उपलब्धि, 3 लाख में मिलेंगी 3 करोड़ की दवाएं ! चिकित्सा क्षेत्र में भी 'आत्मनिर्भर' हो रहा भारत, घर में बना रहा वो दुर्लभ 'मेडिसिन' जो आज तक नहीं

भारत हर क्षेत्र में 'आत्मनिर्भर' बन रहा है। अब देश के चिकित्सा क्षेत्र ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। दरअसल, दुर्लभ बिमारियों की जो दवाएं भारत दूसरे देशों से करोड़ों रुपए देकर मंगवाता था, अब उनका स्वदेशी उत्पादन शुरू हो गया है और वही दवाएं अब महज कुछ लाख रुपयों में उपलब्ध हो जाती हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि भारतीय फार्मा कंपनियों ने चार दुर्लभ बीमारियों के लिए दवाओं का उत्पादन शुरू कर दिया है, जिससे महंगे आयातित फॉर्मूलेशन पर निर्भरता कम हो गई है। 

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 4 दुर्लभ बीमारियों - टायरोसिनेमिया टाइप 1, गौचर रोग, विल्सन रोग और ड्रेवेट-लेनोक्स गैस्टॉट सिंड्रोम - के साथ-साथ सिकल सेल एनीमिया के लिए दवाओं को मंजूरी दे दी गई है और इन्हें स्वदेशी रूप से निर्मित किया जा रहा है। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि मंत्रालय ने सिकल सेल एनीमिया के साथ-साथ 13 दुर्लभ बीमारियों से संबंधित कार्रवाई को प्राथमिकता दी है। रिपोर्ट के मुताबिक, आधिकारिक सूत्रों ने बताया है कि फेनिलकेटोनुरिया के लिए सैप्रोप्टेरिन टैबलेट, हाइपरअमोनेमिया के लिए टैब सोडियम फिनाइल ब्यूटायरेट और टैबलेट कारग्लुमिक एसिड और गौचर रोग के लिए कैप्सूल मिग्लस्टैट अनुमोदन की प्रक्रिया में हैं और अप्रैल 2024 तक उपलब्ध होने की संभावना है।

वहीं, सूत्रों ने बताया है कि इन दवाओं के स्वदेशी निर्माण से टायरोसिनेमिया टाइप 1 के इलाज में इस्तेमाल होने वाले निटिसिनोन कैप्सूल की वार्षिक लागत आयातित दवा की कीमत के सौवें हिस्से तक कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि, "उदाहरण के लिए, जहां आयातित कैप्सूल की वार्षिक लागत 2.2 करोड़ रुपये आती है, वहीं घरेलू स्तर पर निर्मित कैप्सूल अब सिर्फ 2.5 लाख रुपये में उपलब्ध होंगे।" स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़े सूत्र ने बताया है कि इसी तरह, आयातित एलीग्लस्टैट कैप्सूल की लागत, जो प्रति वर्ष 1.8-3.6 करोड़ रुपये आती है, अब केवल 3-6 लाख रुपये प्रति वर्ष में बेची जाएगी। इसमें आगे कहा गया है कि विल्सन की बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाले आयातित ट्राइएंटाइन कैप्सूल की कीमत 2.2 करोड़ रुपये प्रति वर्ष के बजाय 2.2 लाख रुपये प्रति वर्ष हो जाएगी।

