प्रदूषण की गंभीर मार झेल रही दिल्ली में अब Ola-Uber कैब को लेकर केजरीवाल सरकार ने किया ये बड़ा ऐलान, पढ़िए, खबर

 दिल्ली-NCR प्रदूषण की मार झेल रहा है। प्रदूषण की परेशानी से निपटने के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार प्रतिदिन नए-नए फैसले ले रही है। अब दिल्ली सरकार ने दूसरे प्रदेशों में पंजीकृत Uber OLA सहित अन्य ऐप आधारित कैब की दिल्ली में एंट्री पर रोक लगा दी है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने ये घोषणा की है। केजरीवाल सरकार के इस फैसले के पश्चात् दिल्ली में पंजीकरण वाली यानी केवल DL नंबर वाली ऐप आधारित कैब ही चलेंगी। गोपाल राय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर ऐप आधारित दिल्ली से बाहर की पंजीकरण वाली गाड़ियों पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया है।

दिल्ली सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण के मद्देजनर विंटर वेकेशन की घोषणा कर दी है। सभी विद्यालयों में 09 नवंबर से 18 नवंबर तक विंटर ब्रेक यानी सर्दी की छुट्टियां घोषित की गई हैं। इससे पहले वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली सरकार ने विद्यालयों में 10 नवंबर तक फिजिकल क्लासेस बंद करके ऑनलाइन क्लासेस पर शिफ्ट कर दिया है। सर्दियों की छुट्टियों की घोषणा के पश्चात् अब राष्ट्रीय राजधानी में 18 नवंबर तक स्कूल बंद रहेंगे।

दिल्ली-NCR में लोग प्रदूषण की मार झेल रहे हैं। बढ़ते प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में परेशानी, आंखों में जलन एवं एलर्जी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने इस पर नियंत्रण पाने के लिए तमाम कदम उठा रही है। मगर अब तक ये नाकाफी साबित हो रहे हैं। हवा की गुणवत्ता 'गंभीर' श्रेणी में बनी हुई है। ऐसे में केजरीवाल सरकार ने बीते दिनों अपने 7 वर्ष पुराने ऑड ईवन फॉर्मूले को 13 नवंबर से लागू करने की घोषणा की है।

किस दिन कौन सी गाड़ी चलेगी

- Odd नंबर वाली कारें यानी जिन कारों के नंबर के अंतिम का अंक (1, 3, 5, 7, 9 है)- 13, 15, 17, 19 नवंबर को चलेंगी।

- Even नंबर वाली कारें, यानी जिन कारों के नंबर के अंतिम का अंक (0, 2, 4, 6, 8, 0)- 14, 16, 18, 20 नवंबर को चलेंगी।

'सनातन धर्म को ख़त्म करेंगे..', DMK नेताओं पर एक्शन नहीं लेने पर भड़की मद्रास हाई कोर्ट, जमकर की पुलिस की खिंचाई

 मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को "विभाजनकारी प्रवृत्ति" वाली टिप्पणियों के खतरे का एहसास होना चाहिए। कोर्ट ने सनातन धर्म विरोधी बैठक में भाग लेने वाले कुछ सत्तारूढ़ द्रमुक मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने में कथित विफलता के लिए पुलिस की खिंचाई की। यह बैठक सितंबर में तमिलनाडु में की गई थी। न्यायमूर्ति जी जयचंद्रन ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को नशीली दवाओं और अन्य सामाजिक बुराइयों को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

न्यायाधीश ने मगेश कार्तिकेयन द्वारा दायर एक याचिका को खारिज करते हुए हालिया आदेश में ये टिप्पणियां कीं, जिन्होंने पुलिस को "द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने और तमिलों के समन्वय के लिए सम्मेलन" करने की अनुमति देने के लिए पुलिस को निर्देश देने की मांग की थी। यह याचिका सितंबर में यहां आयोजित "सनातन धर्म उन्मूलन सम्मेलन" के मद्देनजर दायर की गई थी, जिसमें DMK नेता और टीएन युवा कल्याण और खेल विकास मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने भाग लिया था और सनातन धर्म के खिलाफ कुछ कथित टिप्पणियां की थीं, जिसने एक बड़ा विवाद पैदा कर दिया था। राज्य मंत्री पीके शेखर बाबू भी बैठक में शामिल हुए थे।

सत्तारूढ़ दल DMK के सदस्यों और सनातन धर्म विरोधी सम्मेलन में भाग लेने वाले मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफलता के लिए पुलिस की खिंचाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि सत्ता में बैठे लोगों को विभाजनकारी प्रवृत्ति वाले भाषण के खतरे का एहसास होना चाहिए और जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए। ऐसे विचारों का प्रचार करने से खुद को रोकें जो विचारधारा, जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांटेंगे।” न्यायाधीश ने कहा, "इसके बजाय वे नशीले पेय और नशीली दवाओं के के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जो स्वास्थ्य, भ्रष्टाचार, अस्पृश्यता और अन्य सामाजिक बुराई के लिए हानिकारक हैं।"

