30 वर्षों से आरक्षण मांग रहे 'अनुसूचित' समुदाय के लिए पीएम मोदी ने किया बड़ा ऐलान, निर्देश जारी

 चुनावी राज्य तेलंगाना के कामारेड्डी में एक सार्वजनिक संबोधन में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शनिवार (25 नवंबर) को मडिगा समुदाय के लिए अनुसूचित जाति (SC) आरक्षण में उप-वर्गीकरण को संबोधित करने के लिए एक समिति के शीघ्र गठन का आश्वासन दिया। मडिगा समुदाय के लिए चिंता व्यक्त करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि, "भाजपा मडिगा समुदाय के साथ हुए अन्याय को समझती है। भारत सरकार इस अन्याय को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक समिति का गठन किया जा रहा है।" 

उन्होंने तीन तलाक के उन्मूलन, अनुच्छेद 370 को हटाने और राम मंदिर के निर्माण का हवाला देते हुए वादों को पूरा करने में भाजपा के ट्रैक रिकॉर्ड पर जोर दिया। पीएम मोदी ने कहा कि, "लोगों ने राष्ट्रीय राजनीति में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड देखा है। भाजपा जो वादा करती है उसे पूरा करती है। हमने अनुच्छेद 370 को हटाने का वादा किया था; यह किया गया। हमने 'तीन तलाक' को खत्म करने का वादा किया था; हमने इसे किया। हमने संसद में महिला आरक्षण का अपना वादा पूरा किया। हमने वन रैंक वन पेंशन (OROP) का अपना वादा पूरा किया। हमने वादा किया था कि (अयोध्या में) राम मंदिर जरूर बनाया जाएगा और हम इसे पूरा कर रहे हैं।''

 

पीएम मोदी ने गरीबों, किसानों, दलितों और पिछड़ों की आकांक्षाओं को संबोधित करते हुए भाजपा के घोषणापत्र को इन आकांक्षाओं का प्रतीक बताया। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार द्वारा तेलंगाना में हल्दी बोर्ड का वादा पूरा करने का उल्लेख किया। तेलंगाना में आगामी चुनावों के बारे में आशावाद व्यक्त करते हुए, पीएम मोदी ने कहा कि, "मुझे तेलंगाना में बदलाव की लहर दिख रही है। तेलंगाना के लोग BRS सरकार के 9 साल के शासन से तंग आ चुके हैं और इससे मुक्ति चाहते हैं। इस बार भाजपा के पक्ष में हवा चल रही है।"

आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि मडिगा समुदाय की मांगों के जवाब में, पीएम मोदी ने शुक्रवार को कैबिनेट सचिव राजीव गौबा और वरिष्ठ अधिकारियों को मडिगा समुदाय के लिए अनुसूचित जाति आरक्षण के उप-वर्गीकरण के लिए एक समिति के गठन में तेजी लाने का निर्देश दिया है। यह कदम तेलंगाना में मडिगा रिजर्वेशन पोराटा समिति (MRPS) द्वारा आयोजित एक रैली में पीएम मोदी की पूर्व घोषणा के बाद आया है। 

बता दें कि, मडिगा समुदाय, तेलुगु भाषी राज्यों तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में अनुसूचित जाति (SC) का एक प्रमुख घटक हैं। MRPS पिछले 30 सालों से इस आधार पर SC के वर्गीकरण की मांग कर रहा है कि आरक्षण का लाभ उन तक नहीं पहुंचा है। तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव होने हैं, जिसमें सत्तारूढ़ BRS, कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़ी टक्कर है।

हमारे चार गिरफ्तार हुए, तो हम तुम्हारे आठ पकड़ेंगे..', भ्रष्टाचार के मामलों में TMC नेताओं की गिरफ़्तारी पर भड़कीं ममता बनर्जी, दी खुली धमकी

 बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी गुरुवार को कोलकाता के नेताजी इंडोर स्टेडियम में टीएमसी पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की बैठक में शामिल हुईं थीं। इस दौरान तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ने अपने भाषण में भाजपा पर हमला बोला। ममता बनर्जी ने भारतीय जनता पार्टी को धमकी देते हुए कहा कि, 'अगर वे हमारे चार नेताओं को गिरफ्तार करेंगे, तो हम उनके आठ नेताओं को गिरफ्तार करेंगे।'

