बिहारियों पर विवादित बयान देने के मामले में जदयू नेता मनीष सिंह ने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के खिलाफ पटना में कराया केस दर्ज, बिहार आकर

बिहारियों पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के विवादित बयान देने के बाद बिहार में बवाल मचा हुआ है। ज्यादातर राजनैतिक दल गोवा के सीएम के इस बयान का विरोध कर रहे हैं। जेडीयू, आरजेडी और जन अधिकार पार्टी बिहारियों पर की गयी टिप्पणी को गलत ठहरा रहे हैं। अब जेडीयू नेता मनीष सिंह ने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के खिलाफ पटना में केस दर्ज कराया है। बिहारियों पर आपत्तिजनक टिप्पणी के मामले में यह केस दर्ज हुआ है। जेडीयू नेता मनीष सिंह ने गोवा के सीएम को बिहारियों से बिहार आकर माफी मांगने को कहा।

जेडीयू नेता मनीष सिंह ने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के खिलाफ पटना मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी पटना सदर के समक्ष मुकदमा दर्ज कराया है। जेडीयू नेता ने कहा कि गोवा के सीएम कह रहे हैं गोवा में 90 फीसदी अपराध के जिम्मेदार बिहारी और बिहार के मजदूर हैं। गोवा के सीएम को यह बात समझना होगा कि बिहार और बिहार के लोग अपनी मेधा के बल पर पूरे विश्व में अपनी पहचान बनाए हैं। बिहार सबसे ज्यादा आईएएस, आईपीएस और आईआईटीयन पैदा करने वाला राज्य है। 

बिहारियों के प्रति ऐसी अपमान जनक भाषा का प्रयोग नहीं होना चाहिए। जेडीयू नेता ने कहा कि उन्होंने कोर्ट से गोवा के सीएम पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही कहा कि लोगों को आपस में लड़ाने की कोशिश नहीं होनी चाहिए। उन्होंने गोवा के सीएम को माफी मांगने को कहा है नहीं तो बिहार आकर उन्हें कोर्ट में जवाब देना होगा।  

 गोवा में बढ़ रहे अपराधों को लेकर वहां के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा कि 90 फीसदी अपराध यूपी और बिहार के प्रवासी मजदूर करते हैं। इस टिप्पणी को बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने गलत बताया। कहा कि कम से कम मुख्यमंत्री को ऐसा नहीं बोलना चाहिए। यह बिहार और बिहारियों का घोर अपमान हैं।

गोवा के सीएम के विवादित बयान पर बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने ट्विट कर जवाब देते हुए कहा कि 'केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल जी के बाद अब गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने शर्मनाक बयान देकर बिहार और बिहारियों का घोर अपमान किया है। भाजपा और भाजपाई नेताओं को बिहार और बिहारियों से नफरत क्यों है?

बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने से किया इनकार

#supreme_court_upholds_balwant_singh_rajoana_death_penalty

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। उसने अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सक्षम अथॉरिटी (गृह मंत्रालय) से बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर निर्णय लेने के लिए कहा है।है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजोआना की सजा पर गृह मंत्रालय की तरफ से जल्द फैसला लिया जाए।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है। बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिव विक्रम नाथ और जस्टिव संजय करोल की पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को फैसला लेने को कहा है। इसने ये भी कहा है कि सजा पर फैसला तब लिया जाए, जब उन्हें जरूरी लगे।

शीर्ष अदालत ने दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलें सुनने के बाद दो मार्च को राजोआना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया गया था। राजोआना की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि बम ब्लास्ट में मुख्यमंत्री की मौत हो गई थी। मामले में जुलाई 2007 में सज़ा सुनाई गई थी और हाई कोर्ट ने 2010 में सज़ा बरकरार रखा था। राजोआना 27 साल से जेल में है, 2012 से दया याचिका लंबित है। 

राजोआना की ओर से मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि मौत की सज़ा के मामले में लंबे समय तक देरी करना मौलिक अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि 2012 से दया याचिका लंबित है, हम 2023 में आ गए, यह सीधे रूप से कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। रोहतगी ने कहा कि राजोआना की उम्र अब 56 साल हो गई, जब घटना हुई थी उस समय युवा था।