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने अभ्यावेदन में 2 सितंबर, 2023 को यहां कामराजार अरंगम में आयोजित सनातन विरोधी बैठक का उल्लेख किया था, जिसका शीर्षक था "सनातन ओझिप्पु मानाडु"। उसी का हवाला देते हुए वह द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने और तमिलों के समन्वय के नाम पर एक बैठक करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पहले इस विषय पर बैठक आयोजित करने पर विचार करने का कोई आदेश पारित नहीं किया था।

न्यायाधीश ने कहा कि कोई भी अदालत से यह उम्मीद नहीं कर सकता कि वह जनता के बीच दुर्भावना पैदा करने वाले विचारों का प्रचार करने में उनकी सहायता करेगी। सत्तारूढ़ दल (द्रमुक) के कुछ सदस्यों और मंत्रियों ने सनातन धर्म को खत्म करने के लिए आयोजित बैठक में भाग लिया और पुलिस द्वारा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जो पुलिस की ओर से कर्तव्य में लापरवाही थी। सनातन धर्म को खत्म करने के लिए भड़काऊ भाषण देने वालों पर कार्रवाई करने में पुलिस विफल रही, तो अब द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने के लिए बैठक आयोजित कर इसका मुकाबला करने की अनुमति मांगी जा रही है।

जज ने कहा कि, "यदि याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार कर लिया जाता है, तो इससे जनता की शांति और सौहार्द में और अधिक व्यवधान पैदा होगा, जो पहले से ही पद की शपथ लेने वाले व्यक्तियों के समर्थन में कुछ सीमांत समूहों के तरीकों से तंग आ चुके हैं। यह न्यायालय याचिकाकर्ता को द्रविड़ विचारधारा को खत्म करने के लिए एक सम्मेलन आयोजित करने की अनुमति देकर ऐसा नहीं कर सकता।" न्यायाधीश ने आगे कहा कि जहां तक ​​वर्तमान याचिका का सवाल है, अदालत ने पाया है कि रिट याचिका में पारित पिछला आदेश द्रविड़ विचारधारा के बारे में विचार व्यक्त करने के संबंध में था। जबकि, वर्तमान प्रतिनिधित्व, पिछले आदेश पर नाराजगी जताते हुए "सनातन ओझिप्पु मनाडु" के बैनर तले आयोजित बैठक का विरोध करना चाहता है। 

न्यायाधीश ने कहा कि, याचिकाकर्ता का दावा है कि ऐसी बैठक करना मौलिक अधिकार है। लेकिन यह न्यायालय इस दृष्टिकोण से सहमत नहीं हो सकता है। इस देश में किसी भी व्यक्ति को विभाजनकारी विचारों को प्रचारित करने और किसी भी विचारधारा को ख़त्म करने के लिए बैठक करने का अधिकार नहीं हो सकता है। कई और विभिन्न विचारधाराओं का सह-अस्तित्व इस देश की पहचान है। 

 उदयनिधि स्टालिन का बयान

डीएमके नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन बीते दिनों अपनी उस टिप्पणी के लिए सवालों के घेरे में आ गए थे, जिसमें उन्होंने 'सनातन धर्म' की तुलना 'मलेरिया' और 'डेंगू' जैसी बीमारियों से की थी और इसे समूल नष्ट करने की वकालत की थी। इससे न केवल एक बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया, बल्कि उदयनिधि के खिलाफ कई आपराधिक शिकायतें भी दर्ज की गईं और साथ ही उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं भी दायर की गईं।  

वहीं, कुछ कांग्रेस नेताओं ने भी उदयनिधि स्टालिन के बयान का समर्थन किया था, जिसमे कार्ति चिदंबरम, लक्ष्मी रामचंद्रन और कांग्रेस सुप्रीमो मल्लिकर्जुन खड़गे के बेटे एवं कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे का नाम भी शामिल है। जिसके चलते उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले में उदयनिधि और उनके समर्थक कांग्रेस नेता प्रियांक खड़गे के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। बता दें कि, अपने बयान के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन के बावजूद उदयनिधि स्टालिन लगातार माफी मांगने से इनकार करते रहे हैं। हालाँकि, विवाद बढ़ने के बाद उदयनिधि ने डैमेज कण्ट्रोल करते हुए कहा था कि, उन्होंने जातिवाद ख़त्म करने की बात कही थी। जातिवाद मिटाने की बात प्रधानमंत्री मोदी, बसपा सुप्रीमो मायावती समेत कई दलों के कई नेता करते रहे हैं, इसे समाज सुधार की कोशिश के रूप में देखा जाता है और कोई विवाद नहीं होता, लेकिन जब पूरे धर्म का ही नाश करने की बात की जाए और नेतागण उसका समर्थन भी करें, तो ये निश्चित ही नफरत फ़ैलाने वाली बात है। यही कारण है कि, कई पूर्व जजों, आईएएस अधिकारीयों (262 गणमान्य नागरिकों) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर उदयनिधि के बयान पर स्वतः संज्ञान लेने और कार्रवाई करने का आग्रह किया था। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान तो नहीं लिया, याचिका दाखिल किए जाने के बाद भी हाई कोर्ट जाने को कहा, लेकिन अंततः अदालत सुनवाई के लिए राजी हुई और उदयनिधि को नोटिस जारी किया। 

