हरियाणा में कुंवारों को हर महीने पेंशन देगी मनोहर सरकार, ऐसा करने वाला देश का पहला राज्य

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हरियाणा में 2024 में विधानसभा चुनाव होने हैं। बीजेपी के सिर पर दो बार जीत का सेहरा बंध चुका है। ऐसे में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की 'सेना' कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। ऐसे में हरियाणा सरकार ने चुनावी चाल चली है। हरियाणा मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राज्य में अविवाहित लोगों के मासिक पेंशन देने का ऐलान किया है। राज्य सरकार पिछले काफी समय से राज्य में मौजूद कुंवारे लोगों को पेंशन देने पर विचार कर रही थी। राज्य सरकार ने इस बारे में सैद्धांतिक निर्णय लेने के बाद ऐलान किया है कि कुंवारे लोगों को 2,750 रुपये प्रति महीने पेंशन प्रदान की जाए।

कुंवारों को मिलेगा 2750 रुपये प्रति माह

2 जुलाई को मुख्यमंत्री मनोहर लाल करनाल दौर पर थे। इस दौरान गांव कलामपुरा में जब वे जनसंवाद कर रहे थे। तब एक 60 वर्ष के अविवाहित शख्स ने मुख्यमंत्री के सामने पेंशन संबंधी शिकायत रखी, जिस पर सीएम ने कहा था कि एक महीने के अंदर इस बारे में फैसला कर लिया जाएगा। अब सरकार ने इस पर फैसला कर तय किया है कि अविवाहित को हरियाणा में 2750 रुपये प्रति माह पेंशन दी जाएगी। इसके लिए कुछ मानक तय किए गए जिन्हें पूरा करने पर योजना का लाभ मिलेगा।

45 से 60 वर्ष है उम्र का दायरा

हरियाणा के 45 से 60 वर्ष तक की आयु वाले कुंवारे पुरुष व महिलाओं को अब से ₹2,750 मासिक पेंशन दी जाएगी। ₹1.80 लाख से कम वार्षिक आय वाले व्यक्तियों को इस पेंशन का लाभ मिलेगा। इसके अलावा 40-60 वर्ष आयु तक के विधुर पुरुष, जिनकी वार्षिक आय ₹3 लाख से कम है उन्हें भी ₹2,750 पेंशन दी जाएगी।

सवा लाख कुंवारों को मिलेगा योजना का लाभ

सरकार के फैसले के साथ ही हरियाणा देश का पहला राज्य बन गया है।जिसने अविवाहितों और विधुरों के लिए पेंशन का एलान किया है।खट्टर सरकार के इस फैसले के बाद प्रदेश के करीब सवा लाख कुंवारों को इस योजना का लाभ मिलेगा

ट्विटर की टक्कर में इंस्टाग्राम ने अपना नया ऐप थ्रेड किया लॉन्च, भारत को भी कराया उपलब्ध, पढ़िए, क्या क्या हैं इसके मुख्य फीचर्स

ट्विटर की टक्कर में इंस्टाग्राम ने अपना नया ऐप थ्रेड लॉन्च कर दिया है। यह एक नया सोशल नेटवर्किंग ऐप है। इसकी सीधी टक्कर ट्विटर से होगी। थ्रेड ऐप काफी हद तक ट्विटर जैसा है। साथ ही इसमें कुछ फीचर्स इंस्टाग्राम के जोड़े गए हैं। थ्रेड एक टेक्स्ट आधारित सोशल मीडिया ऐप है जिसका सीधा मुकाबला ऐलन मस्क के ट्विटर (Twitter) से है। Meta के सीईओ मार्क जकरबर्ग ने एप को लॉन्च कर दिया है। Threads को इंस्टाग्राम की टीम ने ही तैयार किया है। Threads में भी रियल टाइम फीड प्राप्त होगी। थ्रेड के फीचर्स और इंटरफेस काफी हद तक ट्विटर जैसे ही हैं। 

थ्रेड को अब भारत में भी उपलब्ध कराया गया है। थ्रेड को गूगल प्ले-स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। अगर आपके पास पहले से ही इंस्टाग्राम पर ब्लू टिक है यानी अगर आपका इंस्टाग्राम अकाउंट पहले से वेरिफाईड है तो थ्रेड अकाउंट स्वयं ही वेरिफाईड हो जाएगा। थ्रेड को आप एपल के एप स्टोर से भी फ्री में डाउनलोड कर सकते हैं। थ्रेड में आप अपनी इंस्टाग्राम आईडी के साथ लॉगिन कर सकते हैं।

