प्रफुल्ल पटेल का शरद पवार को लेकर बड़ा दावा, कहा-पार्टी संरक्षक को थी बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले की जानकारी
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शरद पवार की पार्टी एनसीपी फिलहाल राजनीति के सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। एनसीपी के बड़े नेता और सांसद प्रफुल्ल पटेल भी अजित पवार खेमे के साथ हैं, जिन्हें शरद पवार ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। अजित पवार के शिव सेना (शिंदे गुट)-बीजेपी गठबंधन सरकार में उपमुख्यमंत्री बनने के बाद शरद पवार ने नौ बाग़ी विधायकों को पार्टी से निकाल दिया। इसके अलावा प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे को भी पार्टी से निकाला गया है। इस बीच एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि पार्टी के 54 विधायकों में से 51 विधायक यह चाहते थे कि एनसीपी, बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाए।यही नहीं, उन्होंने ये भी दावा किया है कि बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले पर बीते साल विचार किया गया था और पार्टी संरक्षक पवार को इस क़दम का पता था।
संगठन में कई बड़े मतभेदों के कारण लिया गया ये फैसला- पटेल
अंग्रेज़ी अख़बार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को दिए इंटरव्यू में पटेल ने कहा है कि बीजेपी के साथ जाने के फ़ैसले पर बीते साल विचार किया गया था और पार्टी संरक्षक पवार को इस क़दम का पता था। शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से किसी प्रकार का व्यक्तिगत मतभेद होने को प्रफुल्ल पटेल ने ख़ारिज किया है। हालांकि उन्होंने कहा है कि उनके संगठन में कई बड़े मतभेद थे जिसकी वजह से यह फ़ैसला लिया गया।
बीजेपी के साथ सरकार बनाने की कवायद 2022 के मध्य में शुरू हुई- पटेल
प्रफुल्ल पटेल ने दावा किया है कि बीजेपी के साथ सरकार बनाने की कवायद साल 2022 के मध्य में शुरू हुई थी। पटेल के मुताबिक न सिर्फ पार्टी के विधायक और नेता बल्कि जमीनी कार्यकर्ता भी यह चाहते थे कि एनसीपी बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाए। कई विधायक फंड न मिलने की वजह से परेशान थे। विधायकों ने इस बाबत शरद पवार को पत्र लिखकर अपनी मंशा भी जाहिर की थी। लेकिन शरद पवार ने समय पर फैसला नहीं लिया और एकनाथ शिंदे ने मौके का फायदा उठा लिया और देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर सरकार बना ली।
शरद पवार फैसला नहीं ले पाए और शिंदे ने बाजी मार ली!
प्रफुल्ल पटेल ने स्पष्ट रूप से तो कुछ नहीं कहा लेकिन इशारों-इशारों में यह बता दिया कि अगर उस समय शरद पवार ने कार्यकर्ताओं की बात को मान लिया होता तो शायद एकनाथ शिंदे की जगह अजित पवार सीएम होते। लेकिन शरद पवार फैसला नहीं ले पाए और शिंदे ने बाजी मार ली।
पार्टी के हित में निर्णय लिया गया
प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि हमने जो भी निर्णय लिया वो पार्टी हित में लिया। जनता भी समझदार है वो वोट कैसे देगी, उनको हमपर विश्वास कैसे होगा। तो हम बता दें कि हम सारे एमएलए ने मिलकर बोला कि हमें सरकार के साथ जाना चाहिए। क्या पता पहले एकनाथ शिंदे की वजह से हम सरकार के साथ ना आए हों और अब क्या पता सबको लगा हो कि सरकार को और मजबूत बनाना चाहिए, इसलिए ये फैसला लिया हो।
ईडी-सीबीआई जांच की वजह से लिया गया ये फ़ैसला?
विपक्ष का आरोप है कि ईडी और सीबीआई जांच की वजह से ये फ़ैसला लिया गया है। इस सवाल पर पटेल ने कहा कि राजनीति में इस तरह की अफ़वाहें फैलाई जाती हैं और उनके ख़िलाफ़ एक भी केस नहीं है तो इसका सवाल ही नहीं उठता है। पटेल ने स्वीकार किया है कि उन्हें एक जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया गया था लेकिन ऐसा नहीं है कि इन परिस्थितियों में ये फ़ैसला लिया गया है।
Jul 04 2023, 12:02