पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार का एक्शन जारी, आज सर्वदलीय बैठक में क्या होगा फैसला?

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरा देश बदला मांग रहा है। मंगलवार को हुए इस हमले में 28 लोगों की जान चली गई। इस घटना को लेकर बुधवार को पीएम मोदी के नेतृत्व में सीसीएस की बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान पर तगड़ा एक्शन लिया गया। पाकिस्तानी राजदूत को देर रात तलब किया गया। वहीं, पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर गुरुवार यानी आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।

राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बैठक

केंद्र सरकार पहलगाम आतंकी हमले पर राजनीतिक नेताओं को जानकारी देने और इस मामले पर उनकी राय जानने के लिए गुरुवार शाम को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से स्थिति पर महत्वपूर्ण अपडेट देने की उम्मीद है।

क्या अब होगी सैन्य कार्रवाई?

सूत्रों ने बताया कि राजनाथ के साथ सीडीएस व तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुखों की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ उठाए जा सकने वाले सैन्य कदमों पर चर्चा हुई। बाद में राजनाथ ने इन कदमों की जानकारी सीसीएस बैठक में पीएम मोदी व अन्य मंत्रियों के साथ साझा की। राजनयिक कदमों के अलावा पाकिस्तान को जल्द ही किसी सैन्य कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।

राहुल गांधी ने बैठक में होंगे शामिल

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तमाम नेता अपने कार्यक्रम रद्द कर रहे हैं। पीएम मोदी के सऊदी यात्रा बीच में छोड़कर भारत वापस आने का बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी अमेरिका यात्रा बीत में खत्म कर दिल्ली वापस लौट आए हैं। राहुल गांधी आज होने वाली सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेंगे।

राहुल के भारत वापस लौटने की जानकारी कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दी। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी ने अमेरिका की अपनी आधिकारिक यात्रा बीच में ही छोड़ दी है।

28 लोगों की दर्दनाक मौत

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम शहर के निकट ‘मिनी स्विटरलैंड’ नाम से मशहूर पर्यटन स्थल पर मंगलवार दोपहर हुए आतंकवादी हमले में 28 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक हैं। यह 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे घातक हमला है। 28 मृतकों में दो विदेशी और दो स्थानीय निवासी हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस आतंकी हमले को 'हाल के वर्षों में आम लोगों पर हुए किसी भी हमले से कहीं बड़ा' हमला बताया। अधिकारियों ने बताया कि यह हमला ऐसे समय हुआ है जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की यात्रा पर हैं।

यूसीसी लागू करने की तैयारी में मोदी सरकार, बीजेपी ने वीडियो जारी कर बताया प्लान

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आने वाले महीने यानी मई में केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने वाले हैं। जहां विपक्ष ने 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार को कमजोर बताया था, वहीं बीजेपी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर इस एक साल की प्रमुख उपलब्धियों को जनता के सामने रखा है। पार्टी ने साफ तौर पर संदेश दिया है कि "मोदी 3.0" न तो धीमा है, न ही दबाव में।

बीजेपी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की उपलब्धियों को दिखाया गया है। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे विपक्ष के आरोपों के उलट, सरकार ने बीते 12 महीनों में कई सख्त और साहसिक कदम उठाए हैं। वीडियो का टाइटल दिया गया है- Big Moves Under Modi 3.0 The journey’s just begun...।

वीडियो में सरकार के कई बड़े फैसलों का भी जिक्र है। बीजेपी के अनुसार, नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल। मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी, पीएनबी घोटाले के आरोपी को बेल्जियम में पकड़ा गया। तहव्वुर राणा (26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड) को भारत प्रत्यर्पित किया गया। रॉबर्ट वाड्रा से जमीन घोटाले में ईडी की पूछताछ। संसद में वक्फ (संशोधन) बिल पास हुआ। दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों में शानदार सफलता हासिल की।

वीडियो में यह भी संकेत दिया गया कि सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में काम कर रही है। बीजेपी के यूनिफॉर्म सिविल कोड लोडिंग...वीडियो जारी कर संकेत दिया है कि यूसीसी को जल्द ही लागू किया जा सकता है।

12 साल से कम उम्र के बच्चों को हज करने की इजाजत नहीं, 291 भारतीय बच्चों का वीजा रिजेक्ट

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सऊदी अरब ने इस साल होने वाले हज के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। हज की तैयारी के तहत सऊदी के गृह मंत्रालय ने हाजियों लिए नए नियम जारी किए हैं। हज यात्रा के नियमों में बदलाव का असर बच्चों को झेलना पड़ेगा। इस साल हज यात्रा की ख्वाहिश रखने वाले 12 साल से कम उम्र के बच्चों को झटका लगा है। सऊदी अरब सरकार ने इस आयु वर्ग के बच्चों को वीजा जारी करने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते भारत के 291 बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।

क्यों नहीं दी गई बच्चों को इजाजत?

हर साल लाखों की तादाद में तीर्थयात्री हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। इस मौके पर कई लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी लेकर जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई है। सऊदी सरकार ने यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को देख कर लिया है। हज 2024 में भारी भीड़ जुटी थी और हीटवेव के चलते लगभग 1200 लोगों की मौत दर्ज की थी। इसी के बाद से इन हालातों को देखने के बाद सऊदी अरब ने नियमों में कुछ बदलाव किए।

भारतीय हज समिति ने 13 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर सऊदी सरकार के फैसले को सूचित किया है। इसी के साथ हज समिति ने घोषणा की है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हज के लिए किए गए भुगतान को वापस किया जाएगा। इसी के साथ जानकारी दी गई कि सऊदी अरब के निर्णय के चलते 291 आवेदक बच्चों का हज आवेदन रद्द कर दिया गया है।

मक्का आने वालों की बढ़ेगी निगरानी

सऊदी सरकार ने कहा है कि 23 अप्रैल से मक्का में आने-जाने पर कड़ी निगरानी शुरू की जाएगी। मक्का में एंट्री करने के लिए काम करने का परमिट, मक्का का पहचान पत्र या हज का परमिट दिखाना जरूरी होगा। इनके अलावा किसी को एंट्री नहीं मिलेगी। सऊदी अरब में रहने वाले विदेशी नागरिक, जो मक्का में नहीं रहते हैं, उन्हें भी मक्का में आने के लिए परमिट लेना होगा। टूरिस्ट वीजा पर आए विदेशियों या देश के दूसरे हिस्से से आए लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन हज में शामिल होने से रोकने के लिए ये नियम बनाए गए हैं।

स्थानीय और विदेशी नागरिकों पर विशेष निगरानी

सऊदी सरकार इस बार स्थानीय और विदेशी दोनों नागरिकों की मक्का यात्रा पर कड़ी निगरानी रखेगी। विशेष रूप से मक्का के गैर-निवासी विदेशी नागरिकों को भी परमिट लेना जरूरी होगा। देश के अन्य शहरों से मक्का आने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाएगी। बिना अनुमति के किसी भी गतिविधि को नियम उल्लंघन माना जाएगा। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि हज के दौरान लाखों लोग मक्का आते हैं, और हर साल किसी न किसी कारणवश अव्यवस्था की स्थिति बनती है। इसलिए सरकार पहले से तैयार रहना चाहती है।

वक्‍फ कानून को लेकर केंद्र भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें पूरा मामला

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वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा राजनेताओं की याचिकाएं शामिल हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। इस बीच केंद्र सरकार भी वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। सरकार की ओर से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग रखी गई है।कैविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।

क्या है कैविएट का मतलब?

