मातम में बदली जितिया व्रत की खुशियां : सोन नदी में नहाने और सेल्फी लेने के दौरान पांच लड़कियां डूबी, किसी की नहीं मिली है अबतक बॉडी

भोजपुर : बिहार के भोजपुर जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां जितिया व्रत की खुशियां दो अलग -अलग परिवारों में मातम में बदल गई। 

दरअसल भोजपुर जिले के चांदी थाना क्षेत्र के बहियारा घाट पर सोन नदी के किनारे जितिया व्रत के दौरान नहाने और सेल्फी लेने के क्रम में पांच लड़कियां या महिलाएं पानी में डूब गई। इस घटना के बाद घाट के पास सैकड़ों लोग घटना स्थल पर पहुंच गए। काफी देर तक गांव के लोगों के द्वारा घाट के आस पास खोजबीन किया गया। लेकिन लड़कियों का कोई पता नहीं चल पाया है। जिसके बाद इसकी सूचना चांदी थाना पुलिस को दी गई। 

घटना की सूचना मिलने के बाद चांदी थाना की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। उसके बाद स्थानीय पुलिस ने घटना की सूचना जिला प्रशासन को दिया। वहीं रात होने की वजह से एसडीआरएफ की टीम के द्वारा खोजबीन नहीं की जा रही है। लेकिन सुबह होते ही एसडीआरएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंचकर सभी लड़कियों को ढूंढने की कोशिश करेगी। 

जानकारी के मुताबिक डूबने वालों में कोइलवर थाना क्षेत्र के नारायणपुर गांव निवासी ऋषभ कुमार की 20 वर्षीय पत्नी अनिता कुमारी, उदवंतनगर थाना क्षेत्र के मिल्की गांव निवासी दशरथ यादव की 18 वर्षीय पुत्री निशा कुमारी, चांदी थाना क्षेत्र अंतर्गत चांदी गांव निवासी चितरंजन वर्मा की 15 वर्षीय पुत्री सुमन कुमारी और चंद्रावती कुमारी इसके साथ चांदी थाना क्षेत्र के चांदी गांव के निवासी देवेंद्र वर्मा की 20 वर्षीय पुत्री अंजली कुमार है। 

अंजली कुमारी, सुमन कुमारी और चंद्रावती कुमारी आपस में चचेरी बहन है और निशा कुमारी और अनिता कुमारी आपस में ममेरी बहन है। जानकारी के मुताबिक सुमन कुमारी नौवीं, चंद्रावती कुमारी मैट्रिक पास और अंजली स्नातक की छात्रा है।

धीरेन्द्र पांडेय की रिपोर्ट

औरंगाबाद के दाउदनगर का जिउतिया पर्व प्रसिद्धि के मामले में किसी से कमतर नहीं

औरंगाबाद जैसे दिल्ली की दीवाली, कोलकाता की दशहरा, मुंबई का गणेशोत्सव, पुरी की रथयात्रा एवं केरल का ओनम विश्व प्रसिद्ध है, वैसे ही बिहार के औरंगाबाद के दाउदनगर का जिउतिया पर्व भी प्रसिद्धि के मामले में कमतर नहीं है। यह बात अलग है कि दाउदनगर के जिउतिया को प्रसिद्धि की उंच्चाइयों तक पहुंचाने का कभी भी किसी भी स्तर से पूरे मनोयोग से प्रयास नहीं किया गया।

 अन्यथा यहां की जिउतियां भी जगत प्रसिद्ध होती और देश विदेश के लोग जिउतिया के मौके पर दिखाए जाने वाले साहसिक, रोमांचक और हैरतअंगेज करतबों को देखने जरूर आया करते। दाउदनगर का जिउतियां देशभर में संतानो के दीर्घायु होने की कामना को लेकर महिलाओं द्वारा किये जाने वाले कामना व्रत जीवित्पुत्रिका व्रत का ही अंग है लेकिन यहां जिउतियां व्रत के पहले पिछले 9 दिनों में जो खास साहसिक, रोमांचक और हैरतअंगेज करतब प्रस्तुत किये जाते हैं, वे ही इस पर्व को अनूठापन प्रदान करते है और खास बनाते है।  