 कुछ समय पहले इसी तरह का एक मामला सामने आया था। जब भगवान शिव का अपमान सुनकर पलटवार के रूप में भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगम्बर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी कर दी थी, जिसका वीडियो मोहम्मद ज़ुबैर ने सोशल मीडिया पर फैलाया था। ​लेकिन, ज़ुबैर ने अपने एडिटेड वीडियो में केवल नूपुर का बयान शामिल किया था, उसके पहले शिव के अपमान वाली बात उसने काट दी थी। जिससे पता चलता कि, पहले हिन्दू देवता का अपमान हुआ, जिसके जवाब में पैगम्बर पर बयान दिया गया। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने भी 'केवल' नूपुर को ही जिम्मेदार माना था, शिवलिंग को प्राइवेट पार्ट कहने वाले मौलाना अब भी टीवी डिबेट में आते रहते हैं, किन्तु नूपुर गुमनाम जिंदगी जीने को मजबूर है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि, यदि किसी दूसरे धर्म को खत्म करने की बात कही गई होती, तो क्या यही होता, जो उदयनिधि वाले मामले में हो रहा है ? क्योंकि, जातिवाद तो हर धर्म में है, इस्लाम में भी 72 फिरके हैं, जिनमे से कई एक-दूसरे के विरोधी हैं, तो ईसाईयों में प्रोटेस्टेंट- केथलिक, पेंटिकोस्टल, यहोवा साक्षी में विरोध है। तो क्या समाज सुधारने के लिए उदयनिधि, इन धर्मों को पूरी तरह ख़त्म करने की बात कह सकते हैं ? या फिर दुनिया में एकमात्र धर्म जो वसुधैव कुटुंबकम (पूरा विश्व एक परिवार है), सर्वे भवन्तु सुखिनः (सभी सुखी रहें) जैसे सिद्धांतों पर चलता है, जो पूरी दृढ़ता के साथ यह मानता है कि, ईश्वर एक है और सभी लोग उसे भिन्न-भिन्न रूप में पूजते हैं, उस सनातन को ही निशाना बनाएंगे ?

नीतीश कुमार का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने साधा निशाना, बोले-कोई शर्म नहीं, कितना नीचे गिरोगे

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जनसंख्या नियंत्रण पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के बयान पर सियासत गरमा गई है। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इशारों-इशारों में नीतीश पर निशाना साधा है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को मध्य प्रदेश के गुना में एक चुनावी रैली के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर उनका बिना नाम लिए निशाना साधा।साथ ही विपक्षी गठबंधन इंडिया को भी लपेटे में ले लिया। 

गुना में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि घमंडिया गठबंधन के एक बहुत बड़े नेता, जो INDI गठबंधन का झंडा लेकर देशभर में घूम रहे हैं। उन्होंने विधानसभा के अंदर भद्दी बातें की। उस वक्त वहां माताएं-बहनें मौजूद थीं।इंडी गठबंधन का कोई भी नेता उनके खिलाफ कुछ बोलने को तैयार नहीं हुआ है।पीएम ने कहा कि नीतीश कुमार के इस मुद्दे पर विपक्षी गठबंधन नेता क्यों चुप हैं? 

पीएम मोदी ने आगे कहा कि ऐसे लोग आपका भला नहीं कर सकते हैं। क्या वह आपका सम्मान कर सकते हैं? कैसा दुर्भाग्य आया है देश का? कितने नीचे गिरोगे? दुनिया में देश की बेइज्जती करा रहे हो। मेरी माताएं-बहनें आपके सम्मान में जो कुछ मुझसे हो सकेगा, पीछे नहीं हटूंगा।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर भी हमले बोले, उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास भविष्य के लिए सोचने की क्षमता नहीं बची है। वह आज के युवाओं के लिए कुछ कर सकती है और न ही आने वाली पीढ़ियों के लिए। बीजेपी की योजनाओं का जिक्र करते हुए पीएम ने कहा कि स्वयं सहायता समूह के माध्यम से पार्टी ने ग्रामीण इलाकों में रहने वाली बहनों को आर्थिक तौर पर मजबूत किया है।

