*सचिन सिंह असिस्टेंट लेवर कमिश्नर बने,जानें क्यों*
यूपी सुल्तानपुर में आठ वर्षों से चकबंदी लेखपाल पद पर कार्य कर रहे सचिन सिंह ने साल भर सिपाही की नौकरी भी किया। दूसरे साल में उनका चयन चकबंदी लेखपाल के रूप में हुआ। लगातार 8 वर्षों से यहां सेवा देने के बाद अब PCS परीक्षा क्वॉलिफाई कर असिस्टेंट लेवर कमिश्नर की कुर्सी पर दिखाई देंगे। उनकी इस उपलब्धि पर परिवार में जश्न का माहौल है। बधाई देने वालों का घर पर लगा रहा तांता।
2016 में शुरू की थी चकबंदी लेखपाल की नौकरी लंभुआ तहसील के देवरी गांव निवासी रमाकांत सिंह का दो बेटे हैं। एक बेटी शिवानी सिंह का ब्याह हो चुका है और दामाद चंदौली में पीसीएस अधिकारी है। छोटा बेटा सारस्वत सिंह अर्थ शास्त्र में रिसर्च कर रहा। बड़ा बेटा सचिन सिंह काफी होनहार निकला। उसने बंसराज सिंह इंटर कॉलेज गौसैसिंहपुर जयसिंहपुर से 2009 में हाईस्कूल पास किया। इंटर मीडिएट उसने जीआईसी सुल्तानपुर से साल 2011 में पास की। इसके बाद 2014 में इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कंप्लीट किया और अगले वर्ष में उसे गोंडा में सिपाही की जॉब मिल गई। एक वर्ष में ही उसका खाकी से मन ऊब गया और साल 2016 में उसने चकबंदी लेखपाल की नौकरी पकड़ ली।
ड्यूटी से लौटकर करता कमरे पर तैयारी आठ वर्षों से वो अंबेडकरनगर में नौकरी कर रहा। इसी दौरान उसने साल 2019 में एमए की परीक्षा प्राइवेट पास किया। सचिन ने बताया कि फिर वो पीसीएस परीक्षा की तैयारी स्वयं से करने लगा। दिन भर नौकरी करता शाम को लौटता तो फ्रेश होकर कमरे में ही किताब और लैपटॉप खोलकर बैठ जाता। रात 2-3 बजे जब आंखें नींद से भर आती तो किताब रखकर सो रहता। सुबह 9 बजे उठकर 10 बजे ड्यूटी पर चला जाता। लेकिना उसकी लगन ने उसे उसके मुकाम तक पहुंचा दिया।
पीसीएस मेन्स में उसने 6 प्रयास किए इस दौरान वो इंटरव्यू में तीसरे राउंड तक गया। और अब असिस्टेंट लेवर कमिश्नर के पद पर उसका चयन हुआ है। उसकी माता किरण सिंह क्षेत्र में ही आंगनबाड़ी कार्यकत्री व पिता एक प्राइवेट स्कूल में टीचर हैं। उन्होंने भी एमए बीएड कर रखा है। साल 2000 से 2005 तक वे देवरी के ग्राम प्रधान भी रह चुके हैं। अब बेटे की इस सफलता पर परिवार में खुशियों का ठिकाना नहीं है।
Jan 27 2024, 16:48