औरंगाबाद जिला मुख्यालय से 32 किलोमीटर की दूरी पर मुगल शासक औरंगजेब के सिपहसालार दाउद खां द्वारा बसाए गए दाउदनगर शहर में जिउतिया पर्व के आरंभ के बारे में कोई लिखित प्रमाण तो उपलब्ध नहीं है लेकिन जनश्रुतियों एवं लोक कथाओं के अनुसार यहां की जिउतियां अत्यंत प्राचीन है। जनश्रुतियों के अनुसार डेढ़ सौ साल से अधिक समय पहले दाउदनगर शहर को प्लेग जैसी भयंकर बीमारी ने अपने आगोश में ले रखा था। 

बड़ी संख्या में लोगों के मौत के मुंह में समा जाने से पूरा शहर मृतकों से पट गया था। इस विकट परिस्थिति से छुटकारा पाने के अनेको तरह के प्रयास किए गए लेकिन सुधार के कोई लक्षण नहीं दिखे। तब तत्कालीन समाज के प्रबुद्धों ने इसे देवी का प्रकोप माना और प्रकोप से शांति के लिए दक्षिण भारत के पुजारियों एवं गुणियों से संपर्क साधा। वहां से आए पुजारियों एवं गुणियों ने इसे बम्मा देवी का प्रकोप बताया। देवी के गुस्से से शहर को निजात दिलाने के लिए जगह-जगह प्रतिमाएं स्थापित कर विधि विधान से पूजा अर्चना की गई। यह पूजा करीब एक माह तक चली। देवी का प्रकोप शांत हुआ। लोगों ने चैन की सांस ली। तब से आजतक शहरवासियों द्वारा इसे पूरे विधि विधान के साथ मनाने की परंपरा चली आ रही है।

 चूंकि बम्मा देवी की पूजा-अर्चना का समय जिउतियां के ईर्द-गिर्द ही पड़ा था। इसी वजह से इसका प्रचलन दिन-प्रतिदिन बढ़ता गया गया और कालांतर में इसने एक पर्व का रूप धारण कर लिया। पर्व की शुरूआत के बारे में दाउदनगर के जिउतियां कलाकारों द्वारा गाये जाने वाले गीत के बोल-‘‘आश्विन अंधेरिया दूज रहे, संवत 1917 के साल रे जिउतियां, अरे धनभाग रे जिउतियां जे रोपे ले हरिचरण, तुलसी, दमड़ी जुगुल, रंगलाल रे जिउतियां, अरे धनभाग रे जिउतिया’’ में भी इसकी प्राचीनता की झलक मिलती है। पर्व का आरंभ भी कलाकारों द्वारा इसी गीत को गाकर किया जाता है। 

गीत के मुखड़ों से यह स्पष्ट है कि इस क्षेत्र के हरिचरण, तुलसी, दमड़ी, जुगुल और नंदलाल नाम के चार प्रबुद्धों द्वारा आश्विन कृष्णपक्ष की द्वितीया तिथि के दिन विक्रम संवत 1917 को इसकी आधारशिला रखी गयी और तब से यह पर्व दाउदनगर में अनूठे रूप मे मनाया जाने लगा। इस अवसर पर लोक कलाकारो द्वारा लोकनृत्य की हर विधा का प्रदर्शन पर्व के दौरान किया जाता है। यहां कलाकारों के कला प्रदर्शन के लिए कोई रंगमंच नहीं होता बल्कि शहर के नुक्कड़, गली और पूरे शहर की सड़कें ही रंगमंच बन जाती है। इस बार के जिउतियां पर भी यह सब देखते ही बन रही है। 

दाउदनगर की जिउतियां की यह प्रमुख विशेषता है कि इसके माध्यम से विलुप्त होती सांस्कृतिक परंपरा को स्वांग के रूप में जीवित रखा जा रहा है। इस विधा के तहत कलाकार दम-दमाड़ एवं मुड़ीकटवा का स्वांग रचते हैं जिसे देखना अपने आप में एक अनोखा अनुभव है।

