सत्यपाल मलिक के बयान जिसने बढ़ाई सरकार की टेंशन; CBI नोटिस पर बोले- सच बोल कर पाप उजागर किए, इसलिए अा गया बुलावा

 जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक को सीबीआई ने पूछताछ के लिए नोटिस किया है। इस नोटिस को लेकर देश का सियासी पारा हाई है। कांग्रेस, आप सहित कई विपक्षी दलों ने सीबीआई नोटिस के बहान सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं।

Satyapal Malik CBI Summon: हाल ही एक इंटरव्यू में पुलवामा हमले पर सरकार की नाकामी को उजागर करने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक Ex-J&K Governor Satyapal Malik को सीबीआई CBI ने पूछताछ के लिए नोटिस किया है। अपने नोटिस में सीबीआई ने सत्यपाल मलिक से भ्रष्टाचार के एक मामले को लेकर पूछताछ में शामिल होने को कहा है। सीबीआई इसी महीने 27 और 28 अप्रैल को सत्यपाल मलिक से पूछताछ कर सकती है। सत्यपाल मलिक को सीबीआई द्वारा नोटिस किए जाने के बाद से राजनीतिक सरगर्मी बढ़ गई है। कांग्रेस, आप सहित कई विपक्षी दलों ने मामले में सवाल उठाए है। कथित इंश्योरेंस घोटाला Satyapal Malik Insurance Scam मामले में सीबीआई सत्यपाल मलिक से अकबर रोड स्थित एक गेस्ट हाउस में पूछताछ करेगी। इस नोटिस को लेकर सत्यपाल मलिक की ओर से भी प्रतिक्रिया सामने आई है। शुक्रवार रात सत्यपाल मलिक ने ट्वीट करते हुए लिखा मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए, इसलिए बुलावा आया है।

मैंने लोगों के पाप उजागर किए, इसलिए आया बुलावाः सत्यपाल मलिक

इंश्योरेंस घोटाला मामले में सीबीआई का नोटिस जारी होने के बाद जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने सरकार पर निशाना साधा है। शुक्रवार की रात उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, ‘‘मैंने सच बोलकर कुछ लोगों के पाप उजागर किए हैं। शायद, इसलिए बुलावा आया है।’’ मलिक ने आगे लिखा कि मैं किसान का बेटा हूं, घबराऊंगा नहीं। सच्चाई के साथ खड़ा हूं। हालांकि बाद में सत्यपाल मलिक ने इस ट्विट को डिलीट कर दिया है।

27-29 अप्रैल के बीच सत्यपाल मलिक से होगी पूछताछ-

सीबीआई के नोटिस पर सत्यपाल महिला ने कहा था, ‘‘ CBI को कुछ चीजें जाननी हैं, जिसके लिए मुझे बुलाया है। मैं राजस्थान जा रहा हूं, इसलिए मैंने उन्हें बता दिया है कि मैं 27 से 29 अप्रैल के बीच उपलब्ध रहूंगा।’’ सत्यपाल मलिक भाजपा के पुराने नेता है। वो भाजपा में कई बड़े पदों पर रहे। अलग-अलग समय में चार राज्यों में राज्यपाल भी बनाए गए। इस समय सत्यपाल मलिक भाजपा के पहले नेता हैं जिन्होंने सीधे तौर पर पीएम मोदी पर सवाल उठाए है।

CBI ने सत्यपाल मलिक को किस मामले में पूछताछ के लिए बुलाया?

सीबीआई ने सत्यपाल मलिक को जिस कथित इंश्योरेंस घोटाला में पूछताछ के लिए नोटिस किया है, वह जम्मू कश्मीर सरकार के कर्मचारियों के स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़ी है। सीबीआई ने अपनी FIR में रिलायंस जनरल इंश्योरेंस और ट्रिनिटी री-इंश्योरेंस ब्रोकर्स लिमिटेड को आरोपी बनाया है। सत्यपाल मलिक राज्यपाल रहते हुए 31 अगस्त 2018 को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।

300 करोड़ रुपए के रिश्वत की मलिक ने खुद कही थी बात-

अक्टूबर 2021 में सत्यपाल मलिक ने 300 करोड़ रुपए के रिश्वत की पेशकश किए जाने का चौंकाने वाला दावा किया था। मलिक ने दावा किया था कि RSS नेता से संबंधित एक फाइल को क्लियर करने के लिए उन्हें कथित तौर पर 300 करोड़ रुपये की रिश्वत की पेशकश की गई थी।

सत्यपाल महिल के दावे के अनुसार ये रिश्वत दो परियोजनाओं की फाइल को लेकर दी जा रही थी। इसमें एक अनिल अंबानी और दूसरी आरएसएस के एक नेता की। इसी को लेकर सीबीआई ने दो एफआईआर दर्ज की थी।

पुलवामा हमले पर सत्यपाल मलिक ने क्या दिया बयान?

