भारतीय सीमा पर नजर रखने के लिए जासूसी का सहारा ले रहा चीन, पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास तैनात किए जासूसी ड्रोन्स

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चीन के साथ भारत का लंबे समय से सीमा विवाद चला आ रहा है। दरअसल, चीन अपनी चालो से बाज नहीं आता। पूर्वी लद्दाख और सिक्किम के क्षेत्र में चीनी घुसपैठ किसी से छुपी नहीं हैं। भारतीय सेना के बार-बार पीछे धकेलने के बावजूद चीन अपनी आदत से बाज नहीं आता है। जिसके कारण लगातार दोनों देशों के बीच तनाव के हालात बने हुए हैं। इस बीच चीन अब भारतीय सीमा पर नजर रखने के लिए जासूसी का सहारा ले रहा है।चीन ने भारत से सटी सीमा के करीब अपने अत्याधुनिक ड्रोन की तैनाती कर दी है।

चीन ने भारतीय सीमा की जासूसी करने के लिए अपने अत्याधुनिक WZ-7, Wing Loong 2 ड्रोन बॉर्डर के नजदीक तैनात कर दिया है।टीवी 9 की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने अपने जासूसी ड्रोन की तैनाती ऐसी जगह पर की है जहां से पूर्वी लद्दाख की सीमा की जासूसी कर सकता है और दूर रहकर सेना की 14वीं कोर और 33वीं कोर की मूवमेंट पर नजर रख सकता है।

हालांकि, बारतीय सेना के जाबांजों के सामने चीन की चालबाजियां चलने वाली नहीं हैं।भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र तक एलएसी के पार चीनी सैन्य गतिविधियों पर कड़ी नजर रख रही है और 2020 में गलवां क्षेत्र से शुरू होने वाले पूर्वी लद्दाख में चीनियों द्वारा एकतरफा घुसपैठ के बाद अपनी क्षमताओं को कई गुना बढ़ा लिया है।

बता दें कि भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा को लेकर विवाद है। चीन के साथ सीमा विवाद को समझने से पहले थोड़ा भूगोल समझना जरूरी है।चीन के साथ भारत की 3,488 किमी लंबी सीमा लगती है। ये सीमा तीन सेक्टर्स- ईस्टर्न, मिडिल और वेस्टर्न में बंटी हुई है।ईस्टर्न सेक्टर में सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा चीन से लगती है, जो 1346 किमी लंबी है।मिडिल सेक्टर में हिमाचल और उत्तराखंड की सीमा है, जिसकी लंबाई 545 किमी है।वहीं, वेस्टर्न सेक्टर में लद्दाख आता है, जिसके साथ चीन की 1,597 किमी लंबी सीमा लगती है।चीन अरुणाचल प्रदेश के 90 हजार वर्ग किमी के हिस्से पर अपना दावा करता है। जबकि, लद्दाख का करीब 38 हजार वर्ग किमी का हिस्सा चीन के कब्जे में है।दोनों देशों के बीच अब तक पूरी तरह से सीमांकन नहीं हुआ है क्योंकि कई इलाक़ों के बारे में दोनों के बीच मतभेद हैं।

सीधी पेशाब कांड: एक्शन में आई शिवराज सरकार, आरोपी प्रवेश शुक्ला के घर पर चला बुलडोजर, एनएसए के तहत कार्रवाई

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मध्य प्रदेश के सीधी जिले में एक आदिवासी युवक पर खुले आम पेशाब करने के मामले में शिवराज सरकार एक्शन में आ गई है। आदिवासी युवक पर पेशाब करने के आरोपी प्रवेश शुक्ला पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) लगा दिया गया है। सीधी के जिला दंडाधिकारी साकेत मालवीय द्वारा इस संबंध में आदेश जारी किया गया है। इसके साथ ही प्रवेश शुक्ला के घर बुलडोजर की कार्रवाई की गई।