ड्रेवेट-लेनोक्स गैस्टॉट सिंड्रोम के उपचार में उपयोग किया जाने वाला आयातित कैनबिडिओल (मौखिक समाधान) अब स्वदेशी विनिर्माण के कारण 7-34 लाख रुपये प्रति वर्ष की पिछली लागत के बजाय 1-5 लाख प्रति वर्ष पर उपलब्ध होगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि सिकल सेल एनीमिया के इलाज में इस्तेमाल होने वाले हाइड्रोक्सीयूरिया सिरप की व्यावसायिक आपूर्ति मार्च 2024 तक शुरू होने की संभावना है और अस्थायी कीमत 405 रुपये प्रति बोतल होगी। विदेश में इसकी कीमत 840 USD (70,000 रुपये) प्रति 100 ml है। गौरतलब है कि इनमें से किसी भी दवा का निर्माण अब तक देश में नहीं हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारीयों का कहना है कि, यह अभ्यास जुलाई 2022 में शुरू हुआ और शिक्षाविदों, फार्मा उद्योगों, संगठनों, सीडीएससीओ, फार्मास्यूटिकल्स विभाग के साथ चर्चा की गई जिसके बाद सिकल सेल एनीमिया के साथ 13 दुर्लभ बीमारियों को प्राथमिकता दी गई। इसके बाद दवा निर्माताओं और औषधि महानियंत्रक के साथ बातचीत की गई भारत की और इन दवाओं को मंजूरी दे दी गई और कीमतें कम कर दी गईं। अधिकारियों ने कहा कि दुर्लभ बीमारी विशेष रूप से कम प्रसार वाली एक स्वास्थ्य स्थिति है, जो कम संख्या में लोगों को प्रभावित करती है। यह किसी भी देश में किसी भी समय 6-8 प्रतिशत आबादी को प्रभावित करता है और भारत में 8.4-10 करोड़ मामले हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से लगभग 80 प्रतिशत बीमारियां आनुवंशिक प्रकृति की होती हैं।

राजस्थान में 199 सीटों पर मतदान के बीच भारी सस्पेंस, CM पोस्ट को लेकर सचिन पायलट ने दे डाला बड़ा बयान

 राजस्थान में विधानसभा चुनावों में एक उच्च-स्तरीय लड़ाई देखी जा रही है, राजनीतिक परिदृश्य कई संभावना से भर गया है। कांग्रेस उम्मीदवार के दुर्भाग्यपूर्ण निधन के कारण 199 सीटों के साथ, राज्य एक युद्ध का मैदान है जहां कांग्रेस और भाजपा सीधे मुकाबले में हैं। आज मतदान हुआ और 3 दिसंबर को नतीजा राज्य के राजनीतिक भविष्य को आकार देगा।

सचिन पायलट का भरोसा

इस बीच मीडिया से बात करते हुए कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने अपनी पार्टी की संभावनाओं पर भरोसा जताया है। 2018 के विपक्ष के दौर में सामने आई चुनौतियों पर विचार करते हुए पायलट ने कांग्रेस की ताकत पर प्रकाश डाला, क्योंकि अब वह शासन की स्थिति से चुनाव लड़ रही है। उन्होंने कांग्रेस के एक बार फिर सरकार बनाने को लेकर आशा व्यक्त की। जब कांग्रेस के अभियान में अशोक गहलोत की प्रमुखता के बारे में सवाल किया गया, तो पायलट ने व्यक्तिगत चेहरों के महत्व को कम कर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जनता जानती है कि नतीजे किसने दिए हैं और नेतृत्व का फैसला चुनाव के बाद आलाकमान करेगा। मुख्यमंत्री पद की उम्मीदवारी का मुद्दा खुला है, पायलट ने कहा कि पार्टी नेतृत्व भविष्य के नेता का फैसला करेगा।

भाजपा की अनुपस्थिति और पीएम मोदी का चेहरा

पायलट ने एक प्रभावी विपक्ष के रूप में पांच साल की अनुपस्थिति के लिए भाजपा की आलोचना की। प्रचार अभियान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर भाजपा की निर्भरता के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में पायलट ने कहा कि जनता समझदार है और उसे केवल किसी नेता की छवि से प्रभावित नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान और पायलट परिवार के बीच संबंधों के बारे में पीएम मोदी की टिप्पणी के किसी भी संभावित प्रभाव को सच्चाई से परे बताया।