भ्रष्टाचार के विभिन्न मामलों में केंद्रीय एजेंसियों द्वारा गिरफ्तार किए गए अपनी पार्टी (TMC) के नेताओं का बचाव करते हुए, ममता बनर्जी ने कहा कि, 'मैं नहीं मानती कि वे चोर हैं। हमारे चार विधायकों को जेल भेज दिया गया है। उन्हें लगता है कि ऐसा करके वे हमारी संख्या कम कर सकेंगे। मैं यहां से यह घोषणा कर रही हूं कि अगर वे हमारे चार नेताओं को गिरफ्तार करेंगे, तो हम उनके आठ नेताओं को गिरफ्तार करेंगे।' ममता बनर्जी ने कहा कि, 'आप हमारी पार्टी के नेताओं अनुब्रत मंडल, पार्थ चटर्जी, माणिक भट्टाचार्य, ज्योति प्रिया मल्लिक और अन्य लोगों के रूप में हंस रहे हैं जो जेल में हैं। भविष्य में, जब आपके पास शक्ति नहीं होगी, तो आप जेल में होंगे।'

बता दें कि, अक्टूबर 2023 में, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राशन वितरण घोटाले के संबंध में TMC मंत्री ज्योति प्रिया मलिक को गिरफ्तार किया था। इससे पहले गत वर्ष, केंद्रीय एजेंसियों ने शिक्षक भर्ती घोटाले में मंत्री पार्थ चटर्जी, पार्टी विधायकों माणिक भट्टाचार्य और जीबन कृष्ण साहा को गिरफ्तार किया था। इसके अलावा, प्रमुख TMC नेता अनुब्रत मंडल, गौतस्करी मामले में कथित संलिप्तता के कारण वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद हैं। साथ ही बंगाल में नगर निगम भर्ती घोटाला, कोयला घोटाला मामले में जांच चल ही रही है, जिसमे मुख्यमंत्री ममता के भतीजे अभिषेक बनर्जी भी घिरे हुए हैं और उनसे ED पूछताछ भी कर चुकी है। ऐसे में जांच एजेंसियों और केंद्र सरकार पर ममता बनर्जी का गुस्सा फूट पड़ा है। 

इस दौरान ममता बनर्जी, विपक्षी दलों के INDIA गठबंधन में अपने सहयोगियों का बचाव भी करने लगीं। गठबंधन में आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल और राजस्थान के मुख्यमंत्री कांग्रेस नेता अशोक गहलोत शामिल हैं। ममता ने कहा कि, ''आपको ऐसा लगता है कि आप कुछ भी करेंगे क्योंकि आप केंद्र में सत्ता में हैं। आप जो TMC, अरविंद केजरीवाल और अशोक गहलोत के बेटे के खिलाफ कर रहे हैं, वही हश्र आपका होगा। ये वही अधिकारी होंगे, जो आपके सत्ता से बाहर होने के बाद आपके पीछे आएंगे।'

बंगाल सीएम ने दावा किया कि लोकसभा चुनाव करीब आने पर केंद्र सरकार के अगले तीन महीने तक रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि सरकार उसके बाद जारी नहीं रहेगी, क्योंकि मोदी सरकार चुनाव हार जाएगी। उन्होंने कहा कि, 'वर्तमान में विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने वाली केंद्रीय एजेंसियां ​​2024 के चुनावों के बाद भाजपा के पीछे चले जाएंगी, केंद्र में यह सरकार तीन महीने और रहेगी।' ममता बनर्जी ने सुझाव दिया कि मवेशियों और कोयला तस्करी की घटनाओं पर अंकुश लगाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है, क्योंकि इसकी एजेंसियां सूखे ईंधन के उत्पादन और सुरक्षित भंडारण के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा की रक्षा के लिए जवाबदेह हैं।

विशेष रूप से, टीएमसी के विभिन्न नेताओं को कोयला और मवेशी तस्करी में उनकी कथित संलिप्तता के संबंध में केंद्रीय एजेंसियों के आरोपों का सामना करना पड़ा है। कोयला घोटाले के बारे में प्रवर्तन निदेशालय ने TMC के दूसरे नंबर के नेता और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनके परिवार के सदस्यों से पूछताछ की है। बनर्जी ने संकेत दिया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार का लक्ष्य आरक्षण को खत्म करना है, और उन्होंने ऐसी किसी भी पहल का विरोध किया। उन्होंने कहा कि, ''भाजपा भी अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण के खिलाफ है, लेकिन हम उन्हें ओबीसी कोटा के जरिए इस व्यवस्था के तहत लाएंगे।''