आरोपी के घर चला बुलडोजर

आदिवासी युवक पर खुले आम पेशाब करने के आरोपी कथित बीजेपी नेता प्रवेश शुक्ला के घर पर बुधवार को दोपहर करीब 2 बजे प्रशासन बुलडोजर के साथ पहुंची। इसके बाद उसके घर का कुछ हिस्सा गिरा दिया गया।उसके एक कच्चा मकान सहित बाउंड्री वॉल को ध्वस्त कर दिया गया है।आरोपी प्रवेश शुक्ला के मकान में है तीन लोगों का हिस्सा है। जिस तरह इसका हिस्सा था उसके अतिक्रमण को तोड़ दिया गया है। इस अपराध के अलावा भी प्रवेश शुक्ला के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं।कार्रवाई के दौरान आरोपी के घर के आसपास भारी संख्या में पुलिसकर्मी मौजूद रहे। कार्रवाई के दौरान एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दिखाई दे रहा है कि घर गिरता देख प्रवेश शुल्का की मां फूट-फूट रो रही हैं। कुछ महिला सिपाही उनको संभालने की कोशिश कर रही हैं।

कार्रवाई के बाद शिवराज ऑफिस के हैंडल से ट्वीट

कार्रवाई के बाद शिवराज ऑफिस के हैंडल से एक ट्वीट किया गया। इस ट्वीट में लिखा है-'एनएसए लगा दिया है, बुलडोजर भी चला दिया गया है और अगर जरूरत पड़ी तो मामा जी अपराधियों को 10 फुट जमीन के नीचे भी गाड़ देंगे। मामाजी का संदेश साफ है, इसलिए गलत मंशा वालों मध्यप्रदेश में अपराध करने से पहले 10 बार सोच लेना।

सीएम शिवराज ने दिया था कड़ी कार्रवाई का आदेश

इससे पहले पुलिस ने प्रवेश शुक्ला को बीती रात को ही गिरफ्तार कर लिया था। आरोपी को उसके गांव के करीब से ही दबोच लिया गया। पुलिस ने वीडियो वायरल होने के बाद आरोपी के खिलाफ एससी, एससी एक्ट और एनएसए समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया है। इस वीडियो के संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था 'मेरे संज्ञान में सीधी जिले का एक वायरल वीडियो आया है, मैंने प्रशासन को निर्देश दिए हैं कि अपराधी को गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर एनएसए भी लगाया जाए।।

क्या है मामला

बता दें कि सीधी जिले का एक वीडियो मंगलवार को तेजी से वायरल हुआ था। इसमें प्रवेश शुक्ला सड़क किनारे फुटपाथ पर बैठे एक आदिवासी युवक मुंह पर पेशाब करता दिखाई दे रहा है। बताया जा रहा है कि आदिवासी युवक मानसिक रूप से विक्षिप्त है। इस वीडियो के वायरल होते ही बवाल कट गया।वीडियो वायरल होने का बाद प्रवेश शुक्ला फरार हो गया था। मंगलवार देर रात करीब दो बजे पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सख्त नाराजगी जताते हुए आरोपी के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया था।

शरद पवार के रिटायरमेंट को लेकर अजीत के तंज पर सुप्रिया सुले का पलटवार, 82 साल में भी अमिताभ बच्चन कर रहे काम

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राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने अपने पिता और दिग्गज नेता शरद पवार पर उनकी उम्र को लेकर अजीत पवार के तंज पर पलटवार किया है।एनसीपी में टूट के बाद चाचा और भतीजा दोनों गुट आमने-सामने हैं। अजित पवार ने शरद पवार के लिए कई बातें कहीं, जिस पर सुप्रिया सुले ने पलटवार किया है। सुप्रिया सुले ने अजित पवार के उम्र वाले कटाक्ष पर निशाना साधते हुए पिता शरद पवार की तुलना रतन टाटा और अमिताभ बच्चन से की। 

सुप्रिया सुले का चचेरे भाई को जोरदार जवाब

चचेरे भाई अजित पवार की बगावत पर एनसीपी नेता और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने कड़ा प्रहार किया है। अजित पवार को चेतावनी देते हुए सुप्रिया सुले ने साफ कहा कि उनका जितना अपमान करना है करे लेकिन बाप के बारे में कुछ नहीं सुनूंगी। सुप्रिया सुले ने कहा बूढ़ा होने से बॉस नहीं बदलेगा। उम्र सिर्फ एक नंबर है, तुम घर में बैठकर आशीर्वाद लो, हम सब संभाल लेंगे। 

