*सोलो डांस प्रतियोगिता में एबीसी किड्स मोंटसरी स्कूल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया*

सम्भल । जन्माष्टमी के अवसर पर सनातन पंजाबी मंदिर द्वारा आयोजित सोलो डांस प्रतियोगिता में एबीसी किड्स मोंटसरी स्कूल ने प्रथम स्थान प्राप्त किया । मंदिर में आयोजित डांस प्रतियोगिता में पीहू परिधि संवि आयशा भाविका नियति और कनिका ने बढ़ चढ़कर भाग लिया । जिसमें पीहू ने प्रथम स्थान प्राप्त कर स्कूल का नाम रोशन किया पीहू ने काली के रूप में अपने अद्भुत नृत्य से लोगों का मन मोह लिया।

संवि ने नित्य प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त कर विद्यालय का गौरव बढ़ाया सानवि द्वारा मां दुर्गे का रूद्र रूप धारण कर अद्भुत नृत्य प्रस्तुत किया गया इसी के साथ आयशा अली द्वारा राधा के रूप कृष्ण की भक्ति में ली एक सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसमें संपूर्ण वातावरण कृष्ण भक्ति में लीन हो गया । इसी के साथ विद्यालय के अन्य बच्चों परिधि द्वारा एक साध्वी के रूप में सत्यम शिवम सुंदरम के रूप में सुंदर प्रस्तुति दी गई ।

भाविका नियति व कनिका द्वारा भी एक राधा कृष्ण लीला प्रस्तुत की गई संचालिका संगीता भार्गव जी ने बताया कि हर साल हमारा स्कूल शहर में होने वाली सभी प्रतियोगिता में वजन कर भाग लेता है तथा स्कूल के बच्चे अपने अद्भुत प्रदर्शन द्वारा स्कूल का नाम भी रोशन करते हैं इसी के साथ संचालिका जी ने बच्चों को बधाई दी और उनका मनोबल बढ़ाया।

*डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे : फिरोज खान*

सम्भल । मौहम्मद फ़िरोज़ खान हिन्दुस्तानीप्रबंधक-मदरसा मौलाना मौहम्मद अली जौहर ने अपने मदरसे के छात्रों को बताया कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म चैन्नई (मद्रास) से 40-किलोमीटर तमिलनाडु में आंध्रप्रदेश से सटे तिरुतनी नामक स्थान पर 5 सितम्बर 1888 को एक साधारण परिवार में हुआ था । वे प्रख्यात शिक्षाविद, महान दार्शनिक और एक आस्थावान हिन्दू विचारक थे। उनके इन्हीं गुणों के कारण सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था। उनका जन्मदिन (5-सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने विश्वविद्यालय शिक्षा के विभिन्न पक्षों का अध्ययन किया। डॉ. राधाकृष्णन ने न केवल शैक्षिक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया बल्कि उसे वास्तविक शैक्षिक परिस्थितियों व्यवहृत भी किया। उन्होंने व्यवहारिक परिस्थितियों में शिक्षण करके अपने शैक्षिक विचारों का निर्माण किया l

राधाकृष्णन को 1952 में भारत के पहले उपराष्ट्रपति के रूप में चुना गया, और भारत के दूसरे राष्ट्रपति (1962-1967) के रूप में चुना गया। राधाकृष्णन की पृष्ठभूमि कांग्रेस पार्टी की नहीं थी, न ही वह भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थे। वह छायावादी राजनीतिज्ञ थे।

1962 में जब डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने भारत के दूसरे राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला, तो उनके छात्र 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति मांगने के लिए उनके पास पहुंचे। इसके बजाय, उन्होंने समाज में शिक्षकों के अमूल्य योगदान को स्वीकार करने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया।शिक्षा का लक्ष्य है ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना और निरंतर सीखते रहने की प्रवृत्ति। वह एक ऐसी प्रक्रिया है जो व्यक्ति को ज्ञान और कौशल दोनों प्रदान करती है तथा इनका जीवन में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त करती है। करुणा, प्रेम और श्रेष्ठ परंपराओं का विकास भी शिक्षा के उद्देश्य हैं।

आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम भारतीय इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया है. वे दर्शनशास्त्र का भी बहुत ज्ञान रखते थे, उन्होंने भारतीय दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुवात की थी. राधाकृष्णन प्रसिद्ध शिक्षक भी थे, यही वजह है, उनकी याद में हर वर्ष 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है, बीसवीं सदी के विद्वानों में उनका नाम सबसे उपर है, वे पश्चिमी सभ्यता से अलग, हिंदुत्व को देश में फैलाना चाहते थे, राधाकृष्णन जी ने हिंदू धर्म को भारत और पश्चिम दोनों में फ़ैलाने का प्रयास किया, वे दोनों सभ्यताओं को मिलाना चाहते थे, उनका मानना था कि शिक्षकों का दिमाग देश में सबसे अच्छा होना चाहिए क्यूँकि देश को बनाने में उन्हीं का सबसे बड़ा योगदान होता है ।

उन्होंने कॉलेज में कनिष्ठ व्याख्याता के तौर पर दर्शन शास्त्र पढ़ाना प्रारम्भ किया। यह उनका परम सौभाग्य था कि उनको अपनी प्रकृति के अनुकूल आजीविका प्राप्त हुई थी। यहाँ उन्होंने 7 वर्ष तक न केवल अध्यापन कार्य किया अपितु स्वयं भी भारतीय दर्शन और भारतीय धर्म का गहराई से अध्ययन किया। उन दिनों व्याख्याता के लिये यह आवश्यक था कि अध्यापन हेतु वह शिक्षण का प्रशिक्षण भी प्राप्त करे। इसी कारण 1910 में राधाकृष्णन ने शिक्षण का प्रशिक्षण मद्रास में लेना आरम्भ कर दिया। इस समय इनका वेतन मात्र 37 रुपये था। दर्शन शास्त्र विभाग के तत्कालीन प्रोफ़ेसर राधाकृष्णन के दर्शन शास्त्रीय ज्ञान से अत्यन्त अभिभूत हुए। उन्होंने उन्हें दर्शन शास्त्र की कक्षाओं से अनुपस्थित रहने की अनुमति प्रदान कर दी। लेकिन इसके बदले में यह शर्त रखी कि वह उनके स्थान पर दर्शनशास्त्र की कक्षाओं में पढ़ा दें।

तब राधाकृष्ण ने अपने कक्षा साथियों को तेरह ऐसे प्रभावशाली व्याख्यान दिये, जिनसे वे शिक्षार्थी भी चकित रह गये। इसका कारण यह था कि उनकी विषय पर गहरी पकड़ थी, दर्शन शास्त्र के सम्बन्ध में दृष्टिकोण स्पष्ट था और व्याख्यान देते समय उन्होंने उपयुक्त शब्दों का चयन भी किया था। 1912 में डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की "मनोविज्ञान के आवश्यक तत्व" शीर्षक से एक लघु पुस्तिका भी प्रकाशित हुई जो कक्षा में दिये गये उनके व्याख्यानों का संग्रह था। इस पुस्तिका के द्वारा उनकी यह योग्यता प्रमाणित हुई कि"प्रत्येक पद की व्याख्या करने के लिये उनके पास शब्दों का अतुल भण्डार तो है ही, उनकी स्मरण शक्ति भी अत्यन्त विलक्षण है।"

सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने ऐसा ही किया और ठीक रात्रि 12 बजे अपने सम्बोधन को विराम दिया। पण्डित नेहरू और राधाकृष्णन के अलावा किसी अन्य को इसकी जानकारी नहीं थी। आज़ादी के बाद उनसे आग्रह किया गया कि वह मातृभूमि की सेवा के लिये विशिष्ट राजदूत के रूप में सोवियत संघ के साथ राजनयिक कार्यों की पूर्ति करें। इस प्रकार विजयलक्ष्मी पंडित का इन्हें नया उत्तराधिकारी चुना गया। पण्डित नेहरू के इस चयन पर कई व्यक्तियों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि एक दर्शनशास्त्री को राजनयिक सेवाओं के लिए क्यों चुना गया? उन्हें यह सन्देह था कि डॉक्टर राधाकृष्णन की योग्यताएँ सौंपी गई ज़िम्मेदारी के अनुकूल नहीं हैं। लेकिन बाद में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने यह साबित कर दिया कि मॉस्को में नियुक्त भारतीय राजनयिकों में वे सबसे बेहतर थे। वे एक गैर परम्परावादी राजनयिक थे।

जो मन्त्रणाएँ देर रात्रि होती थीं, वे उनमें रात्रि 10 बजे तक ही भाग लेते थे, क्योंकि उसके बाद उनके शयन का समय हो जाता था। जब राधाकृष्णन एक शिक्षक थे, तब भी वे नियमों के दायरों में नहीं बँधे थे। कक्षा में यह 20 मिनट देरी से आते थे और दस मिनट पूर्व ही चले जाते थे।उनका कहना था कि कक्षा में उन्हें जो व्याख्यान देना होता है, वह 20 मिनट के पर्याप्त समय में सम्पन्न हो जाता है। इसके उपरान्त भी वह विद्यार्थियों के प्रिय एवं आदरणीय शिक्षक बने रहे।उनका मानना था कि किसी विद्यालय की महानता या गरिमा का निर्धारण उसकी ईमारतों या उपकरणों से नहीं होता बल्कि कार्यरत अध्यापकों की विद्वता व चरित्र निर्धारण से होता है।

*इंश्योरेंस कंपनी की मांग को जिला उपभोक्ता आयोग ने किया खारिज, नॉमिनी को 20 लाख रुपए ब्याज सहित अदा करने के दिए आदेश*

संभल- दुर्घटना के मामले में एफआईआर व पोस्टमार्टम की आवश्यकता नहीं हैं और ना ही प्रत्येक मामले एफ आई आर व पोस्टमार्टम बीमा कम्पनी को माँगने चाहिए बीमा कम्पनी के अनावश्यक दस्तावेजों की मांग को जिला उपभोक्ता आयोग संभल ने निरस्त करते हुए एस.बी.आई.लाइफ इन्शारेंस कम्पनी को आदेश दिया कि वह नॉमिनी को बीमा धनराशि 20 लाख व उस पर 7 प्रतिशत ब्याज सहित घनराशि अदा करें।

संभल तहसील के गांव भारतल सिरसी निवासनी सुखवीरी पत्नी महेंन्द्र सिंह के पुत्र हरवेंद्र सिंह ने 17 सितम्बर,2020 को एस बी आई लाइफ इन्शारेंस कम्पनी से एक पर्सनल एक्सीडेंट बीमा पॉलिसी खरीदी थी। 1जून 2021 को वादनी के पुत्र को बिजली ने पकड़ लिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गयी।वादनी ने नॉमिनी होने के कारण घटना की सूचना तुरंत थाना नखासा पुलिस व बीमा कम्पनी को दी तथा अंतिम संस्कार उपरान्त क्लेम दर्ज कराकर बीमा धनराशि रुपए 20 लाख देने का अनुरोध किया जिस पर बीमा कम्पनी ने वादनी से एफ आई आर व पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट की मांग की और पोस्टमोर्टम रिपोर्ट ना होने के कारण बीमा कम्पनी ने वादनी के बीमा दावे की निरस्त कर दिया।