पीएम मोदी ने कहा कि आपकी तपस्या बेकार नहीं जाएगी। हम विकास कर इसे लौटाएंगे। यह एक लक्ष्य को लेकर है। उन्होंने कहा कि एमपी में आज डबल इंजन की सरकार है। दूसरी तरफ डबल डैंजर लोग हैं। यहां की बीजेपी सरकार केंद्र की योजनाएं तेज गति से जमीन पर उतार रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार हर योजना में रोड़े अटकाती है। डबल इंजन की सरकार बनने के बाद एमपी की सरकार ने असल तेजी पकड़ी है। एमपी की अर्थव्यवस्था का तेजी से विस्तार हो रहा है। यहां के लोगों की कमाई तेजी से बढ़ रही है। बीजेपी की सरकार यहां बहुत आवश्यक है।

दिल्ली में अभी ठंड शुरू नहीं हुई पर स्कूलों में “विंटर विकेशन”, प्रदूषण के कारण 9 से 18 नवंबर तक बढ़ाई गई छुट्टियां

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बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए दिल्ली सरकार ने बड़ा फैसला किया है। राष्ट्रीय राजधानी में गंभीर वायु प्रदूषण के बीच दिल्ली सरकार ने 9 से 18 नवंबर तक सभी स्कूलों में “विंटर विकेशन” घोषित किया है। दिल्ली सरकार ने स्कूलों को सर्दी की छुट्टी अभी घोषित करने का निर्देश दिया है।जबकि ठंड अभी शुरू हो ही रही है।बता दें कि दिल्ली में सर्दी काफी पड़ती है। ऐसे में स्कूलों में दिसंबर-जनवरी में विंटर ब्रेक दिया जाता है। जो इस साल नवंबर में ही दे दिया गया है।

प्रदूषण के चलते दिल्ली में सभी स्कूलों को औपचारिक आदेश जारी किया गया है। दिल्ली में प्रदूषण के चलते 10वी और 12वी को छोड़ सभी स्कूलों की सभी क्लास ऑनलाइन चल रहे हैं। ऐसे में प्रदूषण के चलते जो स्कूल बंद करने पड़े हैं, उससे कहीं बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो इसलिए इन छुट्टियों को विंटर ब्रेक के साथ एडजस्ट किया जा रहा है। 

स्कूलों की छुट्टियां बढ़ाने की घोषणा करते हुए कहा गया है कि प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ा हुआ है, इसलिए इस बार शीतकालीन अवकाश पहले लिया जा रहा है। अब 12वीं तक के सभी स्कूल 18 नवंबर तक बंद रहेंगे। 19 नवंबर 2023 को रविवार है ऐसे में स्कूलों की छुट्टियां 19 नवंबर तक रहेंगी। इससे पहले प्रदूषण को देखते हुए 10वीं और 12वीं को छोड़कर 10 नवंबर तक छुट्टी की घोषणा की गई थी।बता दें कि कुछ दिन पहले दिल्ली सचिवालय में सीएम अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में हाई लेवल मीटिंग की गई थी, जिसमें 10 नवंबर तक 11वीं तक के सभी स्कूलों को बंद करने का निर्देश दिया था।

प्रदूषण के कारण स्कूल में विंटर ब्रेक के नाम से छुट्टी दी गई है। ऐसे में यह भी सवाल है कि क्या हर साल दिसंबर के आखिर में मिलने वाला विंटर ब्रेक इस बार स्कूलों में नहीं रहेगा। दिल्ली में दिसंबर के आखिरी हफ्ते से जनवरी के दूसरे हफ्ते तक मौसम काफी सर्द होता है। ऐसे में विंटर ब्रेक को लेकर भी सस्पेंस बना हुआ है।

जनसंख्या नियंत्रण पर बयान देकर बुरे फंसे नीतीश कुमार, राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष ने लिया आड़े हाथ, बोलीं- C ग्रेड फिल्मों वाले डायलॉग

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विधानसभा में जातीय जनगणना और जनसंख्या नियंत्रण के मुद्दे पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार टिप्पणी करने के बाद विवादों में घिर गए हैं। विधानसभा में नीतीश कुमार बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने बताया कि महिलाओं की शिक्षा जनसंख्या नियंत्रण में कैसे योगदान देती है। नीतीश कुमार की महिलाओं को लेकर की गई टिप्पणी को पर राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा भड़क गईं हैं।रेखा शर्मा ने नीतीश कुमार के बयान की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि ऐसी टिप्पणियां महिलाओं के अधिकारों के प्रति बेहद असंवेदनशील भी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री को इन बेहद आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए देश भर की महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए। 

