SCO Summit:पीएम मोदी का शहबाज शरीफ की मौजूदगी में आतंकवाद पर प्रहार, सीमा पर तनाव को लेकर चीन को घेरा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मंगलवार को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन की बैठक की मेजबानी की। ये बैठक वर्चुअली आयोजित की गई। बैठक में रूस और चीन समेत एससीओ के सदस्य देश शामिल हुए।एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने बिना नाम लिए पाकिस्तान और चीन को जमकर खरी-खोटी सुनाई। आतंकवाद के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि आतंकियों को पनाह देने वाले देशों की आलोचना होनी चाहिए। यही नहीं, चीन को घेरते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सभी देशों को दूसरे देशों की संप्रभुता और सीमा का सम्मान करना चाहिए।

एससीओ समिट की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. इसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भी हिस्सा लिया। ये सभी लोग वर्चुअली इस बैठक का हिस्सा बनें। पीएम मोदी ने कहा कि हम एससीओ को अपने पड़ोसियों के साथ आने के रूप में नहीं देखते हैं, बल्कि इसे एक परिवार के तौर पर देखा जाता है। सुरक्षा, आर्थिक विकास, कनेक्टिविटी, एकता, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के लिए सम्मान और पर्यावरण संरक्षण एससीओ के लिए हमारे दृष्टिकोण के स्तंभ हैं।

बिना नाम लिए चीन-पाकिस्तान को धोया

मोदी ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ की मौजूदगी में खरी खोटी भी सुनाई। उन्होंने कहा, आतंकवाद क्षेत्रीय एवं वैश्विक शांति के लिए प्रमुख खतरा बना हुआ है। इस चुनौती से निपटने के लिए निर्णायक कार्रवाई आवश्यक है। आतंकवाद चाहे किसी भी रूप में हो, किसी भी अभिव्यक्ति में हो, हमें इसके विरुद्ध मिलकर लड़ाई करनी होगी। कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को अपनी नीतियों के साधन के रूप में इस्तेमाल करते हैं। आतंकवादियों को पनाह देते हैं। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना में कोई संकोच नहीं करना चाहिए। आतंकवाद के मुद्दे पर दोहरा मापदंड नहीं होना चाहिए।

अफगानिस्तान की जमीन अस्थिरता फैलाने में न की जाए प्रयोग 

प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान के हालात पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि भारत और अफगानिस्तान के लोगों के बीच सदियों पुराने मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। पिछले दो दशकों में हमने अफगानिस्तान के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए योगदान दिया है। 2021 के घटनाक्रम के बाद भी हम मानवीय सहायता भेजते रहे हैं। यह आवश्यक है कि अफगानिस्तान की भूमि पड़ोसी देशों में अस्थिरता फैलाने या उग्रवादी विचारधाराओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रयोग न की जाए। 

एससीओ में भारत के पांच नए स्तंभ का जिक्र

पीएम मोदी ने संबोधन में कहा कि भारत ने एससीओ में सहयोग के लिए पांच नए स्तंभ बनाए हैं। ये पांच स्तंभ स्टार्टअप और इनोवेशन, पारंपरिक औषधि, युवा सशक्तिकरण, डिजिटल समावेशन और साझा बौद्ध विरासत है।पीएम मोदी ने कहा कि पिछले दो दशकों में एससीओ पूरे यूरेशिया क्षेत्र में शांति, समृद्धि और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बनकर उभरा है। इस क्षेत्र के साथ भारत के हजारों साल पुराने सांस्कृतिक और लोगों के आपसी संबंध हमारी साझा विरासत का जीवंत प्रमाण हैं।

दिल्ली सेवा अध्यादेश के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र-एलजी को नोटिस भेजा, दिल्ली बिजली नियामक आयोग के चेयरमैन के शपथग्रहण पर भी रोक

