रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की श्रीलंका यात्रा से डगमग होने वाली है चीनी जासूसी की शातिर चाल

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डेस्क: श्रीलंका के बंदरगाहों पर अपने जासूसी और युद्धक पोतों को भेजकर भारत की जासूसी करने वाले चीन की चाल अब विफल होने वाली है। श्रीलंका को कर्ज के एहसान तले दबाकर चीन ने सिर्फ इस देश की सुरक्षा में सेंध लगाई, बल्कि इस बहाने भारती सुरक्षा क्षेत्र में भी जासूसी का प्रयास किया। भारत की कड़ी आपत्तियों के बाद श्रीलंका जब चीन का खेल समझ गया तो उसके दायरे को सीमित कर दिया। अब श्रीलंका अपने असली मित्र भारत के साथ नजदीकियां बढ़ा रहा है। भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की 2-3 सितंबर को होने वाली दो दिवसीय श्रीलंका यात्रा पर जा रहे हैं। इससे चीन बौखला गया है। 

दोनों देशों के बीच मित्रता का मजबूत बंधन बनाने में महत्वपूर्ण पड़ाव साबित होगी। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सिंह श्रीलंका की यात्रा के दौरान पड़ोसी देश के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री दिनेश गुणावर्द्धने से बातचीत करेंगे। विक्रमसिंघे श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय का कामकाज भी देख रहे हैं। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इन बैठकों में दोनों देशों के बीच रक्षा संबंधों के संपूर्ण आयाम की समीक्षा की जाएगी। बयान के अनुसार राजनाथ सिंह मध्य श्रीलंका में स्थित नुवरा एलिया और पूर्वी हिस्से में स्थित त्रिंकोमाली का दौरा भी करेंगे। मंत्रालय के अनुसार, ‘‘राजनाथ सिंह की यात्रा में श्रीलंका के साथ मौजूदा दोस्ताना संबंधों को विस्तार देने की भारत की सतत प्रतिबद्धता को दोहराया जाएगा।’’

श्रीलंका पर दबाव बढ़ाना चाह रहा था चीन

श्रीलंका पर प्रभाव बढ़ाने की चीन की कोशिशों को लेकर चिंताओं के बीच भारत द्वीपीय देश के साथ समग्र रणनीतिक संबंधों का विस्तार कर रहा है। पिछले साल अगस्त में हम्बनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह निगरानी जहाज ‘युआन वांग’ को खड़ा किये जाने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक तनाव पैदा हो गया था। एक और चीनी युद्धपोत पिछले महीने कोलंबो बंदरगाह पर पहुंचा था। वहीं, भारत ने पिछले साल अगस्त में श्रीलंका को एक डॉर्नियर समुद्री निगरानी विमान सौंपा था। श्रीलंका की तत्काल सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए भारतीय नौसेना के बेड़े से विमान दिया गया था।

भारत स्वदेश निर्मित अपतटीय गश्ती वाहन (ओपीवी) देने समेत श्रीलंका के रक्षा बलों के अनेक क्षमता निर्माण उपायों का समर्थन कर रहा है। श्रीलंकाई राष्ट्रपति विक्रमसिंघे जुलाई में भारत यात्रा पर आये थे और इस दौरान दोनों पक्षों ने अपने रक्षा और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने का संकल्प व्यक्त किया था। श्रीलंका में पिछले साल गंभीर आर्थिक संकट पैदा होने के बाद से यह किसी श्रीलंकाई नेता की पहली भारत यात्रा थी। (भाषा)

*I.N.D.I.A की बैठक के बाद बोले राहुल गांधी, 'गठबंधन के सभी दलों ने मिलकर सुलझाए अपने मतभेद’

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डेस्क: मुंबई में I.N.D.I.A गठबंधन की बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि लोकसभा चुनाव में हमारे गठबंधन को हराना बीजेपी के के लिए असम्भव है। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गरीबों से उनका पैसा छिनकर कुछ चुनिंदा लोगों को दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि गठबंधन में शामिल सभी दलों ने अपने आपसी मतभेद सुलझा लिए हैं और हम सभी अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को हराकर इसे देश और संविधान की रक्षा करने के लिए तैयार हैं।

 गठबंधन में शामिल नेता देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा जनता के के नेता- राहुल गांधी 