अशोक गहलोत का रुख

वहीं, अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद के बारे में पूछे गए सवालों का जवाब देते हुए पार्टी आलाकमान के फैसले को स्वीकार करने की इच्छा जताई. उन्होंने अपनी राजनीतिक यात्रा में पार्टी के योगदान को स्वीकार किया और कहा कि वह भविष्य में पार्टी द्वारा सौंपी गई किसी भी भूमिका को स्वीकार करेंगे।

पीएम मोदी के आरोप

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सार्वजनिक बैठक में कांग्रेस पर पायलट परिवार के खिलाफ द्वेष को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया था। उन्होंने कांग्रेस के साथ राजेश पायलट के इतिहास का हवाला दिया और आरोप लगाया कि पार्टी सच बोलने वाले नेताओं को दरकिनार कर देती है। सचिन पायलट ने दावों को वास्तविकता से परे बताते हुए खारिज कर दिया। अभियान के अंतिम चरण में, राजनीतिक बयानबाजी तीव्र है, जो एक निर्णायक चुनावी परिणाम के लिए मंच तैयार कर रही है, जो राजस्थान के भविष्य के शासन को आकार देगा।

उत्तरकाशी टनल हादसाः अब मजदूरों को बाहर निकालने के लिए बना दूसरा प्लान, ड्रिलिंग की बजाय मैनुअली हटाया जाएगा मलबा

#uttarkashi_tunnel_collapse_rescue_operation_stopped

 उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिलक्यारा सुरंग में 41 श्रमिकों की जिंदगी बचाने की जंग जारी है। बीते 13 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हैं। आज रेस्क्यू ऑपरेशन का 41वां दिन है।इस बीच ऑगर ड्रिलिंग मशीन के आगे बार-बार आ रही बाधा के चलते अब मैनुअल अभियान चलाया जाएगा।मैनुअल ड्रिलिंग में समय लग सकता है। यानी मजदूरों को बाहर आने में अभी वक्त लग सकता है। 

निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में 14 दिनों से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चल रहा है। हालांकि एक भी मजदूर को अभी तक बाहर निकालने का रास्ता सुनिश्चित नहीं हो पाया है। ड्रिलिंग के लिए इस्तेमाल हो रही यूएस मेड ऑगर मशीन की राह में बार-बार आ रही बाधाओं के कारण अब अभियान में जुटे एनडीआरएफ के जवान अब पारम्परिक तरीके से हाथ से ही ड्रिलिंग करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।

ड्रिलिंग की राह में बार बार आ रही बाधाओं की वजह से अब एनडीआरएफ के जवान खुद उस पाइप लाइन में नीचे उतरेंगे जिसे मजदूरों के करीब तक पहुंचा दिया गया है। 47 मीटर की ड्रिलिंग पूरी हो गई है। और 10 मीटर की ड्रिलिंग की जानी है। इसके लिए बचाव अभियान में जुटे एजेंसियों के जवान ड्रिलिंग करने के लिए इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक यंत्र जैसे हथौड़ा, साबल, गैस कटर मशीन जैसे सामान्य टूल्स के साथ नीचे उतरेंगे। वे हाथ से पाइप की राह में आ रही बाधा को काटकर हटाएंगे। 

हालांकि, यह काफी मेहनत भरा काम होगा और इसमें वक्त भी अधिक लग सकता है। कम से कम तीन से चार दिन का समय लग सकता है. हालांकि, उम्मीद सब यही कर रहे हैं कि अब किसी प्रकार का कोई हर्डल ना आए। हालांकि इसमें सफलता मिलने की उम्मीद है।

राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग जारी, सुबह 9 बजे तक 9.77 फीसदी हुई मतदान

