हापुड़ में अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज के खिलाफ पूरे प्रदेश में वकीलों का आक्रोश बढ़ रहा, सीएम योगी ने लिया संज्ञान, एसआईटी का गठन

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हापुड़ में अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज के खिलाफ पूरे प्रदेश में वकीलों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है। बुधवार को पहले अलीगढ़ फिर लखनऊ और प्रयागराज में वकीलों और पुलिस के साथ झड़प हो गई। इस दौरान लखनऊ में वकीलों ने इंस्पेक्टर और एसीपी को भी घेरकर पीट दिया। किसी तरह दोनों अधिकारियों को वकीलों के कब्जे से मुक्त कराया जा सका। प्रयागराज में हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं ने पुलिस का पुतला फूंका और पुलिस वालों को पीट भी दिया। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने हापुड़ में हुई घटना के विरोध में प्रदेशव्यापी अधिवक्ताओं की हड़ताल को अपना पूर्ण समर्थन दिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी अधिवक्ताओं के साथ कंघे से कंधा मिलाकर खड़ी है। कांग्रेस पार्टी अधिवक्तओं पर हुए बर्बर लाठीचार्ज की कड़ी निंदा करती है।

हापुड़ की घटना के विरोध में अवध बार और सेंट्रल बार एसोसिएशन ने बुधवार को कार्य बहिष्कार का ऐलान किया था। इसे देखते हुए पुलिस भी अलर्ट पर थी। बुधवार को घटना से आक्रोशित वकीलों ने हापुड़ की घटना में शामिल पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर प्रदर्शन शुरू कर दिया। परिवर्तन चौक के पास बड़ी संख्या में अधिवक्ता जमा हो गए।

सीएम योगी ने वकीलों की पिटाई का लिया संज्ञान, एसआईटी का गठन

वकीलों को सिविल कोर्ट की तरफ पुलिस ने भेजने का प्रयास किया। मान मनौव्वल के बाद प्रदर्शनकारी स्वास्थय भवन चौराहे से लेकर पुराने हाईकोर्ट के रास्ते पर फैल गए। बार पदाधिकारियों के ज्ञापन सौंपने के बाद भी अधिवक्ता शांत नहीं हुए। इसी दौरान पुलिस वालों और वकीलों के बीच मारपीट शुरू हो गई। 

वकीलों को उग्र होते देख एसीपी हजरतगंज अरविंद कुमार वर्मा और इंस्पेक्टर मदेयगंज अभय प्रताप सिंह ने उन्हें समझाने का प्रयास किया। इस पर कुछ अधिवक्ता दोनों अधिकारियों पर टूट पड़े। भीड़ के बीच घिरे एसीपी और इंस्पेक्टर से मारपीट शुरू कर दी गई। किसी तरह दोनों अधिकारियों को भीड़ से बाहर निकाला गया। शाम करीब चार बजे तक वकील सड़क पर ही डटे रहे। इस दौरान कई बार पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की गई। प्रदर्शन के कारण राहगीरों को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।

प्रयागराज में हाईकोर्ट के वकीलों ने सिपाही को पीटा

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट के अधिवक्ताओं बुधवार को हापुड़ की घटना को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान एक सिपाही उनके बीच से होकर जाने की कोशिश करने लगा तो वकीलों का गुस्सा फूट पड़ा। वकीलों ने उसे डंडा लेकर दौड़ा लिया। सिपाही को थप्पड़ भी जड़ दिया। सिपाही वहां से किसी तरह भाग निकला।

मुंबई में आज और कल की बैठक में तय हो जाएगा कि इंडिया गठबन्धन का कौन बनेगा संयोजक, लालू ने दो टूक कहा कि मायावती को बुलाया ही नहीं तो आने का सवाल

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मुंबई में 31 अगस्त और 1 सितंबर को हो रही इंडिया गठबंधन की बैठक से पहले राजद सुप्रीमो लालू यादव ने बड़ा बयान दिया है। पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि इंडिया गठबंधन का संयोजक खरगे होंगे या नीतीश तो लालू ने कहा कि कल तय हो जाएगा कि कौन संयोजक बनेगा। लालू यादव ने ये भी दावा किया कि लोकसभा चुनाव में इंडिया एनडीए को पटखनी देगी। जिसकी रूपरेखा और तैयारी पर बैठक में चर्चा होगी।

