बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने से किया इनकार
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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। उसने अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सक्षम अथॉरिटी (गृह मंत्रालय) से बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर निर्णय लेने के लिए कहा है।है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजोआना की सजा पर गृह मंत्रालय की तरफ से जल्द फैसला लिया जाए।
फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है। बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिव विक्रम नाथ और जस्टिव संजय करोल की पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को फैसला लेने को कहा है। इसने ये भी कहा है कि सजा पर फैसला तब लिया जाए, जब उन्हें जरूरी लगे।
शीर्ष अदालत ने दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलें सुनने के बाद दो मार्च को राजोआना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया गया था। राजोआना की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि बम ब्लास्ट में मुख्यमंत्री की मौत हो गई थी। मामले में जुलाई 2007 में सज़ा सुनाई गई थी और हाई कोर्ट ने 2010 में सज़ा बरकरार रखा था। राजोआना 27 साल से जेल में है, 2012 से दया याचिका लंबित है।
राजोआना की ओर से मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि मौत की सज़ा के मामले में लंबे समय तक देरी करना मौलिक अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि 2012 से दया याचिका लंबित है, हम 2023 में आ गए, यह सीधे रूप से कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। रोहतगी ने कहा कि राजोआना की उम्र अब 56 साल हो गई, जब घटना हुई थी उस समय युवा था।
बता दें कि बलवंत सिंह पिछले 27 साल से जेल की काल कोठरी में बंद है। उसने जेल में लंबा समय बिताया है। इसी को आधार बनाकर राजोआना ने कहा कि उसे फांसी की जो सजा सुनाई है, उसे बदल दिया है। इसके बदले उसे उम्रकैद की सजा दी जाए। बलवंत सिंह राजोआना ने इस संबंध में राष्ट्रपति से भी गुजारिश लगाई। लेकिन उसकी दया याचिका मार्च 2013 से ही राष्ट्रपति के पास लंबित पड़ी हुई है।अदालत ने राजोआना को जुलाई 2007 में फांसी की सजा सुनवाई। उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मगर हाईकोर्ट ने भी 2010 में फांसी की सजा को बरकरार रखा। फिर वह सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचा और उसने याचिका लगाकर अपनी सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की।
राजोआना, पंजाब पुलिस में कांस्टेबल था। उसके ऊपर आरोप है कि 31 अगस्त 1995 को जब पंजाब के सीएम बेअंत सिंह की हत्या की गई तो वो भी उसमें शामिल था।
May 03 2023, 18:12