शोएब मलिक ने पाकिस्तानी एक्ट्रेस सना जावेद से किया दूसरा निकाह, सानिया मिर्ज़ा बोलीं - जिंदगी कठिन है

पाकिस्तान क्रिकेट स्टार शोएब मलिक ने हाल ही में लोकप्रिय पाकिस्तानी अभिनेत्री सना जावेद से निकाह कर लिया है, जिससे पूर्व भारतीय टेनिस खिलाड़ी सानिया मिर्जा से उनके अलग होने की अटकलें तेज हो गई हैं। शोएब मलिक ने शनिवार, 20 जनवरी को अपने विवाह समारोह की तस्वीरें सोशल मीडिया के माध्यम से साझा कीं। यह खबर सानिया मिर्जा द्वारा बुधवार को एक गुप्त संदेश पोस्ट करने के तुरंत बाद आई, जिससे संभावित तलाक की अफवाहों को हवा मिली।

सानिया मिर्ज़ा ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा था कि, 'शादी कठिन है। तलाक कठिन है, मोटापा कठिन है, फिट रहना कठिन है, अपना कठिन चुनें। कर्ज में डूबना कठिन है। आर्थिक रूप से अनुशासित रहना कठिन है। अपना कठिन चुनें। संचार कठिन है, संवाद न करना कठिन है। अपना कठिन चुनें। जिंदगी कभी आसान नहीं होगी। यह हमेशा कठिन रहेगी। लेकिन हम अपनी मेहनत चुन सकते हैं, बुद्धिमानी से चुनें।" 

हाल ही में हुआ शोएब मलिक और सना जावेद का निकाह, कई घटनाओं के समय और अंतर्निहित परिस्थितियों पर सवाल उठाती है। जनता और मीडिया उभरती स्थिति पर स्पष्टता प्रदान करने के लिए शोएब मलिक, सानिया मिर्ज़ा या उनके प्रतिनिधियों के किसी भी आधिकारिक बयान या प्रतिक्रिया को उत्सुकता से देख रहे होंगे।

अमेरिका में तबाही, भीषण शीतकालीन तूफान में 50 की मौत, स्कूल बंद, कई शहरों की बिजली गुल, 1.9 मीटर गिरी बर्फ

अमेरिका में शीतकालीन तूफान से बड़ी तबाही हुई है। अधिकारियों और अमेरिकी मीडिया ने आज बताया कि पिछले हफ्ते संयुक्त राज्य अमेरिका में लगातार तूफानों ने तबाही मचाई है। इसमें कम से कम 50 लोगों की मौत हो गई है। ठंडे तापमान, बर्फ़ीली आंधियों और मोटी बर्फ़ के कारण ख़तरनाक सड़क मार्गों पर घातक दुर्घटनाएँ हुई हैं। इसके अलावा हवाई यात्रा में रुकावट आई है, स्कूल बंद हो गए हैं और हज़ारों लोगों की बिजली काट दी गई है, लाखों अमेरिकियों को खराब मौसम की चेतावनी दी गई है।

टेनेसी में, दक्षिणपूर्वी राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने मौसम संबंधी 14 मौतों की पुष्टि की है, जबकि पुलिस के अनुसार, मक्का की तीर्थयात्रा करके घर लौट रही पांच महिलाओं की मंगलवार को पेंसिल्वेनिया राजमार्ग पर एक ट्रैक्टर-ट्रेलर के साथ दुर्घटना में मौत हो गई।

गवर्नर एंडी बेशियर ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि केंटुकी में मौसम संबंधी पांच मौतें हुईं, जबकि पोर्टलैंड अग्निशमन विभाग ने कहा कि ओरेगॉन में बुधवार को बर्फीले तूफान के दौरान खड़ी कार पर बिजली की लाइन गिरने से तीन लोगों की मौत हो गई।