 जिउतियां पर दाउदनगर शहर की सड़कों, गलियों एवं नुक्कड़ों पर कलाकारों द्वारा राजा-रानी, चुड़ैल, भूतनी, डाकिनी, राम-लक्ष्मण, राधा-कृष्ण एवं अनेक प्रकार के वेशधारी बहुरूपिए नजर दिखते है। ये आज भी दिख रहे है। विरासत में मिली इस संस्कृति के अलावा इस मौके पर तलवारबाजी, खेल-तमाशा, झाकियां, नौटकी, लोकनृत्य का सफल मंचन भी पर्व को विशिष्टता प्रदान करती है।

 

इस दौरान दम-दमाड़ के कलाकारों के हैरत अंगेज कारनामों से दर्शक दंग रह जाते हैं। इन कलाकारों के द्वारा गर्म तप्त लोहे की लपलपाती जंजीर को नंगे हाथों से दुहना, दांतों से गर्म तप्त लोहे के पिंड को उठाना एवं शरीर के विभिन्न हिस्सों में सुई, त्रिशूल को आर-पार करना दर्शकों को रोमांचित कर देता है। ऐसी तस्वीरें आज दाउदनगर की सड़कों पर दिख रही है।

 जिउतियां की रात में जब डाकिनी सड़क पर उतरेगी तो, उसके रूप को देखकर और मुंह से आती हिंसक आवाज को सुनकर रूह कांप उठती है। रोंगटे खड़े हो जाते है। सांसे थमती सी महसूस होती है और कमजोर दिल वाले बेहोश हो जाते है। ऐसा नजारा आज रात भी दाउदनगर में दिखेगा।

दाउदनगर शहर को अनचाहे प्रकोप से बचाने के लिए आरंभ किया गया यह पर्व आज यहां की लोक संस्कृति का एक अहम हिस्सा बन चुका है। यही कारण है कि देश-विदेश में दाउदनगर ही एक ऐसा इकलौता शहर है, जहां जिउतियां के पर्व को निराले और अनूठे अंदाज में मनाया जाता है।

श्रीकांत शास्त्री की अध्यक्षता में औरंगाबाद सदर ब्लॉक का निरीक्षण की, प्रखंड के विकास कार्यों एवं जनप्रतिनिधियों के समस्या को सुना

जनप्रतिनिधियों के समीक्षा निम्नवत है। (1) जिसमें वंशावली बनाने का पंचायत सचिव वंशावली बनाएंगे सरकार द्वारा निर्गत पत्र के आलोक में निर्देश दिया गया। (2)स्थानीय लोगों को पंचायत सचिव एवं राजस्व कर्मचारी से संपर्क करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था। जिसे लेकर पंचायत सचिव एवं राजस्व कर्मचारियों को सरकार भवन में बैठने कीअनुमति दी गई, 

जिसे लोगों का सम्पर्क आसानी से हो सके हेतू निर्देश दिया गया। (3) पंचायत कर्माभगवान में ग्राम–रामपुर में अतिक्रमण किए व्यक्तियों के आवास की समस्या हेतु उच्चतम न्यायालय के आदेश के आलोक में अतिक्रमित भूमि से विस्थापित होने का निर्देश, साथ ही साथ जनप्रतिनिधियों को इसके सहयोग करने की अपेक्षा की गई।

जिला पदाधिकारी द्वारा अधिकारियों के साथ बैठक में विकास कार्यों की समीक्षा में निम्नवत निर्देश दिए गए।

 पंचायत में भ्रमण हेतु नियमित रूप से ग्राम सभा का निरीक्षण करने का बीपीआरओ का को निर्देश दिया गया सरकारी जमीन का डाटा उपलब्ध कराने का सीईओ और राजस्व अधिकारिय को निर्देश दिया गया। जो भी स्कूल बिना बाउंड्री का है बाउंड्री कराने हेतु मनरेगा पदाधिकारी को अपने फंड से कराने का निर्देश दिया गया। सभी वीडियो को जिला औरंगाबाद से जनगणना की समीक्षा कर प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया।

