देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर पर टिप्पणी कर बुरे फंसे भारत पे के सह संस्थापक अशनीर ग्रोवर, लसुड़िया थाने दर्ज हुई FIR

 मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में BharatPe के सह-संस्थापक रहे तथा शार्क टैंक इंडिया के पूर्व जज अशनीर ग्रोवर के खिलाफ FIR दर्ज हो गई है। देश के सबसे साफ शहरों के सर्वेक्षण में इंदौर के निरंतर टॉप पर रहने पर ग्रोवर ने सवालिया निशान लगाया था। एक समारोह में ग्रोवर ने कहा कि इंदौर ने सर्वे को खरीदा है। इंदौर ब्रिलियंट कन्वेंशन जैन इंटरनेशनल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (जीतो) के समारोह में अशनीर ग्रोवर मुख्य अतिथि के रूप में चर्चा कर रहे थे। 

इस के चलते ग्रोवर ने कहा कि एक बार, दो बार, तीन बार और हर बार इंदौर के पहले नंबर पर आने से माना जा सकता है कि इंदौर ने स्वच्छता सर्वे को ही खरीद रखा है, जिसकी वजह से उसे हर बार यह अवॉर्ड मिलता है। जबकि स्वच्छता के लिहाज से भोपाल बेहतर है। केवल सड़कों से रैपर उठाना ही सफाई नहीं होती। इंदौर में ऐसा होता है। क्लीननेस में केवल चिप्स के पैकेट को ही नहीं गिनते हैं। मलबे को भी गिनते हैं। मतलब ग्रोवर ने इशारों-इशारों में यह जताने की कोशिश की कि इंदौर गड़बड़ी करके स्वच्छता के नाम पर पहले नंबर पर है। समारोह में इस बात को लेकर विरोध की स्थिति भी बनी। लिहाजा दर्शकों ने अशनीर की हूटिंग आरम्भ कर दी। हालांकि, ग्रोवर ने तुरंत स्पष्ट किया कि वह यह नहीं कह रहे थे कि इंदौर में गंदगी है, तथा उनका मतलब था कि शहर में कई निर्माण कार्य चल रहे हैं। 

इसके चलते कार्यक्रम के आयोजक बेशर्मी से इंदौर को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी सुनते रहे। कार्यक्रम के पश्चात् जैसे ही ग्रोवर का यह वीडियो वायरल हुआ तो इंदौर नगर निगम ने इस पर आपत्ति व्यक्त करते हुए इसे शहर का अपमान बताया। बता दें कि मध्य प्रदेश का इंदौर शहर निरंतर छह साल से केंद्र के स्वच्छ सर्वेक्षण में शीर्ष पर बना हुआ है। आखिरकार सोमवार शाम को इंदौर के लसुड़िया थाने में मोटिवेशनल स्पीकर तथा उद्यमी अशनीर ग्रोवर के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। ग्रोवर को इंदौर के संजय घावरी की शिकायत पर IPC की धारा 499 और 500 के तहत आरोपी बनाया गया है।

चीन ने भारत-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर का किया स्वागत, कहा-बस भू-राजनीतिक हथकंडा नहीं बननी चाहिए

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जी20 सम्मेलन के पहले दिन इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण का ऐलान कर दिया गया है।इस कॉरिडोर में भारत के अलावा यूएई, सऊदी अरब, यूरोपीय संघ, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका जैसे शक्तिशाली देश शामिल हैं। इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के ऐलान को भारत की कूटनीतिक जीत मानी जा रही है।ये ऐलान मिडल ईस्ट और यूरोप के बाजारों में चीन के बढ़ते दबदबे पर एक तरह से रोक लगाने का प्लान है। हालांकि, चीन ने नए गलियारे पर प्रतिक्रिया देते हुए इसका स्वागत किया है। साथ ही कुछ सलाह भी दे डाली है।

चीन ने सोमवार को कहा कि वह जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर घोषित भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारे का स्वागत करता है, जब तक कि यह एक "भूराजनीतिक उपकरण न बन जाए। मंत्रालय ने कहा कि चीन विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे के निर्माण में मदद करने वाली सभी पहलों और कनेक्टिविटी और विकास को बढ़ावा देने की कोशिशों को स्वागत करता है, लेकिन कनेक्टिविटी की पहल खुली, समावेशी और तालमेल बनाने वाली होनी चाहिए और भू-राजनीतिक हथकंडा नहीं बननी चाहिए।