ट्रैकिंग वेबसाइट Poweroutage.us के अनुसार, तूफान के कारण शुक्रवार शाम तक ओरेगॉन के 75,000 घरों की बिजली गुल हो गई थी और राज्य के गवर्नर ने आपातकाल की स्थिति घोषित कर दी है। स्थानीय मीडिया ने सिएटल के अधिकारियों के हवाले से बताया कि इलिनोइस, कैनसस, न्यू हैम्पशायर, न्यूयॉर्क, विस्कॉन्सिन और वाशिंगटन राज्य में भी मौतें हुईं।

बर्फ़ीले तूफ़ान की स्थिति ने प्रशांत नॉर्थवेस्ट, रॉकी पर्वत और न्यू इंग्लैंड के कुछ हिस्सों सहित देश के कई हिस्सों को प्रभावित किया है। पश्चिमी न्यूयॉर्क विशेष रूप से प्रभावित है जहां पांच दिनों की अवधि में बफ़ेलो के पास लगभग 75 इंच (1.9 मीटर) बर्फ गिरी है।

अमेरिका के दक्षिणी हिस्से में भी बेहद ठंडा तापमान बढ़ गया है, यह ऐसा क्षेत्र है जो इस तरह के सर्दियों के मौसम से जूझने का आदी नहीं है। देश के कुछ हिस्से इस सप्ताह के अंत में और अधिक क्रूर परिस्थितियों का सामना करने को तैयार हैं। राष्ट्रीय मौसम सेवा ने शुक्रवार को अपने नवीनतम अलर्ट में कहा है कि पूर्वी अमेरिका के मैदानी इलाकों और मिसिसिपी घाटी में तापमान और गिरेगा। 1,100 से अधिक अमेरिकी उड़ानें रद्द करनी पड़ी हैं।

गुलाबी फूलों से सजी सड़कें, देखकर दिल हो जाएगा बाग-बाग, यह अमेरिका नहीं बेंगलुरु है, लोग जमकर शेयर कर रहे तस्वीरें

ताबेबुइया रोजिया को गुलाबी ट्रम्पेट पेड़ के रूप में जाना जाता है। इस फूल से इन दिनों बेंगलुरु सुसज्जित हो रहा है। यह मौसम इन गुलाबी फूलों के खिलने का है। इस पेड़ की शाखाएं गुलाबी रंग के विभिन्न रंगों में बड़े तुरही के आकार के फूलों से सजी होती हैं। जिनमें पीले रंग के पेस्टल से लेकर समृद्ध मैजेंटा तक होते हैं।

खुशनुमा माहौल

बेंगलुरु में इन दिनों ताबेबुइया रोजिया फूल रहे हैं। ऐसे में नम्मा बेंगलुरु के लोग खूब खुश नजर आ रहे हैं।

लोग शेयर कर रहे तस्वीरें

सोशल मीडिया पर बेंगलुरु की गुलाबी फूलों वाली तस्वीरें खूब शेयर हो रही हैं। सड़कों से लेकर पेड़ों पर खुले फूल बेहद खूबसूरत लग रहे हैं।

ये इलाके खूबसूरत

जयनगर, सिल्क बोर्ड, कुंडलाहल्ली, ट्रिनिटी सर्कल, सिल्क बोर्ड, पैलेस रोड जैसे क्षेत्रों में और कब्बन पार्क और लालबाग में ये पेड़ नजर आ रहे हैं।

हर साल पिंक ट्रम्पेट ट्री बेंगलुरु को गुलाबी आलिंगन में ढकते हैं। सामान्यता ये फूल मध्य और दक्षिण अमेरिका के ट्रोपिकल एरिया में खिलते हैं।

बेंगलुरु में कई प्रजातियां

यह ताबेबुइया का मौसम है और बेंगलुरु पेड़ों की प्रजातियों और फूलों से भरा हुआ है।

इस प्रजाति के फूल मधुमक्खियों की मदद करते हैं। मधुमक्खियां इनसे मीठा शहद बनाती हैं।

अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन महाराष्ट्र में छुट्टी के खिलाफ छात्र पहुंचे बॉम्बे हाई कोर्ट, आज सुनवाई

 अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह होने वाला है। इसके लिए कई राज्यों में आधे दिन की छुट्टी का ऐलान किया गया है तो, महाराष्ट्र में 22 जनवरी को सार्वजनिक छुट्टी घोषित कर दी गई है। राज्य सरकार के इस फैसले के खिलाफ चार छात्रों ने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है। हाई कोर्ट की एक विशेष बेंच रविवार सुबह 10.30 बजे चार छात्रों द्वारा दायर इस जनहित याचिका पर सुनवाई करेगी। अपनी याचिका पर छात्रों ने सरकार के इस फैसले को सेक्युलरिज्म पर हमला बताया है।

जिन स्टूडेंट्स ने यह याचिका दायर की है, वे शिवांगी अग्रवाल, सत्यजीत सिद्धार्थ साल्वे, वेदांत गौरव अग्रवाल और खुशी संदीप बंगिया हैं। ये सभी लॉ के स्टूडेंट्स हैं। मामले की सुनवाई के लिए जस्टिस जीएस कुलकर्णी और गोखले की विशेष पीठ का गठन किया गया है। महाराष्ट्र सरकार ने शुक्रवार को एक आदेश जारी कर 22 जनवरी को राज्य में सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की।

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि किसी धार्मिक कार्यक्रम को मनाने के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित करना संविधान में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन है। कानून के छात्रों ने तर्क दिया कि कोई सरकार किसी भी धर्म के साथ जुड़ नहीं सकती है या उसे बढ़ावा नहीं दे सकती। 'लाइव लॉ' के अनुसार, याचिका में कहा गया है, "एक हिंदू मंदिर के अभिषेक में जश्न मनाने और खुले तौर पर भाग लेने और इस तरह एक विशेष धर्म से जुड़ने का सरकार का काम धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों पर सीधा हमला है।"

याचिका में कहा गया कि सार्वजनिक छुट्टियों की घोषणा के संबंध में कोई भी नीति सत्ता में राजनीतिक दल की इच्छा पर आधारित नहीं हो सकती है। छुट्टी की घोषणा शायद किसी देशभक्त की व्यक्तिगत या ऐतिहासिक शख्सियत की याद में की जा सकती है, लेकिन समाज के एक विशेष वर्ग या धार्मिक समुदाय को खुश करने के लिए नहीं की जा सकती''

बता दें कि महाराष्ट्र उन राज्यों में है, जिसने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की है। यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा समेत कई अन्य राज्यों ने आधी छुट्टी और स्कूल बंद रखने की घोषणा की है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में भी 22 जनवरी को आधा दिन ही काम होगा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी 22 जनवरी को दोपहर 2.30 बजे तक बंद रहेंगे। स्टॉक एक्सचेंज एनएसई और बीएसई शनिवार को खुले थे क्योंकि वे 22 जनवरी को बंद रहेंगे।

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अयोध्या और सियासतःएक ऐसा मुद्दा था जिसे बीजेपी ने सालों साल भुनाया

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राजनीति मुद्दों पर लड़ी जाती है और अयोध्या एक ऐसा मुद्दा था जिसे बीजेपी ने सालों साल भुनाया। अब तो राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का समय नजदीक है, लेकिन लगता नहीं है कि इसपर सियासत कम होने वाली है। राम मंदिर को बीजेपी अपनी सबसे बड़ी सफलता के तौर पर दर्शाती है और माना जा रहा है कि 2024 के चुनाव में यही राम मंदिर बीजेपी की सियासी नैया को पार करने का सबसे बड़ा माध्यम बन सकता है। हो सकता है बीजेपी राम मंदिर को आधार बनाकर जनता के सामने वोट मांगने जाए क्योंकि ये उनके मेनिफेस्टो के सबसे बड़े मुद्दों में से एक है। और संकेत भी कुछ इस प्रकार के मिलने लगे हैं।