 जिला पदाधिकारी द्वारा औरंगाबाद जिले में विवादित पंचायत सरकार भवन की समीक्षा हेतु विवादित भूमि को शीघ्र निष्पादित करने का अंचलाधिकारी औरंगाबाद को निर्देश दिया गया

गैर जमानती वारंट और कुर्की का आदेश जारी होने के बाद आरोपी पहुंचा कोर्ट, न्यायालय में अपनी गलती को किया स्वीकार

औरंगाबाद - व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी ओम प्रकाश नारायण सिंह के कोर्ट में कोशिश श्रृंगार के संचालक जयाउल आलम पुरानी जीटी रोड औरंगाबाद ने बिना निबंधन के दुकान संचालन के अपराध स्वीकार किया तो न्यायाधीश ने 250 रू जुर्माना नजारत में जामा करने का आदेश दिया। जिसे अभियुक्त ने जमा कर दिया। 

सहायक अभियोजन पदाधिकारी नवीन कुमार चतुर्वेदी ने बताया कि जी ओ संख्या-83/12 में अभियुक्त पर गैर जमानती वारंट और कुर्की का आदेश जारी हो चुका था। तब अभियुक्त न्यायालय में हाजिर हुआ और अपराध स्वीकार किया।

 

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि 24/06/11 को जांच के क्रम में श्रम अधीक्षक सुधीर कुमार ने बिना निबंधन के कुछ दुकानदारों पर कार्रवाई की थी, छोटे छोटे मामले में जुर्माना का प्रवधान है, जुर्माना न देने के कारण मामला एगआरह साल लंम्बित रहा। 

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

सकुशल वापस लौटे ओबरा BDO युनुस सलीम, बीते बुधवार से थे लापता

औरंगाबाद : जिले के ओबरा प्रखंड के बीडीओ युनुस सलीम 4 अक्टूबर से लापता थे। जो गुरूवार की रात सकुशल अपने घर लौट आए हैं।

युनुस सलीम खुद ही ओबरा स्थित अपने आवास पर लौटे है। लौटते ही परिजन उन्हें अपने साथ लेकर नासरीगंज चले गए हैं। 

इस मामले में SDPO ऋषिराज ने बताया कि फिलहाल लापता होने के कारणों का खुलासा नहीं हो पाया है। युनुस बुधवार सुबह 10 बजे से लापता थे।

इस बारे में जब ओबरा बीडीओ युनुस सलीम के भाई जफर इमाम जो नासरीगंज में बीडीओ के पद पर कार्यरत है से बात की गई तो उन्होंने बताया कि फिलहाल उनकी तबियत खराब है और वो मानसिक दवाब में है।इसलिए उनसे इस बारे में पूछताछ नही की गई है। 

उन्हें लेकर इलाज के लिए हमलोग बाहर निकल गए है। आने पर विशेष बातचीत होगी कहकर फोन काट दिया।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

*सांसद सुशील कुमार सिंह का सीएम पर बड़ा हमला, कहा- तितिर लड़ाने का काम करते है नीतीश कुमार

औरंगाबाद: जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद औरंगाबाद के बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए था।

जातीय जनगणना पर सांसद ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार को जमकर कोषा है। यहां तक कि उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार तितीर लड़ाने का काम करते है।

उन्होंने जातीय जनगणना को फाल्स बताया तथा सवाल उठाते हुए जनगणना को गलत करार दिया है। उन्होंने कहा कि हम सांसद हैं तो मेरे घर जनगणना के लिए कर्मचारी आए थे। यह दिखाने और यह कहने के लिए की हम चलेंगे नहीं करें और शिकायत ना करें। मगर आप गांव में जाकर पूछेंगे तो 90% से भी ज्यादा गांव में जनगणना नहीं हुई है और ना ही कोई कर्मचारी गया है। 

सरकार ने अपने मुताबिक अपने हिसाब से अपनी इच्छा अनुसार आंकड़े बना लिए हैं और उसको जारी किया है। 

