अब भाकपा नेता डी राजा से मिले केजरीवाल, क्या केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश होगी कामयाब?*
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आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग के अधिकार को लेकर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन जुटा रहे हैं। इसी क्रम में अरविंद केजरीवाल ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव डी. राजा से मुलाकात कर केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन मांगा है।बुधवार को केजरीवाल ने सीपीआई के दफ्तर पहुंचकर सीपीआई नेता डी राजा से मुलाकात कर समर्थन मांगा। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह और राघव चड्ढा भी उनके साथ मौजूद रहे।
केजरीवाल ने ट्विटर के जरिए कहा, सीपीआई नेताओं का भी मानना है कि दिल्ली में केंद्र सरकार का तानाशाही अध्यादेश लोकतंत्र और संविधान पर हमला है और वे इस अध्यादेश के खिलाफ संसद में दिल्ली की जनता का साथ देंगे। सभी दिल्लीवासियों की तरफ से मैं सभी सीपीआई नेताओं का तहे दिल से शुक्रिया अदा करता हूं।
डी राजा ने कहा- बिल संसद में आएगा तो विरोध करेंगे
इस मुलाकात के बाद डी राजा ने कहा कि हमने बात की कि कैसे अध्यादेश के ज़रिए दिल्ली सरकार को पावर लेस किया जा रहा है। हमारी पार्टी सीपीआई डिमांड करती रही है कि दिल्ली को 'फुल स्टेट हुड' मिले, क्योंकि यहां चुनी हुई सरकार है। ऐसा ही केस पुदुच्चेरी का है।डी राजा ने कहा, हम केंद्र के अध्यादेश का विरोध करते हैं। जब भी यह बिल के रूप में संसद में आएगा, हम उसका विरोध करेंगे। हम दिल्ली सरकार के साथ हैं। कई पार्टी इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार का समर्थन कर रही हैं। केंद्र सरकार राज्यों को परेशान कर रही है। अन्य राज्यों में भी यह दिख रहा है कि राज्यों को टारगेट किया जा रहा है। यह दिल्ली के लोगों का अपमान है, जिन्होंने अपनी सरकार चुनी है। सदन के बाहर भी हम इस अध्यादेश का विरोध कर रहे हैं।
क्या केजरीवाल की कोशिश होगी कामयाब?
आपको बता दें कि केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ केजरीवाल विपक्षी दलों को एकजुट करने में जुटे हुए हैं। इसके लिए केजरीवाल कई विपक्षी पार्टी के दिग्गज नेताओं से मुलाकात कर चुके है। बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि क्या केजरीवाल के प्रयास से केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी एकता मजबूत हो पाएगी। क्या केजरीवाल विपक्षी नेताओं को एक मंच पर लाने में कामयाब हो जाएंगे। अगर केजरीवाल का तीर निशाने पर लगता है तो निश्चित तौर पर बीजेपी के लिए यह अध्यादेश सिरदर्द बन जाएगा। वैसे भी कर्नाटक में बीजेपी की हार ने विपक्षी दलों में जान फूंक दी है। इसकी एक झलक सिद्धरमैया के शपथ समारोह में देखने को भी मिल चुकी है। जब सारे विपक्षी दल एकजुट होकर एक मंच पर खड़े दिखाई दिए थे।
Jun 14 2023, 16:18