भारत की राजनीति को तरह-तरह से तोड़ने मरोड़ने का काम अगर किसी मुद्दे ने सबसे ज़्यादा किया तो वह है अयोध्या मंदिर का मुद्दा। इस रेस में बीजेपी हमेशा से आगे रही। हालांकि इस मुद्दे के सहारे बीजेपी को आगे बढ़ता देख कांग्रेस भी मैदान में कूद पड़ी। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अयोध्या में राम मंदिर का 'शिलान्यास' करवा डाला। उन्हें उम्मीद थी कि मंदिर पर हो रही राजनीतिक रेस में कांग्रेस बीजेपी को पछाड़ देगी। लेकिन, इस खेल में महारत हासिल कर चुकी बीजेपी को हरवाना मुमकिन कांग्रेस के वश में नहीं था।

अयोध्या मुद्दे ने एक नया तूल पकड़ा जब छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद कारसेवा के नाम पर ध्वस्त कर दी गई। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, इत्यादि, इत्यादि सभी की मौजूदगी में इमारत ध्वस्त हुई और सारी ज़िम्मेदारी मुख्यमंत्री होने के नाते कल्याण सिंह पर आई क्योंकि उसी से कुछ समय पहले वो सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष हलफ़नामा पेश कर चुके थे कि वो मस्जिद के स्टेटस को मेंटेन करवाएंगे और उसे किसी प्रकार का नुकसान नहीं होने देंगे। इस बार राम मंदिर के नाम पर कल्याण सिंह की बारी थी कुर्सी से हाथ धोने की।

बीजेपी ने यदि कुर्सी गवाईं तो राम मंदिर के ही नाम पर कुर्सी वापस भी पाई और समय के साथ बीजेपी की शक्ति बढ़ी। करीब 75 सालों तक इसपर राजनीतिक होती रही और सियासी सरगर्मियों जारी रही। उधर अदालत में सुनवाईयों का दौर भी चलता रहा। आखिरकार 9 नवंबर, 2019 को, मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले फैसले को हटा दिया और कहा कि भूमि सरकार के कर रिकॉर्ड के अनुसार है। इसने हिंदू मंदिर के निर्माण के लिए भूमि को एक ट्रस्ट को सौंपने का आदेश दिया। इसने सरकार को मस्जिद बनाने के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन देने का भी आदेश दिया। 6 अगस्त से 16 अक्टूबर तक इस मामले पर 40 दिनसुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। जिसके बाद 9 नवंबर को 45 मिनट तक पढ़े गए 1045 पन्नों के फैसले ने देश के इतिहास के सबसे अहम और एक सदी से ज्यादा पुराने विवाद का अंत कर दिया। 

कोर्ट ने तो जो फैसला सुनाना था वो सुना दिया, लेकिन शायद जनता ने अपना फैसला पहले ही ले लिया था। कई शताब्दी पुराने रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को देश ने शांतिपूर्ण और विवेकसम्मत अंदाज में ग्रहण किया। फैसला आने से पहले सबकी सांसें थमी हुई थीं। खून खराबे का इतिहास कहीं दोहराया ना जाए, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ। दरअसल जब भी कोई विवाद एक हद से ज्यादा लंबा खिंच जाता है तो समय के साथ उसकी शिथिलता बढ़ती चली जाती है।कुल मिला कर एक देश के रूप में हमने जिस कुशलता, शांतिप्रियता और समझदारी का परिचय देते हुए इस विवाद से अपना पीछा छुड़ाया है वह बताता है कि एक लोकतांत्रिक समाज के रूप में हम पहले से ज्यादा परिपक्व हुए हैं।

वैसे आम लोग चाहे जितनी परिवक्वता दिखा दे, लेकिन आम लोगों का नेतृत्व करने वाली जो संस्थाएं हैं, वे कहां परिपक्व बन सकी हैं। मंदिर के भूमि पूजन के साथ विवाद का अंकुर फूटता नजर आया, जो आज रामलला के प्राण प्रतिष्ठा तक चला आ रहा है। विपक्ष ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से किनारा कर लिया है। और इसे बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम बताया है।कांग्रेस का कहना है कि आरएसएस और बीजेपी ने 22 जनवरी के कार्यक्रम को पूरी तरह से राजनीतिक, नरेंद्र मोदी फंक्शन' बना दिया है। यही कारण है कि कांग्रेस इस कार्यक्रम में शिरकत नहीं करेगी।

राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठान की वजह से 22 जनवरी को शेयर बाजार में नहीं होगी विशेष ट्रेडिंग, हालांकि सामान्य ट्रेडिंग की अधिसूचना जारी

 राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठान की वजह से 22 जनवरी को शेयर बाजार में ट्रेडिंग नहीं होगी। इसकी बजाए शेयर बाजार में शनिवार को सामान्य ट्रेडिंग होगी। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के एक प्रवक्ता ने रॉयटर्स को बताया कि शनिवार, 20 जनवरी को पूर्ण व्यापारिक सत्र आयोजित किया जाएगा। आसान भाषा में समझें तो शनिवार को शेयर बाजार अन्य दिनों की तरह यानी सुबह 9 बजे से दोपहर 3.30 बजे तक संचालित होंगे।

पहले स्पेशल सेशन की थी योजना

कल यानी शनिवार के लिए पहले स्पेशल सेशन की योजना थी। बीते दिनों बीएसई और एनएसई ने एक सर्कुलर जारी कर इस सेशन के बारे में बताया था। इस स्पेशल सेशन के जरिए स्टॉक एक्सचेंज विषम परिस्थितियों के लिए प्लान बी तैयार रखना चाहते हैं। एनएसई के सर्कुलर के मुताबिक स्पेशल सेशन के दौरान प्राइमरी साइट से डिजास्टर रिकवरी (डीआर) साइट पर स्विच किया जाएगा। प्राइमरी साइट से सेशन सुबह 9.15 बजे से 10 बजे तक और दूसरा डीआर साइट से सुबह 11.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक चलेगा। हालांकि, अब तक स्टॉक एक्सचेंज ने यह साफ नहीं किया है कि शनिवार को स्पेशल सेशन होगा या नहीं।

बंद रहेंगी नोट बदलने/जमा करने की सुविधा

22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के दिन केंद्रीय रिजर्व बैंक के कार्यालयों में 2000 का नोट बदलने या जमा करने की सुविधा बंद रहेगी। यह सुविधा 23 जनवरी दिन मंगलवार को फिर से शुरू होगी। बता दें कि पिछले साल 19 मई को रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये नोटों को चलन से वापस लेने की घोषणा की थी।

बैंक रहेंगे बंद

इससे पहले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने केंद्रीय संस्थानों और केंद्रीय औद्योगिक प्रतिष्ठानों के संबंध में आदेश जारी किया था कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, बीमा कंपनियां और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) में 22 जनवरी (सोमवार) को आधे दिन का अवकाश रहेगा।

मुद्रा बाजार की टाइमिंग में बदलाव

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह के कारण मुद्रा बाजार 22 जनवरी को दोपहर ढाई बजे तक बंद रहेंगे। यह नौ बजे के बजाय दोपहर ढाई बजे खुलेंगे। आरबीआई ने सर्कुलर में कहा कि केंद्रीय बैंक के दायरे में आने वाले मुद्रा बाजारों के लिए कारोबार का समय सोमवार को अपराह्न ढाई बजे से शाम पांच बजे तक रहेगा। इन बाजारों में नियमित कारोबारी घंटे 23 जनवरी से बहाल कर दिए जाएंगे। बता दें कि राम मंदिर के गर्भगृह में राम लला की नई मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा समारोह सोमवार को होगा।

आतंकी पन्नू की हत्या की साजिश मामले में निखिल गुप्ता को अमेरिका किया जा सकता है प्रत्यर्पित, चेक गणराज्य की अदालत ने सुनाया फैसला