रतन टाटा, अमिताभ और साइरस पूनावाला से तुलना

भाई अजित पवार से कहा कि अपने पिता को कहना कि घर बैठो, बेटे क्या हैं, इससे तो बेटियां ही भली। मैं अपने पिता के साथ खड़ी रहुंगी। वो कह रहें है कि कुछ लोगों कि उम्र हो हई है घर बैठो। आशीर्वाद दो.. क्यों.. रतन टाटा साहेब से 3 साल बड़े है। लेकिन आज भी वो काम करतें है। सायरस पूनावला की उम्र 84 है। अमिताभ बच्चन की उम्र 82.. हर पॉप्युलर एड उनकी होती है। वॉरेन बफे.. फारुख अब्दुल पिता से तीन साल बड़े है।

एनसीपी का असली चेहरा सिर्फ शरद पवार-सुले

सुले ने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस का असली चेहरा सिर्फ शरद पवार हैं और रहेंगे। सत्ता आती-जाती है। एनसीपी का झंडा और चुनाव चिह्न ओरिजिनल के पास ही रहेगा। एनसीपी का एक ही सिक्का है और वो हैं शरद पवार।सुले ने घोषणा की कि चाहे कुछ भी हो, एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न 'घड़ी' शरद पवार की स्थापित और विकसित की गई मूल पार्टी के साथ ही रहेगा और इसका लालच करने वाले सभी लोगों को उनकी जगह दिखाई जाएगी। उन्होंने कहा कि पार्टी ने अतीत में कई युद्ध लड़े हैं और मौजूदा आंतरिक तूफान का भी सामना करेगी ताकि वह और अधिक मजबूत, एकजुट होकर उभरे और नए जोश के साथ आगे बढ़े।

पीएम मोदी पर भी प्रहार

वहीं इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रिया सुले ने कहा कि यह वही मोदी हैं जिन्होंने आरोप लगाया था कि एनसीपी का मतलब 'नैचरली करप्ट पार्टी' है। अब, वही बीजेपी नेता - जिन्होंने बड़े पैमाने पर 'ना खाऊंगा, न खाऊंगा' का दावा किया था, ने अजित पवार की नैचरली करप्ट पार्टी (गुट) से हाथ मिला लिया है - और उसके सारे भ्रष्टाचार को निगल लिया है।

शरद पवार एनसीपी अध्यक्ष पर से हुए “बेदखल”, बागी गुट ने अजीत पवार को सौंपी “पावर”

#MaharashtraPoliticalCrisis 

महाराष्ट्र में सियासी “महाभारत” और तेज होता जा रहा है। अजित पवार ने खुद को एनसीपी का अध्यक्ष घोषित कर दिया है। वहीं इस गुट ने पार्टी पर भी अपना दावा भी ठोक दिया है। इस संबंध में चुनाव आयोग में एक अर्जी भी दाखिल की गई है।सूत्रों के अनुसार, बीती 30 जून को एनसीपी के 40 विधायकों के समर्थन की चिट्ठी के साथ ही अजित पवार को एनसीपी के अध्यक्ष बनाने की जानकारी चुनाव आयोग को भेजी गई थी। जो केंद्रीय चुनाव आयोग को 5 जुलाई को मिली।

अजित पवार ने दावा किया है कि 30 जून को कार्यकारिणी की बैठक हुई थी, एनसीपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शरद पवार को राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से शरद पवार को हटाने के संबंध में प्रस्ताव पारित हुआ था। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अध्यक्ष चुन लिया गया था। उन्होंने कहा कि प्रफुल्ल पटेल ने यह बैठक बुलाई थी। 

शरद पवार गुट भी चुनाव आयोग पहुंचा

वहीं शरद पवार के गुट की तरफ से भी शिंदे सरकार में मंत्री बने 9 विधायकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग में एक अर्जी दी गई है। जानकारी के मुताबिक यह अर्जी शरद गुट के नेता जयंत पाटिल की तरफ से दी गई है। चुनाव आयोग की तरफ से दोनों गुटों की तरफ से आई अर्जियों की पुष्टि की गई है। अब आयोग कानूनी पहलुओं पर विचार करके अंतिम फैसला लेगा।

पार्टी का चुनाव चिह्न हमारे पास है-शरद पवार

वहीं शरद पवार ने कहा कि पार्टी का चुनाव चिह्न हमारे पास है, वह कहीं नहीं जायेगा। जो लोग और पार्टी कार्यकर्ता हमें सत्ता में लाए, वे हमारे साथ हैं। जिन विधायकों ने अलग होने का फैसला किया, उन्होंने हमें विश्वास में नहीं लिया। अजित पवार गुट ने किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया है। शरद पवार ने अजित पवार को खोटा सिक्का तक कह दिया

