वेटिकन पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पोप को दी श्रद्धांजलि, आज अंतिम संस्कार में होंगी शामिल

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति के साथ अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू, राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष जोशुआ डि'सूजा भी गए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राष्ट्रपति के अकाउंट से किए गए एक पोस्ट में बताया गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वेटिकन सिटी में सेंट पीटर के बेसिलिका में परम पावन पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि अर्पित की। बता दें कि भारत ने पोप के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। मुर्मू वेटिकन सिटी की दो दिनी यात्रा पर हैं।

88 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

पोप का 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में स्ट्रोक और हार्ट फैलियर से निधन हुआ था। अपनी मृत्यु से एक दिन पहले पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे के लिए मौन आशीर्वाद दिया। उन्होंने एक बयान जारी कर गाजा समेत दुनिया भर में चल रहे संघर्ष पर बात की और शांति की अपील की। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा गया था। शुरक्रवार शाम को अंतिम दर्सन के बाद उनके ताबूत को बंद कर दिया गया। पोप का अंतिम संस्कार आज किया जाएगा। अंतिम संस्कार में दुनियाभर के नेता और आम लोग जुटेंगे।

ट्रंप समेत 50 राष्ट्राध्यक्ष अंतिम संस्कार में होंगे शामिल

वेटिकन ने गुरुवार को कहा कि कम से कम 130 विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में शामिल होने की पुष्टि की है, जिसमें 50 राष्ट्राध्यक्ष और 10 राजघराने शामिल हैं। जिन राष्ट्राध्यक्षों और राजघरानों ने अपनी उपस्थिति की पुष्टि की है, उनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन के प्रिंस विलियम, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, स्पेन के राजा फेलिप VI और रानी लेटिजिया और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा शामिल हैं।

वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा पोप का शव

पोप फ्रांसिस को वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा। वे एक सदी से भी ज्यादा वक्त में वेटिकन के बाहर दफन होने वाले पहले पोप होंगे। आमतौर पर पोप को वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे गुफाओं में दफनाया जाता है। लेकिन पोप फ्रांसिस को रोम में टाइबर नदी के दूसरी तरफ मौजूद सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में दफनाया जाएगा।

पोप ने सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में अपने दफन होने का बात का खुलासा दिसंबर 2023 में किया था। उन्होंने बताया था कि वे मैगीगोर बेसिलिका से खास जुड़ाव महसूस करते हैं। वे यहां वर्जिन मैरी के सम्मान में रविवार की सुबह जाते थे। सांता मारिया मैगीगोर में 7 अन्य पोप को भी दफनाया गया है। पोप लियो XIII आखिरी पोप थे जिन्हें वेटिकन से बाहर दफनाया गया था। उनकी मृत्यु 1903 में हुई थी।

शाह और जयशंकर ने की राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात, पहलगाम अटैक के बीच लाल फाइल दे रही खास संकेत

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पहलगाम हमले के बाद केन्द्र सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में है। देश की राजधानी में घटनाएं तेजी से घट रही है। दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है। सर्वदलीय बैठक से पहले अमित शाह और विदेश मंत्री जयशंकर इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।

लाल रंग की फाइलें क्या कह रही?

राष्ट्रपति भवन ने बैठक की एक तस्वीर शेयर करते हुए 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।'

इस तस्वीर में अमित शाह और जयशंकर जब राष्‍ट्रपत‍ि से मुलाकात कर रहे थे तो उनके हाथ में लाल रंग की फाइलें देखी गईं। आमतौर पर सरकारी बैठकों में लाल या हरी रंग फाइलें बेहद संवेदनशील और सीक्रेट डॉक्‍यूमेंट के ल‍िए होती हैं।

पीएम मोदी ने दी चेतावनी

गृहमंत्री और विदेश मंत्री एक साथ राष्ट्रपति से मिलते हैं, खासकर ऐसे समय में जब पीएम ने कड़ा बयान दिया है। गुरूवार को बिहार के मधुबनी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, देश के दुश्मनों ने भारत की आस्था पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र का एक्शन जारी

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमले के बाद बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने कई अहम फैसले लिए हैं। इसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। वहीं अटारी बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है। जबकि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ पाकिस्तान के राजनायिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही सेना को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है।

भारत पहुंचे अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, आज शाम पीएम मोदी से होगी मुलाकात

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अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपने 4 दिवसीय भारत दौरे के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके साथ उनकी भारतीय मूल की पत्नी उषा चिलुकुरी और तीन बच्चे भी आए हैं। वेंस का प्लेन दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जेडी वेंस और उनके परिवार का स्वागत किया। पालम एयरपोर्ट पर वेंस का स्वागत गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया गया।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और उनकी पत्नी उषा वेंस का पालम हवाई अड्डे पर स्वागता किया गया। इसके बाद उनके तीन बच्चे इवान, विवेक, मीराबेल विमान से उतरे। सभी भारतीय परिधानों में नजर आए। बेटों ने कुर्ता-पायजामा पहना था, जबकि बेटी लहंगे में बेहद खूबसूरत लग रही थी। जेडी वेंस खुद अपनी बेटी को उतारने के लिए विमान की सीढ़ियों पर चढ़े और गोद में लेकर चलते रहे, जिसने सबका ध्यान खींचा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल को अमेरिका के सभी कारोबारी साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। हालांकि बाद में ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य सभी देशों पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिन के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद से ही अमेरिकी नेता अलग-अलग देशों के साथ बातचीत कर द्विपक्षीय समझौतों के जरिये इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच वेंस का दौरा काफी अहम माना जा रहा है।

दिल्ली पहुंचने के बाद वेंस और उनका परिवार स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर की ओर रवाना हो गया। उनका काफिला अक्षरधाम मंदिर के सामने से गुजरते हुए देखा गया। मंदिर की प्रवक्ता राधिका शुक्ला ने बताया, वेंस और उषा वेंस सीधे पालम हवाई अड्डे से मंदिर आएंगे। उषा की भारतीय जड़ें हैं। वे पहले भगवान स्वामीनारायण की प्रतिमा के दर्शन करेंगे, फिर मंदिर की स्थापत्य कला देखेंगे। मंदिर के बाहर स्वागति पोस्टर और कड़ी सुरक्षा है। यहां वे पारंपरिक भारतीय दस्तकारी सामान बेचने वाले एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का भी दौरा कर सकते हैं।

कपिल सिब्बल का उपराष्ट्रपति धनखड़ पर पलटवार, बोले- राष्ट्रपति नाम का मुखिया, कोई निजी अधिकार नहीं

