उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में डेढ़ साल में सात हजार वॉटर बॉडीज का करेंगे कायाकल्प
लखनऊ। शहरों में जल सुरक्षित नहीं, तब तक शहर सुरक्षित नहीं है। इसलिए जरूरी है कि हम पानी की बूंद-बूंद का महत्व समझें और पूर्वजों के बनाये गये जल स्त्रोतों को हर हाल में संरक्षित करें। यह बात मुख्य सचिव श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने जल निकायों के संरक्षण, संवर्धन एवं जीर्णोद्धार के सम्बंध में इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित एक दिवसीय मण्डल स्तरीय कार्यशाला में कही। इस दौरान कार्यशाला में मुख्य प्रस्तोता के रूप में उपस्थित लेकमैन आॅफ इंडिया आनंद मल्लिगवाड़ द्वारा प्रदेश के 75 जनपदों में डेढ़ साल में सात हजार वॉटर बॉडीज को पुनर्जीवित करने का संकल्प लिया गया।
मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने अपने संबोधन में समस्त अधिकारियों तथा कर्मचारियों को जल बचाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग प्राकृतिक के साथ जुड़े हुए हैं। अभी हाल ही में आस्था के पर्व छठ पूजा में जल और सूर्य देवता को पूजा गया। सभी धार्मिक स्थलों पर जल का उपयोग किया जाता है, इसलिए हमें आस्था के इसी भाव से जल का आदर करना चाहिए। उन्होंने जल संरक्षण के विषय पर कहा कि व्यर्थ पानी न बहाएं और जरूरत के हिसाब से प्रयोग करें। भूजल को रिचार्ज करने के लिए सबसे अच्छा समय बरसात का है।
इस समय बारिश की एक-एक बूंद को संरक्षित कर सकते हैं। लोगों के घरों के छत पर जल संचय कर भू-जल को रिचार्ज करना है ताकि जमीन का जलस्तर बरकरार रह सके तथा पेयजल की समस्या उत्पन्न न हो। उन्होंने कहा कि देश में जल को बचाने में प्रत्येक व्यक्ति को अपना योगदान देना होगा। आज भारत ही नहीं विश्व के अनेक देश पानी की किल्लत को झेल रहे हैं। आने वाले समय में पानी का संकट पूरे विश्व के लिए घातक समस्या बनता जा रहा है। बरसात के पानी को किस प्रकार से बचाकर हम प्रयोग में ला सकते हैं। पानी के बेवजह इस्तेमाल को रोकना चाहिए। आज जल बचाने की मुहिम भविष्य के लिए लाभदायक रहेगी। अगली पीढ़ी जल की त्रासदी से बच सकेगी।
उन्होंने वहीं, ग्राम्य विकास विभाग के आयुक्त जीएस प्रियदर्शी ने कहा कि नदियों का पुनर्जीवन करना एक बहुत बड़ा और पवित्र काम है। अब तक 22 नदियों को पुनर्जीवित किया जा चुका है। इसके अलावा करीब 75 नदियां ऐसी हैं, जिनको पुनर्जीवित करके उसके आस-पास पेड़-पौधे लगाकर पर्यावरण को व्यवस्थित किया गया है। इस क्रम में मण्डलायुक्त, लखनऊ डॉ रोशन जैकब ने कहा कि मण्डल स्तर पर तालाबों और झीलों के संरक्षण का काम तेजी से चल रहा है। इस क्रम में वॉटर बॉडीज की मैपिंग भी करवायी गयी है। उन्होंने कहा कि लखनऊ जनपद के प्रत्येक तालाब का मैपिंग कराया गया है। झीलों व तालाबों में उप जिलाधिकारी/सम्बन्धित अधिकारी द्वारा अवैध कब्जा मुक्त कराया जा चुका है। उन्होंने कहा लखनऊ मण्डल में पूरा वाटर वाडी है। आज की जो आधुनिक तकनीक है, उसका प्रयोग करते हुये कार्य करना है। कार्यक्रम में लेकमैन आॅफ इंडिया आनंद मल्लिगवाड़ द्वारा कम समय और कम खर्च में नैसर्गिक तरीके से तालाबों और झीलों को पुनर्जीवित करने का मंत्र दिया गया।
उन्होंने जल संरक्षण को लेकर किये जा रहे कार्यों का प्रजेन्टेशन देते हुए कहा कि हमें प्राकृतिक तरीके से तालाबों और झीलों का संरक्षण करना है। इससे जल निकायों के साथ ही पर्यावरण भी संरक्षित होगा और प्रदेश में ईको टूरिज्म बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि कुकरैल नाले के उद्गम स्थल ग्राम अस्ती से आगे चल पांच तालाबों को आधुनिक तकनीक से विकसित करने की आवश्यकता है। लखनऊ जिले के सभी तहसीलों के प्रत्येक गांव के दो-दो तालाब विकसित किये जाये।
अमृत सरोवरों के छोटे-छोटे तालाबों पर काम किया गया है, उन्हें भी नई तकनीक से जोड़े, पक्के ईंटों का काम न करें, पब्लिक की सुविधा के अनुसार सरोवरों के किनारे सौन्दर्यीकरण का काम तेजी से किया जाये। उन्होंने कहा कि मण्डल के अन्य जनपदों खीरी, सीतापुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली में आधुनिक तकनीक के आधार पर तालाबों को विकसित किया जाये।
कार्यक्रम में अपर मुख्य सचिव नितिन रमेश गोकर्ण व लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ0 इन्द्रमणि त्रिपाठी समेत अन्य अधिकारी व विशेषज्ञ उपस्थित रहे।
Nov 24 2023, 08:42