जिस पर वादनी ने उपभोक्ता मामलों के वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र वार्ष्णेय व पारस वार्ष्णेय एडवोकेट के माध्यम के माध्यम से जिला उपभोक्ता आयोग संभल मे परिवाद योजित किया।जिसमें बीमा कम्पनी ने जिला उपभोक्ता आयोग को अवगत कराया कि बीमा धारक की दुर्घटनावश मृत्यु को साबित करने का दायित्व वादनी का है नॉमिनी ने एफ आई आर व पोस्ट मोर्टम रिपोर्ट दाखिल नहीं की इसलिये मामला दुर्घटना का नहीं है लेकिन जिला उपभोक्ता आयोग संभल ने बीमा कम्पनी के तर्कों को नहीं माना और कहा कि प्रश्नगत मामला आपराधिक प्रकृति का नहीं है। इसलिये एफआईआर व पोस्ट मोर्टम रिपोर्ट का कोई महत्व नहीं है और बीमा कम्पनी को आदेश दिया कि वह रुपए 20 लाख व उस पर वाद प्रस्तुत करने की तिथि से भुगतान की तिथि तक 7 प्रतिशत ब्याज सहित धनराशि वादनी को अदा करें साथ ही 20 हजार रुपए क्षिति पूर्ति व 5 हजार वाद व्यय के भी अदा करें।

*पति-पत्नी के मध्य आपसी विवादों का कराया निस्तारण*

सम्भल। पुलिस परिवार परामर्श सुलह समझौता केंद्र की एक मीटिंग आज पुलिस लाइन मंडी समिति बहजोई में पुलिस क्षेत्र अधिकारी दीपक कुमार तिवारी की देखरेख में संपन्न हुई । जहां पति-पत्नी के मध्य हुए आपासी विवादों को सुलह समझौते के आधार पर निस्तारित करने का प्रयास काउंसलर द्वारा किया गया।

जहां 76 पत्रावली सुनकर आठ परिवारों को मिलाया गया तथा 6 पत्रावली में विधिक कार्यवाही की संतुति की गई एवं छह पत्रावली आवेदक द्वारा बाल न देने तथा न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण बंद की गई कुल 76 पत्रावलियों को सुनकर 20 पत्रावलियों का निस्तारण किया गया ।

इस अवसर पर काउंसलर लव मोहन वार्ष्णेय, संगीता भार्गव, पूनम अरोरा, बबीता शर्मा, श्वेता गुप्ता, कंचन माहेश्वरी तथा थाना प्रभारी इंस्पेक्टर पूनम आनंद तथा उपनिरीक्षक राधेश्याम शर्मा, मोहम्मद राशिद, सुशील कुमार शर्मा तथा हेडकांस्टेबल योगेंद्र सिंह एवं कांस्टेबल नूतन, उषा आदि लोग सम्मिलित रहे।

*चंद्रयान 3 के बारे में जानने के लिए बच्चों में दिखा काफी उत्साह*

सम्भल/ चंदौसी। एबीसी स्कूल में चंद्रयान 3 के बारे में बताया गया जिसमें बच्चों में खास उत्साह देखने को मिला संचालिका श्रीमती संगीता भार्गव ने बताया कि हमारा ब्रह्मांड किन प्रकार बना है। उन्होंने बताया हमारे ब्रह्मांड में सूर्य के आसपास नौ ग्रह चक्कर लगाते हैं जिसमें चंद्रमा पृथ्वी का एक उपग्रह है चंद्रमा के बारे में और जानकारी पाने के लिए भारत ने अपना चंद्रयान तीन 14 जुलाई को लांच किया था जिसमें 23 अगस्त की शाम सॉफ्ट लैंडिंग की ।

अनुराग भार्गव ने बच्चों को बताया कि किस प्रकार चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंच कर भारत ने इतिहास रच दिया है । भारत का पिछला चंद्रयान 2 मिशन असफल रहा लेकिन इसरो ने चंद्रयान 3 की लैंडिंग कराकर इस बार पूरे विश्व में इतिहास रच दिया। चंद्रयान तीन की लैंडिंग के बारे में स्कूल में सुनकर बच्चे में नर्सरी से कक्षा 5 तक के के बच्चों में खास उत्साह व देश भक्ति की भावना देखने को मिली तथा कक्षा 3 से 5 तक के बच्चों ने चंद्रयान-3 की सुंदर कला बनाकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।