"केवियट" एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है "सावधान"। दरअसल, "केवियट" एक कानूनी नोटिस है जो किसी एक पार्टी द्वारा दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में कोई आदेश या निर्णय दिए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। सिविल प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 148-ए में कैविएट दर्ज करने का प्रावधान है। कैविएट याचिका दाखिल करने या दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कैविएटर कहा जाता है। यानी वक्फ कानून को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार कैविएटर है।

कैविएट याचिका कौन दाखिल कर सकता है?

कैविएट किसी भी व्यक्ति द्वारा दाखिल किया जा सकता है जो किसी आवेदन पर पारित होने वाले अंतरिम आदेश से प्रभावित होने वाला है, जिसके किसी न्यायालय में दायर या दायर होने वाले किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किए जाने की संभावना है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त आवेदन की सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा करता है, वह इसके संबंध में कैविएट दाखिल कर सकता है।

कैविएट कब दर्ज की जा सकती है?

कोर्ट में सामान्यतः निर्णय सुनाए जाने या आदेश पारित होने के बाद कैविएट दर्ज की जा सकती है। सीपीसी की धारा 148-ए के प्रावधान केवल उन मामलों में लागू हो सकते हैं, जहां आवेदन पर कोई आदेश दिए जाने या दायर किए जाने के प्रस्ताव से पहले कैविएटर को सुनवाई का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कैविएट का कोई फार्मेट निर्धारित नहीं किया गया है, इसलिए इसे एक याचिका के रूप में दायर किया जा सकता है।

वक्फ कानून के खिलाफ दर्जनभर याचिकाएं दायर

बता दें कि वक्फ विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कुल 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, इन याचिकाओं में नए बनाए गए कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था 'समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। याचिका दायर करने वाले वकीलों ने बताया कि याचिकाएं 15 अप्रैल को एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है। हालांकि अभी तक यह शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर नहीं दिखाई दे रहा है।

20 जवानों की शहादत का सेलिब्रेशन...”विक्रम मिस्री के चीनी दूतावास जानें पर जमकर बरसे राहुल गांधी

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संसद में इन दिनों वक्फ संशोधन बिल को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बीच गुरूवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चीनी कब्जे का मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने चीन के राजदूत के साथ विदेश सचिव के केक काटने को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला। लोकसभा में राहुल गांधी ने सवाल दागा कि चीनी दूतावास में क्या हमारे सैनिकों की शहादत का केक काटने गए थे विक्रम मिसरी।

राहुल गांधी ने कहा, चीन ने चार हजार किलोमीटर ले लिए, बीस जवान शहीद हुए, लेकिन विदेश सचिव चीन के राजदूत के साथ केक काट रहे हैं। चीनी दूतावास में क्या हमारे सैनिकों की शहादत का केक काटने गए थे विक्रम मिसरी। बता दें कि केक काटने वाली एक फोटो चीन के एंबेसडर ने 1 अप्रैल को पोस्ट की थी।

एलएसी की स्थिति पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, यथास्थिति बनी रहनी चाहिए और हमें अपनी जमीन वापस मिलनी चाहिए। मुझे यह भी पता चला है कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने चीन को पत्र लिखा है। हमें यह बात अपने लोगों से नहीं बल्कि चीनी राजदूत से पता चल रही है जो यह बात कह रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया और दावा किया कि चीन ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है, जिस पर सरकार चुप्पी साधे हुए है। इससे सदन में तीखी बहस छिड़ गई। राहुल का बयान उस संदर्भ में है, जब हाल ही में भारत और चीन के संबंध के 75 साल पूरे हुए और इसके अवसर पर चीनी दूतावास में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें भारत की ओर से विदेश सचिव विक्रम मिस्री शामिल हुए थे।

“कौन चीन के अधिकारियों के साथ चाइनीज सूप पी रहा था?”

वहीं, अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि अक्साई चिन किसकी सरकार में चीन के पास गया है। तब हिंदी चीनी भाई-भाई कहते रहे और आपकी पीठ में छुरा खोंपा गया। डोकलाम की घटना के समय कौन चीन के अधिकारियों के साथ चाइनीज सूप पी रहा था और सेना के जवान के साथ खड़े नहीं हुए।

राजीव गांधी फाउंडेशन पर भी उठाया सवाल

अनुराग ठाकुर ने आगे कहा, जिस संस्था ने चीन के अधिकारियों से पैसा लिया था, क्या राजीव गांधी फाउंडेशन ने पैसा नहीं लिया है, क्यों लिया गया वो पैसा। डोकलाम के समय में चीन को मुंह तोड़ जबाव दिया गया था और रक्षामंत्री के साथ साथ पीएम भी सीमा के जवानों के साथ खड़े थे। हम कह सकते हैं कि एक इंच जमीन भी पीएम मोदी के समय में चीन के हाथ में नहीं गई है। इन लोगों को जवाब देना होगा कि राजीव फाउंडेशन ने पैसा क्यों लिया था?

सांसदों के वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी, जानें अब कितनी होगी सैलरी

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केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में इजाफे का ऐलान किया है। केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में 24 प्रतिशत की वृद्धि की सूचना दी है। 1 अप्रैल 2023 से सांसदों को एक लाख की जगह 1.24 लाख रुपये वेतन के तौर पर मिलेंगे। सरकार की ओर से सांसदों की पेंशन और भत्ता में भी इजाफा किया गया है।

संसदीय कार्य मंत्रालय ने सोमवार को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया। नोटिफिकेशन के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों का वेतन 1 लाख रुपये से बढ़कर 1.24 लाख रुपये प्रति माह हो गया है। वहीं, दैनिक भत्ता 2,000 रुपये से बढ़कर 2,500 रुपये हो गया है।

नए वेतन और भत्ते इस प्रकार हैं:

सांसदों का मासिक वेतन

पहले: ₹1,00,000 प्रति माह

अब: ₹1,24,000 प्रति माह

दैनिक भत्ता (संसद सत्र के दौरान बैठकों में भाग लेने पर)