भारत, मध्य पूर्व के देशों और यूरोप के कॉरिडोर का जिक्र करते हुए चीन ने अपने 'बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव' से इटली के पीछे हटने के सवाल को ज्यादा तवज्जो नहीं दी। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वो उन सभी कोशिशों का स्वागत करता है जो विकासशील देशों के लिए इन्फ्रास्ट्र्क्चर बनाने में मदद करे। वो उन सभी प्रयासों के समर्थन में है जो कनेक्टिविटी और साझा विकास को बढ़ावा दे रहे हैं।

शनिवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत, मध्य पूर्व देशों और पूर्वी यूरोप को जोड़ने वाला कॉरिडोर लॉन्च करने का एलान किया था। ये कॉरिडोर भारत, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, इटली, जर्मनी और अमेरिका को जोड़ेगा। इस परियोजना का मक़सद भारत, मध्य पूर्व और यूरोप को रेल एवं पोर्ट नेटवर्क के ज़रिए जोड़ा जाना है। इस परियोजना के तहत मध्य पूर्व में स्थित देशों को एक रेल नेटवर्क से जोड़ा जाएगा जिसके बाद उन्हें भारत से एक शिपिंग रूट के माध्यम से जोड़ा जाएगा। इसके बाद इस नेटवर्क को यूरोप से जोड़ा जाएगा। इस प्रोजेक्ट से पहला फायदा होगा कि मिडल ईस्ट और यूरोप के बाजारों में भारत की पहुंच और पकड़ मजबूत हो सकती है। दूसरा फायदा होगा कि शिप और रेल कनेक्टिविटी होने से कम से कम लागत में तेल और गैस की सप्लाई होगी। तीसरा फायदा होगा कि मिडल ईस्ट और यूरोप में चीन पर भारत को कूटनीतिक और कारोबारी बढ़त मिलेगी।

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा कि ये सचमुच बड़ी डील है। इस कॉरिडोर को चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का जवाब माना जा रहा है। अब सवाल ये है कि अमेरिका इस प्रोजेक्ट में बढ़-चढ़कर क्यों हिस्सा ले रहा है। इसकी वजह चीन का बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट है, जिसके जरिए ड्रैगन मिडल ईस्ट से यूरोप के बाजारों पर कब्जा जमाना चाहता है। अमेरिका की कोशिश चीन के प्रभाव को रोकने की है। इसलिए उसने भारत की मदद ली और सऊदी अरब-यूएई को नए कॉरिडोर के लिए तैयार किया।

खाकी पैंट, कमल का फूल और गुलाबी रंग, संसद के 18 से 22 सितम्बर तक चलने वाले विशेष सत्र में नए ड्रेस में नजर आएंगे स्टाफ

गणेश चतुर्थी के दिन से सदन की कार्यवाही नए संसद भवन में होगी शुरू

संसद का विशेष सत्र 18 सितंबर से शुरू हो रहा है। 22 सितंबर तक चलने वाले इस सत्र का एजेंडा क्या होगा, इससे संबंधित कोई जानकारी सामने नहीं आई है। लेकिन जानकारों की मानें तो इस दौरान विधिवत पूजा - अर्चना के साथ सांसदों का नए भवन में प्रवेश होगा। गणेश चतुर्थी के दिन 19 सितंबर से सदन की कार्यवाही नए संसद भवन में चलेगी। इस सत्र की शुरुआत पुराने संसद भवन में होगी और समापन नए भवन में।

बताया जाता है कि 18 सितंबर को संसद के विशेष सत्र के पहले दिन वर्तमान संसद भवन के निर्माण से लेकर अब तक की यादों को लेकर चर्चा की जाएगी। दूसरे दिन पूजा - अर्चना के बाद नए संसद भवन में प्रवेश होगा और दोनों सदनों की संयुक्त बैठक भी हो सकती है।