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राजस्थान में आज कड़ी सुरक्षा के बीच 199 सीटों पर वोटिंग हो रही है।चुनाव आयोग ने बताया कि सुबह 9 बजे तक राज्य में 9.77 फीसदी वोटिंग हुई है। वोटिंग सुबह 7 बजे से शुरू हुई थी, जो शाम 6 बजे तक जारी रहेगी।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी प्रवीण गुप्ता ने बताया कि राज्य में कुल 36,101 स्थानों पर कुल 51,507 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इनमें कुल 10,501 मतदान केन्द्र शहरी क्षेत्र में और 41,006 ग्रामीण क्षेत्र में बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि कुल 26,393 मतदान केंद्रों पर लाइव वेबकास्टिंग करवाई जाएगी। जिला स्तरीय कंट्रोल रूम से इन मतदान केंद्रों पर निगरानी की जाएगी। प्रदेशभर में 65,277 बैलेट यूनिट, 62,372 कंट्रोल यूनिट और 67,580 वीवीपैट मशीनें रिजर्व सहित मतदान कार्य में उपयोग ली जाएंगी।

वोटिंग के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया है। उन्होंने कहा, राजस्थान इस बार मुफ्त इलाज चुनेगा, राजस्थान इस बार सस्ता गैस सिलेंडर चुनेगा, राजस्थान ब्याज मुक्त कृषि कर्ज चुनेगा, राजस्थान अंग्रेज़ी शिक्षा चुनेगा, राजस्थान ओपीएस चुनेगा, राजस्थान जाति जनगणना चुनेगा। उन्होंने कहा, हर व्यक्ति को बड़ी संख्या में जाकर अपने मताधिकार इस्तेमाल करना चाहिए। जनता को हितकारी और गारंटी वाली सरकार चुननी चाहिए।

बीजेपी के प्रमुख उम्मीदवारों में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, उपनेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया तथा सांसद दीया कुमारी, राज्यवर्धन राठौड़, बाबा बालकनाथ और किरोड़ी लाल मीणा हैं। बीजेपी ने कांग्रेस विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा छह सांसदों और एक राज्यसभा सदस्य सहित 59 मौजूदा विधायकों को टिकट दिया है।

सत्तारूढ़ कांग्रेस की ओर से इस बार भी अपना चुनावी भाग्य आजमा रहे नेताओं में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी, मंत्री शांति धारीवाल, बीडी कल्ला, भंवर सिंह भाटी, सालेह मोहम्मद, ममता भूपेश, प्रताप सिंह खाचरियावास, राजेंद्र यादव, शकुंतला रावत, उदय लाल आंजना, महेंद्रजीत सिंह मालवीय तथा अशोक चांदना व पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट शामिल हैं।

चीन में फैल रही महामारी, अलर्ट मोड में भारत सरकार

#chinesemysterypneumoniaindiangovtonalert 

चीन में रहस्यमयी निमोनिया तेजी से फैल रहा है।बच्चे इस महामारी की चपेट में आ रहे है। चीन में फैल रही इस महामारी से भारत सरकार अलर्ट मोड में आ गई है।फिलहाल भारत में इस तरह का कोई केस सामने नहीं आया है। हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि वह किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है।

मामलों पर बारीकी से निगरानी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि वह उत्तरी चीन में बच्चों में सांस लेने से संबंधी बीमारियों और एच9एन2 संक्रमण के मामलों पर निकटता से नजर रख रहा है। मंत्रालय ने कहा कि चीन में सामने आए एवियन इन्फ्लूएंजा के मामले और श्वसन संबंधी बीमारियों से भारत को कम जोखिम है। उसने कहा कि भारत चीन में इन्फ्लूएंजा की स्थिति से उत्पन्न हो सकने वाली किसी भी प्रकार की आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। उसने कहा कि मीडिया की कुछ खबरों में उत्तरी चीन में बच्चों में श्वसन संबंधी बीमारियों के मामले सामने आने की जानकारी दी गई है, जिसे लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने एक बयान जारी किया है।

अस्पताल बीमार बच्चों से भरे

चीन को कोविड-19 के बाद एक और संभावित स्वास्थ्य आपातकाल का सामना करना पड़ रहा है। एक रहस्यमय निमोनिया का प्रकोप स्कूलों में फैल गया है और इसके परिणामस्वरूप अस्पताल बीमार बच्चों से भर गए हैं। इस रहस्यमयी बीमारी के प्रकोप का केंद्र बीजिंग और लियाओनिंग प्रांत हैं। जहां बाल चिकित्सा अस्पतालों को भारी संख्या में बीमार बच्चों को एडमिट करना पड़ रहा है। 