बंगाल में OBC आरक्षण पर बड़ा खेल

बता दें कि, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने विगत 25 फरवरी को पश्चिम बंगाल की यात्रा की थी, जिसमे खुद बंगाल सरकार की संस्था कल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRI) की रिपोर्ट से पता चला था कि ममता सरकार ने कई मुस्लिम जातियों को भी OBC की सूची में शामिल कर दिया है। पिछड़ा आयोग के इस दौरे में यह भी पता चला है कि बंगाल सरकार ने OBC की लिस्ट में कुल 179 जातियों को शामिल किया है, जिसमे से 118 अकेले मुस्लिमों की है। जबकि, हिंदुओं की महज 61 जातियों को ही OBC की सूची में जगह दी गई है। इसको लेकर NCBC के राष्ट्रीय अध्यक्ष हंसराज अहीर ने कहा है कि पश्चिम बंगाल की कुल जनसँख्या में से 70% हिंदू हैं और 27% मुस्लिम। इसके बाद भी बड़ी तादाद में मुस्लिम जातियों को OBC की सूची में जगह दे दी गई है। अहीर ने ये भी कहा था कि, इसी की आड़ में बंगाल में बड़ी तादाद में पिछड़े हिन्दुओं का धर्मान्तरण किया जा रहा है। 

NCBC अध्यक्ष हंसराज अहीर ने यह भी कहा था कि इस दौरे में पिछड़ा आयोग ने पाया कि 2011 से पहले बंगाल में OBC की 108 जातियाँ हुआ करती थीं। मगर, इसके बाद इसमें 71 जातियों को और शामिल किया गया। इन 71 में से 66 जातियाँ अकेले मुस्लिमों की थी। वहीं, हिंदुओं की महज 5 जातियों को ही OBC आरक्षण का लाभ देने के लिए इस सूची में जगह मिल पाई। आयोग को लगता है कि बंगाल सरकार की संस्था CRI की गलत रिपोर्ट के कारण, मुस्लिम जातियों को OBC सूची में शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में OBC आरक्षण को दो हिस्सों में विभाजित किया गया है। इसमें कुल 179 जातियों को OBC लिस्ट में शामिल किया गया है। इसमें A वर्ग में अति पिछड़ों को रखा गया है। इसमें 89 में से 73 मुस्लिम और केवल 8 हिंदू जातियां हैं। वहीं B श्रेणी में पिछड़ी जातियों को रखा गया है, इसकी सूची में कुल 98 जातियां है, जिसमें 53 हिंदू और 45 मुस्लिम जातियां हैं। यानी बंगाल में कुल 179 पिछड़ी जातियों में से 118 जातियां तो मुस्लिमों की ही है, बाकी 61 पिछड़ी जातियां हिन्दुओं की है। इससे सवाल उठने लगा है कि, जिस इस्लाम में जातिवाद न होने का दावा किया जाता है, वो भारत में अति पिछड़ी जाति श्रेणी में हिन्दुओं (8) से भी अधिक पिछड़े (मुस्लिम 73) कैसे हो गए हैं ? क्या ये लाभ उन्हें और रोहिंग्या-बांग्लादेशियों को सरकारों द्वारा वोट बैंक की लालच में दिया गया है ? क्योंकि, बीते कई चुनावों में हमने देखा है कि, मुस्लिम समुदाय एकतरफा और एकमुश्त होकर वोट करता है, इसलिए कई सियासी दल हर तरह से उन्हें खुश रखने की कोशिश करते ही हैं। ऐसा राजनेताओं के बयानों में भी कई बार देखा जा चुका है।

टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में 15 साल बाद आया फैसला, 4 दोषियों को कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा, सवा लाख का जुर्माना भी लगाया

 टीवी पत्रकार सौम्या विश्वनाथन हत्या मामले में दिल्ली की एक कोर्ट ने 4 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही कोर्ट ने इन पर सवा लाख रुपये का जुर्माना भी ठोंका है। अदालत ने एक दोषी को 3 साल कैद की सजा सुनाई है, मगर उसकी सजा पूरी मानकर छोड़ दिया जाएगा। एक इंग्लिश न्यूज चैनल में पत्रकार रहीं विश्वनाथन की 30 सितंबर, 2008 की देर रात साउथ दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर उस वक़्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जब वह ऑफिस से घर जा रही थीं। पुलिस ने दावा किया था कि लूटपाट के चलते उनकी हत्या की गई थी।

रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले कोर्ट ने 18 अक्टूबर को रवि कपूर, अमित शुक्ला, बलजीत मलिक और अजय कुमार को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा-302 (हत्या) और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराया था। मामले में पांचवें आरोपी अजय सेठी को IPC की धारा 411 (बेईमानी से संपत्ति प्राप्त करना) और मकोका प्रावधानों के तहत संगठित अपराध को बढ़ावा देने, जानबूझकर सहायता करने और संगठित अपराध की आमदनी प्राप्त करने की साजिश रचने के लिए दोषी करार दिया गया था।

अभियोजन पक्ष के मुताबिक, कपूर ने 30 सितंबर, 2008 को दक्षिण दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर पीड़ित की कार को लूटने के लिए उसका पीछा करते वक़्त सौम्य को गोली मार दी थी। कपूर के साथ शुक्ला, कुमार और मलिक भी थे। अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुलिस ने सेठी उर्फ चाचा से हत्या में इस्तेमाल की गई कार जब्त कर ली थी।

बुरी शक्तियों और भूत-प्रेत का डर दिखाकर लोगों को बनाता था मुस्लिम ! गाजियाबाद से मौलवी सरफराज गिरफ्तार, कबूल किया गुनाह

 उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में एक मौलवी को 'बुरी शक्तियों' और 'भूतों' से छुटकारा दिलाने के बहाने एक हिंदू महिला को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार इस्लामिक मौलवी की पहचान सरफराज के रूप में हुई है। रिपोर्टों के अनुसार, आरोपी ने गैर-मुसलमानों को इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए मजबूर करने की बात कबूल की है। 45 वर्षीय पीड़िता के बेटे अक्षय श्रीवास्तव द्वारा मौलवी सरफराज के खिलाफ नंदग्राम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने के बाद आरोपी मौलवी को गिरफ्तार कर लिया गया।

रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय ने पुलिस को बताया कि उसकी मां मीनू 2017 से शारीरिक और मानसिक बीमारियों से पीड़ित हैं और उनका इलाज चल रहा है। इस दौरान कुछ लोगों ने अक्षय को सुझाव दिया कि वह अपनी मां को मौलवी सरफराज के पास ले जाएं और अपनी मां को ठीक कराने में उनकी मदद लें। अपनी शिकायत में अक्षय श्रीवास्तव ने मौलवी सरफराज पर भूत-प्रेत का डर दिखाकर उनकी मां का धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया है। शिकायतकर्ता के अनुसार, उसकी मां ने 36 वर्षीय मौलवी के आदेश पर अपने घर से हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां और चित्र हटा दिए और यहां तक कि अपने बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों पर भी इस्लाम अपनाने के लिए दबाव डाला।

आरोपी मौलवी ने पीड़िता से कहा कि अगर वह अपने हिंदू धर्म का पालन करती रही तो उसका इलाज प्रभावी नहीं होगा, उसने जोर देकर कहा कि वह इस्लाम अपना ले और तभी उसके स्वास्थ्य में सुधार होगा। एसीपी नंदग्राम रवि कुमार सिंह के मुताबिक मौलवी को मोरटी गांव तिराहा के पास से पकड़ा गया। सरफराज ने पूछताछ के दौरान पुलिस को बताया कि कुछ साल पहले उसने हज यात्रा की थी और उसके बाद वह पिछले आठ साल से इलाके में झाड़-फूंक कर रहा था और भूत-प्रेत के डर से बीमार लोगों को इस्लाम कबूल करने के लिए मजबूर करता था। 

एसीपी सिंह ने कहा कि आरोपी मौलवी सरफराज पर उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण निषेध अधिनियम और ड्रग्स एंड मैजिक रेमेडीज एक्ट के तहत आरोप लगाए गए हैं। गाजियाबाद पुलिस ने X पर ले जाकर धर्म परिवर्तन की साजिश में आरोपी मौलवी की गिरफ्तारी की जानकारी दी और लिखा, ''पुलिस कमिश्नरेट गाजियाबाद पुलिस टीम द्वारा धर्म परिवर्तन की साजिश का खुलासा करते हुए 01 आरोपी को गिरफ्तार किया गया।''

