राजमहल लोकसभा पर इस बार होगा दिलचस्प मुकाबला,लोबिन हेम्ब्रम ने बढ़ाई इंडी गटबंधन की चिंता,भाजपा के लिए है सुनहरा अवसर..?
झारखंड डेस्क
लोकसभा 2024 के चुनाव में झारखंड का दो सीट था जो मोदी के जबरदस्त लहर के वाबजूद भाजपा को नही मिल पाया।उस दो सीट में एक सिंहभूम से कांग्रेस प्रत्याशी गीता कोड़ा ने झटक ली थी और दूसरा सीट था राजमहल जहां से विजय हांसदा ने झमुमो के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा था।झमुमो ने इस बार भी विजय हांसदा पर भरोसा किया और इस बार भी विजय हांसदा को यहां से टिकट दिया। लेकिन यह लोविंन हेम्ब्रम को नागवार लगा ।क्योंकि लोविन चाहते थे कि टिकट उन्हें मिले। नही मिलने पर लोविंन ने विद्रोह कर दिया और राजमहल से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में दावा थोक दिया।जिसके कारण यह सीट ज्यादा कॉम्प्लिकेटेड हो गया।अब यहां त्रिकोणीय संघर्ष के कारण इस बार भाजपा का रास्ता साफ दिख रहा हैं।इस बार के इस दिलचस्प मुकाबले के लिए राजमहल लोकसभा सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुई है।
लोविंन हेम्ब्रम क्यों है जेएमएम के लिए चनोती...?
झामुमो से बरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम का भी उस क्षेत्र में दबदबा है।और उसके खड़े होने से वहां भाजपा और इंडी गठबंधन के बीच सीधा टक्कर नही रहा। वैसे पिछले कुछ सालों से झामुमो से लोबिन हेम्ब्रम नाराज चल रहे हैं।इसलिए झारखंड सरकार के नीति की सत्तापक्ष में रहते हुए आलोचक रहे। उन्होंने 1932 के खतियान को लेकर भी हेमन्त सोरेन का विरोध किया और खतियान आधारित स्थानीय नीति को लेकर न्याय यात्रा पर निकला।इस से भी झामुमो के नेतृत्व को लोबिन हेम्ब्रम से नाराजगी थी कि पार्टी के नीति और फैसला के विपरीत यह कदम पार्टी के हित पर असर डाल रहा है।दूसरी तरफ विजय हांसदा का पारिवारिक पृष्ठभूमि और पिछले चुनाव में उसके रिजल्ट को देखकर उन्हें टिकट दिया गया जबकि लोबिन हेम्ब्रम ने विजय हांसदा को टिकट देने के विरोध में मोर्चा खोल दिया था।और अंततः चुनाव में उतर कर जेएमएम के लिए मुशिकल बढ़ा दी है।
लोबिन हेम्ब्रम की भीड़ ने बढ़ाई इंडी गठबंधन की चिंता
लोबिन के चुनाव प्रचार में उनके पीछे चलने वाला हुजूम किसी पार्टी के भीड़ से कम नहीं रहा है। ऐसे में कहा जा रहा है कि चुनावी मैदान में लोबिन हेम्ब्रम इंडी के प्रत्याशी को प्रभावित जरूर करेंगे और इसका डर भी इंडी गठबंधन को सता रहा है।
चर्चा यह भी है कि के चुनावी मैदान में उतरने से भाजपा को जीत का सुनहरा अवसर मिल गया है। इस बार यदि BJP राजमहल सीट निकाल नहीं पाती है तो शायद ही ऐसा कोई चुनाव होगा जिसमें BJP का कमल खिल पायेगा। जानकार यह बताते हैं कि लोग मोदी को देखकर मतदान करेंगे। उनके क्षेत्र के प्रत्याशी ताला मरांडी महज एक चेहरा है।
राजमहल क्षेत्र में पड़ने वाले विंधानसभा हैं
राजमहल लोकसभा क्षेत्र पूरे साहेबगंज, पाकुड़ जबकि दुमका और गोड्डा जिले के एक-एक प्रखंड को कवर करता है। यह क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है।
इस लोकसभा सीट के अन्तर्गत छह विधानसभा सीटें (राजमहल, बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा, पाकुड़ महेशपुर) आते हैं। इसमें बोरियो, बरहेट, लिट्टीपाड़ा और महेशपुर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं।
राजमहल सीट पर कब किसने मारी बाजी
1957 – पाइका मुर्मू – कांग्रेस
1962 – ईश्वर मरांडी – झारखंड पार्टी
1967 – ईश्वर मरांडी – झारखंड पार्टी
1971 – ईश्वर मरांडी – कांग्रेस
1977 – एंथोनी मुर्मू – जनता पार्टी
1980 – सेठ हेम्ब्रम – कांग्रेस
1984 – सेठ हेम्ब्रम – कांग्रेस
1989 – साइमन मरांडी – झारखंड मुक्ति मोर्चा
1991 – साइमन मरांडी – झारखंड मुक्ति मोर्चा
1996 – थॉमस हांसदा – कांग्रेस
1998 – सोम मरांडी – भाजपा
1999 – थॉमस हांसदा – कांग्रेस
2004 – हेमलाल मुर्मू – झारखंड मुक्ति मोर्चा
2009 – देवीधन बेसरा – भाजपा
2014 – विजय हांसदा – झारखंड मुक्ति मोर्चा
2019 – विजय हांसदा – झारखंड मुक्ति मोर्चा
May 28 2024, 10:37