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि गठबंधन में शामिल नेता देश की 60 प्रतिशत से ज्यादा जनता के के नेता हैं। उन्होंने कहा कि अगर हम सभी एक साथ मिलकर चुनाव लड़ें तो अगले चुनाव में बीजेपी को हराकर सत्ता से बाहर कर सकते हैं। बकौल राहुल गांधी इस मीटिंग के बाद जो सह-समन्वयक समिति बनी है वह हमें और भी ज्यादा मजबूत बनाएगी। राहुल गांधी ने कहा कि हम सीटों के बंटवारे पर जल्द ही बात करना शुरू करेंगे और आपसी समझौते से चुनाव क्षेत्र को तय कर लेंगे।

देश के प्रधानमंत्री और एक व्यापारी के रिश्ते के बारे में सबको मालूम- राहुल गांधी 

इस प्रेस कांफ्रेंस में भी कांग्रेस नेता ने अप्रत्यक्ष रूप से अडानी मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री और एक व्यापारी के रिश्ते के बारे में सबको मालूम है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और भाजपा भ्रष्टाचार के गठजोड़ हैं और यही पहली चीज है जिसे I.N.D.I.A गठबंधन प्रदर्शित और साबित करेगा। पीएम मोदी की सरकार के पीछे का विचार गरीबों से पैसा निकालकर कुछ सीमित लोगों तक पहुंचाना है।

गूगल ने भारत के लिए लॉन्च किया AI सर्च टूल, हिन्दी और इंग्लिश दोनों भाषाओं में करेगा काम

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डेस्क: ओपन एआई के चैटजीपीटी आने के बाद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की जमकर चर्चा हो रही है। पर्सनल लाइफ से लेकर प्रोफेशनल लाइफ तक में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले कुछ महीनों में कई AI टूल को लॉन्च किया गया है। अब गूगल ने भारतीय यूजर्स के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से संबंधित एक बड़ा कदम उठाया है। गूगल ने भारतीयों के लिए AI सर्च टूल लॉन्च किया है। यह AI टूल सर्च के साथ यूजर्स को प्रॉम्प्ट में टेक्स्ट या विजुअल रिजल्ट शो करेगा।

गूगल ने भारत से पहले जापान के यूजर्स के लिए जेनेरेटिव आर्टिफिशियल टूल लॉन्च किया था। गूगल के इस AI टूल को क्रोम डेस्कटॉप के साथ साथ एंड्रॉयड और आईओएस पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। गूगल का यह एआई टूल कई बेहतरीन फीचर्स के साथ आने वाला है जो यूजर्स के सर्च एक्सपीरियंस को पूरी तरह से बदल देगा। गूगल ने अपने इस AI सर्च टूल को सबसे पहले अमेरिका में लॉन्च किया था। 

गूगल की मानें तो इस AI सर्च टूल की मदद से अगर आप किसी बड़े टॉपिक को सर्च करते है तो यह फीचर आपको उस आर्टिकल के महत्वपूर्ण प्वाइंट को शो करेगा। गूगल के इस नए फीचर को गूगल सर्च के “explore on the page” से में जाकर एक्सेस किया जा सकता है।

गूगल का नया AI Search Tool और चैटबॉट Bard दोनों ही पूरी तरह से अलग अलग टूल्स हैं। अगर आप गूगल बार्ड का इस्तेमाल करते हैं तो आपको सिर्फ टेक्स्ट में जानकारी मिलेगी जबकि वहीं गूगल एआई टूल की मदद से रिलेटेड टॉपिक पर वीडियो और फोटो भी देखने को मिलेंगे। सर्च एक्सपीरियंस में यह यूजर्स के लिए पूरी तरह से एक नया एक्सपीरियंस होने वाला है।

आपको बता दें कि इस AI सर्च टूल से यूजर फॉलोअप क्वेश्चन भी पूछ सकते हैं। इतना ही नहीं यह एआई टूल यूजर को उसके द्वारा सर्च किए गए टॉपिक से रिलेटेड कई तरह के दूसरे सवाल भी देता है। इन सवालों को चुन कर आप अपने और AI बीच कनवर्सेशन्स को बढ़ा सकते हैं।

I.N.D.I.A की प्रेस कॉन्फ्रेंस में खरगे ने पीएम पर साधा निशाना, कहा– 'मोदी हमेशा गरीबों के खिलाफ काम करते हैं'

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डेस्क: विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की तीसरी बैठक आज मुंबई में पूरी हो गई है। इस बैठक गठबंधन के लिए कमेटी समेत कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए हैं। जिसके बारे में प्रेस कान्फ्रेंस के माध्यम से जानकारी दी गई है। आइए जानते हैं बैठक में लिए गए महत्वपूर्ण फैसलों के बारे में...

