क्या भारत में टिकटॉक से हट गया प्रतिबंध? जानें क्या है दावों की सच्चाई, भारत सरकार का आया बयान

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चीनी मोबाइल ऐप टिकटॉक पर भारत में लगा प्रतिबंध क्या हटा दिया गया है? ये सवाल इसलिए खड़े हुए, क्योंकि सोशल मीडिया पर इसके भारत में वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं। कुछ यूजर्स यह दावा कर रहे थे कि उन्होंने चीनी ऐप की वेबसाइट ओपन की और वह बिना किसी रुकावट के खुल गई। हालांकि, गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर पर कुछ शो नहीं हो रहा है। वेबसाइट पर ऐप शो होने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर निशान साधा। अब सरकार ने इस पर अपना आधिकारिक बयान जारी किया है।

कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशान

कोरोना काल के बाद से ही भारत में टिकटॉक का अस्तित्व खत्म हो गया। भारत में टिकटॉक पिछले पांच सालों से बैन है। अब इसके शुरू होने की खबरें हैं। वेबसाइट पर ऐप शो होने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर निशान साधा। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर लिखा कि टिकटॉक की वेबसाइट देश में चलने लगी है। सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा कि पाकिस्तान के सीजफायर की तरह चीन के साथ भी शहादत का सौदा कर दिया गया है।

कांग्रेस बोली- चीन के साथ शहादत का सौदा किया

कांग्रेस ने एक्स पर एक पोस्ट करके हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने लिखा कि भारत में चीन की कंपनी ‘टिक टॉक’ की वेबसाइट चलने लगी है। चीन से झड़प में हमारे 20 जांबाज सैनिक शहीद हुए। पहले तो नरेंद्र मोदी ने चीन को क्लीनचिट दी। लेकिन जब कांग्रेस ने दबाव बनाया तो हेड लाइन मैनेज करने को ‘टिक टॉक’ बैन किया। वहीं अब पीएम मोदी फिर चीन से लप्पो झप्पो कर रहे हैं। वह चीन के विदेश मंत्री से मिले हैं और खुद चीन जाने वाले हैं। इस बीच ही टिक टॉक से जुड़ी ये खबर आ गई। साफ है, नरेंद्र मोदी का चीन प्रेम, देश प्रेम पर भारी पड़ा है। पाकिस्तान से सीजफायर की तरह चीन के साथ भी शहादत का सौदा कर दिया गया है।

क्या है भारत सरकार का बयान?

इस बवाल के बाद अब इस मामले पर भारत सरकार का बयान आ गया है। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों ने यह स्पष्ट किया है कि चीनी ऐप टिकटॉक से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार ने टिकटॉक को अनब्लॉक करने का कोई आदेश जारी नहीं किया है। ऐसा कोई भी जानकारी झूठी और भ्रामक है।

2020 में टिकटॉक समेत कई मोबाइल एप्लिकेशन पर लगे थे बैन

बता दें कि जून 2020 में केन्द्र सरकार ने ने 59 मोबाइल एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, जिनमें ज्यादातर चीनी थे। इनमें टिकटॉक, यूसी ब्राउजर और वीचैट शामिल थे। सरकार ने तब इन ऐप्स को बैन करने के पीछे तर्क दिया था कि ये ‘भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। जिस समय सरकार ने यह कदम उठाया, तब चीन के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण थे।

पीएम से लेकर सीएम तक...गंभीर मामलों में गिरफ्तारी पर छोड़ना होगा पद, संसद में आज अहम विधेयक पेश करेगी सरकार

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केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार आज अहम बिल पेश करने जा रही है। इस बिल में ऐसा प्रावधान है कि कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री भी अगर किसी अपराध में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है तो उसे पद से हटना पड़ेगा। ये प्रस्तावित कानून केवल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों पर ही नहीं, बल्कि केंद्र के मंत्रियों और प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा।

अमित शाह बुधवार को लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है। इन विधेयकों का उद्देश्य यह है कि अगर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाता है तो उन्हें उनके पद से हटाया जा सके। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा कानूनों में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जिससे गिरफ्तारी या न्यायिक हिरासत की स्थिति में ऐसे नेताओं को उनके पद से हटाया जा सके। इसी कमी को दूर करने के लिए सरकार ने ये तीन विधेयक तैयार किए हैं।

संसद में आज जो बिल पेश किए जाएंगे, ये विधेयक हैं: केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025; संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन तीनों विधेयकों को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में एक प्रस्ताव भी पेश करेंगे।