ऐसे करें इस्तेमाल

मेटा का इंस्टाग्राम एप एक फोटो शेयरिंग मल्टीमीडिया प्लेटफॉर्म है, जबकि थ्रेड, ट्विटर की भांति एक टेक्स्ट आधारित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। अगर आपने ट्विटर इस्तेमाल किया है तो आपको थ्रेड के साथ परेशानी नहीं होगी। 

यह काफी हद तक पुराने ट्विटर वर्जन की भांति है। थ्रेड में आप 500 कैरेक्टर में पोस्ट कर सकते हैं जिसमें वेब लिंक, फोटो (एक बार में 10 फोटो) और मिनट तक के वीडियो सम्मिलित कर सकते हैं। थ्रेड में भी आप किसी को ब्लॉक और फॉलो कर सकते हैं। अगर आपने इंस्टाग्राम पर किसी को ब्लॉक किया है तो थ्रेड पर भी वह ब्लॉक ही रहेगा। थ्रेड में फिलहाल GIFS का सपोर्ट और "close friend" का सपोर्ट नहीं है। इसके अतिरिक्त इसमें फिलहाल डायरेक्ट मैसेजिंग का भी फीचर नहीं है।

पेशाब कांड के बाद मध्यप्रदेश में अब दो दलित युवकों के मुंह में भरा मल, चप्पलों की माला पहना 3 किमी तक जुलूस निकालकर घुमाया, छह गिरफ्तार


मध्य प्रदेश के सीधी के पेशाबकांड के बाद अब राज्य से एक और शर्मनाक घटना सामने आई है। शिवपुरी जिले की नरवर थाना पुलिस ने वरखाड़ी गांव के रहने वाले दो युवकों के साथ समुदाय विशेष के लोगों द्वारा अमानवीय व्यवहार किए जाने की घटना सामने आई है। नरवर थाना पुलिस ने वरखाड़ी गांव के रहने वाले दो लड़कों के साथ समुदाय विशेष के लोगों द्वारा अमानवीय व्यवहार किए जाने की घटना सामने आई है। पुलिस ने सात अपराधियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है। इनमें दो महिलायें भी सम्मिलित हैं। पुलिस ने 6 अपराधियों को गिरफ्त्तार कर लिया है जबकि एक अपराधी फरार है। 

कहा जा रहा है कि दो दिन पहले वरखाड़ी गांव में समुदाय विशेष के लोगों ने अनुज जाटव और संतोष केवट नाम के दो लड़कों को लड़कियों की छेड़खानी करने के आरोप में पकड़ लिया था। अपराधियों ने इन युवाओं के साथ अमानवीय व्यवहार करते हुए दोनों को पीटा फिर इनके गले में चप्पलों की माला पहना दी। अपराधी इतने पर भी नहीं रुके। अपराधियों ने इन लड़कों के मुंह में मल (मैला) भर दिया। यही नहीं युवकों के कपड़ों पर भी मल लगा लगा दिया था। तत्पश्चात, दोनों लड़कों का जुलुस निकाला था। जब पुलिस ने इन युवकों से पूछताछ की, तो युवकों ने छेड़छाड़ से साफ़ इंकार कर दिया। पुलिस की जांच में भी लड़की के साथ छेड़छाड़ का आरोप साबित नहीं हो पाया। जिस वक़्त घटना हुई युवती वहां मौजूद नहीं थी, युवकों की युवती से सिर्फ फोन पर बात हुई थी। 

वही पुलिस ने दोनों युवकों के साथ किए गए अमानवीय व्यवहार और उनके साथ मारपीट करने के आरोप में अल्पसंख्यक समुदाय के सात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।

 एसपी रघुवंश सिंह भदोरिया ने बताया कि पीड़ितों की शिकायत पर पुलिस ने वरखाड़ी गांव के रहने वाले अजमत खान, वकील खान, आरिफ खान, शाहिद खान, इस्लाम खान, रहीशा बानों, साइना बानों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज किया है। एक अपराधी वकील खान को छोड़कर सभी अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्त्तार कर लिया है। फरार वकील खान की तलाश में पुलिस जुटी हुई है।

