने फैसला रखा सुरक्षित

झा. डेस्क 

रांची। झारखंड के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट में फिर से सुनवाई हुई। जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय के कोर्ट में सुनवाई के दौरान गांडेय विधायक कल्पना सोरेन भी मौजूद थीं। ईडी के वकील की दलीलें सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।

बड़गाईं अंचल में कथित जमीन घोटाला मामले में हेमंत सोरेन के वकील ने जस्टिस मुखोपाध्याय की अदालत में अपने मुवक्किल को नियमित जमानत देने की मांग की। दूसरी तरफ, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के वकील एसवी राजू ने झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता हेमंत सोरेन को जमानत दिए जाने का विरोध किया।

हेमंत सोरेन के वकील कपिल सिब्बल ने एक दिन पहले अपनी दलील रखी थी। उन्होंने बार-बार कहा कि यह पूरी तरह से जमीन विवाद का मामला है। यहां तक कि यह आपराधिक कृत्य भी नहीं है।

हेमंत सोरेन को जबरन इस मामले में फंसाया गया है। उनकी गिरफ्तारी भी गलत है। केंद्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय जबरन यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि जमीन पर हेमंत सोरेन का कब्जा है।

कपिल सिब्बल की इन दलीलों का आज ईडी के वकील ने जोरदार विरोध किया। कहा कि, यह जमीन हेमंत सोरेन के नाम पर ही है। जमीन के दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करके वह इस जमीन के मालिक बन बैठे। इसलिए उनको जमानत नहीं मिलनी चाहिए।

एसवी राजू ने यह भी दलील दी कि झारखंड में आरोपी ने याचिका दाखिल कर अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी। लेकिन, कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को सही माना था।

हाईकोर्ट की ओर से हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को वैध ठहराये जाने के आधार पर उन्हें जमानत नहीं मिलनी चाहिए। बताते चलें कि, हेमंत सोरेन ने इसके पहले सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जहां उनके वकील कपिल सिब्बल को जज ने तथ्य छिपाने के लिए कड़ी फटकार लगाई थी।

साथ ही कहा था कि वह उनकी याचिका रद्द करने जा रहे हैं। इसके बाद कपिल सिब्बल ने अपनी याचिका वापस ले ली थी। सुप्रीम कोर्ट से झटका लगने के बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने अनुसूचित जनजातियों के विभिन्न संवैधानिक सरक्षणों की समीक्षा की

झारखण्ड डेस्क 

रांची। राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने गुरुवार को होटल बीएनआर चाणक्य में सीसीएल में अनुसूचित जनजातियों के विभिन्न संवैधानिक सरक्षणों की समीक्षा की। इसमें आयोग की टीम और सीसीएल के अधिकारी उपस्थित थे। समीक्षा बैठक के दौरान 21 बिंदुओं पर चर्चा की गई।

समीक्षा के दौरान सीसीएल के अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे जमीन अधिग्रहण पॉलिसी में नियमानुसार संशोधन करने का उपाय खोजें, ताकि वैसे जमीन दाता जिनके पास दो एकड़ से कम जमीन हो, उन्हें भी कॉम्पेनसेटरी एम्प्लॉयमेंट दिया जा सके। सीसीएल की जमीन अधिग्रहण पालिसी के तहत उन जमीनदाताओं को ही नौकरी दी जाती है, जिनके पास दो एकड़ जमीन है।

सीसीएल के अधिकारियों को उन्होंने एससी/एसटी सेल बनाने का निर्देश दिया, ताकि कमेटी के माध्यम से एससी/एसटी से संबंधित छोटे-छोटे मामले निष्पादित किए जा सकें। कहा गया कि सीसीएल में ग्रुप ए, बी, सी व डी में एससी/एसटी के लिए कोई वेकैंसी नहीं है। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि जल्द से जल्द वेकैंसी निकालकर एससी/एसटी के रिक्त पदों को भरा जाए। ग्रुप सी व डी में एससी/एसटी के लिए 26 प्रतिशत पद आरक्षित हैं।

डॉ लकड़ा ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिया कि नए लोगों के लिए नई योजनाओं की प्लानिंग करें। सीएसआर के तहत एसटी वर्ग के युवाओं के लिए यूपीएससी/जेपीएससी की तैयारी के लिए सुविधा उपलब्ध कराएं, ताकि संबंधित छात्रों को इसका लाभ मिल सके। वे भी यूपीएससी/जेपीएससी की तैयारी कर अधिकारी बन सकें। सीसीएल को भी संबंधित युवाओं का लाभ मिल सके।