पहले: ₹2,000 प्रति दिन

अब: ₹2,500 प्रति दिन

पूर्व सांसदों की मासिक पेंशन

पहले: ₹25,000 प्रति माह

अब: ₹31,000 प्रति माह

अतिरिक्त पेंशन (पांच वर्ष की सेवा से अधिक के प्रत्येक वर्ष के लिए)

पहले: ₹2,000 प्रति माह

अब: ₹2,500 प्रति माह

सरकार ने सैलरी में ये बढ़ोतरी महंगाई को ध्यान में रखते हुए की है, जिससे सांसदों को काफी मदद मिलेगी। इसपर सरकार का कहना है कि यह सैलरी इजाफा पिछले 5 सालों में बढ़ी महंगाई को देखते हुए की गई है। आरबीआई द्वारा निर्धारित महंगाई दर और लागत सूचकांक के आधार पर यह बदलाव किया गया है। इसका लाभ वर्तमान और पूर्व सांसदों को मिलेगा।

इससे पहले, सांसदों के वेतन और भत्तों में बदलाव अप्रैल 2018 में किया गया था।2018 में सांसदों का मूल वेतन 1 लाख रुपये महीना तय किया गया था। इसका मकसद था कि उनकी सैलरी महंगाई और जीवन यापन की बढ़ती लागत के हिसाब से हो। 2018 के बदलाव के अनुसार, सांसदों को अपने क्षेत्र में ऑफिस चलाने और लोगों से मिलने-जुलने के लिए 70 हजार रुपये का भत्ता मिलता है। इसके अलावा, उन्हें ऑफिस के खर्च के लिए 60 हजार रुपये महीना और संसद सत्र के दौरान हर दिन 2 हजार रुपये का भत्ता मिलता है। अब इन भत्तों में भी बढ़ोतरी की जाएगी।

एलन मस्क की कंपनी 'एक्स' ने किया भारत सरकार पर मुकदमा, जानें पूरा मामला

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एलन मस्क की कंपनी एक्स कॉर्प ने भारत सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) की धारा 79(3)(बी) को चुनौती दी गई है। कंपनी का आरोप है कि यह नियम सरकार को अनुचित और गैरकानूनी सेंसरशिप लागू करने की शक्ति देता है, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संचालन पर गंभीर असर पड़ रहा है। एक्स का तर्क है कि यह नियम सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन करता है और ऑनलाइन स्वतंत्र अभिव्यक्ति को कमजोर करता है।

आईटी एक्ट की धारा 79(3)(बी) के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह कुछ खास परिस्थितियों में इंटरनेट पर मौजूद कंटेंट को हटाने या ब्लॉक करने का आदेश दे सकती है। यदि कोई प्लेटफॉर्म 36 घंटों के भीतर अनुपालन करने में विफल रहता है, तो उसे धारा 79(1) के तहत और उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) सहित विभिन्न कानूनों के तहत जवाबदेह ठहराया जा सकता है। यह नियम ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को अवैध सामग्री को हटाने के लिए जवाबदेह बनाने के लिए डिजाइन किया गया है और यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि ऑनलाइन सामग्री कानूनी और नैतिक मानकों का पालन करती है।

हालांकि, एक्स कॉर्प का दावा है कि सरकार इस प्रावधान का दुरुपयोग कर रही है। कंपनी के मुताबिक, कंटेंट हटाने के लिए सरकार को लिखित में ठोस कारण बताना चाहिए, प्रभावित पक्ष को सुनवाई का मौका देना चाहिए और इस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती देने का अधिकार भी होना चाहिए। एक्स ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत सरकार ने इनमें से किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

सेंसरशिप के लिए कानून के दुरुपयोग का आरोप

एक्स ने आरोप लगाया है कि सरकार उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने ढंग से सेंसरशिप लागू करने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है। एक्स का मानना है कि यह प्रावधान सरकार को सामग्री को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है और ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर करता है।

ग्रोक को लेकर गहराया विवाद

यह विवाद तब और गहरा गया, जब केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक्स कॉर्प से उसके एआई चैटबॉट ग्रोक को लेकर स्पष्टीकरण मांगा। ग्रोक, जिसे एक्स की मूल कंपनी xAI ने विकसित किया है, हाल ही में कुछ सवालों के जवाब में अभद्र भाषा और गालियों का इस्तेमाल करता पाया गया। भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए कंपनी से जवाब तलब किया है।

बता दें कि एलन मस्क के एआई चैटबॉट ग्रोक ने हाल ही में उपयोगकर्ताओं की तरफ से उकसाने के बाद हिंदी में अपशब्दों से भरी प्रतिक्रिया दी।

पहेल भी हो चुका है तनाव

इससे पहले भी साल 2022 में सरकार ने धारा 69ए के तहत एक्स को कुछ कंटेंट हटाने का निर्देश दिया था, जिसे लेकर कंपनी और सरकार के बीच तनाव देखा गया था।

आप सांसद हरभजन सिंह ने अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरा, पंजाब में बुलडोजर एक्शन पर उठाया सवाल

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पंजाब में भगवंत मान सरकार का ड्रग्स माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ एक्शन जारी है। पुलिस अपराधियों को सबक सिखाने के लिए बुलडोजर चला रही है। इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने अपनी ही पार्टी की सरकार के एक्शन पर सवाल उठाया है। हरभजन सिंह ने पंजाब सरकार की मुहिम को लेकर पार्टी विचारधारा से अलग बयान दिया है। हरभजन सिंह ने कहा कि कोई नशा बेचता है तो उसका घर गिरा दिया, मैं इस बात के हक में नहीं हूं।

हरभजन किसी का घर तोड़ने के पक्ष में नहीं

हरभजन सिंह ने कहा कि नशे के खात्मे के लिए नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जो लोग नशे की तस्करी कर रहे हैं, उन्हें पकड़कर सजा दी जानी चाहिए। जो नशा बेच रहे हैं, उन पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें यह सीखना चाहिए कि नशा लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा कि हालांकि, वह किसी का घर तोड़ने के पक्ष में नहीं हैं।

सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे पर दिया सुझाव

हरभजन सिंह ने साफ तौर से कहा कि अगर किसी व्यक्ति का घर पहले से बना हुआ है और वह किसी छत के नीचे रह रहा है, तो सबसे पहले यह देखा जाना चाहिए कि वह घर किस तरीके से बना है। अगर घर अवैध तरीके से बना है, तो उस पर कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन घरों को नष्ट करना सही तरीका नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर किसी ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है, तो सरकार को अपनी जमीन जरूर वापस लेनी चाहिए। हालांकि, यदि किसी ने घर बना लिया है, तो सरकार को उसे कहीं और स्थानांतरित करने का उचित इंतजाम करना चाहिए।