 कहा जा रहा है कि अपराधियों ने दलित युवक अनुज जाटव और संतोष केवट के मुंह पर कालिख पोतने के साथ चप्पलों की माला पहनाकर लगभग 3 किलोमीटर तक जुलूस निकालकर घुमाया। पीड़ितों के भाई जयचंद जाटव ने समाज के बड़े बुर्जुगों को साथ लेकर पुलिस अधीक्षक दफ्तर पहुंचकर ज्ञापन दिया। पीड़ितों के परिजनों ने मांग की कि अपराधियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली की केजरीवाल सरकार को राहत, केंद्रीय अध्यादेश के खिलाफ 10 जुलाई को सुनवाई

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केंद्रीय अध्यादेश के मुद्दे पर केंद्र और दिल्ली की केजरीवाल सरकार आमने-सामने हैं। आम आदमी पार्टी इस मुद्दे पर विपक्षी पार्टियों से समर्थन की अपील कर कर रही है। इस बीच केंद्र सरकार के अध्यादेश पर रोक लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया था। जिसपर सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को सुनवाई करेगा। 

केंद्र सरकार यह अध्यादेश 19 मई को लेकर आई थी। केंद्र ने दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के स्थानांतरण और पोस्टिंग के लिए एक राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण बनाने के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) अध्यादेश, 2023 को लाया था। यह अध्यादेश सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ द्वारा दिल्ली में पुलिस, सार्वजनिक व्यवस्था और भूमि को छोड़कर सेवाओं पर निर्वाचित सरकार को नियंत्रण प्रदान करने के बाद लाया गया था।

इस अध्यादेश के आने के बाद से आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार लगातार इसका विरोध कर रही है। अरविंद केजरीवाल ने तमाम विपक्षी दलों से इस अध्यादेश को लेकर मुलाकात की और संसद में इसका विरोध करने की अपील की है।

बता दें कि केजरीवाल सरकार आरोप लगाती रही है कि एलजी के माध्यम से केंद्र दिल्ली सरकार को काम नहीं करने दे रहा है। यही वजह है कि केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 11 मई को सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के पैसले के मुताबिक दिल्ली सरकार ही दिल्ली के नौकरशाहों के तबादले और उनकी तैनाती कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आम आदमी पार्टी ने अपनी जीत बताया था लेकिन उनकी ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही क्योंकि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 ले आई।

UCC पर केंद्र सरकार ने किया GoM का गठन, पहली बैठक भी संपन्न, अनौपचारिक GOM की कमान किरेन रिजिजू को सौंपी गई

एक देश-एक कानून लागू करने की दिशा में केंद्र सरकार ने समान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया है। इस मुद्दे पर सरकार द्वारा मंत्रियों के एक ग्रुप (GOM) का गठन किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस अनौपचारिक ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स में कई दिग्गज मंत्री शामिल हैं। इसमें पूर्व कानून मंत्री किरेन रिजीजू, स्मृति ईरानी, जी किशन रेड्डी और अर्जुन राम मेघवाल को शामिल किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, अनौपचारिक GOM की कमान किरेन रिजीजू को सौंपी गई है। समान नागरिक संहिता से संबंधित अलग-अलग मुद्दों पर ये मंत्री विचार-विमर्श करेंगे। बुधवार को भी किरेन रिजिजू के नेतृत्व में इन मंत्रियों की बैठक हुई। जानकारी के अनुसार, अलग-अलग मंत्री अलग-अलग मुद्दों पर विचार करेंगे। जैसे आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर किरेन रिजिजू, महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर स्मृति ईरानी, पूर्वोत्तर राज्यों से संबंधित मुद्दों पर जी किशन रेड्डी और कानूनी पहलुओं पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मंथन करेंगे।

इन मंत्रियों की पूर्वोत्तर के कुछ मुख्यमंत्रियों से भी इस संबंध में चर्चा हुई है। समान नागरिक संहिता पर आगे बढ़ने की दिशा में यह केंद्र सरकार की तरफ से पहला बड़ा कदम है। 