डॉ लकड़ा ने यह भी कहा कि ग्‍लोबलाइजेशन से पर्यावरण खत्म हो रहा है। इसलिए योजनाओं से संबंधित क्षेत्रों में पांच साल तक पौधे लगाए। अनुसूचित जनजाति बहुल गावों को गोद लें। जहां जलसंकट की स्थिति हो, वैसे गावों में भी पौधे लगाएं। ऐसा करने से गांव का पानी गांव में ही और खेत का पानी खेत में ही रहेगा। विशेष कैंप लगाकर एसटी से संबंधित समस्याओं का समाधान करें। साथ ही न्यू स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम शुरू करें।

बैठक में एनसीएसटी की सचिव श्रीमती अलका तिवारी, निदेशक सूरत सिंह, निदेशक एसएसडब्ल्यू श्रीमती मिरांडा इंदुगम, सदस्य के निजी सचिव कुशेश्वर साहू, आरओ (एसएसडब्ल्यू-आरएमडीसी) आरएस मिश्रा, वरिष्ठ अन्वेषक आकाश त्रिपाठी, जेएलआरसी नीलमणी ठाकुर मौजूद थे।

सीसीएल की ओर से बैठक में निदेशक (तकनीकी) हरीश दुहान एचओडी (पीएंडआईआर) नवनीत कुमार, जनसंपर्क प्रमुख आलोक गुप्ता, जीएम (ईई) एसके ठाकुर, जीएम (वेलफेयर) श्रीमती रेखा पांडेय, श्रीमती कविता, मुख्य प्रबंधक संजय एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

विश्लेषण:झारखंड में इंडी गठबंधन का पांच साल,जानिए आगामी विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के लिए कितना सही है रिपोर्ट कार्ड..?(भाग -2)

 ;(विनोद आनंद )

वैसे झारखंड में झामुमो के नेतृत्व बाली मौजूदा सरकार दूसरी सरकार है जिसे पूर्ण जनादेश जनता ने दी और पांच साल का समय पूरा करने जा रही है।इसके पूर्व भाजपा की रघुवर दास के नेतृत्व में पांच साल सरकार ने अपना कार्यकाल पूरा किया। अगर सरकार के कार्यों और उसके नीतियों के आधार पर उसके पांच साल के कार्यकाल का विश्लेषण करें और उसके आधार पर जनता इस सरकार के बारे में क्या धरना रखती है इसे समझने के लिए सरकार की सफलता और विफलता का आकलन जरूरी है।

पिछले अंक में हमने सरकार के सफल नीति और कार्यक्रमो का चर्चा किया था जिसके आधार पर जनता ने पूरी तरह सरकार को स्वीकार नही किया तो अस्वीकार भी नही किया।जिसका इफेक्ट लोकसभा चुनाव में देखने को मिला।अब विधानसभा चुनाव में सरकार के पास क्या चुनोती है और कितने क्षेत्र में सरकार विफल रही इसका चर्चा कर रहे हैं

सरकार की विफलता


झारखंड सरकार कई क्षेत्रों में सफल रही तो कई मामलों में सरकार को विफलता भी हाथ लगी जिसके कारण सरकार पर विपक्ष द्वारा अगुंली उठाये जाते रहे हैं।आज विपक्ष झारखण्ड़ सरकार की इन्ही कमियों को लेकर घेरने का प्रयास कर रही है।कुछ दिनों में राज्य में मौजूदा सरकार कई ऐसे विवादों से घिरी जिसके कारण सरकार की बदनामी हुई है।जिससे उबड़ने में सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।

भष्ट्राचार के आरोप और ईडी की कार्रवाई।


झारखंड के हेमन्त सोरेन सरकार के लिए यह सबसे दुखद और संकट पूर्ण पल रहा जब ईडी ने कई कार्रवाई कर भ्रष्ट्राचार के मामले उजागर किये।इस घटना से पूरा देश सकते में आ गया।संतालपरगना में 1000 करोड़ का खनन घोटाला,में कई अधिकारी, खनन माफिया के साथ ही मुख्यमंत्री के करीबी उनके विधायक प्रतिनिधि की गिरफ्तारी से सरकार और खासकर हेमन्त सोरेन पर भी अंगुली उठने लगी। 

