औरंगाबाद में गजब का खेल : पुराने जेल से लाखों की संपत्ति की हुई चोरी, तिरंगे का भी हुआ अपमान, जेल अधीक्षक को नहीं है इसकी कोई खबर, पढ़िए पूरी
औरंगाबाद : बिहार के जहानाबाद जिले में 15 नवंबर 2005 को नक्सलियों ने हमला बोल जहानाबाद जेल ब्रेक को अंजाम दिया था। जिससे पूरा प्रदेश ही नहीं देश में भी हड़कंप मच गया था। लेकिन 19 साल बाद जो औरंगाबाद में हुआ है वह तो गजब का खेल है। खेल ऐसा हुआ कि जेल अधीक्षक को न तो घटना की अभी ठीक से तारीख मालूम है और न ही अपराधियों का कोई सुराग मिला है। बावजूद पुलिस अंधेरे में तीर दाग रही है, यानी लकीर जरूर पीट रही है। सुखद बात यह है कि यहां से कैदी भागे नही क्योकि मामला ही कुछ और है।
दरअसल महज 8 महीने पहले यानि कि 01 मई 2023 को जिले के पुराने जेल को नए बिल्डिंग जो मुफ्फसिल थाने के बगल में है वहां सारे कैदियों को शिफ्ट कर दिया गया। क्योंकि पुराने जेल में लगभग 400 कैदियों के रहने की जगह थी और इससे 4 गुना कैदी यहाँ रहा करते थे।
पूराने जेल की देख रेख जेल अधीक्षक के जिम्मे थी और उन्होंने पुराने जेल को अभी हैंड ओवर भी नही किया था। इसी बीच चोरों ने जेल में लगे जेन सेट, महंगे बिजली उपकरण, पंखे, सोलर, वायरिंग में लगे तार की चोरी कर ली। यहां तक की लकड़ी के मोटे दरवाजे को भी जला डाला। हद तो यह है कि इसकी भनक जेल अधिक्षक को नहीं लगी और पूलिस के घर चोरों ने डाका डाल दिया।
पूराने जेल में राष्ट्र की पहचान देने वाली तिरंगे का भी अपमान किया गया है। अपराधियों ने न केवल जेल गेट को फूंका है बल्कि थोक के भाव में लाखों के साजो सामान भी गायब और क्षतिग्रस्त किए है। इतना ही नही जेल प्रशासन की लापरवाही से देश की आन, बान और शान तिरंगे झंडें का भी अपमान हुआ है।
जेल शिफ्ट करने के बाद जेल सुप्रीटेंडेंट सुजीत झा ने पुराने जेल की किसी तरह की भी सुध नहीं ली। उन्होंने पुलिस बल की कमी बताते हुए सुरक्षा में लगे जवानों को भी नए जेल में शिफ्ट करा देने बात कही। इधर चोरों ने पुराने जेल से लाखो की सरकारी संपत्ति उड़ा डाली। हद तो तब है कि जेल अधीक्षक मामले में अनजान बने रहें।
जेल प्रशासन ने तो पुराने जेल को लॉक कर रखा था। कही से किसी के घुसने की गुंजाईश नही थी, लेकिन गुंजाईश बनाई गई। पहले पुराने जेल के मेन गेट के बगल में बने सिपाही बैरक की खिड़कियों की सरिया उखाड़ ली गई। फिर खिड़कियों के पल्ले उखाड़ लिए गए। मतलब पुराने जेल परिसर के अंदर जाने का चोर दरवाजा खुल गया।
वैसे तो शिफ्टिंग के बाद से पुराने जेल का मेन गेट रोज ही बंद नजर आता है लेकिन मीडियाकर्मियों की नजर अचानक से खुले गेट पर पड़ी। कैम्पस के अंदर कुछ हलचल दिखी। लिहाजा कौतूहल वश मीडियाकर्मी पुराने जेल परिसर के अंदर घुस गए। पता चला कि भवन निर्माण विभाग के लोग है, जो इस पूरे परिसर को किसी दूसरे सरकारी विभाग को सौंपे जाने के लिए सर्वे कर रहे है। इसके बाद जब मीडिया ने पूरे जेल परिसर का चप्पा चप्पा छान मारा। इसके बाद जो सब कुछ उजागर हुआ, वह अब सबके सामने है।
इस बारे में जब जेल अधीक्षक से बात की गई तो उन्होंने बताया की मुझे आपके मध्यम से चोरी की वारदात की जानकारी मिली है। मैंने आज ही प्राथमिकी दर्ज करवाई है। जब तिरंगे की अपमान की बात कही गई की आपके जेल में तिरंगे का अपमान किया गया है। तो उन्होंने किसी के द्वारा तिरंगे फेक देने की बात कही। जब पूछा गया की इसके लिए दोषी कौन है ? तब उन्होंने थाना प्रभारी को गस्ती न करने की बात कहकर अपना ठीकरा थाना प्रभारी के माथे पर फोड़ते नजर आए।
जब मामले को स्ट्रीट बज्ज की टीम ने संज्ञान में लिया और हर गतिविधि को कैमरे में कैद किया तब जेल सुप्रीडेंडे ने प्राथमिकी दर्ज़ करने की बात कहीं।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Feb 08 2024, 19:48