बता दें कि बलवंत सिंह पिछले 27 साल से जेल की काल कोठरी में बंद है। उसने जेल में लंबा समय बिताया है। इसी को आधार बनाकर राजोआना ने कहा कि उसे फांसी की जो सजा सुनाई है, उसे बदल दिया है। इसके बदले उसे उम्रकैद की सजा दी जाए। बलवंत सिंह राजोआना ने इस संबंध में राष्ट्रपति से भी गुजारिश लगाई। लेकिन उसकी दया याचिका मार्च 2013 से ही राष्ट्रपति के पास लंबित पड़ी हुई है।अदालत ने राजोआना को जुलाई 2007 में फांसी की सजा सुनवाई। उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मगर हाईकोर्ट ने भी 2010 में फांसी की सजा को बरकरार रखा। फिर वह सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचा और उसने याचिका लगाकर अपनी सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की।

राजोआना, पंजाब पुलिस में कांस्टेबल था। उसके ऊपर आरोप है कि 31 अगस्त 1995 को जब पंजाब के सीएम बेअंत सिंह की हत्या की गई तो वो भी उसमें शामिल था।

*बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत, मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने से किया इनकार*

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पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के दोषी बलवंत सिंह राजोआना को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली। उसने अपनी फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दया याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सक्षम अथॉरिटी (गृह मंत्रालय) से बलवंत सिंह राजोआना की दया याचिका पर निर्णय लेने के लिए कहा है।है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजोआना की सजा पर गृह मंत्रालय की तरफ से जल्द फैसला लिया जाए।

फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को सुनवाई के लिए गृह मंत्रालय के पास भेज दिया है। बलवंत सिंह राजोआना की याचिका पर जस्टिस बीआर गवई, जस्टिव विक्रम नाथ और जस्टिव संजय करोल की पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित अधिकारियों को फैसला लेने को कहा है। इसने ये भी कहा है कि सजा पर फैसला तब लिया जाए, जब उन्हें जरूरी लगे।

शीर्ष अदालत ने दोषी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज की दलीलें सुनने के बाद दो मार्च को राजोआना की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। केंद्र सरकार की तरफ से दाखिल हलफनामे कानून व्यवस्था बिगड़ने का हवाला दिया गया था। राजोआना की तरफ से वकील मुकुल रोहतगी ने कहा था कि बम ब्लास्ट में मुख्यमंत्री की मौत हो गई थी। मामले में जुलाई 2007 में सज़ा सुनाई गई थी और हाई कोर्ट ने 2010 में सज़ा बरकरार रखा था। राजोआना 27 साल से जेल में है, 2012 से दया याचिका लंबित है। 

राजोआना की ओर से मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में दलील दी कि मौत की सज़ा के मामले में लंबे समय तक देरी करना मौलिक अधिकार का हनन है। उन्होंने कहा कि 2012 से दया याचिका लंबित है, हम 2023 में आ गए, यह सीधे रूप से कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। रोहतगी ने कहा कि राजोआना की उम्र अब 56 साल हो गई, जब घटना हुई थी उस समय युवा था।

बता दें कि बलवंत सिंह पिछले 27 साल से जेल की काल कोठरी में बंद है। उसने जेल में लंबा समय बिताया है। इसी को आधार बनाकर राजोआना ने कहा कि उसे फांसी की जो सजा सुनाई है, उसे बदल दिया है। इसके बदले उसे उम्रकैद की सजा दी जाए। बलवंत सिंह राजोआना ने इस संबंध में राष्ट्रपति से भी गुजारिश लगाई। लेकिन उसकी दया याचिका मार्च 2013 से ही राष्ट्रपति के पास लंबित पड़ी हुई है।अदालत ने राजोआना को जुलाई 2007 में फांसी की सजा सुनवाई। उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, मगर हाईकोर्ट ने भी 2010 में फांसी की सजा को बरकरार रखा। फिर वह सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर पहुंचा और उसने याचिका लगाकर अपनी सजा को उम्रकैद में बदलने की मांग की।