संसद की कार्यवाही के पुराने से नए भवन में शिफ्ट होने की इस यात्रा के साथ ही यह विशेष सत्र कर्मचारियों के ड्रेस में बदलाव का भी गवाह बन सकता है। संसद भवन के कर्मचारियों के लिए नई पोशाक डिजाइन की गई है। यह पोशाक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी यानी निफ्ट ने डिजाइन किया है। सचिवालय के कर्मचारियों का परिधान बंद गला सूट से बदल कर मैजेंटा या गहरे गुलाबी रंग की नेहरु जैकेट कर दी जाएगी। उनके शर्ट भी गहरे गुलाबी रंग के होंगे जिन पर कमल का फूल बना होगा और वे खाकी रंग की पैंट पहनेंगे। इसी संदर्भ में महिला कर्मियों को भी नई डिजाइन की साड़ियां पहननी होगी। सारे अनुमानित पोशाक भारतीय संस्कृति और परम्पराओं पर आधारित होंगे। कर्मचारियों के पोशाक में बदलाव भी लोगों को अचंभित करेगा।

*दो दिनों तक भारत में फंसे होने के बाद कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो रवाना, तकनीकी खराबी दूर किए जाने के बाद विमान ने भरी उड़ान*

#canadapmjustintrudeauaircrafttakesofffromdelhi

जी20 समिट के बाद विमान में खराबी के कारण भारत में फंसे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो और उनका प्रतिनिधिमंडल आखिरकार अपने देश के लिए रवाना हो गए हैं।जी20 समिट में हिस्सा लेने के लिए भारत आए कनाडा के पीएम को दो दिनों तक भारत में ही रुकना पड़ा। उनके विमान में तकनीकी खराबी आ जाने की वजह से वे भारत में ही रुके रहे।आज मंगलवार को वे अपने देश के लिए रवाना हो चुके हैं। इस बात की जानकारी कनाडा पीएमओ की ओर से समाचार एजेंसी एएनआई को दी गई है।

कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय के प्रेस सचिव मोहम्मद हुसैन ने बताया था कि विमान की तकनीकी समस्या को हल कर लिया गया है उसे उड़ान भरने की मंजूरी दे दी गई है। मंगलवार की दोपहर कनाडाई पीएम के विमान ने नई दिल्ली हवाई अड्डे से उड़ान भरी।

इससे पहले खबर आई थी कि कनाडाई पीएम को भारत से वापस ले जाने के आने वाला वैकल्पिक विमान के भी भारत पहुंचने में देरी हो सकती है। सीबीसी न्यूज की खबर के अनुसार कनाडा से आ रहे ट्रूडो के वैकल्पिक विमान को भी लंदन डायवर्ट कर दिया गया जिससे उनकी स्वदेश वापसी में और देरी होने की आशंका बढ़ गई है। रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली जाने के लिए रोम से होकर जा रहे विमान को लंदन की ओर मोड़ दिया गया।

रविवार को ही भारत से होना था रवाना

दरअसल, नई दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें शामिल होने के लिए ट्रूडो भारत आए थे। दो दिवसीय बैठक में शामिल होने के बाद उन्हें रविवार को ही भारत से रवाना होना था, लेकिन उनके विमान में अचानक कुछ तकनीकी खराबी आ गई, जिसके कारण उन्हें थोड़े और समय के लिए दिल्ली में ही रुकना पड़ा था।

अपने होटल के कमरे में ही बीताया था पूरा दिन

सोमवार को भारत में फंसे कनाडाई प्रधानमंत्री ने राजधानी के ललित होटल में अपने कमरे में ही रहने का फैसला किया। सोमवार को ट्रूडो की भारत सरकार के किसी अधिकारी से कोई आधिकारिक मुलाकात नहीं हुई। विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि उन्हें किसी अन्य आधिकारिक कार्यक्रम के लिए कोई अनुरोध नहीं मिला था और ट्रूडो की अगवानी के लिए नियुक्त राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के कार्यालय ने भी पुष्टि की कि उनका कर्तव्य केवल कनाडाई प्रधान मंत्री के आगमन पर हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करना था। स्थानीय उच्चायोग में भी किसी कार्यक्रम का कोई संकेत नहीं मिला है।

*महंगी होंगी डीजल की गाड़ियां, लगाया जाएगा 10 प्रतिशत अतिरिक्‍त टैक्‍स ? जानें गडकरी के बयान के मायने*

#nitin_gadkari_proposes_10_percent_gst_hike_on_diesel_powered_vehicles 

भारत में डीजल इंजन वाले वाहनों को खरीदना जल्द ही महंगा हो सकता है। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने डीजल से चलने वाली गाड़ियों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त जीएसटी लगाने का सुझाव दिया है।