बता दें कि, पीएम नरेंद्र मोदी ने भोपाल में भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं से अपने संवाद में समान नागरिक संहिता को लेकर कई अहम बातें कहीं थी। उसके बाद अब केंद्र सरकार ने इस दिशा में कदम उठा लिया है। इनमें से कुछ मंत्रियों की इस सम्बन्ध में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के साथ भी मुलाकात हुई थी। वहीं दूसरी तरफ कई पार्टियों ने UCC का विरोध करते हुए आरोप लगया है कि भाजपा सरकार इसे देश के ऊपर थोप रही है।

समान नागरिक संहिता पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने का विधि आयोग को सौंपो अपना मसौदा, आम लोगों से की गई ये खास अपील

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यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। इस बीच ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से एक बड़ी बैठक की।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने दो दिन की बैठक करने के बाद बुधवार को समान नागरिक संहिता पर अपनी आपत्तियों का ड्राफ्ट विधि आयोग को सौंप दिया है।प्रस्ताव में 21वें विधि आयोग की प्रतिक्रिया व रिर्पोट, मौजूदा नागरिक कानूनों का हवाला देकर समान नागरिक संहिता को सभी धर्म के लोगों को नुकसान पहुंचाने वाला और गैरजरूरी करार दिया। बोर्ड ने समान नागरिक संहिता को चुनावी मुददा बताते हुये इसका लोकतांत्रिक तरीके से विरोध करने की बात भी कही।

शरियत मुसलमानों की पहचान

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफउल्लाह रहमानी की अध्यक्षता में बुलाई गई ऑनलाइन बैठक में देश भर से करीब 200 सदस्यों ने शामिल होकर बोर्ड की लीगल कमेटी की ओर से तैयार किये गये करीब 100 पेज के प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार किया। बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफउल्लाह रहमानी ने कहा कि एक मुसलमान जो नमाज, रोजा, हज और जकात के मामलों में शरीयत के नियमों का पालन करने के लिए पाबन्द है। उसी प्रकार हर मुसलमान के लिए सामाजिक मामले निकाह व तलाक, खुला, इद्दत, मीरास, विरासत आदि में भी शरीयत के नियमों का पालन करते रहना अनिवार्य है। मौलाना ने कहा कि पर्सनल लॉ शरियत का हिस्सा और मुसलमानों की पहचान हैं और वो अपनी पहचान छोड़ने को तैयार नही है।

विधि आयोग की सुझाव सामग्री को बताया अस्पष्ट और असामान्य

वहीं, बोर्ड के प्रवक्ता डॉ कासिम रसूल इलियास ने बताया कि यूसीसी पर विधि आयोग में दाखिल की गई प्रतिक्रिया में प्रारंभिक मुददा, 21वें विधि आयोग की प्रतिक्रिया और रिपोर्ट, समान नागरिक संहिता, मौजूदा नागरिक कानून और निष्कर्ष को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि विधि आयोग के मांगे गये सुझाव की सामग्री अस्पष्ट और असामान्य है। आमंत्रित किए जाने वाले सुझावों की शर्तें गायब हैं। इसमें प्रतिक्रया हां या नही में मांगी गई है। उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि यह मुद्दा पूरी तरह से राजनीति और मीडिया-संचालित प्रचार के उपभोग के लिए भी चारा की तरह है। 

आम लोगों से इसका विरोध करने की अपील

साथ ही बोर्ड ने मुस्लिम समाज के लोगों से अपील की है कि यूसीसी का विरोध करें। बोर्ड के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि यूसीसी के मसले पर चर्चा हुई है और जो बातें हुई उसमें आपत्तियों के तमाम बिंदुओं पर चर्चा की गई। इसे लेकर एक लिंक जारी किया गया और आम लोगों से इसका विरोध करने की अपील की गई है।एआईएमपीएलबी की ओर से कहा गया, विरोध करने के लिए बस एक लिंक पर क्लिक करना होगा, जहां पर विरोध की लाइनें पहले से ही मौजूद हैं। बस अपनी मेल आईडी से उसे लॉ कमीशन को भेजना होगा।