दोनों गुटों का शक्ति प्रदर्शन

इससे पहले महाराष्ट्र में एनसीपी संकट के बीच शरद और अजित पवार गुट ने अपने-अपने समर्थक विधायकों, सांसदों को व्हिप जारी किया है। दोनों गुटों ने अपने समर्थन वाले नेताओं को मुंबई में एक महत्वपूर्ण बैठक के लिए उपस्थित रहने के लिए कहा है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 35 विधायक बागी अजीत पवार के साथ मंच पर दिखे हैं।

समान नागरिक संहिता पर भाजपा के एक और सहयोगी की अलग राय, अन्नाद्रमुक ने केंद्र से यूसीसी के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं लाने का किया आग्रह, न


एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि समान नागरिक संहिता पर हमारा रुख 2019 के चुनाव घोषणापत्र के समान है। हमने वहां सब कुछ संक्षेप में बताया है।

भाजपा की सहयोगी अन्नाद्रमुक ने केंद्र से समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लिए संविधान में कोई संशोधन नहीं लाने का आग्रह किया है। अन्नाद्रमुक का मानना है कि यह भारत के अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा। नेशनल पीपुल्स पार्टी के बाद, प्रस्तावित यूसीसी पर आपत्ति व्यक्त करने वाला यह भाजपा का दूसरा प्रमुख सहयोगी है। इससे पहले, नागालैंड में भाजपा की एक अन्य सहयोगी नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) ने समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन पर अपनी आपत्ति जताई थी।

पलानीस्वामी ने क्या कहा

एआईएडीएमके महासचिव एडप्पादी पलानीस्वामी ने एक प्रेस वार्ता में कहा कि समान नागरिक संहिता पर हमारा रुख 2019 के चुनाव घोषणापत्र के समान है। हमने वहां सब कुछ संक्षेप में बताया है। यूसीसी उन कानूनों के एक सामान्य समूह को संदर्भित करता है जो भारत के सभी नागरिकों पर लागू होते हैं जो धर्म पर आधारित नहीं हैं और विवाह, तलाक, विरासत और गोद लेने सहित अन्य व्यक्तिगत मामलों से संबंधित हैं। हालाँकि, गोवा भारत का एकमात्र राज्य है जहाँ समान नागरिक संहिता है। यह पुर्तगाली नागरिक संहिता 1867 का पालन कर रहा है, जिसे समान नागरिक संहिता भी कहा जाता है। पुर्तगाली शासन से मुक्ति के बाद, यूसीसी गोवा, दमन और दीव प्रशासन अधिनियम, 1962 की धारा 5(1) के माध्यम से जीवित रहा।

मेघालय के सीएम कोनराड संगमा ने कहा कि समान नागरिक संहिता भारत के वास्तविक विचार के विपरीत है। उन्होंने कहा कि भारत एक विविधतापूर्ण देश है और विविधता ही हमारी ताकत है। एक राजनीतिक दल के रूप में, हमें एहसास है कि पूरे पूर्वोत्तर में अनूठी संस्कृति है और हम चाहेंगे कि वह बनी रहे। अपने राज्य का उदाहरण लेते हुए संगमा ने कहा, "उदाहरण के लिए, हम एक मातृसत्तात्मक समाज हैं और यही हमारी ताकत रही है और यही हमारी संस्कृति रही है। अब इसे हमारे लिए नहीं बदला जा सकता है।" हालाँकि, एनपीपी प्रमुख ने कहा कि यूसीसी ड्राफ्ट की वास्तविक सामग्री को देखे बिना विवरण में जाना मुश्किल होगा।

दिल्ली, पंजाब के बाद अब हिमाचल प्रदेश में सरकार और राज्यपाल के बीच ठनी,

हिमाचल राजभवन ने एक विधेयक को अपने पास रखा, दूसरे को दोबारा परीक्षण के लिए भेजा, कुदी आम आदमी पार्टी


देश की राजनीति में इन दिनों चुनी हुई सरकार और राज्यपाल के बीच तकरार लगातार सुर्खियों में है। दिल्ली और पंजाब के बाद हिमाचल प्रदेश में भी ऐसा ही तकरार नजर आ रहा है।

हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में विधानसभा से पारित दो विधेयक कानून नहीं बन सके हैं। हिमाचल राजभवन ने एक विधेयक को अपने पास रखा है, जबकि दूसरे को दोबारा परीक्षण के लिए वापस भेज दिया है। जानकारी के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक को मंजूरी नहीं दी है। वहीं, सुखाश्रय विधेयक को भी राज्य सरकार के पास कुछ बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है।

मामले में कूदी आम आदमी पार्टी

हिमाचल प्रदेश मेल उपज रहे इस सियासी तकरार में आम आदमी पार्टी भी कूद गई है। आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली से विधायक नरेश बालियान ने ट्वीट करते हुए लिखा- 'पहले ही अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि दिल्ली तो बस शुरुआत है। पूरे देश में ये राज्यपाल के द्वारा सत्ता हथियाना चाहेंगे। अब अजय माखन क्या करोगे? यहां भी मत मदद करना अपने मुख्यमंत्री को, यहां मदद किया तो फिर दिल्ली में क्या जवाब दोगे? आप लोग इसी चक्कर में पांडिचेरी खो चुके हो।

AAP ने मांगा विपक्षी दलों का साथ

इससे पहले विपक्षी एकता की बैठक में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसी बात को लेकर नाराज हो गए थे कि कांग्रेस केंद्र सरकार की ओर से पारित अध्यादेश मामले में आम आदमी पार्टी का साथ नहीं दे रही है। बैठक से पहले केजरीवाल ने कहा था कि केंद्र सरकार ने दिल्ली अध्यादेश के सहारे एक प्रयोग किया है। अगर वो इसमें सफल हो जाती है, तो फिर एक-एक कर सभी गैर-बीजेपी राज्यों के लिए समवर्ती सूची के तहत आने वाले विषयों पर अध्यादेश जारी कर राज्यों के अधिकार छीन लिए जाएंगे। इसी लिए सभी पार्टियां मिलकर इसे किसी हालत में संसद में पास न होने दें।

ध्वनिमत से पारित हुआ था विधेयक

बता दें कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बजट सत्र के दौरान लोकतंत्र प्रहरी सम्मान निरसन विधेयक को पारित करने का प्रस्ताव किया था। भारतीय जनता पार्टी ने विधेयक निरसन को लेकर खूब हंगामा किया और विरोध में वॉकआउट कर दिया। इस बीच सत्तापक्ष ने ध्वनिमत से इस कानून विधेयक को पारित किया इसके तहत पूर्व भाजपा सरकार ने आपातकाल के वक्त जेल में रहने वाले नेताओं की अलग-अलग दो श्रेणियों में 20 हजार रुपए और 12 हजार रुपए हर महीने सम्मान राशि के तौर पर देने का प्रावधान किया था।

सुक्खू सरकार ने इसे राजनीति से जुड़ा हुआ बताते हुए खत्म करने का प्रस्ताव पेश किया। सत्तापक्ष कांग्रेस के कई विधायकों ने इसे आरएसएस और भाजपा के लोगों को फायदा देने वाला बताया था। सदन में भारी विरोध के बीच सरकार ने लोकतंत्र सम्मान प्रहरी निधि को खत्म करने का फैसला ले लिया। इससे पहले हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र में ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन ने इस सम्मान राशि को खत्म करने की मांग उठाई थी।

इसके अलावा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार ने हिमाचल प्रदेश सुखाश्रय विधेयक 2023 को भी पारित किया है। इसमें अनाथ बच्चों को चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट मानते हुए कई कानूनी प्रावधान दिए गए हैं। मुख्यमंत्री का कहना है कि बच्चों अनाथ बच्चों को सरकार उनका अधिकार दे रही है। भाजपा ने इस विधेयक पर तर्क दिया था कि केंद्र सरकार के पहले से चल रहे प्रावधानों में जोड़ने की बात की थी। विपक्ष की ओर से इसमें कई खामियां भी गिनाई गई थी।

जानकारी के मुताबिक, अब राज्यपाल ने कुछ बिंदुओं पर सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। सरकार ने यह फाइल विधि विभाग के पास भेजी है। वित्त विभाग से राय-मशवरा करने के बाद इसे दोबारा राजभवन भेजा जाना है। हालांकि अभी तक मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह के नेतृत्व वाली सरकार की ओर से किसी भी विवाद से इनकार किया जा रहा है। अगर राज्यपाल और सरकार के बीच विवाद होता है तो गैर भाजपा शासित राज्य में चल रही इस सियासी लड़ाई में हिमाचल प्रदेश नहीं एंट्री होगी।

अजित पवार का शरद पवार पर तंज, कहा-अब आराम करें, 83 साल के हो गए, कब रिटायर होंगे?