बच्चों को बताया कि यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुई है और भारत ने पूरे विश्व में अपनी कामयाबी का डंका बजाया है इसी के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ कार्यक्रम में दिव्या शालू प्रिया सोनम अंकित काजल मीनू निशा अर्चना सिल्की इशिता नीरज बुशरा रूपाली कोमल अर्शी सोनाली सरिता पारुल तृप्ति नेहा मंतशा हुमा आदि शिक्षिकाएं मौजूद रही।

*देश के वैज्ञानिकों को बधाई,यह कामयाबी भारत की : मौलाना सुलैमान अशरफ हामिदी*

सम्भल । शहर इमाम शाही ईदगाह सम्भल हज़रत मौलाना सुलैमान अशरफ साहब ने भारत के चंद्रयान विक्रम के चांद के दक्षिणी ध्रुव में सफल लैंडिंग करने पर सभी वैज्ञानिकों सहित पूरे देश को बधाई दी । उन्होंने कहा कि भारत दुनिया का पहला देश बन गया जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की,यह हम सब के लिए खुशी का पल है।

देश ने एक बार फिर साबित कर दिया कि हमारे यहां लोगों में अपार काबलियत है अब दुनिया यूंही हमारी तरफ नहीं ताक रही है ,देश के युवाओं को भी इस कामयाबी ने संदेश दिया है कि हमें फिजूल की बातों को छोड़ कर अपने लक्ष्य की ओर देखना चाहिए क्योंकि असली देशभक्ति यह है कि हम देश के लिए ऐसे काम करें जिससे हमारे भारत का नाम ऊंचा हो।

उन्होंने कहा देश की युवा पीढ़ी को सच्ची देशभक्ति यहां से सीखनी चाहिए और सांझा प्रयास कर देश को सबसे आगे खड़ा करने में योगदान देना चाहिए ,हमारे युवाओं को घिनौनी राजनीति के चक्कर से बाहर आकर सिर्फ भारत के भविष्य को देखना होगा तब वह दिन भी दूर नहीं होगा जा हम ब्रह्माण्ड को नाप लेंगे और हर ग्रह पर हमारा झंडा तिरंगा लहराएगा।हज़रत ने देशवासियों को मुबारकबाद देते हुए कहा कि यह खुशी के लम्हें हैं हमारे वैज्ञानिकों की मेहनत के साथ ईश्वर की कृपा ने इस कामयाबी की भारत के दामन में डाल दिया है सबको मुबारक ।

*किसी भी समाज की तरक्की के लिए शिक्षा अनिवार्य है : वार्ष्णेय सभा के प्रबंधक देवेंद्र वार्ष्णेय*

संभल । वार्ष्णेय समाज के लोग राजनीति मे सक्रियता से भाग ले सामाजिक स्तर सुधारे गरीब की मदद करें तभी समाज अपनी पहचान बना सकता है। वार्ष्णेय समाज की मासिक बैठक में वार्ष्णेय सभा के प्रबंधक देवेंद्र वार्ष्णेय ने सभा के सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर भी जोर दिया।

वार्ष्णेय सभा संभल की बैठक डाकखाना रोड निवासी नवरतन वार्ष्णेय के आवास पर आयोजित हुई। जिसमें वार्ष्णेय सभा के अध्यक्ष जगत आर्य ने कहा कि किसी भी समाज की तरक्की के लिए शिक्षा अनिवार्य है। शिक्षित बच्चे देश के विकास मे सहायक होते है मंत्री नवरतन वार्ष्णेय ने वार्ष्णेय समाज के लोगों से राजनीति मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने की अपील की ।

सभा मे निर्णय लिया गया कि आजीवन सदस्यों, व वार्षिक सदस्यों की संख्या बढ़ाने हेतु शीघ्र ही अभियान चलाया जायेगा सभा को सर्वश्री त्रिभुवन सर्राफ, अनुज आर्य, गिर्राज आढ़ती पुनीत सर्राफ, शिवकुमार, सोनू कुमार गुप्ता एडवोकेट,सुमित श्याम, लव कुमार आर्य, मनीष सर्राफ, विष्णु आर्य ने भी सम्बोधित किया, संचालन सुमित श्याम व अध्यक्षता जगत आर्य ने की।