सभी दल मौजूद नहीं

बता दें कि I.N.D.I.A आलायंस की प्रेस कॉन्फ्रेंसमें सभी 28 दलों के नेता मौजूद नहीं हैं और इस बारे में कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने पहले ही सफाई दे दी थी। रमेश ने कहा था कि इसके बारे में कोई गलतफहमी न हो इसलिए पहले ही बता दे रहे हैं कि आयोजनकर्ता ने कहा है कि कुछ नेताओं की 04:30 बजे फ्लाइट है इसलिए वे एयरपोर्ट निकल गए हैं। कांग्रेस के अलावा महा विकास अघाडी ने भी कहा था कि I.N.D.I.A आलायंस की प्रेस कॉन्फ्रेंस में सभी नेता मौजूद नहीं रहेंगे।

कोर्डिनेशन कमेटी की घोषणा

शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने 14 सदस्यीय समन्वय समिति(कोर्डिनेशन कमेटी) के नामों की घोषणा की - केसी वेणुगोपाल (कांग्रेस), शरद पवार (एनसीपी), टीआर बालू (डीएमके), हेमंत सोरेन (जेएमएम), संजय राउत (शिवसेना-उद्धव गुट) , तेजस्वी यादव (राजद), अभिषेक बनर्जी (टीएमसी), राघव चड्ढा (AAP), जावेद अली खान (सपा), ललन सिंह (जेडीयू), डी राजा (CPI), उमर अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेसंस), महबूबा मुफ्ती (पीडीपी), CPI (M) से एक और सदस्य की भी घोषणा की जाएगी।

सितंबर के दूसरे हफ्ते से रैली

2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए इंडिया गठबंधन ने देशभर में संयुक्त रैलियां आयोजित करने का फैसला किया है। अलायंस ने बताया कि सितंबर के दूसरे हफ्ते से देशभर में रैलियां आयोजित की जाएंगी। इसके अलावा सीट शेयरिंग पर भी जल्द ही फैसला होगा।

क्या बोले खरगे?

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा- "सभी दलों ने इस बैठक को अच्छे ढंग से आयोजित किया। पहले मेरे आवास पर बातचीत के दौरान गठबंधन के लिए एक रूपरेखा तैयार की गई थी। पटना की बैठक में एक एजेंडा तय किया गया था और अब मुंबई में सभी ने एक-दूसरे के सामने अपनी बात रखी है। सभी का एक ही लक्ष्य है कि कैसे बेरोजगारी और बढ़ती ईंधन और एलपीजी सिलेंडर की कीमतों से लड़ा जाए।" खरगे ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पहले सरकार चीजों की कीमत बढ़ाती है और फिर उसमें थोड़ी कमी कर देती है। मोदी जी गरीबों के लिए कभी काम नहीं कर सकते। खरगे ने कहा कि सरकार ने बिना किसी से पूछे संसद का विशेष सत्र बुलाया है। ये देश चलाने का तरीका नहीं है। हम धीरे-धीरे तानाशाही की ओर बढ़ रहे हैं।

तीन प्रस्ताव पास

शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने बताया कि गठबंधन ने आज तीन प्रस्ताव पास किए। एक कि जहां तक ​​संभव हो सके आगामी लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने का संकल्प लेते हैं। विभिन्न राज्यों में सीट-बंटवारे की व्यवस्था जल्द से जल्द शुरू की जाएगी। दूसरा, हम सभी दल सार्वजनिक चिंता और महत्व के मुद्दों पर देश के विभिन्न हिस्सों में जल्द से जल्द सार्वजनिक रैलियां आयोजित करने का संकल्प लेते हैं। तीसरा विभिन्न भाषाओं में 'जुडेगा भारत, जीतेगा इंडिया' की थीम पर हमारी संबंधित संचार और मीडिया प्रचार और कैंपेनिंग की जाएगी।

'वन नेशन, वन इलेक्शन' क्या है, जानिए इसके फायदे और चुनौतियां?