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने के फैसले पर सवाल उठाया। अब राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जगदीप धनखड़ की टिप्पणी की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि उपराष्ट्रपति को पता होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ पर कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड हैं और गवर्नर का भी पद ऐसा है।

निष्पक्ष बात करने की सलाह

सिब्बल ने शुक्रवार को कहा, आज अखबारों में मुझे धनखड़ साहब का भाषण पढ़कर दुख और आश्चर्य हुआ। उनको किसी पार्टी के स्पोक्सपर्सन की तरह बात नहीं करनी चाहिए बल्कि निष्पक्ष बात करें। आज पूरे देश में अगर किसी संस्था पर भरोसा किया जाता है तो वह न्यायपालिका है। जब सरकार के कुछ लोगों को न्यायपालिका के फैसले पसंद नहीं आते तो वे आरोप लगाते हैं।जब अच्छी लगे तो वपक्ष से कहते हैं कि कोर्ट का फैसला है।

राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड-सिब्बल

कपिल सिब्बल ने इस पर आगे कहा कि वह उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा, आर्टिकल 142 की शक्ति सुप्रीम कोर्ट को संविधान देता है। राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड हैं। गवर्नर का भी पद ऐसा है। गवर्नर बिल नहीं रोक सकते, राष्ट्रपति को भेजते हैं। राष्ट्रपति कैबिनेट की सलाह और सहयोग से ही काम करते हैं, तो राष्ट्रपति के अधिकार पर सवाल उठाने की बात नहीं है।

सभापति पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम नहीं कर सकते-सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा, न्यायपालिका के अधिकारों पर ऐसे बयान हमला हैं। क्या राष्ट्रपति संसद से पास बिल को अनंत समय तक रोक सकते हैं? ऐसे काम कैसे चलेगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2 जज का हो या 5 जज का, सबको मानना होता है। सभापति सदन में पक्ष-विपक्ष के बीच बैठते हैं, निष्पक्ष होते हैं। किसी पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम नहीं कर सकते।

अनुच्छेद–142 न्यूक्लियर मिसाइल बना, राष्ट्रपति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर भड़के धनखड़

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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति और राज्यपालों को बिलों को मंजूरी देने की समयसीमा तय की थी। इस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे और कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे।

जज 'सुपर संसद' के रूप में काम करेंगे-धनखड़

राज्यसभा के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक हालिया फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें इसे लेकर बेहद संवेदनशील होने की जरूरत है। हमने इस दिन की कल्पना नहीं की थी, जहां राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने के लिए कहा जाएगा और अगर वे फैसला नहीं लेंगे तो कानून बन जाएगा।उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब जज विधायी चीजों पर फैसला करेंगे। वे ही कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और सुपर संसद के रूप में काम करेंगे। उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं होगी क्योंकि इस देश का कानून उन पर लागू ही नहीं होता।

अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल

उपराष्ट्रपति ने कहा, हम ऐसे हालात नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। संविधान का अनुच्छेद 142 के तहत मिले कोर्ट को विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24x7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है। दरअसल, अनुच्छेद 142 भारत के सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय (कम्पलीट जस्टिस) करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है, चाहे वह किसी भी मामले में हो।

जस्टिस यशवंत वर्मा के मिली नगदी का किया जिक्र

उपराष्ट्रपति ने दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा, '14 और 15 मार्च की रात नई दिल्ली में एक जज के घर पर एक घटना हुई। सात दिनों तक किसी को इसके बारे में पता नहीं चला। हमें खुद से सवाल पूछने होंगे। क्या इस देरी को समझा जा सकता है? क्या इसे माफ किया जा सकता है? क्या इससे कुछ बुनियादी सवाल नहीं उठते? किसी भी सामान्य स्थिति में, और सामान्य स्थितियां कानून के शासन को परिभाषित करती हैं - चीजें अलग होतीं। यह केवल 21 मार्च को एक अखबार द्वारा खुलासा किया गया था, जिससे देश के लोग पहले कभी नहीं इतने हैरान हुए।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?

दरअसल, 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के मामले में ऐतिहासिक फैसला लिया था। अदालत ने कहा था कि राज्यपाल को विधानसभा की ओर से भेजे गए बिल पर एक महीने के भीतर फैसला लेना होगा।

इसी फैसले के दौरान अदालत ने राज्यपालों की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए बिल पर भी स्थिति स्पष्ट की। यह ऑर्डर 11 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया। 11 अप्रैल की रात वेबसाइट पर अपलोड किए गए ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 201 का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, राज्यपालों की ओर से भेजे गए बिल के मामले में राष्ट्रपति के पास पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो का अधिकार नहीं है। उनके फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है और न्यायपालिका बिल की संवैधानिकता का फैसला न्यायपालिका करेगी।

कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष? 20 अप्रैल के बाद हो सकता है ऐलान

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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 20 अप्रैल के बाद हो सकता है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के पार्टी अध्यक्षों के नाम भी कुछ दिनों में घोषित किए जा सकते हैं। बीजेपी संगठन चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री आवास पर बुधवार को बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में हुई इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई।

20 अप्रैल के बाद शुरू होगी चुनावी प्रक्रिया

सूत्रों के मुताबिक एक हफ्ते के भीतर पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा हो सकती है। बैठक में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के अध्यक्षों के नामों पर चर्चा हुई है। अगले दो-तीन दिनों में करीब आधा दर्जन राज्यों के अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया 20 अप्रैल के बाद कभी भी शुरू हो सकती है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में क्यों देरी?

जेपी नड्डा जनवरी, 2020 से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक उनका कार्यकाल जनवरी, 2023 में खत्म हो गया, लेकिन लोकसभा चुनाव समेत कई बड़े चुनावों के मद्देनजर उनका कार्यकाल आगे बढ़ा दिया गया। उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाया गया था, ताकि वे लोकसभा चुनाव तक काम कर सकें। अध्यक्ष पद का चुनाव फरवरी 2025 तक पूरा होना था, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के राज्य चुनावों के कारण इसमें देरी हो गई।

आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा

सूत्रों का कहना है कि बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के बीजेपी प्रदेश अध्यक्षों के नामों पर भी चर्चा की गई। अगले 2 से 3 दिन में आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा की जा सकती है। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए बीजेपी एक नए राज्य अध्यक्ष और नई टीम की तलाश में है, जो चुनाव से पहले जिम्मेदारी संभाल सके।

