वोट चोरी के आरोपों पर गरमाई सियासत, संसद से चुनाव आयोग तक विपक्षी गठबंधन का मार्च, राहुल करेंगे अगुवाई

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देश में इन दिनों वोट चोरी के मामले को लेकर सियासत गरमा गई है। हाल ही में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद सियासी लड़ाई आज से सड़कों पर शुरू होने जा रही है। इंडिया ब्लॉक के साथ ही विपक्ष के 300 सांसद सोमवार को संसद से चुनाव आयोग के कार्यालय तक मार्च करेंगे। इस मार्च का उद्देश्य है कि चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान 'मतदाता धोखाधड़ी' के आरोपों पर अपना विरोध दर्ज कराया जा सके।

मार्च में 300 सांसद शामिल होंगे

आज सुबह इंडिया ब्लॉक के सांसद राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष के नेता प्रोटेस्ट मार्च निकालने जा रहे हैं। विपक्षी सांसद संसद भवन से लेकर चुनाव आयोग तक मार्च निकालेंगे। विपक्ष के इस मार्च में 300 सांसद शामिल होंगे। विपक्षी सांसदों का प्रोटेस्ट मार्च संसद भवन के मकर द्वार से परिवहन भवन होते हुए चुनाव आयोग के दफ्तर तक जाएगा।

खरगे, अखिलेश यादव और अभिषेक बनर्जी भी होंगे शामिल

इस मार्च में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी शामिल होंगे। इसके अलावा आरजेडी, डीएमके, लेफ्ट पार्टी समेत 25 से ज्यादा पार्टियों के लोकसभा और राज्यसभा के 300 सांसद शामिल होंगे।

भाजपा-निर्वाचन आयोग में मिलीभगत का आरोप

विपक्ष का कहना है कि भाजपा के साथ मिलकर चुनाव आयोग वोटों की चोरी कर रहा है। उसका यह भी कहना है कि बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मतदाताओं के हित के बजाय अहित कर रहा है। एसआईआर के चलते राज्य से लाखों की संख्या में मतदाताओं के मताधिकार छीने गए हैं। विपक्ष इसमें मामले में सदन में लगातार चर्चा की मांग के साथ इसे वापस लेने की मांग कर रहा है। कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए चुनाव आयोग पर हेराफेरी का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट के तहत एक विधानसभा सीट के तथ्यों के जरिए कई दावे किए थे और भाजपा-निर्वाचन आयोग की मिलीभगत का आरोप लगाया था।

एलजी के अभिभाषण के दौरान आप विधायकों का हंगामा, आतिशी समेत पूरा विपक्ष पूरे दिन के लिए निलंबित

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दिल्ली विधानसभा में दूसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज एलजी वीके सक्सेना का सदन में अभिभाषण जारी है। इस बीच विपक्ष के विधायक हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ऐक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने एक-एक कर आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को दिन भर के लिए निष्काषित कर दिया। इसमें विपक्ष की नेता आतिशी भी शामिल हैं।

दिल्ली विधानसभा की मंगलवार को हुई कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विरोध जताते हुए हंगामा किया। इससे विधानसभा की कार्यवाही में रुकावट आई। इस दौरान आप के विधायक उपराज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे थे। स्पीकर ने सभी हंगामा करने वाले विधायकों को पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया और उन्हें विधानसभा से बाहर कर दिया है। हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा में शांति बहाल रखने के लिए स्पीकर को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।

दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना अभिभाषण शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से भीमराव आंबेडकर की फोटो हटाने का विरोध करना शुरू कर दिया। उपराज्यपाल ने अभिभाषण में भाजपा सरकार की भावी योजना का उल्लेख किया साथ ही आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार की नाकामियों की भी चर्चा की।

उपराज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पांच प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिनमें यमुना सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितकरण शामिल थे। इसके बाद बीजेपी विधायकों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए। वहीं, विधानसभा से बाहर आप के विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन विधायकों ने हाथ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया।

विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित किए जाने पर नेता विपक्ष आतिशी ने कहा, बीजेपी ने बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो की जगह नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय, विधानसभा कार्यालय और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों में आंबेडकर की जगह मोदी तस्वीर लगाई गई है। मैं पूछना चाहती हूं की नरेंद्र मोदी आंबेडकर से बड़े हैं। आपको इतना अहंकार हो गया है। इसी के खिलााफ आप ने प्रदर्शन किया। हम सदन से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करते रहेंगे। जब तक बाबा साहब की तस्वीर उसी जगह पर नहीं लग जाती।

पहला ऐसा सत्र जिसके पहले किसी ने विदेश से चिंगारी नहीं भड़काई”, पीएम ने इशारों-इशारों में किसपर साधा निशाना

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आज से संसद के बजट सत्र की शुरूआत हो गई है। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन के बाहर पत्रकारों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस दौरान इशारों-इशारों में विपक्ष पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि ऐसा 10 साल में पहली बार हो रहा है कि संसद सत्र से पहले कोई विदेशी शरारत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यहां तो लपकने वाले तैयार थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

पीएम मोदी ने कहा कि 2014 से लेकर अब तक ये पहला ऐसा सत्र होने जा रहा है जब सत्र शुरू होने कुछ दिन पहले कोई विदेशी चिंगारी नहीं भड़की है। और विदेश से बैठकर आग लगाने की कोशिश नहीं हुई है। 2014 से मैं देख रहा हूं कि हर सत्र से पहले कुछ लोग शरारत करने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। ये पहला सत्र है जिसके पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान इशारों में इशारों में विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विदेश से लगाई जाने वाली चिंगारी को हवा देने वालों की भी कमी नहीं है। 2014 से मैं देख रहा हूं हर सत्र से पहले लोग शरारत करने के लिए तैयार बैठे रहते हैं और यहां हवा देने वालों की भी कोई कमी नहीं है। ये पहला सत्र है कि इसमें कोई विदेशी चिंगारी नहीं दिख रही है।

वहीं, प्रधानमंत्री ने बजट सत्र की शुरूआत से पहले समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर पर सदियों से हमारे यहां मां लक्ष्मी का पुण्य स्मरण किया जाता है। मां लक्ष्मी हमें सिद्धि और विवेक देती हैं। समृद्धि और कल्याण भी देती हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्गीय समुदाय पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि देश की जनता ने मुझे तीसरी बार ये दायित्व दिया है, इस कार्यकाल का ये पहला पूर्ण बजट है और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत का संकल्प जो भारत ने लिए है ये बजट नया विश्वास और नई ऊर्जा देगा की देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा तो देश विकसित होकर रहेगा। हम हर तरह से जनता के कल्याण के लिए मिशन मोड पर काम कर रहे हैं।

