चाकुलिया में सुपर फ़्रूट ड्रैगन की खेती कर 75 बर्ष के बुजुर्ग रामकृष्ण सुबेका कमा रहे हैं लाखों रुपये, देखिए क्यों खास है यह फ़्रूट..?
स्पेशल स्टोरी : विजय कुमार
सरायकेला :देश जब कोरोना महामारी के दौर से गुजर रहा था तो एक फल ऐसा था जिसको लेकर यह बात कही जा रही थी कि अगर यह फल इंसान खाये तो उसका इम्युनिटी बुस्ट होगा और कोरोना या अन्य महामारी से उसका शरीर आसानी से मुकाबला करेगा।
अब इसी फल को लेकर डेंगू मे भी बुस्टर की काम करने की बात कही जा रही है । और यह पहल है चाइना ड्रैगन फ़ूड।
भारत वर्ष मे इस फल को इसी नाम से पुकारा जाता था।अब इस फल का नाम हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी जी ने कमलम नाम दिया है। यह फल का आज इस लिए चर्चा कर रहा हूँ कि यह कीमती फल बहुत लाभदायक के साथ अर्निग का अच्छा स्रोत है।और यहां सराईकेला में बुजुर्ग दम्पति ने 75 साल की उम्र मे इसकी खेती कर कमाल कर दिया है। जिसकी चर्चा इस क्षेत्र में हो रही है।
कोल्हान के पूर्वी सिंहभूम जिले जमशेदपुर क्षेत्र के घोर नक्सल प्रभावित ईलाका चाकूलिया है जहां एक 75 बर्ष के बुजुर्ग ने चाईना की फल ड्रैगन फूड की खेती अपने यहाँ कर के एक मिसाल कायम किया है। यह कहानी कोबिड के लॉक डाउन से शुरू हुआ और आज लाखो रुपया इस ड्रैगन फ़ूड की खेती से वह कमा रहा है ।
पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकूलिया मे सुपर फ्रूट यानी ड्रैगन फ्रूट की खेती करके एक वृद्ध दंपति ने यह साबित कर दिया है कि झारखंड की मिट्टी में सिर्फ धान की खेती ही नहीं बल्कि सुपर फ्रूट की भी बढ़िया फसल की पैदावार की जा सकती है।
चाकुलिया के 74 वर्षीय रामकृष्ण सुबेका ने पिछले लॉकडाउन में यूट्यूब देख कर ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का निर्णय लिया । इसके लिए उन्होंने बांग्ला देश से पौधा मंगवाकर खेती की शुरुआत की, इनके निर्णय को पहले तो परिवार के सदस्यों ने हल्के में लिया और उन्हें समझाया भी, लेकिन रामकृष्ण सुबेका किसी भी बात की परवाह किए बिना ही खेती में जुटे गए। उनका मानना है कि आने वाले वर्षों में उन्हें इसकी खेती से 10 लाख से अधिक का मुनाफा होगा ।
इस फ़्रूट को पहले कोरोना काल मे लोगो ने डॉक्टरस के कहने पर उपयोग किया था अब डेंगू के समय मे भी इस फल की काफ़ी मांग है कारण यह फल शरीर की प्लेटीन को बढ़ता है।
बता दें कि ड्रैगन फ्रूट को सुपर फ्रूट में इस लिए गिना जाता है, क्योंकि इसमें मानव अंग की कई बीमारियों से लड़ने की अद्भुत ताकत है। इस फल की खोज सबसे पहले अमेरिका ने की थी, अमेरिका में इस फल पिटाया फ्रूट के नाम से जाना जाता है, जिसके बाद इस फल की खेती चाइना ने पूरे दम खम के साथ शुरू कर दी और चाइना ने इस फ्रूट को ड्रैगन फ्रूट का नाम दिया ।
ड्रैगन जो की चाईना का प्रतीक है आपको जानकर हैरानी होगी कि भारत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी भी इस सुपर फ्रूट के गुणों के कायल हैं। उन्होंने इस फल का नाम कमलम रखा क्योंकि यह बिल्कुल कमल के फूल की तरह दिखता है और कमल फूल हमारा राष्ट्रीय फूल भी माना जाता है।
राम कृष्ण सेबुका ने बताया कि यह कहानी हमने दो साल पहले शुरू की थी जब लॉक डाउन था तब हमने इंटरनेट से देख कर इसकी पहचान की तो पाया यह काफ़ी बूस्टर वाला फल है। जिसकी खेती सिर्फ चाइना मे होती है। हमने भी सोचा की इसको करना चाइए तो हमने इसका बीजा बंगला देश की सीमा से मगवाया और फिर खेती की पेड़ सब जब संभाल गया तो हमने देखा की यह फल दे रहा है। पहले साल हमने करीबन 50 हजार से ऊपर कमाया। लेकिन से साल लाखो मे कमाई हो रही है यह पेड़ 20 साल तक रहेगा यानी हर पेड़ लाख रुपया दिया तो आप समझ सकते है की 500 पेड़ मे क्या कमाई होंगी।
शुरू शुरू मे तो डर लग रहा था लेकिन जब पेड़ संभल गया तो अच्छी आमदनी देने लगा है दो सालों मे हमने लाखो रुपया की आमदनी की है।
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Oct 14 2023, 05:26