लाल पत्थरों से तैयार हुआ अचलेश्वर नाथ महादेव का भव्य मंदिर
नितेश श्रीवास्तव ,भदोही । मां गंगा की धाराओं से तीन ओर से घिरा जनपद का कोनिया क्षेत्र आस्था और पर्यटन का संगम है। क्षेत्र के डीघ महादेवा गंगा के पावन तट पर जिले का सबसे सुंदर, दिव्य शिव मंदिर का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। 63 फीट चौड़े, 33 फीट लंबे विशाल मंदिर का गुंबद 53 फीट ऊंचा है। गर्भगृह 10 फीट 5 इंच का है, जो लोगों के आस्था और आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पहले यहां लगभग 300 श्रद्धालु रोज दर्शन के लिए पहुंचते थे। अब यह संख्या हजार तक पहुंच गई है।डीघ क्षेत्र में महादेवा गंगा तट पर 300 वर्ष पुराने अचलेश्वर महादेव मंदिर के पुनर्निर्माण में नौ हजार घन फीट लाल पत्थर का इस्तेमाल हुआ है। मंदिर की मजबूती के लिए पत्थर के 51 पिलर लगे हैं। मंदिर के पत्थरों पर बेहतरीन नक्काशी की गई है।
मंदिर के ठीक सामने लाल पत्थरों से बने कछुआ की पीठ पर पत्थर का 41 फीट ऊंचे त्रिशूल का निर्माण भी पूरा हो चुका है।महादेव को समर्पित यह त्रिशूल श्रद्धालुओं की आस्था और विश्वास का प्रतीक है। दिव्य मंदिर के गर्भगृह में स्थापित स्वयं-भू शिवलिंग दिव्य व अद्भुत है। बाबा अचलेश्वर नाथ धाम का तीन सौ वर्षों का इतिहास है। मंदिर में स्थापित स्वयंभू शिवलिंग के दर्शन मात्र से असीम सुख व शांति की अनुभूति होती है। मंदिर में दक्षिण की ओर आदि शक्ति मां दुर्गा की मनोहारी मूर्ति के साथ श्रीराम जानकी और लक्ष्मण की दिव्य मूर्ति स्थापित है। मंदिर में उत्तर की ओर हनुमान जी की आकर्षक मूर्ति और राधा-कृष्ण की मनोहारी मूर्तियां स्थापित की गई हैं। मंदिर का निर्माण कटरा बाजार निवासी दशरथ लाल दूबे के पुत्र युवा उद्यमी राघवेंद्र दूबे ने कराया है।
बाबा अचलेश्वर नाथ की कृपा से चला वंश
सीतामढ़ी। बाबा अचलेश्वर नाथ धाम से कोनिया का गौरव बढ़ा है। मिर्जापुर जनपद के जिगना थाना क्षेत्र के घुघुटी नगवांसी गांव के लोगों का इस पावन स्थल से असीम आस्था और विश्वास जुड़ा है। मंदिर में दर्शन पूजन के लिए आए नगवांसी गांव के बुजुर्ग रामदत्त शुक्ल, इसरावती देवी, निशा शुक्ला और निर्मला देवी का कहना है कि उनके पूर्वजों का वंश समाप्ति की ओर था, लेकिन बाबा अचलेश्वर नाथ की कृपा हुई और पूर्वजों का वंश आगे बढ़ा। हमारा पूरा खानदान अब 250 घर से अधिक का गांव हो चुका है।अचलेश्वर नाथ धाम महादेवा, सेमराध नाथ धाम, बाबा योगेश्वर नाथ धाम बारीपुर, पौराणिक स्थल सीतामढ़ी और पश्चिम वाहिनी गंगा को एक सूत्र में जोड़कर विशेष कॉरिडोर बनाकर धर्म आस्था और पर्यटन का अनूठा संगम बनाए जाने की जरूरत है। - राघवेंद्र दूबे, मंदिर निर्माण कर्ता, कटरा बाजार
May 28 2024, 18:12