वहीं बीएसपी सुप्रीमो मायावती के इंडिया गठबंधन से दूरी बनाए रखने, और अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के सवाल पर लालू यादव ने कहा कि हम लोगों ने तो उन्हें बुलाया ही नहीं है। लालू ने कहा कि चुनाव नजदीक है, ऐसे में क्या तैयारी करनी है, इसकी चर्चा बैठक में होगी। साथ ही लालू ने कहा कि इंडिया गठबंधन के बनने के बाद से पीएम मोदी परेशान है। 

हालांकि इंडिया गठबंधन का संयोजक बनने से पहले ही नीतीश कुमार ने मना कर दिया है। हाल ही में उन्होने कहा था कि उन्हें कुछ नहीं बनना है। बस सब मिलकर चुनाव लडें, और सीटों का बंटवारा जल्द हो। हम तो बराबर यह बात कह रहे हैं, हम सबको एकजुट करना चाहते हैं, जो हो भी गया है। सब कोई मिलकर अब फैसला करेंगे। नीतीश ने यह भी दावा किया कि आने वाले वक्त में कुछ और पार्टियां इंडिया गठबंधन में शामिल होंगी। 

वहीं अटकलें लगाई जा रही थी कि मायावती की बीएसपी भी इंडिया गठबंधन का हिस्सा हो सकती है, लेकिन आज मायावती ने ट्वीट कर सभी कयासों को सिरे से खारिज कर दिया, और कहा कि एनडीए व इण्डिया गठबंधन अधिकतर गरीब-विरोधी जातिवादी, साम्प्रदायिक, धन्नासेठ-समर्थक व पूंजीवादी नीतियों वाली पार्टियां हैं। जिनकी नीतियों के विरुद्ध बीएसपी अनवरत संघर्षरत है और इसीलिए इनसे गठबंधन करके चुनाव लड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता।

मध्यप्रदेश के भोपाल में संपन्न हुई शिवराज कैबिनेट की अहम बैठक, इन प्रस्तावों पर लगी मुहर

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मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में बृहस्पतिवार को मंत्रिमंडल की बैठक हुई। जिसमें कई अहम फैसलों पर मुहर लगी है। राज्य के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में मंत्री परिषद की बैठक हुई। जिसमें कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को अनुमति दी गई है।

इन अहम प्रस्तावों पर लगी मुहर

आशा पर्यवेक्षकों की राशि बढ़ाने के संबंध में भी अहम फैसला लिया गया है।

सावन के महीने में बहनों को मिलने वाले गैस सिलेंडर 450 में उपलब्ध कराए जाएंगे

रीवा में जवा को नया अनुभाग बनाया जाएगा। मंत्रिमंडल द्वारा इसके लिए भी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है।

भोपाल बाईपास के निर्माण कार्य तथा कायाकल्प योजना के लिए भी प्रस्ताव तैयार किया गया था। जिस पर शिवराज मंत्रिमंडल की बैठक में मुहर लगी है।

आम जनता को मिलने वाले बिजली बिल में भी बड़ी राहत दी गई है। इसके लिए प्रस्ताव तैयार किया गया था। जिस पर मुहर लगाई गई है। मंत्रिमंडल में दिए गए निर्णय के तहत अब सितंबर महीने से बिजली बिल शून्य हो जाएगा।

इसके अतिरिक्त पूर्व सीएम उमा भारती की निजी स्थापना में लवीना फूल बानी की संविदा नियुक्ति के प्रस्ताव पर भी मुहर लगी है।

भाजपा मंडल अशोक नगर को कार्यालय निर्माण के लिए भूमि का आवंटन किया गया है।

वही खेलो एमपी यूथ गेम्स सहित अन्य विषयों पर आए प्रस्ताव को भी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई है।

मेघावी विद्यार्थी योजना में संशोधन के प्रस्ताव को भी अनुमति दी गई है।

इसके अतिरिक्त किसानों को बड़ी राहत देते हुए कपास पर मंडी शुल्क कम करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है।

