छोटे से गांव से निकल कर एक साधारण सा युवक बना झारखंड में राजनितिक दलों के लिए चुनौती,देखना है अगले विधानसभा चुनाव में क्या होता है उसका जलवा...?
झारखंड डेस्क
झारखंड के धनबाद जिला के एक छोटे से गांव से निकल कर एक युवक बाहर आता है।भाषा,खातियान के आधार पर स्थानीय पहचान और हक हकुक की बात करने के लिए लोगों के बीच खड़ा होता है।गांव के लोग जुटते ,फिर अगल बगल, और अब पूरे झारखंड के युवा उसके पीछे हो जाते।अब वह युवक
छोटे-बड़े गांव-कस्बों में अपनी गाड़ी (जीप) के बोनट पर खड़े होकर भाषण देता है। उस युवा नेता को सुनने के लिए लोग दूर-दूर से पहुंच रहे हैं। ‘युवा टाइगर’ के रूप में चर्चित इस छात्र नेता के भाषण में सिर्फ स्थानीय मुद्दे, युवाओं को रोजगार, भाषा और अपने हक-अधिकार की बात होती हैं।
जींस और टी-शर्ट पहने इस नेता की बातें भी स्थानीय भाषा में इस तरह से सीधी-सरल होती है कि उन्हें सुनने आए ग्रामीणों पर बड़ा इसका प्रभाव पड़ता है। रांची, बोकारो, गिरिडीह, हजारीबाग, रामगढ़ और धनबाद जिले में गांव-गांव घूम कर अपने संगठन को मजबूत बनाने वाले इस शख्स ‘जयराम महतो’ पर बीजेपी-कांग्रेस समेत अन्य दलों के बड़े नेताओं की भी नजर है।
जयराम महतो खुद स्वीकार करते हैं, कांग्रेस-बीजेपी और अन्य पार्टियां उन्हें आगामी चुनाव में मनचाही सीट देने का ऑफर दे रही हैं। लेकिन उन्होंने जनता के मुद्दों को प्रभावी तरीके से उठाने के लिए झारखंड भाषा खतियानी संघर्ष समिति नामक संगठन बनाया है। उसने लोकसभा चुनाव में झारखंड के आठ लोकसभा सीट पर कैंडिडेट उतारा, खुद साढ़े तीन लाख से ज्यादा वोट लाकर बड़ी पार्टी को चुनौती दी है।हर सीट पर तीसरे स्थान पर रहा, धनबाद, रांची,में भी उसका प्रदर्शन शानदार रहा और अब अगले विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दल का स्वरूप देने की तैयारी में वह जूट गया।जिसके कारण झारखंड में राष्ट्रीय पार्टी सहित स्थानीय राजनितिक दल की हवा गुम है। उसने लोकसभा चुनाव में कुछ विधानसभा चुनाव में इतना अच्छा प्रदर्शन किया है कि यह तो तय हो गया।कुछ विधान सभा चुनाव जीत कर यह युवा राजनितिक सफर की शुरुआत करने में सफल रहेगा।
रांची से लेकर दिल्ली तक उठाएगा जयराम आवाज
जयराम महतो का कहना है कि झारखंड निर्माण की कल्पना को पूरा करने के लिए युवाओं की राजनीति में भागीदारी बहुत जरूरी है। युवाओं को सक्रिय रूप से आगे आना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य अलग होने के 23 साल बीत जाने के बाद भी राज्य की स्थिति नहीं बदली। आज भी राज्य के लोग बुनियादी ज़रूरतों के लिए जद्दोजहद करते नज़र आ जाएंगे। अगर स्थिति को बदलना है तो अपनी आवाज को राजधानी रांची और दिल्ली सदन तक पहुंचाना होगा। बदलाव के लिए सड़क से उठाकर युवाओं को सदन भेजने की तैयारी करनी होगी। जयराम महतो यह भी कहते है कि जब तक परिवारवाद का सिलसिला चलता रहेगा, झारखंड निर्माण के उद्देश्यों को पूरा नहीं किया जा सकता। हमें नीति और नियत दोनों बदलनी होगी और थोपी हुई राजनीति को हटाना होगा और अपना भविष्य खुद चुनना होगा।
उसके राजनीति का मुद्दा होगा स्थानीय युवाओं को रोजगार और भाषा
जयराम महतो कहते हैं कि झारखंड में बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां है, छोटे-बड़े कई उद्योग है, लेकिन मुंबई-गुजरात और दिल्ली में सबसे ज्यादा मजदूर झारखंड के ही हैं। राज्य के युवा बेरोजगार बैठे हैं। बाहरी लोगों को नौकरियां मिल रही हैं। झारखंड के युवा रोजगार की तलाश में पलायन पर मजबूर हैं। इस व्यवस्था को बदलने के लिए आंदोलन में युवाओं को आगे आना होगा। वे झारखंड की क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा देने और स्थानीय-क्षेत्रीय भाषाओं को जानने वाले लोगों को ही तृतीय-चतुर्थ वर्ग की सरकारी नौकरियां देने के लिए लंबे समय से आवाज बुलंद कर रहे हैं।
आगामी विधानसभा मे उसका क्या होगा जलवा..?
जयराम महतो का 8 लोकसभा सीट पर जो वोट का स्थिति रहा, और कुछ विधानसभा सीटों पर जिस तरह मत प्रतिशत रहा उस हिसाव से विधानसभा चुनाव् में उसका जलवा दिखेगा।अब आने वाल समय तय करेगा कि वह किस विचारधारा का समर्थक होता है या किस दल के साथ जाता है उसके हिसाब से उसके राजनितिक भविष्य का सफर तय होगा।
Jun 10 2024, 16:36