युवा चेहरों को मिल सकता है मौका

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी एक युवा टीम बनाना चाहती है। इसलिए कुछ महासचिवों को बदला जा सकता है और उनकी जगह युवा चेहरों को मौका मिल सकता है। पार्टी भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव कर रही है। इसका मतलब है कि बीजेपी में युवाओं को आगे लाने की तैयारी है। पार्टी चाहती है कि युवा नेता आगे आएं और पार्टी को नई दिशा दें। यह बदलाव बीजेपी को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद करेगा

राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- तीन महीने में हो बिल पर फैसला

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अब राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर फैसला करना होगा। अपनी तरह के पहले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने देश के राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय की है। दरअसल, 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के मामले में ऐतिहासिक फैसला लिया था। अदालत ने कहा था कि राज्यपाल को विधानसभा की ओर से भेजे गए बिल पर एक महीने के भीतर फैसला लेना होगा। इसी फैसले के दौरान अदालत ने राज्यपालों की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए बिल पर भी स्थिति स्पष्ट की।

सुप्रीम कोर्ट का राज्यपाल के मामले में फैसला शुक्रवार को ऑनलाइन अपलोड हो गया है। शीर्ष अदालत की तरफ से तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि की तरफ से राष्ट्रपति के विचार के लिए रोके गए और आरक्षित किए गए 10 विधेयकों को मंजूरी देने और राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए सभी राज्यपालों के लिए समयसीमा निर्धारित की थी। फैसला करने के चार दिन बाद, 415 पृष्ठों का निर्णय शुक्रवार को रात 10.54 बजे शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

फैसले की न्यायिक समीक्षा

शुक्रवार रात वेबसाइट पर अपलोड किए गए ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 201 का हवाला दिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद, 201 के तहत राज्यपालों की ओर से भेजे गए बिल के मामले में राष्ट्रपति के पास पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो का अधिकार नहीं है। उनके फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है और न्यायपालिका बिल की संवैधानिकता का फैसला न्यायपालिका करेगी।

फैसले में देरी के लिए वजह बताना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, कानून की स्थिति यह है कि जहां किसी कानून के तहत किसी शक्ति के प्रयोग के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है, वहां भी उसे उचित समय के भीतर प्रयोग किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति द्वारा शक्तियों का प्रयोग कानून के इस सामान्य सिद्धांत से अछूता नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि अगर राष्ट्रपति किसी विधेयक पर फैसला लेने में तीन महीने से अधिक समय लेते हैं, तो उन्हें देरी के लिए वैलिड वजह बताना चाहिए।

बार-बार लैटा नहीं सकते बिल

अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति किसी बिल को राज्य विधानसभा को संशोधन या पुनर्विचार के लिए वापस भेजते हैं। विधानसभा उसे फिर से पास करती है, तो राष्ट्रपति को उस बिल पर फाइनल डिसीजन लेना होगा और बार-बार बिल को लौटाने की प्रक्रिया रोकनी होगी।

तमिलनाडु सरकार की याचिका के फैसले पर टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर दिए गए अपने फैसले में यह टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के पास लंबित 10 विधेयकों को पारित करने का आदेश दिया। ये विधेयक राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजने के चलते लंबित किए हुए थे। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने 8 अप्रैल को राष्ट्रपति के विचार के लिए दूसरे चरण में 10 विधेयकों को आरक्षित करने के फैसले को अवैध और कानून की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने बिना किसी लाग-लपेट के कहा था कि जहां राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखता है और राष्ट्रपति उस पर अपनी सहमति नहीं देते हैं, तो राज्य सरकार के लिए इस न्यायालय के समक्ष ऐसी कार्रवाई करने का अधिकार खुला रहेगा। संविधान का अनुच्छेद 200 राज्यपाल को अपने समक्ष प्रस्तुत विधेयकों पर अपनी सहमति देने, सहमति नहीं देने या राष्ट्रपति के विचार के लिए उसे आरक्षित रखने का अधिकार देता है।

अमेरिकी टैरिफ का टेंशन होगा दूर! अमेरिका के उपराष्ट्रपति वेंस आ रहे हैं भारत

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने पूरी दुनिया का टेंशन बढ़ा दिया है। हालांकि, फिलहाल टैरिफ पर 90 दिन की रोक से आर्थिक अस्थिरता का दौर शांत हुई है। अमेरिकी टैरिफ को लेकर दुनिया भर में मची उथल-पुथल के बीच अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत दौरे पर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा समेत अन्य रणनीतिक व सामरिक संबंधों पर चर्चा कर सकते हैं।

पीटीआई के मुताबिक, वेंस के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज भी आएंगे, वहीं दोनों नेताओं की 21 अप्रैल को नई दिल्ली में आने की उम्मीद है। शीर्ष सूत्रों ने शुक्रवार रात पीटीआई को बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दोनों 21 अप्रैल से अलग-अलग भारत की यात्रा पर जा सकते हैं। वेंस की यात्रा एक निजी यात्रा होने की संभावना है, हालांकि इस यात्रा के दौरान वह आधिकारिक कार्यों में भी भाग लेंगे।

ट्रंप के टैरिफ आक्रामक रुख को देखते हुए भारत को उम्मीद है कि वेंस का दौरा अहम साबित हो सकता है। पीएम मोदी से वेंस और उनके परिवार के लिए डिनर की मेजबानी करने की उम्मीद है। हालांकि, वेंस की यात्रा मुख्य रूप से व्यक्तिगत है। उनके आगरा और जयपुर जाने की उम्मीद है। उनकी पत्नी उषा वेंस भारतीय मूल की हैं और उनके रिश्तेदार यहां रहते हैं।

ऊषा वेंस के माता-पिता आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे जो बाद में अमेरिका चले गए थे। ऊषा वेंस का जन्म अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुआ है और वो पेशे से वकील हैं। वह अमेरिका के इतिहास में पहली हिंदू अमेरिकन सेकेंड लेडी हैं।

वहीं, अमेरिकी एनएसए माइकल वाल्ट्ज की यात्रा पूरी तरह से व्यावसायिक यात्रा होगी क्योंकि वह अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा स्थिति सहित कई प्रमुख मुद्दों पर व्यापक बातचीत करेंगे।

अन्नामलई के बाद नयनार नागेन्द्रन के हाथों में तमिलनाडु होगी बीजेपी की कमान, निर्विरोध चुने जाने के आसार

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तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में नेतृत्व परिवर्तन होने वाला है। बीजेपी नेता नयनार नागेंद्रन तमिलनाडु बीजेपी के 13वें अध्यक्ष बनने वाले हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस पद के लिए उन्होंने अकेले ही नामांकन भरा है। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में नयनार नागेन्द्रन की नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय से की जाएगी। यह कदम 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की रणनीति और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ संभावित गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में माना जा रहा है।

नागेंद्रन पहले एआईएडीएमके में थे। नागेंद्रन 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन की संभावना के बीच उनका अध्यक्ष बनना महत्वपूर्ण है। बताया गया है कि पूर्व तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने नागेंद्रन के नाम का प्रस्ताव दिया था।

नयनार नागेन्द्रन की यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने वाला है। इसके अलावा राज्य में भी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। तमिलनाडु में बीजेपी अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों में जुटी है। संगठन का मानना है कि नागेन्द्रन के नेतृत्व में पार्टी राज्य में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगी।

नागेन्द्रन को मिलेगी नियमों में छूट?