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एनसीडब्ल्यू प्रमुख रेखा शर्मा ने बिहार के मुख्यमंत्री से तत्काल माफी मांगने की मांग की।रेखा शर्मा ने सोशल साइट एक्स पर लिखा कि एनसीडब्ल्यू इस देश की प्रत्येक महिला की ओर से सीएम नीतीश कुमार से तत्काल माफी की मांग करता है। विधानसभा में उनकी अमर्यादित टिप्पणी उस गरिमा और सम्मान का अपमान है जिसकी हर महिला हकदार है। उनके भाषण के दौरान इस्तेमाल की गई ऐसी अपमानजनक और घटिया भाषा हमारे समाज पर एक काला धब्बा है। हम इस तरह के व्यवहार के खिलाफ मजबूती से खड़े हैं और पूरे मामले को लेकर जवाबदेही की मांग करते हैं।

नीतीश सरकार के खराब दिन शुरू हो गए-रेखा शर्मा

राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन रेखा शर्मा ने कहा कि नीतीश कुमार की बातें C ग्रेड फिल्मों वाले डायलॉग की तरह थीं। अगर उनको नॉलेज देनी थी, तो और भी कई तरीके है जिससे वो अपनी बात रख सकते थे। हमे मालूम है कि कौरवों ने जब द्रोपदी का अपमान किया था, कौरवों की बर्बादी वही से शुरू हुई थी। मुझे लगता है कि बिहार में भी नीतीश सरकार के खराब दिन शुरू हो गए हैं। 

विपक्ष को भी विधानसभा से वाक आउट करना चाहिए था-रेखा शर्मा

रेखा शर्मा ने कहा कि स्पीकर ने अब तक उनके शब्द हटाए नहीं है, मीडिया में उनके बयान चल रहे हैं। रेखा शर्मा ने विपक्ष को भी विधानसभा से वाक आउट करना चाहिए था। उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। 

नीतीश कुमार ने मांगी माफी

इधर बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने मंगलवार को दिए गए अपने बयानों को लेकर माफी मांग ली है। उन्होंने कहा, अगर मेरी कोई बात गलत थी तो मैं माफी मांगता हूं, जो लोग मेरी निंदा कर रहे है उनकी मैं अभिनंदन करता हूं। बिहार में हमने बड़ा काम किया है। लेकिन हम महिलाओं के उत्थान के लिये काम कर रहे हैं। उसके बाद विधानसभा के अंदर गये सीएम ने कहा, मैं मेरे बयानों को वापस लेता हूं। मैंने जो कहा है मैं उसके लिए माफी मांगता हूं।

कम नहीं हो रही टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें, अब एक्‍स बॉयफ्रेंड जय अनंत ने दर्ज कराई एक और शिकायत

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तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ती ही जा रही है। पहले से ही एथिक्स कमेटी की जांच का सामना कर रही मोइत्रा के खिलाफ एक और शिकायत दर्ज कराई गई है।अब उनके पूर्व बॉयफ्रेंड एडवोकेट जय अनंत देहाद्राई ने उनके खिलाफ एक और शिकायत दर्ज कराई है। जय अनंत ने अपनी शिकायत में कहा है कि महुआ मोइत्रा जबरन उनके घर में घुस गईं और घर पर मौजूद स्टाफ को धमकाते हुए उनसे बदसलूकी की।बता दें कि जय अनंत ने ही आरोप लगाए थे कि महुआ मोइत्रा पैसे लेकर संसद में सवाल पूछती हैं।

एडवोकेट जय अनंत देहाद्राई दिल्ली पुलिस को लिखित शिकायत की है। अपनी शिकायत में जय अनंत ने कहा है कि महुआ मोइत्रा 5 और 6 नवंबर को बिना बताए उनके घर आई थीं। उनके अनुसार, इस बात की पूरी संभावना है कि मोइत्रा जानबूझकर मेरे खिलाफ और धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज करने के एकमात्र उद्देश्य से घर आई हों।अपनी शिकायत में देहाद्राई ने आगे कहा है, 'उनका मेरे घर में आना चिंता का गंभीर कारण है। इसने मेरे कर्मचारियों को डरा दिया है। यह एक महत्वपूर्ण सवाल भी उठाता है कि कोई व्यक्ति जिसने मेरे साथ कड़वे अतीत का दावा किया है वह जानबूझकर मेरे आवास पर क्यों आएगा - वह भी लगातार और लगातार दो दिन।

