*दिल्ली एलजी और केजरीवाल सरकार के बीच फिर रार! डिस्कॉम बोर्ड से आप नेताओं को हटाने के दिया आदेश*

#delhilgordersremovalofjasmineshahandotherprivatepersonfromdiscoms 

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उप-राज्यपाल वीके सक्सेना के बीच खींचतान चल रही है। इस बीच विवाद एक बार फिर बढ़ता दिख रहा है। दरअसल, एलजी ने एक और बड़ा फैसला सुनाया है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी की तरफ से नॉमिनेट किये गए प्राइवेट डिसकॉम्स के दो सदस्यों को हटा दिया है।अब उनकी जगह ब्यूरोक्रेंट्स को बोर्ड में नामित किया गया है।

एलजी ने सरकार के नॉमिनी के रूप में प्राइवेट लोगों की नियुक्ति को पूरी तरह गलत और असंवैधानिक बताते हुए इन लोगों को बोर्ड से हटाने का निर्देश दिया है। एलजी सक्सेना के अनुसार डिस्कॉम बोर्ड में आप नेताओं का नामांकन हर रूप में अवैध था क्योंकि कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। एलजी वीके सक्सेना ने आप प्रवक्ता जस्मीन शाह और नवीन एनडी गुप्ता और अन्य निजी व्यक्तियों को निजी स्वामित्व वाली डिस्कॉम- बीवाईपीएल, बीआरपीएल (अनिल अंबानी) और एनबीपीडीसीएल (टाटा) के बोर्ड में सरकार से नामित के रूप में तत्काल हटाने का आदेश दिया है। इनके स्थान पर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति होगी।

8000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाने का आरोप

एलजी ने यह निर्णय 26 सितंबर 2022 को एक शिकायत के आधार पर दिल्ली बिजली विभाग और मुख्य सचिव द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर निर्णय लिया है। आप के इन नेताओं पर आरोप है कि इन्होंने अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली डिस्कॉम्स के बोर्डों में निजी प्रतिनिधियों के साथ सहयोग किया और सरकारी खजाने की कीमत पर 8000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया। एलजी वीके सक्सेना ने इन लोगों को हटाकर इनकी जगह सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त करने का आदेश दिया है, जैसा कि पहले भी किया जाता रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मजाक-आप

एलजी सक्सेना के इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि डिस्कॉम के बोर्ड से जैसमीन शाह और नवीन गुप्ता को हटाने का एलजी का आदेश अवैध और असंवैधानिक है। एलजी के पास ऐसे आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है, केवल निर्वाचित सरकार के पास बिजली पर आदेश जारी करने की शक्ति है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मजाक है

बता दें कि दिल्ली ट्रांसको, जिसे अब डिस्कॉम के रूप में जाना जाता है। तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित ने अपने कार्यकाल ने यह फैसला किया था कि डिस्कॉम में सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसमें वित्त सचिव, ऊर्जा सचिव और एमडी भी होंगे।

*दिल्ली एलजी और केजरीवाल सरकार के बीच फिर रार! डिस्कॉम बोर्ड से आप नेताओं को हटाने के दिया आदेश*

#delhilgordersremovalofjasmineshahandotherprivatepersonfromdiscoms 

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दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और उप-राज्यपाल वीके सक्सेना के बीच खींचतान चल रही है। इस बीच विवाद एक बार फिर बढ़ता दिख रहा है। दरअसल, एलजी ने एक और बड़ा फैसला सुनाया है। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आम आदमी पार्टी की तरफ से नॉमिनेट किये गए प्राइवेट डिसकॉम्स के दो सदस्यों को हटा दिया है।अब उनकी जगह ब्यूरोक्रेंट्स को बोर्ड में नामित किया गया है।

एलजी ने सरकार के नॉमिनी के रूप में प्राइवेट लोगों की नियुक्ति को पूरी तरह गलत और असंवैधानिक बताते हुए इन लोगों को बोर्ड से हटाने का निर्देश दिया है। एलजी सक्सेना के अनुसार डिस्कॉम बोर्ड में आप नेताओं का नामांकन हर रूप में अवैध था क्योंकि कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। एलजी वीके सक्सेना ने आप प्रवक्ता जस्मीन शाह और नवीन एनडी गुप्ता और अन्य निजी व्यक्तियों को निजी स्वामित्व वाली डिस्कॉम- बीवाईपीएल, बीआरपीएल (अनिल अंबानी) और एनबीपीडीसीएल (टाटा) के बोर्ड में सरकार से नामित के रूप में तत्काल हटाने का आदेश दिया है। इनके स्थान पर वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों की नियुक्ति होगी।

8000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाने का आरोप

एलजी ने यह निर्णय 26 सितंबर 2022 को एक शिकायत के आधार पर दिल्ली बिजली विभाग और मुख्य सचिव द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट पर निर्णय लिया है। आप के इन नेताओं पर आरोप है कि इन्होंने अनिल अंबानी के स्वामित्व वाली डिस्कॉम्स के बोर्डों में निजी प्रतिनिधियों के साथ सहयोग किया और सरकारी खजाने की कीमत पर 8000 करोड़ रुपये का लाभ पहुंचाया। एलजी वीके सक्सेना ने इन लोगों को हटाकर इनकी जगह सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को नियुक्त करने का आदेश दिया है, जैसा कि पहले भी किया जाता रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मजाक-आप

एलजी सक्सेना के इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए आम आदमी पार्टी ने कहा कि डिस्कॉम के बोर्ड से जैसमीन शाह और नवीन गुप्ता को हटाने का एलजी का आदेश अवैध और असंवैधानिक है। एलजी के पास ऐसे आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है, केवल निर्वाचित सरकार के पास बिजली पर आदेश जारी करने की शक्ति है। यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का मजाक है

बता दें कि दिल्ली ट्रांसको, जिसे अब डिस्कॉम के रूप में जाना जाता है। तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित ने अपने कार्यकाल ने यह फैसला किया था कि डिस्कॉम में सरकार के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे। इसमें वित्त सचिव, ऊर्जा सचिव और एमडी भी होंगे।