*शिक्षिकाओं के बीच कला प्रतियोगिता कराई गई*

सम्भल । एबीसी किड्स मांटेसरी स्कूल में मेरी माटी मेरा देश के अंतर्गत एबीसी स्कूल की शिक्षिकाओं के बीच कला प्रतियोगिता कराई गई। जिसमें सभी शिक्षिकाओं ने अपनी देशभक्ति कला के द्वारा दर्शाए संचालिका संगीता भार्गव जी ने बताया कि 15 अगस्त का दिन हर देशवासी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है।

इस दिन हम हर साल अपने पूर्वजों की वीरता और बलिदान को याद करते हैं इस बार हम अपनी स्वतंत्रता का 77 वा दिवस मना रहे हैं इसी कार्यक्रम के अंतर्गत स्कूल की शिक्षिकाओं में यह प्रतियोगिता कराई गई ।

जिसमें शिक्षिकाओं द्वारा देश के विभिन्न भागों को दर्शाया कुछ शिक्षिकाओं ने देश की रक्षा में संकलन हिमालय पर्वत को दिखाया कुछ ने भारत की महान नदियों को और हरे-भरे मैदाने को दिखाया कुछ शिक्षिकाओं ने अपनी कला के द्वारा वीर सिपाहियों के बलिदान को दिखाया इस कार्यक्रम में सभी शिक्षिकाएं उपस्थित रही।

*मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम के तहत छात्रों को उनके अधिकारों के प्रति किया जागरूक*

सम्भल/ चंदौसी। एंग्लो वैदिक सीनियर सैकेण्डरी स्कूल-बहनोडे- संभल में मेरी माटी मेरा देश कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रसिद्ध समाज सेविका संगीता मागी ने के तौर पर छात्राओं को नारी सशक्तिकरण, उनके मुख्य वक्ता अधिकार, महिला हेल्प लाईन - 191090, भविष्य निमाण के विभिन्न क्षेत्रों आदि के बारे में विस्तार से बताया। मुख्य वक्ता ने लड़‌कियों के प्रतिदिन रास्ते में अनिवाली

परेशानियों व उनके समाधान ,कहां सम्पर्क करना, व स्वयं की रक्षा करना शिक्षा -प्रतियोगिता के क्षेत्र में, का उनके क्या क्या विकल्प हो सकते है, कार्य स्थल व स्कूल आदि में विभिन्न क्रिया कलापो व Good a bad touch आदि के बारे में विस्तार से समझाया व उत्साहवर्धन किया। कार्यक्रम के अन्त में प्रधानार्य, ओ पी एन कख ने धन्यवाद व उत्साही कर कर समापन किया। कार्यक्रम में विद्यालय प्रबंधक विवेक माहेश्वरी ने सभी का धन्यवाद दिया व भविष्य में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित करने का भरोसा दिया। कार्यक्रम में -ममता वा‌र्ष्णेय, कंचन माहेश्वरी, रेणु गुप्ता, सिंपल श्रीवास्तव, तिलक (3 वा‌र्ष्णेय, मुवनेश कुमार, डी.एन. सिंह आदि का सहयोग रहा।

*शिक्षा व चिकित्सा संस्थानों के निर्माण में सहयोग करें वार्ष्णेय समाज: सुशील वार्ष्णेय*


संभल। स्वस्थ एवं शिक्षित व्यक्ति ही किसी भी समाज एवं देश की तरक्की में महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है। इसलिए सभ्य समाज का दायित्व है कि युवा पीढ़ी शिक्षित हो, स्वस्थ हो अखिल भारतवर्षीय वैश्य बारहसैनी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्य अतिथि सुशील कुमार वार्ष्णेय ने आव्हान किया कि समाज का प्रत्येक व्यक्ति दस ईट व सौ रूपये वार्ष्णेय समाज द्वारा निर्माण कराये जा रहे हॉस्पिटल व शैक्षिक संस्थानों हेतु अवश्य दान करें।