बता दें कि महुआ मोइत्रा और जय अनंत पहले लिव रिलेशनशिप में रह रहे थे। अब दोनों अलग हो चुके हैं। दोनों के अलग होने के बाद से उनके बीच रिश्ते कथित तौर पर अच्छे नहीं रहे। मोइत्रा और देहाद्रई के बीच मनमुटाव का कारण उनका पालतू कुत्ता हेनरी बताया जाता है।दोनों ने एक दूसरे पर हेनरी को 'चोरी' करने का आरोप लगाया है। मोइत्रा और देहाद्रई हेनरी की कस्टडी के लिए अदालत में कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। फिलहाल ये कुत्ता मोइत्रा के पास है।

गौरतलब हो कि जय अनंत की शिकायत के बाद ही महुआ मोइत्रा के खिलाफ जांच हो रही है। जय अनंत का आरोप था कि महुआ मोइत्रा कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से पैसे और महंगे गिफ्ट लेकर उनके हित में संसद में सवाल पूछती रही हैं।

इजराइल-हमास युद्ध को लेकर संयुक्त राष्ट्र सचिव ने जताया दुख, बोले- गाजा बन रहा बच्चों की कब्रगाह

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इजराइल-हमास में एक महीने से ज्यादा दिनों से जंग जारी है। इस युद्ध में 11 हजार से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इजराइल हमास के ठिकानों पर लगातार हमला बोल रहा है जिसकी वजह से गाजा पट्टी में भारी तबाही देखने को मिल रहे हैं। अब इस पूरे मामले पर संयुक्त राष्ट्र संध ने बड़ा बयान दिया है।संयुक्त राष्ट्र ने कठोर लहजे में कहा कि गाजा पट्टी बच्चों का कब्रिस्तान बन गई है इसलिए जितनी जल्दी हो सके, इस युद्ध को रोका जाना चाहिए।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि गाजा के हालात मानवीय संकट से कहीं ऊपर हैं। यह मानवता के लिए संकट है। एंटोनियो गुटेरेस ने कहा कि गाजा में हर गुजरते घंटे के साथ युद्ध विराम की जरूरत और जरूरी होती जा रही है।उन्होंने कहा कि संघर्ष के पक्ष और वास्तव में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय एक तत्काल और मौलिक जिम्मेदारी का सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, जंग में दोनों पक्षों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मौलिक जिम्मेदारियां निभानी पड़ती हैं। संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि जंग की शुरूआत से फिलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए काम करने वाले संयुक्त राष्ट्र राहत और कार्य एजेंसी (यूएनआरडब्ल्यूए) के 89 कर्मचारी मारे गए हैं।उन्होंने सोमवार रात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा, 'हमारे संगठन के इतिहास में हाल के हफ्तों में सबसे अधिक संयुक्त राष्ट्र की सहायता करने वाले कार्यकर्ता मारे गए हैं।

जानकारी के लिए बता दें कि, इजराइल के हवाई हमले की वजह से गाजा में भारी तबाही देखने को मिल रहे हैं। इसी मसले पर एंटोनिया गुटेरेस ने अमेरिका के न्यूर्याक में एक मीडिया से बातचीत की है और इस पर चिंता जाहिर की है। गाजा में केवल 10 हजार से अधिक लोगों की मौत हुई है जबकि हमास के हमले की वजह से इजराइल में 1500 से ज्यादा लोगों ने इस जंग में अपनी सांसे खोई है।

केदारनाथ धाम में मिले राहुल और वरुण गांधी, दोनों भाईयों की मुलाकात के बाद तेज हुईं अटकलें, जानें क्या हैं इसके सियासी मायने

#varun_gandhi_met_cousin_rahul_gandhi_in_kedarnath 

राजनीति में मुलाकातों के मायने काफी गहरें होतें हैं। यूं ही कोई किसी के लिए वक्त नहीं निकालता। सियासी गलियारों में अचानक किसी से टकरा जाना भी राई का पहाड़ हो जाता है। ऐसे हालात में जब दो भाई सालों बाद एक दूसरे से मिले तो खबर तो बनती है। खबर और अहम तब हो जाती है, जब दोनों में किसी का राजनीतिक जीवन हिचकोले खा रहा है। हम बता कर रहे हैं, राहुल गांधी और उनके भाई वरूण गांधी की मुलाकात की। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और वरुण गांधी के बीच केदारनाथ मंदिर में मुलाकात हुई। इसके बाद से एक बार फिर वरुण गांधी के कांग्रेस में जाने की अटकलें तेज हो गई हैं। ये कयास इसलिए भी लग रहे हैं क्योंकि पिछले काफी समय से वरुण गांधी भाजपा के खिलाफ आलोचनात्मक रुख अपना रहे हैं। इससे पहले भी वह कई मौकों पर पार्टीलाइन से अलग बयान दे चुके हैं।