63वें सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (SIAM) कन्वेंशन में बोलते हुए, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि, वो केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से डीजल इंजन/वाहनों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत GST लगाने का अनुरोध करने की योजना बना रहे हैं।डीजल वाहन सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाते हैं, और सरकार चाहती है कि सड़क पर इनकी संख्या कम से कम हो।उन्होनें कहा कि, "मैंने पिछले 10-15 दिन से एक पत्र तैयार रखा है, जिसे मैं आज शाम को वित्त मंत्री को सौंपूंगा, जिसमें डीजल वाहनों और डीजल से चलने वाले सभी इंजनों पर अतिरिक्त 10% जीएसटी लगाने का प्रस्ताव है।

सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि देश में डीजल गाड़ियां बननी ही नहीं चाहिए। दरअसल, देश में वैकल्पिक ईंधनों के इस्तेमाल पर जोर देने के लिए उन्होंने डीजल इंजन वाली गाड़ियों पर 10 फीसदी अतिरिक्त टैक्स लगाने की बात कही है।

हालांकि बाद में उन्होंने इसे लेकर ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए साफ किया कि सरकार हाल-फिलहाल में इस तरह के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है।नितिन गडकरी का कहना है कि ऑटो इंडस्ट्री को इस बारे में खुद से एक्शन लेना चाहिए। डीजल गाड़ियों को ‘बाय-बाय’ कह देना चाहिए। नहीं तो सरकार उन पर इतना टैक्स बढ़ा देगी कि कंपनियों के लिए उन्हें बेचना मुश्किल हो जाएगा।

उन्‍होंने एक्‍स पर कहा कि डीजल जैसे खतरनाक ईंधन की वजह से बढ़ते प्रदूषण को कम करने और 2070 तक कार्बन नेट जीरो की प्रतिबद्धता हासिल करने और ऑटोमोबाइल की तेज ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि हम स्‍वच्‍छ और ग्रीन वैकल्पिक ईंधन की दिशा में सक्रियता से कदम उठाएं और उन्‍हें अपनाएं। ये ईंधन आयातित ईंधन के विकल्‍प होंगे, लागत प्रभावी होंगे, देसी होंगे और प्रदूषण रहित होंगे।

बता दें कि नई गाड़ियों पर कुल कीमत का 28 फीसदी जीएसटी लगता है। इलेक्ट्रिक वाहनों पर ये सिर्फ 5 फीसदी है। बाकी गाड़ियों पर फिर चाहे वो पेट्रोल हो, डीजल हो, सीएनजी हो, उनपर 28 फीसदी का टैक्स लगता है। नितिन गडकरी अब इसके अलावा डीजल गाड़ियों पर अतिरिक्त 10 फीसदी प्रदूषण टैक्स लगाने की सिफारिश कर रहे हैं।

*सुप्रीम कोर्ट से केद्र को झटका, राजद्रोह कानून मामले में 5 जजों की पीठ करेगी सुनवाई*

#sc_declines_centre_request_defer_examining_validity_of_sedition_law 

राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट की बड़ी बेंच सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता 124A के तहत राजद्रोह कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कम से कम पांच जजों की संविधान पीठ के पास भेज दिया है।वहीं, कोर्ट ने राजद्रोह कानून की वैधता की जांच को स्थगित करने के केंद्र के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया है।

152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई।शीर्ष अदालत ने कहा कि नया कानून एक स्थायी समिति के समक्ष विचार के लिए लंबित है। इसलिए अभी इस अनुरोध को नहीं स्वीकार सकते हैं। वहीं, उन्होंने राजद्रोह को अपराध बनाने वाली IPC की धारा 124A पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राजद्रोह को अपराध मानने वाली भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कम से कम पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजने पर सहमत है।

सीजेआई ने कहा कि हम एक से अधिक कारणों के चलते 124ए की संवैधानिक वैधता को चुनौती की सुनवाई टालने के एजी और एसजी के अनुरोध को अस्वीकार करते हैं।124ए कानून की किताब में बना हुआ है और दंडात्मक कानून में नए कानून का केवल संभावित प्रभाव होगा और वह अभियोजन की वैधता 124ए रहने तक बनी रहती है और इस प्रकार चुनौती का मूल्यांकन करने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्टर्ड सुनवाई करने वाली पीठ में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा भी शामिल थे। उन्होंने शीर्ष कोर्ट की रजिस्ट्री को सीजेआई के सामने कागजात पेश करने का निर्देश दिया ताकि "कम से कम पांच जजों की बेंच" वाली पीठ के गठन के लिए प्रशासनिक पक्ष पर सही निर्णय लिया जा सके।