हिमाकत, अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपने नक्शे में दिखाने वाला चीन अब अपनी हरकत को बता रहा जायज, कहा, यह सामान्य बात है

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अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपने नक्शे में दिखाने वाला चीन अब अपनी हरकत को जायज भी ठहरा रहा है। भारत की ओर से विरोध जताए जाने को उसने ज्यादा भाव नहीं दिया है और इसे सामान्य बात करार दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय ने बुधवार को कहा, 'चीन के नक्शे का 2023 एडिशन जारी करना सामान्य प्रक्रिया है। चीन की संप्रुभता और अखंडता का ध्यान रखते हुए यह नक्शा जारी किया गया है।' यही नहीं इस मसले पर पीछे हटने की बजाय उसने भारत को ही मसले को ज्यादा तूल न देने की सलाह दी है। चीन ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि संबंधित पक्ष इसके मकसद को समझेंगे और गलत ढंग से इसकी व्याख्या नहीं की जाएगी।'  

चीन के नक्शे में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन दिखाए जाने का भारत ने दिखा विरोध किया था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि इस तरह से चीन सीमा विवाद को और उलझा ही रहा है, जो बीते कई सालों से बढ़ा हुआ है। भारत सरकार ने कहा कि चीन के ऐसे दावों का कोई आधार नहीं है और वह ऐसी मनमानी बातें पहले भी करता रहा है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, 'हमने कूटनीतिक माध्यमों से चीन के आगे कड़ा विरोध जताया है। उसने जो गलत नक्शा जारी किया है, उसका कोई आधार नहीं है और पूरी तरह से गलत है।'

उन्होंने कहा था कि हम चीन के ऐसे गैरवाजिब दावों को पूरी तरह खारिज करते हैं। चीन के ऐसे कदम कुछ और नहीं करेंगे बल्कि सीमा विवाद को और उलझा देंगे। चीन ने अपने नक्शे में भारत के इलाके को ही नहीं बल्कि दक्षिण चीन सागर और ताइवान को भी अपने नक्शे में दिखाया है। बता दें कि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश मानता है, जबकि चीन उसे वन चाइना पॉलिसी के तहत अपना हिस्सा बताता है। हाल ही में ब्रिटिश संसद ने उसे अलग देश की ही मान्यता दे दी है। माना जा रहा है कि इससे ब्रिटेन और चीन के बीच तनाव भड़क सकता है।

MP में चुनाव से पहले भाजपा को बड़ा झटका, कोलारस के बीजेपी MLA वीरेंद्र रघुवंशी ने पार्टी से दिया इस्तीफा

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मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले से एक बड़ी खबर सामने आ रही है कोलारस विधानसभा से बीजेपी MLA वीरेंद्र रघुवंशी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। कोलारस MLA वीरेंद्र रघुवंशी ने पार्टी छोड़ते वक़्त ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए नेताओं पर कई आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि उनके आने के पश्चात् बीजेपी की रीतिनीति ही बदल गई है। बीजेपी के पुराने कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है। MLA ने अफसरों की पोस्टिंग को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की है। 

उन्होंने कहा कि साढ़े 3 वर्षों से सीएम को अपनी पीड़ा बता रहा हूं, मगर सुनवाई नहीं हो रही है। प्रदेश अध्यक्ष को संबोधित इस्तीफे में MLA ने लिखा है कि आज भारी मन से भाजपा की सदस्यता एवं विशेष आमंत्रित सदस्य प्रदेश कार्यसमिति के पद से मैं अपना इस्तीफा दे रहा हूं। बीते 3 वर्षों से कई बार अपनी पीड़ा मुख्यमंत्री और शीर्ष नेतृत्व के सामने रखी, लेकिन आप सभी ने कभी ध्यान नहीं दिया। पत्र में MLA रघुवंशी ने कहा कि पूरे ग्वालियर-चंबल संभाग में मेरे जैसे पार्टी के कई कार्यकर्ताओं की उपेक्षा नवागत भाजपाई करते रहे तथा यह सब आज तक हमारे साथ केवल इसलिए होता रहा है, चूंकि हमने पूरी निष्ठा एवं ईमानदारी से 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी का काम किया और सफलता पाई। 