राजोआना, पंजाब पुलिस में कांस्टेबल था। उसके ऊपर आरोप है कि 31 अगस्त 1995 को जब पंजाब के सीएम बेअंत सिंह की हत्या की गई तो वो भी उसमें शामिल था।

गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत का दावा, राज्य में लगभग 90 प्रतिशत अपराध के लिए बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य क्षेत्रों के प्रवासी मजदूर जिम्मेवा

बिहार व उत्तर प्रदेश के मजदूरों पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की टिप्पणी पर जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी शुरू से उत्तर भारतीयों की विरोधी रही है। जगजाहिर है कि भाजपाशाषित राज्यों में बिहारी मजदूरों को हीनभावना से देखा जाता है और उनका हर तरीके से शोषण किया जाता है। वहीं जेडीयू के बयान पर बीजेपी ने भी प्रतिक्रिया दी है। बिहार बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा है कि गोवा के मुख्यमंत्री के बयान को आधार बनाकर कुछ राजनीतिक दल कुंठा अभिव्यक्ति करने में लगे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। गौरतलब है कि गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने राज्य में बढ़ रहे अपराधों को लेकर विवादित बयान दिया है। प्रमोद सावंत ने दावा करते हुए कहा है कि राज्य में लगभग 90 प्रतिशत अपराध बिहार, उत्तर प्रदेश और अन्य क्षेत्रों के प्रवासी मजदूरों द्वारा किए जाते हैं। 

वहीं जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने भी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि एक तरफ भाजपा 'एक देश, एक कानून' की बात करती है, और उसी पार्टी से गोवा के मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूरों को अपराधी कहते हैं। उन्‍हें गृह मंत्री अमित शाह के विभाग से संबंधित 'नेशनल क्राइम ब्यूरो' के आंकड़े का अवलोकन करना चाहिए। गुजरात में सबसे ज्यादा फर्जी मुकदमे में बिहार और उत्तर प्रदेश के लोग प्रताड़ित होते हैं। कहा कि आप लोग कैसा फर्जी हिंदू हैं ? वहां बहुसंख्यक हिंदू ही होंगे जो लोग गोवा गए हैं। गोवा के मुख्यमंत्री हिंदू हैं और हिंदू को ही अपराधी कह रहे हैं। उत्तर भारतीय लोगों को देश के विभिन्न राज्यों में भाषाई रूप से अपमानित करना और राजनीतिक अपमान करना यह नए भाजपा का नया संस्कार है

वहीं बिहार बीजेपी प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि बिहार में सभी स्तरों की शिक्षा चौपट है और रसातल के गर्त में चली गई है। बिहार में औद्योगीकरण की गुंजाइश जो एनडीए सरकार के दौरान बन रही थी वह पूरी तरह से खत्म हो गई है। 

राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त है। बिहार पलायन की भयंकर मार झेल रहा है। आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे बिहार और बिहारियों को देशभर में कामगार- मजदूर के तौर पर जीवनयापन करना पड़ रहा है और उनके भेजे पैसे से ही उनका घर- परिवार चलता है। इक्का-दुक्का अगर आपराधिक घटनाओं में कोई संलिप्त हो संभव है लेकिन सामूहिक छवि नहीं बनाया जा सकता है। बिहार एक बार फिर देश- दुनिया में परसेप्शन के स्तर पर छवि निर्माण को लेकर चुनौती से जूझ रहा है। बिहार सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण और जातिवादी छवि बन रही है। यही नहीं बिहार सरकार जिस तरह से खनन माफिया, शराब माफिया और संगठित आपराधिक गिरोहों को संरक्षण दे रही है उससे भी सरकार कि भद् पीट रही है और बिहार बदनाम हो रहा है।

सूडान में जारी संघर्ष में 550 की मौत जबकि घायलों की संख्या 4,926 हुई, आरएसएफ ने एसएएफ पर मानवीय संघर्ष विराम के उल्लंघन का आरोप लगाया