14 अप्रैल 2023 को न्यूज वेबसाइट 'द वायर' के वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए इंटरव्यू में सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले पर चौंकाने वाला बयान दिया था। पुलवामा आतंकी हमले के लिए सत्यपाल मलिक ने केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि जम्मू से श्रीनगर पहुंचने के लिए CRPF को पांच एयरक्राफ़्ट की ज़रूरत थी। मैंने गृह मंत्रालय से एयरक्राफ़्ट मांगे, लेकिन नहीं दिए गए।

मलिक ने कहा कि एयरक्राफ़्ट दे देते तो ये हमला नहीं होता क्योंकि इतना बड़ा काफ़िला सड़क से नहीं जाता। सत्यपाल मलिक ने इंटरव्यू में कहा कि जब उन्होंने यह जानकारी प्रधानमंत्री को दी तो पीएम ने कहा, "आप इस पर चुप रहिए।

पुलवामा आतंकी हमला, जिसमें गई थी 40 जवानों की जान

14 फरवरी 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ था। जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे। उस समय विस्फोटकों से भरी एक गाड़ी सीआरपीएफ़ के 70 बसों के काफ़िले में चल रही एक बस से भिड़ा दी गई थी। इस आत्मघाती हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान में एयरस्ट्राइक कर कई आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया था।

केंद्र सरकार पर लंबे समय से हमलावर हैं सत्यपाल मलिक

भाजपा में रहते हुए सत्यपाल मलिक बीते लंबे समय से केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। पुलवामा हमले पर सरकार की नाकामी उजागर करने से पहले वो कृषि कानून, एमएसपी, अग्निपथ योजना जैसे योजनाओं पर सवाल उठा चुके हैं। सत्यपाल मलिक के इन बयानों से न केवल केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती रही है बल्कि विपक्ष को भी एक नया मुद्दा मिल जाता है।

सत्यपाल मलिक के वो बयान, जिसने बढ़ाई सरकार की मुश्किलें

'700 किसान मर गए, दिल्ली से एक चिट्ठी नहीं आई'

मेघालय के राज्यपाल रहते हुए 22 अगस्त 2022 को सत्यपाल मलिक ने यूपी के बागपत आयोजित किसान मजदूर सभा में कहा, "दिल्ली की सीमाओं पर 700 किसान मर गए थे। मुझे कुत्ते ने नहीं काटा था कि मैं गवर्नर होते हुए पंगा लूं, लेकिन जब 700 लोग मर गए तब भी दिल्ली से एक चिट्ठी संवेदना की कहीं नहीं गई। कुतिया भी मरती है तो प्रधानमंत्री उसके प्रति संवेदना भेजते हैं।"

'किसान मामले में पीएम से मिला, वो घमंड में, 5 मिनट में हुई लड़ाई'

जनवरी, 2022 में सत्यपाल मलिक ने कहा, "मैं किसानों के मामले में जब प्रधानमंत्री से मिलने गया तो मेरी पांच मिनट में लड़ाई हो गई। वो बहुत घमंड में थे। जब मैंने उनसे कहा कि हमारे पांच सौ लोग मर गए हैं। जब कुतिया मरती है तो आप चिट्ठी भेजते हो, तो उन्होंने कहा कि मेरे लिए मरे हैं? मैंने कहा कि आपके लिए तो मरे हैं। जो आप राजा बने हुए हो उनकी वजह से।

'जितनी हत्या कश्मीर में एक सप्ताह में होती है उतनी पटना में एक दिन में होती है'

जनवरी 2019 में सत्यपाल मलिक ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भी देश के दूसरों राज्यों की तरह है। यहां कोई क़त्लेआम नहीं चल रहा। जितनी मौतें कश्मीर में एक हफ्ते में होती है उतने मर्डर तो पटना में एक दिन में हो जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यहां लड़के खुलेआम हथियार लेकर घूमते हैं और राज्य के पुलिसकर्मियों को मारते हैं। आप उन्हें क्यों मार रहे हैं। अगर मारना ही है तो उन्हें मारो जिन्होंने आपके देश और कश्मीर को लूटा है। क्या आपने ऐसे किसी शख़्स को मारा है?"

अग्निपथ योजना हमारी फौज को नीचा दिखाने का काम करेगी'

जून, 2022 में अग्निपथ योजना का विरोध करते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा, "अग्निपथ योजना हमारी फ़ौजों को, जवानों को नीचा दिखाने का काम करेगी। उनका करियर ख़त्म कर देगी। चार साल में छह महीने ट्रेनिंग करेंगे। छह महीने छुट्टी पर रहेंगे।" तीन साल वो सिर्फ़ नौकरी करेंगे तो फिर कहां जाएंगे। उनकी तो शादी भी नहीं होगी। उनमें देश के लिए मरने के लिए कैसे जज़्बा होगा? ये बहुत ग़लत किया है, इसे जल्द वापस लेना चाहिए।"

'कश्मीर का गर्वनर दारू पीता हौ और गोल्फ खेलता है'