उसके बाद मनरेगा घोटाला में आईएएस पूजा सिंघल की गिरफ्तारी हुई उनके करीबी के पास से 19 करोड़ से अधिक नगद बरामद हुआ। इसके बाद इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई। फिर राज्य के मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम की गिरफ्तारी और उसके 100 करोड़ से अधिक सम्पति का अटैचमेंट,आईएएस छविरंजन की जमीन घोटाले में गिरफ्तारी कथित तौर पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की भी इस मामले में संलिप्ता को लेकर हुई गिरफ्तारी,और अब राज्य के एक मंत्री आलमगीर के करीबी के यहां से लगभग 35 करोड़ की कैश बरामद के बाद टेंडर घोटाला का उजागर होना इसमें मंत्री सहित कई अधिकारियों की गिरफ्तारी होना। यह सब ऐसे मामले सामने आए जिससे सरकार की छवि देश भर में खराब हुई।

जनता का सोच भी बदला


स्वभाविक तौर पर इसका असर आने वाले विंधानसभा चुनाव पर पड़ेगा। भाजपा भी जनता के बीच इसी मुद्दे को लेकर जाएगी। ठीक है लोकसभा चुनाव में इन सारे परिस्थितियों के वाबजूद भी इंडी गटबंधन ने पिछले चुनाव से इस बार थोड़ा बेहतर किया। लेकिन आगामी विंधानसभा चुनाव में भी यही स्थिति होगी यह नही कहा जा सकता है। इस लिए के काम काज और राज्य में हुए कई मामले के उजागर होने से सरकार की छवि पर असर पड़ा है जिससे भाजपा को गठबंधन सरकार के बिरुद्ध एक बड़ा एजेंडा मिल गया है.

योजनाएं तो बनी धरातल पर नहीं उतरी


झारखण्ड सरकार की कई योजनाए जनता के हित में बनी लेकिन अधिकारीयों की इक्षाशक्ति का अभाव और नौकरशाह से लेकर कर्मचारियों को भ्रस्ट आचरण ने सरकार की अच्छी योजनाओं को विफल कर दिया.

आज राज्य में सरकार जनता का द्वारा एक अच्छा पहल था लेकिन इस योजनाओं से आम जनता का जीवन स्तर नहीं सुधर पाया इसी तरह अबुआ आवास योजना , बृद्धा पेंशन, सोचालय योजना समेत कई योजनाएँ है जो अधिकारीयों और कर्मचारियों के लापरवाही के कारण विफल है.

सरकार नहीं दे सकी युवाओं को रोजगार


जिस समय झामुमो ने सत्ता ग्रहण किया उस समय युवाओं से वादा किया था की युवांओं को रोजगार दिया जायेगा लेकिन सत्ता मे आने के बाद सरकार इस मोर्चा पर भी विफल रही. आज राज्य सरकार के विभिन्न विभागों में करीब 3 लाख स्वीकृत पद रिक्त है सरकार उस पद पर भी बहाल नहीं कर पायी. नोटिफिक्शन कुछ पदों के लिए निकला तो उस में विवाद हो गया.परीक्षाएं स्थगित हुई और बहाली रुक गयी.

सरकार यहाँ कोई ऐसी नीति भी नहीं बना पायी ताकि किसी बडी कंपनी को यहाँ निवेश के लिए प्रोत्साहित कर सके. सरकार ने एक नीति बनायीं की यहहाँ के उद्योग में स्थानीय लोगों को रोजगार मिले, लेकिन इसके लिए युवाओं में कौशल डेवलोपमेन्ट के दिशा में ठोस नीति नहीं बना पायी

दूसरी तरफ स्थानीय नीति का पेंच और उसमें उलझ कर ठोस नीति में भी विफलता हाथ लगी जबकि रघुबर दास की सरकार ने उतरखण्ड और छत्तीसगढ के नीति का अनुसरण कर 1985.से यहाँ निवास कर रहे लोगों को आधार बनाकर जो नीति बनायीं सरकार अपने राजनीती एजेंडा के तहत उसे भी पलटने का प्रयास किया इन सब कारणों से यहाँ सरकारी न्युक्तियाँ टलती रही.