मोदी सरकार की मुश्किल बढ़ा सकता है मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने साफ-साफ शब्दों में कहा कि यूसीसी मुस्लिम शरियत के तहत नहीं है और मुसलमान अपने पर्सनल लॉ में किसी तरह का बदलाव मंजूर नहीं करेगा। इस तरह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का मसौदा मोदी सरकार के मंशा से कोसो दूर नजर आता है।

यूसीसी की ओर मोदी सरकार ने बढ़ाया एक और कदम, समान नागरिक संहिता पर चर्चा के लिए 'ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स' का गठन, किरेन रिजिजू करेंगे अगुवाई

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समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद यूसीसी का मुद्दा एक बार फिर से गर्मा गया है। देशभर में इस मुद्दे को लेकर बहस छिड़ गई है। तमाम विपक्षी दल इस मुद्दे को लेकर अपने-अपने तर्क देकर सवाल उठा रहे हैं।इस बीच मोदी सरकार ने यूसीसी की ओर एक और कदम बढ़ाया है। समान नागरिक संहिता पर सरकार ने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का गठन किया है। 

समान नागरिक संहिता पर वरिष्ठ मंत्रियों का एक अनौपचारिक जीओएम यानी ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स बनाया गया है। इसमें किरेन रिजिजू, स्मृति ईरानी, जी किशन रेड्डी और अर्जुन राम मेघवाल को शामिल किया गया है। इस अनौपचारिक जीओएम की कमान रिजिजू को दी गई है। बुधवार को इन मंत्रियों की बैठक हुई। 

मंत्रियों को मिली अलग-अलग जिम्मेदारी

ये मंत्री समान नागरिक संहिता से जुड़े अलग-अलग मुद्दों पर विचार-विमर्श करेंगे। जैसे आदिवासियों से जुड़े मुद्दों पर किरेन रिजिजू, महिला अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर स्मृति ईरानी, पूर्वोत्तर राज्यों से जुड़े मुद्दों पर जी किशन रेड्डी और कानूनी पहलुओं पर कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विचार करेंगे।इन मंत्रियों की पूर्वोत्तर के कुछ मुख्यमंत्रियों से भी इस बारे में चर्चा हुई है।

पीएम मोदी ने की ती यूसीसी की वकालत

समान नागरिक संहिता की दिशा में यह केंद्र सरकार की ओर से पहला गंभीर कदम है। पीएम मोदी ने भोपाल में बीजेपी के बूथ कार्यकर्ताओं से अपने संवाद में समान नागरिक संहिता की वकालत की थी। पीएम मोदी ने कहा कि विपक्ष यूसीसी के मुद्दे का इस्तेमाल मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने और भड़काने के लिए कर रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उन्हें भड़काकर उनका फायदा लेने के लिए उनको बर्बाद कर रहे हैं।

क्‍या है समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता यानी एक देश और एक कानून। जिस देश में भी समान नागरिक संहिता लागू होती है, उस देश में विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना, संपत्ति के बंटवारे से लेकर अन्‍य सभी विषयों को लेकर जो भी कानून बनाए गए हैं, वो सभी धर्म के नागरिकों को समान रूप से मानने होते हैं। फिलहाल भारत में कई निजी कानून धर्म के आधार पर तय हैं। ऐसे में अगर समान नागरिक संहिता को भविष्‍य में लागू किया जाता है तो देश में सभी धर्मों के लिए वही कानून लागू होगा जिसे भारतीय संसद द्वारा तय किया जाएगा।

पेशाब कांड पर डैमेज कंट्रोल,जिस आदिवासी पर प्रवेश शुक्ला ने किया था पेशाब, हाथ पकड़कर लाए गए सीएम आवास, शिवराज ने धोए पैर, मांगी माफी

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मध्य प्रदेश के सीधी में हुए पेशाब कांड पर शिवराज सरकार घिर गई है। कथित तौर पर बीजेपी नेता प्रवेश शुक्ला की करतूत के कारण मध्य प्रदेश की सियासत गरमाई हुई है।जिसके बाद शिवराज सरकार डैमेज कंट्रोल करने में जुटी हुई है। बुधवार को जहां आरोपी के घर बुलडोजर की कार्रवाई की गई। वहीं, गुरुवार सुबह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पेशाब कांड के पीड़ित से मुलाकात की।शिवराज ने पीड़ित से माफी मांगी है, इतना ही नहीं उन्होंने उसके पैर धोकर दुख भी व्यक्त किया है।