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भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में लाए गए अध्यादेश की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर आज सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल को नोटिस जारी किया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने दिल्ली बिजली नियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन के तौर पर रिटायर्ड जस्टिस उमेश कुमार के शपथग्रहण पर भी 11 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति उमेश कुमार दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के चेयरमैन फिलहाल शपथ नहीं लेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने शपथ को 11 जुलाई तक टाल दिया है। सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि नियुक्ति का अधिकार दिल्ली सरकार का या उपराज्‍यपाल का है। सुप्रीम कोर्ट ने उपराज्‍यपाल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होगी। एलजी ने केंद्र के सेवाओं को लेकर जारी नए अध्यादेश के तहत जस्टिस उमेश कुमार की नियुक्ति की थी। इसे दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।

दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट में कहा

दिल्ली सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस नियुक्ति पर रोक लगाई जानी चाहिए। ये दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला है। केंद्र अध्यादेश ला सकता है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि वो कुछ भी करे। दिल्ली में चुनी हुई सरकार के तहत ये नियुक्ति आती है। दिल्ली सरकार की लोगों के प्रति जवाबदेह है।केंद्र सरकार अधिकारियों की नियुक्ति के लिए अध्यादेश ले आई और एलजी ने उसके तहत नियुक्ति कर दी, यह सही नहीं है, क्योंकि दिल्ली का प्रशासन दिल्ली सरकार को चलाना है। दिल्ली सरकार वोटरों के लिए जिम्मेदार है, लेकिन उसके पास कदम उठाने का अधिकार नहीं है।

दिल्ली सरकार ने अध्यादेश को बताया असंवैधानिक

बता दें कि अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली सरकार ने दलील दी है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी आदेश असंवैधानिक हैं। सरकार की ओर से दायर याचिका में केंद्र सरकार के आदेशों के कार्यान्वयन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले का संज्ञान लिया और तबादलों और पोस्टिंग की संवैधानिकता की जांच के लिए कार्यवाही शुरू की है।

क्या है मामला ?

पहले दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग उप-राज्यपाल करते थे। इसके खिलाफ दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार को दे दिया। इसके बाद केंद्र सरकार ने दिल्ली में ग्रुप-ए अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित करने के लिए एक अध्यादेश जारी किया। इस अध्यादेश के बाद सुप्रीम कोर्ट का आदेश निष्क्रिय हो गया। अरविंद केजरीवाल की सरकार इस अध्यादेश का विरोध कर रही है। आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट का आदेश भी नहीं मान रही और ये अध्यादेश असंवैधानिक है।

अनिल के बाद टीना अंबानी पर भी ईडी का शिकंजा, फ़ेमा केस में पूछताछ जारी

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रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी से पूछताछ करने के बाद अब प्रवर्तन निदेशालय उनकी पत्नी टीना अंबानी से पूछताछ कर रही है। टीना अंबानी पूछताछ के लिए ईडी के मुंबई दफ्तर पहुंची हैं।यहां उनसे पूछताछ जारी है। कल फेमा मामले में अनिल अंबानी का बयान दर्ज किया गया था। ईडी द्वारा अनिल अंबानी से पूछताछ के अगले ही दिन टीना अंबानी मंगलवार को जांच एजेंसी के अधिकारियों के सामने पेश हुईं।

अनिल अंबानी से 9 घंटे तक हुई पूछताछ

इससे पहले अनिल अंबानी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज फेमा मामले में अपना बयान दर्ज कराया था।फेमा मामले में अनिल अंबानी सोमवार को अपना बयान दर्ज कराने के लिए मुंबई के बलार्ड एस्टेट इलाके में केंद्रीय एजेंसी के सामने पेश हुए थे।ईडी ने सोमवार को अनिल अंबानी से 9 घंटे तक पूछताछ की थी। ईडी अधिकारियों का कहना है कि रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के कई प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया है।

पिछले साल 420 करोड़ की कर चोरी मामले में जारी हुई ती नोटिस

64-वर्षीय अनिल अंबानी इससे पहले भी 2020 में यस बैंक के प्रमोटर राणा कपूर और अन्य के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश हुए थे। पिछले साल अगस्त में इनकम टैक्स विभाग ने अनिल अंबानी को दो स्विस बैंक खातों में रखे गए 814 करोड़ रुपये से अधिक के अघोषित धन पर कथित तौर पर 420 करोड़ रुपये की कर चोरी के लिए काले धन विरोधी कानून के तहत नोटिस जारी किया था। लेकिन सितंबर में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अनिल अंबानी को राहत देते हुए आयकर विभाग से उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने को कहा था।

रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी के सितारे लंबे समय से गर्दिश में चल रहे हैं। उनके समूह की कई कंपनियां दिवालिया होने की कगार पर पहुंच चुकी हैं। कई को उन्हें बेचने पर मजबूर होना पड़ा है और अब ईडी के जांच की आंच भी उनकी परेशानियों को बढ़ाने वाली है।

”गुरु पूर्णिमा पर गीता की गूंज” अमेरिका के टेक्सास में 10 हजार लोगों ने एक साथ किया पाठ

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संयुक्त राज्य अमेरिका में टेक्सास में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर भगवद गीता का पाठ करने के लिए दस हजार लोग एक जगह एकत्रित हुए। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर टेक्सास के एलन ईस्ट सेंटर में 4 से 84 वर्ष की आयु के कुल 10000 लोग टेक्सास के एलन ईस्ट सेंटर में भगवद गीता का पाठ करने के लिए एकत्र हुए। यह कार्यक्रम योग संगीता और एसजीएस गीता फाउंडेशन द्वारा भगवद गीता पारायण यज्ञ के रूप में आयोजित किया गया था।

मैसूर के अवधूत दत्त पीठम आश्रम से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक संत पूज्य गणपति सचिदानंद जी की उपस्थिति में भगवद गीता का पाठ किया गया। अवधूत दत्त पीठम 1966 में श्री गणपति सचिदानंद जी स्वामीजी द्वारा स्थापित एक अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक कल्याण संगठन है। 

टेक्सास में भगवद गीता का जाप करने वाले सभी 10,000 लोग अपने गुरु गणपति सचिदानंद जी स्वामी से पिछले 8 सालों से जुड़े हैं। यह पहली बार नहीं है कि स्वामी ने अमेरिका में भगवद गीता के जाप का कार्यक्रम आयोजित किया है। स्वामी जी पिछले कुछ सालों से इस कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं और अमेरिका में बड़े पैमाने पर हिंदू आध्यात्मिकता का प्रसार कर रहे हैं।

प्रफुल्ल पटेल का शरद पवार को लेकर बड़ा दावा, कहा-पार्टी संरक्षक को थी बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले की जानकारी

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शरद पवार की पार्टी एनसीपी फिलहाल राजनीति के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। एनसीपी के बड़े नेता और सांसद प्रफुल्ल पटेल भी अजित पवार खेमे के साथ हैं, जिन्हें शरद पवार ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। अजित पवार के शिव सेना (शिंदे गुट)-बीजेपी गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद शरद पवार ने नौ बाग़ी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया। इसके अलावा प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे को भी पार्टी से निकाला गया है। इस बीच एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि पार्टी के 54 विधायकों में से 51 विधायक यह चाहते थे कि एनसीपी, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाए।यही नहीं, उन्होंने ये भी दावा किया है कि बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले पर बीते साल विचार किया गया था और पार्टी संरक्षक पवार को इस क़दम का पता था।

संगठन में कई बड़े मतभेदों के कारण लिया गया ये फैसला- पटेल

अंग्रेज़ी अख़बार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में पटेल ने कहा है कि बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले पर बीते साल विचार किया गया था और पार्टी संरक्षक पवार को इस क़दम का पता था। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से किसी प्रकार का व्यक्तिगत मतभेद होने को प्रफुल्ल पटेल ने ख़ारिज किया है। हालांकि उन्होंने कहा है कि उनके संगठन में कई बड़े मतभेद थे जिसकी वजह से यह फ़ैसला लिया गया।

बीजेपी के साथ सरकार बनाने की कवायद 2022 के मध्य में शुरू हुई- पटेल

प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि बीजेपी के साथ सरकार बनाने की कवायद साल 2022 के मध्य में शुरू हुई थी। पटेल के मुताबिक न सिर्फ पार्टी के विधायक और नेता बल्कि जमीनी कार्यकर्ता भी यह चाहते थे कि एनसीपी बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाए। कई विधायक फंड न मिलने की वजह से परेशान थे। विधायकों ने इस बाबत शरद पवार को पत्र लिखकर अपनी मंशा भी जाहिर की थी। लेकिन शरद पवार ने समय पर फैसला नहीं लिया और एकनाथ शिंदे ने मौके का फायदा उठा लिया और देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली। 

शरद पवार फैसला नहीं ले पाए और शिंदे ने बाजी मार ली!