बता दें कि पिछले साल 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को सुनते हुए आईपीसी की धारा 124A को अंतरिम तौर पर निष्प्रभावी बना दिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस कानून के तहत नए मुकदमे दर्ज न हों और जो मुकदमे पहले से लंबित हैं, उनमें भी अदालती कार्रवाई रोक दी जाए। कोर्ट ने केंद्र सरकार को कानून की समीक्षा करने की अनुमति दी थी। साथ ही कहा था कि जब तक सरकार कानून की समीक्षा नहीं कर लेती, तब तक यह अंतरिम व्यवस्था लागू रहेगी।

पुतिन से मिलने ट्रेन से रूस पहुंचे किम जोंग, हथियार सप्लाई पर बातचीत के आसार, दुनियाभर की लगी निगाहें

#north_korea_dictator_kim_jong_un_travels_to_russia_by_bulletproof_train 

अभी हाल ही में भारत में जी20 शिखर सम्मेलन खत्म हुआ है। इस शिखबर सम्मेलन में शामिल होने के लिए अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन और यूके के पीएम ऋषि सुनक समेत तमाम बड़े देशों के नेता और प्रतिनिधि देश की राजधानी दिल्ली में मौजूद थे। हालांकि, इस समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने हिस्सा नहीं लिया था। भारत में आयोजित इस समिट में दुनियाभर की निगाहें थी। इसके सफल आयोजन के बाद अब दुनिया की नजरें रूस पर लगी हैं, जहां उत्‍तर कोरिया के तानशाह किम जोंग उन रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलने पहुंचे हैं।

क्रेमलिन ने किम जोंग उन के रूस दौरे का ऐलान करते हुए कहा है कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और किम जोंग उन की मुलाकात आने वाले दिनों में होगी। माना जा रहा है कि पुतिन और किम जोंग उन के बीच दूसरी बार होने वाली यह मुलाकात आज या कल हो सकती है। दोनों नेता 10 से 13 सितंबर तक चलने वाले ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में भाग लेने के लिए व्लादिवोस्तोक की फार ईस्टर्न फेडरल यूनिवर्सिटी के कैंपस जाएंगे। अधिकारियों के मुताबिक किम जोंग उन रूस के प्रशांत महासागर फ्लीट के नेवल बेस पीएर 33 भी जा सकते है।

कोरोना के बाद किम जोंग की यह पहली विदेश यात्रा होगी। इससे पहले पुतिन और किम की मुलाकात 2019 में व्लादिवोस्तोक में ही हुई थी। किम चार साल से ज्‍यादा समय के बाद उत्‍तर कोरिया के बाहर पहली ज्ञात यात्रा पर गए हैं। वह इस बार रूस के राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर वार्ता करने वाले। खास बात ये है कि र कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन अपने पिता की तरह ही हवाई जहाज से यात्रा करना पसंद नहीं करते। वह ट्रेन से यात्रा करते हैं। रूस के दौरे पर भी

अमेरिकी अधिकारियों के मुताबिक इस दौरान वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन से यूक्रेन जंग में हथियारों की सप्लाई और सैन्य सहयोग पर बात करेंगे। 6 सितंबर को व्हाइट हाउस ने पुतिन और किम के बीच होने वाली हथियारों की डील को लेकर चेतावनी दी थी। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जॉन किरबी ने कहा था कि दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को लेकर उच्चस्तरीय बातचीत लगातार बढ़ रही है। हालांकि, इसके बारे में अधिक जानकारी देने से अधिकारियों ने मना कर दिया था। नॉर्थ कोरिया और रूस, अमेरिका के धुर विरोधी देश माने जाते हैं

अब तक भारत में ही फंसे हैं कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, वापस ले जाने के लिए आ रहा दूसरा खास विमान