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डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समय-समय पर अपने संबोधनों में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' चर्चा करते रहे हैं। यहां तक कि उन्होंने इस व्यवस्था को देश की जरूरत भी बताया है। अब इसी दिशा में सरकार ने अपना कदम बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार की ओर से 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर एक कमिटी का गठन किया गया है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को इस कमिटी का अध्यक्ष बनाया गया है। इस संबंध में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात भी की है। 

वहीं सरकार ने 18 से 22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र भी बुलाया है। इस सत्र में कुल पांच बैठकें होंगी। माना जा रहा है कि सरकार संसद के विशेष सत्र में वन नेशन वन इलेक्शन का प्रस्ताव ला सकती है। अब यहां हम ये जानने की कोशिश करेंगे कि आखिर 'वन नेशन, वन इलेक्शन' क्या है? इसके फायदे क्या हैं और चुनौतियां क्या हैं।

'वन नेशन, वन इलेक्शन' क्या है?

वन नेशन, वन इलेक्शन जैसा कि नाम से ही जाहिर है- एक देश के लिए एक चुनाव। इसका मतलब है कि देश में होनेवाले सभी चुनाव एक साथ होंगे। अब तक ये चुनाव अलग-अलग होते रहे हैं। कभी लोकसभा का चुनाव... तो कभी विधानसभा चुनाव.. देश में हर कुछ महीने पर कहीं न कहीं.. किसी न किसी हिस्से में कोई चुनाव होता रहता है। इन हालातों से निपटने के लिए ही वन नेशन, वन इलेक्शन का कॉन्सेप्ट सामने आया और इस पर चर्चा शुरू हुई है। अब पहली बार इस मुद्दे पर सरकार की ओर से कदम आगे बढ़ाने की कोशिश की गई है।

इसके क्या फायदे होंगे ? 

यूं तो इसके कई फायदे गिनाए जाते हैं। राजनीतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी का मानना है कि वन नेशन, वन इलेक्शन आज देश की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इससे बड़े पैमाने पर होने वाले खर्च को तो बचाया ही जा सकता है साथ ही अगर देश में विकास की रफ्तार और सांप्रदायिक सद्भाव को बनाए रखना है तो 'वन नेशन, वन इलेक्शन' जरूरी है। उन्होंने कहा कि हर कुछ महीने के बाद देश में कहीं न कहीं चुनाव होता ही हैं। चुनाव के समय सबसे ज्यादा आपसी झगड़े भी होते हैं। सांप्रदायिक तनाव की स्थितियां भी देखी जाती हैं। चुनाव अधिसूचना जारी होने के बाद विकास के कामों पर भी असर पड़ता है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाती है तो ऐसी स्थिति में क्या विकल्प होगा,इसका रास्ता भी निकालना होगा।

पैसों की बर्बादी बचेगी

इसके लागू होने से देश में चुनावों पर हर साल होनेवाले भारी भरकम खर्च से बचा जा सकता है। साथ ही चुनाव की व्यवस्था में बड़े पैमाने पर मैन पावर का भी इस्तेमाल किया जाता है। विभिन्न विभागों में तैनात इन कर्मचारियों को अपने मूल काम को छोड़कर चुनाव के इंतजाम में जुटना पड़ता है। बार-बार चुनाव होने से विभिन्न विभागों का काम भी लंबित होता है जिसका असर विकास पर पड़ता है। 

विकास में गतिरोध नहीं

चुनाव की अधिसूचना जारी होने के साथ ही आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है। ऐसी स्थिति में विकास के नए कामों नहीं हो पाते हैं। सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं ले पाती है और विभिन्न योजाओं को लागू करने में परेशानियां आती हैं। देश में बार-बार होनेवाले चुनाव से विकास के कार्य बुरी तरह प्रभावित होते हैं। एक चुनाव खत्म होते ही फिर दूसरा चुनाव आ जाता है। इन्हीं हालातों से बचने के लिए वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा शुरू हुई थी।

क्या हैं चुनौतियां

लॉ कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक वन नेशन वन इलेक्शन के लिए कानून में संशोधन करने की जरूरत होगी। रीप्रेजेंटेशन ऑफ दी पुपुल एक्ट 1951 के प्रावधानों में भी संशोधन करना होगा ताकि उपचुनावों को साथ में कराया जा सके। इसके लिए सभी दलों को एक मंच पर लाना सबसे बड़ी चुनौती है। इसके खिलाफ एक तर्क यह भी बताया जाता है कि इससे राष्ट्रीय और क्षेत्रीय पार्टियों के बीच मतभेद बढ़ सकता है। क्योंकि वन नेशन वन इलेक्शन से राष्ट्रीय पार्टियों को फायदा पहुंच सकता है जबकि छोटे दलों को नुकसान हो सकता है। 