उन्होंने कहा कि किसी भी जाति का कोई व्यक्ति अगर अरबपति है या ख़रबपति है और किसी जाति का कोई व्यक्ति अगर बहुत गरीब है तो जाति के आधार पर उस व्यक्ति को अगर कोई सुविधा नहीं मिले और जाति के आधार पर अरबपति खरपट्टी व्यक्ति को उन सारी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले यह कहां तक उचित है।

सांसद ने कहा कि यह सरकार समाज को जाति के आधार पर बांटने का काम कर रही है। मैं कड़े शब्दों में इसकी निंदा करता हूं और इसका विरोध करता हूं। समाज को कमजोर करने के लिए जाति में भी उपजाति बनाकर उनकी संख्या कम और ज्यादा दिखाकर इन्होंने तीतर लड़ाने का काम किया है और करते आए हैं। 

साथ ही उन्होंने कहा कि गांव हो या शहर कही भी सरकार का कोई कर्मी गणना करने नही गया।यह जनगणना सरकार अपने मुताबिक और अपनी इच्छा के अनुसार कराई है।

सांसद ने कहा कि जातीय जनगणना की असली हकीकत क्या है आप डोर टू डोर जाइयेगा तभी पता चलेगा।उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इस गणना को सही मानते है तो तत्काल उन दोनो को अपने अपने पद से नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए और किसी अति पिछड़े को मुख्यमंत्री बनाना चाहिए। क्योंकि जनगणना के बाद यही मांग भी है कि जिसकी जितनी भागेदारी उतनी उसकी हिस्सेदारी।लेकिन दोनो नेताओं में नैतिकता का अभाव है। नीतीश कुमार की पराकाष्ठा है कि वे कुर्सी से चिपक गए हैं।

सांसद ने कहा कि जातीय जनगणना को लेकर राजद एवं जदयू के कई नेताओं ने भी इस जनगणना पर सवाल खड़ा किया है।अगर सही था तो विरोध क्यों।

उन्होंने कहा कि देश में सिर्फ दो ही जातियां हैं।एक अमीर और एक गरीब,सरकार को इस पर काम करना चाहिए और उसी हिसाब से उन्हे सरकारी लाभ भी मिलना चाहिए।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

नाबालिग को बहला फुसलाकर अगवा करने के मामले में आरोपी को कोर्ट ने दिया दोषी करार

औरंगाबाद - आज़ व्यवहार न्यायालय औरंगाबाद में स्पेशल पोक्सो कोर्ट ने दाउदनगर थाना कांड संख्या -296/21 में निर्णय पर सुनवाई करते हुए काराधीन अभियुक्त जितेंद्र कुमार गोला रोड़ दाउदनगर को विभिन्न धाराओं में लगे आरोप में दोषी ठहराया गया है। 

 स्पेशल पीपी शिवलाल मेहता ने बताया कि अभियुक्त को भादंवि धारा 363,366ए,376 और पोक्सो एक्ट की धारा 04 में दोषी पाते हुए सज़ा के बिन्दु पर सुनवाई के तिथि -12/10/23 निर्धारित किया गया है।  

अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि प्राथमिकी सूचक पीड़िता के माता ने जून 2021 में अभियुक्त पर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। जिसमें कहा था कि पीड़िता शाम 07 बजे बाजार से समान लाने गई थी दो घंटे तक नहीं लौटने पर काफी खोजबीन के बाद घर पर पीड़िता के मोबाइल चेक की तो देखी की घटना से पहले एक फोन आया था,तब वह नम्बर से अभियुक्त का नाम पता चला। 

अभियुक्त के घर से जानकारी मिली कि अभियुक्त भी घटना के समय से घर से फरार था जो संदेह को पक्का किया इस लिए अभियुक्त को नामजद करते हुए न्याय के लिए थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। 

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने प्रेस-वार्ता का किया आयोजन, केन्द्र सरकार द्वारा उत्तरी कोयल जलाशय एवं एक अंतर-राज्यीय प्रमुख सिंचाई परियोजना के लिए आवंटित किए राशि की दी जानकारी