मार्च, 2020 में सत्यपाल मलिक ने जम्मू कश्मीर के गवर्नर पर विवादित बयान दिया था। उत्तर प्रदेश में बागपत के दौरे पर एक जनसभा में उन्होंने कहा था, "गवर्नर का कोई काम नहीं होता। कश्मीर में जो गवर्नर होता है, वो दारू पीता है और गोल्फ़ खेलता है।

 

यूपी के बागपत में जन्म, खुद को लोहियावादी बताते हैं सत्यपाल मलिक

सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश में बागपत के हिसावदा गांव में 24 जुलाई 1946 को हुआ। वो खुद को लोहियावादी बताते हैं। लोहिया के समाजवाद से प्रभावित होकर उन्होंने मेरठ कॉलेज छात्रसंघ से राजनीति की शुरुआत की। सत्यपाल मलिक को राजनीति में लाने का काम चौधरी चरण सिंह ने किया। 1974 में चौधरी चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल की टिकट पर बागपत विधानसभा का चुनाव लड़ा और महज़ 28 साल में विधायक बने।

सत्यपाल मलिक का सियासी सफर, एक नजर में

1974- बागपत से विधायक बने

1980- लोकदल ने राज्यसभा सांसद बनाया

1984- कांग्रेस से राज्यसभा सांसद बने

1989- अलीगढ़ से लोकसभा सांसद बने

1996- सपा में शामिल हुए, पर चुनाव हार गए

2004- भाजपा में शामिल हुए, बागपत से चुनाव हारे

2012- बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाए गए

2017- बिहार के राज्यपाल बनाए गए

2018- जम्मू कश्मीर के राज्यपाल

2019- गोवा के राज्यपाल बनाए गए

2020- मेघालय के राज्यपाल बनाए गए

महाराष्ट्र में राजनीतिक बयानबाजी तेज, अजित पवार ने कहा कि वे आज भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार

 महाराष्ट्र में इस वक्त राजनीतिक बयानबाजी तेज चल रही है। इसी बीच एनसीपी नेता अजित पवार का बड़ा बयान सामने आया है। अजित पवार ने कहा, ‘ वो आज भी महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हैं।’ उन्होंने शुक्रवार को एक न्यूज पेपर के कार्यक्रम के दौरान यह बात कही। अजित पवार से जब पूछा गया था कि क्या आप 2024 में मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करेंगे? इस सवाल के जवाब में अजित पवार ने कहा कि 2024 में मुख्यमंत्री पद का दावा करने की क्या जरूरत है, मैं अभी भी दावा कर सकता हूं। 2024 का इंतजार क्यों करना। इस दौरान उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के करिश्मे को इनकार नहीं किया जा सकता है। अजित पवार का यह बयान एनसीपी में दरार की अफवाहों के बीच आया है, जिसमें अजित पवार के भविष्य के राजनीतिक कदम को लेकर अटकलें लगाई जा रही हैं।

एमवीए गठबंधन की बात करते हुए अजीत पवार ने कहा, ‘हम धर्मनिरपेक्षता और प्रगतिशील होने के बारे में बात करते थे, लेकिन 2019 में हम- कांग्रेस और एनसीपी ने सरकार बनाने के लिए शिवसेना के साथ गठबंधन किया, (और) इसलिए हम धर्मनिरपेक्षता से अलग हो गए, क्योंकि शिवसेना एक हिंदुत्व पार्टी रही है।’

महाराष्ट्र पिछले साल राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजरा था, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले विद्रोह ने राज्य में महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया था। एकनाथ शिंदे की सेना ने राज्य में सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी से हाथ मिलाया। और हाल ही में ऐसी अटकलें लगाई गई हैं कि अजीत पवार और उनके प्रति वफादार विधायकों का एक समूह सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर सकता है।

अजित पवार ने हालांकि ऐसी सभी खबरों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में किसी तरह की दरार और उनके भाजपा से हाथ मिलाने की खबरों में कोई सच्चाई नहीं है।

इस बीच, अजीत पवार अपने पहले के जरूरी कार्यक्रमों का हवाला देते हुए मुंबई में एनसीपी की बैठक में शामिल नहीं हुए। अजीत पवार ने कहा कि वह एनसीपी की बैठक में शामिल नहीं हो सके, क्योंकि उन्हें उसी समय होने वाले कुछ अन्य कार्यक्रमों के लिए उपस्थित रहना पड़ता है। राकांपा ने यह भी कहा कि अजीत पवार के पार्टी की बैठक में शामिल नहीं होने का मतलब यह नहीं है कि वह संगठन छोड़ने की योजना बना रहे हैं।

पवार की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे: बीजेपी

शुक्रवार को महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले ने महा विकास अघाड़ी के नेताओं पर अजित पवार को बदनाम करने और उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने का आरोप लगाया। बावनकुले ने कहा कि अजीत पवार ने पिछले तीन महीनों में उनसे मुलाकात नहीं की है और न ही उन्होंने सत्ता पक्ष के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की है।