गठबंधन सरकार के कार्यकाल में लोहा, कोयला बालू तस्करी बढ़ा


मौजुदा सरकार के कार्यकाल में राज्य में बालू तस्करी कोयला तस्करी और अन्य खनीज संपादओं का दोहन होता रहा.इसको लेकर भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी हमलावार रहे.यहाँ तक इन सब में सत्ताधारी दल के लोगों पर अंगुली उठती रही. प्रशासन भी सवालों के घेरे में रहे लेकिन पुरे प्रकारण में सरकार चुप रही. कठोर कदम उठाये जाने के बजाय सरकार की चुपी ने इस मामले में सरकार पर अंगुली उठाने का अवसर अपने विरोधी को दिया. इनसब का असर भी सरकार के छवि पर पड़ा.

 इन सब के बीच अगले विधान सभा चुनाव में इन सब परिस्थियों से कितना असर पड़ेगा यह तो उसने वाला समय बताएगा फिलहाल अगले विधान सभा में महागठबंधन या इंडिया गठबंधन को कई चुनौतियों  का सामना करना पड़ेगा.

जानिए लोकसभा चुनाव में संताल से राज्य सरकार में 4 मंत्री में से इंडी गठबंधन को वोट दिलाने में कौन रहा सफल कौन हुआ विफल..?

झारखंड डेस्क

लोकसभा चुनाव में झारखंड झारखंड के संथाल परगना में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन बहुत अच्छा रहा। इंडी गठबंधन के घटक दल इस उपलब्धि से बहुत खुश हैं और आने वाले विधानसभा चुनाव में इसे सकारात्मक पक्ष मान रहे हैं।

संथाल क्षेत्र एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन के लिए बहुत ही मायने रखता है। लेकिन लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन ने बाजी मार ली। तीन लोकसभा सीटों में से ये मुकाबला 2-1 का रहा। चुनाव में इंडिया गठबंधन को जीत दिलाने का दारोमदार झारखंड सरकार के मंत्रियों पर अधिक था। इसमें कौन मंत्री सफल रहे और कौन विफल आइए इसका आकलन करते हैं।

झारखंड में संथाल परगना का बहुत महत्व है।झारखंड मुक्ति मोर्चा के सुप्रोमो से लेकर अभी हेमन्त सोरेन तक संताल से चुनकर आते रहे ।अभी राज्य में कुल 11 मंत्री में तीन संताल से ही है। इससे पहले भी जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री थे, तब भी सीएम समेत तीन मंत्री इसी क्षेत्र से थे। जबकि राज्य में कुल पांच प्रमंडल हैं।

गौरतलब हो कि लोकसभा चुनाव के दौरान झारखंड सरकार में संथाल से चार मंत्री थे। इनमें पाकुड़ के विधायक आलमगीर आलम, दुमका के विधायक बसंत सोरेन, जरमुंडी के विधायक बादल पत्रलेख और मधुपुर के विधायक हफीजुल हसन शामिल हैं। लेकिन अब चुंकि आलमगीर आलम ने इस्तीफा दे दिया है। इसलिए यह आंकड़ा अब तीन हो गया है।

आम तौर पर मंत्रियों का काम पूरे राज्य में विकास और काम करना होता है। लेकिन चुनाव के दौरान यह उम्मीद की जाती है कि उनकी अपने क्षेत्र में अच्छी पकड़ हो और उनके दल या गठबंधन के उम्मीदवार चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करें। ऐसे में उनके क्षेत्र से उनके प्रत्याशी को कितने वोट मिलते हैं, इससे क्षेत्र में उनके प्रभाव का भी पता चलता है। संथाल की तीन सीटों पर मत्रियों का प्रदर्शनराजमहल लोकसभा सीटराजमहल सीट से जेएमएम प्रत्याशी विजय हांसदा चुनाव मैदान में थे। 

उन्होंने इस चुनाव में 1,53,000 वोटों से जीत दर्ज की. पाकुड़ विधानसभा राजमहल लोकसभा सीट में आता है, यहां से आलमगीर आलम विधायक है, जो चुनाव के समय सरकार में मंत्री भी थे। पाकुड़ से विजय हांसदा को करीब 79,000 वोटों की बढ़त मिली।इस तरह आलमगीर आलम का भी प्रदर्शन सराहनीय माना जा रहा है.दुमका लोकसभा सीट पर।