बीजेपी ने गुरुवार को तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से 4 बजे के बीच नामांकन दाखिल किए गए, जिसमें नागेंद्रन ने भी अपना नामांकन भरा। शनिवार को शाम 5 बजे होने वाली कार्यकारी समिति की बैठक में उनकी नियुक्ति को औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना है। हालांकि, बीजेपी के नियमों के अनुसार अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 10 साल की प्राथमिक सदस्यता की आवश्यकता होती है। नागेंद्रन 2017 में ही पार्टी में शामिल हुए थे। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व इस नियम में छूट दे सकता है, जैसा कि पहले केरल में राजीव चंद्रशेखर के मामले में किया गया था

कौन हैं नयनार नागेंद्रन?

नयनार नागेंद्रन 2001 में पहली बार तिरुनेलवेली सीट से एआईएडीएमके उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था। जयललिता के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके सरकार (2001-06) में उन्होंने परिवहन, उद्योग और बिजली जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले। 2011 में वे फिर से उसी सीट से जीते, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। 2006 और 2016 के विधानसभा चुनावों में वे कुछ वोटों से हार गए थे।

2017 में बीजेपी में शामिल

जयललिता के निधन के बाद नागेंद्रन अगस्त 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2021 में वे फिर से उसी सीट से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीते। इसके बाद उन्हें तमिलनाडु विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाया गया। नागेंद्रन ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी किस्मत आजमाई। उन्होंने रामनाथपुरम और तिरुनेलवेली सीटों से चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए।

बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में राहुल गांधी की एंट्री, राष्ट्रपति को पत्र लिख की ये मांग


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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग के जरिए हुई करीब 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की बहाली को रद्द कर दिया है।बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग की 2016 की शिक्षक और गैर-शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। इससे पहले अप्रैल 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी यही फ़ैसला सुनाया था. उस फ़ैसले को सरकार और सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शिक्षकों की भर्ती रद होने का मामला अब गरमाता जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है।

राहुल ने पत्र में क्या?

राहुल गांधी ने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। राहुल ने अपने पोस्ट में लिखा, मैंने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में हजारों योग्य स्कूल शिक्षकों के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, जिन्होंने न्यायपालिका द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के बाद अपनी नौकरी खो दी है। उन्होंने आगे कहा, 'मैंने उनसे अनुरोध किया है कि वे सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करें कि निष्पक्ष तरीके से चुने गए उम्मीदवारों को जारी रखने की अनुमति दी जाए।

किसी को आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी-ममता बनर्जी

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात की थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित हुए हजारों शिक्षकों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए 'डिप्राइव्ड टीचर्स एसोसिएशन' नामक संगठन बनाया है। संगठन का दावा है कि उसके करीब 15 हजार सदस्य हैं। 

कोर्ट के आदेश के बाद एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मुलाक़ात की इच्छा जताई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इस बैठक में शामिल होने की सहमति दी। सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात के दौरान कहा था कि मैं पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ खड़ी हूं, उनका सम्मान वापस दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी। जब तक मैं जिंदा हूं, किसी को भी आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी।

वेटिकन पहुंची राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पोप को दी श्रद्धांजलि, आज अंतिम संस्कार में होंगी शामिल

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति के साथ अल्पसंख्यक मंत्री किरेन रिजिजू, राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन और गोवा विधानसभा के उपाध्यक्ष जोशुआ डि'सूजा भी गए हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राष्ट्रपति के अकाउंट से किए गए एक पोस्ट में बताया गया कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने वेटिकन सिटी में सेंट पीटर के बेसिलिका में परम पावन पोप फ्रांसिस को श्रद्धांजलि अर्पित की। बता दें कि भारत ने पोप के निधन पर तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। मुर्मू वेटिकन सिटी की दो दिनी यात्रा पर हैं।

88 साल की उम्र में ली आखिरी सांस

पोप का 21 अप्रैल को 88 साल की उम्र में स्ट्रोक और हार्ट फैलियर से निधन हुआ था। अपनी मृत्यु से एक दिन पहले पोप फ्रांसिस ने ईस्टर संडे के लिए मौन आशीर्वाद दिया। उन्होंने एक बयान जारी कर गाजा समेत दुनिया भर में चल रहे संघर्ष पर बात की और शांति की अपील की। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए सेंट पीटर्स बेसिलिका में रखा गया था। शुरक्रवार शाम को अंतिम दर्सन के बाद उनके ताबूत को बंद कर दिया गया। पोप का अंतिम संस्कार आज किया जाएगा। अंतिम संस्कार में दुनियाभर के नेता और आम लोग जुटेंगे।

ट्रंप समेत 50 राष्ट्राध्यक्ष अंतिम संस्कार में होंगे शामिल

वेटिकन ने गुरुवार को कहा कि कम से कम 130 विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में शामिल होने की पुष्टि की है, जिसमें 50 राष्ट्राध्यक्ष और 10 राजघराने शामिल हैं। जिन राष्ट्राध्यक्षों और राजघरानों ने अपनी उपस्थिति की पुष्टि की है, उनमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटेन के प्रिंस विलियम, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, स्पेन के राजा फेलिप VI और रानी लेटिजिया और ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा शामिल हैं।

वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा पोप का शव

पोप फ्रांसिस को वेटिकन में नहीं दफनाया जाएगा। वे एक सदी से भी ज्यादा वक्त में वेटिकन के बाहर दफन होने वाले पहले पोप होंगे। आमतौर पर पोप को वेटिकन सिटी में सेंट पीटर्स बेसिलिका के नीचे गुफाओं में दफनाया जाता है। लेकिन पोप फ्रांसिस को रोम में टाइबर नदी के दूसरी तरफ मौजूद सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में दफनाया जाएगा।