बावनकुले ने कहा, ‘एमवीए के नेता अजीत पवार को बदनाम कर रहे हैं। वे पवार की विश्वसनीयता पर सवाल उठा रहे हैं। सुबह के शपथ ग्रहण से (जब पवार ने 2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ गठबंधन किया) अब तक, उन पर सवालिया निशान उठाए जा रहे हैं।’

सूडान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने को लेकर पीएम मोदी ने की उच्च स्तरीय बैठक, कहा-तुरंत बनाएं प्लान*

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिंसा प्रभावित सूडान में भारतीयों से संबंधित स्थिति की समीक्षा के लिए शुक्रवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। सूडान में फंसे भारतीयों के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने फिक्र जताई है और वहां से उनकी जल्द से जल्द निकासी के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया।

पीएम मोदी ने हाई लेवल मीटिंग में सूडान में रह रहे भारतीयों को निकालने के लिए योजना बनाने के निर्देश दिए हैं।पीएम मोदी ने मीटिंग में सूडान में रह रहे भारतीयों की सुरक्षा का ध्यान रखने को कहा है।पीएम ने सूडान से भारतीयों के लिए आकस्मिक निकासी योजना तैयार करने और उनमें सुरक्षा के हिसाब से तेजी से बदलाव करने और विकल्पों की व्यवहार्यता पर चलने का निर्देश दियापीएम मोदी ने सूडान के पड़ोसियों देशों से भी लगातार हालातों पर संपर्क बनाए रखने के निर्देश दिए हैं।

बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, वायु सेना और नौ सेना के प्रमुख, विदेश और रक्षा मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों के अलावा वरिष्ठ राजनयिक डिजिटल तरीके से शामिल हुए। जयशंकर फिलहाल गुयाना के दौरे पर हैं।

बता दें कि सूडान में 3000 से अधिक भारतीय इस समय फंसे हैं। राजधानी खार्तूम में संघर्ष की वजह से इनकी निकासी में मुश्किलें आ रही हैं। भारत ने बृहस्पतिवार को कहा था कि सूडान में स्थिति बहुत तनावपूर्ण है और वह भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब और मिस्र सहित विभिन्न देशों के साथ करीबी समन्वय कर रहा है।

सूडान में पिछले सात दिनों से देश की सेना और एक विद्रोही बल के बीच घातक लड़ाई चल ही है जिसमें लगभग 300 लोग मारे गए हैं। अंधाधुंध गोलीबारी के कारण भारतीयों को भोजन, पानी, दवाओं और बिजली की कमी का भी सामना करना पड़ रहा है। कम से कम 50 लाख लोग घरों में शरण लिए हुए हैं और उनके पास बिजली, भोजन या पानी नहीं है और संचार बुरी तरह बाधित है।

उत्तर प्रदेश में हो रहे निकाय चुनावों के दौरान सीतापुर में BJP के प्रत्याशी ने ठुकराया टिकट, जानिए, क्या अतीक-अशरफ मर्डर केस बनी वजह?


उत्तर प्रदेश में हो रहे निकाय चुनावों में एक तरफ बीजेपी का टिकट पाने के लिए एक एक सीट पर 10-10 उम्मीदवार लाइन में हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के ही सीतापुर में उल्टी हवा चल रही है। यहां बीजेपी द्वारा एक घोषित प्रत्याशी ने ना केवल पार्टी का टिकट ठुकरा दिया है, बल्कि उसने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भी कर दिया है। बताया जा रहा है कि प्रत्याशी ने यह कदम प्रयागराज में अतीक अशरफ हत्याकांड के बाद उठाया है।

दरअसल इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर अतीक की हत्या के बाद से बीजेपी के खिलाफ हवा चलने लगी है। बता दें कि नगर पंचायत सीतापुर में अध्यक्ष पद के लिए बीजेपी ने पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष उरूज आन की पत्नी जैनब जहां को अपना प्रत्याशी बनाया था। बीजेपी प्रत्याशी के तौर पर वह काफी दिनों से अपना प्रचार प्रसार भी कर रहीं थी। लेकिन नामांकन से ठीक पहले उन्होंने बीजेपी का टिकट ठुकरा दिया और कलक्ट्रेट पहुंच कर बतौर निर्दलीय उम्मीदवार नामांकन दाखिल कर दिया है।

उन्होंने खुद तो कुछ नहीं कहा, लेकिन उनके समर्थकों का मानना है कि अतीक हत्याकांड के बाद चली उल्टी बयार को देखते हुए उन्होंने यह कदम उठाया है। मामला सीतापुर के पैंतेपुर नगर पंचायत सीट का है। यहां बीजेपी से टिकट के लिए एकमात्र आवेदन पूर्व नगर पंचायत अध्यक्ष उरूज आन की पत्नी जैनब जहां का आया था। ऐसे में पार्टी ने उन्हें टिकट भी दे दिया। यहां पर्चा दाखिल करने की आखिरी तारीख 17 अप्रैल थी। इस दिन अचानक से जैनब जहां ने बीजेपी के टिकट को छोड़ कर निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला किया।