दुमका लोकसभा सीट से एनडीए की ओर से जहां सीता सोरेन चुनाव मैदान में थी। वहीं झामुमो की ओर से नलिन सोरेन चुनाव लड़ रहे थे, इसमें नलिन सोरेन ने बाजी मारते हुए 27 हजार वोटों से जीत दर्ज की। दुमका विधानसभा से हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन विधायक हैं और झारखंड सरकार में मंत्री भी हैं। लेकिन अपने क्षेत्र से वे नलिन सोरेन को बढ़त नहीं दिला पाए. दुमका विधानसभा से सीता सोरेन करीब 10433 वोटों से आगे रहीं.गोड्डा लोकसभा सीटगोड्डा लोकसभा सीट से भाजपा के निशिकांत दुबे का मुकाबला कांग्रेस के प्रदीप यादव से था। इस क्षेत्र से झारखंड सरकार के दो मंत्री आते हैं। बादल पत्रलेख और हफीजुल हसन. बावजूद इसके निशिकांत दुबे को करीब एक लाख वोटों से जीत मिली। बादल पत्रलेख के इलाके जरमुंडी में निशिकांत दुबे का ज्यादा फायदा मिला. यहां से वे करीब 45 हजार वोटों से आगे रहे। हालांकि हफीजुल हसन के क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी को बढ़त जरूर मिली. यहां से प्रदीप यादव करीब 9000 वोटों से बढ़त बनाने में कामयाब रहे।

इस तरह अगर लोकसभा चुनाव में संथाल के मंत्रियों के प्रदर्शन की बात करें तो आलमगीर आलम और हफीजुल हसन का प्रदर्शन अच्छा रहा। वे अपने प्रत्याशी को वोट दिलाने में कामयाब रहे। लेकिन बादल पत्रलेख और बसंत सोरेन का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा। दोनों के क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी आगे रहे। वहीं उनके प्रत्याशी पिछड़ गए। अल्पसंख्यक मंत्री आलमगीर के जेल में रहने के बावजूद एक विधानसभा में 79 हजार की बढ़त सराहनीय है, हफीजुल ने भी अपनी इज्जत बचा ली, लेकिन बादल पत्रलेख के क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी को 45 हजार की बढ़त उनके खुद के भविष्य पर सवाल खड़ा करती है। बसंत हाल ही में मंत्री बने हैं, ऐसे में उनके क्षेत्र दुमका में झामुमो का पिछड़ना चिंता का विषय है।

बरमसिया स्थित बिचाली गोदाम में शॉर्ट सर्किट से आग लगी, लाखों के नुकसान का अंदेशा

धनबाद ;धनबाद के धनसार थाना क्षेत्र के बरमसिया स्थित बिचाली गोदाम में गुरुवार सुबह तीन बजे के करीब बिजली ट्रांसफार्मर में शॉर्ट सर्किट के कारण भीषण आग आग लग गयी। इस हादसे में लाखों रुपये की क्षति की आशंका जतायी जा रही है। अगलगी की इस घटना में पूरी गोदाम जलकर राख हो गई।

गोदाम मे खड़े बिचाली लोड एक पिकअप वैन को भी अपने चपेट मे लें लिया, समय रहते लोगों ने पिकअप वैन मे लदे बिचाली को खाली कर दिया, जिसे मौके पर पहुंची धनसार पुलिस ने अपने कब्जे मे लें लिया।

अगलगी की इस घटना ने अगल बगल की छोटी छोटी कई दुकान जलकर राख़ हो गयी। घटना धनसार थाना क्षेत्र के बरमसिया एफसीआई गोदाम के पीछे यदु यादव के गोदाम में हुई है। आग लगने का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है। पीड़ित नुकसान का आकलन करने में लगा है। पीड़ित ने बताया कि घटना के समय गोदाम में कोई आदमी नहीं था।

गोदाम से धुआं निकलते देखकर पड़ोसियों ने फोन से सूचना दी साथ ही धनसार थाना और अग्नि शमन विभाग को भी फोन पर सूचना दी गयी। स्थानीय लोग आग बुझाने का प्रयास करने लगे कुछ देर बाद अग्निशमन विभाग की टीम भी पहुंच गयी अग्नि-शमन विभाग और स्थानीय लोगों की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
कांग्रेस झारखंड विधानसभा की 33 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में!