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खालिस्तानी आतंकी गुरुपतवंत सिंह पन्नूं की हत्या की साजिश रचने के आरोप में चेक गणराज्य की एक अपीलीय अदालत ने भारतीय नागरिक निखिल गुप्ता के अमेरिका प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है।52 वर्षीय भारतीय नागरिक को अमेरिका की गुजारिश पर 30 जून को चेक गणराज्य में गिरफ्तार किया गया था। अमेरिकी संघीय अभियोजकों ने निखिल गुप्ता पर भाड़े पर हत्या कराने का आरोप लगाया है. इसके तहत अधिकतम 10 साल जेल की सजा का प्रावधान है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि निखिल गुप्ता के प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय न्याय मंत्री पावेल ब्लेज़ेक पर निर्भर था। प्रवक्ता ने कहा कि अगर मंत्री को निचली अदालत के फैसलों पर संदेह है तो उनके पास सुप्रीम कोर्ट का रुख करने के लिए तीन महीने का समय है।प्राग उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को चुनौती देने वाली निखिल गुप्ता की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें फैसला सुनाया गया था कि प्रत्यर्पण की अनुमति है।

कौन है निखिल गुप्ता?

52 वर्षीय निखिल गुप्ता एक भारतीय नागरिक है, जिसे बीती 30 जून को चेक रिपब्लिक की सरकार ने पकड़ा था।अमेरिकी दस्तावेज के अनुसार, निखिल गुप्ता को सरकारी अधिकारी द्वारा मई 2023 को ही साजिश में शामिल किया गया था। निखिल गुप्ता ने अमेरिका में एक अन्य व्यक्ति से संपर्क किया, जिसे माना जा रहा है कि भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक की हत्या करनी थी। जून में निखिल गुप्ता ने कॉन्ट्रैक्ट किलर को उस व्यक्ति की जानकारी साझा की थी, जिसकी हत्या की जानी थी। न्याय विभाग के दस्तावेजों में हरदीप सिंह निज्जर का नाम भी शामिल है, जिसकी जून में कनाडा में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। दस्तावेजों के अनुसार, निखिल गुप्ता ने हत्या करने वाले व्यक्ति को बताया था कि निज्जर भी उनके निशाने पर था और कई अन्य और भी निशाने पर हैं। निखिन गुप्ता ने 30 जून को चेक रिपब्लिक का दौरा किया था, जहां उसे अमेरिका की विनती पर चेक रिपब्लिक पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया और अमेरिका को सौंप दिया।

सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार एक साथ तीन जज दलित समुदाय से बनने की संभावना, जानिए, किन जजों के नाम की हुई है सिफारिश

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस प्रसन्ना बी वराले को शीर्ष अदालत के जज के रूप में प्रमोट करने की सिफारिश की है। यदि पीबी वराले के नाम को सरकार की हरी झंडी मिल जाती है तो इतिहास में यह पहली बार होगा, जब सुप्रीम कोर्ट में एक साथ तीन जज दलित समुदाय से होंगे।

जस्टिस वराले के अलावा सुप्रीम कोर्ट के दो अन्य दलित समुदाय से आने वाले दो जजों के नाम बी आर गवई और सी टी रविकुमार हैं। जस्टिस वराले को 18 जुलाई, 2008 को बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, और 15 अक्टूबर, 2022 को कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के रूप में प्रमोट किया गया था। कॉलेजियम के अनुसार, न्यायमूर्ति वराले ने न्यायाधीश के रूप में काफी अनुभव प्राप्त किया। न्यायमूर्ति वराले उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की संयुक्त अखिल भारतीय वरिष्ठता में क्रमांक 6 पर है। बॉम्बे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की वरिष्ठता में, वह सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।

शुक्रवार को हुई एक बैठक में, कॉलेजियम जिसमें जस्टिस संजीव खन्ना, बीआर गवई, सूर्यकांत और अनिरुद्ध बोस भी शामिल थे, ने इस तथ्य पर विचार किया कि पीबी वराले हाई कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीशों में से एक हैं और हाई कोर्ट के एकमात्र अनुसूचित जाति के मुख्य न्यायाधीश हैं।