बता दें कि 16 अप्रैल की शाम तक वह क्षेत्र में बीजेपी का झंडा लेकर प्रचार कर रही थीं। लेकिन अचानक आए उनके फैसले से बीजेपी में हड़कंप मच गया है। सियासी जानकारों की माने तो पैंतेपुर नगर पंचायत क्षेत्र मुस्लिम बाहुल्य आबादी वाला है। यहां पर बीजेपी उम्मीदवार को जीत की बहुत कम उम्मीद थी। ऊपर से अतीक अशरफ हत्याकांड का मामला आ गया। ऐसे में पूरी बयार बीजेपी के खिलाफ हो गई। ऐसे हालात में जैनब जहां ने वोट की गुणा गणित लगाई और ऐन वक्त पर मुस्लिम वोट बैंक को रिझाने के लिए बीजेपी के टिकट को ठुकरा दिया।

 बता दें कि 2017 निकाय चुनाव चुनावों में यहां से बीजेपी के पंकज सिंह छठें नंबर पर रहे थे। उस समय उन्हें केवल 239 वोट मिले थे. जबकि जैनब जहां के पति उरूज आलम दूसरे नंबर पर थे।

जिस तरह अतीक-अशरफ को मारा, तीनों शूटर्स को उसी तरह मारना चाहते हैं अतीक अहमद के गुर्गे, STF को मिले इनपुट्स

अतीक अहमद और अशरफ की मौत के बाद एसआईटी जांच में जुटी हुई है। अतीक और अशरफ की 15 अप्रैल को तीन शूटरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। जिन्हें पकड़कर जेल में बंद कर रखा है। इसी बीच एसटीएफ को इनपुट्स मिले हैं कि अतीक के कुछ करीबी जो इस वक्त नैनी जेल में हैं। उन्होंने गुर्गों को निर्देश दिया है किसी भी तरह तीनों शूटर्स को टारगेट किया जाए। पुलिस की मौजूदगी में तीनों शूटर्स पर हमला किया जाए। इसलिए शूटर्स को पुलिस लाइन से कही नहीं लेकर जाया जा रहा है। यहीं पूछताछ हो रही है। एसटीएफ को इनपुट्स मिले हैं कि जिस तरह अतीक़-अशरफ को पुलिस की मौजूदगी में मारा गया, वैसे ही तीनो शूटर्स को टारगेट किया जा सकता है। ताकि अतीक और अशरफ की मौत का बदला लेकर यह संदेश दिया जा सके कि अतीक के गुर्गे जिंदा हैं।

गौरतलब है कि अतीक अहमद और अशरफ की मौत के बाद से ही पुलिस उनसे जुड़े लोगों और करीबियों से जुड़ी जांच में जुटी हुई है। पुलिस सूत्रों के हवाले से खबर है कि अतीक अहमद से जुड़े लोगों या करीबियों के फोन अचानक बंद हो गए हैं। पुलिस ने इन्वेस्टिगेशन के लिए करीब 1 हजार से ज्यादा नंबर सर्विलेंस पर लिए गए थे। इनमें से कई नंबर शूटरों के थे, कई जान पहचान के लोगों के थे। सभी फ़ोन स्विच ऑफ है या ‘नॉट रिचेबल‘ आ रहे हैं। पुलिस केवल अतीक के करीबियों के नंबर सर्विलेंस पर नहीं लगाए थे, बल्कि कई दूसरे गैंग के शूटरों के भी नंबर सर्विलेंस पर थे। ये सभी नंबर अतीक और अशरफ की हत्या के बाद बंद हो गए। पुलिस नंबर सर्विलेंस पर लगाकर सुराग इकट्ठा कर रही थी। अब इनके दूसरे संपर्कों के जरिए पुलिस नई स्ट्रेटेजी पर काम कर रही है।

बता दें कि अतीक और अशरफ अहमद की अस्पताल में मेडिकल चेकअप के लिए ले जाते वक्त गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद गोलीबारी करने वाले तीन आरोपियों ने तुरंत सरेंडर कर दिया था। पुलिस ने इन तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था। इन आरोपियों से पूछताछ की गई। इसी बीच अतीक और अशरफ की मौत का सीन भी गुरुवार को रीक्रिएट किया गया।

यूपी के अमेठी में नगर निकाय के चुनावी गहमा गहमी के बीच कांग्रेस भी खोल रही अपना पत्ता, अरुण मिश्रा को टिकट देकर खेला ब्राह्मण कार्ड