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राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी सुप्रीमो शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच तनाव बढ़ता नजर आ रहा है। दरअसल, अपनी ही पार्टी से बगावत करके महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे सरकार में उपमुख्यमंत्री बने अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार पर तंज कसा है। अजित पवार ने बुधवार को मुंबई में शक्ति प्रदर्शन किया। इस दौरान अपने संबोधन में अजीत पवार ने कहा कि शररद पवार पर तंज कसते हुए कहा कि अब उनकी उम्र हो गई है, उन्हें रिटायर होकर हमें आशीर्वाद देना चाहिए।

शरद गुट के कई विधायकों के आने का दावा

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने बुधवार दोपहर को अपने गुट के विधायकों की बैठक को संबोधित किया। उनके साथ कुल 32 विधायक हैं, इनमें 30 मीटिंग में मौजूद रहे जबकि 2 विदेश में हैं। अजित पवार ने दावा किया कि जल्द ही शरद पवार गुट की तरफ से अभी अन्य विधायक हमारे साथ आएंगे।

बीजेपी में 75 की उम्र वाले नेता रिटायर हो जाते हैं-अजीत पवार

अजित पवार ने शरद पवार पर तंज कसते हुए कहा कि बीजेपी में 75 साल की उम्र वाले नेता भी रिटायर हो जाते हैं, लेकिन कुछ लोग ये बात नहीं समझते हैं। अजित ने शरद पवार को लेकर कहा कि आपकी उम्र ज्यादा हो गई है तो हमें आशीर्वाद दीजिए, हम आपके घर में पैदा नहीं हुए हैं तो इसमें हमारी क्या गलती है। आपने सुप्रिया सुले को पार्टी अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव दिया था, उसके लिए हम तैयार थे। जब आपको इस्तीफा वापस ही लेना था तो दिया ही क्यों था।

तो आज महाराष्ट्र में एनसीपी का सीएम होता- अजीत पवार

अजित पवार ने अपने संबोधन में कहा कि जब हम कांग्रेस के साथ थे, तब कहा जाता था कि सोनिया गांधी परदेसी हैं इसलिए वो प्रधानमंत्री नहीं बन सकतीं, लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस की सरकार आई थी। अजित पवार ने कहा, 2004 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी के पास कांग्रेस से ज्यादा विधायक थे। अगर हमने उस समय कांग्रेस को मुख्यमंत्री पद नहीं दिया होता तो आज तक महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का ही मुख्यमंत्री होता।

शिवसेना की विचारधारा स्वीकार तो बीजेपी से आपत्ति क्यों?

अजित पवार ने इसके साथ ही सवाल किया, ‘जब हम शिवसेना की विचारधारा को स्वीकार कर सकते हैं तो फिर बीजेपी के साथ जाने में क्या आपत्ति है? हम एक स्वतंत्र इकाई के रूप में इस गठबंधन में शामिल हुए हैं। जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती और फारूक अब्दुल्ला बीजेपी के साथ चले गए और अब वे संयुक्त विपक्ष का हिस्सा हैं।

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच एनसीपी को लेकर शरद पवार और अजीत पवार के बीच जंग जारी, डिटेल में पढ़िए, कौन किस पर पड़ रहा भारी

महाराष्ट्र में राजनैतिक घमासान जारी है। इस बीच अजित पवार गुट की बैठक में छगन भुजबल ने दावा किया कि 40 से अधिक विधायक और MLC हमारे साथ हैं। हमने शपथ लेने से पहले पूरी मेहनत की है। हमने शपथ ऐसे ही नहीं ली।