30 दिन लगातार हिरासत में रहने पर छोड़ना होगा पद

संविधान संशोधन विधेयक में धारा 75 में नया क्लॉज़ 5(ए) जोड़ने का प्रस्ताव है। इसके अनुसार यदि कोई मंत्री 30 दिन लगातार गिरफ्तार रहकर हिरासत में रहता है और उस पर ऐसा आरोप है जिसमें पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है, तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर 31वें दिन उसे पद से हटा देंगे। अगर प्रधानमंत्री 31वें दिन तक यह सलाह नहीं देते तो भी वह मंत्री अपने आप पद से मुक्त हो जाएगा।

प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा ये नियम

इसी तरह प्रधानमंत्री पर भी नियम और कड़े होंगे। अगर पीएम लगातार 30 दिन हिरासत में रहते हैं तो उन्हें 31वें दिन इस्तीफा देना होगा। अगर इस्तीफा नहीं देते तो वे अपने आप प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे। हालांकि, ऐसे मंत्री या प्रधानमंत्री रिहाई के बाद दोबारा नियुक्त हो सकते हैं। यही प्रावधान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों पर भी लागू होगा।

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

वहीं कांग्रेस ने इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार इन विधेयकों के जरिए विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा विपक्ष को कमजोर करने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजना है कि केंद्र की एजेंसियों से विपक्षी नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार कराया जाए और फिर नए कानून के तहत उन्हें तुरंत पद से हटा दिया जाए।

बेंगलुरु भगदड़ पर बड़ा खुलासा, सरकार ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट, जानें क्या-क्या कहा?

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रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के आईपीएल 2025 की ट्रॉफी जीतने की खुशी में बेंगलुरु में समारोह का आयोजन किया गया था। इस दौरान भगदड़ मच गई जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए थे। अब इस मामले में कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। चिन्नास्वामी भगदड़ के मामले में जांच की स्टेटस रिपोर्ट में सारा दोष आरसीबी प्रबंधन पर डाला गया है। सरकार ने उच्च न्यायालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फ्रेंचाइजी ने विजय परेड का आयोजन एकतरफा और पुलिस की पूर्व अनुमति के बिना किया था।

पुलिस के इनकार के बाद आरसीबी ने इवेंट को आगे बढ़ाया

कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरसीबी ने तीन जून को अहमदाबाद में अपनी जीत के बाद सोशल मीडिया पर सुबह 7:01 बजे एक पोस्ट के जरिए मुफ्त प्रवेश और विक्ट्री परेड की घोषणा की। यह परेड विधान सौधा से शुरू होकर चिन्नास्वामी स्टेडियम पर खत्म होनी थी। यह घोषणा बिना पुलिस की अनुमति के की गई थी। कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ ने तीन जून की शाम 6:30 बजे पुलिस से अनुमति मांगी थी, लेकिन अपेक्षित भीड़, व्यवस्था और संभावित जोखिमों की जानकारी न होने के कारण कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद आरसीबी ने अपने इवेंट को आगे बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप भारी भीड़ जमा हुई और गेट नंबर 1, 2 और 21 पर भगदड़ मच गई।

सोशल मीडिया पर परेड की घोषणा

रिपोर्ट में आरसीबी और उसके आयोजकों की ओर से कई चूकों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट भी शामिल हैं। फ्रेंचाइजी ने 4 जून को सुबह 7:01 बजे सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशंसकों के लिए एक खुला निमंत्रण पोस्ट किया, जिसमें विजय परेड के लिए मुफ्त सार्वजनिक प्रवेश की घोषणा की गई। सुबह 8 बजे एक और पोस्ट किया गया। सुबह 8:55 बजे, आरसीबी के आधिकारिक हैंडल पर विराट कोहली का एक वीडियो पोस्ट किया गया, जिसमें प्रशंसकों को टीम के साथ जश्न मनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है- इसके बाद 04.06.2025 को सुबह 8:55 बजे, आरसीबी ने आरसीबी टीम के एक प्रमुख खिलाड़ी विराट कोहली का एक वीडियो क्लिप आरसीबी के आधिकारिक हैंडल पर साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि टीम इस जीत का जश्न बेंगलुरु शहर के लोगों और आरसीबी प्रशंसकों के साथ 04.06.2025 को बेंगलुरु में मनाना चाहती थी।

विराट कोहली तक पहुंचेगी जांच की आंच?

