*पितृ विसर्जन और सूर्य ग्रहण आज, शरद पूर्णिमा को नहीं खा सकेंगे खीर का अमृत प्रसाद*
गोरखपुर- आज आश्विन मास पितृपक्ष अमावस्या पितृ विसर्जन,ज्ञाताज्ञात सभी देव तुल्य पित्रों की विदाई, श्राद्ध,तर्पण दान एवं क्षमा प्रार्थना का पवित्र दिन है। मान्यता है कि पितृदेवों की विदाई के अवसर पर उनसे श्रद्धा पूर्वक मांगी गई क्षमा याचना और आशीर्वाद प्राप्त करने का अति पावन और पुनीत पर्व है।विदा हो रहे पितृदेव अपने वंशजों को सुख समृद्धि आरोग्य का शुभाशीष देते हैं। साथ ही आज साल का आखिरी सूर्य ग्रहण आज सर्व पितृ अमावस्या पर लगने जा रहा है।
ये सूर्य ग्रहण साल का दूसरा ओर आखिरी सूर्य ग्रहण रहेगा। पंचांग के अनुसार यह सूर्य ग्रहण आश्विन मास की अमावस्या तिथि पर लग रहा है। आज रात 8 बजकर 34 मिनट पर साल के आखिरी सूर्य ग्रहण की शुरुआत होगी, जो मध्य रात्रि 2 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। आज लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा। यह सूर्यग्रहण अमेरिका,मैक्सिको,कोलंबिया, ब्राजील आदि देशों में दिखाई देगा। भारत में कहीं भी यह ग्रहण नहीं दिखेगा। भारतीय समय के अनुसार रात्रि 08:34 बजे इस ग्रहण की शुरुआत होगी और 15 अक्टूबर रात्रि 02:26 बजे समाप्त होगा। भौगोलिक स्थिति के अनुसार,यह कंकणाकृत सूर्य ग्रहण भारत में कहीं पर भी दिखाई नहीं देगा।
वहीं आश्विन मास की शरद पूर्णिमा इस बार 28 अक्टूबर शनिवार को पड़ रही है। शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खुले आसमान तले रखी हुई खीर को खाने से पुण्य और आरोग्य प्राप्त होता है। इस पायस प्रसाद को अमृत के समान माना गया है। किंतु इस बार लोग इसे नहीं खा सकेंगे। क्योंकि इस बार चंद्र ग्रहण है। सनातन धर्म के अनुसार ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले और समाप्त होने के 9 घंटे बाद तक सूतक काल रहता है। जिससे इस बार खीर अशुद्ध हो जाएगी।
शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर बनाकर रखने की परंपरा है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। इसलिए गाय के दूध में खीर बनाकर कुछ घंटों के लिए चंद्रमा की शीतल रोशनी में रखनी चाहिए और फिर उसका सेवन करना चाहिए।पौराणिक कथा के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात में ही भगवान श्रीकृष्ण ने महारास किया था। और भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजा कर गोपियों को ईश्वरीय अमृत का पान कराया था। अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्व है। इस रात को चन्द्रमा अपनी 16 कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता,पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृत की वर्षा करता है।
पंडित प्रेमचंद राम त्रिपाठी के अनुसार इस बार खग्रास चंद्र ग्रहण है जो भारत समेत कई विश्व के देशों में दिखाई देगा। रात 1.05 बजे शुरू होगा जो 2.23 बजे रात को समाप्त होगा। यह ग्रहण मेष राशि वालों को अशुभ एवं बाकी सभी राशियों के लिए शुभ साबित होगा।
Oct 14 2023, 17:03