सूडान में जारी संघर्ष में मरने वालों की संख्या 550 हुई

सूडानी सशस्त्र बल (SAF) और अर्धसैनिक रैपिड सपोर्ट फोर्स (RSF) के बीच जारी सशस्त्र संघर्ष में मरने वालों की संख्या बढ़कर 550 से ज्यादा हो गई है। सूडान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी है।

मंत्रालय ने एक बयान में कहा, सूडानी प्रांतों के सभी अस्पतालों में कुल 550 लोगों की मौत दर्ज की गई है जबकि घायलों की संख्या 4,926 है। उसने बताया कि खार्तूम और सेंट्रल दारफुर को छोड़कर सभी राज्यों में स्थिति शांत थी।

समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, 72 घंटे के छठे युद्धविराम के बावजूद राजधानी खार्तूम और ओमदुरमन के विभिन्न क्षेत्रों में एसएएफ और आरएसएफ के बीच रुक-रुक कर संघर्ष जारी रहा।

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि एसएएफ ने ओमदुरमन के पश्चिम में बहरी (उत्तरी खार्तूम) में आरएसएफ के ठिकानों पर और केंद्रीय खार्तूम में सेना के जनरल कमांड के आसपास तेज हवाई हमले किए।

इस बीच आरएसएफ ने एसएएफ पर मानवीय संघर्ष विराम के उल्लंघन का आरोप लगाया।

आरएसएफ ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि वह एसएएफ सैन्य विमान को मार गिराने में कामयाब रहा, लेकिन दावे पर प्रतिक्रिया के लिए एसएएफ प्रवक्ता के कार्यालय से संपर्क नहीं हो सका।

खार्तूम और अन्य क्षेत्रों में एसएएफ और आरएसएफ के बीच लड़ाई 15 अप्रैल को शुरू हुई। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर संघर्ष शुरू करने का आरोप लगाया जिसने देश को मानवीय संकट में धकेल दिया है।

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़ों के अनुसार, हजारों सूडानी नागरिक विस्थापित हो गए हैं या मिस्र, इथियोपिया और चाड सहित सूडान और पड़ोसी देशों में सुरक्षित क्षेत्रों में शरण लेने के लिए मजबूर हो गए हैं।

बदरी-केदार धाम में डिजिटल दान का रहस्य गहराया, सामने आया मंदिर समिति के कर्मचारी का नाम


उत्तराखंड के बदरी-केदार धाम में डिजिटल दान लेने का रहस्य गहराता जा रहा है। बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति (बीकेटीसी) के अध्यक्ष का दावा है कि पेटीएम ने उनकी अनुमति लिए बिना दोनों धामों के परिसर में क्यूआर कोड लगाए हैं।

जबकि, समिति के मुख्य कार्याधिकारी का कहना है कि इसको लेकर पांच साल पहले पेटीएम के साथ समिति का अनुबंध हुआ था, लेकिन पेटीएम ने क्यूआर कोड लगाने के लिए सक्षम स्तर पर अनुमति नहीं ली।

समिति के एक कर्मचारी का है बैंक खाता

यह बात भी सामने आ रही है कि क्यूआर कोड से जो बैंक खाता जुड़ा है, वह समिति के एक कर्मचारी का है। जो समिति के वरिष्ठ अधिकारी का स्टेनो है। हालांकि, इस बारे में समिति के पदाधिकारी कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। समिति के अध्यक्ष और मुख्य कार्याधिकारी मामले की विस्तृत जांच कराने की बात कह रहे हैं।

बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के मुख्य परिसर में कपाट खोलने वाले दिन डिजिटल दान के लिए पेटीएम के क्यूआर कोड लगे पाए गए थे, जिन्हें मंदिर समिति ने उसी दिन हटवा दिया। इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद यह मामला चर्चा में आ गया।

इसके बाद रविवार को बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा था कि समिति ने कहीं पर भी ऐसे क्यूआर कोड नहीं लगवाए। साथ ही दोनों धाम में इस प्रकरण की जांच के लिए पुलिस को तहरीर दी गई। इस पर बदरीनाथ चौकी में अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया, जबकि केदारनाथ चौकी में दी गई तहरीर की अभी जांच की जा रही है।

