*पंडालों में विराजे विघ्नहर्ता, दर्शन को लगी भक्तों की कतार*
रिपोर्ट -नितेश श्रीवास्तव
भदोही। जिले में गणेश चतुर्थी के पावन अवसर पर विघ्नहर्ता गणपति महाराजा पंडाल में विराजमान हो गए। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक गणिपति बप्पा मोरया के बीच भगवान गणेश की प्रतिभाएं पंडालों में स्थापित की गई। इस दौरान दोनों पहर गणेश जी की विधिवत आरती उतारी गई। गणपति पंडालों को रंग-बिरंगी लाइटें और फूलों से सजाया गया।
गणेश चतुर्थी का पर्व मुंबई में धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन इधर पांच वर्षों में कालीन नगरी में भी इसे लेकर लोगों में क्रेज बढ़ा है। बुद्धि के देवता कहे जाने वाले श्रीगणेश की पूजा सबसे पहले होती है। उनका स्वरूप अत्यंत प्रेरणा देने वाला है। मान्यता है कि भद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन श्रीगणेश जी का आविर्भाव हुआ था, इसीलिए इस तिथि को गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन गणेश जी की आराधना की जाती और गणेश उत्सव मनाया जाता है।
ज्ञानपुर नगर, गोपीगंज नगर श्री गणेशोत्सव मंडल क्लब पश्चिमी मोहाल, श्री गणेश उत्सव मंडल क्लब दुर्गाजी गली सदर मोहाल, श्री गणेश उत्सव क्लब पश्चिमी मोहाल, श्री बाल गणेश उत्सव मंडल, खड़हट्टी मोहाल, श्री गणेश उत्सव मंडल पसियान महाल के साथ ग्रामीण क्षेत्रों में पंडाल सजाया गया है। दुर्गा मंदिर गली में दस दिवसीय अनुष्का के दौरान प्रथम पूज्य गणेश जी का अलग-अलग स्वरुप में श्रृंगार किया जाएगा। सीमित के विजय कौशल ने बताया कि विसर्जन में महाराष्ट्रीय ढोल पताका विशेष आकर्षण का केंद्र होगा। सूरज बाबू राय, गणेश, कृष्णा निकम, सौरभ, कृष्णा, द्वीपू, हनी , अंकित महेश, गुड्डू, मूरत,करन, सत्यम,आयुष, प्रिंस,प्रीतम सोनू आदि उपस्थित रहे।आचार्य शरद पांडेय के अनुसार सनातन धर्म में भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी अर्थात गणेश चतुर्थी का अपना एक विशेष स्थान है।
शास्त्र के अनुसार इस व्रत को उसी चतुर्थी में करना चाहिए, जो चंद्रमा के उदय में व्याप्त हो, क्योंकि संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा में भाद्रपद की चौथ की चंद्रमा उदय होने पर विघ्न विनाशक प्रथम आराध्य गणेश जी के साथ चंद्र पूजन और अर्घ देने का विधान है। चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी व्रत की पूजा का विधान है। गणपति 19 से 28 सितंबर लोगों के बीच रहेंगे। इसके बाद अनंत चतुर्दशी को विसर्जित किया जाएगा।
Sep 20 2023, 20:37