प्रफुल्ल पटेल ने स्पष्ट रूप से तो कुछ नहीं कहा लेकिन इशारों-इशारों में यह बता दिया कि अगर उस समय शरद पवार ने कार्यकर्ताओं की बात को मान लिया होता तो शायद एकनाथ शिंदे की जगह अजित पवार सीएम होते। लेकिन शरद पवार फैसला नहीं ले पाए और शिंदे ने बाजी मार ली।

पार्टी के हित में निर्णय लिया गया

प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हमने जो भी निर्णय लिया वो पार्टी हित में लिया। जनता भी समझदार है वो वोट कैसे देगी, उनको हमपर विश्वास कैसे होगा। तो हम बता दें कि हम सारे एमएलए ने मिलकर बोला कि हमें सरकार के साथ जाना चाहिए। क्या पता पहले एकनाथ शिंदे की वजह से हम सरकार के साथ ना आए हों और अब क्या पता सबको लगा हो कि सरकार को और मजबूत बनाना चाहिए, इसलिए ये फैसला लिया हो।

ईडी-सीबीआई जांच की वजह से लिया गया ये फ़ैसला?

विपक्ष का आरोप है कि ईडी और सीबीआई जांच की वजह से ये फ़ैसला लिया गया है। इस सवाल पर पटेल ने कहा कि राजनीति में इस तरह की अफ़वाहें फैलाई जाती हैं और उनके ख़िलाफ़ एक भी केस नहीं है तो इसका सवाल ही नहीं उठता है। पटेल ने स्वीकार किया है कि उन्हें एक जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन ऐसा नहीं है कि इन परिस्थितियों में ये फ़ैसला लिया गया है।

पीएम मोदी की अगुवाई में एससीओ समिट आज, बैठक में शामिल होंगे रूस, चीन और पाकिस्तान

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आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइज़ेशन यानी एससीओ समिट में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से एक साथ मुख़ातिब होंगे।भारत की अध्यक्षता में आज एससीओ समिट होने जा रही है। भारत ने इसे वर्चुअली कराने का फ़ैसला किया है।पहले माना जा रहा था कि इस सम्मेलन का आयोजन आमने-सामने होगा, फिर मई आखिर में ये फैसला लिया गया कि ये वर्चुअली ही होगा।

माना जा रहा है कि आज की बैठक में क्षेत्रीय सुरक्षा की स्थिति, कारोबार और आपसी संपर्क बढ़ाने के उपायों पर बैठक में चर्चा हो सकता है। जबकि यूरेशियन समूह के नए स्थायी सदस्य के रूप में ईरान का स्वागत किया जाएगा।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में होने वाली एससीओ की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ भी शामिल होंगे। 

इन मुद्दों पर चर्चा संभव

यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब पिछले महीने रूस में वैगनर ग्रुप ने राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ विद्रोह कर दिया था और यह प्राइवेट सेना मॉस्को की ओर बढ़ने लगी थी. हालांकि उसका विद्रोह ज्यादा लंबा नहीं रहा और सब कुछ शांतिपूर्ण तरीके से निपट गया। वहीं, घटनाक्रम से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, शिखर सम्मेलन में अफगानिस्तान की स्थिति, यूक्रेन संघर्ष और एससीओ सदस्य देशों के बीच सहयोग, संपर्क और व्यापार बढ़ाने पर चर्चा होने की उम्मीद है।

क्यों हुई थी एससीओ की स्थापना?