भारत के पवित्र केदारनाथ धाम में मंगलवार को गांधी-नेहरू खानदान के उत्तराधिकारियों राहुल गांधी और वरुण गांधी के बीच मुलाकात की हुई। बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी बीते कुछ दिनों से केदरानाथ धाम गए हुए थे। आज सुबह उनके चचेरे भाई वरुण गांधी भी भगवान के दर्शन के लिए पहुंचे।इस दौरान राहुल गांधी ने अपने चचेरे भाई और भाजपा सांसद वरुण गांधी से संक्षिप्त मुलाकात की। केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेंद्र अजय ने पुष्टि की है कि दोनों भाईयों की मुलाकात वीआईपी हेलीपैड के रास्ते में मुख्य पुजारी निवास में हुई। विरोधी दलों से ताल्लुक रखने वाले दोनों चचेरे भाइयों की मुलाकात बहुत छोटी और गर्मजोशी भरी थी। बताया जा रहा है कि राहुल गांधी इस दौरान वरुण की बेटी अनुसूइया से मिलकर बहुत खुश हुए।

वरुण गांधी का परिवार के साथ केदारनाथ धाम दर्शन का पहले से ही कार्यक्रम बना हुआ था। मंगलवार की सुबह वरुण, यामिनी और अनसूया दर्शन करके वहां से निकल ही रहे थे कि इसी दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी वहां पहुंचे। आमना-सामना हुआ तो राहुल और उनके चचेरे भाई वरुण के बीच बातचीत का सिलसिला भी शुरू हो गया। राहुल गांधी ने वहां बैठकर पहले अनसूया को दुलारा। उसकी पढ़ाई-लिखाई और शौक के बारे में जाना। यह भी पूछा कि उसे गेम्स में क्या पसंद है। राहुल और वरुण का परिवार काफी खुलकर मिला। यहां तक कि राहुल ने यामिनी से भी घर-परिवार के बारे में भी पूछा।

देश के प्रमुख राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले दोनों चचेरे भाइयों की मुलाकात ने वरुण गांधी के राजनीतिक भविष्य को लेकर कुछ हलकों में अटकलें शुरू कर दी हैं। अब जब लोकसभा चुनाव में कुछ ही समय बचा है, ऐसे में इस बात की अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि असंतुष्ट भाजपा सांसद वरुण कांग्रेस में जा सकते हैं।

संजय गांधी और मेनका गांधी के बेटे वरुण गांधी को हाल के महीनों में भाजपा की प्रमुख बैठकों में नहीं देखा गया है और कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर उनकी राय पार्टी से अलग रही है। पीलीभीत सांसद वरुण गांधी कई मुद्दों पर भाजपा के खिलाफ आलोचनात्मक रुख अपना रहे हैं। हाल ही में उन्होंने गांधी परिवार के गढ़ रहे अमेठी में संजय गांधी अस्पताल का लाइसेंस निलंबित करने को लेकर यूपी की भाजपा सरकार पर हमला बोला था। इससे पहले 2021 में वरुण गांधी एक मात्र ऐसे भाजपा नेता थे, जिन्होंने यूपी के लखीमपुर खीरी में कथित तौर पर भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्रा द्वारा चलाए जा रहे वाहन से कुचलकर मारे गए चार किसानों सहित आठ लोगों मौत पर जवाबदेही मांगी थी। वरुण गांधी के बयान के कुछ देर बाद ही उनकी मां भाजपा सांसद मेनका गांधी को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति से हटा दिया गया था। वरुण गांधी ने दिल्ली में किसानों द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन का भी समर्थन किया था। ये वो वक्त था जब भाजपा नेता इस आंदोलन को विपक्ष द्वारा पोषित राष्ट्र विरोधी आंदोलन बताकर इसकी निंदा कर रहे थे।

देश के पहले दलित सूचना आयुक्त की नियुक्ति पर विवाद, कांग्रेस सांसद अधीर रंजन ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

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सूचना आयुक्त हीरालाल सामरिया ने छह नवंबर को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के प्रमुख के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 63 वर्षीय सामरिया को राष्ट्रपति भवन में एक समारोह के दौरान मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में शपथ दिलाई। अब इस नियुक्ति पर राजनीतिक विवाद पैदा हो गया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने इसके खिलाफ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को चिट्ठी लिखकर शिकायत की है। उन्होंने कहा कि इस मामले में उन्हें अंधेरे में रखा गया। कांग्रेस ने संवैधानिक प्रक्रियाओं का उल्लंघन किए जाने की बात की है।

अधीर रंजन ने पत्र में लिखा, 'अत्यंत दुख और भारी मन से मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के मामले में सभी लोकतांत्रिक मानदंडों, रीति-रिवाजों और प्रक्रियाओं को ताक पर रख दिया गया।' उन्होंने कहा कि सरकार ने चयन के बारे में न तो उनसे सलाह ली और न ही उन्हें जानकारी दी। 