औरंगाबाद : बिहार के औरंगाबाद लोकसभा क्षेत्र में पिछले दो चुनाव से चुनावी मुद्दा बने बिहार-झारखंड के चार जिलों में 1 लाख 11 हजार 521 हेक्टेयर खेतों की सिचाईं के लिए जीवनदायिनी बनने वाली अटकती, भटकती तथा लटकती उतर कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को पूरा कराने के लिए केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति द्वारा राशि की मंजूरी दिए जाने के बावजूद परियोजना के समय पर पूरा होने में बाधा आने और 2024 के चुनाव में भी चुनावी मुद्दा बनने के आसार प्रबल है।

औरंगाबाद के बीजेपी सांसद सुशील कुमार सिंह ने केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग के एक प्रस्ताव पर उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को संशोधित 2,430.76 करोड़ के केंद्रांश की मंजूरी दी है।जबकि इससे पहले अगस्त, 2017 में परियोजना की स्वीकृत शेष लागत राशि 1,622.27 करोड़ रुपये थी। परियोजना के शेष कार्यों के पूरा होने पर झारखंड के पलामू, गढ़वा और बिहार के औरंगाबाद तथा गया जिले के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो सकेगी।

उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना एक अंतर-राज्यीय प्रमुख सिंचाई परियोजना है। इसका कमान क्षेत्र दो राज्यों बिहार और झारखंड में है। इस परियोजना में झारखंड के लातेहार जिले के कुटकू गांव के पास उत्तरी कोयल नदी पर एक बांध, बांध के नीचे 96 किमी. पर झारखंड के ही पलामू जिले में मोहम्मदगंज बराज, राईट बटाने कैनाल (आरएमसी) और बैराज से बाए मुख्य नहर लेफ्ट बटाने कैनाल(एलएमसी) शामिल हैं। नवंबर 2009 में झारखंड के अस्तित्व में आने के पहले बिहार सरकार ने अपने संसाधनों से वर्ष 1972 में कुटकु में डैम(बांध) के निर्माण के साथ-साथ अन्य सहायक गतिविधियां शुरू की थी। 1993 तक काम भी जारी रहा लेकिन उसी साल बिहार सरकार के वन विभाग की आपत्ति पर काम रोक दिया गया। 

वन विभाग ने बांध में जमा पानी से बेतला नेशनल पार्क और पलामू टाइगर रिजर्व को खतरा होने की आशंका जताई थी। इसी कारण बांध निर्माण का काम रुक गया था। बांध के निर्माण का काम रुकने के बावजूद यह परियोजना 71,720 हेक्टेयर में वार्षिक सिंचाई प्रदान कर रही थी। नवंबर 2009 में बिहार विभाजन के बाद परियोजना का बांध और बैराज का मुख्य कार्य झारखंड में हैं। इसके अलावा मोहम्मदगंज बैराज से 11.89 किमी की दूरी पर बाई मुख्य नहर (एलएमसी) झारखंड में है। हालांकि, दाहिनी मुख्य नहर (आरएमसी) के 110.44 किमी में से पहला 31.40 किमी झारखंड में है और शेष 79.04 किमी बिहार में है। वर्ष 2016 में, भारत सरकार ने परिकल्पित लाभों को प्राप्त करने के लिए परियोजना को संचालित करने के लिए उत्तरी कोयल जलाशय परियोजना के शेष कार्यों को पूरा करने के लिए सहायता प्रदान करने का निर्णय लिया।इसके तहत पलामू टाइगर रिजर्व के मुख्य क्षेत्र को बचाने के लिए जलाशय के स्तर को कम करने का निर्णय लिया गया। 