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि बड़ी संख्या में भीड़ जमा होने के पीछे विराट कोहली का वीडियो भी एक बड़ा कारण था। बताया गया है कि विराट, जो कि बड़े खिलाड़ी हैं, ने वीडियो के माध्यम से लोगों से विक्ट्री परेड में आने के लिए अपील की थी। यही वजह है कि बड़ी संख्या में फैंस जमा हो गए।

कानपुर सीएमओ सस्पेंशन पर हाईकोर्ट की रोक, 19 जून के निलंबन आदेश को अंतरिम राहत
लखनऊ। कानपुर नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. हरिदत्त के निलंबन मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को तगड़ा झटका दिया है। न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने 19 जून 2025 को जारी किए गए निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार और अन्य पक्षों से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।

याचिका दायर करने वाले डॉ. हरिदत्त ने अपने निलंबन को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें बिना किसी विभागीय जांच और सुनवाई के पद से हटाया गया। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उसी दिन विपक्षी पार्टी संख्या-3 को सीएमओ पद पर तैनात कर दिया गया, जो नियमों के विरुद्ध है।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा ने दलील दी कि डॉ. हरिदत्त को केवल माइनर पेनल्टी के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा गया था, न कि निलंबन के लिए। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना कि याचिकाकर्ता की दलीलों में दम है। निलंबन आदेश बिना उचित प्रक्रिया और UP Govt. Servants (Discipline & Appeal) Rules, 1999 के प्रावधानों के उल्लंघन के तहत पारित किया गया प्रतीत होता है।
इस आधार पर अदालत ने 19 जून को पारित दोनों निलंबन आदेशों (Annexure 1 और 2) पर रोक लगा दी है। अब राज्य सरकार को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
अब बांग्लादेश की बारी, गंगा संधि की समीक्षा की तैयारी मे मोदी सरकार, पड़ोसी देश पर डाला दबाव

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भारत को पड़ोसी देश उसे आंखे दिखाने से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में भारत सरकार ने भी इनपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हाल ही में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु समझौते को निलंबित कर दिया है। अब मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि पर फिर से बातचीत करने का फैसला किया है।

बांग्लादेश को पहुंचाया संदेश

भारत ने बांग्लादेश के साथ भी गंगा जल संधि पर फिर दोबारा विचार शुरू कर दिया है। बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि की मियाद अगले साल ही पूरी होने वाली है। ऐसे में भारत ने अभी से बांग्लादेश को यह संदेश पहुंचा दिया है कि उसे अपनी जरूरत पूरा करने लिए और पानी चाहिए। भारत ने अपने समकक्ष को बताया है कि उसे अपनी विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता है।

छोटी अवधी के लिए हो सकती है नई संधि

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अगर संधि बढ़ी भी तो पहली जितनी लंबी अवधि के लिए नहीं होगी। नई संधि संभवतः छोटी अवधि की होगी, जो 10 से 15 वर्ष तक चलेगी। छोटी अवधि दोनों देशों के लिए आगे बढ़ने में लचीलापन और अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देगी।

बता दें कि गंगा जल संधि पर 12 दिसम्बर 1996 को हस्ताक्षर किये गये थे, जिसमें जल बंटवारे, विशेष रूप से कम वर्षा वाले मौसम में फरक्का बैराज के आसपास जल बंटवारे पर जोर दिया गया था।

पहलगाम हमले के बाद स्थिति बदली

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि पहले सरकार गंगा जल संधि को पहले की तरह 30 साल के लिए बढ़ाना चाहती थी। लेकिन, पहलगाम की घटना के बाद स्थिति बदल गई। मई में बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी। अधिकारी ने कहा कि यह एक सामान्य बैठक थी, जो साल में दो बार होती है। इस बैठक में भारत ने अपने लिए पानी की जरूरत के बारे में बताया।

कैसे होता है गंगा जल संधि के तहत पानी का बंटवारा

1996 की गंगा जल संधि के अनुसार अगर फरक्का में पानी की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक या उससे कम रहती है, तो दोनों देशों को आधा-आधा पानी मिलता है। लेकिन, अगर यह उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से 75,000 क्यूसेक के बीच होता है तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक और भारत को बाकी हिस्सा मिलता है। लेकिन, अगर पानी की उपलब्धता 75,000 क्यूसेक या उससे भी ज्यादा होता है तो भारत उसका 40,000 क्यूसेक हिस्सा इस्तेमाल कर सकता है और बाकी प्रवाह बांग्लादेश को जाता है

ट्रंप को नोबेल नामांकन पर पाकिस्तान में ही घिरी शहबाज सरकार, जानें पूरा मामला

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने के फैसले के बाद पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अपने ही लोगों के निशाने पर आ गई है। पाकिस्तान के कुछ नेताओं और प्रमुख हस्तियों ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हमले के बाद सरकार से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कह रहे हैं।

पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को अचानक घोषणा की थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव कम करने में डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को देखते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया जाएगा। इसके लिए उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नॉर्वे में नोबेल कमेटी को सिफारिश पत्र भी भेज दिया। 