एससीओ की स्थापना साल 2001 में शंघाई में हुई थी। एक शिखर सम्मेलन में चीन, रूस, किर्गिज़ गणराज्य, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने इसकी स्थापना इस मकसद से की थी कि पूर्वी एशिया से हिंद महासागर तक पश्चिमी देशों का मुकाबला किया जा सके। हालांकि भारत इसका सदस्य साल 2017 में बना था, इससे पहले वह 2005 में ऑब्जर्वर की भूमिका में था। 

भारत 2017 में इसका पूर्णकालिक सदस्य बना

बता दें कि एससीओ में आठ सदस्य हैं, जिसमें भारत, रूस, चीन, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिस्तान, कज़ाख़्स्तान और उज़्बेकिस्तान हैं। इसमें भारत साल 2005 में शामिल हुआ था। तब उसकी भूमिका ऑब्जर्वर की थी। इसके बाद साल 2017 में वह इसका पूर्णकालिक सदस्य बन गया।

अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में खालिस्तान समर्थकों ने लगाई आग, एफबीआई ने शुरू की मामले की जांच

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अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित वाणिज्य दूतावास में खालिस्तान समर्थकों ने आग लगा दी। हालांकि आग पर काबू पा लिया गया। हादसे में किसी के घायल होने की खबर नहीं है। खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने घटना का वीडियो बनाकर उसे सोशल मीडिया पर वायरल किया। अमेरिका ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।सिख फॉर जस्टिस के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू के 8 जुलाई से विदेश में बने भारतीय दूतावासों को घेरने के ऐलान के अगले ही दिन इस वारदात को अंजाम दिया गया है। एफबीआई इस मामले की जांच में जुट गई है। 

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, रविवार दो जुलाई की मध्य रात्रि करीब डेढ़ बजे से ढाई बजे के बीच कुछ खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को स्थित वाणिज्य दूतावास में आग लगा दी। आग तेजी से वाणिज्य दूतावास में फैलने लगी। हालांकि तुरंत अग्निशमन विभाग को इसकी सूचना दी गई, जिसके बाद अग्निशमन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर आग पर काबू पाया। गनीमत रही कि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ।

खालिस्तान समर्थकों ने घटना का वीडियो जारी किया

अमेरिका के स्थानीय चैनल दीया टीवी ने बताया कि खालिस्तानी कट्टरपंथियों ने रात 1:30 से 2:30 बजे के बीच भारतीय वाणिज्य दूतावास में आग लगा दी, लेकिन सैन फ्रांसिस्को अग्निशमन विभाग ने इसे तुरंत बुझा दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि आग की वजह से ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। वहीं खालिस्तान समर्थकों ने घटना के संबंध में एक वीडियो भी जारी किया। हालांकि, Street Buzz इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।

कथित तौर पर खालिस्तानी कट्टरपंथी सोशल मीडिया पर अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू और अमेरिका में भारत के महावाणिज्यदूत डॉ. टीवी नागेंद्र प्रसाद को निशाना बनाते हुए पोस्टर्स सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। खालिस्तानी इन दोनों पर कनाडा में खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप लगा रहे हैं। 

एफबीआई ने शुरू की हमले की जांच 

सैन फ्रांसिस्को के भारतीय दूतावास पर खालिस्तानी हमले के बाद एफबीआई ने मामले की जांच भी शुरू कर दी है। सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में आगजनी की घटना पर अमेरिका की सरकार ने भी चिंता जाहिर की है और घटना की निंदा की। अमेरिका के विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिका सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में आगजनी की घटना की कड़ी निंदा करता है। अमेरिका स्थित विदेशी राजनयिकों या दूतावासों में तोड़फोड़ या हिंसा करना अपराध है।

पहले भी भारतीय दूतावास पर हो चुका है हमला

बता दें कि कुछ महीने पहले भी सैन फ्रांसिस्को स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में खालिस्तान समर्थकों ने हमला किया था। यह घटना मार्च में खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों के एक समूह द्वारा सैन फ्रांसिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला करने और उसे क्षतिग्रस्त करने के कुछ महीनों बाद हुई, जिसकी भारत सरकार और भारतीय-अमेरिकियों ने तीखी निंदा की, जिन्होंने इसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी.