आगे MLA ने लिखा कि शिवपुरी एवं कोलारस विधानसभा में भ्रष्ट अफसरों की पोस्टिंग केवल इसलिए की जा रही है, जिससे वे मेरे हर विकास कार्य में रुकावट डाल सकें तथा मुझे व मेरे कार्यकर्ताओं को परेशान कर सकें। सिंधिया जी ने यह कहकर कांग्रेस की सरकार गिराई थी कि किसानों का 2 लाख रुपये का कर्ज माफ नहीं किया जा रहा, मगर बीजेपी की सरकार बनने के पश्चात उन्होंने कर्ज माफी तो दूर, आज तक इस बारे में बात तक नहीं की। MLA ने कहा कि विधायक दल पार्टी की बैठकों में प्रदेश हित के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं करना चाहता, बल्कि भ्रष्ट मंत्रियों का बचाव जरूर करते हैं। मैं जनसेवक हूं, ऐसे वातावरण में घुटन महसूस कर रहा हूं तथा आहत हूं।

क्या भारत-चीन के बीच और बढ़ गई है तल्खी? जी20 बैठक से किनारा कर सकते हैं शी जिनपिंग, रिपोर्ट में दावा

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भारत सितंबर में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन करने जा रहा है और इस दौरान दुनिया के कई बड़े देशों के राष्ट्र प्रमुख नई दिल्ली में होंगे।हालांकि, खबर आ रही है चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नई दिल्ली में होनेवाले जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने की संभावना कम है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले ये यह जानकारी दी है। सूत्रों के मुताबिक शी जिनपिंग की जगह बीजिंग का प्रतिनिधित्व चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग करेंगे।

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रॉयटर्स ने चीन में तैनात एक राजनयिक और जी20 के एक अन्य अधिकारी (दो भारतीय अधिकारियों) का हवाला देते हुए रिपोर्ट में कहा है कि इन अधिकारियों ने संकेत दिया है कि अनुमान है कि प्रीमियर ली कियांग को बीजिंग के प्रतिनिधि के रूप में नई दिल्ली बैठक में भाग लेने के लिए भेजा जाएगा।हालांकि, इसे लेकर चीन और भारत के विदेश मंत्रालय की तरफ से कोई बयान नहीं जारी किया गया है।

9 से 10 सितंबर तक G-20 का आयोजन

बता दें कि विश्व के जी20 नेताओं का शिखर सम्मेलन नयी दिल्ली में नौ से 10 सितंबर तक होगा।ये जी20 का अब तक का सबसे बड़ा आयोजन होगा। इसमें कुल 43 देशों और संगठनों के प्रमुख और उनके प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेंगे। जिसमें जी20 के 19 सदस्य देश और यूरोपीय यूनियन के प्रमुख होंगे। साथ ही अतिथि के तौर पर 9 अन्य देशों के प्रमुखों और 14 अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रमुखों को भी आमंत्रित किया गया है।

दुनियाभर के दिग्गज हो रहे जमा

अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडन से लेकर तुर्की के रेसेप तैयप एर्दोगन समेत कई शक्तिशाली नेता भारत आने वाले हैं। उनके अलावा ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक, अर्जेंटीना के राष्‍ट्रपति अल्बर्टो फर्नांडीज, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीस, ब्राजील के राष्‍ट्रपति लुइज इनासियो लूला दा सिल्वा, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, चीन के राष्‍ट्रपति शी जिनपिंग, फ्रांस के इमैनुएल मैंक्रो, जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्‍ज, इंडोनेशिया के राष्‍ट्रपति जोको विडोडो शामिल हैं। इनके अलावा इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी, जापान के पीएम फुमियो किशिदा, दक्षिण कोरिया के राष्‍ट्रपति यून सुक येओल, सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस और पीएम मोहम्मद बिन सलमान, दक्षिण अफ्रीका के राष्‍ट्रपति सिरिल रामफोसा, यूरोपियन काउंस‍िल के यूरोपीय काउंसिल के मुखिया चार्ल्स मिशेल और यूरोपियन यूनियन की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन शामिल हैं।