उपलब्धि, 3 लाख में मिलेंगी 3 करोड़ की दवाएं ! चिकित्सा क्षेत्र में भी 'आत्मनिर्भर' हो रहा भारत, घर में बना रहा वो दुर्लभ 'मेडिसिन' जो आज तक नहीं

भारत हर क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर' बन रहा है। अब देश के चिकित्सा क्षेत्र ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दरअसल, दुर्लभ बिमारियों की जो दवाएं भारत दूसरे देशों से करोड़ों रुपए देकर मंगवाता था, अब उनका स्वदेशी उत्पादन शुरू हो गया है और वही दवाएं अब महज कुछ लाख रुपयों में उपलब्ध हो जाती हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि भारतीय फार्मा कंपनियों ने चार दुर्लभ बीमारियों के लिए दवाओं का उत्पादन शुरू कर दिया है, जिससे महंगे आयातित फॉर्मूलेशन पर निर्भरता कम हो गई है। 

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 दुर्लभ बीमारियों - टायरोसिनेमिया टाइप 1, गौचर रोग, विल्सन रोग और ड्रेवेट-लेनोक्स गैस्टॉट सिंड्रोम - के साथ-साथ सिकल सेल एनीमिया के लिए दवाओं को मंजूरी दे दी गई है और इन्हें स्वदेशी रूप से निर्मित किया जा रहा है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मंत्रालय ने सिकल सेल एनीमिया के साथ-साथ 13 दुर्लभ बीमारियों से संबंधित कार्रवाई को प्राथमिकता दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि फेनिलकेटोनुरिया के लिए सैप्रोप्टेरिन टैबलेट, हाइपरअमोनेमिया के लिए टैब सोडियम फिनाइल ब्यूटायरेट और टैबलेट कारग्लुमिक एसिड और गौचर रोग के लिए कैप्सूल मिग्लस्टैट अनुमोदन की प्रक्रिया में हैं और अप्रैल 2024 तक उपलब्ध होने की संभावना है।

वहीं, सूत्रों ने बताया है कि इन दवाओं के स्वदेशी निर्माण से टायरोसिनेमिया टाइप 1 के इलाज में इस्तेमाल होने वाले निटिसिनोन कैप्सूल की वार्षिक लागत आयातित दवा की कीमत के सौवें हिस्से तक कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि, "उदाहरण के लिए, जहां आयातित कैप्सूल की वार्षिक लागत 2.2 करोड़ रुपये आती है, वहीं घरेलू स्तर पर निर्मित कैप्सूल अब सिर्फ 2.5 लाख रुपये में उपलब्ध होंगे।" स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्र ने बताया है कि इसी तरह, आयातित एलीग्लस्टैट कैप्सूल की लागत, जो प्रति वर्ष 1.8-3.6 करोड़ रुपये आती है, अब केवल 3-6 लाख रुपये प्रति वर्ष में बेची जाएगी। इसमें आगे कहा गया है कि विल्सन की बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले आयातित ट्राइएंटाइन कैप्सूल की कीमत 2.2 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के बजाय 2.2 लाख रुपये प्रति वर्ष हो जाएगी।

ड्रेवेट-लेनोक्स गैस्टॉट सिंड्रोम के उपचार में उपयोग किया जाने वाला आयातित कैनबिडिओल (मौखिक समाधान) अब स्वदेशी विनिर्माण के कारण 7-34 लाख रुपये प्रति वर्ष की पिछली लागत के बजाय 1-5 लाख प्रति वर्ष पर उपलब्ध होगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि सिकल सेल एनीमिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाले हाइड्रोक्सीयूरिया सिरप की व्यावसायिक आपूर्ति मार्च 2024 तक शुरू होने की संभावना है और अस्थायी कीमत 405 रुपये प्रति बोतल होगी। विदेश में इसकी कीमत 840 USD (70,000 रुपये) प्रति 100 ml है। गौरतलब है कि इनमें से किसी भी दवा का निर्माण अब तक देश में नहीं हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारीयों का कहना है कि, यह अभ्यास जुलाई 2022 में शुरू हुआ और शिक्षाविदों, फार्मा उद्योगों, संगठनों, सीडीएससीओ, फार्मास्यूटिकल्स विभाग के साथ चर्चा की गई जिसके बाद सिकल सेल एनीमिया के साथ 13 दुर्लभ बीमारियों को प्राथमिकता दी गई। इसके बाद दवा निर्माताओं और औषधि महानियंत्रक के साथ बातचीत की गई भारत की और इन दवाओं को मंजूरी दे दी गई और कीमतें कम कर दी गईं। अधिकारियों ने कहा कि दुर्लभ बीमारी विशेष रूप से कम प्रसार वाली एक स्वास्थ्य स्थिति है, जो कम संख्या में लोगों को प्रभावित करती है। यह किसी भी देश में किसी भी समय 6-8 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करता है और भारत में 8.4-10 करोड़ मामले हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से लगभग 80 प्रतिशत बीमारियां आनुवंशिक प्रकृति की होती हैं।