वक्फ कानून में संशोधन के सभी 14 प्रस्ताव पास, विपक्ष के सभी सुझाव संसदीय समिति से खारिज

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वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा कर रही ज्‍वाइंट पार्लियामेंट कमेटी यानी जेपीसी ने सोमवार को बीजेपी और एनडीए के सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया। संसदीय समिति ने सोमवार को सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया। इस दौरान विपक्ष द्वारा पेश किए गए हर बदलाव को ठुकरा दिया गया।जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी।विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है।

जेपीसी की बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि 44 संशोधनों पर चर्चा हुई। 6 महीने के दौरान विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी इसलिए समिति द्वारा बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और इस पर वोटिंग हुई। मगर उनके के समर्थन में 10 वोट पड़े और इसके विरोध में 16 वोट पड़े। इसके बाद विपक्षी दलों को संशोधन को अस्वीकार कर दिया गया।

जगदंबिका पाल पर तानाशाही का आरोप

वहीं, विपक्षी सांसदों ने जेपीसी की बैठकों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट होने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद और जेपीसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि जेपीसी बैठक के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई और जगदंबिका पाल तानाशाही तरीके से काम कर रहे हैं। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को हास्यास्पद करार दिया।

जगदंबिका पाल ने आरोपों को खारिज किया

हालांकि जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से हुई और बहुमत के आधार पर फैसले लिए गए। विधेयक में जो अहम संशोधन प्रस्तावित हैं, उनमें से एक ये है कि मौजूदा कानून में प्रावधान है कि वक्फ संपत्तियों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में इसे हटा दिया गया है।

संशोधन विधेयक में कई प्रस्ताव

वक्फ संशोधन विधेयक वक्फ बोर्डों के प्रशासन के तरीके में कई बदलावों का प्रस्ताव करता है, जिसमें गैर-मुस्लिम और (कम से कम दो) महिला सदस्यों को नामित करना शामिल है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में (यदि संशोधन पारित हो जाते हैं) एक केंद्रीय मंत्री और तीन सांसद, साथ ही दो पूर्व न्यायाधीश, चार 'राष्ट्रीय ख्याति' वाले लोग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होने चाहिए, जिनमें से किसी का भी इस्लामी धर्म से होना आवश्यक नहीं है। इसके अलावा, नए नियमों के तहत वक्फ परिषद भूमि पर दावा नहीं कर सकती।

मालदीव में विपक्ष ने लगाया मुइज्जू को हटाने की साजिश का आरोप, जोड़ा भारत का नाम

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करीब एक साल पहले भारत के पड़ोसी देश मालदीव में सत्‍ता परिवर्तन। जिसके बाद मोहम्‍मद मुइज्जू की सरकार सत्‍ता में आई। सरकार गठन के बाद ही मुइज्जू के मंत्रियों ने भारत के खिलाफ जहर उगलना भी शुरू कर दिया। हालांकि मुइज्जू को जल्द पता चल गया की भारत से पंगा लेना उनके लिए आसान नहीं है। मुइज्जू की भाषा बदली, जिसको बाद दोनों देशों के रिश्ते पटरी पर आने लगे। इस बीच अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में एक हैरान करने वाला दावा किया है। जिसमें दावा किया गया कि भारत ने मुइज्‍जू की सरकार को गिराने की साजिश रची

अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव की विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के नेताओं ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को हटाने की साजिश के लिए भारत से सहायता मांगी। रिपोर्ट के मुताबिक कथित तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का एक एजेंट मालदीव के विपक्षी नेताओं के संपर्क में था, ताकि जनवरी में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के कुछ ही महीनों बाद उन्हें सत्ता से हटाया जा सके।

साजिश में भारत की खुफिया एजेंसी की कथित संलिप्तता

डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नामक इस योजना का विवरण देने वाले आंतरिक दस्तावेज में वरिष्ठ सैन्य और पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देने तथा तीन प्रभावशाली आपराधिक गिरोहों से संपर्क करने की योजना का खुलासा है। कथित तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) से जुड़े व्यक्तियों के साथ जनवरी 2024 में चर्चा शुरू हुई। हालांकि, महीनों की गुप्त वार्ता के बाद अपर्याप्त समर्थन से महाभियोग की साजिश विफल हो गई।

द वाशिंगटन पोस्ट के दावे के मुताबिक अमेरिका में भारतीय दूतावास में रॉ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी शिरीष थोरेट और पत्रकार-राजनेता सवियो रोड्रिग्स के साथ मिलकर मुइज्जू को हटाने की चर्चा की। रिपोर्ट के मुताबिक थोरेट और रोड्रिग्स ने योजना के अस्तित्व की पुष्टि की, लेकिन यह नहीं बताया कि वे भारत सरकार की ओर से काम कर रहे थे या नहीं। भारत ने अभी तक इसपर कोई टिप्पणी नहीं की है।

साजिश के तहत भारत से मांगे गए 6 मिलियन डॉलर

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मालदीव में विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर महाभियोग चलाने की साजिश रची थी। इस साजिश में सांसदों को रिश्वत देना और आपराधिक गिरोहों की भर्ती करना शामिल था। रिपोर्ट में यह भी आरोप है कि इस साजिश के लिए भारत से 6 मिलियन डॉलर (करीब 50.40 करोड़ रुपये) की मांग की गई थी। हालांकि, साजिश सफल नहीं हुई।

पूर्व राष्ट्रपति ने किया भारत का समर्थन

अब इस मामले में विपक्षी नेता मोहम्‍मद नशीद का बयान सामने आया है। मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अब इस रिपोर्ट को कोरी बकवास करार दिया है। इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत के दौरान उन्‍होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत कभी इस तरह से सत्‍ता परिवर्तन में सहायता करने के लिए तैयार होगा। मेरे साथ कभी भी ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई। वाशिंगटन पोस्‍ट ने डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नाम के एक दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया कि मालदीव के विपक्ष ने मुइज्‍जू के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए वोट देने के लिए 40 सांसदों को रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें मुइज़ू की अपनी पार्टी के सांसद भी शामिल हैं।

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के नाम पर रोड का नामकरण, जेडीएस ने बताया राज्य का अपमान