भारत-चीन के बीच नक्शा विवाद

जी-20 का शिखर सम्मेलन ऐसे वक्त पर हो रहा है, जब दोनों देशों के बीच में चीन द्वारा जारी एक कथित नक्शे को लेकर विवाद हो रहा है। चीन ने हाल ही में एक नक्शा जारी किया, जिसे स्टैंडर्ड मैप कहा गया। इसमें भारत के अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश को चीन का हिस्सा दिखाया गया है, इतना ही नहीं तिब्बत और ताइवान को भी चीन ने अपने हिस्से में दिखाया है।भारत ने चीन के इस नक्शे पर कड़ा विरोध दर्ज किया था, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा कि चीन की ऐसी पुरानी आदत है, जिसमें वह दूसरे देशों के स्थानों को खुद का बताता है।

पहले सिलेंडर हुआ सस्ता, अब घटेंगे पेट्रोल-डीजल के दाम?

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इस साल 5 राज्यों, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना में चुनाव हैं। इसके बाद बारी आएगी लोकसभा चुनाव की। यानी देश में चुनावों का सीजन शुरू हो गया है। इसके साथ ही सरकार की ओर से मिलने वाले सौगातों की भी शुरूआत हो गई है।टमाटर से महंगाई को कम करने के लिए नेपाल से आयात कर कीमतों को कम करने का प्रयास किया गया, नतीजा सभी के सामने हैं। जैसे ही प्याज की कीमतों में इजाफे की बात सामने आई, एक्सपोर्ट पर टैक्स लगा दिया गया। कीमतें स्थिर देखने को मिल रही है। वैसे ही गेहूं, चावल और बाकी सामान की कीमतों को स्थिर रखने के लिए सरकार की ओर से कदम उठाए गए हैं। हाल ही में आम लोगों को गैस सिलेंडर की कीमतों से राहत देने के लिए फ्लैट 200 रुपये कम कर दिए गए। अब महंगाई को और कम करने और पेट्रोल और डीजल के दाम को कटौती होने के आसार हैं।

सिटीग्रुप इंक मुताबिक, रसोई गैस की कीमतों में कटौती के भारत के कदम से महंगाई दर कम हो सकती है और कुछ प्रमुख त्योहारों और प्रमुख चुनावों से पहले गैसोलीन और डीजल की कीमतों में कमी की ओर फोकस हो सकता है। पेट्रोल और डीजल के दाम को कटौती होने के संकेत दो जगहों से मिले हैं। पहला संकेत केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी की ओर से एक इंटरव्यू ने दिया गया है। वहीं दूसरा संकेत ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट से मिलता हुआ दिखाई दिया है।

जुलाई के महंगाई के जो आंकड़ें सामने आए थे, वो सरकार और आम लोगों के लिए डराने वाले थे। इस महीने में रिटेल महंगाई 15 महीने के हाई पर पहुंच गई थी. वहीं दूसरी ओर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के बाद भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में राहत नहीं दी गई। मई 2022 के बाद से देश में फ्यूल की कीमत में कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है। ऐसे में सरकार पर भी काफी दबाव है। यह दबाव इसलिए भी बढ़ चुका है क्योंकि सरकार ऑयल मार्केटिंग कंपनियों के जिस नुकसान की बात कर रही थी, उसकी भरपाई हो चुकी है और प्रॉफिट में आ गई हैं।

वहीं, हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने एक इंटरव्यू दिया है। जिसमें उन्होंने पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कमी की वकालत की और संकेत दिया कि आने वाले दिनों में दाम कम किए जा सकते हैं। पुरी ने इंटरव्यू में इस बात को माना कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों को फ्यूल की कीमतें कम करने के प्रयास में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर रही है और कीमतों को कम करने की तैयारी शुरू कर दी है।