पहले भी एकसाथ हो चुके हैं चुनाव

ऐसा नहीं है कि देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ नहीं हुए। वर्ष 1951-52, 1957,1962 और 1967 में देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हुए थे। हालांकि 1968 और 1969 में कुछ विधानसभा और 1970 में लोकसभा भंग होने के बाद हालात बदले। बाद के दिनों में ज्यादातर चुनाव अलग-अलग समय पर ही हुए और पहले जैसी एकरूपता नहीं रह गई। हालांकि पूर्व में चुनाव आयोग और विधि आयोग की तरफ से भी वन नेशन वन इलेक्शन का जिक्र किया गया है। लेकिन इस पर राजनीतिक दलों के बीच आम राय कायम करने की गंभीर कोशिश नहीं हुई।

दूसरे राज्यों के नेता भी हरिशचंद्र नहीं है, लेकिन वहां शिक्षा और रोजगार है : प्रशांत किशोर

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मुजफ्फरपुर : जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने शुक्रवार को दो ब्लॉक मुसहरी और बोचाहां के 11 गांवों में कुल 9.8 किलोमीटर तक पदयात्रा की। इस दौरान इन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों के नेता भी हरिशचंद्र नहीं हैं, लेकिन वहां शिक्षा और रोजगार है, जिस कारण वहां के लोगों को पलायन नहीं करना पड़ता। 

प्रशांत किशोर ने जनसंवाद में कहा कि गुजरात, पंजाब, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र से कोई यहां आकर मजदूरी कर रहा है। क्या वहां गरीबी नहीं है। लेकिन, वहां के नेताओं ने इतनी व्यवस्था जरूर बना ली है कि 10 से 15 हजार रुपए के रोजगार के लिए लोगों को अपना घर छोड़कर नहीं जाना पड़ता है। 

अगर, ये व्यवस्था पंजाब, गुजरात, हरियाणा में है, तो बिहार में ये व्यवस्था होनी चाहिए या नहीं होनी चाहिए, तो आप ही बताइए कि आपके वोट की कीमत क्या है, आपको अपने बच्चों के लिए रोजगार चाहिए या अनाज चाहिए। आपको अपने बच्चों के लिए शिक्षा चाहिए या जात का नेता चाहिए। इसलिए अपने वोट की ताकत को समझिए और जरूरी मुद्दों के लिए वोट दीजिए। 

बता दें कि प्रशांत किशोर ने बोचाहां के चौपार गांव से पदयात्रा शुरू कर पानी टंकी होते हुए शांतिपुर, मुरादपुर, गरहा, मिर्जापुर, परियासा, चटौरी पुनआस, अकबरपुर, राजा पुनास, अब्दुल नगर, माधोपुर चंदवारा के वक्फ बोर्ड मैदान में रात्रि विश्राम किया।

मुजफ्फरपुर से संतोष तिवारी

*I.N.D.I.A गठबंधन की को-ऑर्डिनेशन कमिटी का हुआ गठन, शरद पवार सहित ये 13 नेता शामिल

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डेस्क: मुंबई में चल रही इंडिया गठबंधन की बैठक में आज को-ऑर्डिनेशन कमिटी के सदस्यों के नाम का ऐलान किया गया है। इस कमेटी में 13 सदस्यों को शामिल किया गया है, जिनमें केसी वेणुगोपाल, शरद पवार, स्टालिन, संजय राउत, तेजस्वी यादव, अभिषेक बनर्जी, राघव चड्डा, जावेद खान, लल्लन सिंह, हेमेंत सोरेन, डी राजा, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती का नाम शामिल है। हालांकि, कन्वेनर पर अभी फैसला आना बाकी है। मुंबई में विपक्षी गठबंधन की बैठक का आज आखिरी दिन है।

सीट शेयरिंग को लेकर भी चर्चा 

बताया जा रहा है कि आज इस बैठक में ज्वॉइंट रैली की रूपरेखा तय करने के साथ कन्वेनर और चेयरपर्सन को लेकर भी फैसला आना है। इसके अलावा सीट शेयरिंग का फॉर्मूला क्या हो, इस पर भी चर्चा होगी। वहीं, आज प्रवक्ताओं पर भी चर्चा होगी। इंडिया अलायंस के प्रवक्ता नियुक्त किए जाएंगे, ताकि इंडिया अलायंस के विभिन्न मुद्दों पर स्टैंड में यूनिफॉर्मिटी हो। सोशल मीडिया, डाटा एनालिसिस और साझा रैली को लेकर भी कमिटी बनाई जाएगी। 