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मैसूरु नगर निगम द्वारा प्रस्तुत किए गए उस प्रस्ताव की निंदा की जा रही है जिसमें एक सड़क का नाम कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के नाम पर रखने की बात कही गई है। मैसूर नगर निगम परिषद ने चामराजा कांग्रेस विधायक हरीश गौड़ा के सुझाव पर लक्ष्मी वेंकटरमणस्वामी मंदिर से आउटर रिंग रोड जंक्शन तक केआरएस रोड के एक हिस्से का नाम सिद्धारमैया आरोग्य मार्ग रखने का प्रस्ताव 22 नवंबर को पारित किया था। जेडीएस ने केआरएस रोड का नाम सिद्धारमैया आरोग्य मार्ग रखे जाने के कदम को निंदनीय करार दिया।

जेडीएस ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि सिद्धारमैया मुडा मामले में आरोपी हैं। उनके खिलाफ लोकायुक्त जांच चल रही है। मैसूर नगर निगम में कोई निर्वाचित बोर्ड नहीं है। कांग्रेस सरकार की ओर से नगर निगम में नियुक्त किए गए अधिकारियों ने अपना ऋण चुकाने के लिए सिद्धारमैया के नाम पर सड़क का नाम रखने का फैसला किया है। मुडा घोटाले में शामिल मुख्यमंत्री के नाम पर सड़क का नाम रखना ऐतिहासिक शहर मैसूर और पूरे राज्य के साथ विश्वासघात और अपमान है।

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने कहा कि जिस सड़क का नाम सिद्धरमैया के नाम पर प्रस्तावित है, वह ‘ऐतिहासिक’ है। उन्होंने कहा कि महाराजा नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार ने टीबी रोग के कारण जान गंवाने वाली अपनी बहन राजकुमारी कृष्णजम्मानी तथा उनके बच्चों की याद में यहां भूमि दान की थी और एक तपेदिक अस्पताल की स्थापना की थी।

कृष्णा ने कहा कि अधिकारियों ने सिद्धारमैया के नाम पर एक सड़क का नाम रखने का फैसला किया है, जो मुडा मामले में आरोपी हैं, जबकि उनके पास ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। कई नागरिकों ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति जताई है। मैं इसके खिलाफ कानूनी रूप से भी लड़ रहा हूं। अगर प्रस्ताव वापस नहीं लिया जाता है, तो हम इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।

संसद में प्रदर्शन के दौरान धक्का-मुक्की, बीजेपी के 2 सांसद घायल, राहुल ने मारा धक्का?

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संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामा हो रहा है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। इस दौरान दोनों दलों के सांसदों के बीच मकर द्वार पर धक्कामुक्की की खबर आई। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी के सिर में चोट देखी गई। इस दौरान भाजपा सांसद मुकेश राजपूत भी घायल हो गए। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें आरएमएल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। सारंगी का इलाज भी इसी अस्पताल में चल रहा है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-एनडीए सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था, राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है। राहुल गांधी ने भाजपा के 2 सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को जोर से धक्का दिया। राहुल गांधी ने जो धक्का-मुक्की की है, मैं उसका खंडन करता हूं। मैं राहुल गांधी से सवाल करना चाहता हूं कि अगर सब लोग अपनी ताकत दिखाकर मारपीट करने लग जाएंगे, तो संसद कैसे चलेगा? यह लोकतंत्र का मंदिर है, हमारे दोनों सांसद गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उनका इलाज चल रहा है।

इन आरोपों पर अब राहुल गांधी की भी प्रतिक्रिया आ गई है।लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मैं संसद के प्रवेश द्वार से अंदर जाने की कोशिश कर रहा था तो भाजपा सासंद मुझे रोकने की कोशिश कर रहे थे। मुझे धमका रहे थे, तो यह हुआ है। यह संसद का प्रवेश द्वार है और हमारा अंदर जाने का अधिकार है। मुख्य मुद्दा यह है कि वे संविधान पर आक्रमण कर रहे हैं।

दरअसल, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को लेकर कांग्रेस ने संसद भवन परिसर में मार्च निकाला। जवाब में भाजपा ने कांग्रेस पर झूठ की राजनीति का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान संसद भवन के मकर द्वार पर दोनों दलों के सांसद आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच धक्का-मुक्की की भी नौबत आई

अंबेडकर मामले में गरमाई सियासत, नीली टी-शर्ट पहुंचकर संसद पहुंचे राहुल
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* संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। विपक्ष ने कल बुधवार को अंबेडकर से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और अमित शाह के इस्तीफा की भी मांग कर डाली। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस पार्टी, डीएमके, आरजेडी, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) सहित करीब सभी विपक्षी दलों ने इस मसले को संसद के दोनों सदनों में जोरदार ढंग से उठाया जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामे होने के आसार है। गुरुवार को इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष विरोध मार्च निकाला। वे मकर द्वार तक गए और राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग की।इस दौरान राहुल गांधी नीली टीशर्ट में नजर आए और प्रियंका गांधी नीली साड़ी में नजर आईं। अमित शाह पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "उन्होंने संसद में जिस तरह से बाबा साहेब का अपमान किया है....इन पर कौन भरोसा करेगा? ये कहते हैं कि ये आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते, संविधान को नहीं बदलना चाहते...वो (बाबा साहब अंबेडकर) संविधान के निर्माता हैं। आप उनके बारे में ऐसा कह रहे हैं..." वहीं, दूसरी तरफ अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से बाबा साहब का लगातार अपमान किया है।
अंबेडकर मामले में गरमाई सियासत, नीली टी-शर्ट पहुंचकर संसद पहुंचे राहुल

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संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। विपक्ष ने कल बुधवार को अंबेडकर से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और अमित शाह के इस्तीफा की भी मांग कर डाली। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस पार्टी, डीएमके, आरजेडी, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) सहित करीब सभी विपक्षी दलों ने इस मसले को संसद के दोनों सदनों में जोरदार ढंग से उठाया जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामे होने के आसार है।

गुरुवार को इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष विरोध मार्च निकाला। वे मकर द्वार तक गए और राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग की।इस दौरान राहुल गांधी नीली टीशर्ट में नजर आए और प्रियंका गांधी नीली साड़ी में नजर आईं।

अमित शाह पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "उन्होंने संसद में जिस तरह से बाबा साहेब का अपमान किया है....इन पर कौन भरोसा करेगा? ये कहते हैं कि ये आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते, संविधान को नहीं बदलना चाहते...वो (बाबा साहब अंबेडकर) संविधान के निर्माता हैं। आप उनके बारे में ऐसा कह रहे हैं..."