अमेठी में नगर निकाय चुनाव की गहमा गहमी के बीच अब कांग्रेस ने भी अपने पत्ते खेलने शुरू कर दिए हैं। आज लम्बे इंतजार के बाद कांग्रेस ने गौरीगंज नगर पालिका से अपना पहला प्रत्याशी उतार कर विपक्षी पार्टियों के बीच में चर्चा शुरू करवा दी है। कांग्रेस के प्रदेश स्तरीय कमेटी द्वारा गौरीगंज नगर पालिका से अरुण मिश्रा को टिकट देकर ब्राह्मण कार्ड खेलने का प्रयास किया है। कांग्रेस द्वारा अरुण मिश्रा को टिकट दिये जाने के बाद मुकाबला त्रिकोणीय देखा जा रहा है। लेकिन भाजपा ने अभी तक इस नगर पालिका पर प्रत्याशी नहीं उतारे हैं।

कांग्रेस पार्टी द्वारा गौरीगंज नगर पालिका से प्रत्याशी उतारने के बाद इस सीट पर दिलचस्प मुकाबला हो गया है। इस सीट से सामाजवादी पार्टी सामान्य सीट होंने के बाद भी तारा देवी सरोज को प्रत्याशी घोषित कर दलित कार्ड खेलने का भरसक प्रयास कर रही है।

लेकिन भाजपा द्वारा प्रत्याशी का नाम समाने ना आने पर अभी तक चुनावी समीकरण बनाता नही नजर आ रहा है। इस सीट पर राकेश प्रताप सिंह द्वारा सामान्य सीट पर अपने परिवार के लोगो को चुनाव ना लड़ाना कुछ अलग ही इशारा कर रहा है।

कांग्रेस के ब्राह्मण कार्ड से विपक्ष में खलबली

कांग्रेस पार्टी द्वारा गौरीगंज नगर पालिका चुनाव ब्राह्मण प्रत्याशी घोषित होने के बाद विपक्षियों में चर्चा का विषय बना हुआ है। क्योंकि गौरीगंज ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है और ब्राह्मणों द्वारा ही जीत हार की भूमिका तय होती है। ये बात अलग है कि कांग्रेस प्रत्याशी अरुण मिश्रा कितना ब्राह्मण वाद के जरिये चुंनाव को भुना पायेगे। लेकिन जब तक भाजपा अपना प्रत्याशी मैदान में नहीं खड़ा करती है तब तक कुछ कहना आसान नहीं होगा।

चुनावी पंडित हो रहे हैं फेल

चुनावी जानकार हैरान है कि सामान्य सीट पर अपने परिवार से मैदान में ना उतारना कुछ अलग ही संकेत दे रहे हैं। लोग ये भी कयास लगा रहे हैं कि गौरीगंज से सामाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक राकेश प्रताप सिंह बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं और अपने घर से ही प्रत्याशी घोषित करवाते हैंं। लेकिन इस चुनाव में मामूली दखल आनंदजी ही दिख रही है तारा सरोज के समर्थन में दिख रहे हैंं। लोग कयास लगा रहे हैं कि किसी दबाव के कारण इस बार अपने घर से प्रत्याशी नहीं लड़ा रहे हैं। अगर इस चुनाव में राकेश प्रताप सिंह के परिवार से दावेदारी की जाती तो चुनाव में रोचक मुकाबला देखने को मिलता।

चुनाव में ये समस्याएं बनेंगी मुदद्दा

नगर पालिका गौरीगंज में साफ सफाई के साथ रेहड़ी पटरी दुकानदारों की दुकान लगाने की सामास्या और सब्जी मंडी के लिये आरक्षित जगह मुद्दा बनेगा। इसके साथ युवाओं के लिये खेल मैदान स्टेडियम की कोई ब्यास्था गौरीगंज नगर पालिका में नही है। गौरीगंज शहर में लोगों के निःशुल्क शौचालय के साथ पानी की भी सामस्या बनेगी। जो प्रत्याशी इन मुद्दों पर बात करेगा इन समस्याओं पर सामाधान का रास्ता बनायेगा उसके लिये ये चुनाव आसान हो सकता है।

पीएम मोदी की केरल यात्रा का शुरू हुआ विरोध, कांग्रेस करेगी विशाल सम्मेलन का आयोजन, यहां पढ़िए, क्या है विरोध के कारण

केरल में भाजपा की राज्य इकाई के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने गुरुवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 अप्रैल से शुरू होने वाली केरल की अपनी दो दिवसीय यात्रा के दौरान अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेने के अलावा बिशप से भी मुलाकात करेंगे। यह घोषणा कई मीडिया रिपोर्ट्स से आई है, जिसमें कहा गया है कि केरल बीजेपी चचरें के साथ निकट आने की कोशिश कर रही है। सुरेंद्रन ने कहा, प्रधानमंत्री कार्यालय कार्यक्रम पर काम कर रहा है, इसलिए विवरण जल्द ही जारी किया जाएगा। एक बार चीजें तय हो जाने के बाद, मैं इसके बारे में अपडेट दूंगा। वास्तव में, केंद्रीय मंत्रियों सहित शीर्ष केंद्रीय भाजपा नेता पहले ही केरल पहुंच चुके हैं और चर्च प्रमुखों के साथ बातचीत कर चुके हैं। ईस्टर रविवार (9 अप्रैल) को, जब मंत्रियों और नेताओं ने पुजारियों और समाज के लोगों को बुलाया तो गतिविधि की सुगबुगाहट थी।