नशे के खिलाफ काम करने की अपील

पंजाब सरकार नशे के खिलाफ ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ मुहिम चला रही है। हरभजन सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा नशे के खिलाफ मुहीम चलाई जा रही है। नशा एक बहुत ही खतरनाक चीज है। यह लोगों को समझना चाहिए कि नशे से उनकी जिंदगी के साथ-साथ उनका शरीर भी खराब हो रहा है। नशा पूरे के पूरे परिवार को ही खत्म कर देता है। हम सभी पंजाबियों की जिम्मेदारी है कि एक मूव को शुरू किया जाए और हर एक पंजाबी को नशे के खिलाफ काम करना चाहिए।

मोहम्मद यूनुस ने अपने ही राजदूत का पासपोर्ट किया रद्द, सच बोलने की दी सजा

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अपने ही राजदूत हारून रशीद का पासपोर्ट रद्द करने जा रही है। उनके साथ ही उनके परिवार के पासपोर्ट भी रद्द किए जाएँगे। दरअसल, मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा था। राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाए थे। रशीद के इस फेसबुक पोस्ट से जब यूनुस सरकार ने अपनी पोल खुलती देखी, तो फिर दबाव में आ गए।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में दावा किया कि रशीद को दिसम्बर, 2024 में ही अपना पद छोड़कर बांग्लादेश वापस बुलाया गया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रशीद इसमें आनाकानी करते रहे और फरवरी, 2025 में उन्होंने अपना पद भी छोड़ दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि रशीद अब कनाडा चले गए हैं।

मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना को विदेश मंत्रालय ने एजेंडा करार दिया है। यूनुस सरकार ने कहा है कि रशीद के बयान सच्चाई से इतर हैं। विदेश मंत्रालय ने यूनुस सरकार की आलोचना को सिम्पथी बटोरने का एक साधन करार दिया है।

बांग्लादेश की पहचान को नष्ट करने का आरोप

इससे पहले हारून रशीद ने 14 मार्च को फेसबुक पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट किया था। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

जीएसटी पर गरमाई राजनीति, पॉपकॉर्न के बाद डोनट्स को लेकर कांग्रेस के निशाने पर सरकार

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केंद्र सरकार की जीएसटी को लेकर कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस ने शनिवार को जीएसटी की अलग-अलग दरें लागू करने को लेकर केन्द्र पर एक बार फिर से तीखा प्रहार किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार (15 मार्च) को कहा कि पॉपकॉर्न के बाद अब ‘डोनट’ पर भी जीएसटी का असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश को अब ‘जीएसटी 2.0’ की जरूरत है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सिंगापुर स्थित चेन मैड ओवर डोनट्स को अपने व्यवसाय को कथित रूप से गलत तरीके से वर्गीकृत करने और 5 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करने के लिए 100 करोड़ रुपये का कर नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने दावा किया कि यह एक रेस्टोरेंट सेवा है, जबकि बेकरी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत कर का भुगतान किया जा रहा है। इस वजह से कंपनी पर भारी टैक्स बकाया हो गया। अब ये मामला मुंबई हाई कोर्ट में पहुंच चुका है जहां इस पर कानूनी लड़ाई जारी है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की हकीकत यही- जयराम रमेश

जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये पूरा मामला बताता है कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की असलियत क्या है। सरकार इस नारे का इस्तेमाल तो करती है, लेकिन हकीकत में व्यापारियों को बेवजह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रमेश ने कहा कि टैक्स प्रणाली में कई विसंगतियां हैं और इसलिए अब जीएसटी 2.0 की जरूरत महसूस हो रही है ताकि सभी व्यापारियों को समान अवसर और राहत मिल सके।

जीएसटी को लेकर पहले भी सवाल उठा चुकी कांग्रेस

पिछले साल दिसंबर में, कांग्रेस ने कहा था कि जीएसटी के तहत पॉपकॉर्न के लिए तीन अलग-अलग टैक्स स्लैब की "बेतुकी" व्यवस्था केवल सिस्टम की बढ़ती जटिलता को उजागर करती है और पूछा कि क्या मोदी सरकार जीएसटी 2.0 को लागू करने के लिए पूरी तरह से बदलाव करने का साहस दिखाएगी।

पहलगाम हमले के बाद मोदी सरकार का एक्शन जारी, आज सर्वदलीय बैठक में क्या होगा फैसला?

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पहलगाम आतंकी हमले के बाद पूरा देश बदला मांग रहा है। मंगलवार को हुए इस हमले में 28 लोगों की जान चली गई। इस घटना को लेकर बुधवार को पीएम मोदी के नेतृत्व में सीसीएस की बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान पर तगड़ा एक्शन लिया गया। पाकिस्तानी राजदूत को देर रात तलब किया गया। वहीं, पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले पर गुरुवार यानी आज सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है।

राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में बैठक

केंद्र सरकार पहलगाम आतंकी हमले पर राजनीतिक नेताओं को जानकारी देने और इस मामले पर उनकी राय जानने के लिए गुरुवार शाम को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे। गृह मंत्री अमित शाह और विदेश मंत्री एस. जयशंकर से स्थिति पर महत्वपूर्ण अपडेट देने की उम्मीद है।

क्या अब होगी सैन्य कार्रवाई?

सूत्रों ने बताया कि राजनाथ के साथ सीडीएस व तीनों रक्षा सेवाओं के प्रमुखों की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ उठाए जा सकने वाले सैन्य कदमों पर चर्चा हुई। बाद में राजनाथ ने इन कदमों की जानकारी सीसीएस बैठक में पीएम मोदी व अन्य मंत्रियों के साथ साझा की। राजनयिक कदमों के अलावा पाकिस्तान को जल्द ही किसी सैन्य कार्रवाई का सामना भी करना पड़ सकता है।

राहुल गांधी ने बैठक में होंगे शामिल

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद तमाम नेता अपने कार्यक्रम रद्द कर रहे हैं। पीएम मोदी के सऊदी यात्रा बीच में छोड़कर भारत वापस आने का बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपनी अमेरिका यात्रा बीत में खत्म कर दिल्ली वापस लौट आए हैं। राहुल गांधी आज होने वाली सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेंगे।

राहुल के भारत वापस लौटने की जानकारी कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने दी। उन्होंने बताया कि राहुल गांधी ने अमेरिका की अपनी आधिकारिक यात्रा बीच में ही छोड़ दी है।

28 लोगों की दर्दनाक मौत

बता दें कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम शहर के निकट ‘मिनी स्विटरलैंड’ नाम से मशहूर पर्यटन स्थल पर मंगलवार दोपहर हुए आतंकवादी हमले में 28 लोगों की मौत हो गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक हैं। यह 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद घाटी में हुआ सबसे घातक हमला है। 28 मृतकों में दो विदेशी और दो स्थानीय निवासी हैं। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस आतंकी हमले को 'हाल के वर्षों में आम लोगों पर हुए किसी भी हमले से कहीं बड़ा' हमला बताया। अधिकारियों ने बताया कि यह हमला ऐसे समय हुआ है जब अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत की यात्रा पर हैं।

