*तीसरा अशरा शुरू : शबे कद्र की पहली ताक रात में खूब हुई इबादत*
गोरखपुर। रविवार को 20वां रोजा अल्लाह की हम्दो सना में बीता। मुकद्दस रमज़ान का तीसरा अशरा जहन्नम से आज़ादी का शुरू हो चुका है। इफ्तार से पहले शहर की तमाम मस्जिदों में रोजेदारों ने एतिकाफ शुरु कर दिया। एतिकाफ करने वाले इबादत में मश्गूल हो गए। यह सिलसिला ईद के चांद तक जारी रहेगा। वहीं मुसलमानों ने शबे कद्र की पहली ताक रात में खूब इबादत की। अल्लाह के बंदों ने इबादत कर गुनाहों की माफी मांगी। शबे कद्र की पहली ताक रात में मस्जिद व घरों में खूब इबादत हुई। मग़रिब की नमाज़ के बाद इबादत का यह सिलसिला सुबह की फ़ज्र नमाज़ तक चलता रहा। लोगों ने फ़र्ज़ व सुन्नत नमाज़ों के साथ कसरत से नफ्ल नमाज़ें अदा की। कुरआन-ए-पाक की तिलावत व तस्बीह पढ़ी। घरों में महिलाएं भी इबादत में मश्गूल रहीं। जहन्नम से आजादी की दुआएं मांगी गईं। अब शबे कद्र को रमज़ान की 23, 25, 27, 29वीं की ताक रात में तलाशा जाएगा।
यौमे फतह मक्का के मौके पर हुई सामूहिक कुरआन ख्वानी
रविवार की सुबह चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में यौमे फतह मक्का के मौके पर सामूहिक कुरआन ख्वानी व दुआ ख्वानी की गई। मस्जिद के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने तकरीर करते हुए कहा कि फतह मक्का एक शानदार फतह थी। जो रमज़ानुल मुबारक की 20 तारीख को हुई। यह एक ऐसी फतह थी कि जिसमें कोई मारा नही गया। बल्कि सही मायने में सबको बेहतरीन ज़िंदगी मिली। पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फतह मक्का से लोगों का दिल जीत लिया। सभी को आम माफी दी गई। तारीख में इससे अनोखा वाकया कहीं नहीं मिलता। खून का एक कतरा भी नहीं गिरा और फतह अज़ीम हासिल हो गई। मक्का की फतह अरब से मुशरिकीन के मुकम्मल खात्मे की शुरुआत साबित हुई। मक्का की फतह के बाद पैग़ंबरे इस्लाम ने वहां के लोगों से शिर्क न करने, जिना न करने, चोरी न करने की शर्त पर बैअत ली और उन्हें अपने-अपने बुतों को तोड़ने का हुक्म दिया। पैग़ंबरे इस्लाम ने किसी पर जुल्म नहीं किया। सबको अमान दे दिया
मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि फतह मक्का के बाद मक्का शरीफ़ को दारुल अमन यानी शांति का घर घोषित किया गया और यह सब पैग़ंबरे इस्लाम के हाथों किया गया जिन्हें पूरे संसार के लिए रहमत बनाकर भेजा गया है। फतह मक्का विश्व इतिहास की बड़ी ही अद्भुत घटना है। दुनिया ने देखा कि आपने सबको माफ कर एक अनोखी मिसाल पेश की। पैग़ंबरे इस्लाम के इस फैसले से लोग दीन-ए-इस्लाम के दामन से जुड़ते चले गए। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। इस मौके पर नेहाल, मुन्ना, फैजान, हाफिज शारिक, हाफिज गुलाम गौस, असलम, आरिफ़, तारिक़, फुजैल, चांद आदि मौजूद रहे।
इन मस्जिदों में मुकम्मल हुआ एक कुरआन-ए-पाक
रविवार को शहर की एक दर्जन से मस्जिदों में तरावीह नमाज़ के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल हो गया। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाज़ार में हाफिज रहमत अली निजामी, चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में मौलाना महमूद रज़ा कादरी, गाजी मस्जिद गाजी रौजा में हाफिज अयाज अहमद, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर में हाफिज मोहसिन अली, मस्जिद जामे नूर जफ़र कॉलोनी बहरामपुर में मौलाना सद्दाम हुसैन निज़ामी, रज़ा मस्जिद जाफरा बाजार में हाफिज मो. मुजम्मिल रज़ा, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर में हाफिज शमसुद्दीन, फैजाने इश्के रसूल मस्जिद शहीद अब्दुल्लाह नगर में सज्जाद हैदर अत्तारी, सुन्नी जामा मस्जिद सौदागार मोहल्ला में कारी मो. मोहसिन, मक्का मस्जिद मेवातीपुर में कारी अंसारुल हक, फ़िरदौस जामा मस्जिद जमुनहिया बाग में हाफिज अनवर अहमद आदि ने तरावीह नमाज के दौरान एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल किया। हाफिज-ए-कुरआन को तोहफों से नवाजा गया। उलमा किराम ने कहा कि तीसरा अशरा जहन्नम से आजादी का शुरु हो चुका है। लिहाजा खूब इबादत करें और गुनाहों की माफ़ी मांगें। इसमें एक रात ऐसी है जिसमें इबादत करने का सवाब हजार रातों की इबादत के बराबर है। जिसे शबे कद्र के नाम से जाना जाता है। रमज़ान में कुरआन नाजिल हुआ। अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्क में अमन, तरक्की व खुशहाली के लिए दुआ मांगी गई।
बाप अपनी बेटी को जकात नहीं दे सकता है : उलमा किराम
उलमा-ए-अहले सुन्नत द्वारा जारी रमज़ान हेल्प लाइन नंबरों पर रविवार को सवाल-जवाब का सिलसिला जारी रहा। लोगों ने नमाज़, रोज़ा, जकात, फित्रा, एतिकाफ, शबे कद्र आदि के बारे में सवाल किए। उलमा किराम ने क़ुरआन ओ हदीस की रोशनी में जवाब दिया।
1. सवाल : रोज़े की हालत में दांत उखड़वाना कैसा? (निशात, बड़े काजीपुर)
जवाब : रोज़े की हालत में दांत नहीं उखड़वाना चाहिए कि अगर दांत उखड़वाने में खून निकला और हलक से नीचे उतर गया तो रोज़ा टूट जाएगा। (मुफ्ती अजहर)
2. सवाल : क्या मुंह में कोई रंगीन चीज या धागा रखने से रोज़ा टूट जाएगा? (मुनाजिर, गोरखनाथ)
जवाब : मुंह में कोई रंगीन चीज या धागा रखा जिससे थूक रंगीन हो गया और उसे घोंट लिया तो रोज़ा टूट जाएगा। (मौलाना मोहम्मद अहमद)
3. सवाल : क्या बाप अपनी बेटी को जकात दे सकता है? (हबीबुन निसा, रसूलपुर)
जवाब: नहीं। अगर बेटी और दामाद सख्त जरूरतमंद हों तो दामाद को जकात दे सकते हैं फिर वो अपनी बीवी की ज़रूरियात में ख़र्च करे। (मुफ्ती मेराज)
Apr 01 2024, 17:04