कोरोना काल की आई याद

चीन के बीजिंग और लिओनिंग में फिलहाल जिस तरह के हालात हैं, वो कोविड संकट के शुरुआती दिनों की याद दिलाती है। मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा देखकर स्वास्थ्य अधिकारियों में चिंता पैदा हो गई है। इस बीमारी से अधिकतर बच्चे शिकार हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी अलर्ट कर चुका है। वह पहले ही चीन से अधिक जानकारी देने को कह चुका है।  

डब्ल्यूएचओ का कहना है कि पिछले तीन वर्षों की इसी अवधि की तुलना में चीन में इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारियों में वृद्धि हुई। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि कोविड-19 उपायों को हटाने अर्थात् इन्फ्लूएंजा और सामान्य जीवाणु संक्रमण के प्रसार के कारण श्वसन संबंधी बीमारियों में वृद्धि हुई है, जो माइकोप्लाज्मा निमोनिया सहित बच्चों को प्रभावित करते हैं।

कर्नाटक में सियासी कलह, डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच ली गई वापस, आय से अधिक संपत्ति का है मामला

#withdraw_the_cbi_case_against_dk_shivakumar

कर्नाटक सरकार ने उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ चल रही सीबीआई जांच को वापस लेने का प्रस्ताव पास किया है। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव पर मुहर लगी।इस मुद्दे पर राज्य में राजनीति शुरू हो गई है।कर्नाटक भाजपा प्रमुख बीवाई विजयेंद्र ने सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताया। साथ ही मुख्यमंत्री से फैसला वापस लेने की मांग की है।बता दें कि प्रदेश में पूर्व बीजेपी की सरकार के समय शिवकुमार पर यह केस दर्ज हुआ था।

कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने सीबीआई जांच के लिए सहमति वापस लेने का निर्णय क्यों लिया? इस पर एक बयान में सरकार ने कहा, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के खिलाफ सीबीआई जांच वापस लेने का फैसला केवल "प्रक्रियात्मक चूक" को ठीक करने के लिए लिया गया है।कर्नाटक के मंत्री एचके पाटिल ने कहा है शिवकुमार के खिलाफ जिस तरह चार्ज लगाया गया था और मामला सीबीआई को सौंपा गया था, वह कानूनन नहीं था। केस सीबीआई को सौंपने से पहले स्पीकर की मंजूरी लेना जरूरी नहीं समझा गया था।

कर्नाटक सरकार ने ये भी कहा कि सरकार ने पहले तत्कालीन महाधिवक्ता और वर्तमान महाधिवक्ता की राय ली थी। जिसके बाद शिवकुमार के खिलाफ केस को रद्द करने का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा गया। मंत्री एचके पाटिल ने बताया है कि हम नियमों के अनुसार चल रहे हैं, कैबिनेट के फैसले के बाद अगले कुछ दिनों में प्रशासनिक मंजूरी सामने आ जाएगी।

बता दें कि अक्टूबर महीने में कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में हाईकोर्ट से झटका लगा था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग वाली डीके शिवकुमार की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सीबीआई को तीन महीने जांच पूरी करने का आदेश दिया था। इससे पहले कोर्ट ने जांच पर अंतरिम रोक लगाई थी। जिसे कोर्ट ने बाद में हटा दिया था। इसके बाद इस मामले में डीके शिवकुमार की मुश्किलें बढ़ गई थीं।