ट्रंप के लिए इस सिफारिश के कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर हमला बोल दिया, जिसके बाद पाकिस्तान में सरकार की कड़ी आलोचना शुरू हो गई। देश के कुछ प्रमुख राजनेताओं ने सरकार से नवीनतम घटनाक्रम के मद्देनजर अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग की है। 

शहबाज सरकार से फैसला वापस लेने की मांग

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के प्रमुख वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान ने मांग की कि सरकार अपना फैसला वापस ले। फजल ने रविवार को मरी में पार्टी की एक बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप का शांति का दावा झूठा साबित हुआ है। नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्ताव वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की हाल में पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ बैठक और दोनों के साथ में भोजन करने से ‘पाकिस्तानी शासकों को इतनी खुशी हुई’ कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश कर दी।

‘अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा’

फजल ने सवाल किया, ट्रंप ने फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनान और ईरान पर इजराइल के हमलों का समर्थन किया है। यह शांति का संकेत कैसे हो सकता है?' उन्होंने कहा, जब अमेरिका के हाथों पर अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा हो, तो वह शांति का समर्थक होने का दावा कैसे कर सकता है?'

ट्रंप कोई शांति दूत नहीं- पूर्व सांसद

पूर्व सांसद मुशाहिद हुसैन ने ट्रंप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप अब कोई 'शांति दूत' नहीं, बल्कि 'युद्ध का समर्थक' बन चुके हैं। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से नोबेल की सिफारिश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि ट्रंप ने खुद को इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध लॉबी के चंगुल में फंसा लिया है।

कुंभ भगदड़ पर राहुल गांधी का सरकार को घेरा, बोले-आंकड़ों में छुपाई गई गरीबों की लाशें

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इस साल प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में हुई भगदड़ में मरने वालों को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है। महाकुंभ हादसे में मरने वालों की तादाद को लेकर विपक्ष लगातार केन्द्र की बीजेपी सरकार को घर रहा है।विपक्ष का आरोप रहा है कि वहां हुई भगदड़ व हादसों में मृतकों के आंकड़ों को छुपाया गया है। इस बीच कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को बीबीसी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि महाकुंभ के दौरान भगदड़ में मरने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दबा दी गई है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसकी कोई जवाबदेही नहीं है। 

आंकड़े गायब कर दो, ज़िम्मेदारी भी खत्म-राहुल गांधी

बीबीसी के हवाले से राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर कहा कि बीजेपी सरकार का यही तरीका है-'आंकड़े गायब कर दो, तो ज़िम्मेदारी भी खत्म हो जाती है।' राहुल ने आरोप लगाया कि यही खेल कोविड महामारी के समय भी हुआ था, जब गरीबों की लाशें गंगा किनारे बहती मिलीं, लेकिन सरकारी आंकड़ों में मौतें बहुत कम बताई गईं। 

मृतकों के आंकड़े छिपाना 'बीजेपी मॉडल'-राहुल गांधी

कांग्रेस नेता का कहना था कि हर बड़े रेल हादसे के बाद भी यही होता है, असली आंकड़े छुपा दिए जाते हैं। हादसे के बाद मृतकों के आंकड़े छिपाने को उन्होंने 'बीजेपी मॉडल' करार देते हुए कहा कि गरीबों की गिनती नहीं तो जवाबदेही भी नहीं।

अखिलेश यादव ने भी लगाया झूठ बोलने का आरोप

इससे पहले मंगलवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसी मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर 29 जनवरी के महाकुंभ भगदड़ में मरने वालों की संख्या के बारे में झूठ बोलने का आरोप लगाया और कहा कि जो लोग "झूठे आंकड़े" पेश करते हैं, जनता के विश्वास के लायक नहीं हैं।

बीबीसी ने रिपोर्ट में क्या?

दरअसल, हाल ही में बीबीसी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में उसने कुंभ के दौरान मची भगदड़ में हुई मौतों के आंकड़े बताए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुंभ में कम से कम 82 लोगों की जान गई जबकि सरकार ने कहा कि 37 लोगों की मौत हुई है।

लालू यादव का नीतीश कुमार पर बड़ा आरोप, बोले-कानून व्यवस्था का किया अंतिम संस्कार

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राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बिहार में बढ़ते अपराध पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तीखा वार किया है। लालू यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर नीतीश सरकार को आंकड़े दिखाकर घेरने की कोशिश की है।लालू यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये आंकड़ों का जिक्र करते हुए नीतीश सरकार पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार और बीजेपी ने कानून व्यवस्था का अंतिम संस्कार कर दिया है।

नीतीश के शासनकाल में 65,000 हत्याएं ?