राजस्थान में 199 सीटों पर मतदान के बीच भारी सस्पेंस, CM पोस्ट को लेकर सचिन पायलट ने दे डाला बड़ा बयान

 राजस्थान में विधानसभा चुनावों में एक उच्च-स्तरीय लड़ाई देखी जा रही है, राजनीतिक परिदृश्य कई संभावना से भर गया है। कांग्रेस उम्मीदवार के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के कारण 199 सीटों के साथ, राज्य एक युद्ध का मैदान है जहां कांग्रेस और भाजपा सीधे मुकाबले में हैं। आज मतदान हुआ और 3 दिसंबर को नतीजा राज्य के राजनीतिक भविष्य को आकार देगा।

सचिन पायलट का भरोसा

इस बीच मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अपनी पार्टी की संभावनाओं पर भरोसा जताया है। 2018 के विपक्ष के दौर में सामने आई चुनौतियों पर विचार करते हुए पायलट ने कांग्रेस की ताकत पर प्रकाश डाला, क्योंकि अब वह शासन की स्थिति से चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कांग्रेस के एक बार फिर सरकार बनाने को लेकर आशा व्यक्त की। जब कांग्रेस के अभियान में अशोक गहलोत की प्रमुखता के बारे में सवाल किया गया, तो पायलट ने व्यक्तिगत चेहरों के महत्व को कम कर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनता जानती है कि नतीजे किसने दिए हैं और नेतृत्व का फैसला चुनाव के बाद आलाकमान करेगा। मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी का मुद्दा खुला है, पायलट ने कहा कि पार्टी नेतृत्व भविष्य के नेता का फैसला करेगा।

भाजपा की अनुपस्थिति और पीएम मोदी का चेहरा

पायलट ने एक प्रभावी विपक्ष के रूप में पांच साल की अनुपस्थिति के लिए भाजपा की आलोचना की। प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भाजपा की निर्भरता के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में पायलट ने कहा कि जनता समझदार है और उसे केवल किसी नेता की छवि से प्रभावित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान और पायलट परिवार के बीच संबंधों के बारे में पीएम मोदी की टिप्पणी के किसी भी संभावित प्रभाव को सच्चाई से परे बताया।

अशोक गहलोत का रुख

वहीं, अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए पार्टी आलाकमान के फैसले को स्वीकार करने की इच्छा जताई. उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में पार्टी के योगदान को स्वीकार किया और कहा कि वह भविष्य में पार्टी द्वारा सौंपी गई किसी भी भूमिका को स्वीकार करेंगे।

पीएम मोदी के आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सार्वजनिक बैठक में कांग्रेस पर पायलट परिवार के खिलाफ द्वेष को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कांग्रेस के साथ राजेश पायलट के इतिहास का हवाला दिया और आरोप लगाया कि पार्टी सच बोलने वाले नेताओं को दरकिनार कर देती है। सचिन पायलट ने दावों को वास्तविकता से परे बताते हुए खारिज कर दिया। अभियान के अंतिम चरण में, राजनीतिक बयानबाजी तीव्र है, जो एक निर्णायक चुनावी परिणाम के लिए मंच तैयार कर रही है, जो राजस्थान के भविष्य के शासन को आकार देगा।

उत्तरकाशी टनल हादसाः अब मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बना दूसरा प्लान, ड्रिलिंग की बजाय मैनुअली हटाया जाएगा मलबा

