25 गांव..50 हजार लोग..एक डर..गंगा का कटाव : बेगूसराय में रात में लहरों की तेज आवाज आती है; रोज एक खेत गंगा में समा जाता है
बेगूसराय : बिहार में सामान्य से कम बारिश हुई है, लेकिन हिमाचल और उत्तराखंड के साथ-साथ नेपाल में हुई बारिश की वजह से राज्य की कई नदियां उफान पर हैं। गंगा, गंडक, कोसी, महानंदा आदि नदियों के जलस्तर खतरे के निशान के करीब या ऊपर है। गंगा में जलस्तर बढ़ने से बेगूसराय जिले के तेघड़ा प्रखंड में लगातार कटाव हो रहा है। इस प्रखंड के 25 गांव और 50 हजार लोगों को एक ही डर है। गंगा का कटाव।
तेघड़ा की जमीनी हकीकत को समझने के लिए भास्कर की टीम मौके पर पहुंची। हालात डराने वाले थे। 50 हजार लोगों के सामने अनाज का संकट है। इस गांव में नदी के किनारे बने मस्जिद, स्कूल और करीब 70 से ज्यादा घर किसी भी वक्त पानी में समा सकते हैं। भगवानपुर गांव की कई एकड़ जमीन पर लगी धान की फसल पानी में बह गई। गांव के 20 घरों में पानी घुस गया।
तेघड़ा प्रखंड के 25 गांव गंगा नदी के किनारे बसे हैं। इन गांवों में करीब 50 हजार लोग रहते हैं। ग्रामीणों के अनुसार पिछले 10 से 12 साल नदी कटाव करते हुए गांव के पास आ गई है। गंगा गांव से 10 किलोमीटर दूर थी, लेकिन आज स्थिति भयावह है। कटाव की डर से मजबूरन गांव के लोग पलायन के लिए मजबूर हैं। लोग अपने हरे पेड़ के बह जाने की डर से काट रहे हैं।
सब कुछ बर्बाद होते देख रहे हैं लोग
गंगा नदी की धारा तेज है। इससे कटाव रुक नहीं रहा है। गांव के लोग अपनी आंखों के सामने अपना सब कुछ बर्बाद होते देख रहे हैं। कइयों के घर उनके आंखों के सामने बह गए। ग्रामीण नूरजहां खातून ने बताया कि मेरा घर बह गया। थोड़ी सी जमीन थी, जिसपर खेती कर गुजर बसर करती थी। नदी की वजह से अब ना ही मेरे पास घर है और ना खेती के लिए जमीन बचा है। सरकार की तरफ से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। कोई अधिकारी हालात देखने आते हैं तो सिर्फ आश्वासन देकर चले जाते हैं।
लगभग 100 एकड़ में लगी फसल बर्बाद
कटाव की वजह से यहां लोग अनाज की समस्या से परेशान हैं। ग्रामीण रामचंद्र चौधरी बताते हैं कि कटाव की वजह से हमारे सारे फसल नदी में समा गया। नदी किनारे रहने वाले कई लोगों के घर भी पानी में बह गए। अब हमारे पास ना खाने को अनाज है और ना रहने की छत। नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं। वोट लेकर लोगों को भूल जाते हैं।
सांसद की पहल से जगी उम्मीद
दो दिन पहले राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा ने इस इलाके का दौरा किया। उनके आने के बाद से इस क्षेत्र के लोगों को मदद की उम्मीद जागी है। लोगों ने बताया कि सांसद हमारी मदद कर रहे हैं। उन्होंने भरोसा दिया है कि आने वाले समय में कटाव की समस्या का स्थानी निदान करेंगे।
रात में आती है मिट्टी कटकर पानी में गिरने की आवाज
नदी किनारे बसे लोगों को रात में मिट्टी कटाव की तेज आवाज सुनाई देती है। इस आवाज की डर से लोग रात-रातभर जगे रहते हैं। दैनिक भास्कर से बात करने हुए रवि ने बताया कि देर शाम अपना खेत देखा। अगले दिन सुबह में देखा तो कटाव की वजह से खेत नदी में समा चुका था। अब दिन-रात घर की चिंता सता रही है।
कभी भी कटाव की जद में आ सकता है कुआं
भगवानपुर चक्की गांव के बीचों बीच 30 साल पहले एक कुआं बनाया गया था। ताकि लोग इससे पानी पी सके। लेकिन हर साल होने वाली कटाव से इस गांव के कई घर पानी में समा चुका है। अब कटाव कुआं के पास आ चुका है। गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि अगर कटाव की यही स्थिति बनी रही तो 2 से 4 दिन में इस कुएं का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
बच्चों की शादी के लिए अच्छे घर से रिश्ते नहीं आते
इस क्षेत्र में कटाव की स्थिति पिछले 40 सालों से है। 20 साल पहले तक इस प्रखंड से गंगा करीब 11 किलोमीटर दूर थी, लेकिन आज कटाव के कारण गांव के पास नदी आ चुकी है। भगवानपुर चक्की और इसके आस पास के 3 से 4 गांव में जाने के लिए कोई सड़क नहीं है।
गांव की महिला सरिता देवी ने बताया की कोई अच्छा परिवार हमारे यहां रिश्ता नही जोड़ना चाहता। कोई अच्छा परिवार अपनी लड़की की शादी नही करना चाहते हैं। इसकी वजह है कि कटाव और गांव में आने के लिए सड़कें भी नहीं है। सरकार सड़क बनाना भूल गई है।
भगवानपुर चक्की के आसपास के 3 गांव में जाने का रास्ता नहीं है। लोग खेतों से होकर आते-जाते हैं। बारिश के दिनों में इन खेतों में भी पानी भर जाता है। बच्चों के साथ कुछ अनहोनी ना हो जाए। इस डर से बच्चे स्कूल जाना बंद कर देते हैं।
12 किलो मीटर से लाना पड़ता है चारा
गांव के मोती सिंह कहते हैं कि पहले गंगा नदी 11 किलोमीटर दूर ताजपुर दियारा में थी, लेकिन अब नदी गांव में आ गई है। मवेशियों के लिए चारा लाने के लिए 12 किलोमीटर जाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि सरकार को यहां के लोगों की चिंता नहीं है, तो मवेशियों को कौन पूछता है। गांव के दोनों तरफ नदी होने से डर लगता है। लेकिन क्या करेंगे। परिवार ले कर कहां जाएंगे। कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
गांव की अनिता देवी कहती है कि घर यहां है तो जाएंगे कहां। सरकार नहीं देख रही है तो भगवान देखेंगे। रात भर जाग कर जी रहें हैं। माधव साव ने बताया कि 75 साल उम्र है। हर साल कटाव होता है। लेकिन आज तक स्थायी समाधान नहीं हो सका।
बलिया दियारा के लोग रस्सी से मिट्टी कटाव को कर रहे रोकने का प्रयास
बेगूसराय के बलिया के दियारा क्षेत्र के भगवानपुर और शिवनगर की स्थिति यह है कि यहां बरसों से लोग कटाव से त्रस्त हैं। कटाव की वजह से दियारा क्षेत्र के कई गांव गंगा में समा चुके हैं। इसमें गोखले नगर, विष्णुपुर, नवरंगा, पहाड़पुर, कोहवा, हुसैना, हसनपुर सहित दर्जनों गांव गंगा में विलीन हो चुके हैं। लोगों ने बताया कि 1952 के बाद से अब तक किसी ने दियारा क्षेत्र में रहने वालों की सुध नहीं ली। इस वजह से लोग बारिश के दिनों में डर के साए में जीने को मजबूर हैं।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Jul 21 2023, 09:28