दान में मिली जमीन पर खड़ा सिर्फ एक ढांचा : बगैर भूमि मिले नमक सत्याग्रह स्थल पर लगा उद्घाटन का बोर्ड, किसी को कुछ नहीं पता
बेगूसराय : जिले के गढ़पुरा नमक सत्याग्रह स्थल पर जमीन का अधिग्रहण किए बिना ही भवन निर्माण निगम ने प्रोजेक्ट को पूरा कर लेने का बोर्ड लगा दिया है। विभाग ने प्रोजेक्ट पूरा होने का रिपोर्ट भेजते हुए उक्त स्थल पर बने श्रीकृष्ण मेमोरियल भवन के उद्घाटन का बोर्ड भी वर्ष 2017 में ही लगा दिया है। हालांकि विधिवत उद्घाटन के बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं है। एक करोड़ 61 लाख 8 आठ हजार 798 रुपए की राशि से कार्य प्रारंभ होने की तिथि 07 मार्च 2014 जबकि कार्य समाप्ति की तिथि 06 दिसंबर 2014 का बोर्ड उक्त स्थल पर टंगा है।
यानि नौ महीने में ही ठेकेदार ने श्रीकृष्ण मेमोरियल स्थल पर भवन, स्मारक, म्यूजियम, पुस्तकालय, वाचनालय और पार्क बना दिया। बता दें कि जमीन अधिग्रहण से लेकर पूरा काम में लगभग ढ़ाई करोड़ खर्च होने थे। बता दें कि 26 दिसंबर 2013 को ही जमीन अधिग्रहण को लेकर राज्यपाल के नाम से एक अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें कहा गया था कि 0.71 एकड़ जमीन अधिग्रहित कर ली गई है।
इस तरह होना था काम
दान में मिली जमीन के अलावे कुल 71 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण होना था। नक्शे के अनुसार पूरी जमीन तीन भागों में बंटा है, एक दान की जमीन, जबकि दो जमीन का टुकड़ा अलग है जिसका अधिग्रहण किया जाना था। नक्शे के अनुसार पूरी जमीन के मध्य में श्रीकृष्ण मेमोरियल भवन बनना था। इसके बाद दोनों बगल की जमीन में पार्क, पुस्तकालय, संग्रहालय और वाचनालय बनाना था।
इसके अलावे मेमोरियल भवन का गेट पूरब की तरफ होना था। जबकि वर्तमान स्थिति यह है कि सिर्फ दान वाली जमीन पर एक कंस्ट्रक्शन खड़ा है जिसका मुख्य गेट दक्षिण की तरफ है। जो गलत है, इसके अलावे वहां पर कुछ नहीं बना है, यानी वाचनालय, पुस्तकालय और पार्क फाइल में ही कायम है। हालांकि नक्शा विभाग के अलावे किसी के पास नहीं है।
श्री बाबू की कर्मस्थली है गढ़पुरा
ज्ञात हो कि बिहार केसरी (श्रीकृष्ण सिंह) की कर्मभूमि के गौरवशाली इतिहास का प्रमाण गढ़पुरा नमक सत्याग्रह स्थल है। इस स्थल को पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने के लिए नमक सत्याग्रह गौरव यात्रा समिति कई बार आंदोलन कर चुका है। दांडी यात्रा की तर्ज पर मुंगेर से गढ़पुरा तक हर वर्ष श्री बाबू के जयंती के मौके पर समिति के राष्ट्रीय महासचिव राजीव राजीव कुमार के नेतृत्व में पदयात्रा की जाती है। राजीव कुमार ने बताया कि अधिकारियों की मिलीभगत से मुख्यमंत्री तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की गलत रिपोर्ट पहुंचा दी गई है। हालांकि उन्होंने इस संबंध में शिकायत मुख्यमंत्री के पास भी की है।
क्या-क्या हुआ
22 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री ने शिलान्यास किया।
सात मार्च 2014 को ठेकेदार के अनुसार काम शुरू हुआ।
छह दिसंबर 2014 को कार्य पूरा भी हो गया।
डा. श्रीकृष्ण सिंह की जयंती के अवसर पर 21 अक्टूबर {2017 को इसके उद्घाटन की स्वीकृति प्राप्त कर ली।
इसके बाद एक दिन निर्माण कार्य का बोर्ड भी लगा दिया गया।
22 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री ने किया शिलान्यास
बता दें कि 22 दिसंबर 2013 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गढ़पुरा पहुंचकर श्री बाबू के सम्मान में उक्त निर्माण की आधारशिला रखी थी। लेकिन दस वर्ष बाद भी नमक सत्याग्रह स्थल पर एक इंच जमीन का अधिग्रहण नहीं हो सका है। वहीं ठेकेदार ने दान में मिली जमीन पर मनमाने तरीके से एक स्ट्रक्चर खड़ा कर दिया है। जो मुख्यमंत्री के शिलान्यास किए गए नक्शे व डिजाइन से बिलकुल मेल नहीं खाती है। दरअसल नमक सत्याग्रह स्थल के लिए उक्त स्थल पर पहले से ही चार कट्ठा जमीन दान में मिला हुआ है। जिस नक्शे का शिलान्यास मुख्यमंत्री ने वर्ष 2013 में किया था।
इस संबंध में डीएम रोशन कुशवाहा ने बताया कि इसको लेकर पूर्व में उन्होंने बैठक कर समीक्षा भी की थी। जिसमें जमीन अधिग्रहण को लेकर चर्चा भी की गई थी। उन्होंने बताया कि जमीन अधिग्रहण अभी तक नहीं हुआ है इसलिए योजना कैसे पूरी हो सकती है। दैनिक भास्कर संवाददाता ने जब उन्हें इस बात की जानकारी दी थी बिना जमीन अधिग्रहण के ही वहां योजना पूर्ण होने का बोर्ड लगा दिया गया है तो फोटो भेजने की बात कर आवश्यक पहल की बात कही।
बेगूसराय से नोमानुल हक की रिपोर्ट
Mar 07 2023, 19:49