 सीपीआई-एम के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ वाम मोर्चा और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ दोनों ने इन घटनाक्रमों को अगले साल के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए की गई गतिविधियों के रूप में करार दिया। उन्होंने ईसाई समुदाय को भाजपा की इन चालों के बहकावे में नहीं आने की चेतावनी भी दी। इस पर सुरेंद्रन ने कहा, ईसाई समुदाय ने इस समय चल रहे सभी झूठे प्रचारों को खारिज कर दिया है। इस बीच, आईएनसी की केरल इकाई के अध्यक्ष के. सुधाकरन ने कहा कि कांग्रेस पार्टी आने वाले हफ्तों में, संघ परिवार के समूहों द्वारा देश भर के चचरें पर किए गए हमलों की एक सूची लाएगी और इस पर एक अभियान का नेतृत्व करेगी।

अमिताभ के ट्विटर अकाउंट से हटा ब्लू टिक, बोले- अब तो पैसा भी भर दिये हैं, हाथ तो जोड़ लिये रहे, अब का, गोड़वा जोड़े पड़ी का

#amitabh_bachchan_twitter_blue_tick_appeal_to_elon_musk

माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर ने शुक्रवार को बड़ा कदम उठाते हुए अनपेड अकाउंट वाले कई दिग्गजों के अकाउंटस से ब्लू टिक हटा लिए।ट्विटर के इस एक्शन के बाद कई बड़े अरबपति बिजनेसमैन, दिग्गज खिलाड़ियों से लेकर कई बड़े राजनेताओं के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हटा दिए गए हैं। बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन से भी ट्विटर ने ब्लू टिक छीन लिया है।जिसके बाद अमिताभ बच्चन ने फिल्मी अंदाज में एक ट्वीट कर अपने ट्विटर ब्लू टिक के लिए एलन मस्क से अपील की है।

बता दें कि अमिताभ बच्चन टेविटर पर काफी सक्रिय रहते हैं। ऐसे में अपने वेरिफाइड अकाउंट से ब्लू टिक गायब होने पर बिग बी ने परेशानी जाहिर की है, लेकिन थोड़े अलग अंदाज में।उन्होंने एक ट्वीट किया है, जिसमें बताया कि वे ट्विटर को पैसे दे चुके हैं।

अमिताभ बच्चन ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हैंडल पर पोस्ट कर लिखा है, “ T 4623 ए ट्विटर भैया ! सुन रहे हैं ? अब तो पैसे भी भर दिए हैं हम... तो उ जो नील कमल होत है ना, हमार नाम के आगे, उ तो वापस लाई भैया, ताकि लोग जान जायें की हम ही हैं। हाथ तो जोड़ रहे हैं हम। अब का, गोड़वा जोड़े पड़े का ??

अमिताभ का ये ट्वीट तेजी से वायरल हो रहा है। इसपर यूजर्स लगातार अपना रिएक्शन दे रहे हैं।एक ने लिखा, “ ऐसा है.... अब आपको भी लाइन में लगना पड़ेगा और इंतजार करना पड़ेगा। पहले आप जहां खड़े होते थे, लाइन वही से शुरू होती थी।

वहीं, शख्स ने बिग बी की तारीफ करते हुए लिखा- क्या अद्भुत लिखा है अमित अब सुन भी लो। यूजर ने अपना ब्लू टिक फ्लॉन्ट करते हुए बिग बी को चिढ़ाया और लिखा - बच्चन जी हमार तो नहीं गया? तोहर साथ ही साजिश।

बता दें कि ब्लू टिक के गायब होने से अमिताभ के साथ साथ बाकी सेलेब्स का भी यही हाल है।ट्विटर की इस नए फीचर्स के लागू होते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राहुल गांधी, सलमान खान, शाहरुख खान सहित कई सेलिब्रेटी के ब्‍लू ट‍िक हट गए हैं। अम‍िताभ बच्‍चन, व‍िराट कोहली, सच‍िन तेंदुलकर का भी ट्व‍िटर से ब्‍लू ट‍िक हट गया है। इसके अलावा यूपी के बसपा सुप्रीमो मायावती, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी सहित कई द‍िग्‍गजों के ट्विटर अकाउंट से ब्लू टिक हट गया। ट्विटर ने भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा, दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली और पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी का ब्लू टिक हटा दिया। टिक खोने वालों में महानतम बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो भी हैं।

पुंछ में सेना के वाहन पर 7 आतंकियों ने किया था हमला, ड्रोन-हेलीकॉप्टर से खंगाला जा रहा चप्पा-चप्पा