लालू यादव ने मंगलवार सुबह ट्वीट करते हुए लिखा, नीतीश बताएं कि शाम पांच बजे से पहले घर में घुसकर ही कितनी हत्याएं हो रही है? क्या नीतीश जानते, पहचानते व समझते हैं कि उनके शासनकाल में आधिकारिक आंकड़ों में 65,000 हत्याएं हुई हैं? नीतीश-बीजेपी ने विधि व्यवस्था का दम ही नहीं निकाला बल्कि उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया है। बिहार में इतनी भ्रष्ट, लापरवाह और कामचोर पुलिस कभी भी नहीं रही।

लालू का नीतीश सरकार पर जारी है हमला

इससे पहले भी लालू प्रसाद यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला था। तीन दिन पहले सात जून को उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि बिहार में अपराधी बेलगाम हैं। अफसरशाही मदमस्त हैं। सरकार बेहोश है और महंगाई रिकॉर्डतोड़ है।राज्य गरीबी, बेरोजगारी, पलायन बढ़ गई है। 20 वर्षों की इस एनडीए सरकार ने बिहार का बंटाधार कर दिया है।

बिहार में आपराध के बढ़े मामले

दरअसल, बिहार में हाल की घटनाओं ने कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। हाल ही में मुजफ्फरपुर में एक दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या, पटना सिटी में डबल मर्डर, आरा में ज्वेलरी लूटकांड समेत बिहार के अलग-अलग जिलों में अपराध के बढ़ते मामले लगातार बिहार में कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। बिहार की राजधानी पटना में बीते दिनों वीआईपी इलाके में खुलेआम हुई फायरिंग की घटना ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाने का काम किया है।

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में प्रवेश शुरू, जानिए कब तक ऑनलाइन कर सकते हैं आवेदन…

दुर्ग- हेमचंद यादव विश्वविद्यालय से सम्बद्धता प्राप्त महाविद्यालयों में सत्र 2025-26 के तहत स्नातक प्रथम सेमेस्टर में नियमित प्रवेश के लिए ऑनलाइन प्रवेश 5 जून से शुरू हो गया है. छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय की वेबबसाइट www.durguniversity.ac.in पर जाकर अथवा http://durg1.ucanapply.com के जरिए ऑनलाइन आवेदन फार्म भर सकते हैं.

विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में प्रथम चरण के लिए 5 जून से शुरू हुई प्रक्रिया 15 जून तक चलेगी, 16 जून को मेरिट सूची जारी की जाएगी. इसके बाद 16 से 20 जून तक सूची में शामिल छात्र प्रवेश ले सकते हैं. इसके बाद दूसरे चरण के लिए प्रवेश प्रक्रिया 21 से 30 जून तक चलेगी. एक जुलाई को मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी.

मेरिट लिस्ट में शामिल छात्र एक जुलाई से 7 जुलाई तक प्रवेश ले सकते हैं. इसी तरह तृतीय चरण के लिए प्रवेश प्रक्रिया 8 से 21 जुलाई तक चलेगी. मेरिट लिस्ट 22 जुलाई को जारी की जाएगी. चयनित छात्र 22 से 31 जुलाई तक महाविद्यालयों में प्रवेश ले सकते हैं.

महाविद्यालयों में सीटें रिक्त होने की स्थिति में कुलपति की अनुमति से प्रवेश की अंतिम तिथि 14 अगस्त है. बीसीए, बीबीए, बीएससी. गृह विज्ञान, बीए, डीसीए कक्षाओं के लिए प्रवेश आवेदन पोर्टल खोला जा रहा है. इसी तरह से प्राइवेट विद्यार्थियों के अलग से पंजीयन पोर्टल खोला जाएगा. जिसके लिए वेबसाइट www.durguniversity.ac.in का अवलोकन करने कहा गया है.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि प्रवेश आवेदन फार्म पूर्णतः निःशुल्क है. छात्रों को ABC (Academic Bank of Credit) आईडी (Link:- http://www.abc.gov.in) बनाना अनिवार्य है. ABC (Academic Bank of Credit) आई.डी. बनाने के पश्चात ही विद्यार्थी प्रवेश आवेदन फार्म भर सकेंगे.