झारखंड डेस्क:
रांची :झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो गई है. सभी तैयारी में जुट गए हैं. कांग्रेस का दावा है कि वह झारखंड विधानसभा की 33 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. 2019 में 31 सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा था. विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को मांडर से  जीत मिली और पड़ैयाहाट से झारखंड विकास मोर्चा के विधायक प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गए.

ऐसे में कांग्रेस पार्टी इन सभी 33 सीटों पर चुनाव की तैयारी शुरू करने का निर्देश प्रदेश समिति को दिया गया है .बुधवार को झारखंड प्रदेश कार्य समिति की बैठक में प्रदेश प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने पार्टी के पदाधिकारियों को इसके निर्देश दिए हैं.

2019 के विधानसभा चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा ने 43 और राजद ने 7 सीटों पर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस के झारखंड प्रभारी गुलाम अहमद मीर ने कहा है कि लोकसभा चुनाव की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जा रही है. यह कमेटी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर बूथ एजेंट के काम की समीक्षा करेगी.

कमेटी को 15 दिनों में अपनी रिपोर्ट देनी है. इसके बाद स्पष्ट हो जाएगा कि पार्टी किन कारणों से पांच सीटों पर जीत हासिल नहीं कर सकी. प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित कांग्रेस की इस बैठक में लोकसभा चुनाव के हर सीट की समीक्षा की जानी है. मीर ने कहा कि जनता ने हमें इतना मजबूत कर दिया है कि केंद्र में अब तानाशाही सरकार नहीं कर सकती. जब तक हम पूरी समीक्षा नहीं कर लेते, अगला कदम मजबूती से नहीं उठा सकते हैं .हम जीती और हारी दोनों सीटों की हर स्तर पर समीक्षा करेंगे. कमजोर कड़ी को ढूंढना है और उसे मजबूत करना है.
कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में कल 7 सीटों पर चुनाव लड़ी थी, जिनमें दो पर  विजय रही.

इधर, झारखंड विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता के चयन के लिए पार्टी आलाकमान  को अधिकृत कर दिया गया है. कांग्रेस विधायक दल की बैठक में बुधवार की देर शाम यह निर्णय लिया गया. आलमगीर आलम के मंत्री पद से इस्तीफा दिए जाने के बाद और विधायक दल के नेता से त्यागपत्र दिए जाने के बाद दोनों पद खाली हुए हैं .

इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा का कहना है कि हम तो कुल 81 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडे ने कहा कि पार्टी बहुत मजबूती से हर सीट पर लड़ने के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि हर सीट पर झारखंड मुक्ति मोर्चा संगठन की मजबूती का ही परिणाम है कि इस लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन को 5 सीटों पर जीत हाझारखंड में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं. पिछली बार 2019 में झारखंड मुक्ति मोर्चा 43 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 30 पर जीत मिली थी.
मंदिर का रास्ता बंद करने से रेलवे पर भड़के विधायक राज, डीआरएम से की वार्ता


झा.डेस्क
धनबाद :दुर्गा मंडप ओल्ड स्टेशन के रास्ते को रेलवे द्वारा बंद करने की सूचना मिलते ही विधायक राज सिन्हा को मिली वह तत्काल वहां के आंदोलित युवाओं से जाकर मिले। डीआरएम से तत्काल मौके पर से ही बात कर कहा कि धनबाद स्टेशन के दक्षिणी छोर की ओर जो पुराना स्टेशन है उक्त स्थल पर रेलवे के द्वारा पुराने क्वार्टरों को तोड़कर नए भवन का निर्माण कराया जा रहा है।

विधायक सिन्हा ने डीआरएम से कहा कि इस निर्माण कार्यों के बीच में धार्मिक स्थल का रास्ता भी बंद किया जा रहा है। विधायक सिन्हा ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि इस इलाके में लगभग 60 वर्षों से भी ज्यादा पुराना मंदिर श्री श्री दुर्गा मंडप पुराना स्टेशन एवं मनसा मंदिर नियर रेलवे छोटा हॉस्पिटल है। इन मंदिरों मैं कई वर्षों से लगातार पूजा होती आ रही है। इन मंदिरों के रास्ते बंद करने से लोगों को कठिनाई होगी धार्मिक स्थल के सामने ,चहारदीवारी निर्माण पर अविलंब रोक लगाई जाए।विधायक सिन्हा ने धनबाद डीआरएम को इससे संबंधित पत्र भी दिया।
निशिकांत दुबे के ट्वीट -'चम्पाई दा होशियार ! कल्पना भाभी आ गई हैं, से बढ़ी झारखण्ड में राजनितिक तापमान