परियोजना के शेष कार्यों को 1622.27 करोड़ रुपये के अनुमानित व्यय पर पूरा करने के प्रस्ताव को अगस्त 2017 में केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा अनुमोदित किया गया था। दोनों राज्य सरकारों के अनुरोध पर कुछ अन्य घटकों को परियोजना में शामिल करना आवश्यक पाया गया था। परिकल्पित सिंचाई क्षमता प्राप्त करने के लिए तकनीकी दृष्टि से आरएमसी और एलएमसी की पूर्ण लाइनिंग को भी आवश्यक माना गया। इस प्रकार वितरण प्रणाली के कार्य, आरएमसी और एलएमसी की लाइनिंग, रास्ते में संरचनाओं की रीमॉडलिंग, कुछ नई संरचनाओं का निर्माण और परियोजना से प्रभावित परिवारों (पीएएफ) के राहत एवं पुनर्वासन(आर एंड आर) के लिए एकबारगी विशेष पैकेज को अद्यतन लागत अनुमान में प्रदान किया जाना था। इसी वजह से परियोजना के लिए संशोधित लागत अनुमान तैयार किया गया था। शेष कार्यों की लागत 2430.76 करोड़ रुपये में से केंद्र 1836.41 करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगा।

सांसद ने कहा कि बिहार और झारखंड की सरकार ने बेहतर सहयोग किया तो यह परियोजना तीन महीने में पूरी हो जाएगी। परियोजना के लिए कुटकु डैम पहले ही बना हुआ है। डैम से सिर्फ लोहे का फाटक लगाने का काम बाकी है। लेफ्ट मेन कैनाल(एलएमसी) में बिहार के क्षेत्र में 103 आरडी से लेकर कररबार तक कंक्रीट लाईनिंग के लिए टेंडर हो चुका है। बरसात बाद इस पर काम भी शुरू हो जाएगा। उन्होने कहा कि उतर कोयल नहर परियोजना देश की ऐसी परियोजना है, जिसके लिए विस्थापितों को दो बार मुआवजा दिया जाएगा। कहा कि सरकार परियोजना के लिए अधिग्रहित जमीन का शुरु में ही मुआवजा भुगतान कर चुकी है। इसके बाद बंद परियोजना का काम जब आगे बढ़ा तो अधिग्रहित जमीन पर काबिज विस्थापितों ने यह कहकर कब्जा छोड़ने से इंकार कर दिया कि उनके पूर्वजों को मुआवजा मिलने की कोई जानकारी नही है। बिना मुआवजा भुगतान के वें कब्जा नही छोड़ेंगे। इस मामले में केंद्र सरकार ने पुनः मुआवजा देना स्वीकार कर लिया है। साथ ही शर्त रखा है कि मुआवजा की आधी राशि मिलने के बाद वें कब्जा छोड़ देंगे। कब्जा छोड़ने के बाद ही उन्हे मुआवजा की शेष 50 प्रतिशत राशि का भुगतान किया जाएगा। 

सांसद की बातों में ही परियोजना के पूरा हाेने में विलंब और रोड़ा अटकाये जाने का संकेत मिला। उन्होने कहा कि 2009 तक यह परियोजना मृतप्राय पड़ी थी। परियोजना बंद होने के बाद की सरकारों ने इसमें रुचि नही ली। जब केंद्र सरकार इसे लेकर चिंतित हुई तो राज्य सरकारों ने रुचि नही ली जबकि सिंचाई राज्य का विषय है। जब भारत सरकार परियोजना के लिए धन देने और कानूनी बाधाओं को दूर करने को तैयार हुई तो राज्य सरकारों ने सहयोग नही किया। झारखंड सरकार ने सुरक्षा मुहैया कराने तक में रुचि नही ली। सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए भवन बनवाने की भी जिम्मेवारी नही ली। अब केंद्र सरकार अपने खर्च पर सुरक्षाकर्मियों के रहने के लिए भवन बनवा रही है। कहा कि अब यदि असहयोग के बजाय राज्य सरकारो का बेहतर सहयोग मिला तो परियोजना तीन माह में पूरी हो जाएगी और किसानों के खेतों में उतर कोयल नहर का लाल पानी आने लगेगा। 

प्रेसवार्ता में भाजपा के वरीय नेता सुनील सिंह, जिला महामंत्री मुकेश सिंह, प्रदेश कार्यसमिति सदस्य अशोक सिंह एवं मीडिया प्रभारी मितेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