यूसीसी लागू करने की तैयारी में मोदी सरकार, बीजेपी ने वीडियो जारी कर बताया प्लान

#modi_govt_third_tenure_achievements

आने वाले महीने यानी मई में केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का एक साल पूरा होने वाले हैं। जहां विपक्ष ने 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद सरकार को कमजोर बताया था, वहीं बीजेपी ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर इस एक साल की प्रमुख उपलब्धियों को जनता के सामने रखा है। पार्टी ने साफ तौर पर संदेश दिया है कि "मोदी 3.0" न तो धीमा है, न ही दबाव में।

बीजेपी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल की उपलब्धियों को दिखाया गया है। वीडियो में दिखाया गया है कि कैसे विपक्ष के आरोपों के उलट, सरकार ने बीते 12 महीनों में कई सख्त और साहसिक कदम उठाए हैं। वीडियो का टाइटल दिया गया है- Big Moves Under Modi 3.0 The journey’s just begun...।

वीडियो में सरकार के कई बड़े फैसलों का भी जिक्र है। बीजेपी के अनुसार, नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल। मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी, पीएनबी घोटाले के आरोपी को बेल्जियम में पकड़ा गया। तहव्वुर राणा (26/11 मुंबई हमले का मास्टरमाइंड) को भारत प्रत्यर्पित किया गया। रॉबर्ट वाड्रा से जमीन घोटाले में ईडी की पूछताछ। संसद में वक्फ (संशोधन) बिल पास हुआ। दिल्ली, महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनावों में शानदार सफलता हासिल की।

वीडियो में यह भी संकेत दिया गया कि सरकार अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में काम कर रही है। बीजेपी के यूनिफॉर्म सिविल कोड लोडिंग...वीडियो जारी कर संकेत दिया है कि यूसीसी को जल्द ही लागू किया जा सकता है।

12 साल से कम उम्र के बच्चों को हज करने की इजाजत नहीं, 291 भारतीय बच्चों का वीजा रिजेक्ट

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सऊदी अरब ने इस साल होने वाले हज के लिए तैयारियां शुरू कर दी है। हज की तैयारी के तहत सऊदी के गृह मंत्रालय ने हाजियों लिए नए नियम जारी किए हैं। हज यात्रा के नियमों में बदलाव का असर बच्चों को झेलना पड़ेगा। इस साल हज यात्रा की ख्वाहिश रखने वाले 12 साल से कम उम्र के बच्चों को झटका लगा है। सऊदी अरब सरकार ने इस आयु वर्ग के बच्चों को वीजा जारी करने से इनकार कर दिया है, जिसके चलते भारत के 291 बच्चों के आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं।

क्यों नहीं दी गई बच्चों को इजाजत?

हर साल लाखों की तादाद में तीर्थयात्री हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं। इस मौके पर कई लोग अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी लेकर जाते हैं, लेकिन इस बार ऐसा करने की इजाजत नहीं दी गई है। सऊदी सरकार ने यह फैसला बच्चों की सुरक्षा को देख कर लिया है। हज 2024 में भारी भीड़ जुटी थी और हीटवेव के चलते लगभग 1200 लोगों की मौत दर्ज की थी। इसी के बाद से इन हालातों को देखने के बाद सऊदी अरब ने नियमों में कुछ बदलाव किए।

भारतीय हज समिति ने 13 अप्रैल को एक सर्कुलर जारी कर सऊदी सरकार के फैसले को सूचित किया है। इसी के साथ हज समिति ने घोषणा की है कि 12 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए हज के लिए किए गए भुगतान को वापस किया जाएगा। इसी के साथ जानकारी दी गई कि सऊदी अरब के निर्णय के चलते 291 आवेदक बच्चों का हज आवेदन रद्द कर दिया गया है।

मक्का आने वालों की बढ़ेगी निगरानी

सऊदी सरकार ने कहा है कि 23 अप्रैल से मक्का में आने-जाने पर कड़ी निगरानी शुरू की जाएगी। मक्का में एंट्री करने के लिए काम करने का परमिट, मक्का का पहचान पत्र या हज का परमिट दिखाना जरूरी होगा। इनके अलावा किसी को एंट्री नहीं मिलेगी। सऊदी अरब में रहने वाले विदेशी नागरिक, जो मक्का में नहीं रहते हैं, उन्हें भी मक्का में आने के लिए परमिट लेना होगा। टूरिस्ट वीजा पर आए विदेशियों या देश के दूसरे हिस्से से आए लोगों को बिना रजिस्ट्रेशन हज में शामिल होने से रोकने के लिए ये नियम बनाए गए हैं।

स्थानीय और विदेशी नागरिकों पर विशेष निगरानी

सऊदी सरकार इस बार स्थानीय और विदेशी दोनों नागरिकों की मक्का यात्रा पर कड़ी निगरानी रखेगी। विशेष रूप से मक्का के गैर-निवासी विदेशी नागरिकों को भी परमिट लेना जरूरी होगा। देश के अन्य शहरों से मक्का आने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जाएगी। बिना अनुमति के किसी भी गतिविधि को नियम उल्लंघन माना जाएगा। यह कदम इसलिए जरूरी है क्योंकि हज के दौरान लाखों लोग मक्का आते हैं, और हर साल किसी न किसी कारणवश अव्यवस्था की स्थिति बनती है। इसलिए सरकार पहले से तैयार रहना चाहती है।

वक्‍फ कानून को लेकर केंद्र भी पहुंचा सुप्रीम कोर्ट, जानें पूरा मामला

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वक्फ संशोधन एक्ट 2025 के खिलाफ करीब दर्जन भर याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई हैं। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा राजनेताओं की याचिकाएं शामिल हैं। कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। इस बीच केंद्र सरकार भी वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची है।

केंद्र सरकार ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की है। सरकार की ओर से वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश पारित करने से पहले सुनवाई की मांग रखी गई है।कैविएट किसी पक्षकार द्वारा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि इसे सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए।

क्या है कैविएट का मतलब?

"केवियट" एक लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है "सावधान"। दरअसल, "केवियट" एक कानूनी नोटिस है जो किसी एक पार्टी द्वारा दायर किया जाता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में कोई आदेश या निर्णय दिए जाने से पहले उन्हें सुनवाई का मौका दिया जाए। सिविल प्रक्रिया संहिता 1963 की धारा 148-ए में कैविएट दर्ज करने का प्रावधान है। कैविएट याचिका दाखिल करने या दर्ज कराने वाले व्यक्ति को कैविएटर कहा जाता है। यानी वक्फ कानून को लेकर दायर की गई याचिका में केंद्र सरकार कैविएटर है।

कैविएट याचिका कौन दाखिल कर सकता है?