झारखण्ड डेस्क
क्या कल्पना सोरेन झारखण्ड का सीएम बनने जा रही है इसको लेकर रांची में राजनीती का  तापमान बढ़ा हुआ है. पिछले कुछ दिनों में झारखण्ड  मुक्ति मोर्चा की राजनीती जिस तरह कल्पना सोरेन के इर्द गिर्द घूमने लगी है उससे कई तरह के राजनीतक कयास  लगाए जाने लगे. इस बीच X पर निशिकांत दुबे का ट्ववीट ने तो इस कयास को और हवा दे दिया है.

"दरअसल भारतीय जनता पार्टी के नेता निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, 'चम्पाई दा होशियार, कल्पना भाभी आ गई हैं, झारखंड की वर्तमान सरकार के लिए आने वाला 7 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है.'

बीजेपी नेता निशिकांत दुबे ने अपने आधिकारक एक्स हैंडल पर कुछ लिखा है जिससे झारखंड में सियासी हलचल बढ़ गई है. इसे पढ़ने के बाद प्रदेश में लोग अपने-अपने तरफ से कयास लगा रहे हैं. राज्य में सत्ता परिवर्तन के कयास भी अब लगाए जाने लगे हैं। दरअसल निशिकांत दुबे ने इसमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेने और राज्य के मौजूद सीएम चंपाई सोरेन का नाम लिया है.

इतना ही नहीं निशिकांत दुबे ने सीएम चंपाई सोरेन को एक तरह से आगाह भी किया है. दरअसल निशिकांत दुबे ने एक्स पर लिखा, 'चम्पाई दा होशियार, कल्पना भाभी आ गई हैं, झारखंड की वर्तमान सरकार के लिए आने वाला 7 दिन बहुत ही महत्वपूर्ण होने वाला है.'

कल्पना सोरेन ने हाल ही में चुनाव आयोग द्वारा राज्य की गांडेय सीट पर कराए गए उपचुनाव में जीत हासिल की है.जाहिर है एक्स पर निशिकांत दुबे की यह बात कहीं ना कहीं राज्य में सत्ता परिवर्तन की अटकलों को हवा देती है. झारखंड के चर्चित जमीन घोटाले में जब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य के तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन पर शिकंजा कसते हुए इसी साल उन्हें गिरफ्तार किया था तब उस वक्त भी राजनीतिक गलियारे में हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन की भूमिका को लेकर काफी चर्चा हुई थी। हालांकि, उस वक्त कल्पना सोरेन किसी सीट से विधायक नहीं थीं.

हेमंत सोरेन के इस्तीफे के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM)के नेता और हेमंत सोरेन के करीबी माने जाने वाले चंपाई सोरेन को राज्य की कमान सौंपी गई थी. कहा जाता है कि उसी समय से कल्पना सोरेन के लिए भी एक सुरक्षित सीट की तलाश की जा रही थी. अब गिरिडीह जिले की गांडेय सीट पर हुए उपचुनाव में कल्पना सोरेन जीत हासिल कर चुकी हैं. जिसके बाद निशिकांत दुबे ने अब चंपाई सोरेन को होशियार करते हुए इशारों-इशारों में सत्ता परिवर्तन की अटकलें लगा दी हैं.
आगामी विधानसभा चुनाव में बदलेगा राजनीतिक समीकरण,जयराम महतो की 50 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की है झारखंड,


झारखंड डेस्क

झारखंड की राजनीतिक में आने वाले विधानसभा चुनाव में सियासी समीकरण के बदलने की उम्मीद हैं। लोकसभा चुनाव-2024 के दौरान झामुमो और आजसू का होश उड़ाने वाली झारखंडी भाषा खतियान संघर्ष समिति के अध्यक्ष जयराम महतो ने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) नाम की पार्टी बनाई है। मान्यता के लिए उन्होंने चुनाव आयोग को आवेदन दिया है।