महाराष्ट्र में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच एनसीपी को लेकर शरद पवार और अजीत पवार के बीच जंग जारी है। इन सबके बीच आज दोनों गुटों की ओर से शक्ति प्रदर्शन किया जा रहा है। अजित पवार गुट का दावा है कि उनके साथ 42 से ज्यादा विधायक हैं। कुछ विधायकों के नाम भी सामने आ गए हैं। वहीं, अजित पवार गुट की ओर से शरद पवार के समक्ष एक बड़ी शर्त रख दी गई है। इससे पहले 2 जुलाई को, अजीत पवार महाराष्ट्र में शिवसेना-भाजपा गठबंधन में शामिल हो गए और एक आश्चर्यजनक और नाटकीय राजनीतिक कदम में महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली, जिसने अगले साल लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले राज्य में राजनीतिक समीकरण बदल दिए।

छगल भुजबल की शर्त

अजित पवार गुट की बैठक में छगन भुजबल ने दावा किया कि 40 से अधिक विधायक और MLC हमारे साथ हैं। हमने शपथ लेने से पहले पूरी मेहनत की है। हमने शपथ ऐसे ही नहीं ली। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि हम पर कानूनी मामलों के डर से यहां (अजित पवार के साथ) आने का आरोप लगाया जा रहा है। यह सही नहीं है। धनंजय मुंडे, दिलीप वाल्से पाटिल और रामराजे निंबालकर के खिलाफ कोई मामला नहीं है। हम यहां केवल इसलिए हैं क्योंकि आपके (शरद पवार) साहब के आसपास कुछ करीबी सहयोगी हैं, वे पार्टी को खत्म करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि एक बार जब आप उन्हें किनारे कर देंगे तो हम आपके पास वापस आने के लिए तैयार हैं। 

इनके नाम आए सामने

अजित पवार खेमे में NCP विधायकों की सूची सामने आ गई है। इसमें विधानसभा से 1) अजित पवार 2) छगन भुजबल 3) हसन मुश्रीफ 4) नरहरि झिरवाल 5) दिलीप मोहिते 6) अनिल पाटिल 7) माणिकराव कोकाटे 8) दिलीप वलसे पाटिल 9) अदिति तटकरे 10) राजेश पाटिल 11) धनंजय मुंडे 12) धर्मराव अत्राम 13 ) अन्ना बंसोड़ 14) नीलेश लंके 15) इंद्रनील नाइक 16) सुनील शेलके 17) दत्तात्रय भरणे 18) संजय बंसोड़ 19) संग्राम जगताप 20) बीइंग दिलीप 21) सुनील टिंगरे 22) सुनील शेलके 23) बालासाहेब अजाबे 24) दीपक चव्हाण 25) यशवंत माने 26) नितिन पवार 27) शेखर निकम 28) संजय शिंदे 29) राजू क्रोमारे शामिल है। वहीं, विधान परिषद से 1) अमोल मिटकारी 2) रामराजे निंबालकर 3) अनिकेत तटकरे 4) विक्रम काले शामिल हैं।

फुल फॉर्म में दिखे आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव, केंद्र सरकार पर बोला तीखा हमला, कहा, जब तू ना रहबा तब का होई, नरेंद्र मोदी समझ ल उखाड़ के फेंक देब


आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव फिर एक बार फुल फॉर्म में दिखे। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। लैंड फॉर जॉब मामले में डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव समेत लालू परिवार के लोगों के खिलाफ सीबीआई द्वारा चार्जशीट दायर करने पर लालू यादव ने मोदी सरकार को उखाड़ फेंकने की धमकी दी। आरजेडी के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लालू ने भोजपुरी बोलते हुए अपने अंदाज में पीएम को चेतावनी देते हुए कहा- जब तू ना रहबा तब का होई, नरेंद्र मोदी समझ ल उखाड़ के फेंक देब।

आरजेडी के 27वें स्थापना दिवस के मौके पर पटना स्थित दफ्तर में बुधवार को राज्यस्तरीय आयोजन किया गया। इसमें आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव समेत पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने शिरकत की। पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए लालू ने कहा कि नरेंद्र मोदी की सरकार को उखाड़ के फेंक देंगे। उन्होंने भोजपुरी में बोलते हुए कहा, "उखाड़ के फेंक देब, नरेंद्र मोदी, समझ ल, ज्यादा जुल्म नहीं करना, कोई ठहरा नहीं, जिस पर चाहते हैं, मुकदमा करो-मुकदमा करो, जब तू ना रहबा तब का होई।" लालू के कहने का मतलब है कि जब तुम नहीं रहोगे, तब क्या होगा, नरेंद्र मोदी समझ लें, ज्यादा जुल्म नहीं करना, उखाड़ फेंक देंगे।

