*पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान तोशखाना केस में दोषी करार, अल कादिर यूनिवर्सिटी ट्रस्ट स्कैम केस में गिरफ्तारी के बाद एक और बड़ा झटका*
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अल कादिर ट्रस्ट यूनिवर्सिटी घोटाले में गिरफ्तार पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं। इस्लामाबाद हाई कोर्ट द्वारा उनकी गिरफ्तारी को ‘वैध’ करार देने के कुछ घंटे बाद एक अतिरिक्त सत्र अदालत ने तोशखाना मामले में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ अध्यक्ष के खिलाफ आरोप तय किए हैं। जल्द सजा का भी ऐलान हो सकता है।कई महीने से तोशाखाना केस के कारण चर्चा में थे। वो इस केस में बतौर आरोपी कई बार सुनवाई के लिए कोर्ट में पेश हुए। उनके खिलाफ गिरफ्तारी की नौबत भी आ गई थी, लेकिन समर्थकों के भारी विरोध के कारण तब पाकिस्तानी पुलिस इमरान को अरेस्ट नहीं कर पाई थी।
बुशरा बीवी भी हैं आरोपी
पाकिस्तान के चुनाव आयोग के फैसले के बाद इमरान खान के खिलाफ तोशखाना मामला दायर किया गया था। उन पर आरोप लगाया गया कि सरकारी खजाने से महंगे गिफ्ट को सस्ते दामों पर बेच दिया था। ये गिफ्ट विदेशों से मिले थे। इस मामले में इमरान की तीसरी पत्नी बुशरा बीवी भी आरोपी हैं।
क्या है मामला?
तोशखाना मामला अगस्त 2022 में इमरान खान के खिलाफ दायर किया गया था। इमरान पर पाकिस्तान के चुनाव आयोग (ECP) को जमा की गई वार्षिक संपत्ति में तोशखान उपहारों का विवरण साझा नहीं करने का आरोप लगाया गया था। फिर, चुनाव आयोग ने इमरान को एक छोटी अवधि के लिए सार्वजनिक पद संभालने से अयोग्य घोषित कर दिया। इतना ही नहीं, इमरान पर बेईमानी, मनगढ़ंत जानकारी और गलत घोषणा करने का आरोप भी है। बाद में इमरान ने चुनाव आयोग को बताया कि उन्होंने सभी गिफ्ट्स को 2.15 करोड़ रुपए में खरीदा था। बेचने पर उन्हें 5.8 करोड़ रुपए मिले थे। लेकिन खुलासा हुआ कि यह रकम 20 करोड़ से ज्यादा थी।
क्या है तोशाखाना?
बता दें कि पाकिस्तान में तोशाखाना एक ऐसी जगह होती है जहां पर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, कैबिनेट मंत्री, सरकारी अधिकारियो को अपनी विदेश यात्राओं के दौरान तोहफ़े में मिलने वाली चीजों (उपहारों) को रखा जाता है। पाकिस्तान में तोशाखाना की स्थापना 1974 के साल में की गई थी। ये कैबिनेट डिविजन के नियंत्रण में रहा। पाकिस्तान में तोशाखाना से जुड़ा एक कानून है, जो वहां के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सेनेट के चेयरमैन और डिप्टी चेयरमैन, नेशनल असेंबली के स्पीकर और डिप्टी स्पीकर, कैबिनेट मंत्री, राज्यमंत्री, संसद के सदस्य, सरकारी अधिकारी और स्वायत्त और अर्ध-स्वायत्त संस्थाओं के कर्मचारी इन सभी पर लागू होता है। भले ही ये लोग छुट्टी पर हों या ड्यूटी पर, इन्हें तोशाखाना कानून को मानने के लिए बाध्य हैं। नियम के अनुसार, विदेशी दौरों पर मिलने वाला गिफ़्ट (उपहार) अगर एक तय कीमत से अधिक का हो तो उसे तोशाखाना में जमा कराना होता है।
May 10 2023, 19:10