पोप ने सांता मारिया मैगीगोर बेसिलिका में अपने दफन होने का बात का खुलासा दिसंबर 2023 में किया था। उन्होंने बताया था कि वे मैगीगोर बेसिलिका से खास जुड़ाव महसूस करते हैं। वे यहां वर्जिन मैरी के सम्मान में रविवार की सुबह जाते थे। सांता मारिया मैगीगोर में 7 अन्य पोप को भी दफनाया गया है। पोप लियो XIII आखिरी पोप थे जिन्हें वेटिकन से बाहर दफनाया गया था। उनकी मृत्यु 1903 में हुई थी।

शाह और जयशंकर ने की राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात, पहलगाम अटैक के बीच लाल फाइल दे रही खास संकेत

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पहलगाम हमले के बाद केन्द्र सरकार पूरी तरह से एक्शन मोड में है। देश की राजधानी में घटनाएं तेजी से घट रही है। दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की है। सर्वदलीय बैठक से पहले अमित शाह और विदेश मंत्री जयशंकर इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है।

लाल रंग की फाइलें क्या कह रही?

राष्ट्रपति भवन ने बैठक की एक तस्वीर शेयर करते हुए 'एक्स' पर एक पोस्ट में कहा, 'केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।'

इस तस्वीर में अमित शाह और जयशंकर जब राष्‍ट्रपत‍ि से मुलाकात कर रहे थे तो उनके हाथ में लाल रंग की फाइलें देखी गईं। आमतौर पर सरकारी बैठकों में लाल या हरी रंग फाइलें बेहद संवेदनशील और सीक्रेट डॉक्‍यूमेंट के ल‍िए होती हैं।

पीएम मोदी ने दी चेतावनी

गृहमंत्री और विदेश मंत्री एक साथ राष्ट्रपति से मिलते हैं, खासकर ऐसे समय में जब पीएम ने कड़ा बयान दिया है। गुरूवार को बिहार के मधुबनी पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, देश के दुश्मनों ने भारत की आस्था पर हमला करने का दुस्साहस किया है। मैं बहुत स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जिन्होंने यह हमला किया है, उन आतंकियों को और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी बड़ी सजा मिलेगी।

पहलगाम आतंकी हमले के बाद केंद्र का एक्शन जारी

वहीं, जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमले के बाद बुधवार को पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा पर कैबिनेट समिति ने कई अहम फैसले लिए हैं। इसमें पाकिस्तान के साथ सिंधु जल समझौता तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है। वहीं अटारी बॉर्डर को भी बंद कर दिया गया है। जबकि भारत में रह रहे पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ पाकिस्तान के राजनायिकों को भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। इसके साथ ही सेना को हाई अलर्ट पर रहने का निर्देश दिया गया है।

भारत पहुंचे अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, आज शाम पीएम मोदी से होगी मुलाकात

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अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस अपने 4 दिवसीय भारत दौरे के लिए दिल्ली पहुंच गए हैं। उनके साथ उनकी भारतीय मूल की पत्नी उषा चिलुकुरी और तीन बच्चे भी आए हैं। वेंस का प्लेन दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। एयरपोर्ट पर केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जेडी वेंस और उनके परिवार का स्वागत किया। पालम एयरपोर्ट पर वेंस का स्वागत गार्ड ऑफ ऑनर के साथ किया गया।

अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और उनकी पत्नी उषा वेंस का पालम हवाई अड्डे पर स्वागता किया गया। इसके बाद उनके तीन बच्चे इवान, विवेक, मीराबेल विमान से उतरे। सभी भारतीय परिधानों में नजर आए। बेटों ने कुर्ता-पायजामा पहना था, जबकि बेटी लहंगे में बेहद खूबसूरत लग रही थी। जेडी वेंस खुद अपनी बेटी को उतारने के लिए विमान की सीढ़ियों पर चढ़े और गोद में लेकर चलते रहे, जिसने सबका ध्यान खींचा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल को अमेरिका के सभी कारोबारी साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। हालांकि बाद में ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य सभी देशों पर लगाए गए टैरिफ को 90 दिन के लिए स्थगित कर दिया। इसके बाद से ही अमेरिकी नेता अलग-अलग देशों के साथ बातचीत कर द्विपक्षीय समझौतों के जरिये इस मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं। इस बीच वेंस का दौरा काफी अहम माना जा रहा है।

दिल्ली पहुंचने के बाद वेंस और उनका परिवार स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर की ओर रवाना हो गया। उनका काफिला अक्षरधाम मंदिर के सामने से गुजरते हुए देखा गया। मंदिर की प्रवक्ता राधिका शुक्ला ने बताया, वेंस और उषा वेंस सीधे पालम हवाई अड्डे से मंदिर आएंगे। उषा की भारतीय जड़ें हैं। वे पहले भगवान स्वामीनारायण की प्रतिमा के दर्शन करेंगे, फिर मंदिर की स्थापत्य कला देखेंगे। मंदिर के बाहर स्वागति पोस्टर और कड़ी सुरक्षा है। यहां वे पारंपरिक भारतीय दस्तकारी सामान बेचने वाले एक शॉपिंग कॉम्प्लेक्स का भी दौरा कर सकते हैं।

कपिल सिब्बल का उपराष्ट्रपति धनखड़ पर पलटवार, बोले- राष्ट्रपति नाम का मुखिया, कोई निजी अधिकार नहीं

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उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए समयसीमा निर्धारित करने के फैसले पर सवाल उठाया। अब राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जगदीप धनखड़ की टिप्पणी की आलोचना की है। उन्होंने कहा है कि उपराष्ट्रपति को पता होना चाहिए कि राज्यपाल और राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की ‘सहायता और सलाह’ पर कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड हैं और गवर्नर का भी पद ऐसा है।

निष्पक्ष बात करने की सलाह

सिब्बल ने शुक्रवार को कहा, आज अखबारों में मुझे धनखड़ साहब का भाषण पढ़कर दुख और आश्चर्य हुआ। उनको किसी पार्टी के स्पोक्सपर्सन की तरह बात नहीं करनी चाहिए बल्कि निष्पक्ष बात करें। आज पूरे देश में अगर किसी संस्था पर भरोसा किया जाता है तो वह न्यायपालिका है। जब सरकार के कुछ लोगों को न्यायपालिका के फैसले पसंद नहीं आते तो वे आरोप लगाते हैं।जब अच्छी लगे तो वपक्ष से कहते हैं कि कोर्ट का फैसला है।

राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड-सिब्बल

कपिल सिब्बल ने इस पर आगे कहा कि वह उपराष्ट्रपति का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें ऐसा नहीं कहना चाहिए। उन्होंने कहा, आर्टिकल 142 की शक्ति सुप्रीम कोर्ट को संविधान देता है। राष्ट्रपति एक टिट्यूलर हेड हैं। गवर्नर का भी पद ऐसा है। गवर्नर बिल नहीं रोक सकते, राष्ट्रपति को भेजते हैं। राष्ट्रपति कैबिनेट की सलाह और सहयोग से ही काम करते हैं, तो राष्ट्रपति के अधिकार पर सवाल उठाने की बात नहीं है।

सभापति पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम नहीं कर सकते-सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा, न्यायपालिका के अधिकारों पर ऐसे बयान हमला हैं। क्या राष्ट्रपति संसद से पास बिल को अनंत समय तक रोक सकते हैं? ऐसे काम कैसे चलेगा। सुप्रीम कोर्ट का फैसला 2 जज का हो या 5 जज का, सबको मानना होता है। सभापति सदन में पक्ष-विपक्ष के बीच बैठते हैं, निष्पक्ष होते हैं। किसी पार्टी के प्रवक्ता की तरह काम नहीं कर सकते।

अनुच्छेद–142 न्यूक्लियर मिसाइल बना, राष्ट्रपति को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर भड़के धनखड़

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सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते राष्ट्रपति और राज्यपालों को बिलों को मंजूरी देने की समयसीमा तय की थी। इस पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट के एक हालिया आदेश पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थी, जहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे और कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे।

जज 'सुपर संसद' के रूप में काम करेंगे-धनखड़

राज्यसभा के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक हालिया फैसले में राष्ट्रपति को निर्देश दिया गया है। हम कहां जा रहे हैं? देश में क्या हो रहा है? हमें इसे लेकर बेहद संवेदनशील होने की जरूरत है। हमने इस दिन की कल्पना नहीं की थी, जहां राष्ट्रपति को तय समय में फैसला लेने के लिए कहा जाएगा और अगर वे फैसला नहीं लेंगे तो कानून बन जाएगा।उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब जज विधायी चीजों पर फैसला करेंगे। वे ही कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और सुपर संसद के रूप में काम करेंगे। उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं होगी क्योंकि इस देश का कानून उन पर लागू ही नहीं होता।

अनुच्छेद 142 लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल

उपराष्ट्रपति ने कहा, हम ऐसे हालात नहीं बना सकते जहां अदालतें राष्ट्रपति को निर्देश दें। संविधान का अनुच्छेद 142 के तहत मिले कोर्ट को विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24x7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है। दरअसल, अनुच्छेद 142 भारत के सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय (कम्पलीट जस्टिस) करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है, चाहे वह किसी भी मामले में हो।

जस्टिस यशवंत वर्मा के मिली नगदी का किया जिक्र

उपराष्ट्रपति ने दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने की घटना का जिक्र किया। उन्होंने कहा, '14 और 15 मार्च की रात नई दिल्ली में एक जज के घर पर एक घटना हुई। सात दिनों तक किसी को इसके बारे में पता नहीं चला। हमें खुद से सवाल पूछने होंगे। क्या इस देरी को समझा जा सकता है? क्या इसे माफ किया जा सकता है? क्या इससे कुछ बुनियादी सवाल नहीं उठते? किसी भी सामान्य स्थिति में, और सामान्य स्थितियां कानून के शासन को परिभाषित करती हैं - चीजें अलग होतीं। यह केवल 21 मार्च को एक अखबार द्वारा खुलासा किया गया था, जिससे देश के लोग पहले कभी नहीं इतने हैरान हुए।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?

दरअसल, 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के मामले में ऐतिहासिक फैसला लिया था। अदालत ने कहा था कि राज्यपाल को विधानसभा की ओर से भेजे गए बिल पर एक महीने के भीतर फैसला लेना होगा।

इसी फैसले के दौरान अदालत ने राज्यपालों की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए बिल पर भी स्थिति स्पष्ट की। यह ऑर्डर 11 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया। 11 अप्रैल की रात वेबसाइट पर अपलोड किए गए ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 201 का हवाला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, राज्यपालों की ओर से भेजे गए बिल के मामले में राष्ट्रपति के पास पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो का अधिकार नहीं है। उनके फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है और न्यायपालिका बिल की संवैधानिकता का फैसला न्यायपालिका करेगी।

कौन होगा भाजपा का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष? 20 अप्रैल के बाद हो सकता है ऐलान

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बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 20 अप्रैल के बाद हो सकता है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के पार्टी अध्यक्षों के नाम भी कुछ दिनों में घोषित किए जा सकते हैं। बीजेपी संगठन चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री आवास पर बुधवार को बैठक हुई। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा गृहमंत्री अमित शाह, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बीएल संतोष मौजूद रहे। प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई में हुई इस बैठक में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी चर्चा हुई।

20 अप्रैल के बाद शुरू होगी चुनावी प्रक्रिया

सूत्रों के मुताबिक एक हफ्ते के भीतर पार्टी अध्यक्ष के चुनाव की घोषणा हो सकती है। बैठक में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों के अध्यक्षों के नामों पर चर्चा हुई है। अगले दो-तीन दिनों में करीब आधा दर्जन राज्यों के अध्यक्षों की घोषणा हो सकती है। इसके बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया 20 अप्रैल के बाद कभी भी शुरू हो सकती है।

राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में क्यों देरी?

जेपी नड्डा जनवरी, 2020 से राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। पार्टी संविधान के मुताबिक उनका कार्यकाल जनवरी, 2023 में खत्म हो गया, लेकिन लोकसभा चुनाव समेत कई बड़े चुनावों के मद्देनजर उनका कार्यकाल आगे बढ़ा दिया गया। उनका कार्यकाल जून 2024 तक बढ़ाया गया था, ताकि वे लोकसभा चुनाव तक काम कर सकें। अध्यक्ष पद का चुनाव फरवरी 2025 तक पूरा होना था, लेकिन हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली के राज्य चुनावों के कारण इसमें देरी हो गई।

आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा

सूत्रों का कहना है कि बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों के बीजेपी प्रदेश अध्यक्षों के नामों पर भी चर्चा की गई। अगले 2 से 3 दिन में आधा दर्जन प्रदेश अध्यक्षों के नामों की घोषणा की जा सकती है। पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए बीजेपी एक नए राज्य अध्यक्ष और नई टीम की तलाश में है, जो चुनाव से पहले जिम्मेदारी संभाल सके।