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जम्मू कश्मीर के पुंछ में गुरुवार को हुए आतंकी हमले में सेना के 5 जवान शहीद हो गए। आतंकियों की इस कायराना हरकत के बाद सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी खबर मिली है। बताया जा रहा है कि, हमले के बाद से इस इलाके में पाकिस्तान के 7 आतंकी अलग-अलग ग्रुप में छिपे हुए हैं। इन्होंने ही इस घटना को अंजाम दिया था।जिसके बाद जगह-जगह नाके लगाकर बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान शुरू किया गया है। जंगलों के आसपास लोगों के घरों में भी सेना पूछताछ कर रही है।

सेना और सुरक्षा एजेंसियों को राजौरी-पुंछ सेक्टर में आतंकियों की मौजूदगी के इनपुट भी मिले हैं। रक्षा सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में हुए आतंकी हमले में दो गुटों के सात आतंकवादी शामिल थे। सेना के वाहन पर हमला करने वाले आतंकवादियों ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के राजौरी में सक्रिय आतंकियों की मदद से वारदात को अंजाम दिया।

समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि राजोरी और पुंछ सीमा से सटे भाटादूड़ियां क्षेत्र में सेना व सुरक्षा एजेंसियों को दो समूहों में 6 से 7 आतंकवादियों की मौजूदगी के बारे में सूचना मिली है। ये आतंकी गुरुवार को घात लगाकर भारतीय सेना के वाहन पर हमला करने में शामिल थे, जिसमें 5 जवान शहीद हो गए। आतंकियों के लश्कर-ए-तैयबा या पाकिस्तान से संबंध होने का संदेह है। क्षेत्र में उनके प्रवेश के मार्ग के बारे में अधिक जानकारी का पता लगाया जा रहा है।

सेना ने पूरे इलाके को सीज करके आतंकियों की तलाश करने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया हुआ है। सूत्रों ने कहा कि ड्रोन और निगरानी हेलीकॉप्टरों के साथ कई विशेष बलों की टीमों को इलाके में तलाशी के लिए उतार दिया गया है। सेना, पुलिस और खुफिया एजेंसियों समेत सुरक्षा बल अभियान का समन्वय कर रहे हैं।

इस हमले के बाद अलर्ट मोड पर आई सेना ने बाटा-डोरिया क्षेत्र (जहां पर वारदात हुई) के जंगल में सुरक्षा बलों ने काफी आक्रामक सर्च ऑपरेशन चलाया है। अधिकारियों ने कहा, उन्होंने पूरे इलाके को घेर लिया है और आतंकियो को खोजने के लिए ड्रोन और खोजी कुत्तों का इस्तेमाल कर रहा है। सुरक्षा अधिकारियों के मुताबिक सीमावर्ती राजौरी और पुंछ जिलों में हाई अलर्ट घोषित किया गया है साथ ही नियंत्रण रेखा के पास कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

गोधरा कांडः उम्रकैद की सजा काट रहे आठ दोषियों को राहत, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत

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गुजरात के गोधरा केस में सजायाफ्ता कैदियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दे दी है। गोधरा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे कैदियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। सजा-ए-मौत पाए चार कैदियों को कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है।

सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने गोधरा मामले में दोषियों की जमानत मामले पर फैसला किया। जमानत पाने वाले 8 दोषी आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि बेल की शर्तें पूरी कर बाकी लोगों को जमानत पर रिहा किया जाए।ये सभी दोषी 17 से 20 साल की सजा काट चुके हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को फिलहाल जमानत देने से इनकार कर दिया। इनको निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था। दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने ईद के मद्देनजर इनको जमानत पर रिहा करने की अपील की।

बता दें कि, निचली अदालत ने 11 दोषियों को मौत की सजा, जबकि 20 अन्य को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इस मामले में मौत की सजा को कम करते हुए 31 की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था। इनमें से कुछ ने अपनी दोषसिद्धि और सजा के खिलाफ अपनी अपीलों के निस्तारण तक जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। शुक्रवार को इन दोषियों की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस की कोर्ट ने कहा कि मौत की सजा पाए चार दोषियों को छोड़कर बाकी को जमानत दी जा सकती है।चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की पीठ की ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जमानत की शर्ते निचली अदालत तय करेगी।

बता दें कि 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच में आगजनी के चलते 59 लोगों की मौत हो गई थी। मरने वालों में ज्यादातर कारसेवक थे जो कि अयोध्या से लौट रहे थे। इसके बाद राज्य में सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई थी।इस घटने के ठीक अगले दिन यानी 28 फरवरी को राज्य में बंद बुलाया गया था। इसी बंद के दौरान अहमदाबाद शहर के नरोडा गाम इलाके में हिंसा हुई थी और घटना में कुल 11 लोगों की जान गई थी। इस घटना के बाद पूरे गुजरात में तनाव जैसी स्थिति पैदा हो गई थी।

घटना के करीब नौ साल बाद कोर्ट ने 31 लोगों को दोषी ठहराया था। इसके बाद साल 2011 में एसआईटी कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई जबकि 20 दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी। मामला जब हाई कोर्ट में पहुंचा तो अदालत ने फांसी की सजा पाए दोषियों की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था।