वहीं, दूसरी तरफ अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से बाबा साहब का लगातार अपमान किया है।

क्या राज्यसभा के सभापति को हटा सकते हैं विपक्षी दल, जानिए क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?*
#can_opposition_parties_really_remove_vice_president_jagdeep_dhankhar

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने आज राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इन सबके बीच दिलचस्प बात यह है कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा कहे जाने वाली टीएमसी ने सदन से वॉकआउट कर दिया है। ममता बनर्जी की पार्टी की तरफ से इसपर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है।अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या विपक्ष के इस प्रस्ताव के बाद उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकेगा? बता दें कि बेशक कांग्रेस और अन्य दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हों, लेकिन उन्हें पद से हटाना इतना आसान नहीं होगा।दरअसल, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा। इस प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना होगा। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67(बी), 92 और 100 का पालन करती है। *उपराष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?* इस प्रस्ताव के लिए संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत 14 दिन का नोटिस देना होता है। प्रस्ताव पास होने के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत चाहिए,जो विपक्ष के लिए मुश्किल है। कांग्रेस और अन्य दलों को लगता है कि इस प्रस्ताव से इंडिया गठबंधन को एकजुट करने में मदद मिलेगी,जो अभी दोनों सदनों में बंटा हुआ है।दोनों सदनों की बात करें तो विपक्ष के पास जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लोकसभा में उसके पास 543 सीटों में 236 सीटे हैं और राज्यसभा में 231 में केवल 85 सीट हैं। बहुमत 272 पर है। इंडिया गठबंधन अपने साथ 14 दूसरे सदस्यों को भी लाए तब भी इस प्रस्ताव को पास करा पाना मुश्किल होगा *क्या है अनुच्छेद 67(बी)?* भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को तभी हटाया जा सकता है, जब राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद उसे 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा पारित किया गया है। इसके बाद लोकसभा भी उस प्रस्ताव पर सहमत हो। हालांकि, इसके बाद भी इसके लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है। अनुच्छेद 67 में लिखा है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को एक लेटर लिख उस पर दस्तखत कर अपना पद त्याग सकता है। अगर उसके पद की अवधि खत्म भी हो गई है, तो उसके उत्ताधिकारी के पद ग्रहण करने तक वह उस पद पर बना रहेगा। *उपराष्ट्रपति से क्यों नाराज विपक्ष?* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष का सबसे बड़ा तर्क है कि वह राज्यसक्षा में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। ऐसे आरोप उनके खिलाफ पिछले कुछ समय लगातार लगते रहे हैं। जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर उनकी भूमिका से समूचा विपक्ष बुरी तरह नाराज है, इसने उन्हें फिर एकजुट कर दिया है। सोरोस मुद्दे पर राज्यसभा में बुरी तरह हंगामा हुआ। इस साल अगस्त में भी विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर चुका था। तब उनके खिलाफ आरोप था कि उनके इशारे पर नेता विपक्ष का माइक्रोफोन बार-बार बंद कर दिया जाता है। संसदीय नियम-कायदों का पालन नहीं किया जाता। विपक्षी सांसदों पर व्यक्ति टिप्पणी की जा रही है। विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि वो हेडमास्टर की तरह बर्ताव करते हैं। मनमाने तरीके से सदन को चलाते हैं। उनके संचालन का तरीका पक्षपातपूर्ण लगता है।
वोट चोरी के आरोपों पर गरमाई सियासत, संसद से चुनाव आयोग तक विपक्षी गठबंधन का मार्च, राहुल करेंगे अगुवाई

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देश में इन दिनों वोट चोरी के मामले को लेकर सियासत गरमा गई है। हाल ही में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसके बाद सियासी लड़ाई आज से सड़कों पर शुरू होने जा रही है। इंडिया ब्लॉक के साथ ही विपक्ष के 300 सांसद सोमवार को संसद से चुनाव आयोग के कार्यालय तक मार्च करेंगे। इस मार्च का उद्देश्य है कि चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और 2024 के लोकसभा चुनावों के दौरान 'मतदाता धोखाधड़ी' के आरोपों पर अपना विरोध दर्ज कराया जा सके।

मार्च में 300 सांसद शामिल होंगे

आज सुबह इंडिया ब्लॉक के सांसद राहुल गांधी की अगुवाई में विपक्ष के नेता प्रोटेस्ट मार्च निकालने जा रहे हैं। विपक्षी सांसद संसद भवन से लेकर चुनाव आयोग तक मार्च निकालेंगे। विपक्ष के इस मार्च में 300 सांसद शामिल होंगे। विपक्षी सांसदों का प्रोटेस्ट मार्च संसद भवन के मकर द्वार से परिवहन भवन होते हुए चुनाव आयोग के दफ्तर तक जाएगा।

खरगे, अखिलेश यादव और अभिषेक बनर्जी भी होंगे शामिल

इस मार्च में कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, टीएमसी सांसद अभिषेक बनर्जी शामिल होंगे। इसके अलावा आरजेडी, डीएमके, लेफ्ट पार्टी समेत 25 से ज्यादा पार्टियों के लोकसभा और राज्यसभा के 300 सांसद शामिल होंगे।

भाजपा-निर्वाचन आयोग में मिलीभगत का आरोप

विपक्ष का कहना है कि भाजपा के साथ मिलकर चुनाव आयोग वोटों की चोरी कर रहा है। उसका यह भी कहना है कि बिहार में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) मतदाताओं के हित के बजाय अहित कर रहा है। एसआईआर के चलते राज्य से लाखों की संख्या में मतदाताओं के मताधिकार छीने गए हैं। विपक्ष इसमें मामले में सदन में लगातार चर्चा की मांग के साथ इसे वापस लेने की मांग कर रहा है। कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिए चुनाव आयोग पर हेराफेरी का आरोप लगा चुके हैं। उन्होंने कर्नाटक की एक लोकसभा सीट के तहत एक विधानसभा सीट के तथ्यों के जरिए कई दावे किए थे और भाजपा-निर्वाचन आयोग की मिलीभगत का आरोप लगाया था।

एलजी के अभिभाषण के दौरान आप विधायकों का हंगामा, आतिशी समेत पूरा विपक्ष पूरे दिन के लिए निलंबित