#uttarkashi_tunnel_collapse_rescue_operation_stopped

 उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने की जंग जारी है। बीते 13 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हैं। आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 41वां दिन है।इस बीच ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे बार-बार आ रही बाधा के चलते अब मैनुअल अभियान चलाया जाएगा।मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है। यानी मजदूरों को बाहर आने में अभी वक्त लग सकता है। 

निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 14 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चल रहा है। हालांकि एक भी मजदूर को अभी तक बाहर निकालने का रास्ता सुनिश्चित नहीं हो पाया है। ड्रिलिंग के लिए इस्तेमाल हो रही यूएस मेड ऑगर मशीन की राह में बार-बार आ रही बाधाओं के कारण अब अभियान में जुटे एनडीआरएफ के जवान अब पारम्परिक तरीके से हाथ से ही ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

ड्रिलिंग की राह में बार बार आ रही बाधाओं की वजह से अब एनडीआरएफ के जवान खुद उस पाइप लाइन में नीचे उतरेंगे जिसे मजदूरों के करीब तक पहुंचा दिया गया है। 47 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो गई है। और 10 मीटर की ड्रिलिंग की जानी है। इसके लिए बचाव अभियान में जुटे एजेंसियों के जवान ड्रिलिंग करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक यंत्र जैसे हथौड़ा, साबल, गैस कटर मशीन जैसे सामान्य टूल्स के साथ नीचे उतरेंगे। वे हाथ से पाइप की राह में आ रही बाधा को काटकर हटाएंगे। 

हालांकि, यह काफी मेहनत भरा काम होगा और इसमें वक्त भी अधिक लग सकता है। कम से कम तीन से चार दिन का समय लग सकता है. हालांकि, उम्मीद सब यही कर रहे हैं कि अब किसी प्रकार का कोई हर्डल ना आए। हालांकि इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग जारी, सुबह 9 बजे तक 9.77 फीसदी हुई मतदान

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राजस्थान में आज कड़ी सुरक्षा के बीच 199 सीटों पर वोटिंग हो रही है।चुनाव आयोग ने बताया कि सुबह 9 बजे तक राज्य में 9.77 फीसदी वोटिंग हुई है। वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू हुई थी, जो शाम 6 बजे तक जारी रहेगी।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि राज्य में कुल 36,101 स्थानों पर कुल 51,507 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इनमें कुल 10,501 मतदान केन्द्र शहरी क्षेत्र में और 41,006 ग्रामीण क्षेत्र में बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कुल 26,393 मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग करवाई जाएगी। जिला स्तरीय कंट्रोल रूम से इन मतदान केंद्रों पर निगरानी की जाएगी। प्रदेशभर में 65,277 बैलेट यूनिट, 62,372 कंट्रोल यूनिट और 67,580 वीवीपैट मशीनें रिजर्व सहित मतदान कार्य में उपयोग ली जाएंगी।

वोटिंग के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, राजस्थान इस बार मुफ्त इलाज चुनेगा, राजस्थान इस बार सस्ता गैस सिलेंडर चुनेगा, राजस्थान ब्याज मुक्त कृषि कर्ज चुनेगा, राजस्थान अंग्रेज़ी शिक्षा चुनेगा, राजस्थान ओपीएस चुनेगा, राजस्थान जाति जनगणना चुनेगा। उन्होंने कहा, हर व्यक्ति को बड़ी संख्या में जाकर अपने मताधिकार इस्तेमाल करना चाहिए। जनता को हितकारी और गारंटी वाली सरकार चुननी चाहिए।

बीजेपी के प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया तथा सांसद दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़, बाबा बालकनाथ और किरोड़ी लाल मीणा हैं। बीजेपी ने कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा छह सांसदों और एक राज्यसभा सदस्य सहित 59 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है।

सत्तारूढ़ कांग्रेस की ओर से इस बार भी अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे नेताओं में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, सालेह मोहम्मद, ममता भूपेश, प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेंद्र यादव, शकुंतला रावत, उदय लाल आंजना, महेंद्रजीत सिंह मालवीय तथा अशोक चांदना व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल हैं।

चीन में फैल रही महामारी, अलर्ट मोड में भारत सरकार

#chinesemysterypneumoniaindiangovtonalert 

चीन में रहस्यमयी निमोनिया तेजी से फैल रहा है।बच्चे इस महामारी की चपेट में आ रहे है। चीन में फैल रही इस महामारी से भारत सरकार अलर्ट मोड में आ गई है।फिलहाल भारत में इस तरह का कोई केस सामने नहीं आया है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि वह किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