इस बीच सोमवार को प्रकरण ने नया मोड़ ले लिया। रुद्रप्रयाग जिले की एसपी विशाखा अशोक भदाणे के अनुसार, पुलिस की प्राथमिक जांच में सामने आया कि वर्ष 2018 में बीकेटीसी और पेटीएम के बीच क्यूआर कोड लगाने को लेकर एमओयू हुआ था। उधर, चमोली जिले के एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि पेटीएम के क्यूआर कोड से जो बैंक खाता जुड़ा है, वह मंदिर समिति के एक कर्मचारी का है। हालांकि, समिति इसकी पुष्टि नहीं कर रही।

इधर, मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह का कहना है कि क्यूआर कोड लगाने को लेकर पेटीएम ने समिति के पदाधिकारियों से अनुमति नहीं ली। इस बारे में समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने कहा कि पेटीएम ने उनसे या मुख्य कार्याधिकारी से क्यूआर कोड लगाने के बारे में कोई बात नहीं की। उनका कहना है कि ऐसा किस स्तर से हुआ, इसकी जांच कराई जा रही है।

क्यूआर कोड से आया 70 लाख का दान

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, पेटीएम के क्यूआर कोड के माध्यम से मंदिर समिति को अब तक 70 लाख रुपये से अधिक का दान प्राप्त हो चुका है। इस बारे में बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इसके संबंध में पेटीएम से विस्तृत ब्योरा मांगा गया है।

बदरी-केदार धाम के परिसर में डिजिटल दान के लिए क्यूआर कोड पेटीएम की तरफ से लगाए गए थे। लेकिन, इसके लिए पेटीएम ने मुझसे कोई अनुमति नहीं ली। मालूम हुआ है कि निचले स्तर पर कर्मचारियों से बात कर पेटीएम ने क्यूआर कोड लगा दिए। इस प्रकरण की विस्तृत जांच कराई जा रही है। जल्द ही सब साफ हो जाएगा।

पेटीएम और मंदिर समिति के बीच बदरी-केदार धाम में क्यूआर कोड लगाने के लिए वर्ष 2018 में एमओयू हुआ था। इसकी जानकारी मुझे नहीं थी। फिर भी क्यूआर कोड लगाने से पहले मंदिर समिति की सहमति ली जानी जरूरी है। लापरवाही की जांच की जा रही है। इसमें मंदिर समिति का कोई कर्मचारी शामिल है तो उसके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाएगी। क्यूआर कोड के माध्यम से मंदिर समिति के खाते में कितना दान आया और उसका आहरण व वितरण किस ढंग से किया गया। इन सभी बिंदुओं की जांच की जा रही है।

बेटे की डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए उत्तराखंड के देहरादून पहुंचा बिहार का बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन, आज होगी शादी


जेल से बाहर निकलने के बाद बिहार का बाहुबली व पूर्व सांसद आनंद मोहन बेटे की डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए राजधानी देहरादून पहुंचा है। वह पिछले तीन दिनों से दून में है। बीते दिनों उसने अपने बेटे के साथ जाकर कई नामचीन हस्तियों को शादी का निमंत्रण दिया। इनमें कुछ सत्ता और विपक्ष की राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हैं। आज (बुधवार) बाहुबली के बेटे की शादी है। इस शादी को लेकर शहर में काफी चर्चाएं हैं।

बता दें कि बिहार के बाहुबली और पूर्व सांसद ने वर्ष 1994 में गोपालगंज के जिलाधिकारी की हत्या की थी। इस हत्या के दोष में उसे उम्रकैद की सजा हुई। लेकिन, 13 साल जेल में बिताने के बाद ही वह बाहर आ गया। जेल से बाहर आते ही आनंद मोहन अपने बेटे चेतन आनंद की शादी की तैयारियों में जुट गया।

राजपुर के फर्म हाउस में होगी शादी

शुरुआत में डेस्टिनेशन वेडिंग के लिए शहर के कई फार्म हाउस और रिजॉर्ट के नाम सामने आ रहे थे। लेकिन, विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक शादी का आयोजन राजपुर क्षेत्र के एक फार्म हाउस में किया जा रहा है। इसके लिए बिहार की कई बड़ी हस्तियां और आनंद मोहन के करीबी देहरादून के विभिन्न होटलों में ठहरे हुए हैं।