पैर धोए, माफी मांगी

पेशाब कांड सामने आने के बाद शिवराज सरकार की किरकिरी हो रही थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पैचअप की कमान खुद ही संभाल ली है। प्रवेश शुक्ला पर सख्त कार्रवाई के बाद सीएम ने पीड़ित दशमत रावत को भोपाल बुलाया। पीड़ित दशमत रावत भोपाल स्थित सीएम शिवराज सिंह चौहान के घर पहुंचे। इसके बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने खुद उन्हें सम्मानित किया है। सीएम ने दशमत रावत के पैर धोए हैं।पैर धोने के बाद सीएम शिवराज सिंह चौहान ने दशमत रावत को तिलक लगाया है। तिलक लगाने के बाद उन्हें माला पहनाया गया है। इसके साथ ही सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित दशमत रावत को शॉल देकर सम्मानित किया है। सीएम हाउस में दशमत रावत कुर्सी पर बैठे थे। शॉल से सम्मानित करने के बाद सीएम ने उन्हें भगवान गणेश की प्रतिमा भेंट की है। साथ ही कपड़े और नारियल भी दिए हैं। शिवराज सिंह चौहान ने उन्हें भरोसा दिया है कि आपको न्याय मिलेगा।

सीएम ने दशमत को बताया दोस्त सुदामा

दशमत को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सुदामा कहा। बोले- दशमत तुम अब मेरे दोस्त हो। सीएम ने दशमत से कई विषय पर चर्चा की। पूछा- क्या करते हो? घर चलाने के क्या साधन हैं? कौन सी योजनाओं का लाभ मिल रहा है? यह भी पूछा कि बेटी को लक्ष्मी और पत्नी को लाड़ली बहना योजना का लाभ मिल रहा है या नहीं। सीएम ने कहा- बेटी को पढ़ाना, बेटियां आगे बढ़ रही हैं।

किसी में भी भेदभाव ना करने की अपील

यही नहीं, शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित और उनके परिवार को सरकार की ओर से मिल रही योजनाओं के लाभ के बारे में जानकारी ली। साथ ही कहा कि जब भी तुम्हें किसी चीज़ की जरूरत हो तो तुम मुझे सूचित करो। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अपराधी का ना कोई धर्म होता है और ना ही कोई पार्टी, जाति होती है। यही वजह है कि अपराधी पर कड़ा एक्शन लिया गया है, मैं सभी से अपील करता हूं कि किसी में भी भेदभाव ना करे।

क्या है सीधी का पेशाब कांड?

गौरतलब है कि सीधी जिले में एक आदिवासी युवक पर पेशाब करने का मामला सामने आया था। वीडियो में दिखाई दे रहा है कि एक शख्स शराब के नशे आदिवासी शख्स पर पेशाब कर रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। जांच में पता चला कि आरोपी का नाम प्रवेश शुक्ला है। कांग्रेस का आरोप है कि प्रवेश शुक्ला बीजेपी का नेता है।वीडियो वायरल होने के बाद प्रवेश शुक्ला को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई भी हुई है। प्रवेश शुक्ला के अवैध कब्जे पर प्रशासन द्वारा बुलडोजर भी चलाया गया है।

एनसीपी विवाद पर दिल्ली में “पोस्टर वॉर”, अजित को बताया गद्दार, बैनर में कटप्पा जैसा दिखाया

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राजनीति में जुबानी जंग एक तरफ तो पोस्टर वॉर एक तरफ होता है। महाराष्ट्र में एनसीपी बनाम एनसीपी की लड़ाई जारी है। महाराष्ट्र में शुरू हुई शरद पवार और अजित पवार की लड़ाई अब राजधानी दिल्ली पहुंच चुकी है।एनसीपी चीफ शरद पवार थोड़ी देर में महाराष्ट्र से दिल्ली पहुंच रहे हैं। शरद पवार दिल्ली में होने वाली एनसीपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल होंगे।इस बीच दिल्ली में एनसीपी की बैठक से पहले अजित पवार के खिलाफ पोस्टर लगाए गए हैं।