दरअसल इसी वर्ष कर्नाटक चुनाव में बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह गैस सिलेंडर के बढ़ते हुए दामों को लेकर महिलाओं में नाराजगी भी थी। कांग्रेस ने गैस की बढ़ती कीमतों को चुनाव प्रचार के दौरान खूब भुनाया था। कांग्रेस ने वोटिंग से पहले मतदाताओं को महंगाई की याद दिलाते हुए गैस सिलेंडर की पूजा की थी। जिसका फायदा कांग्रेस को कर्नाटक में मिला और बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा।ऐसे में चुनावी साल में सरकार हर कदम सोच समझ कर रख रही है।

मुंबई में मंथनः 'इंडिया' की दो दिवसीय बैठक आज से, 27 दलों के 80 से ज्यादा नेता सरकार के खिलाफ तय करेंगे रणनीति, जारी हो सकता है “लोगो”

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लोकसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को टक्कर देने के लिए एक मंच पर आए 26 से ज्यादा दलों की गुरुवार से मुंबई में बैठक है। इंडिया गठबंधन की ये दो दिवसीय बैठक मुंबई के हयात होटल में होगी। आज होने वाली बैठक में 5 राज्यों के मुख्यमंत्री और 27 पार्टियों के करीब 80 नेताओं के पहुंचने की उम्मीद है। इस बैठक में कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के भी पहुंचने की संभावना है।

11 सदस्यीय कोऑर्डिनेशन कमिटी का गठन

जानकारी के मुताबिक इस दो दिनों की बैठक के दौरान 11 सदस्यों की कोऑर्डिनेशन कमिटी की घोषणा होगी। इसके साथ ही गठबंधन का एक लोगो भी जारी किया जाएगा। वहीं पहले संयोजक के नाम की चर्चा हो रही थी लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक संयोजक की जगह कोऑर्डिनेशन कमिटी के गठन का फैसला लिया गया है। 

बैठक में गठबंधन के चुनाव प्रबंधन के लिए एक ऑफिस की रुपरेखा पर चर्चा होगी. गठबंधन के 5 से 10 प्रवक्ता बनाए जाएंगे, इसे लेकर बातचीत होगी। अलायंस की मीडिया और सोशल मीडिया टीम बनाने पर भी चर्चा होने के आसार हैं। नेशनल एजेंडा तय करने के लिए कमेटी बनाई जाएगी। इस पर गंभीरता से विचार होने की संभावना है। इसके अलावा कैंपेन के लिए मुद्दों पर चर्चा हो सकती है।

गठबंधन में शामिल हो सकते हैं कुछ और क्षेत्रीय दल

ऐसी अटकलें भी हैं कि मुंबई की बैठक में 26 दलों वाले इस विपक्षी गठबंधन में कुछ और क्षेत्रीय दल भी शामिल हो सकते हैं। यह पटना और बेंगलुरु के बाद इस गठबंधन की तीसरी बैठक है। गठबंधन की पहली बैठक जून में पटना में, जबकि दूसरी बैठक जुलाई में बेंगलुरु में हुई थी, जहां इसे ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इनक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) नाम दिया गया। मुंबई में बैठक से पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ‘इंडिया’ का संयोजक बनाए जाने संबंधी अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी कोई व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा नहीं है और वह सबको एकजुट करना चाहते हैं। उन्होंने रविवार को कहा था कि इंडिया गठबंधन की मुंबई बैठक में कुछ और राजनीतिक दल इसमें शामिल हो सकते हैं। उन्होंने हालांकि, किसी दल का नाम नहीं लिया था।

बैठक से एक दिन पहले क्या बोले शरद पवार

बैठक मुंबई में है इसलिए इसकी साझा जिम्मेदारी महाविकास आघाड़ी में शामिल तीन दल कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव गुट) ने संभाल रखी है। बैठक से पहले बुधवार को तीनों दलों के नेताओं ने एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें शरद पवार, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अशोक चव्हाण, नाना पटोले और संजय राउत जैसे नेता मौजूद थे। बैठक मुंबई में है इसलिए इसकी साझा जिम्मेदारी महाविकास आघाड़ी में शामिल तीन दल कांग्रेस, एनसीपी (शरद पवार गुट) और शिवसेना (उद्धव गुट) ने संभाल रखी है। बैठक से पहले बुधवार को तीनों दलों के नेताओं ने एक ज्वाइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इसमें शरद पवार, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, अशोक चव्हाण, नाना पटोले और संजय राउत जैसे नेता मौजूद थे। विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक से एक दिन पहले एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, देश की जनता बदलाव चाहती है, इसीलिए विपक्षी नेता यहां इकट्ठा हो रहे हैं। इस गठबंधन की पहले हो चुकीं दो बैठकें बहुत महत्वपूर्ण थीं और अब बीजेपी का मुकाबला करने के लिए विपक्षी गुट की संयुक्त रणनीति पर अगले दो दिनों में चर्चा होने की संभावना है। कुछ वरिष्ठ नेताओं का एक पैनल बनाया जा सकता है और उसे राज्य और स्थानीय स्तर पर लोकसभा चुनाव के लिए सीट-बंटवारे के फॉर्मूले पर चर्चा करने का काम सौंपा जा सकता है।