कैविएट किसी भी व्यक्ति द्वारा दाखिल किया जा सकता है जो किसी आवेदन पर पारित होने वाले अंतरिम आदेश से प्रभावित होने वाला है, जिसके किसी न्यायालय में दायर या दायर होने वाले किसी मुकदमे या न्यायिक कार्यवाही में किए जाने की संभावना है। कोई भी व्यक्ति जो उपर्युक्त आवेदन की सुनवाई पर न्यायालय के समक्ष उपस्थित होने के अधिकार का दावा करता है, वह इसके संबंध में कैविएट दाखिल कर सकता है।

कैविएट कब दर्ज की जा सकती है?

कोर्ट में सामान्यतः निर्णय सुनाए जाने या आदेश पारित होने के बाद कैविएट दर्ज की जा सकती है। सीपीसी की धारा 148-ए के प्रावधान केवल उन मामलों में लागू हो सकते हैं, जहां आवेदन पर कोई आदेश दिए जाने या दायर किए जाने के प्रस्ताव से पहले कैविएटर को सुनवाई का अधिकार है। सिविल प्रक्रिया संहिता के तहत कैविएट का कोई फार्मेट निर्धारित नहीं किया गया है, इसलिए इसे एक याचिका के रूप में दायर किया जा सकता है।

वक्फ कानून के खिलाफ दर्जनभर याचिकाएं दायर

बता दें कि वक्फ विधेयक के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहले ही कुल 10 से अधिक याचिकाएं दायर की गई हैं, इन याचिकाओं में नए बनाए गए कानून की वैधता को चुनौती दी गई है। इनमें ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अलावा, केरल की सुन्नी मुस्लिम विद्वानों की संस्था 'समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद और एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी समेत अन्य लोगों ने इस कानून को चुनौती दी है। याचिका दायर करने वाले वकीलों ने बताया कि याचिकाएं 15 अप्रैल को एक पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किए जाने की संभावना है। हालांकि अभी तक यह शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर नहीं दिखाई दे रहा है।

20 जवानों की शहादत का सेलिब्रेशन...”विक्रम मिस्री के चीनी दूतावास जानें पर जमकर बरसे राहुल गांधी

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संसद में इन दिनों वक्फ संशोधन बिल को लेकर बवाल मचा हुआ है। इस बीच गुरूवार को लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चीनी कब्जे का मुद्दा उठाया। राहुल गांधी ने चीन के राजदूत के साथ विदेश सचिव के केक काटने को लेकर केंद्र सरकार पर जोरदार हमला बोला। लोकसभा में राहुल गांधी ने सवाल दागा कि चीनी दूतावास में क्या हमारे सैनिकों की शहादत का केक काटने गए थे विक्रम मिसरी।

राहुल गांधी ने कहा, चीन ने चार हजार किलोमीटर ले लिए, बीस जवान शहीद हुए, लेकिन विदेश सचिव चीन के राजदूत के साथ केक काट रहे हैं। चीनी दूतावास में क्या हमारे सैनिकों की शहादत का केक काटने गए थे विक्रम मिसरी। बता दें कि केक काटने वाली एक फोटो चीन के एंबेसडर ने 1 अप्रैल को पोस्ट की थी।

एलएसी की स्थिति पर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, यथास्थिति बनी रहनी चाहिए और हमें अपनी जमीन वापस मिलनी चाहिए। मुझे यह भी पता चला है कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने चीन को पत्र लिखा है। हमें यह बात अपने लोगों से नहीं बल्कि चीनी राजदूत से पता चल रही है जो यह बात कह रहे हैं।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सरकार पर पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया और दावा किया कि चीन ने भारतीय क्षेत्र पर कब्जा कर रखा है, जिस पर सरकार चुप्पी साधे हुए है। इससे सदन में तीखी बहस छिड़ गई। राहुल का बयान उस संदर्भ में है, जब हाल ही में भारत और चीन के संबंध के 75 साल पूरे हुए और इसके अवसर पर चीनी दूतावास में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था। इसमें भारत की ओर से विदेश सचिव विक्रम मिस्री शामिल हुए थे।

“कौन चीन के अधिकारियों के साथ चाइनीज सूप पी रहा था?”

वहीं, अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा कि अक्साई चिन किसकी सरकार में चीन के पास गया है। तब हिंदी चीनी भाई-भाई कहते रहे और आपकी पीठ में छुरा खोंपा गया। डोकलाम की घटना के समय कौन चीन के अधिकारियों के साथ चाइनीज सूप पी रहा था और सेना के जवान के साथ खड़े नहीं हुए।

राजीव गांधी फाउंडेशन पर भी उठाया सवाल

अनुराग ठाकुर ने आगे कहा, जिस संस्था ने चीन के अधिकारियों से पैसा लिया था, क्या राजीव गांधी फाउंडेशन ने पैसा नहीं लिया है, क्यों लिया गया वो पैसा। डोकलाम के समय में चीन को मुंह तोड़ जबाव दिया गया था और रक्षामंत्री के साथ साथ पीएम भी सीमा के जवानों के साथ खड़े थे। हम कह सकते हैं कि एक इंच जमीन भी पीएम मोदी के समय में चीन के हाथ में नहीं गई है। इन लोगों को जवाब देना होगा कि राजीव फाउंडेशन ने पैसा क्यों लिया था?

सांसदों के वेतन और पेंशन में बढ़ोतरी, जानें अब कितनी होगी सैलरी

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केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में इजाफे का ऐलान किया है। केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में 24 प्रतिशत की वृद्धि की सूचना दी है। 1 अप्रैल 2023 से सांसदों को एक लाख की जगह 1.24 लाख रुपये वेतन के तौर पर मिलेंगे। सरकार की ओर से सांसदों की पेंशन और भत्ता में भी इजाफा किया गया है।

संसदीय कार्य मंत्रालय ने सोमवार को एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया। नोटिफिकेशन के अनुसार, लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों का वेतन 1 लाख रुपये से बढ़कर 1.24 लाख रुपये प्रति माह हो गया है। वहीं, दैनिक भत्ता 2,000 रुपये से बढ़कर 2,500 रुपये हो गया है।

नए वेतन और भत्ते इस प्रकार हैं:

सांसदों का मासिक वेतन

पहले: ₹1,00,000 प्रति माह

अब: ₹1,24,000 प्रति माह

दैनिक भत्ता (संसद सत्र के दौरान बैठकों में भाग लेने पर)

पहले: ₹2,000 प्रति दिन

अब: ₹2,500 प्रति दिन

पूर्व सांसदों की मासिक पेंशन

पहले: ₹25,000 प्रति माह

अब: ₹31,000 प्रति माह

अतिरिक्त पेंशन (पांच वर्ष की सेवा से अधिक के प्रत्येक वर्ष के लिए)

