अगर केवल बुखार है तो डेंगू से डरने की जरूरत नहीं, जानिए अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ किशोर से डेंगू के लक्षण और बचाव के उपाय
औरंगाबाद : जिले में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है।अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ किशोर कुमार ने बताया कि अगर केवल बुखार है तो डेंगू खतरनाक नहीं है, लेकिन कुछ लक्षण ऐसे भी होते हैं जिनको समय पर पहचान और इलाज कराना जरूरी है। समय पर ट्रीटमेंट न कराने से मरीज की मौत तक हो सकती है। ऐसे में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए।
उन्होंने बताया कि डीएसएस डेंगू का सबसे खतरनाक स्टेज माना जाता है। डॉक्टरों की मानें तो डेंगू शॉक सिंड्रोम लाखों में एक को होता है।जिसे बचा पाना थोड़ा मुश्किल होता है।
डेंगू के मरीज को अचानक से तेज बुखार आता है, पूरे बदन और आंखो के नीचे में दर्द होता है, चक्कर आता है। अगर तेज बुखार के साथ उल्टी-मतली आ रही है और मांसपेशियों में भी दर्द हो रहा है तो इस स्थिति में तुरंत अस्पताल जाकर चिकित्सक से दिखाए। इसका संकेत है कि शरीर में प्लेटलेट्स का लेवल अचानक से गिर रहा है।
बुखार आने के दो से तीन दिन के बाद शरीर में डेंगू के लक्षण दिखाई देने लगते हैं। अगर केवल बुखार ही है तो ज्यादा चिंता की बात नहीं है, लेकिन अगर ये सब लक्षण भी दिख रहे हैं तो इनको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
अगर प्लेटलेट्स का लेवल अचानक गिरने लगता है और 20 हजार से कम हो जाता है तो जान का खतरा रहता है। अभी बरसात का मौसम है और डेंगू फैलने की संभावना अधिक होती है तो डॉक्टर को सस्पेक्ट करना पड़ेगा कि यह डेंगू का केस है या नहीं तो वैसे कंडीशन में थोड़ा सा भी अगर शंका होता है तो वैसे केस में हम लोग एनएस वन किट से टेस्ट करवाते हैं उसमें अगर पॉजिटिव आ जाता है तो उसको हम लोग फरदर जांच करवाते हैं। अगर पॉजिटिव नहीं पाया जाता है तो उसको हम लोग नॉर्मल जो वायरल फीवर का इलाज होता है वह करते हैं। इसमें बहुत कुछ ज्यादा इलाज की जरूरत नहीं होती है। जिसमें पेरासिटामोल सबसे प्रमुख हथियार है। चुकी बुखार तेज होता है बदन में दर्द होता है।
उन्होंने मीडिया के माध्यम से लोगों से अपील की है की दर्द की अन्य गोली कभी भी बिना डॉक्टर के राय से ना लें। पेरासिटामोल ही सबसे सुरक्षित दवा है। अगर तेज बुखार होता है तो पेरासिटामोल से ही उतारने की कोशिश करें। ठंडे पानी से पूरे शरीर को पोछे ।इससे भी अगर बुखार कम नहीं होता है तो अस्पताल ले जाकर डॉक्टर को दिखाएं ।
जैसे ही हम लोगों को जिला स्तर से पता चलता है कि कोई व्यक्ति पीड़ित है तो उसके घर के करीब 500 मीटर के दायरे में फागिंग करवाते हैंऔर उसके बाद लार्वा को नष्ट करने के लिए डेंगू फोर्स का छिड़काव करवाते हैं।
उन्होंने कहा कि घरों के आसपास साफ-सफाई रखें और मच्छरों को पनपने नहीं दें। अगर कही पानी जमा है तो या तो मिट्टी का तेल डाल दे या उस पानी को फेंक दे।
बताते चले कि औरंगाबाद में अब तक डेंगू के कुल 28 मरीज मिले हैं। जिसमें 20 मरीज की रिपोर्टिंग पटना से हुई है। जबकि रहनेवाले औरंगाबाद के हैं। जिनका इलाज पटना के अस्पतालों में चल रहा है। डेंगू के आठ मरीज की पहचान सदर अस्पताल में हुई है। जिसमें दो मरीजों को एडमिट कर इलाज किया जा रहा है। बाकी बचे 6 मरीजों का इलाज कर घर भेज दिया गया।
जबकि ओबरा प्रखंड की देवकली गांव के रहनेवाले जदयू नेता अशोक पाण्डेय की 65 वर्षीय पत्नी सरस्वती देवी की मौत डेंगू से इलाज के दौरान वाराणसी में हो गई। डेंगू के मरीजों को परेशानी न हो इसके लिए जिले में डेंगू के मरीजों के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है, जिसमें पूरे जिले भर में 55 बेड का मच्छरदानी लगा वार्ड बनाया गया है। वहीं, सदर अस्पताल में 10 बेड का डेंगू वार्ड भी बनाया गया है।
औरंगाबाद से धीरेन्द्र
Sep 17 2023, 19:42