वक्फ बोर्ड की 123 प्रॉपर्टी वापस लेगी मोदी सरकार, लिस्ट में जामा मस्जिद भी शामिल, मनमोहन सरकार ने दिया था दान

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केन्द्र की सत्ता पर काबिज नरेद्र मोदी की सरकार ने पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार के फैसले को पलट दिया।इस फैसले के मुताबिक केन्द्र की मोदी सरकार वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को वापस लेने जा रही है।इसके तहत केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को वापस लेने के लिए नोटिस जारी कर दिया है। जिन संपत्तियों को वापस लिया जा रहा है, उसमें संसद भवन के सामने स्थित जामा मस्जिद भी शामिल है।

पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान जामा मस्जिद को वक्फ बोर्ड को दिया गया था। अब सरकार ने दिल्ली की अहम 123 संपत्तियों को वापस लेने के लिए नोटिस जारी कर दिया है। इन 123 जगहों में मस्जिदें, दरगाह और कब्रिस्तान शामिल हैं। जिन संपत्तियों की बात की जा रही है, उनका मालिकाना हक कभी सरकार का होता था। हालांकि, मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान ये संपत्तियां वक्फ बोर्ड को दे दी गईं। अब सरकार बोर्ड से कुछ अहम कागजात दिखाने को कह रही है, जिसमें बताया जाए कि उन्हें ये संपत्तियां अपने पास क्यों रखनी चाहिए। 

जिसके बाद वक्फ बोर्ड ने हाई कोर्ट से मदद मांगी।वक्फ बोर्ड ने दिल्ली हाई कोर्ट में भी याचिका डाली थी। याचिका में कहा गया था कि इन सभी संपत्तियों को तोड़ने, फोड़ने और मरम्मतीकरण का काम कोई दूसरा न करे, लेकिन बीती मई में हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था। हाई कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद केंद्र सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने वक्फ बोर्ड को नोटिस जारी किया है और कहा है कि अगर आपको लगता है कि ये संपत्तियां आपको मिलनी चाहिए, तो जरूरी कागजात पेश करें।

अब केंद्र की मोदी सरकार ने राजधानी स्थित नई दिल्ली जामा मस्जिद को नोटिस भेजा है। 18 अगस्त 2023 को जारी इस नोटिस में कहा गया है कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार मस्जिद का निरीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा, दिल्ली वक्फ बोर्ड की 123 संपत्तियों को कब्जे में लेने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के आदेश के बाद नई दिल्ली जामा मस्जिद की दीवार पर एक नोटिस चिपकाया गया। नोटिस में कहा गया था कि इस संपत्ति पर अपना दावा करने वाले लोग निरीक्षण के दौरान अपने दावे को साबित करने के लिए तैयार रहें। उन्हें संपत्ति से जुड़े दस्तावेज और नक्शे जमा करने होंगे।

बता दें कि 2014 लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने से ठीक एक दिन पहले कांग्रेस पार्टी की अगुवाई वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया। वह फैसला दिल्ली की 123 प्राइम प्रॉपर्टीज को लेकर थी। मनमोहन सरकार ने 5 मार्च 2014 को इन प्रॉपर्टीज को दिल्ली वक्फ बोर्ड के हवाले करने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी थी। लेकिन 2014 के चुनाव में यूपीए को सत्ता से हटना पड़ा। भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने भारी बहुमत के साथ जीत हासिल की थी और तब से केंद्र में मोदी सरकार का कब्जा है। अब उसने अपनी पूर्ववर्ती मनमोहन सरकार के फैसले को पलट दिया। केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड को सौंपी गई 123 प्रॉपर्टियों को फिर से सरकार के कब्जे में लिया जाएगा।