श्री वार्ष्णेय सभा(पंजीकृत)द्वारा बीडी इंटर कॉलेज सरायतरीन मे आयोजित अधिष्टापन समारोह,वार्ष्णेय समाज से चुने गये नगर पालिका परिषद अध्यक्ष एवं सभासदों, प्रतिभावान बच्चों,वरिष्ठ नागरिक सम्मान समारोह मे मुख्य अतिथि अखिल भारतवर्षीय वैश्य बारहसैनी महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुख्य अतिथि सुशील कुमार वार्ष्णेय ने कहा कि निश्चित रूप से वार्ष्णेय समाज में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा हुई है लेकिन अन्य जातियों की तुलना में वार्ष्णेय समाज बहुत पीछे है। उन्होंने वार्ष्णेय समाज के आर्थिक रूप से सम्पन्न व्यक्तियों से अनुरोध किया कि वे गरीबी रेखा में जीवन यापन कर रहे एक छात्र को गोद लेकर उसकी शिक्षा पूर्ण कराएं। जिससे छात्र शिक्षित होकर समाज व देश की सेवा कर सके ।

श्री वार्ष्णेय ने कोरोना काल को याद करते हुए वार्ष्णेय समाज के चिकित्सकों से अनुरोध किया कि जनता उन्हें दूसरा भगवान् मानती है इसलिये वे वार्ष्णेय समाज के निर्धन रोगी के इलाज के लिए ऐसी व्यवस्था करें। जिससे रोगी के मन मे वार्ष्णेय समाज के प्रति सदभावना पैदा हो विशिष्ट अतिथि नव चयनित आई ए एस अदिति वार्ष्णेय ने शिक्षा को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि वह शिक्षित ना होती तो समाज उनका सम्मान ना करता उन्होंने महिलाओं की शिक्षा को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि शिक्षित महिला पूरे परिवार को शिक्षित बनाने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

वार्ष्णेय सभा के प्रबंधक देवेंद्र वार्ष्णेय एडवोकेट ने वार्ष्णेय सभा संभल के गठन के कारणों,आगामी योजनाओं, के सम्बन्ध मे बताया कार्यक्रम मे समाज की पहली महिला आई ए एस अदिति वार्ष्णेय का शाल पहनाकर व स्मृति चिन्ह देकर, नगरपालिका परिषद चंदौसी की अध्यक्ष लता वार्ष्णेय,बहजोई के अध्यक्ष राजेश शंकर राजू,बबराला के अध्यक्ष हर्षवर्धन,अखिलभारत वर्षीय वैश्य बारहसैनी महासभा के महामंत्री योगेश वार्ष्णेय व सभासदों को स्मृति चिन्ह देकर समाज के 80 वर्ष से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिको को शाल पहनाकर, हाई स्कूल व इंटरमीडिएट मे विद्यालय मे सर्वाधिक अंक लाने वाले वार्ष्णेय छात्र छात्राओं को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर त्रिभुवन सर्राफ,श्रीश चंद्र एडवोकेट,उद्योग व्यापार मण्डल जिलाध्यक्ष अरविन्द कुमार गुप्ता,चंद्रपाल वार्ष्णेय, उद्योगपति फूल प्रकाश,महावीर प्रसाद, नवरतन सर्राफ, विष्णु आर्य,अनुज आर्य,मैंथा व्यापारी कृष्ण कुमार गुप्ता,पुनीतसर्राफ, प्रिय रतन आर्य निर्यातक कमल कौशल वार्ष्णेय, लवकुमार आर्य,शोभित, मनीष सर्राफ,सुशील वार्ष्णेय भट्टे वाले, दीपा वार्ष्णेय, बहजोई, चंदौसी, बबराला, अलीगढ़ आदि क्षेत्रो से आये अतिथियों ने भी भाग लिया कार्यक्रम की अध्यक्षता जगत आर्य, संचालन सोनू गुप्ता, व सुमित श्याम ने संयुक्त रूप से किया।