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जी20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने आए कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो अभी भी भारत में ही मौजूद हैं। उन्हें रविवार को ही भारत से रवाना होना था, मगर विमान में आई तकनीकि खराबी के कारण उन्हें दिल्ली में ही रुकना पड़ा है। प्रधानमंत्री ट्रूडो को भारत से ले जाने के लिए कनाडा से विमान मंगाया गया है। विमान के भारत पहुंचते ही ट्रूडो अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ कनाडा के लिए रवाना हो जाएंगे।

पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से कहा है कि कनाडा से प्लेन के भारत पहुंचने के बाद ट्रूडो मंगलवार सुबह स्वदेश के लिए रवाना हो सकते हैं। पीएम ट्रूडो को भारत से ले जाने के लिए कनाडाई आर्म्ड फोर्स ने एक विमान भेजा है। कनाडा के प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा है कि कनाडाई प्रतिनिधिमंडल मंगलवार दोपहर दिल्ली से रवाना हो सकता है। प्रेस सेक्रेटरी मोहम्मद हुसैन ने कहा कि जाने के समय में बदलाव की भी गुंजाइश है। ओंटारियो से रविवार दोपहर एक सीसी-150 पोलारिस विमान सीएफबी ट्रेंटन बेस से रवाना हुआ। इसके साथ सीसी-144 चैलेंजर विमान भी है। दोनों विमान फिलहाल लंदन में है।

इंजीनियरों की टीम कल से ही विमान ठीक करने में जुटी

ट्रूडो शुक्रवार को राजधानी दिल्ली पहुंचे थे। शनिवार और रविवार को जी20 बैठकों में हिस्सा लिए और पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। इसके बाद शाम को वो कनाडा लौटने वाले थे, लेकिन उससे पहले ही उनके विमान में कोई तकनीकी खराबी आई गई। इंजीनियरों की टीम कल से ही विमान को ठीक करने में जुटी हुई है। विमान में क्या दिक्कत है और किस तरह की खराबी आई है इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।

अपने होटल के कमरे में ही बीताया पूरा दिन

सोमवार को भारत में फंसे कनाडाई प्रधानमंत्री ने राजधानी के ललित होटल में अपने कमरे में ही रहने का फैसला किया। सोमवार को ट्रूडो की भारत सरकार के किसी अधिकारी से कोई आधिकारिक मुलाकात नहीं हुई। विदेश मंत्रालय ने पुष्टि की कि उन्हें किसी अन्य आधिकारिक कार्यक्रम के लिए कोई अनुरोध नहीं मिला था और ट्रूडो की अगवानी के लिए नियुक्त राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर के कार्यालय ने भी पुष्टि की कि उनका कर्तव्य केवल कनाडाई प्रधान मंत्री के आगमन पर हवाई अड्डे पर उनका स्वागत करना था। स्थानीय उच्चायोग में भी किसी कार्यक्रम का कोई संकेत नहीं मिला है।

पीएम मोदी ने कनाडा में भारत के ख‍िलाफ उठ रही आवाजों पर च‍िंता जताई

कनाडाई पीएम ऐसे समय में भारत में फंसे हुए हैं जब रविवार को जारी किए गए एक बयान में भारत की ओर से 'कनाडा में चरमपंथी तत्वों की भारत विरोधी गतिविधियों को जारी रखने के बारे में गंभीर चिंता' व्यक्त की गई है। इसके थोड़ी देर बाद, अलगाववादी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने रविवार को जल्दबाजी में कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया में एक गुरुद्वारे में खालिस्तान जनमत संग्रह की व्यवस्था की, यह एक ऐसा कदम जिस पर भारत सरकार के स्तर पर नजर बनी हुई थी।

'अपने आप ही भारत में मिल जाएगा PoK, बस थोड़ा इंतजार करिए', पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह का बड़ा बयान

#ex_army_chief_vk_singh_pok_will_merge_with_india_its_own_in_some_time

केंद्रीय मंत्री और पूर्व आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को लेकर बड़ा बयान दिया है। वीके सिंह ने दावा किया है कि कुछ समय बाद पीओके का अपने आप ही भारत में विलय हो जाएगा, इसके लिए बस थोड़ा तजार करना होगा।दअरसल, राजस्थान के दौसा में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह से जब पूछा गया कि PoK के लोग भारत आने के लिए सड़कें खोलने की मांग कर रहे हैं। इस पर वीके सिंह ने ये बड़ा दावा किया है।