मामलों पर बारीकी से निगरानी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह उत्तरी चीन में बच्चों में सांस लेने से संबंधी बीमारियों और एच9एन2 संक्रमण के मामलों पर निकटता से नजर रख रहा है। मंत्रालय ने कहा कि चीन में सामने आए एवियन इन्फ्लूएंजा के मामले और श्वसन संबंधी बीमारियों से भारत को कम जोखिम है। उसने कहा कि भारत चीन में इन्फ्लूएंजा की स्थिति से उत्पन्न हो सकने वाली किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। उसने कहा कि मीडिया की कुछ खबरों में उत्तरी चीन में बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आने की जानकारी दी गई है, जिसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बयान जारी किया है।

अस्पताल बीमार बच्चों से भरे

चीन को कोविड-19 के बाद एक और संभावित स्वास्थ्य आपातकाल का सामना करना पड़ रहा है। एक रहस्यमय निमोनिया का प्रकोप स्कूलों में फैल गया है और इसके परिणामस्वरूप अस्पताल बीमार बच्चों से भर गए हैं। इस रहस्यमयी बीमारी के प्रकोप का केंद्र बीजिंग और लियाओनिंग प्रांत हैं। जहां बाल चिकित्सा अस्पतालों को भारी संख्या में बीमार बच्चों को एडमिट करना पड़ रहा है। 

कोरोना काल की आई याद

चीन के बीजिंग और लिओनिंग में फिलहाल जिस तरह के हालात हैं, वो कोविड संकट के शुरुआती दिनों की याद दिलाती है। मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखकर स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई है। इस बीमारी से अधिकतर बच्चे शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अलर्ट कर चुका है। वह पहले ही चीन से अधिक जानकारी देने को कह चुका है।  

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में चीन में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में वृद्धि हुई। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि कोविड-19 उपायों को हटाने अर्थात् इन्फ्लूएंजा और सामान्य जीवाणु संक्रमण के प्रसार के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जो माइकोप्लाज्मा निमोनिया सहित बच्चों को प्रभावित करते हैं।

कर्नाटक में सियासी कलह, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच ली गई वापस, आय से अधिक संपत्ति का है मामला

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कर्नाटक सरकार ने उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच को वापस लेने का प्रस्ताव पास किया है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी।इस मुद्दे पर राज्य में राजनीति शुरू हो गई है।कर्नाटक भाजपा प्रमुख बीवाई विजयेंद्र ने सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताया। साथ ही मुख्यमंत्री से फैसला वापस लेने की मांग की है।बता दें कि प्रदेश में पूर्व बीजेपी की सरकार के समय शिवकुमार पर यह केस दर्ज हुआ था।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सीबीआई जांच के लिए सहमति वापस लेने का निर्णय क्यों लिया? इस पर एक बयान में सरकार ने कहा, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच वापस लेने का फैसला केवल "प्रक्रियात्मक चूक" को ठीक करने के लिए लिया गया है।कर्नाटक के मंत्री एचके पाटिल ने कहा है शिवकुमार के खिलाफ जिस तरह चार्ज लगाया गया था और मामला सीबीआई को सौंपा गया था, वह कानूनन नहीं था। केस सीबीआई को सौंपने से पहले स्पीकर की मंजूरी लेना जरूरी नहीं समझा गया था।

कर्नाटक सरकार ने ये भी कहा कि सरकार ने पहले तत्कालीन महाधिवक्ता और वर्तमान महाधिवक्ता की राय ली थी। जिसके बाद शिवकुमार के खिलाफ केस को रद्द करने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया। मंत्री एचके पाटिल ने बताया है कि हम नियमों के अनुसार चल रहे हैं, कैबिनेट के फैसले के बाद अगले कुछ दिनों में प्रशासनिक मंजूरी सामने आ जाएगी।

बता दें कि अक्टूबर महीने में कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में हाईकोर्ट से झटका लगा था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली डीके शिवकुमार की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सीबीआई को तीन महीने जांच पूरी करने का आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट ने जांच पर अंतरिम रोक लगाई थी। जिसे कोर्ट ने बाद में हटा दिया था। इसके बाद इस मामले में डीके शिवकुमार की मुश्किलें बढ़ गई थीं।