महाना दीनी महफ़िल में बताया गया माह-ए-रमज़ान गुजारने का तरीक़ा
गोरखपुर। पवित्र इस्लामी माह रमजान चंद दिनों के फासले पर है। सोमवार 11 मार्च को रमज़ान का चांद देखा जाएगा। चांद नज़र आया तो मंगलवार 12 मार्च को पहला रोज़ा होगा।
अगर चांद नहीं नज़र आया तो पहला रोज़ा बुधवार 13 मार्च को पड़ेगा। मुस्लिम घरों में रमज़ान की तैयारियां शुरु हो चुकी हैं। हाफ़िज़-ए-कुरआन रमज़ान की रातों में पढ़ी जाने वाली विशेष तरावीह नमाज़ पढ़ाने के लिए कुरआन-ए-पाक दोहराने में लगे हुए हैं।
इस बार पहला रोजा सबसे छोटा होगा। जो करीब 13 घंटा 18 मिनट का होगा। वहीं अंतिम रोजा 14 घंटा 07 मिनट का होगा। जो रमज़ान का सबसे बड़ा रोज़ा होगा। रमज़ान को लेकर मुस्लिम समाज में उत्साह है।
इस सिलसिले में मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में 'रमज़ान कैसे गुज़ारें' विषय पर महाना दीनी महफ़िल हुई। कुरआन-ए-पाक की तिलावत मो. सफियान ने की। नात मो. अफ्फान व रहमत अली ने पेश की।
मौलाना दानिश रज़ा अशरफी ने कहा कि इस्लाम धर्म में रमज़ान माह बेहद खास है। हर बालिग मुसलमान मर्द व औरत जो अक्ल वाला व तंदुरुस्त हो उस पर माह-ए-रमज़ान का रोज़ा रखना फ़र्ज़ है। जो मुसलमान रोज़ा नहीं रखता है वह अल्लाह की रहमत से महरूम रहता है। रोज़ा न रखने पर वह शख़्स अल्लाह की नाफरमानी करता है। रोज़ा न रखना बहुत बड़ा गुनाह है।
रमज़ान बहुत ही रहमत व बरकत वाला महीना है। अल्लाह के बंदे दिन में रोज़ा रखते हैं और रात में खास नमाज तरावीह पढ़ते हैं। इस माह में मुसलमान कसरत से जकात, सदका, फित्रा निकाल कर गरीब, यतीम, बेसहारा, बेवाओं की मदद करते हैं।
हाफ़िज़ अशरफ रज़ा व हाफ़िज़ सैफ रज़ा ने कहा कि पवित्र रमज़ान का पहला अशरा रहमत, दूसरा मग़फिरत, तीसरा जहन्नम से आज़ादी का है। रमज़ान रहमत खैर व बरकत का महीना है। इसमें रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं।
शैतान जंजीर में जकड़ दिए जाते हैं। नफ्ल का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और फ़र्ज़ का सवाब सत्तर फ़र्ज़ों के बराबर दिया जाता है। रोज़ा खास अल्लाह के लिए है। अल्लाह रोज़ेदार के सारे गुनाह माफ़ कर देता है। अंत में दरूदो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो शांति, भाईचारगी व तरक्की की दुआ मांगी गई।
Feb 29 2024, 09:43