विपक्षी गठबंधन में 28 पार्टियां शामिल

बैठक में कांग्रेस समेत देश की कुल 28 पार्टियां शामिल हैं। विपक्षी पार्टियां आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए मोदी नीत एनडीए गठबंधन को हराने की तैयारी कर रही है। पहले दिन की बैठक के बाद होटल ग्रैंड हयात में एक मंथन सत्र का आयोजन हुआ। 

इस सत्र में सीट आवंटन और बीजेपी से मुकाबले के लिए एक समान कार्यक्रम की योजना को लेकर चर्चा हुई। इंडिया गठबंधन जल्द से जल्द सीट आवंटन का फॉर्मूला तय कर लेना चाहती है, क्योंकि विपक्षी नेताओं को लगता है कि इस बार सरकार समय से पहले लोकसभा चुनाव करा सकती है।

मुकेश अंबानी ने खरीदा 10 स्टार्टअप को, जानें रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन ने क्यों लगाया अरबों का दांव

डेस्क: देश के सबसे बड़े उद्योपति और रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी लगातार स्टार्टअप पर बड़ा दांव लगा रहे हैं। उन्होंने बीते कुछ सालों में स्टार्टअप्स के अधिग्रहण पर अरबों रुपये का निवेश किया है। आखिर, क्या वजह है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज जो खुद इतनी बड़ी कंपनी है और जिसका कारोबार रिटेल, इनर्जी, गैस, टेलीकम्युनिकेशन से लेकर कई दूसरे सेक्टर में फैला है, वह स्टार्टअप को खरीद रही है। मार्केट एक्सपर्ट का कहना है कि मुकेश अंबानी एक मजे हुए बिजनेसमैन हैं। 

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वो उसी स्टार्टअप को खरीद रहे हैं जो उनके मौजूदा बिजनेस को और बड़ा बनाने में सपोर्ट करने वाला है। तो आइए एक नजर डालते हैं कि मुकेश अंबानी ने किन-किन स्टार्टअप को अबतक खरीदा है और उनकी क्या विशेषज्ञता है। 

ऐडवर्ब 

ऐडवर्ब भारत में स्थित एक वैश्विक रोबोटिक्स कंपनी है जो इंट्रालॉजिस्टिक्स ऑटोमेशन के क्षेत्र में काम करती है। इस स्टार्टअप को जनवरी 2022 में रिलायंस रिटेल ने 132 मिलियन डॉलर में खरीदा था। 

नेटमेड्स

ऑनलाइन दवा बेचने वाली कंपनी नेटमेड्स को अगस्त 2020 में रिलायंस रिटेल ने 620 करोड़ रुपये में खरीदा था।

रैडिसिस

रैडिसिस, एक दूरसंचार समाधान कंपनी है जो उपभोक्ताओं को डिजिटल सेवा प्रदान करती है। जून 2018 में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) द्वारा 74 मिलयन डॉलर में अधिग्रहण किया गया था।

मिमोसा नेटवर्क

मिमोसा नेटवर्क, वायरलेस ब्रॉडबैंड समाधान प्रदान करने वाली कंपनी है। अगस्त 2023 में Jio द्वारा 60 मिलियन डॉलर में अधिग्रण किया गया था।

एम्बाइब 

एम्बाइब एक एआई-आधारित एड-टेक प्लेटफॉर्म है जो स्कूल के साथ-साथ जेईई, एसएससी और अन्य परीक्षाओं जैसी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए शिक्षा कार्यक्रम प्रदान करता है। एड-टेक को फरवरी 2020 के दौरान 90 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, और बाद में रिलायंस इंडस्ट्रीज ने इसमें 500 करोड़ रुपये का निवेश किया। 

हैप्टिक 

हैप्टिक कंपनियों को एआई-संचालित कन्वर्सेशनल सीआरएम के जरिये कारोबार बढ़ाने में मदद करती है। कंपनी को अप्रैल 2019 में 102.3 मिलियन डॉलर में रिलायंस जियो डिजिटल सर्विसेज द्वारा अधिग्रहण किया गया था ।

रेवेरी

रेवेरी, एक क्लाउड-आधारित भाषा अनुवाद प्रबंधन मंच है जो कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद, वाक रूपांतरण, इनपुट और वेब सर्च में मदद करता है। 2019 में रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट्स एंड कंपनी द्वारा अधिग्रहण किया गया। 