साइंस कॉलेज में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ

शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग (साइंस कॉलेज) में 6 जून से प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ शुरू हो गई है. प्रथम सेमेस्टर विज्ञान संकाय के अंतर्गत जीव विज्ञान के समस्त समूह, गणित संकाय के समस्त समूह, वाणिज्य संकाय, कला संकाय तथा कम्प्यूटर साइंस विषय हेतु प्रवेश प्रक्रिया के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. इच्छुक विद्यार्थी सांइस कॉलेज की वेबसाइट www.govtsciencecollegedurg.ac.in पर प्रवेश के लिए लिंक पर जाकर अपना पंजीयन कर सकते हैं.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहेंगे मोहम्मद यूनुस, इमरजेंसी मीटिंग के बाद “यूटर्न

#muhammad_yunus_to_continue_as_bangladesh_s_interim_govt_chief

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे।बांग्लादेश के अंतरिम मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलों के बीच बुलाई गई आपात बैठक के बाद ये साफ हो गया है कि यूनुस फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। उनके मंत्रिमंडल के एक सलाहकार ने शनिवार को यह जानकारी दी। दो दिन पहले यूनुस के एक प्रमुख सहयोगी ने कहा था कि वह इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। अब उन्होंने इसे पूरी तरह से नकार दिया है।

शनिवार को सलाहकार परिषद की एक गैर-निर्धारित बैठक के बाद योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने कहा कि यूनुस ने यह नहीं कहा था कि वह पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा था कि हमें सौंपे गए काम और जिम्मेदारियों को पूरा करने में कई बाधाएं आ रही हैं, लेकिन हम उन पर काबू पाने की कोशिश रहे हैं। वहीदुद्दीन महमूद ने आगे कहा- वे निश्चित रूप से बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी सलाहकार कहीं नहीं जा रहा है क्योंकि हमें सौंपी गई जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है; हम इस कर्तव्य को नहीं छोड़ सकते। यह बयान ऐसे समय आया है जब यूनुस के इस्तीफे की अटकलें दो दिन पहले सामने आई थीं।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को अपने प्रशासन, राजनीतिक दलों और सेना के बीच बढ़ती असहजता की समीक्षा के लिए सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इससे पहले यूनुस ने मुख्य सलाहकार के पद से हटने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने बदलाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति न बन पाने के कारण काम करने में आ रहीं परेशानियों का हवाला दिया था।

देश की राजनीति इस समय अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार को सत्ता से हटाए जाने के बाद से हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। विरोधी पार्टियों, छात्र संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने पिछले कुछ दिनों में ढाका की सड़कों पर प्रदर्शन तेज कर दिया है। यूनुस की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को भंग कर दिया है और उसके कई वरिष्ठ नेताओं को जेल भेज दिया है। इधर बीएनपी की मांग है कि जल्द से जल्द चुनाव की तारीख घोषित की जाए। पार्टी ने इस सप्ताह बड़े प्रदर्शन भी किए हैं। साथ ही, उन्होंने कैबिनेट से छात्र प्रतिनिधियों को हटाने की मांग की है, जबकि एनसीपी ने दो सलाहकारों को हटाने की बात कही है, जिन पर बीएनपी के हित में काम करने का आरोप है।

क्या भारत में टिकटॉक से हट गया प्रतिबंध? जानें क्या है दावों की सच्चाई, भारत सरकार का आया बयान

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चीनी मोबाइल ऐप टिकटॉक पर भारत में लगा प्रतिबंध क्या हटा दिया गया है? ये सवाल इसलिए खड़े हुए, क्योंकि सोशल मीडिया पर इसके भारत में वापसी की अटकलें तेज हो गई हैं। कुछ यूजर्स यह दावा कर रहे थे कि उन्होंने चीनी ऐप की वेबसाइट ओपन की और वह बिना किसी रुकावट के खुल गई। हालांकि, गूगल प्ले स्टोर और ऐपल ऐप स्टोर पर कुछ शो नहीं हो रहा है। वेबसाइट पर ऐप शो होने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर निशान साधा। अब सरकार ने इस पर अपना आधिकारिक बयान जारी किया है।

कांग्रेस ने सरकार पर साधा निशान

कोरोना काल के बाद से ही भारत में टिकटॉक का अस्तित्व खत्म हो गया। भारत में टिकटॉक पिछले पांच सालों से बैन है। अब इसके शुरू होने की खबरें हैं। वेबसाइट पर ऐप शो होने की जानकारी सामने आने के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने सरकार पर निशान साधा। कांग्रेस ने सोशल मीडिया पर लिखा कि टिकटॉक की वेबसाइट देश में चलने लगी है। सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने कहा कि पाकिस्तान के सीजफायर की तरह चीन के साथ भी शहादत का सौदा कर दिया गया है।