आदिवासी क्यों कर रहे हैं समान नागरिक संहिता का विरोध, कई राज्यों में उठ रहे विरोध में स्वर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समान नागरिक संहिता को लेकर जबसे बयान दिया है, तब से देशभर में इस पर बहस जारी है।लोकसभा चुनाव 2024 से पहले पूरी सियासत इसी यूनिफार्म सिविल कोड के ईदगिर्द ही नजर आएगी। इसलिए केंद्र सरकार भी इस दिशा में तेजी से काम करते हुए दिखाई दे रही है।माना जा रहा है कि मोदी सरकार मानसून सत्र में ही यूसीसी विधेयक ला सकती है। विधि आयोग ने हाल ही में लोगों से नागरिक संहिता पर राय मांगी थी। देश भर से अब तक 8.5 लाख लोगों ने इस पर अपना विचार भी साझा किया है। हालांकि इसी बीच समाज के कई वर्गों से भी तीव्र और तीखा विरोध भी सुनने को मिल रहा है। नागरिक संहिता का सबसे ज्यादा विरोध मुस्लिम समाज के साथ आदिवासी समाज में भी नजर आ रहा है। आदिवासी समाज भी केंद्र सरकार की इस कोशिश के विरोध में आवाज बुलंद कर रहा है।

यूसीसी के लागू होने से ये अधिकार खत्म होने का डर

देश के कई आदिवासी संगठन इस आशंका में हैं कि अगर यह कानून लागू हुआ तो उनके रीति-रिवाजों पर भी इसका असर पड़ेगा। झारखंड के भी 30 से अधिक आदिवासी संगठनों ने ये निर्णय लिया है कि वो विधि आयोग के सामने यूनिफॉर्म सिविल कोड के विचार को वापस लेने की मांग रखेंगे। इन आदिवासी संगठनों का मानना है कि यूसीसी के कारण आदिवासियों की पहचान ख़तरे में पड़ जाएगी। आदिवासी संगठनों का कहना है कि समान नागरिक संहिता के आने से आदिवासियों के सभी प्रथागत कानून खत्म हो जाएंगे। छोटा नागपुर टेनेंसी एक्ट, संथाल परगना टेनेंसी एक्ट, एसपीटी एक्ट, पेसा एक्ट के तहत आदिवासियों को झारखंड में जमीन को लेकर विशेष अधिकार हैं। आदिवासियों को भय है कि यूसीसी के लागू होने से ये अधिकार खत्म हो जाएंगे।

छत्तीसगढ़ में यूसीसी पर भी आदिवासी संगठनों को ऐतराज

छत्तीसगढ़ में यूसीसी पर भी आदिवासी संगठनों को ऐतराज है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने पीएम मोदी से सीधा सवाल पूछा है कि इस कानून के लागू होने के बाद आदिवासी संस्कृति और प्रथाओं का क्या होगा। छत्तीसगढ़ में हमारे पास आदिवासी लोग हैं उनकी मान्यताओं और रूढ़िवादी नियमों का क्या होगा, जिनके माध्यम से वे अपने समाज पर शासन करते हैं। अगर यूसीसी लागू हो गया तो उनकी परंपरा का क्या होगा। हिंदुओ में भी कई जाति समूह हैं जिनके अपने नियम हैं।

पूर्वोत्तर के राज्यों में भी यूसीसी का विरोध

पूर्वोत्तर के राज्यों में भी समान नागरिक संहिता का विरोध तेजी से हो रहा है। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों मिजोरम, नागालैंड और मेघालय में आदिवासियों की संख्या सबसे अधिक है। मिजो नेशनल फ्रंट के नेता थंगमविया ने कहा था कि सिद्धांत के रूप में यूसीसी की चर्चा करना आसान है, लेकिन इसे मिजोरम में लागू नहीं किया जा सकता है। अगर इसे लागू किया गया तो यहां कड़ा विरोध होगा। मेघालय में आदिवासियों की आबादी 86.1 फीसदी है। जानकारी के अनुसार, मेघालय की खासी हिल्स ऑटोनॉमस डिस्ट्रिक्ट काउंसिल ने 24 जून को एक प्रस्ताव पारित कर कहा कि समान नागरिक संहिता खासी समुदाय के रीति-रिवाजों, परंपराओं, प्रथाओं, शादी और धार्मिक स्वतंत्रता जैसे मुद्दों को प्रभावित करेगा। मेघालय में खासी, गारो और जयंतिया समुदाय के अपने नियम हैं। ये तीनों ही मातृसत्तात्मक समुदाय हैं और इनके नियम निश्चित रूप से यूसीसी से टकराएंगे। जबकि नागालैंड में नागालैंड बैपटिस्ट चर्च काउंसिल के अलावा नागालैंड ट्राइबल काउंसिल ने भी यूसीसी का विरोध करने की घोषणा की है।

