शिवसेना जैसा होगा एनसीपी का हाल? अजीत पवार ने ठोका पार्टी और चुनाव चिन्ह पर दावा
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महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा बदलाव हुआ है।राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता अजित पवार ने पार्टी के कई विधायकों को साथ लेकर बगावत करते हुए महाराष्ट्र की शिंदे-फडणवीस सरकार को समर्थन दिया है। इसके साथ ही राज्य को एक और नया डिप्टी सीएम मिल गया। एनडीए में शामिल होने के बाद अजीत पवार ने महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली। हालांकि, ये सोच लेना की इसके साथ ही महाराष्ट्र में आया सियासी “चक्रवात” थम गया है, तो ये बड़ी भूल होगी। दरअसल, इसे बवंडर की शुरूआत भी कह सकते हैं। संभव है ये वैसे ही स्थिति हो जाएगी जैसी कि एक साल पहले शिवसेना में थी। जी हां, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि एनसीपी भी शिवसेना की तरह दो फाड़ हो जाए। इस बात के संकेत खुद अजीत पवार ने दे दिए हैं।
अजीत पवार का बड़ा दावा
एनडीए में शामिल होने के बाद अजित पवार ने एनसीपी पर दावा करते हुए कहा कि हम अगला चुनाव एनसीपी के चुनाव चिह्न पर लड़ेंगे। पवार ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद छगन भुजबल और प्रफुल पटेल के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि ‘शिदें सरकार में शामिल होने का फैसला उनका फैसला नहीं है बल्कि पार्टी का फैसला है। यानि सभी की सहमति से यह फैसला लिया गया है। छगन भुजबल ने भी उनका समर्थन किया है। अजित पवार ने कहा कि आने वाले सारे चुनाव वह एनसीपी के चुनाव चिन्ह पर ही लड़ेंगे।’ अजित पवार के इस बयान का सीधा मतलब यह निकाला जा रहा है कि वह न केवल शिंदे सरकार में शामिल हुए हैं, बल्कि पार्टी भी अब उनकी की है।
अजित पवार का 40 विधायकों के समर्थन का दावा
अजित पवार ने दावा किया है कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायक और 6 एमएलसी हैं। अजित पवार ने कहा, हमने एनसीपी के लगभग सभी विधायकों के साथ शिंदे-फडणवीस सरकार के साथ आने का फैसला लिया। हमने आज शपथ ली और अगले विस्तार में कुछ अन्य मंत्रियों को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा, कुछ विधायकों से इस वक़्त संपर्क नहीं हो पा रहा क्योंकि वे देश से बाहर हैं लेकिन मैंने उन सभी से बात की है और वे हमारे फैसले से सहमत हैं।
क्या एनसीपी का शिवसेना की तरह होगा हश्र?
अगर अजीत पवार के दावे सच साबित होते हैं, अगर इतनी बड़ी संख्या में विधायक अजित पवार के साथ चले जाते हैं तो निश्चित तौर पर शरद पवार के सामने बड़ा राजनीतिक संकट पैदा हो सकता है। बता दें कि राज्य विधानसभा में एनसीपी के कुल 54 विधायक हैं। ऐसे में 40 अगर अजित पवार के साथ जाते हैं तो निश्चित ही यह ठीक वैसे ही स्थिति हो जाएगी जैसी कि एक साल पहले शिवसेना में थी। यानी एकनाथ शिंदे ने बगावत की और फिर सरकार को समर्थन दिया और बाद में कानूनी लड़ाई से असली शिवसेना का नाम भी उन्हें ही मिला।
एक साल पहले आया था ऐसा ही सियासी तूफान
बता दें कि एक साल पहले शिवसेना में भी ऐसी ही टूट हुई थी, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में करीब चालीस विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर दी थी। शिंदे ने अपने गुट को असली शिवसेना बताया था और पार्टी की चुनाव चिन्ह और पार्टी के नाम पर दावा कर दिया था। चुनाव आयोग ने भी शिंदे के पक्ष में फैसला दिया। यह मामला सुप्रीम कोर्ट गया था।
Jul 03 2023, 11:17