50 से अधिक सीटों पर लड़ेगा चुनाव

विधानसभा चुनाव में एक और झारखंड नामधारी पार्टी के रूप में झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) मैदान में उतरेगा। जयराम के इस दल से झारखंड विधानसभा चुनाव में 50 से अधिक सीटों पर प्रत्याशी उतरेंगे। जयराम का यह निर्णय राज्य में विधानसभा चुनाव से पहले झामुमो (JMM) और आसजू (AJSU) के लिए नींद उड़ाने वाला है। क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान जयराम और उनके समर्थकों का जो प्रदर्शन रहा है उससे दोनों क्षेत्रीय दलों के होश उड़े हुए हैं। 

लोकसभा चुनाव में 8 सीटों पर लड़ा

जयराम अपनी राजनीतिक पार्टी का नाम झारखंड क्रांतिकारी मोर्चा रखना चाहते थे, लेकिन चुनाव आयोग ने इसकी अनुमति नहीं दी। फिर उन्होंने झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा नाम रखा है। बताया कि वह और उनके आठ साथी निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़े। इस कारण, राजनीतिक पार्टी की मान्यता में लोकसभा चुनाव का प्रदर्शन काम नहीं आएगा। शीघ्र ही वह अपनी नई राजनीतिक पार्टी का महाधिवेशन करेंगे। धनबाद में जेबीकेएसएस का अधिवेशन हो चुका है। इसलिए अब अधिवेशन गिरिडीह, बोकारो या हजारीबाग में से किसी एक जगह किया जाएगा। 

अपनी टीम के साथ विचार विमर्श कर इस पर अंतिम निर्णय लेंगे। जयराम ने बताया कि विधानसभा चुनाव उनकी पार्टी अकेले लड़ेगी। तालमेल के सवाल पर कहा कि चुनाव जीतने के बाद वह किसी पार्टी से तालमेल कर सकते हैं। 

लोस चुनाव में छह सीटों तीसरे नंबर पर 

भाषा आंदोलन के नाम पर महज तीन साल पूर्व राजनीति में उतरे युवा जयराम महतो ने इस लोकसभा चुनाव में आठ सीटों पर प्रत्याशी उतारे। वह खुद गिरिडीह से चुनाव लड़े। जयराम समेत उनके छह प्रत्याशी इस चुनावी जंग में तीसरे नंबर पर रहे। जयराम ने साढ़े तीन लाख वोट लाकर आजसू प्रत्याशी चंद्रप्रकाश चौधरी एवं झामुमो प्रत्याशी मथुरा प्रसाद महतो के होश उड़ा दिए। डुमरी और गोमिया विधानसभा क्षेत्र में वह बड़ी लीड लेने में सफल रहे। डुमरी में झामुमो की बेबी देवी व गोमिया में आजसू के लंबोदर महतो विधायक हैं। जयराम के धनबाद के प्रत्याशी एखलाक अंसारी को 79, 653, हजारीबाग के संजय कुमार मेहता को 1,57,977, रांची के देवेंद्रनाथ महतो को 1,32,647, सिंहभूम के दामोदर सिंह हांसदा को 44,292, कोडरमा के मनोज कुमार को 28,612 वोट मिले। दुमका एवं चतरा लोकसभा सीट में जयराम को विशेष सफलता नहीं मिली। दुमका से उनकी प्रत्याशी बेबीलता टुडू को 19,360 और चतरा से दीपक कुमार को 12,565 वोट मिले। इन आठों लोकसभा क्षेत्रों में कुल मिलाकर जयराम एवं उनकी टीम को 8.2 लाख से अधिक वोट मिले।

सुप्रीम कोर्ट ने NEET UG 2024 पेपर लीक के आरोपों वाली याचिकाओं पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी किया

सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक के आरोपों के बीच नए सिरे से NEET UG 2024 परीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी किया है।

 मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने पेपर लीक के आरोपों के बीच नए सिरे से NEET UG 2024 परीक्षा की मांग करने वाली याचिकाओं पर नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) को नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अवकाशकालीन पीठ ने NTA से जवाब मांगते हुए मामले की सुनवाई 8 जुलाई के लिए स्थगित कर दी।

जारी रहेगी काउंसलिंग

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) स्नातक (UG) परीक्षा 2024 में कथित पेपर लीक और अनियमितताओं को लेकर मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश के लिए काउन्सलिंग पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।

भारी मात्रा में उम्मीद्वार काउन्सलिंग रोकने की मांग कर रहे थे और इसके लिए जमकर विरोध भी कर रहे थे लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इसपर साफ तौर से इनकार कर दिया है।