कांग्रेस बोली- चीन के साथ शहादत का सौदा किया

कांग्रेस ने एक्स पर एक पोस्ट करके हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने लिखा कि भारत में चीन की कंपनी ‘टिक टॉक’ की वेबसाइट चलने लगी है। चीन से झड़प में हमारे 20 जांबाज सैनिक शहीद हुए। पहले तो नरेंद्र मोदी ने चीन को क्लीनचिट दी। लेकिन जब कांग्रेस ने दबाव बनाया तो हेड लाइन मैनेज करने को ‘टिक टॉक’ बैन किया। वहीं अब पीएम मोदी फिर चीन से लप्पो झप्पो कर रहे हैं। वह चीन के विदेश मंत्री से मिले हैं और खुद चीन जाने वाले हैं। इस बीच ही टिक टॉक से जुड़ी ये खबर आ गई। साफ है, नरेंद्र मोदी का चीन प्रेम, देश प्रेम पर भारी पड़ा है। पाकिस्तान से सीजफायर की तरह चीन के साथ भी शहादत का सौदा कर दिया गया है।

क्या है भारत सरकार का बयान?

इस बवाल के बाद अब इस मामले पर भारत सरकार का बयान आ गया है। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सूत्रों ने यह स्पष्ट किया है कि चीनी ऐप टिकटॉक से प्रतिबंध नहीं हटाया गया है। सरकार से जुड़े सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार ने टिकटॉक को अनब्लॉक करने का कोई आदेश जारी नहीं किया है। ऐसा कोई भी जानकारी झूठी और भ्रामक है।

2020 में टिकटॉक समेत कई मोबाइल एप्लिकेशन पर लगे थे बैन

बता दें कि जून 2020 में केन्द्र सरकार ने ने 59 मोबाइल एप्लिकेशन पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, जिनमें ज्यादातर चीनी थे। इनमें टिकटॉक, यूसी ब्राउजर और वीचैट शामिल थे। सरकार ने तब इन ऐप्स को बैन करने के पीछे तर्क दिया था कि ये ‘भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं। जिस समय सरकार ने यह कदम उठाया, तब चीन के साथ भारत के संबंध तनावपूर्ण थे।

पीएम से लेकर सीएम तक...गंभीर मामलों में गिरफ्तारी पर छोड़ना होगा पद, संसद में आज अहम विधेयक पेश करेगी सरकार

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केंद्र की नरेन्द्र मोदी सरकार आज अहम बिल पेश करने जा रही है। इस बिल में ऐसा प्रावधान है कि कोई भी मंत्री, मुख्यमंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री भी अगर किसी अपराध में गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिन तक हिरासत में रहता है तो उसे पद से हटना पड़ेगा। ये प्रस्तावित कानून केवल राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों पर ही नहीं, बल्कि केंद्र के मंत्रियों और प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा।

अमित शाह बुधवार को लोकसभा में तीन महत्वपूर्ण विधेयक पेश करने जा रही है। इन विधेयकों का उद्देश्य यह है कि अगर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार या हिरासत में लिया जाता है तो उन्हें उनके पद से हटाया जा सके। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, मौजूदा कानूनों में ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है जिससे गिरफ्तारी या न्यायिक हिरासत की स्थिति में ऐसे नेताओं को उनके पद से हटाया जा सके। इसी कमी को दूर करने के लिए सरकार ने ये तीन विधेयक तैयार किए हैं।

संसद में आज जो बिल पेश किए जाएंगे, ये विधेयक हैं: केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025; संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन तीनों विधेयकों को संसद की एक संयुक्त समिति को भेजने के लिए लोकसभा में एक प्रस्ताव भी पेश करेंगे।

30 दिन लगातार हिरासत में रहने पर छोड़ना होगा पद

संविधान संशोधन विधेयक में धारा 75 में नया क्लॉज़ 5(ए) जोड़ने का प्रस्ताव है। इसके अनुसार यदि कोई मंत्री 30 दिन लगातार गिरफ्तार रहकर हिरासत में रहता है और उस पर ऐसा आरोप है जिसमें पांच साल या उससे अधिक की सजा हो सकती है, तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर 31वें दिन उसे पद से हटा देंगे। अगर प्रधानमंत्री 31वें दिन तक यह सलाह नहीं देते तो भी वह मंत्री अपने आप पद से मुक्त हो जाएगा।

प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा ये नियम

इसी तरह प्रधानमंत्री पर भी नियम और कड़े होंगे। अगर पीएम लगातार 30 दिन हिरासत में रहते हैं तो उन्हें 31वें दिन इस्तीफा देना होगा। अगर इस्तीफा नहीं देते तो वे अपने आप प्रधानमंत्री पद से हट जाएंगे। हालांकि, ऐसे मंत्री या प्रधानमंत्री रिहाई के बाद दोबारा नियुक्त हो सकते हैं। यही प्रावधान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों पर भी लागू होगा।

कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर साधा निशाना

वहीं कांग्रेस ने इन विधेयकों को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला किया है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भाजपा सरकार इन विधेयकों के जरिए विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि भाजपा विपक्ष को कमजोर करने के लिए कानून का दुरुपयोग कर रही है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार की योजना है कि केंद्र की एजेंसियों से विपक्षी नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार कराया जाए और फिर नए कानून के तहत उन्हें तुरंत पद से हटा दिया जाए।

बेंगलुरु भगदड़ पर बड़ा खुलासा, सरकार ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट, जानें क्या-क्या कहा?

