कल होंगे दिन और रात बराबर, जाने वजह
गोरखपुर। प्रत्येक वर्ष दो बार पृथ्वी पर होते हैं दिन और रात बराबर, पहला मार्च में और दूसरी बार सितम्बर में, वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला ( तारामण्डल ) गोरखपुर के
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि, मार्च के दौरान सूर्य इक्वेटर( भूमध्य रेखा) को दक्षिण से उत्तर की ओर पार करता हुआ नज़र आता है, जो की आकाश में एक काल्पनिक रेखा में पृथ्वी के भूमध्य रेखा के उपर से दक्षिण से उत्तर की ओर गमन करता हुआ लगता है, जिस से इक्विनॉक्स होता है।
वर्ष में मार्च महीने के दौरान 19, 20, या 21 में किसी एक तारीख को घटित होने वाली खगोलीय घटना होती है ये, विषुव के दौरान पृथ्वी का अक्ष सूर्य की किरणों के लंबबत रहता है, इसका मतलब है कि पृथ्वी पर सूर्य से आने वाले प्रकाश की मात्रा दोनो भागों पर लगभग बराबर प्राप्त होती है, दूसरे शब्दों में कहें तो दिन और रात की बराबर अवधि, जिसे लैटिन भाषा में इक्विनॉक्स कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है बराबर, (जो कि आंशिक तौर से सही है) ,लेकिन पूरी तरह से दिन और रात बराबर नहीं होते हैं, अमर पाल सिंह ने बताया कि इस बार यह खगोलीय घटना बुधवार 20 मार्च 2024 को घटित हो रही है।
जिसका स्थानीय समय गोरखपुर के लिए 08:36 IST मिनट है, पृथ्वी के भूमध्य रेखा के उत्तरी गोलार्ध में मार्च के दौरान बसंत का आगमन होता है और पृथ्वी पर भूमध्य रेखा के दक्षिणी गोलार्ध में सितंबर में शरद का आगमन होता है, प्रत्येक वर्ष दो बार ऐसी दशाएं बनती हैं कि जब सूर्य की किरणें सीधा भूमध्य रेखा पर पड़ती हैं, इसी को विषुव कहते हैं, खगोल विद अमर पाल सिंह ने विस्तार से बताया कि उसे विषुव क्यों कहते हैं और क्या होता है विषुव बिंदु, खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि जैसा कि हम जानते हैं कि हमारा पृथ्वी अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुका हुआ सूर्य की परिक्रमा करती है, क्रांतिव्रत और खगोलीय विषुव व्रत जिन दो बिंदुओं में एक दूसरे को काटते हैं उन्हे विषुव बिंदु (इक्विनॉक्स) कहते हैं खगोल विज्ञान की भाषा में एक को बसंत बिंदु कहते हैं और दूसरे को शरद बिंदु कहते हैं।
सूर्य जब इन बिंदुओं पर पहुंचता है तब रात ब दिन समान होते हैं, इक्विनॉक्स का अर्थ है समान दिन ब रात का होना, इसे ही बसंत विषुव या वर्नल इक्विनॉक्स भी कहा जाता है, मीन मण्डल का 0 डिग्री रेखांश ब 0 डिग्री शरबाला वह बिंदु जहां सूर्य करीब 19, 20, या 21 मार्च को विषुव व्रत को लांघता है इसे बसंत विषुव कहते हैं ,और 180 डिग्री रेखांश का कन्या मण्डल का वह बिंदु है जहां सूर्य करीब 21, 22 या 23 सितंबर को विषुव व्रत को लांघता है इसे शरद विषुव कहते हैं,सूर्य जब इन विषुव बिंदुओं पर होता है, तब रात और दिन समान होते हैं , खगोल विद ने बताया कि परन्तु वास्तव में पूरी तरह में इस दौरान भी ये समान दिन और रात की घटना नही होती है, लेकिन काफ़ी हद तक ऐसा होता है, इसीलिए इसे बसंत विषुव कहते हैं।
Mar 20 2024, 19:12