डीपफेक के इस्तेमाल पर सरकार सख्त, सोशल मीडिया प्‍लेटफार्मों को दिया 7 दिन का समय

#rajeev_chandrasekhar_7_day_deadline_for_social_media_platforms

सोशल मीडिया पर एक के बाद एक डीपफेक वीडियो आने के बाद सरकार इस मामले में एक्शन मोड में आ गई है। केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि केंद्र सरकार जल्द ही ऐसी सामग्री के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करेगी।राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय एक वेबसाइट विकसित करेगा। जिस पर यूजर्स आईटी नियम के उल्लंघन के बारे में अपनी चिंताओं को भेज सकते हैं।सोशल मीडिया कंपनियों से मुलाकात के बाद राजीव चंद्रशेखर ने ये बयान दिया है। 

चंद्रशेखर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के साथ बैठक के बाद मीडिया से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, आज से आईटी नियमों के उल्लंघन पर जीरो टॉलरेंस है। मंत्री ने कहा, मध्यस्थ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी और यदि वे जानकारी का खुलासा करते हैं कि सामग्री कहां से शेयर हुई है तो उस शख्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी जिसने पोस्ट की है।उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपनी उपयोग की शर्तों को आईटी नियमों के अनुरूप करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है।

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के लिए एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें ऐसे कानूनी प्रावधानों को रेखांकित किया गया था, जो इस तरह के डीपफेक को कवर करते हैं और उनको बनाने व शेयर करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है।केंद्र सरकार ने कहा है कि डीपफेक के निर्माण और प्रसार पर 1 लाख रुपये का जुर्माना और तीन साल की जेल की कड़ी सजा का नियम है।

अब चीन के 'छक्के छुड़ाने' की तैयारी शुरू ! तीन मेगा प्रोजेक्ट में जुटी भारतीय वायुसेना, ताकत में होगा जबरदस्त इजाफा

 रक्षा क्षेत्र में भारत लगातार आत्मनिर्भर होता जा रहा है। कभी हथियार और रक्षा उपकरणों के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहने वाला भारत, अब दुनिया के लगभग 90 देशों को घर में बने हथियार बेच रहा है। साथ ही बॉर्डर से सटे दो दुश्मन देशों, चीन-पाकिस्तान की चुनौती को देखते हुए भारत लगातार अपनी सैन्य क्षमता में इजाफा कर रहा है। अब भारत अपनी सैन्य क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से तीन प्रमुख रक्षा परियोजनाओं को शुरू करने के लिए तैयार है। इन परियोजनाओं में एक विमान वाहक का निर्माण, 97 तेजस लड़ाकू विमानों का उत्पादन और 156 प्रचंड हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों का विकास शामिल है, जिनकी कुल लागत लगभग 1.4 लाख करोड़ रुपये है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में रक्षा परिषद ने 30 नवंबर को एक बैठक के दौरान "आवश्यकता की स्वीकृति (AON)" चरण में अपनी प्रारंभिक मंजूरी दे दी है।

तेजस लड़ाकू विमान परियोजना

प्रस्तावित रक्षा परियोजनाएं कैबिनेट समिति द्वारा आगे की मंजूरी के अधीन हैं। मंजूरी मिलते ही, वाणिज्यिक प्रक्रिया शुरू हो जाएगी, जिसमें संबंधित परियोजनाओं के लिए कंपनियों का चयन शामिल होगा। 97 तेजस 1ए लड़ाकू विमान के निर्माण की अनुमानित लागत लगभग 55 करोड़ रुपये है। गौरतलब है कि हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) पहले से ही तेजस लड़ाकू विमान बनाने में लगी हुई है और अतिरिक्त 83 मार्क 1ए विमान का ऑर्डर दिया गया है, जिसकी लागत करीब 47 हजार करोड़ रुपये है। इन 83 विमानों की डिलीवरी फरवरी 2024 से फरवरी 2028 तक निर्धारित है।