कॉलेजियम ने कहा, "हम इस तथ्य से भी अवगत हैं कि वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ में बॉम्बे हाई कोर्ट के तीन जज हैं। इसलिए, कॉलेजियम ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि जस्टिस प्रसन्ना बी वराले को सुप्रीम कोर्ट में जज के रूप में नियुक्त किया जाए।'' 25 दिसंबर, 2023 को जस्टिस संजय किशन कौल का रिटायरमेंट हो गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में जज की जगह खाली हुई थी। इसी वजह से यह सिफारिश की गई है। कॉलेजियम ने कहा कि यह ध्यान में रखते हुए कि न्यायाधीशों का कार्यभार काफी बढ़ गया है, यह सुनिश्चित करना जरूरी हो गया है कि कोर्ट में पूरे न्यायाधीश हों। इसलिए, कॉलेजियम ने एक नाम की सिफारिश करके एकमात्र मौजूदा रिक्ति को भरने का फैसला किया है।

भरी अदालत में अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली महिला को पड़ा भारी, चलेगा अवमानना का केस, कोर्ट ने जारी की नोटिस, पढ़िए,

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक जज और कोर्ट के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने के चलते महिला के खिलाफ आपराधिक अवमानना का केस शुरू किया है। महिला ऑस्ट्रेलिया में रहती है और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुई। इस दौरान कोर्ट और जज के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना महिला को इस कदर भारी पड़ गया कि कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना का मामला शुरू कर दिया है। 

दरअसल मामला 10 जनवरी का है जब ऑस्ट्रेलिया में रहने वाली अनिता कुमारी गुप्ता वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश हुईं। सुनवाई के दौरान जज नीला बसंल ने मामले में आगे की तारीख देकर अगला मामला उठाया तो अनिता ने जज के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर दिया। 

उसने कहा, आइटम नंबर 10 से पहले अइटम नंबर 11 कैसे उठाया जा सकता है। ये क्या कर रही है। कोर्ट में क्या * चल रहा है। महिला के मुंह से अपशब्द सुनते ही कोर्ट ने महिला को कारण बताओ नोटिस थमा दिया और 16 अप्रैल को अदालत के समक्ष पेश होने का आदेश दिया। इसी के साथ कोर्ट ने विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) को यह भी आदेश दिया कि अगर अनिता गुप्ता सुनवाई के लिए तय तारीख से पहले भारत आती हैं तो उनका पासपोर्ट/वीजा जब्त कर लिया जाए। कोर्ट ने आगे कहा कि गुप्ता को इस कोर्ट के निर्देश के बिना देश छोड़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

कोर्ट ने कहा कि अनित गुप्ता ने अभद्र टिप्पणी तब की, जब पक्षों की ओर दलील पेश करने वाले वकील अंतिम बहस के लिए दी गई तारीख पर सहमत हुए थे। कोर्ट ने आदेश में कहा, कोर्ट की गरिमा को कम करने वाली ऐसी अपमानजनक टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए स्वत: संज्ञान लेते हुए अवमानना ​​का मामला उठाया गया है। इसके अनुसार अनिता कुमारी गुप्ता, जो वर्तमान में सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में रह रही हैं, को कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है कि क्यों न उन्हें अदालत की अवमानना ​​अधिनियम, 1971 के तहत दंडित किया जाए।

कोई जाए न जाए, मैं आशीर्वाद लेने जरूर जाऊंगा..', राम मंदिर पर बोले AAP सांसद हरभजन सिंह

 पूर्व क्रिकेटर और आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह ने शनिवार को कहा कि वह 22 जनवरी को अयोध्या में राम लला के 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोह में भाग लेंगे, इसके बावजूद कि अधिकांश विपक्षी दलों ने राम मंदिर उद्घाटन पर अपना रुख अपनाया है। 