युवा चेहरों को मिल सकता है मौका

पार्टी सूत्रों का कहना है कि बीजेपी एक युवा टीम बनाना चाहती है। इसलिए कुछ महासचिवों को बदला जा सकता है और उनकी जगह युवा चेहरों को मौका मिल सकता है। पार्टी भविष्य को ध्यान में रखते हुए यह बदलाव कर रही है। इसका मतलब है कि बीजेपी में युवाओं को आगे लाने की तैयारी है। पार्टी चाहती है कि युवा नेता आगे आएं और पार्टी को नई दिशा दें। यह बदलाव बीजेपी को भविष्य के लिए तैयार करने में मदद करेगा

राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- तीन महीने में हो बिल पर फैसला

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अब राष्ट्रपति को राज्यपालों द्वारा भेजे गए विधेयकों पर तीन महीने के भीतर फैसला करना होगा। अपनी तरह के पहले फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने देश के राष्ट्रपति के लिए भी समय सीमा तय की है। दरअसल, 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के मामले में ऐतिहासिक फैसला लिया था। अदालत ने कहा था कि राज्यपाल को विधानसभा की ओर से भेजे गए बिल पर एक महीने के भीतर फैसला लेना होगा। इसी फैसले के दौरान अदालत ने राज्यपालों की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए बिल पर भी स्थिति स्पष्ट की।

सुप्रीम कोर्ट का राज्यपाल के मामले में फैसला शुक्रवार को ऑनलाइन अपलोड हो गया है। शीर्ष अदालत की तरफ से तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि की तरफ से राष्ट्रपति के विचार के लिए रोके गए और आरक्षित किए गए 10 विधेयकों को मंजूरी देने और राज्य विधानसभाओं द्वारा पारित विधेयकों पर कार्रवाई करने के लिए सभी राज्यपालों के लिए समयसीमा निर्धारित की थी। फैसला करने के चार दिन बाद, 415 पृष्ठों का निर्णय शुक्रवार को रात 10.54 बजे शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

फैसले की न्यायिक समीक्षा

शुक्रवार रात वेबसाइट पर अपलोड किए गए ऑर्डर में सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 201 का हवाला दिया। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि अनुच्छेद, 201 के तहत राज्यपालों की ओर से भेजे गए बिल के मामले में राष्ट्रपति के पास पूर्ण वीटो या पॉकेट वीटो का अधिकार नहीं है। उनके फैसले की न्यायिक समीक्षा की जा सकती है और न्यायपालिका बिल की संवैधानिकता का फैसला न्यायपालिका करेगी।

फैसले में देरी के लिए वजह बताना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा, कानून की स्थिति यह है कि जहां किसी कानून के तहत किसी शक्ति के प्रयोग के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है, वहां भी उसे उचित समय के भीतर प्रयोग किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 201 के तहत राष्ट्रपति द्वारा शक्तियों का प्रयोग कानून के इस सामान्य सिद्धांत से अछूता नहीं कहा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने फैसला सुनाया कि अगर राष्ट्रपति किसी विधेयक पर फैसला लेने में तीन महीने से अधिक समय लेते हैं, तो उन्हें देरी के लिए वैलिड वजह बताना चाहिए।

बार-बार लैटा नहीं सकते बिल

अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति किसी बिल को राज्य विधानसभा को संशोधन या पुनर्विचार के लिए वापस भेजते हैं। विधानसभा उसे फिर से पास करती है, तो राष्ट्रपति को उस बिल पर फाइनल डिसीजन लेना होगा और बार-बार बिल को लौटाने की प्रक्रिया रोकनी होगी।

तमिलनाडु सरकार की याचिका के फैसले पर टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर दिए गए अपने फैसले में यह टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि के पास लंबित 10 विधेयकों को पारित करने का आदेश दिया। ये विधेयक राज्यपाल ने राष्ट्रपति के पास विचारार्थ भेजने के चलते लंबित किए हुए थे। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने 8 अप्रैल को राष्ट्रपति के विचार के लिए दूसरे चरण में 10 विधेयकों को आरक्षित करने के फैसले को अवैध और कानून की दृष्टि से त्रुटिपूर्ण करार देते हुए खारिज कर दिया। कोर्ट ने बिना किसी लाग-लपेट के कहा था कि जहां राज्यपाल किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखता है और राष्ट्रपति उस पर अपनी सहमति नहीं देते हैं, तो राज्य सरकार के लिए इस न्यायालय के समक्ष ऐसी कार्रवाई करने का अधिकार खुला रहेगा। संविधान का अनुच्छेद 200 राज्यपाल को अपने समक्ष प्रस्तुत विधेयकों पर अपनी सहमति देने, सहमति नहीं देने या राष्ट्रपति के विचार के लिए उसे आरक्षित रखने का अधिकार देता है।

अमेरिकी टैरिफ का टेंशन होगा दूर! अमेरिका के उपराष्ट्रपति वेंस आ रहे हैं भारत

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ ने पूरी दुनिया का टेंशन बढ़ा दिया है। हालांकि, फिलहाल टैरिफ पर 90 दिन की रोक से आर्थिक अस्थिरता का दौर शांत हुई है। अमेरिकी टैरिफ को लेकर दुनिया भर में मची उथल-पुथल के बीच अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत दौरे पर आ रहे हैं। कहा जा रहा है कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा समेत अन्य रणनीतिक व सामरिक संबंधों पर चर्चा कर सकते हैं।

पीटीआई के मुताबिक, वेंस के साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल वाल्ट्ज भी आएंगे, वहीं दोनों नेताओं की 21 अप्रैल को नई दिल्ली में आने की उम्मीद है। शीर्ष सूत्रों ने शुक्रवार रात पीटीआई को बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दोनों 21 अप्रैल से अलग-अलग भारत की यात्रा पर जा सकते हैं। वेंस की यात्रा एक निजी यात्रा होने की संभावना है, हालांकि इस यात्रा के दौरान वह आधिकारिक कार्यों में भी भाग लेंगे।

ट्रंप के टैरिफ आक्रामक रुख को देखते हुए भारत को उम्मीद है कि वेंस का दौरा अहम साबित हो सकता है। पीएम मोदी से वेंस और उनके परिवार के लिए डिनर की मेजबानी करने की उम्मीद है। हालांकि, वेंस की यात्रा मुख्य रूप से व्यक्तिगत है। उनके आगरा और जयपुर जाने की उम्मीद है। उनकी पत्नी उषा वेंस भारतीय मूल की हैं और उनके रिश्तेदार यहां रहते हैं।