पहले: ₹2,000 प्रति माह

अब: ₹2,500 प्रति माह

सरकार ने सैलरी में ये बढ़ोतरी महंगाई को ध्यान में रखते हुए की है, जिससे सांसदों को काफी मदद मिलेगी। इसपर सरकार का कहना है कि यह सैलरी इजाफा पिछले 5 सालों में बढ़ी महंगाई को देखते हुए की गई है। आरबीआई द्वारा निर्धारित महंगाई दर और लागत सूचकांक के आधार पर यह बदलाव किया गया है। इसका लाभ वर्तमान और पूर्व सांसदों को मिलेगा।

इससे पहले, सांसदों के वेतन और भत्तों में बदलाव अप्रैल 2018 में किया गया था।2018 में सांसदों का मूल वेतन 1 लाख रुपये महीना तय किया गया था। इसका मकसद था कि उनकी सैलरी महंगाई और जीवन यापन की बढ़ती लागत के हिसाब से हो। 2018 के बदलाव के अनुसार, सांसदों को अपने क्षेत्र में ऑफिस चलाने और लोगों से मिलने-जुलने के लिए 70 हजार रुपये का भत्ता मिलता है। इसके अलावा, उन्हें ऑफिस के खर्च के लिए 60 हजार रुपये महीना और संसद सत्र के दौरान हर दिन 2 हजार रुपये का भत्ता मिलता है। अब इन भत्तों में भी बढ़ोतरी की जाएगी।

एलन मस्क की कंपनी 'एक्स' ने किया भारत सरकार पर मुकदमा, जानें पूरा मामला

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एलन मस्क की कंपनी एक्स कॉर्प ने भारत सरकार के खिलाफ कर्नाटक हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) की धारा 79(3)(बी) को चुनौती दी गई है। कंपनी का आरोप है कि यह नियम सरकार को अनुचित और गैरकानूनी सेंसरशिप लागू करने की शक्ति देता है, जिससे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के संचालन पर गंभीर असर पड़ रहा है। एक्स का तर्क है कि यह नियम सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों का उल्लंघन करता है और ऑनलाइन स्वतंत्र अभिव्यक्ति को कमजोर करता है।

आईटी एक्ट की धारा 79(3)(बी) के तहत सरकार को यह अधिकार है कि वह कुछ खास परिस्थितियों में इंटरनेट पर मौजूद कंटेंट को हटाने या ब्लॉक करने का आदेश दे सकती है। यदि कोई प्लेटफॉर्म 36 घंटों के भीतर अनुपालन करने में विफल रहता है, तो उसे धारा 79(1) के तहत और उसे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) सहित विभिन्न कानूनों के तहत जवाबदेह ठहराया जा सकता है। यह नियम ऑनलाइन प्लेटफॉर्मों को अवैध सामग्री को हटाने के लिए जवाबदेह बनाने के लिए डिजाइन किया गया है और यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि ऑनलाइन सामग्री कानूनी और नैतिक मानकों का पालन करती है।

हालांकि, एक्स कॉर्प का दावा है कि सरकार इस प्रावधान का दुरुपयोग कर रही है। कंपनी के मुताबिक, कंटेंट हटाने के लिए सरकार को लिखित में ठोस कारण बताना चाहिए, प्रभावित पक्ष को सुनवाई का मौका देना चाहिए और इस फैसले को कानूनी रूप से चुनौती देने का अधिकार भी होना चाहिए। एक्स ने अपनी याचिका में कहा है कि भारत सरकार ने इनमें से किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया।

सेंसरशिप के लिए कानून के दुरुपयोग का आरोप

एक्स ने आरोप लगाया है कि सरकार उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने ढंग से सेंसरशिप लागू करने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है। एक्स का मानना है कि यह प्रावधान सरकार को सामग्री को नियंत्रित करने के लिए अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है और ऑनलाइन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कमजोर करता है।

ग्रोक को लेकर गहराया विवाद

यह विवाद तब और गहरा गया, जब केंद्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक्स कॉर्प से उसके एआई चैटबॉट ग्रोक को लेकर स्पष्टीकरण मांगा। ग्रोक, जिसे एक्स की मूल कंपनी xAI ने विकसित किया है, हाल ही में कुछ सवालों के जवाब में अभद्र भाषा और गालियों का इस्तेमाल करता पाया गया। भारत सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए कंपनी से जवाब तलब किया है।

बता दें कि एलन मस्क के एआई चैटबॉट ग्रोक ने हाल ही में उपयोगकर्ताओं की तरफ से उकसाने के बाद हिंदी में अपशब्दों से भरी प्रतिक्रिया दी।

पहेल भी हो चुका है तनाव

इससे पहले भी साल 2022 में सरकार ने धारा 69ए के तहत एक्स को कुछ कंटेंट हटाने का निर्देश दिया था, जिसे लेकर कंपनी और सरकार के बीच तनाव देखा गया था।

आप सांसद हरभजन सिंह ने अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरा, पंजाब में बुलडोजर एक्शन पर उठाया सवाल

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पंजाब में भगवंत मान सरकार का ड्रग्स माफियाओं और अपराधियों के खिलाफ एक्शन जारी है। पुलिस अपराधियों को सबक सिखाने के लिए बुलडोजर चला रही है। इस बीच आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद और पूर्व क्रिकेटर हरभजन सिंह ने अपनी ही पार्टी की सरकार के एक्शन पर सवाल उठाया है। हरभजन सिंह ने पंजाब सरकार की मुहिम को लेकर पार्टी विचारधारा से अलग बयान दिया है। हरभजन सिंह ने कहा कि कोई नशा बेचता है तो उसका घर गिरा दिया, मैं इस बात के हक में नहीं हूं।

हरभजन किसी का घर तोड़ने के पक्ष में नहीं

हरभजन सिंह ने कहा कि नशे के खात्मे के लिए नशा तस्करों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। जो लोग नशे की तस्करी कर रहे हैं, उन्हें पकड़कर सजा दी जानी चाहिए। जो नशा बेच रहे हैं, उन पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और उन्हें यह सीखना चाहिए कि नशा लोगों की सेहत के लिए बेहद खतरनाक है। उन्होंने कहा कि हालांकि, वह किसी का घर तोड़ने के पक्ष में नहीं हैं।

सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे पर दिया सुझाव

हरभजन सिंह ने साफ तौर से कहा कि अगर किसी व्यक्ति का घर पहले से बना हुआ है और वह किसी छत के नीचे रह रहा है, तो सबसे पहले यह देखा जाना चाहिए कि वह घर किस तरीके से बना है। अगर घर अवैध तरीके से बना है, तो उस पर कानून के तहत कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन घरों को नष्ट करना सही तरीका नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर किसी ने सरकारी जमीन पर कब्जा कर रखा है, तो सरकार को अपनी जमीन जरूर वापस लेनी चाहिए। हालांकि, यदि किसी ने घर बना लिया है, तो सरकार को उसे कहीं और स्थानांतरित करने का उचित इंतजाम करना चाहिए।