उन्होंने कहा कि, 'इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कौन जाना चाहता है या नहीं; चाहे कांग्रेस जाना चाहती हो या नहीं या अन्य (पार्टियाँ) जाना चाहती हों या नहीं, मैं निश्चित रूप से जाऊंगा। एक व्यक्ति के रूप में यह मेरा रुख है जो भगवान में विश्वास करते हैं। अगर किसी को मेरे (राम मंदिर) जाने से कोई समस्या है, तो वे जो चाहें कर सकते हैं।' उनकी यह टिप्पणी विपक्षी दलों द्वारा 22 जनवरी को राम मंदिर उद्घाटन का बहिष्कार करने के बीच आई है, जिसमें कहा गया है कि भाजपा इस आयोजन का राजनीतिकरण कर रही है और इस बात से इनकार कर रही है कि वे 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अभियान हथियार के रूप में मंदिर उद्घाटन का उपयोग करने के लिए पार्टी के एजेंडे को बढ़ावा नहीं देंगे।

हरभजन सिंह ने कहा कि, "यह हमारा सौभाग्य है कि इस समय यह मंदिर बन रहा है, इसलिए हम सभी को जाना चाहिए और आशीर्वाद लेना चाहिए...मैं निश्चित रूप से (भगवान से) आशीर्वाद लेने (राम मंदिर उद्घाटन) में जा रहा हूं।" हरभजन सिंह की टिप्पणी भी उनकी पार्टी सुप्रीमो और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे, जबकि उन्होंने बताया था कि उन्हें अभी तक 'प्राण प्रतिष्ठा' के लिए "औपचारिक निमंत्रण" नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि वह 22 जनवरी के बाद अपनी पत्नी, बच्चों और माता-पिता के साथ मंदिर जाएंगे।

केजरीवाल ने कहा कि, "उन्होंने मुझे एक पत्र भेजा था, और जब हमने उन्हें बुलाया, तो उन्होंने कहा कि एक टीम मुझे औपचारिक रूप से आमंत्रित करने आएगी। लेकिन कोई नहीं आया। लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। केजरीवाल ने बुधवार (17 जनवरी) को कहा कि बहुत सारे वीआईपी और वीवीआईपी, ''कार्यक्रम में आएंगे और सुरक्षा कारणों से केवल एक व्यक्ति को अनुमति दी जाएगी।'' हालाँकि, AAP प्रमुख ने राम मंदिर उद्घाटन के समानांतर कोई राजनीतिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया और कहा कि मंदिर "भावनाओं... भावना और भक्ति" का मामला है। अरविंद केजरीवाल ने संवाददाताओं से कहा, "हर किसी की अपने धर्म के अनुसार अपनी आस्था होती है...इसमें कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।"

इससे पहले, आप नेता और दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने चार शंकराचार्यों का समर्थन किया था, जिन्होंने कहा था कि वे राम मंदिर उद्घाटन में शामिल नहीं होंगे, उन्होंने कहा कि प्रतिष्ठा अनुष्ठान "शास्त्रों के खिलाफ" थे। "सभी चार शंकराचार्य कह रहे हैं कि मंदिर अधूरा है। इसलिए, ऐसे समय में 'प्राण प्रतिष्ठा' (प्रतिष्ठा) वेदों और सनातन धर्म के अनुरूप नहीं है। मुझे लगता है कि उनके शब्दों का सम्मान किया जाना चाहिए। यह तथ्य कि वे समारोह में शामिल नहीं हो रहे हैं, दुखद है।''

'प्राण प्रतिष्ठा' के निमंत्रण पर केंद्र में सत्तारूढ़ पार्टी पर सवाल उठाने के बाद यह सौरभ भारद्वाज का भाजपा पर दूसरा हमला था। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा था कि राम मंदिर देश के सभी नागरिकों का है, और भाजपा यह तय करने वाली "कोई नहीं" है कि उद्घाटन समारोह में किसे शामिल होना चाहिए और किसे नहीं। उस समय उनकी टिप्पणी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनता से 22 जनवरी के कार्यक्रम में शामिल न होने और उसके बाद अयोध्या में मंदिर का दौरा करने के अनुरोध के बाद आई थी।