अक्साई चिन में चीन ने खोदी सुरंग, बना रहा बंकर, सैटेलाइट तस्वीरों से सामने आई ड्रैगन की चालबाजियां

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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जल्द ही भारत दौरे पर आने वाले हैं। दरअसल, चीन दिल्ली में आयोजित जी-20 सम्मेलन में शामिल होने वाला है। हालांकि इससे पहले भी वो अपनी चालाकियों से बाज नहीं आ रहा है।अभी हाल ही में चीन ने नया नक्शा जारी कर भारत के अरूणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर अपना दावा ठोका है। जिसके बाद देश में सियासी हलचल तेज हो गई है। इस बीच विभिन्न मीडिया रिपोट्स में ऐसा दावा किया जा रहा है कि चीन विवादित अक्साई चिन क्षेत्र में सुरंग भी बना रहा है।मैक्सार टेक्नोलॉजीज सैटेलाइट इमेज के ज़रिए चीन की नई साजिश का खुलासा हुआ है।

लद्दाख के देपसांग क्षेत्र से करीब 60 किमी पूरब में चीन की सेना ने सुरंग बनाना शुरू कर दिया है। सैनिकों और हथियारों के शेल्टर के तौर पर घाटी से लगती पहाड़ी में कई बंकर और शाफ्ट तैयार किए जा रहे हैं।इनका इस्तेमाल सैनिकों और हथियारों को रखने के लिए किया जा सकता है। यह क्षेत्र अक्साई चिन में पड़ता है, जो वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पूर्व में है। यह इलाका वैसे तो भारत का है लेकिन अभी चीन के कब्जे में है।

तीन जगहों पर बंकरों और तीन जगहों पर सुरंग बनाया जा रहा

मैक्सार टेक्नोलॉजीज सैटेलाइट इमेज से स्पष्ट होता है कि 6 दिसंबर 2021 और 18 अगस्त 2023 के बीच, चीन ने तीन जगहों पर बंकरों का निर्माण किया है और तीन अन्य स्थानों पर सुरंग बनाने की गतिविधि की है। सभी छह स्थान लगभग 15 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में हैं। इससे पहले मई में यह पता चला था कि चीन ने नए रनवे, विमानों के खड़े होने के लिए बेस और नए समर्थन और सैन्य संचालन भवनों का निर्माण करके एयरबेस का विस्तार किया है। अक्साई चिन वह हिस्सा है जिस पर चीन ने 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान कब्ज़ा कर लिया था।

चीन को लेकर पहले भी हो चुके हैं ऐसे खुलासे

यह पहली बार नहीं है जब चीन की हरकतें सामने आई हैं। इससे पहले, ब्रिटेन स्थित एक थिंक टैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि बीजिंग भारतीय सीमा के पास सेना की सुचारू तैनाती के लिए इन गतिविधियों में लिप्त है।

चैथम हाउस की रिपोर्ट में कहा गया कि मई 2020 में भारत के साथ सैन्य गतिरोध शुरू होने के बाद से चीनी पीएलए ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के चीनी पक्ष पर चौकियों, शिविरों और विस्तारित सड़कों का एक नेटवर्क बनाया है। यह अक्टूबर 2022 के बाद से छह महीनों में ली गई उपग्रह छवियों के व्यापक अध्ययन पर आधारित थी।

नए नक्शे में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन पर किया दावा

इससे पहले चीन ने सोमवार को नया नक्शा जारी कर अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपनी सीमा में दिखाया। इस पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दो टूक कहा कि सिर्फ बेतुके दावे करने से दूसरों के क्षेत्र आपके नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि बीजिंग ने पहले भी उन क्षेत्रों पर दावा करते हुए ऐसे नक्शे जारी किए थे, जो उसके नहीं हैं। यह चीन की पुरानी आदत है।