उन्होंने कहा, लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता के तौर पर चयन समिति का सदस्य होने के सीआईसी/आईसी के चयन को लेकर मुझे अंधेरे में रखा गया। उन्होंने ये भी कहा कि सीआईसी के चयन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवास पर 3 नवंबर को बैठक भी की गई, मगर इस बारे में भी मुझे कोई जानकारी नहीं दी गई।

 

बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को हीरालाल सामरिया को सीआईसी के प्रमुख के रूप में शपथ दिलाई। राजस्थान के भरतपुर जिले के रहने वाले हीरालाल सामरिया देश के पहले दलित मुख्य सूचना आयुक्त बने हैं। वह 1985 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। बता दें कि मुख्य सूचना आयुक्त का पद तीन अक्टूबर को ही खाली हो गया था क्योंकि उस दिन वाई के सिन्हा का कार्यकाल खत्म हो गया था। सामरिया की नियुक्ति के बाद भी सूचना आयुक्त के आठ पद खाली हैं. सीआईसी में इस समय दो सूचना आयुक्त हैं।

ईरान की जेल में भूख हड़ताल पर बैठी नोबेल विजेता नरगिस मोहम्मदी, जानें क्या है वजह

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ईरान की जेल में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता नरगिस मोहम्मदी ने जेल में भूख हड़ताल शुरू कर दी है। ईरान में महिला अधिकारों के लिए लड़ने के लिए नरगिस मोहम्मदी जेल के अंदर भी अपने अभियान को जारी रखा है।नरगिस महिलाओं के अनिवार्य रूप से हिजाब पहनने के साथ ही जेल में महिला कैदियों को चिकित्सा सुविधाएं नहीं देने का विरोध कर रही हैं।बता दें कि महिला अधिकारों के लिए लड़ने के लिए नरगिस मोहम्मदी को इसी साल शांति का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

नरगिस दिल और फेफड़े की समस्याओं से जूझ रही हैं। प्रशासन ने उन्हें अस्पताल ले जाने से महज इसलिए मना कर दिया, क्योंकि नरगिस ने अस्पताल जाने के लिए हिजाब पहनने से मना कर दिया था। इसके बाद उन्होंने भूख हड़ताल शुरू कर दी।

नरगिस मोहम्मदी को रिहा कराने के लिए चलाए जा रहे अभियान फ्री नरगिस मोहम्मदी के एक कार्यकर्ता ने नरगिस के परिवार के हवाले से जानकारी देते हुए बताया कि नरगिस ने एविन जेल से एक संदेश भेजकर अपने परिवार को बताया कि वो भूख हड़ताल पर कर रही हैं। नरगिस दिल और फेफड़े की समस्याओं से जूझ रही हैं, जिसको लेकर वो और उनके वकील काफी समय से अस्पताल में भर्ती कराए जाने की मांग कर रहे हैं। इधर कुछ दिन पहले नरगिस के परिवार ने भी उनकी बीमारी के बारे में जानकारी दी थी। नरगिस मोहम्मदी के परिवार ने बताया है कि उनकी तीन नसों में ब्लॉकेज है और फेफड़ों में भी समस्या है लेकिन जेल अधिकारियों ने उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाने से इनकार कर दिया है क्योंकि उन्होंने हिजाब नहीं पहना।

इधर नॉर्वे की नोबेल समिति ने नरगिस मोहम्मदी के स्वास्थ्य को लेकर चिंता जाहिर की है। समिति के प्रमुख बेरित रीज एंडरसन का कहना है कि महिला कैदियों अस्पताल में भर्ती कराने के लिए हिजाब पहनना अनिवार्य करना अमानवीय और नैतिक रूप से अस्वीकार्य है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि नरगिस ने जेल के हालात को बयां करने के लिए भूख हड़ताल शुरू की है। नार्वे नोबेल समिति ने ईरान प्रशासन से नरगिस समेत दूसरी महिला कैदियों को फौरन जरूरी चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने की गुजारिश की है।

आपको बता दें नरगिस मोहम्मदी एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, उनके पति तगी रहमानी भी एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वो भी कई बार जेल जा चुके हैं। नरगिस मोहम्मदी पिछले 30 सालों से लोगों के हितों के लिए अपनी आवाज बुलंद करती आई हैं।यही वजह है कि उन्हें कई बार गिरफ्तारी का सामना भी करना पड़ा। विरोध प्रदर्शन के चलते उन्हें 154 कोड़े मारने की सजा भी सुनाई भी सुनाई जा चुकी है। उनके खिलाफ और भी मामले चल रहे हैं।मोहम्मदी विभिन्न आरोपों में 12 साल जेल की सजा काट रही हैं। मोहम्मदी पर ईरान की सरकार के खिलाफ भ्रामक प्रचार करने का भी आरोप है।