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दिल्ली विधानसभा में दूसरे दिन की कार्यवाही जारी है। आज एलजी वीके सक्सेना का सदन में अभिभाषण जारी है। इस बीच विपक्ष के विधायक हंगामा कर रहे हैं। विपक्ष के हंगामे के बीच स्पीकर विजेंद्र गुप्ता ऐक्शन मोड में नजर आए। उन्होंने एक-एक कर आम आदमी पार्टी के सभी विधायकों को दिन भर के लिए निष्काषित कर दिया। इसमें विपक्ष की नेता आतिशी भी शामिल हैं।

दिल्ली विधानसभा की मंगलवार को हुई कार्यवाही हंगामे के साथ शुरू हुई। उपराज्यपाल के अभिभाषण के दौरान आम आदमी पार्टी के विधायकों ने विरोध जताते हुए हंगामा किया। इससे विधानसभा की कार्यवाही में रुकावट आई। इस दौरान आप के विधायक उपराज्यपाल के अभिभाषण के विरोध में अपनी आवाज उठा रहे थे। स्पीकर ने सभी हंगामा करने वाले विधायकों को पूरे दिन के लिए निलंबित कर दिया और उन्हें विधानसभा से बाहर कर दिया है। हंगामा इतना बढ़ गया कि विधानसभा में शांति बहाल रखने के लिए स्पीकर को सख्त कार्रवाई करनी पड़ी।

दिल्ली विधानसभा में उपराज्यपाल वीके सक्सेना अभिभाषण शुरू होते ही आम आदमी पार्टी के विधायकों ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों के कार्यालय से भीमराव आंबेडकर की फोटो हटाने का विरोध करना शुरू कर दिया। उपराज्यपाल ने अभिभाषण में भाजपा सरकार की भावी योजना का उल्लेख किया साथ ही आम आदमी पार्टी की पिछली सरकार की नाकामियों की भी चर्चा की।

उपराज्यपाल ने अपने अभिभाषण में पांच प्रमुख मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की बात की, जिनमें यमुना सफाई, प्रदूषण नियंत्रण, भ्रष्टाचार मुक्त शासन, अनधिकृत कॉलोनियों का नियमितकरण शामिल थे। इसके बाद बीजेपी विधायकों ने 'मोदी-मोदी' के नारे लगाए। वहीं, विधानसभा से बाहर आप के विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया। इन विधायकों ने हाथ में बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर लेकर प्रदर्शन किया।

विधानसभा की कार्यवाही से निलंबित किए जाने पर नेता विपक्ष आतिशी ने कहा, बीजेपी ने बाबा साहेब आंबेडकर की फोटो की जगह नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगा दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय, विधानसभा कार्यालय और दिल्ली सरकार के मंत्रियों के कार्यालयों में आंबेडकर की जगह मोदी तस्वीर लगाई गई है। मैं पूछना चाहती हूं की नरेंद्र मोदी आंबेडकर से बड़े हैं। आपको इतना अहंकार हो गया है। इसी के खिलााफ आप ने प्रदर्शन किया। हम सदन से लेकर सड़क तक प्रदर्शन करते रहेंगे। जब तक बाबा साहब की तस्वीर उसी जगह पर नहीं लग जाती।

पहला ऐसा सत्र जिसके पहले किसी ने विदेश से चिंगारी नहीं भड़काई”, पीएम ने इशारों-इशारों में किसपर साधा निशाना

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आज से संसद के बजट सत्र की शुरूआत हो गई है। सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद भवन के बाहर पत्रकारों को संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस दौरान इशारों-इशारों में विपक्ष पर जमकर हमला किया। उन्होंने कहा कि ऐसा 10 साल में पहली बार हो रहा है कि संसद सत्र से पहले कोई विदेशी शरारत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि यहां तो लपकने वाले तैयार थे लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

पीएम मोदी ने कहा कि 2014 से लेकर अब तक ये पहला ऐसा सत्र होने जा रहा है जब सत्र शुरू होने कुछ दिन पहले कोई विदेशी चिंगारी नहीं भड़की है। और विदेश से बैठकर आग लगाने की कोशिश नहीं हुई है। 2014 से मैं देख रहा हूं कि हर सत्र से पहले कुछ लोग शरारत करने के लिए तैयार बैठे रहते हैं। ये पहला सत्र है जिसके पहले ऐसा कुछ नहीं हुआ है।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन के दौरान इशारों में इशारों में विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि विदेश से लगाई जाने वाली चिंगारी को हवा देने वालों की भी कमी नहीं है। 2014 से मैं देख रहा हूं हर सत्र से पहले लोग शरारत करने के लिए तैयार बैठे रहते हैं और यहां हवा देने वालों की भी कोई कमी नहीं है। ये पहला सत्र है कि इसमें कोई विदेशी चिंगारी नहीं दिख रही है।

वहीं, प्रधानमंत्री ने बजट सत्र की शुरूआत से पहले समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी को प्रणाम किया। उन्होंने कहा कि ऐसे अवसर पर सदियों से हमारे यहां मां लक्ष्मी का पुण्य स्मरण किया जाता है। मां लक्ष्मी हमें सिद्धि और विवेक देती हैं। समृद्धि और कल्याण भी देती हैं। मैं प्रार्थना करता हूं कि देश के हर गरीब एवं मध्यम वर्गीय समुदाय पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा रहे।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि देश की जनता ने मुझे तीसरी बार ये दायित्व दिया है, इस कार्यकाल का ये पहला पूर्ण बजट है और मैं विश्वास से कह सकता हूं कि 2047 जब आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत का संकल्प जो भारत ने लिए है ये बजट नया विश्वास और नई ऊर्जा देगा की देश जब आजादी के 100 साल मनाएगा तो देश विकसित होकर रहेगा। हम हर तरह से जनता के कल्याण के लिए मिशन मोड पर काम कर रहे हैं।

वक्फ कानून में संशोधन के सभी 14 प्रस्ताव पास, विपक्ष के सभी सुझाव संसदीय समिति से खारिज

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वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा कर रही ज्‍वाइंट पार्लियामेंट कमेटी यानी जेपीसी ने सोमवार को बीजेपी और एनडीए के सभी संशोधनों को स्वीकार कर लिया। संसदीय समिति ने सोमवार को सत्तारूढ़ भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए सदस्यों द्वारा प्रस्तावित सभी 14 संशोधनों को स्वीकार कर लिया। इस दौरान विपक्ष द्वारा पेश किए गए हर बदलाव को ठुकरा दिया गया।जेपीसी की अगली बैठक 29 जनवरी को होगी।विपक्ष ने आरोप लगाया है कि उनकी बात नहीं सुनी जा रही है।