पोस्टर में अजित पवार को कटप्पा बताया गया

एनसीपी की छात्र इकाई राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस ने दिल्ली में पार्टी दफ्तर के बाहर इसके बैनर लगाए हैं। बैनर में दिखाया गया है कि कटप्पा किस तरह बाहुबली की पीठ में तलवार मार रहा है। पोस्टर बाहुबली फिल्म से लिया गया है, जिसमें कटप्पा बाहुबली पर पीछे से वार करता है। पोस्टर में अजित पवार को कटप्पा, जबकि चाचा शरद पवार को बाहुबली बताया गया है। साथ ही इस बैनर में बड़े अक्षरों में गद्दार भी लिखा गया है।

“पूरा देश शरद पवार साहेब के साथ”

दिल्ली में एनसीपी कार्यकर्ताओं ने और भी कई पोस्टर लगाए हैं। दिल्ली में स्थित शरद पवार के आवास के बाहर लगे पोस्टर में लिखा गया है, 'सच और झूठ की लड़ाई में पूरा देश शरद पवार साहेब के साथ है। भारत देश का इतिहास है कि इसने कभी धोखा देने वाले को माफ नहीं किया।

बुधवार को किया था शक्ति प्रदर्शन

दिल्ली में आज होने वाली एनसीपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले बुधवार को शरद पवार और अजीत पवार ने अपनी ताकत दिखाई थी। मुंबई में शरद पवार और अजित पवार ने समर्थकों की अलग-अलग बैठक की थी। अजित पवार के साथ 31 विधायक और कुछ एमएलसी दिखे थे। वहीं, शरद पवार के साथ 16 एनसीपी विधायक और 4 सांसद थे। अभी एनसीपी के 9 विधायकों ने किसी का पक्ष नहीं लिया है। इन 9 एनसीपी विधायकों पर सबकी नजर है कि अजित पवार का साथ देते हैं, या शरद पवार के साथ बने रहते हैं।

*समान नागरिक संहिता पर नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन का बयान, कहा-यूसीसी का हिंदू राष्ट्र की अवधारणा से संबंध*

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इन दिनों देश में समान नागरिक संहिता पर लगातार बहस जारी है। हाल ही प्रधानमंत्री ने नरेन्द्र मोदी ने इसको लेकर बयान दिया ता. जिसके बाद से लगातार इस पर प्रतिक्रियाएं आ रही है। इस बीच नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने भी अपनी राय रखी है और समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लेकर बड़ा दावा किया है।अमर्त्य सेन का दावा है कि समान नागरिक संहिता एक मुश्किल मुद्दा है और इसे आसान बनाने की कोशिश जारी है।सेन ने यह भी कहा कि यूसीसी का निश्चित रूप से हिंदू राष्ट्र की अवधारणा से संबंध है। 

सेन ने यूसीसी को बताया मूर्खतापूर्ण

विश्व भारती स्थित अपने आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए प्रोफ़ेसर सेन ने सवाल पूछा कि इससे किसे फ़ायदा होगा। उन्होंने कहा कि यह निश्चित रूप से हिंदू राष्ट्र के विचार से जुड़ा है। प्रोफ़ेसर सेन ने कहा, मैंने अख़बारों में लिखा देखा कि समान नागरिक संहिता लागू करने में अब और देरी नहीं होनी चाहिए।ऐसी मूर्खतापूर्ण बातें आती कहां से हैं? हम हज़ारों सालों से यूसीसी के बग़ैर हैं और भविष्य में भी इसके बिना रह सकते हैं।

हिंदू धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा-सेन

सेन ने यह भी कहा कि यूसीसी का निश्चित रूप से हिंदू राष्ट्र की अवधारणा से संबंध है। हिंदू राष्ट्र ही प्रगति का एकमात्र रास्ता नहीं है। हिंदू धर्म का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता एक मुश्किल मुद्दा है। अब इसे आसान बनाने की कोशिश की जा रही है। हममें भिन्नताएं हैं। धर्मों में भिन्नता है, नियमों और रीति-रिवाजों में भिन्नता है। हमें उन भिन्नताओं को दूर करके एकजुट होने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि यूसीसी लागू करने की कोशिश उस मुद्दे को खुल्लम खुल्ला सामान्य बताने का प्रयास है जो जटिल है और जिसे लेकर लोगों के बीच कई सारे मतभेद हैं।