एयरक्राफ्ट करियर 

INS विक्रांत की तरह ही डिजाइन किए गए विमानवाहक पोत का निर्माण कोचीन शिपयार्ड में होगा, जिसकी अनुमानित लागत 40 हजार करोड़ रुपये होगी। वाहक के 8 से 10 वर्षों में पूरा होने का अनुमान है। नौसेना की रूसी मूल के INS विक्रमादित्य जैसा एक वाहक हासिल करने की भी योजना है। वर्तमान में रूस से खरीदे गए 40 मिग-29के जेट से सुसज्जित, भारतीय नौसेना DRDO के माध्यम से अपना स्वयं का डेक-आधारित लड़ाकू विमान विकसित करने पर काम कर रही है, जिसके लगभग एक दशक में बेड़े में शामिल होने की उम्मीद है।

लड़ाकू हेलीकाप्टर का निर्माण

विमानवाहक पोत और लड़ाकू विमानों के अलावा, सेना को 15 नए लड़ाकू हेलीकॉप्टर मिलने की तैयारी है। पिछले साल, पर्वतीय युद्ध के लिए डिज़ाइन किए गए 5.8-टन भारी हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता की पहचान की गई थी, जो 20 मिमी बंदूक, 70 मिमी रॉकेट प्रणाली और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को ले जाने में सक्षम थे। 1999 के संघर्ष के दौरान इस क्षमता को आवश्यक समझा गया था, लेकिन उसके बाद से कदम नहीं उठाए गए। दो परिचालन विमान वाहकों के साथ चीन तेजी से अपने वाहक बेड़े को आगे बढ़ा रहा है, उसने दो और वाहकों का निर्माण शुरू कर दिया है। यह महत्वपूर्ण रक्षा विस्तार विभिन्न मोर्चों पर अपनी सैन्य क्षमताओं और तैयारियों को बढ़ाने की भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

एक्टर प्रकाश राज को ईडी का समन, 100 करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में तलब, जानें क्या है पूरा मामला

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अभिनेता प्रकाश राज मुश्किलों में फंसते नजर आ रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय ने प्रकाश राज को समन जारी किया है। ईडी ने प्रणव ज्वैलर्स मनी लॉन्ड्रिंग केस में उन्हें तलब किया है। तमिलनाडु के त्रिची स्थित एक ज्वैलर्स ग्रुप के खिलाफ पोंजी घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रकाश राज को अगले सप्ताह चेन्नई में ईडी कार्यालय में पेश होने के लिए कहा है।ज्वैलर्स पर कार्रवाई के बाद अब ईडी ने प्रकाश राज को समन भेजकर तलब किया है।

ईडी ने तमिलनाडु के त्रिची स्थित प्रणव ज्वेलर्स के यहाँ 20 नवंबर को छापा मारा था। प्रणव ज्वेलर्स की एडवरटाइजिंग प्रकाश राज ही करते थे। पीएमएलए के तहत प्रणव ज्वैलर्स के यहाँ छापेमारी में एजेंसी को कई संदिग्ध दस्तावेज मिले। जिनमें संदिग्ध लेनदेन की जानकारी है। रेड में ईडी ने 23.70 लाख रुपए नकद एवं लेनदेन और 11.60 किलोग्राम सोने के गहने भी जब्त किए हैं।

जांच एजेंसी की तरफ से कहा गया था कि जनता से गोल्ड स्कीम के जरिए इक्कट्ठे किए गए 100 करोड़ रुपये प्रणव ज्वेलर्स के लोगों ने कई शेल कंपनियों के जरिए ठिकाने लगाए है। ईडी के मुताबिक जांच के दौरान पता चला है कि प्रणव ज्वेलर्स और उससे जुड़े लोगों ने धोखाधड़ी से हासिल किए इन पैसों को दूसरी शेल कंपनी में डायवर्ट कर दिया है।

प्रणव ज्वेलर्स ऐसे निवेशकों को राशि लौटाने में असफल रहा। ईडी की जांच में पता चला कि प्रणव ज्वैलर्स और अन्य जुड़े लोगों ने गुमराह कर जनता से धोखाधड़ी की। उन्‍होंने लोगों को गुमराह किया और प्रणव ज्‍वेलर्स ने अपने कई शोरूम रातोंरात बंद कर दिए थे। प्रणव ज्वेलर्स के चेन्नई समेत इरोड, नागरकोइल, मदुरै, कुंबकोणाम और पुदुच्चेरी के शोरूम में ऐसी स्‍कीम चलाई थी और लोगों ने बड़ी राशि निवेश की थी, लेकिन वे लोग बाद में ठगे गए।