जेपीसी की बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि 44 संशोधनों पर चर्चा हुई। 6 महीने के दौरान विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी इसलिए समिति द्वारा बहुमत के आधार पर 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और इस पर वोटिंग हुई। मगर उनके के समर्थन में 10 वोट पड़े और इसके विरोध में 16 वोट पड़े। इसके बाद विपक्षी दलों को संशोधन को अस्वीकार कर दिया गया।

जगदंबिका पाल पर तानाशाही का आरोप

वहीं, विपक्षी सांसदों ने जेपीसी की बैठकों में लोकतांत्रिक प्रक्रिया नष्ट होने का आरोप लगाया। टीएमसी सांसद और जेपीसी के सदस्य कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया कि जेपीसी बैठक के दौरान उनकी बात नहीं सुनी गई और जगदंबिका पाल तानाशाही तरीके से काम कर रहे हैं। उन्होंने पूरी प्रक्रिया को हास्यास्पद करार दिया।

जगदंबिका पाल ने आरोपों को खारिज किया

हालांकि जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से हुई और बहुमत के आधार पर फैसले लिए गए। विधेयक में जो अहम संशोधन प्रस्तावित हैं, उनमें से एक ये है कि मौजूदा कानून में प्रावधान है कि वक्फ संपत्तियों पर सवाल नहीं उठाए जा सकते, लेकिन प्रस्तावित विधेयक में इसे हटा दिया गया है।

संशोधन विधेयक में कई प्रस्ताव

वक्फ संशोधन विधेयक वक्फ बोर्डों के प्रशासन के तरीके में कई बदलावों का प्रस्ताव करता है, जिसमें गैर-मुस्लिम और (कम से कम दो) महिला सदस्यों को नामित करना शामिल है। इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद में (यदि संशोधन पारित हो जाते हैं) एक केंद्रीय मंत्री और तीन सांसद, साथ ही दो पूर्व न्यायाधीश, चार 'राष्ट्रीय ख्याति' वाले लोग और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होने चाहिए, जिनमें से किसी का भी इस्लामी धर्म से होना आवश्यक नहीं है। इसके अलावा, नए नियमों के तहत वक्फ परिषद भूमि पर दावा नहीं कर सकती।

मालदीव में विपक्ष ने लगाया मुइज्जू को हटाने की साजिश का आरोप, जोड़ा भारत का नाम

#indianameaddedconspiracytoremovemuizzubytheoppositionin_maldives

करीब एक साल पहले भारत के पड़ोसी देश मालदीव में सत्‍ता परिवर्तन। जिसके बाद मोहम्‍मद मुइज्जू की सरकार सत्‍ता में आई। सरकार गठन के बाद ही मुइज्जू के मंत्रियों ने भारत के खिलाफ जहर उगलना भी शुरू कर दिया। हालांकि मुइज्जू को जल्द पता चल गया की भारत से पंगा लेना उनके लिए आसान नहीं है। मुइज्जू की भाषा बदली, जिसको बाद दोनों देशों के रिश्ते पटरी पर आने लगे। इस बीच अमेरिकी अखबार वॉशिंगटन पोस्ट ने अपनी रिपोर्ट में एक हैरान करने वाला दावा किया है। जिसमें दावा किया गया कि भारत ने मुइज्‍जू की सरकार को गिराने की साजिश रची

अमेरिका के प्रतिष्ठित अखबार वाशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक मालदीव की विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के नेताओं ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू को हटाने की साजिश के लिए भारत से सहायता मांगी। रिपोर्ट के मुताबिक कथित तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रॉ का एक एजेंट मालदीव के विपक्षी नेताओं के संपर्क में था, ताकि जनवरी में मुइज्जू के राष्ट्रपति बनने के कुछ ही महीनों बाद उन्हें सत्ता से हटाया जा सके।

साजिश में भारत की खुफिया एजेंसी की कथित संलिप्तता

डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नामक इस योजना का विवरण देने वाले आंतरिक दस्तावेज में वरिष्ठ सैन्य और पुलिस अधिकारियों को रिश्वत देने तथा तीन प्रभावशाली आपराधिक गिरोहों से संपर्क करने की योजना का खुलासा है। कथित तौर पर भारत की खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) से जुड़े व्यक्तियों के साथ जनवरी 2024 में चर्चा शुरू हुई। हालांकि, महीनों की गुप्त वार्ता के बाद अपर्याप्त समर्थन से महाभियोग की साजिश विफल हो गई।

द वाशिंगटन पोस्ट के दावे के मुताबिक अमेरिका में भारतीय दूतावास में रॉ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी शिरीष थोरेट और पत्रकार-राजनेता सवियो रोड्रिग्स के साथ मिलकर मुइज्जू को हटाने की चर्चा की। रिपोर्ट के मुताबिक थोरेट और रोड्रिग्स ने योजना के अस्तित्व की पुष्टि की, लेकिन यह नहीं बताया कि वे भारत सरकार की ओर से काम कर रहे थे या नहीं। भारत ने अभी तक इसपर कोई टिप्पणी नहीं की है।

साजिश के तहत भारत से मांगे गए 6 मिलियन डॉलर

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि मालदीव में विपक्षी मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू पर महाभियोग चलाने की साजिश रची थी। इस साजिश में सांसदों को रिश्वत देना और आपराधिक गिरोहों की भर्ती करना शामिल था। रिपोर्ट में यह भी आरोप है कि इस साजिश के लिए भारत से 6 मिलियन डॉलर (करीब 50.40 करोड़ रुपये) की मांग की गई थी। हालांकि, साजिश सफल नहीं हुई।

पूर्व राष्ट्रपति ने किया भारत का समर्थन

अब इस मामले में विपक्षी नेता मोहम्‍मद नशीद का बयान सामने आया है। मालदीव के पूर्व राष्‍ट्रपति मोहम्मद नशीद ने अब इस रिपोर्ट को कोरी बकवास करार दिया है। इंडियन एक्‍सप्रेस से बातचीत के दौरान उन्‍होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि भारत कभी इस तरह से सत्‍ता परिवर्तन में सहायता करने के लिए तैयार होगा। मेरे साथ कभी भी ऐसी कोई बातचीत नहीं हुई। वाशिंगटन पोस्‍ट ने डेमोक्रेटिक रिन्यूअल इनिशिएटिव नाम के एक दस्तावेज का हवाला देते हुए दावा किया कि मालदीव के विपक्ष ने मुइज्‍जू के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए वोट देने के लिए 40 सांसदों को रिश्वत देने का प्रस्ताव रखा है। इसमें मुइज़ू की अपनी पार्टी के सांसद भी शामिल हैं।

कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया के नाम पर रोड का नामकरण, जेडीएस ने बताया राज्य का अपमान

#proposal_to_name_mysuru_road_after_siddaramaiah_opposition_parties_raised_questions

मैसूरु नगर निगम द्वारा प्रस्तुत किए गए उस प्रस्ताव की निंदा की जा रही है जिसमें एक सड़क का नाम कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के नाम पर रखने की बात कही गई है। मैसूर नगर निगम परिषद ने चामराजा कांग्रेस विधायक हरीश गौड़ा के सुझाव पर लक्ष्मी वेंकटरमणस्वामी मंदिर से आउटर रिंग रोड जंक्शन तक केआरएस रोड के एक हिस्से का नाम सिद्धारमैया आरोग्य मार्ग रखने का प्रस्ताव 22 नवंबर को पारित किया था। जेडीएस ने केआरएस रोड का नाम सिद्धारमैया आरोग्य मार्ग रखे जाने के कदम को निंदनीय करार दिया।

जेडीएस ने एक्स पर पोस्ट में लिखा कि सिद्धारमैया मुडा मामले में आरोपी हैं। उनके खिलाफ लोकायुक्त जांच चल रही है। मैसूर नगर निगम में कोई निर्वाचित बोर्ड नहीं है। कांग्रेस सरकार की ओर से नगर निगम में नियुक्त किए गए अधिकारियों ने अपना ऋण चुकाने के लिए सिद्धारमैया के नाम पर सड़क का नाम रखने का फैसला किया है। मुडा घोटाले में शामिल मुख्यमंत्री के नाम पर सड़क का नाम रखना ऐतिहासिक शहर मैसूर और पूरे राज्य के साथ विश्वासघात और अपमान है।

सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने कहा कि जिस सड़क का नाम सिद्धरमैया के नाम पर प्रस्तावित है, वह ‘ऐतिहासिक’ है। उन्होंने कहा कि महाराजा नलवाड़ी कृष्णराज वाडियार ने टीबी रोग के कारण जान गंवाने वाली अपनी बहन राजकुमारी कृष्णजम्मानी तथा उनके बच्चों की याद में यहां भूमि दान की थी और एक तपेदिक अस्पताल की स्थापना की थी।

कृष्णा ने कहा कि अधिकारियों ने सिद्धारमैया के नाम पर एक सड़क का नाम रखने का फैसला किया है, जो मुडा मामले में आरोपी हैं, जबकि उनके पास ऐसा करने का कोई अधिकार नहीं है। कई नागरिकों ने इस प्रस्ताव पर अपनी आपत्ति जताई है। मैं इसके खिलाफ कानूनी रूप से भी लड़ रहा हूं। अगर प्रस्ताव वापस नहीं लिया जाता है, तो हम इसे उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।

संसद में प्रदर्शन के दौरान धक्का-मुक्की, बीजेपी के 2 सांसद घायल, राहुल ने मारा धक्का?

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संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामा हो रहा है। बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस और भाजपा दोनों ने संसद भवन परिसर में प्रदर्शन किया। इस दौरान दोनों दलों के सांसदों के बीच मकर द्वार पर धक्कामुक्की की खबर आई। भाजपा सांसद प्रताप सारंगी के सिर में चोट देखी गई। इस दौरान भाजपा सांसद मुकेश राजपूत भी घायल हो गए। उनकी हालत गंभीर बनी हुई है। उन्हें आरएमएल अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया है। सारंगी का इलाज भी इसी अस्पताल में चल रहा है।

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, आज संसद के मुख्य द्वार में भाजपा-एनडीए सांसदों का प्रदर्शन चल रहा था, राहुल गांधी और उनके सांसदों ने जबरदस्ती घुसकर अपना जो शारीरिक प्रदर्शन किया है, वो बहुत गलत है। संसद कोई शारीरिक ताकत दिखाने का प्लैटफ़ॉर्म नहीं है। राहुल गांधी ने भाजपा के 2 सांसद प्रताप सारंगी और मुकेश राजपूत को जोर से धक्का दिया। राहुल गांधी ने जो धक्का-मुक्की की है, मैं उसका खंडन करता हूं। मैं राहुल गांधी से सवाल करना चाहता हूं कि अगर सब लोग अपनी ताकत दिखाकर मारपीट करने लग जाएंगे, तो संसद कैसे चलेगा? यह लोकतंत्र का मंदिर है, हमारे दोनों सांसद गंभीर रूप से घायल हुए हैं। उनका इलाज चल रहा है।

इन आरोपों पर अब राहुल गांधी की भी प्रतिक्रिया आ गई है।लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि मैं संसद के प्रवेश द्वार से अंदर जाने की कोशिश कर रहा था तो भाजपा सासंद मुझे रोकने की कोशिश कर रहे थे। मुझे धमका रहे थे, तो यह हुआ है। यह संसद का प्रवेश द्वार है और हमारा अंदर जाने का अधिकार है। मुख्य मुद्दा यह है कि वे संविधान पर आक्रमण कर रहे हैं।

दरअसल, बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान को लेकर कांग्रेस ने संसद भवन परिसर में मार्च निकाला। जवाब में भाजपा ने कांग्रेस पर झूठ की राजनीति का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन किया। इस दौरान संसद भवन के मकर द्वार पर दोनों दलों के सांसद आमने-सामने आ गए। दोनों के बीच धक्का-मुक्की की भी नौबत आई

अंबेडकर मामले में गरमाई सियासत, नीली टी-शर्ट पहुंचकर संसद पहुंचे राहुल
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* संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। विपक्ष ने कल बुधवार को अंबेडकर से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और अमित शाह के इस्तीफा की भी मांग कर डाली। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस पार्टी, डीएमके, आरजेडी, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) सहित करीब सभी विपक्षी दलों ने इस मसले को संसद के दोनों सदनों में जोरदार ढंग से उठाया जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामे होने के आसार है। गुरुवार को इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष विरोध मार्च निकाला। वे मकर द्वार तक गए और राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग की।इस दौरान राहुल गांधी नीली टीशर्ट में नजर आए और प्रियंका गांधी नीली साड़ी में नजर आईं। अमित शाह पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "उन्होंने संसद में जिस तरह से बाबा साहेब का अपमान किया है....इन पर कौन भरोसा करेगा? ये कहते हैं कि ये आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते, संविधान को नहीं बदलना चाहते...वो (बाबा साहब अंबेडकर) संविधान के निर्माता हैं। आप उनके बारे में ऐसा कह रहे हैं..." वहीं, दूसरी तरफ अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से बाबा साहब का लगातार अपमान किया है।
अंबेडकर मामले में गरमाई सियासत, नीली टी-शर्ट पहुंचकर संसद पहुंचे राहुल