फाइंड 

खुदरा व्यापार के तरीके को बदलने के लिए अनुकूलित मॉड्यूलर तकनीकी बुनियादी ढांचे का निर्माण करने वाली कंपनी फ़ाइंड को रिलायंस इंडस्ट्रियल इन्वेस्टमेंट्स एंड कंपनी द्वारा 2019 में अधिग्रहण किया गया। 

क्लोविया

महिलाओं के लिए ​कपड़े बनाने वाली कंपनी क्लोविया को मार्च 2022 में रिलायंस रिटेल द्वारा 950 करोड़ रुपये में अधिग्रहण किया गया था। 

टेसेरैक्ट 

प्रौद्योगिकी कंपनी टेसेरैक्ट को अप्रैल 2019 में रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) द्वारा अधिग्रहित किया गया था।

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद सूर्य मिशन के लिए काउंटडाउन शुरू, 15 लाख किलोमीटर की दूरी तय कर Aditya-L1 पहुंचेगा सूरज के करीब

डेस्क: चांद की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद अब सभी की निगाहें सूर्य मिशन आदित्य L1 (Aditya-L1) पर टिकी हैं। इसका काउंटडाउन शुरू हो गया है। इसरो (ISRO) के आदित्य L1 मिशन को शनिवार सुबह 11 बजकर 50 मिनट पर श्री हरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। इसके लिए 23 घंटे 40 मिनट का काउंटडाउन आज 12 बजकर 10 मिनट पर शुरू हो गया। इसका मतलब ये है कि ये मिशन लॉन्च के लिए तैयार है। इस मिशन को इसरो के सबसे विश्वसनीय रॉकेट पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल यानी PSLV रॉकेट के जरिए लॉन्च किया जाएगा।

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यात्रा पूरे होने में लगेंगे 4 महीने

 

PSLV-C57 रॉकेट से आदित्य L1 मिशन को पहले पृथ्वी के निकट लो अर्थ ऑर्बिट में 235KM X 19500KM की कक्षा में स्थापित किया जाएगा, जहां से इसकी कक्षा को बढ़ाते हुए इसे सूरज की तरफ 15 लाख किलोमीटर की यात्रा पर भेजा जाएगा। इस यात्रा को पूरा होने में तकरीबन 4 महीने लगेंगे। धरती से 15 लाख KM दूर L1 प्वॉइंटर पर आदित्य L1 मिशन को स्थापित किया जाएगा। 

अब जब काउंटडाउन शुरू हो गया, तो अगले 24 घंटे में रॉकेट में चार चरणों में ईंधन भरने का काम होगा। इसके बाद उपग्रह के संचार तंत्र, रॉकेट, रेंज और ट्रैकिंग स्टेशंस से जुड़े सभी पैरामीटर्स की जांच की जाएगी, जिसके बाद ऑटोमेटिक लॉन्च सीक्वेंस के जरिए आदित्य L1 मिशन को लॉन्च कर दिया जाएगा।

सूर्य का एक नाम आदित्य भी है

मिशन के नाम 'आदित्य L1' से ही इसके उद्देश्य का पता चलता है। सूर्य का एक नाम आदित्य भी है और L1 का मतलब है- लैग्रेंज बिंदु 1। इसरो के अनुसार, L1 प्वॉइंट की दूरी पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन (15 लाख) किलोमीटर है। 

आदित्य-एल1 को L1 बिंदु की प्रभावमंडल कक्षा में रखकर सूर्य का अध्ययन किया जाएगा। पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा को मिलाकर इस सिस्टम में पांच लैग्रेंज प्वाइंट हैं। इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जेसेफ लुई लैग्रेंज के नाम पर इनका नाम पड़ा है। ये ऐसे बिंदु बताए जाते हैं, जहां दो बड़े पिंडों जैसे कि सूर्य और पृथ्वी के ग्रेविटेशनल पुल (गुरुत्वाकर्षण खिंचाव) की वजह से अंतरिक्ष में पार्किंग स्थल जैसे क्षेत्र उपलब्ध होते हैं।