मंगलवार को दिन में इंटरनेट पर कुछ खबरिया वेबसाइटों पर आयोजन स्थल बदलने की बात भी कही जा रही थी। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया जा रहा था कि आनंद मोहन ने आयोजन के लिए अब जयपुर को चुना है। लेकिन, विश्वसनीय सूत्रों ने मंगलवार शाम को ही इस बात की पुष्टि की है कि आयोजन स्थल देहरादून के राजपुर क्षेत्र का फार्म हाउस ही है।

पहलवानों से मिलने जंतर-मंतर पहुंचीं पीटी उषा, पहले बताया था अनुशासनहीन

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पिछले 11 दिनों से पहलवान यौन उत्पीड़न के आरोपों को लेकर भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। भारतीय कुश्ती महासंघ प्रमुख बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ पहलवानों के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन की आलोचना करने के कुछ दिनों बाद, भारतीय ओलंपिक संघ की प्रमुख पीटी उषा ने आज धरना स्थल पहुंचीं।पीटी उषा ने बुधवार को आंदोलनरत पहलवानों से मुलाकात कर उन्हें जल्द से जल्द न्याय दिलाने का आश्वासन दिया।

पीटी उषा ने दिया न्याय दिलाने का आश्वासन

बजरंग पूनिया ने बताया कि पीटी उषा ने बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पहलवानों से कहा कि वह हमारे साथ खड़ी हैं और हमें न्याय दिलाएंगी। वह पहले एक एथलीट हैं और फिर कुछ और। बजरंग पूनिया के मुताबिक उन्होंने कहा कि वह पहलवानों की समस्या पर गौर करेंगी और जल्द से जल्द इसका समाधान करेंगी। बजरंग ने कहा कि बृजभूषण शरण सिंह के जेल जाने तक हम यहीं जंतर-मंतर पर रहेंगे। 

पहलवानों ने जताया था रोष

उषा के दौरे से एक दिन पहले मंगलवार को प्रदर्शनकारी पहलवानों ने मामले की जांच में देरी को लेकर रोष जताया था। उन्होंने इस बात पर भी हैरानी जताई कि पूर्व महान खिलाड़ी पीटी उषा और उसके एथलीट आयोग (एसी) की चेयरपर्सन एमसी मैरी कॉम जो एक बॉक्सिंग आइकन हैं ने उन्हें एक तरह से अकेला छोड़ दिया है।

पीटी उषा ने प्रदर्शन कर रहे पहलवानों को बताया था अनुशासनहीन

पीटी उषा ने पिछले हफ्ते कहा था कि पहलवानों को अधिक अनुशासन दिखाना चाहिए था। पीटी उषा ने कहा था, ‘खिलाड़ियों को सड़कों पर विरोध नहीं करना चाहिए था। उन्हें कम से कम समिति की रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए था। उन्होंने जो किया है वह खेल और देश के लिए अच्छा नहीं है। यह एक नकारात्मक दृष्टिकोण है।

आप सांसद संजय सिंह का दावा-शराब घोटाला मामले में ईडी ने गलती से जोड़ा नाम, खत लिखकर मांगी माफी, केजरीवाल ने उठाए सवाल

#aapmpsanjaysinghsaidedincludinghisnameonchargesheetby_mistake

आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ईडी की नोटिस को लेकर बड़ा दावा किया है।सांसद संजय सिंह ने दावा किया है कि दिल्ली आबकारी मामले में ईडी ने चार्जशीट में गलती से उनका नाम शामिल कर लिया था।आप नेता की माने तो ईडी ने स्वीकार किया है कि शराब घोटाले की चार्जशीट में उनका नाम गलती से शामिल हो गया और इसके लिए एजेंसी ने खेद जताया है।