प्रकाश राज इस प्रणव ज्वैलर्स के ब्रांड एम्बेसडर थे। कंपनी के विज्ञापनों में उन्हीं का चेहरा रहता था। जब प्रणव ज्वैलर्स की धोखाधड़ी का खुलासा हुआ तो प्रकाश राज ने चुप्पी साध ली। इसके बाद वे ईडी की रडार पर आ गए। अब प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें समन कर पूछताछ के लिए बुलाया गया है।

क्या है पोंजी स्कीम?

अब सवला उठतका है कि पोंजी स्कीम है क्या। यह ऐसी स्कीम होती हैं जिसमें ग्राहकों यानी निवेशकों को बिना किसी जोखिम के बड़ा मुनाफा देने का लालच दिया जाता है। जोखिम न होने के कारण लोग आसानी से ऐसी योजनाओं से जुड़ते हैं। कई मामलों में शुरुआती निवेशकों को कुछ रिटर्न देकर योजना को प्रचारित कराया जाता है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें। इनके रिटर्न को देखकर नए निवेशक इससे जुड़ते जाते हैं।

शॉर्ट्स में कैमरे के सामने जमकर नाची AAP की विधायक उम्मीदवार, वीडियो ने इंटरनेट पर मचाई सनसनी, पढ़िए, कैसे युजर्स दे रहे प्रतिक्रिया

मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट से आम आदमी पार्टी (AAP) की प्रत्याशी चाहत पांडेय का वीडियो सोशल मीडिया में जमकर वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो में आम आदमी पार्टी उम्मीदवार 'Simmba' फिल्म के गाने 'आंख मारे' पर शानदार डांस करती नजर आ रही हैं। 1 मिनट 6 सेकेंड के वायरल वीडियो में चाहत ने शानदार डांस किया है। हालांकि, यह वीडियो कब का है? इसकी खबर सामने नहीं आई है। 

आम आदमी पार्टी प्रत्याशी के इस वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर प्लेटफॉर्म पर मिली जुली प्रतिक्रियाएं आ रही है। कोई चाहत के पक्ष में तर्क दे रहा है तो किसी ने उनके इस वीडियो की निंदा की है। कुछ इंटरनेट उपयोगकर्ताओं का कहना है कि राजनीति में कदम रखने से पहले चाहत पांडे छोटे पर्दे की अभिनेत्री रही हैं, इसलिए डांस करने और वीडियो शेयर करने में क्या ही परेशानी है? जबकि दूसरे पक्ष का कहना है कि सार्वजनिक जीवन में यह सही नहीं है। 

दरअसल, अभिनेत्री चाहत पांडेय ने कई टेलीविज़न धारावाहिकों में काम किया है। उन्होंने 17 वर्ष की उम्र में टेलीविज़न शो पवित्र बंधन से अपने अभिनय करियर की शुरुआत की थी। वह तेनालीरामन, राधा कृष्णन, सावधान इंडिया, नागिन-2, दुर्गा-माता की छाया, अलादीन और क्राइम पेट्रोल समेत कई सीरियल में दिखाई दे चुकी हैं। वह फिलहाल टेलीविज़न शो ' नथ जेवर या जंजीर' में महुआ की भूमिका निभा रही हैं। बता दे कि मध्य प्रदेश के दमोह की ही रहने वाली टीवी एक्ट्रेस चाहत पांडेय ने इसी वर्ष जून माह में आम आदमी पार्टी ज्वॉइन की थी। पार्टी ने चाहत को दमोह से ही भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता जयंत मलैया के सामने चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं, कांग्रेस से मौजूदा MLA अजय टंडन भी इस त्रिकोणीय मुकाबले में सम्मिलित हैं।