ऊषा वेंस के माता-पिता आंध्र प्रदेश के रहने वाले थे जो बाद में अमेरिका चले गए थे। ऊषा वेंस का जन्म अमेरिका के कैलिफोर्निया में हुआ है और वो पेशे से वकील हैं। वह अमेरिका के इतिहास में पहली हिंदू अमेरिकन सेकेंड लेडी हैं।

वहीं, अमेरिकी एनएसए माइकल वाल्ट्ज की यात्रा पूरी तरह से व्यावसायिक यात्रा होगी क्योंकि वह अपने भारतीय वार्ताकारों के साथ इंडो-पैसिफिक में सुरक्षा स्थिति सहित कई प्रमुख मुद्दों पर व्यापक बातचीत करेंगे।

अन्नामलई के बाद नयनार नागेन्द्रन के हाथों में तमिलनाडु होगी बीजेपी की कमान, निर्विरोध चुने जाने के आसार

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तमिलनाडु भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) में नेतृत्व परिवर्तन होने वाला है। बीजेपी नेता नयनार नागेंद्रन तमिलनाडु बीजेपी के 13वें अध्यक्ष बनने वाले हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस पद के लिए उन्होंने अकेले ही नामांकन भरा है। तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के रूप में नयनार नागेन्द्रन की नियुक्ति की आधिकारिक घोषणा दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय से की जाएगी। यह कदम 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी की रणनीति और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) के साथ संभावित गठबंधन को मजबूत करने की दिशा में माना जा रहा है।

नागेंद्रन पहले एआईएडीएमके में थे। नागेंद्रन 2017 में बीजेपी में शामिल हुए थे। बीजेपी और एआईएडीएमके के बीच गठबंधन की संभावना के बीच उनका अध्यक्ष बनना महत्वपूर्ण है। बताया गया है कि पूर्व तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने नागेंद्रन के नाम का प्रस्ताव दिया था।

नयनार नागेन्द्रन की यह नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होने वाला है। इसके अलावा राज्य में भी अगले साल विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। तमिलनाडु में बीजेपी अपनी स्थिति को मजबूत करने के प्रयासों में जुटी है। संगठन का मानना है कि नागेन्द्रन के नेतृत्व में पार्टी राज्य में अधिक प्रभावशाली भूमिका निभा सकेगी।

नागेन्द्रन को मिलेगी नियमों में छूट?

बीजेपी ने गुरुवार को तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष और राष्ट्रीय परिषद के सदस्यों के लिए चुनाव की अधिसूचना जारी की थी। शुक्रवार को दोपहर 2 बजे से 4 बजे के बीच नामांकन दाखिल किए गए, जिसमें नागेंद्रन ने भी अपना नामांकन भरा। शनिवार को शाम 5 बजे होने वाली कार्यकारी समिति की बैठक में उनकी नियुक्ति को औपचारिक रूप दिए जाने की संभावना है। हालांकि, बीजेपी के नियमों के अनुसार अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार को कम से कम 10 साल की प्राथमिक सदस्यता की आवश्यकता होती है। नागेंद्रन 2017 में ही पार्टी में शामिल हुए थे। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व इस नियम में छूट दे सकता है, जैसा कि पहले केरल में राजीव चंद्रशेखर के मामले में किया गया था

कौन हैं नयनार नागेंद्रन?

नयनार नागेंद्रन 2001 में पहली बार तिरुनेलवेली सीट से एआईएडीएमके उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीता था। जयललिता के नेतृत्व वाली एआईएडीएमके सरकार (2001-06) में उन्होंने परिवहन, उद्योग और बिजली जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले। 2011 में वे फिर से उसी सीट से जीते, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। 2006 और 2016 के विधानसभा चुनावों में वे कुछ वोटों से हार गए थे।

2017 में बीजेपी में शामिल

जयललिता के निधन के बाद नागेंद्रन अगस्त 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2021 में वे फिर से उसी सीट से बीजेपी उम्मीदवार के रूप में जीते। इसके बाद उन्हें तमिलनाडु विधानसभा में विधायक दल का नेता बनाया गया। नागेंद्रन ने 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में भी किस्मत आजमाई। उन्होंने रामनाथपुरम और तिरुनेलवेली सीटों से चुनाव लड़ा, लेकिन वे जीत नहीं पाए।

बंगाल शिक्षक भर्ती मामले में राहुल गांधी की एंट्री, राष्ट्रपति को पत्र लिख की ये मांग


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सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में स्कूल सेवा आयोग के जरिए हुई करीब 25,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षकों की बहाली को रद्द कर दिया है।बीते गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल सेवा आयोग की 2016 की शिक्षक और गैर-शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए तीन महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का आदेश दिया। इससे पहले अप्रैल 2023 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने भी यही फ़ैसला सुनाया था. उस फ़ैसले को सरकार और सेवा आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। शिक्षकों की भर्ती रद होने का मामला अब गरमाता जा रहा है। इस बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखी है। राहुल गांधी ने इस मामले में राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की मांग की है।

राहुल ने पत्र में क्या?

राहुल गांधी ने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया। राहुल ने अपने पोस्ट में लिखा, मैंने भारत की माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल में हजारों योग्य स्कूल शिक्षकों के मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, जिन्होंने न्यायपालिका द्वारा शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने के बाद अपनी नौकरी खो दी है। उन्होंने आगे कहा, 'मैंने उनसे अनुरोध किया है कि वे सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाने का आग्रह करें कि निष्पक्ष तरीके से चुने गए उम्मीदवारों को जारी रखने की अनुमति दी जाए।

किसी को आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी-ममता बनर्जी

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को राज्य के बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात की थी। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से प्रभावित हुए हजारों शिक्षकों ने अपने अधिकारों की लड़ाई के लिए 'डिप्राइव्ड टीचर्स एसोसिएशन' नामक संगठन बनाया है। संगठन का दावा है कि उसके करीब 15 हजार सदस्य हैं। 

कोर्ट के आदेश के बाद एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु से मुलाक़ात की इच्छा जताई थी, लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने खुद इस बैठक में शामिल होने की सहमति दी। सोमवार को नेताजी इंडोर स्टेडियम में ममता बनर्जी ने बर्खास्त शिक्षकों से मुलाकात के दौरान कहा था कि मैं पश्चिम बंगाल में नौकरी गंवाने वाले शिक्षकों के साथ खड़ी हूं, उनका सम्मान वापस दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगी। जब तक मैं जिंदा हूं, किसी को भी आपकी नौकरियां नहीं छीनने दूंगी।