जनरल वीके सिंह बीजेपी की परिवर्तन संकल्प यात्रा के सिलसिले में राजस्थान पहुंच हुए हैं। राजस्थान के दौसा में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी सांसद और पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीके सिंह से पूछा गया कि पीओके के शिया मुस्लिम भारत के साथ सीमा खोलने की बात कर रहे हैं। इस पर आप क्या कहना चाहेंगे? इस सवाल में पूर्व सेना प्रमुख ने कहा, पीओके का खुद-ब-खुद भारत में विलय हो जाएगा। आप बस थोड़ा सा इंतजार करिए।

वीके सिंह ने दौसा में कहा कि इतने सफल आयोजन के लिए अन्य देशों ने भी भारत की सराहना की है। सम्मेलन में जारी सामूहिक घोषणापत्र में भारत को बड़ी जीत हासिल हुई है।दुनिया यूक्रेन समेत कई मुद्दों पर बंटी हुई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुद्धिमत्ता से हम सबने मिलकर एक ऐसा रास्ता निकाला है, जिस पर किसी भी देश को कोई आपत्ति नहीं थी। उन्होंने कहा कि बायोफ्यूल एलायंस और भारत से यूरोप तक कॉरिडोर बनने से भारत की आर्थिक प्रगति का मार्ग प्रशस्त होगा। जी-20 के आयोजन से भारत के बढ़ते हुए स्वरूप को दुनिया ने देखा है और पांचवें से तीसरी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे भारत ने अपना स्वरूप दिखाया है। उन्होंने कहा कि ‘कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी जी-20 की संयुक्त घोषणा का स्वागत किया है।

जी20 शिखर सम्मेलन के लिए अमेरिका ने की भारत की तारीफ, दिल्ली घोषणापत्र पर कही ये बात

#us_praises_g20_summit_in_india_successful

भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी20 नेताओं का शिखर सम्मलेन रविवार को पूरे उत्साह के साथ खत्म हो गया। जी-20 शिखर सम्मेलन की शानदार मेजबानी और नई दिल्ली लीडर्स डिक्लेरेशन (एनडीएलडी) को सर्वसम्मति के साथ स्वीकारे जाने के लिए भारत और पीएम मोदी के नेतृत्व की दुनियाभर में तारीफ हो रही है। अमेरिका ने भी जी20 के आयोजन को सफल करार दिया है।अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को प्रेस ब्रीफिंग में जी20 को लेकर बात की।उन्होंने कहा, हम पूरी तरह से मानते हैं कि ये सफल रहा।

सोमवार को एक नियमित प्रेस वार्ता में अमेरिकी विदेश विभाग के आधिकारिक प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने मीडिया से कहा कि ‘हम पूरी तरह से मानते हैं कि यह एक सफलता थी। जी-20 एक बड़ा संगठन है। रूस जी-20 का सदस्य है। चीन जी20 का सदस्य है। अमेरिकी प्रवक्ता से मीडिया के सवाल किया था कि क्या जी-20 शिखर सम्मेलन सफल रहा? इसके जवाब में मिलर ने जी-20 समिट को पूरी तरह सफल बताया।

नई दिल्ली घोषणा से रूस की अनुपस्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ऐसे सदस्य हैं जिनके पास विविध विचार हैं। हम इस तथ्य पर विश्वास करते हैं कि संगठन एक बयान जारी करने में सक्षम था जो क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करने का आह्वान करता है और यह कहना कि उन सिद्धांतों का उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिए, महत्वपूर्ण बात है क्योंकि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के मूल में यही है। मिलर ने कहा, यह वही प्रश्न हैं इसलिए हमने सोचा कि उनके लिए यह अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण बयान था।

बता दें कि देशों ने शनिवार को नई दिल्ली की लीडर्स घोषणा में यूक्रेन में जंग का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘परमाणु हथियारों का उपयोग या उपयोग की धमकी अस्वीकार्य है।’ रूस का उल्लेख किए बिना जी-20 सदस्य देशों ने बाली घोषणा को याद किया और रेखांकित किया कि सभी राज्यों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के हिसाब से काम करना चाहिए। इसके साथ ही ‘यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और टिकाऊ शांति’ का आवाह्न किया गया और सदस्य देशों को ‘इलाकों पर कब्जे की धमकी, या बल प्रयोग से बचने’ की याद दिलाई गई।