संजय सिंह ने दावा किया कि ईडी ने उन्हें खत लिखकर खेद जताया और कहा है कि शराब घोटाले की चार्जशीट में उनका नाम गलती से जुड़ गया था।आप नेता संजय सिंह ने इससे पहले वित्त सचिव को एक खत लिखकर ईडी के निदेशक और एक अन्य अधिकारी के खिलाफ केस करने की अनुमति मांगी थी

केजरीवाल ने पीएम को घेरा

इस मामले को लेकर आप के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने पीएम पर निशाना साधा है। दिल्ली आबकारी मामले पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कहा, क्या किसी का नाम चार्जशीट में गलती से भी डाला जाता है? इस से साफ है कि यह पूरा केस ही फर्जी है।सिर्फ गंदी राजनीति के लिए देश की सबसे ईमानदार पार्टी को बदनाम करने की कोशिश है। सबसे तेजी से बढ़ने वाली पार्टी को रोकने के लिए प्रधानमंत्री जी ऐसा कर रहे हैं और यह उन्हें शोभा नहीं देता।

सप्लीमेंट्री चार्जशीट में संजय सिंह और राघव चड्ढा का नाम

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले पर अपनी तीसरी सप्लीमेंट्री चार्जशीट में आप नेताओं संजय सिंह और राघव चड्ढा के नामों का जिक्र किया था। दोनों नेता राज्यसभा सदस्य हैं।चार्जशीट में सिर्फ उनके नाम का जिक्र है, उन्हें मामले में आरोपी के तौर पर नहीं दिखाया गया। सप्लीमेंट्री चार्जशीट हाल ही में राउज एवेन्यू डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दायर की गई थी।

शरद पवार के इस्तीफे के बाद एनसीपी में भूचाल, जितेंद्र आव्हाड सहित कई ने दिया इस्तीफा

#jitendra_awhad_resigned_from_ncp

शरद पवार के एनसीपी अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद से महाराष्ट्र की सियासतमें भूचाल आ गया है।शरद पवार के एनसीपी अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद एनसीपी में इस्तीफों का दौर शुरू हो गया है। खबर आई है कि एनसीपी नेता जितेंद्र अव्हाड ने पार्टी के राष्ट्रीय सचिव का पद छोड़ दिया है। बता दें कि शरद पवार के इस्तीफे से कई नेता खुश नहीं हैं और कोशिश की जा रही है कि शरद पवार को इस्तीफा वापस लेने के लिए मनाया जाए। बताया जा रहा है जल्द ही पार्टी के कई अन्य नेता भी अपना इस्तीफा सौंप सकते हैं।

पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव जितेंद्र आव्हाण ने अपने इस्तीफे के बाद मीडिया से बात की।जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि मेरे साथ ठाणे शहर के जितने भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारी है उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।सभी ने अपना इस्तीफा जयंत पाटिल को भेजा है।आव्हाड ने अपने इस्तीफे के पीछे की वजह बताते हुए कहा कि शरद पवार का इस तरीके से इस्तीफा देना हममें कतई मंजूर नहीं है। जब तक पवार साहब अपने इस्तीफे को वापस नहीं लेते तब तक हम भी अपने इस्तीफे को वापस नहीं लेंगे।

इस दौरान उन्होंने साफ साफ तो कुछ नहीं कहा, लेकिन इशारों में उन्होंने बड़ा संदेश देने का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है कि सुप्रिया सुले को अध्यक्ष बनाया जा रहा है। इस तरह की चर्चा का अब कोई अर्थ भी नहीं है। वहीं अजित पवार के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी भी कोई खबर नहीं है कि कौन क्या कर रहा है। इससे उन्हें कोई मतलब नहीं है।

बता दें कि शरद पवार के एनसीपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद से पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर अस्पष्टता बनी हुई है। एनसीपी के नए अध्यक्ष पद के लिए पवार के भतीजे अजित पवार और उनकी बेटी सुप्रिया सुले का नाम सामने आ रहा है। हालांकि अभी तक कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है।उधर मुंबई के यशवंत राव ऑडिटोरियम में एनसीपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक चल रही है, जिसमें अजित पवार, सुप्रिया सुले, प्रफुल्ल पटेल सहित पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद हैं।