आदिवासी अपने रीति-रिवाजों में फेरबदल नहीं चाहते

दरअसल, भारत में अभी शादी, तलाक़, उत्तराधिकार और गोद लेने के मामलों में विभिन्न समुदायों में उनके धर्म, आस्था और विश्वास के आधार पर अलग-अलग क़ानून हैं। यूसीसी आने के बाद भारत में किसी धर्म, लिंग और लैंगिक झुकाव की परवाह किए बग़ैर सब पर इकलौता क़ानून लागू होगा। आदिवासी अपने रीति-रिवाजों में फेरबदल नहीं चाह रहे हैं। आदिवासियों का कहना है कि उनके कानून संवैधानिक रूप से संहिताबद्ध नहीं हैं और उन्हें डर है कि यूसीसी उनकी प्राचीन पहचान को कमजोर कर देगा।

बता दें कि प्रधानमंत्री ने देश में समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि 'एक ही परिवार में दो लोगों के अलग-अलग नियम नहीं हो सकते। ऐसी दोहरी व्यवस्था से घर कैसे चल पाएगा? पीएम मोदी ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार कहा है। सुप्रीम कोर्ट डंडा मारता है. कहता है कॉमन सिविल कोड लाओ। लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग इसमें अड़ंगा लगा रहे हैं। लेकिन भाजपा सबका साथ, सबका विकास की भावना से काम कर रही है।

एनसीपी में जारी उठापटक के बीच राज ठाकरे का बड़ा बयान, कहा-कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री बन जाए तो आश्चर्य नहीं होगा

#raj_thackeray_says_one_should_not_be_seen_as_surprise_if_supriya_sule_becomes_union_minister

एनसीपी नेता अजित पवार ने प्रदेश की राजनीति में बड़ा भूचाल ला दिया है।अजित पवार के एनडीए में शामिल होते ही वार-पलवार का सिलसिला शुरू हो गया है। इस बीच महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे इस पूरे घटनाक्रम को ही ड्रामा करार दिया है। राज ठाकरे ने कहा कि एनसीपी के बड़े नेता पार्टी से जा रहे हों और ऐसा कैसे हो सकता है कि यह बात शरद पवार को पता न हो।राज ठाकरे ने यह भी कहा कि अगर कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री भी बन जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।

राज ठाकरे ने कहा कि दिन-ब-दिन राजनीति घिनौनी होती जा रही है। इन लोगों को मतदाताओं से कोई लेना-देना नहीं है। यह लोग सब भूल गये हैं कि पार्टी के कट्टर वोटर क्या सोचेंगे। इस समय महाराष्ट्र में अपने स्वार्थ के लिए समझौता करने की होड़ मची हुई है। राज ठाकरे ने कहा कि लोगों को इन बातों पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। राज ठाकरे ने कहा कि जल्द ही मैं एक सभा का आयोजन करूंगा। मुझे राज्य की जनता से बातचीत करनी। तब मैं हर सवाल का जवाब दूंगा। जल्द ही मेरा महाराष्ट्र दौरा भी शुरू होगा। उस समय मैं एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाऊँगा और लोगों से मिलूंगा।

मनसे चीफ ने मुंबई स्थित अपने आवास पर प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, शरद पवार भले ही ये क्यों न बोलते हों कि उनका इस घटना से कोई संबंध नहीं है। चाहे वो दिलीप वलसे पाटिल हो या प्रफुल्ल पटेल या छग्गन भुजबल हो ये लोग ऐसे ही नहीं जाएंगे पार्टी से। कल को सुप्रिया सुले केंद्र में मंत्री बन जाएंगी तो भी मुझे आश्चर्य नहीं होगा। इन सभी चीजों की शुरुआत सुबह की शपथ विधि से हुई, फिर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की पार्टी हुई। इसीलिए दुश्मन कौन दोस्त कौन? महाराष्ट्र में तो कुछ बचा ही नहीं है।