नशे के खिलाफ काम करने की अपील

पंजाब सरकार नशे के खिलाफ ‘युद्ध नशेयां विरुद्ध’ मुहिम चला रही है। हरभजन सिंह ने कहा कि सरकार द्वारा नशे के खिलाफ मुहीम चलाई जा रही है। नशा एक बहुत ही खतरनाक चीज है। यह लोगों को समझना चाहिए कि नशे से उनकी जिंदगी के साथ-साथ उनका शरीर भी खराब हो रहा है। नशा पूरे के पूरे परिवार को ही खत्म कर देता है। हम सभी पंजाबियों की जिम्मेदारी है कि एक मूव को शुरू किया जाए और हर एक पंजाबी को नशे के खिलाफ काम करना चाहिए।

मोहम्मद यूनुस ने अपने ही राजदूत का पासपोर्ट किया रद्द, सच बोलने की दी सजा

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बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस सरकार अपने ही राजदूत हारून रशीद का पासपोर्ट रद्द करने जा रही है। उनके साथ ही उनके परिवार के पासपोर्ट भी रद्द किए जाएँगे। दरअसल, मोरक्को में बांग्लादेश के राजदूत हारुन अल रशीद ने अपनी ही सरकार को घेरा था। राजदूत हारुन अल रशीद ने मोहम्मद यूनुस पर कट्टरपंथियों का समर्थन करने और देश में अराजकता फैलाने का गंभीर आरोप लगाए थे। रशीद के इस फेसबुक पोस्ट से जब यूनुस सरकार ने अपनी पोल खुलती देखी, तो फिर दबाव में आ गए।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में दावा किया कि रशीद को दिसम्बर, 2024 में ही अपना पद छोड़कर बांग्लादेश वापस बुलाया गया था। विदेश मंत्रालय ने बताया कि रशीद इसमें आनाकानी करते रहे और फरवरी, 2025 में उन्होंने अपना पद भी छोड़ दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि रशीद अब कनाडा चले गए हैं।

मोहम्मद यूनुस सरकार की आलोचना को विदेश मंत्रालय ने एजेंडा करार दिया है। यूनुस सरकार ने कहा है कि रशीद के बयान सच्चाई से इतर हैं। विदेश मंत्रालय ने यूनुस सरकार की आलोचना को सिम्पथी बटोरने का एक साधन करार दिया है।

बांग्लादेश की पहचान को नष्ट करने का आरोप

इससे पहले हारून रशीद ने 14 मार्च को फेसबुक पर एक लंबा-चौड़ा पोस्ट किया था। हारुन अल रशीद ने पोस्ट में लिखा कि बांग्लादेश आतंक और अराजकता की गिरफ्त में है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोहम्मद यूनुस के शासन में कट्टरपंथियों को खुली छूट दी गई है और मीडिया को दबा दिया गया है, जिससे अत्याचार की खबरें सामने नहीं आ रही हैं। रशीद ने लिखा, यूनुस के नेतृत्व में कट्टरपंथी बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने में लगे हैं। ये लोग संग्रहालयों, सूफी दरगाहों और हिंदू मंदिरों को नष्ट कर रहे हैं।

कट्टरपंथी संगठनों को समर्थन देने का आरोप

रशीद ने आरोप लगाया कि सत्ता में आने के बाद से मुहम्मद यूनुस ने अपना असली चेहरा दिखा दिया है। वह अब एक सुधारक नहीं बल्कि एक अत्याचारी शासक बन चुके हैं। उन्होंने कहा कि शेख हसीना ने जिस बांग्लादेश का निर्माण किया था, यूनुस ने उसके खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है। यहीं नहीं उन्होंने आगे कहा कि यूनुस के शासन के दौरान महिलाओं और अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़ गए हैं। कट्टरपंथी संगठन जैसे हिजब-उत-तहरीर, इस्लामिक स्टेट और अल कायदा खुलेआम इस्लामी शासन की मांग कर रहे हैं और इन्हें यूनुस का समर्थन मिल रहा है।

यूनुस पर चरमपंथियों को शह देने का आरोप

रशीद ने आगे कहा कि, बांग्लादेश एक धर्मनिरपेक्ष देश के रूप में स्थापित हुआ था, लेकिन अब कट्टरपंथी इस पहचान को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर्रहमान और उनकी बेटी शेख हसीना दोनों ही चरमपंथियों के निशाने पर रहे हैं, और अब यूनुस भी इन्हें शह दे रहे हैं।

जीएसटी पर गरमाई राजनीति, पॉपकॉर्न के बाद डोनट्स को लेकर कांग्रेस के निशाने पर सरकार

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केंद्र सरकार की जीएसटी को लेकर कांग्रेस के निशाने पर है। कांग्रेस ने शनिवार को जीएसटी की अलग-अलग दरें लागू करने को लेकर केन्द्र पर एक बार फिर से तीखा प्रहार किया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने शनिवार (15 मार्च) को कहा कि पॉपकॉर्न के बाद अब ‘डोनट’ पर भी जीएसटी का असर देखने को मिल रहा है। उन्होंने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हुए कहा कि देश को अब ‘जीएसटी 2.0’ की जरूरत है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पर एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि सिंगापुर स्थित चेन मैड ओवर डोनट्स को अपने व्यवसाय को कथित रूप से गलत तरीके से वर्गीकृत करने और 5 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करने के लिए 100 करोड़ रुपये का कर नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने दावा किया कि यह एक रेस्टोरेंट सेवा है, जबकि बेकरी वस्तुओं पर 18 प्रतिशत कर का भुगतान किया जा रहा है। इस वजह से कंपनी पर भारी टैक्स बकाया हो गया। अब ये मामला मुंबई हाई कोर्ट में पहुंच चुका है जहां इस पर कानूनी लड़ाई जारी है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की हकीकत यही- जयराम रमेश

जयराम रमेश ने सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि ये पूरा मामला बताता है कि ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ की असलियत क्या है। सरकार इस नारे का इस्तेमाल तो करती है, लेकिन हकीकत में व्यापारियों को बेवजह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रमेश ने कहा कि टैक्स प्रणाली में कई विसंगतियां हैं और इसलिए अब जीएसटी 2.0 की जरूरत महसूस हो रही है ताकि सभी व्यापारियों को समान अवसर और राहत मिल सके।

जीएसटी को लेकर पहले भी सवाल उठा चुकी कांग्रेस

पिछले साल दिसंबर में, कांग्रेस ने कहा था कि जीएसटी के तहत पॉपकॉर्न के लिए तीन अलग-अलग टैक्स स्लैब की "बेतुकी" व्यवस्था केवल सिस्टम की बढ़ती जटिलता को उजागर करती है और पूछा कि क्या मोदी सरकार जीएसटी 2.0 को लागू करने के लिए पूरी तरह से बदलाव करने का साहस दिखाएगी।