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संसद का शीतकालीन सत्र जारी है। विपक्ष ने कल बुधवार को अंबेडकर से संबंधित केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्पणी को लेकर केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी पर हमला बोला और अमित शाह के इस्तीफा की भी मांग कर डाली। कांग्रेस के अलावा तृणमूल कांग्रेस पार्टी, डीएमके, आरजेडी, वाम दलों और शिवसेना (यूबीटी) सहित करीब सभी विपक्षी दलों ने इस मसले को संसद के दोनों सदनों में जोरदार ढंग से उठाया जिसके कारण कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।संसद के दोनों सदनों में आज भी हंगामे होने के आसार है।

गुरुवार को इंडिया गठबंधन ने संसद परिसर में बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा के समक्ष विरोध मार्च निकाला। वे मकर द्वार तक गए और राज्यसभा में बाबासाहेब अंबेडकर पर की गई टिप्पणी के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से माफी मांगने और इस्तीफा देने की मांग की।इस दौरान राहुल गांधी नीली टीशर्ट में नजर आए और प्रियंका गांधी नीली साड़ी में नजर आईं।

अमित शाह पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा, "उन्होंने संसद में जिस तरह से बाबा साहेब का अपमान किया है....इन पर कौन भरोसा करेगा? ये कहते हैं कि ये आरक्षण को खत्म नहीं करना चाहते, संविधान को नहीं बदलना चाहते...वो (बाबा साहब अंबेडकर) संविधान के निर्माता हैं। आप उनके बारे में ऐसा कह रहे हैं..."

वहीं, दूसरी तरफ अंबेडकर को लेकर कांग्रेस के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद संसद परिसर में प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही यह भी बता रहे हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से बाबा साहब का लगातार अपमान किया है।

क्या राज्यसभा के सभापति को हटा सकते हैं विपक्षी दल, जानिए क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?*
#can_opposition_parties_really_remove_vice_president_jagdeep_dhankhar

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ विपक्षी सांसदों ने आज राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पेश किया है। इस अविश्वास प्रस्ताव में कुल 71 सांसदों के हस्ताक्षर हैं। इन सबके बीच दिलचस्प बात यह है कि इंडिया गठबंधन का हिस्सा कहे जाने वाली टीएमसी ने सदन से वॉकआउट कर दिया है। ममता बनर्जी की पार्टी की तरफ से इसपर कोई भी फैसला नहीं लिया गया है।अब बड़ा सवाल ये उठता है कि क्या विपक्ष के इस प्रस्ताव के बाद उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकेगा? बता दें कि बेशक कांग्रेस और अन्य दल अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए हों, लेकिन उन्हें पद से हटाना इतना आसान नहीं होगा।दरअसल, उपराष्ट्रपति राज्यसभा के पदेन सभापति होते हैं। उन्हें हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होगा। इस प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना होगा। यह प्रक्रिया संविधान के अनुच्छेद 67(बी), 92 और 100 का पालन करती है। *उपराष्ट्रपति को कैसे हटाया जा सकता है?* इस प्रस्ताव के लिए संविधान के अनुच्छेद 67(B) के तहत 14 दिन का नोटिस देना होता है। प्रस्ताव पास होने के लिए राज्यसभा और लोकसभा दोनों में बहुमत चाहिए,जो विपक्ष के लिए मुश्किल है। कांग्रेस और अन्य दलों को लगता है कि इस प्रस्ताव से इंडिया गठबंधन को एकजुट करने में मदद मिलेगी,जो अभी दोनों सदनों में बंटा हुआ है।दोनों सदनों की बात करें तो विपक्ष के पास जगदीप धनखड़ को हटाने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है। लोकसभा में उसके पास 543 सीटों में 236 सीटे हैं और राज्यसभा में 231 में केवल 85 सीट हैं। बहुमत 272 पर है। इंडिया गठबंधन अपने साथ 14 दूसरे सदस्यों को भी लाए तब भी इस प्रस्ताव को पास करा पाना मुश्किल होगा *क्या है अनुच्छेद 67(बी)?* भारतीय संविधान का अनुच्छेद 67(बी) के अनुसार, उपराष्ट्रपति को तभी हटाया जा सकता है, जब राज्यसभा में प्रस्ताव पेश किए जाने के बाद उसे 50 प्रतिशत सदस्यों द्वारा पारित किया गया है। इसके बाद लोकसभा भी उस प्रस्ताव पर सहमत हो। हालांकि, इसके बाद भी इसके लिए 14 दिन का नोटिस देना होता है। अनुच्छेद 67 में लिखा है कि उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पांच साल का होता है। उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को एक लेटर लिख उस पर दस्तखत कर अपना पद त्याग सकता है। अगर उसके पद की अवधि खत्म भी हो गई है, तो उसके उत्ताधिकारी के पद ग्रहण करने तक वह उस पद पर बना रहेगा। *उपराष्ट्रपति से क्यों नाराज विपक्ष?* उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के खिलाफ प्रस्ताव लाने के पीछे विपक्ष का सबसे बड़ा तर्क है कि वह राज्यसक्षा में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं। ऐसे आरोप उनके खिलाफ पिछले कुछ समय लगातार लगते रहे हैं। जॉर्ज सोरोस से जुड़े मुद्दे पर उनकी भूमिका से समूचा विपक्ष बुरी तरह नाराज है, इसने उन्हें फिर एकजुट कर दिया है। सोरोस मुद्दे पर राज्यसभा में बुरी तरह हंगामा हुआ। इस साल अगस्त में भी विपक्ष उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी कर चुका था। तब उनके खिलाफ आरोप था कि उनके इशारे पर नेता विपक्ष का माइक्रोफोन बार-बार बंद कर दिया जाता है। संसदीय नियम-कायदों का पालन नहीं किया जाता। विपक्षी सांसदों पर व्यक्ति टिप्पणी की जा रही है। विपक्षी नेताओं का ये भी कहना है कि वो हेडमास्टर की तरह बर्ताव करते हैं। मनमाने तरीके से सदन को चलाते हैं। उनके संचालन का तरीका पक्षपातपूर्ण लगता है।