*श्रीमद्भागवत महापुराण के दूसरे दिन उमडी भीड*
अमेठी- श्रीमद्भागवत संगीतमय कथा शनिवार को अयोध्या धाम से पधारे कथा व्यास आचार्य कृष्णानन्द जी महराज ने ग्राम दला का पुरवा मे मुख्य यजमान शिव बहादुर यादव,मल्हूराम यादव के घर द्वितीय दिवस पर सती की कथा सुनाई। "श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण बासुदेवा "तुगंभद्रा नदी के किनारे आत्मदेव महराज एक दम्पत्ति रहते थे। उनके संतान नही था। एक जंगल मे चले गये। कहा कि जब सन्तान नही होगी, तब तक घर वापस नही आऊंगा।
एक सन्त ने देखा कि मनुष्य क्यो रो रहा है। कि क्या विपत्ति है। तो आत्मदेव महराज ने बताया कि तुलसी का बिरवा लगाते है। तो सूख जाता है। सन्तान नही है। आप सन्त है। जो चाहे वह फल मिल सकता है। सन्त ने फल आत्मदेव महराज ने महराज को दिया। जाओ यह फल खिला देना। सन्तान की प्राप्त होगा। आत्मदेव महराज की पत्नी ने फल एक गाय को खिला दिया। और बहन के पुत्र को गोद ले लिया। धुनधली ने इस बच्चे का नाम धुन्धकरी रख दिया। गाय के पुत्र का नाम गोकर्ण रख दिया। धुन्धकरी ने मदिरा पान करता। और तमाम तरह की परेशानी हो रही थी। आत्मदेव महराज को गोकर्ण महराज ने अपने पिता आत्मदेव महराज को जंगल मे पूजा पाठ करने की सलाह दी। आत्मदेव महराज ने जंगल मे पूजा पाठ बहुत किये। तो उनका भगवान श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भागवत महापुराण के श्रवण से मुक्ति मिल गई।
कथा व्यास आचार्य कृष्णानन्द जी महराज ने कहा कि कथा सब ने सुना। लेकिन धुन्धकरी ने कथा सुना। मनन किया। चिन्तन किया। नन्द सुनन्द को भी धुन्धकरी के साथ भगवान ने पुष्पक बिमान से गोलोक लेकर चले गये।
इस अवसर कथा मे भारी भीड उमड पडी।
May 28 2023, 16:32