बीजेपी को आ रही पुराने साथियों की याद! जाने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इन दलों पर क्यों है खास नजर
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2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी एकता की बातें होने लगी हैं। विपक्षी दल एकजुट होकर बीजेपी को हराने की योजना बनाने के लिए बैठक कर रहे हैं। नई संसद के उद्घाटन समारोह का कांग्रेस सहित 20 विपक्षी दलों ने बहिष्कार किया था। इसके जरिए विपक्षी दलों ने एकजुटता दिखाने की भी कोशिश की। एकतरफ विपक्षी एकता की कोशिश हो रही है तो दूसरी तरफ बीजेपी भी अपना कुनबा बढ़ाने की कोशिश कर रही है। पिछले लोकसभा चुनाव से अब तक बीजेपी अपने कई साथियों को खो चुकी है। ऐसे में यह पार्टी आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले अपने पुराने सहयोगियों को बार फिर वापस लाने की कोशिश में दिख रही हैं।
बीजेपी पुराने सहयोगियों को एकबार फिर वापस लाने की कवायद में
दरअसल पिछले दो लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस को बुरी तरह हराकर बहुमत हासिल किया था। साल 2014 में बीजेपी ने अपने दम पर 282 सीटें जीतीं और एनडीए ने मिलकर 336, साल 2019 में बीजेपी ने 303 और एनडीए ने 352 सीटें जीतीं। धीरे-धीरे 2024 के चुनाव से पहले बीजेपी के अपने पुराने सहयोगी अलग होते गए और एक समय पार्टी के साथ कदमताल मिलाकर वर्षों तक चलनेवाली पार्टियों ने या तो विपक्ष का दामन थाम लिया या फिर एकला चलो की राह पर निकल पड़ीं। अब जब विपक्ष एकजुट हो रहा है तो बीजेपी भी लोकसभा चुनाव से पहले अपनी रणनीति बदल रही है और पार्टी को 25 साल पुराने सहयोगियों की फिर से याद आ रही है। बीजेपी गठबंधन की पुराने सहयोगियों को एकबार फिर से वापस लाने की कवायद में है।
टीडीपी के साथ दोस्ती का संकेत
हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह ने आंध्र प्रदेश की तेलुगु देशम पार्टी के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात की थी। 2019 में एनडीए से अलग हो चुकी इस पार्टी के प्रमुख से मुलाकात के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव में तेलुगु देशम पार्टी एक बार फिर एनडीए के गठबंधन में शामिल हो सकती। वैसे इसकी नींव इस साल हुए पोर्ट ब्लेयर के नगर परिषद के चुनाव में पड़ चुकी है। यहां दोनों दलों ने गठबंधन में चुनाव लड़ा था और चुनाव जीत भी लिया था। इसके बाद मई में पीएम मोदी ने भी 'मन की बात' कार्यक्रम में एन टी रामाराव की जयंती पर उन्हें याद कर टीडीपी के साथ दोस्ती का संकेत दिया था। इसके बाद उनके साथ आने की अटकलें और बढ़ गईं।
पंजाब में अकाली दल की होगी वापसी
पंजाब के बीजेपी के पुराने सहयोगी की बात करें तो अकाली दल को लेकर पार्टी असमंजस में है। मगर जिस तरह सीनियर बादल यानी प्रकाश सिंह बादल के निधन पर प्रधानमंत्री समेत तमाम बड़े नेता उनके गांव पहुंचे और पीएम ने जो सह्रदयता दिखाई उसे देखकर कयास फिर से लगाए जा रहे हैं कि ये पार्टियां एकबार फिर एक प्लेटफार्म पर आ सकती हैं।
राजभर के साथ यूपी में दोस्ती का प्लान
लोकसभा चुनाव में बीजेपी उत्तर प्रदेश में किसी तरह का कोई राजनीतिक रिस्क नहीं लेना चाहती है, जिसके लिए मौजूदा सहयोगी दलों को साथ रखने के अलावा भी नए साथ की तलाश में है। ऐसे में बीजेपी की नजर यूपी में ओम प्रकाश राजभर की सुभासपा के साथ गठबंधन करने की है। विधान परिषद के चुनाव में राजभर ने बीजेपी के पक्ष में वोटिंग कर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है। इसकी वजह यह है कि सुभासपा से गठबंधन करने पर बीजेपी को पूर्वांचल में पांच से छह लोकसभा सीटों पर फायदा हो सकता है। ओम प्रकाश राजभर की एनडीए में वापसी कराने की जिम्मेदारी उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक और परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को सौंपी गई है। माना जा रहा है जुलाई में सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर की बीजेपी नेतृत्व की बैठक प्रस्तावित है।
बिहार में बीजेपी राजनीतिक साथियों की तलाश में
बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होकर महागठबंधन के खेमे में जाने के बाद बीजेपी नए राजनीतिक साथियों की तलाश में है। राम विलास पासवान की सियासी विरासत संभाल रहे चिराग पासवान की बीजेपी के साथ नजदीकियां बढ़ रही हैं। जेडीयू से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले उपेंद्र कुशवाहा के भी बीजेपी के साथ गठबंधन की तैयारी है तो वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी को भी साथ लेने की तैयारी है। ये दोनों ही नेता पहले एनडीए के साथ रह चुके हैं। वहीं, महागठबंधन में शामिल जीतनराम मांझी भी इन दिनों बागी तेवर अपनाए हुए हैं, जिसके चलते उनके भी एनडीए में वापसी के कयास लगाए जा रहे हैं।
Jun 15 2023, 16:01