लालू यादव ने कहा कि देहात में पहले लोग गरीबों को ऐसे ही सताते थे। वे गरीबों को कहते थे कि कोर्ट में केस कर देंगे, हाईकोर्ट तक पहुंचा देंगे। लालू ने कहा कि हम लोग डरने वाले नहीं हैं, 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाला है, कर्नाटक तो अभी झांकी है। लालू प्रसाद ने पार्टी की स्थापना के कारण, जेपी आंदोलन, पार्टी के संघर्ष और राष्ट्रीय स्तर पर देश के समक्ष एकता और अखंडता के सामने खतरे के प्रति भी आगाह किया। इस मौके पर राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष का स्वागत किया। इस मौके पर पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी, उदय नारायण चौधरी,श्याम रजक, कांति सिंह सहित अन्य प्रमुख नेता मौजूद रहे।

बता दें कि रेलवे में नौकरी के बदले जमीन देने के मामले में लालू यादव, उनकी पत्नी, बेटे और बेटियां समेत अन्य कई करीबी आरोपी हैं। सीबीआई ने हाल ही में इस केस की सप्लीमेंट्री चार्जशीट दाखिल की, जिसमें डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को भी आरोपी बनाया गया है। पहले उनका नाम केस में न हीं था। इस मामले की सुनवाई दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में 12 जुलाई को होगी। फिलहाल लालू यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी एवं अन्य जमानत पर हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाया पहाड़ के फलों का राजा ‘काफल’, उत्तराखंड के सीएम धामी ने किए थे गिफ्ट, प्रदेश को प्रकृति ने दिए हैं उपहार


उत्तराखंड के काफल के दीवाने अभी तक आम जनता थी, लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी इस लिस्ट में शामिल हो गए हैं। पीएम मोदी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने काफल भेंट किए थे। इस काफल को खाकर पीएम मोदी इसके दीवाने हो गए। ये प्रधानमंत्री खुद कह रहे हैं।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट किये गए उत्तराखंड के प्रसिद्ध फल काफल उन्हें बहुत पसंद आए। प्रधानमंत्री मोदी ने पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्री धामी का आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को संबोधित अपने पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि देवभूमि उत्तराखंड से भेजे गए रसीले और दिव्य मौसमी फल ‘काफल’ प्राप्त हुए।

पीएम मोदी ने आगे लिखा कि हमारी प्रकृति ने हमें एक से बढ़कर एक उपहार दिए हैं और उत्तराखण्ड तो इस मामले में बहुत धनी है, जहां औषधीय गुणों से युक्त कंद-मूल और फल-फूल प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैँ। काफल ऐसा ही एक फल है जिसके औषधीय गुणों का उल्लेख प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी मिलता है।

उत्तराखंड की संस्कृति में रचा बसा है काफल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि काफल उत्तराखण्ड की संस्कृति में भी रचा बसा है। इसका उल्लेख विभिन्न रूपों में यहां के लोकगीतों में भी पाया जाता है। उत्तराखण्ड जाएं और वहां मिलने वाले विभिन्न प्रकार के पहाड़ी फलों का स्वाद ना लें, तो यात्रा अधूरी लगती है। गर्मियों के मौसम में पक कर तैयार होने वाले काफल राज्य में आने वाले पर्यटकों में भी खासे लोकप्रिय हैं। अपनी बढ़ी हुई मांग के कारण मध्य हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाने वाला यह फल स्थानीय लोगों को आर्थिक मजबूती भी प्रदान कर रहा है।

ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे काफल

पीएम मोदी ने कहा कि मुझे खुशी है कि काफल के लिए उपयुक्त बाजार सुनिश्चित कर गुणों से भरपूर इस फल को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। बाबा केदार और भगवान बद्री विशाल से उत्तराखंड के लोगों के कल्याण और राज्य की समृद्धि की कामना करता हूँ।

सीएम धामी ने जताया पीएम का आभार

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पत्र हेतु हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री जी के इन स्नेहपूर्ण शब्दों से हमारा तथा समस्त राज्यवासियों का उत्साहवर्धन हुआ है। उन्होंने काफल और उत्तराखंड के लिए कहे शब्दों के लिए पीएम का धन्यवाद दिया है।