सूर्य पर हर समय रख सकेगा नजर

इसका मतलब यह है कि लैग्रेंज प्वॉइंट पर सूर्य-पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण कुछ इस तरह बैलेंस होता है कि वहां कोई चीज लंबे वक्त तक ठहर सकती है, इसीलिए आदित्य-एल1 को लैग्रेंज बिंदु 1 में स्थापित करने के लिए लॉन्च किया जाएगा, जहां से यह सूर्य पर हर समय नजर रखकर अध्ययन कर सकेगा। साथ ही स्थानीय वातावरण की जानकारी भी जुटाएगा। इसरो के मुताबिक, सूर्य की विभिन्न परतों का अध्ययन करने के लिए आदित्य-एल1 सात पेलोड ले जाएगा।

 अंतरिक्ष यान में लगे ये पेलोड इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स की मदद से फोटोस्फीयर, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का अध्ययन करेंगे। इसरो के मुताबिक, सात में चार पेलोड सीधे सूर्य का अध्ययन करेंगे और बाकी तीन L1 पर पार्टिकल्स और फील्ड्स का इन-सीटू (यथास्थान) अध्ययन करेंगे। इससे इंटरप्लेनेटरी (अंतरग्रहीय) माध्यम में सौर गतिकी के प्रसार प्रभाव का अहम वैज्ञानिक अध्ययन हो सकेगा।

'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर क्या बोलीं विपक्षी पार्टियां, कमलनाथ बोले- इसके लिए राज्यों की मंजूरी भी जरूरी

डेस्क: I.N.D.I.A गठबंधन की तीसरी बैठक मुंबई में चल रही है। इस बैठक का आज दूसरा दिन है। इस बीच केंद्र सरकार ने 18-22 सितंबर के बीच संसद का विशेष सत्र बुलाया है, जिसमें 5 बैठकें होंगी। संभावना जताई जा रही है कि इस बैठक में कई अहम बिलों को पास किया जाएगा। इस बीच केंद्र सरकार ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लेकर एक कमेटी बनाई है। 5 दिनों के इस विशेष सत्र को लेकर संभावना जताई जा रही है कि सरकार संसद में इस बाबत विधेयक पेश कर सकती है। विपक्षी दलों में इसे लेकर हलचल है। विपक्षी नेता 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को भाजपा का षडयंत्र बता रहे हैं। 

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वन नेशन, वन इलेक्शन पर क्या बोलीं प्रियंका चतुर्वेदी

इस बाबत बोलते हुए शिवसेना यूबीटी की राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि मोदी सरकार की सत्ता जाने के आखिरी पड़ाव पर है। इस कारण इस तरह के हथकंडे सरकार अपना रही है। उन्होंने कहा, 'पहले सरकार ने विशेष सत्र बुलाया। इंडिया अलायंस के डर से गैस सिलिंडर के दाम कम किए। अब असल मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के लिए कमेटी बनाई।' उन्होंने कहा कि शिवसेना उद्धव ठाकरे की पार्टी आपसे पूछती है कि महिला सुरक्षा को लेकर कमेटी कब बनाएंगे? भ्रष्टाचार के कई मुद्दों को लेकर कमेटी कब बनाएंगे? देश में अहम मसले हैं, उसको लेकर कमेटी कब बनाएंगे?

पृथ्वीराज चव्हाण ने भाजपा पर साधा निशाना

वन नेशन, वन इलेक्शन पर बोलते हुए महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि एक बात साफ है, सरकार अब पैनिक मोड में है। ध्यान भटकाने के लिए ये चीजें हो रही हैं। उन्होंने कहा, 'इस विशेष सत्र को बुलाने की क्या जरूरत है। गणेश चतुर्थी उत्सव के बीच? क्या वे (केंद्र सरकार) हिंदू भावनाओं से अनजान हैं?' उन्होंने सरकार को घेरते हुए कहा कि वह कहते हैं, "सरकार को कभी भी चुनाव कराने का अधिकार है। अगर वे समय से पहले लोकसभा चुनाव कराना चाहते हैं, तो करा सकते हैं। अगर वे कुछ विधेयक पारित कराना चाहते हैं तो उन विधेयकों के बारे में हमें बताएं।" 

कमलनाथ ने कही ये बात

एक राष्ट्र, एक चुनाव के मुद्दे पर मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि इसके लिए सिर्फ संविधान में संशोधन की ही नहीं बल्कि राज्यों की मंजूरी भी जरूरी है। हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे भाजपा शासित राज्यों में वे अपनी संबंधित विधानसभाओं को भंग करने के लिए कैबिनेट प्रस्ताव तय कर सकते हैं और पारित कर सकते हैं। आप किसी राज्य की विधानसभा की अवधि कम नहीं कर सकते हैं। यह इस तरह काम नहीं करता है।