बता दें कि राज ठाकरे ने इससे पहले एक ट्वीट के जरिए यह दावा किया था कि शरद पवार उद्धव ठाकरे के बोझ को हटाना चाहते थे, आज उसका पहला अंक था। पवार की पहली टीम सत्ता के लिए निकल गई, जितना जल्दी होगा, दूसरी टीम सत्ता में शामिल होगी।

एनआईटी दिल्ली में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ली छात्रों की चुटकी, कहा-‘सबको जवानी अच्छी लगती है’

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केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के 9 साल पूरे हो चुके हैं।पीएम नरेंद्र मोदी सरकार के 9 साल पूरे होने पर भाजपा विशाल जनसंपर्क अभियान चला रही है।इसी क्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर नेशननल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) पहुंचे और दिल्ली के छात्र-छात्राओं के साथ बातचीत की।इस दौरान एस जयशंकर ने छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की भी सलाह दी। इस दौरान वे छात्र-छात्राओं के साथ हल्के-फुल्के अंदाज में नजर आए।

विदेश मंत्री एस जयशंकर, नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के मौके पर भाजपा के एक कार्यक्रम में शिरकत करने दिल्ली एनआईटी पहुंचे थे।विदेश मंत्री जयशंकर की बातचीत में एक हल्का-फुल्का मौका भी देखने को मिला जब एक छात्र ने जयशंकर से सवाल किया कि उन्हें कौन सा जीवन सबसे ज्यादा पसंद है- एक नौकरशाह का या एक मंत्री का। इस जयशंकर ने चुटकी लेते हुए कहा कि ‘सबको जवानी अच्छी लगती है। ऐसे में पूरा हाल ठहाकों से गूंज उठा। आमतौर पर काफी गंभीर रहने वाले विदेश मंत्री ने भी मुस्कुरा कर छात्र-छात्राओं का साथ दिया।

छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की सलाह

नरेंद्र मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भाजपा की विशाल जनसंपर्क यात्रा के तहत एनआइटी दिल्ली के छात्रों के साथ बातचीत करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा कि कोई भी देश प्रौद्योगिकी और अनुसंधान एवं विकास को अपनाए बिना प्रगति नहीं कर सकता है। उन्होंने छात्रों को स्थानीय और वैश्विक विकास को समझने की भी सलाह दी। विदेश मंत्री ने पेट्रोलियम उत्पादों और खाद्यान्न की कीमतों पर कोविड महामारी और यूक्रेन युद्ध के प्रभावों का हवाला देते हुए कहा कि वैश्वीकरण ने अंदर और बाहर के बीच की सीमाओं को तोड़ दिया है और आपको समझना चाहिए कि आपके आसपास क्या हो रहा है।

पीएम मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की की रफ्तार पकड़ चुका

जयशंकर ने कहा, अपनी विदेश यात्राओं में मोदी 149 करोड़ भारतीयों की ताकत और प्रतिभा का प्रतिनिधित्व करते हैं। दुनिया अब भारत और उसके युवाओं की ओर देख रही है।विदेश मंत्री ने भारत को सेमीकंडक्टर विनिर्माण का केंद्र बनाने और एक राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन स्थापित करने की मोदी सरकार की पहल पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने छात्रों को बताया कि किस तरह पीएम मोदी के नेतृत्व में देश तरक्की की रफ्तार पकड़ चुका है और पूरी दुनिया भारत की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रही है।

9 साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में कई बदलाव हुए हैं

बातचीत के दौरान विदेश मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 9 वर्षों में कई बदलाव हुए हैं। जयशंकर ने मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा का हवाला देते हुए कहा कि पीएम मोदी की एक अलग छवि है, खासकर लोकतांत्रिक दुनिया में एक वरिष्ठ अनुभवी और विश्वसनीय नेता के रूप में। उन्होंने कहा कि मोदी के विचारों और फैसलों का प्रभाव है।