पुलिस को मिली बड़ी सफलता, तीन चोरों को किया गिरफ्तार

औरंगाबाद : शहर में चोरी और छीनतई की लगातार बढ़ती घटनाओं के बीच पुलिस ने तीन चोरों को गिरफ्तार किया है। औरंगाबाद के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अमानुल्लाह खान ने गुरूवार को प्रेसवार्ता में बताया कि दो अलग अलग मामलों में एक स्नैचर और दो चोरों को रंगेहाथ गिरफ्तार किया गया है। 

उन्होने बताया कि 04 अक्टूबर को शाम 05 बजे रमेश चौक पर दो महिलाओं के झोले को ब्लेड से काटकर दो मोबाईल एवं क्रमशः 1,700 व 1,500 गायब कर दिया गया था। इसी मामले में पुलिस ने एक स्नैचर को पकड़ा है, जिसका नाम विजय माली है। वह बक्सर के मुफ्फसिल थाना के अन्यायपुर का निवासी है। उसके पास से छीनतई के 26 हजार 700 रूपये बरामद किए गए है।

इसी प्रकार शहर के चुड़ी मॉर्केट में बीती रात चोरी के प्रयास में लगे दो चोरो को भी गिरफ्तार किया गया है। दोनों चोरी करने के उद्देश्य से एक दुकान के छत के करकट को काट रहे थे। इसी दौरान गश्ती दल द्वारा दोनों को खदेड़कर रंगेहाथ पकड़ा गया। पकड़े गए चोरो की पहचान नावाडीह निवासी मो. शमशाद(22) एवं आजाद नगर निवासी राजू खलीफा(21) के रूप में की गई है। 

दोनो ने पूछताछ में बताया कि तीन-चार दिन पहले चुड़ी मॉर्केट में की गयी चोरी एवं औरंगाबाद कोर्ट परिसर के दुकान में की गयी चोरी को दोनों ने अन्य चोरो के साथ मिलकर कारित किया था। अन्य चोरो को चिन्हित कर उनके विरुद्ध अग्रेतर अनुसंधान किया जा रहा है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र

ओबरा प्रखंड के बीडीओ युनुस सलीम अचानक हुए गायब, तलास जारी

औरंगाबाद : जिले से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां ओबरा प्रखंड के बीडीओ युनूस सलीम अचानक गायब हो गए। जिनकी पुलिस द्वारा तलाश जारी है। 

ओबरा प्रखंड के बीडीओ युनुस सलीम के अचानक से गायब होने की सूचना जैसे ही पुलिस को मिली,पुलिस इसे लेकर सक्रिय हो गई। बीडीओ के होने की सभी संभावित ठिकानों पर उनकी खोजबीन में पुलिस जुट गई।

इसी कड़ी में जब नजदीकी रेलवे स्टेशन अनुग्रह नारायण रोड के सीसीटीवी को जब खंगाला गया तब वहां के सीसीटीवी फुटेज में वे नजर आए। स्पष्ट देखा जा सकता है कि बीडीओ युनुस स्टेशन के प्लेटफार्म पर टहल रहे हैं।शायद किसी ट्रेन का इंतजार कर रहे हैं। इस बीच प्लेटफार्म के सीमेंटेड बेंच पर बीडीओ बैठे भी दिख रहे हैं।अगली फुटेज में बीडीओ सासाराम-धनबाद इंटरसिटी ट्रेन पर सवार होते नजर आ रहे हैं।

हालांकि,पुलिस ने सासाराम रेलवे स्टेशन का सीसीटीवी फुटेज भी खंगाला मगर वहां उनका कुछ पता नहीं चल पाया ।फिलहाल पुलिस की कोशिशें जारी हैं।

गौरतलब है कि ओबरा के बीडीओ यूनुस सलीम के भाई जफर इमाम भी नासरीगंज में बतौर बीडीओ कार्यरत हैं और उन्ही के द्वारा ओबरा थाने में उनकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई गई है।

औरंगाबाद से धीरेन्द्र