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रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के आईपीएल 2025 की ट्रॉफी जीतने की खुशी में बेंगलुरु में समारोह का आयोजन किया गया था। इस दौरान भगदड़ मच गई जिसमें 11 लोगों की मौत हो गई और 50 से अधिक घायल हो गए थे। अब इस मामले में कर्नाटक सरकार ने हाई कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। चिन्नास्वामी भगदड़ के मामले में जांच की स्टेटस रिपोर्ट में सारा दोष आरसीबी प्रबंधन पर डाला गया है। सरकार ने उच्च न्यायालय को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि फ्रेंचाइजी ने विजय परेड का आयोजन एकतरफा और पुलिस की पूर्व अनुमति के बिना किया था।

पुलिस के इनकार के बाद आरसीबी ने इवेंट को आगे बढ़ाया

कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि आरसीबी ने तीन जून को अहमदाबाद में अपनी जीत के बाद सोशल मीडिया पर सुबह 7:01 बजे एक पोस्ट के जरिए मुफ्त प्रवेश और विक्ट्री परेड की घोषणा की। यह परेड विधान सौधा से शुरू होकर चिन्नास्वामी स्टेडियम पर खत्म होनी थी। यह घोषणा बिना पुलिस की अनुमति के की गई थी। कर्नाटक राज्य क्रिकेट संघ ने तीन जून की शाम 6:30 बजे पुलिस से अनुमति मांगी थी, लेकिन अपेक्षित भीड़, व्यवस्था और संभावित जोखिमों की जानकारी न होने के कारण कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इसके बावजूद आरसीबी ने अपने इवेंट को आगे बढ़ाया, जिसके परिणामस्वरूप भारी भीड़ जमा हुई और गेट नंबर 1, 2 और 21 पर भगदड़ मच गई।

सोशल मीडिया पर परेड की घोषणा

रिपोर्ट में आरसीबी और उसके आयोजकों की ओर से कई चूकों पर प्रकाश डाला गया है, जिसमें सोशल मीडिया पोस्ट भी शामिल हैं। फ्रेंचाइजी ने 4 जून को सुबह 7:01 बजे सोशल मीडिया के माध्यम से प्रशंसकों के लिए एक खुला निमंत्रण पोस्ट किया, जिसमें विजय परेड के लिए मुफ्त सार्वजनिक प्रवेश की घोषणा की गई। सुबह 8 बजे एक और पोस्ट किया गया। सुबह 8:55 बजे, आरसीबी के आधिकारिक हैंडल पर विराट कोहली का एक वीडियो पोस्ट किया गया, जिसमें प्रशंसकों को टीम के साथ जश्न मनाने के लिए आमंत्रित किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया है- इसके बाद 04.06.2025 को सुबह 8:55 बजे, आरसीबी ने आरसीबी टीम के एक प्रमुख खिलाड़ी विराट कोहली का एक वीडियो क्लिप आरसीबी के आधिकारिक हैंडल पर साझा किया, जिसमें उन्होंने कहा कि टीम इस जीत का जश्न बेंगलुरु शहर के लोगों और आरसीबी प्रशंसकों के साथ 04.06.2025 को बेंगलुरु में मनाना चाहती थी।

विराट कोहली तक पहुंचेगी जांच की आंच?

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि बड़ी संख्या में भीड़ जमा होने के पीछे विराट कोहली का वीडियो भी एक बड़ा कारण था। बताया गया है कि विराट, जो कि बड़े खिलाड़ी हैं, ने वीडियो के माध्यम से लोगों से विक्ट्री परेड में आने के लिए अपील की थी। यही वजह है कि बड़ी संख्या में फैंस जमा हो गए।

कानपुर सीएमओ सस्पेंशन पर हाईकोर्ट की रोक, 19 जून के निलंबन आदेश को अंतरिम राहत
लखनऊ। कानपुर नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. हरिदत्त के निलंबन मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने राज्य सरकार को तगड़ा झटका दिया है। न्यायमूर्ति मनीष माथुर की एकल पीठ ने 19 जून 2025 को जारी किए गए निलंबन आदेश पर अंतरिम रोक लगाते हुए राज्य सरकार और अन्य पक्षों से चार सप्ताह में जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 18 अगस्त को होगी।

याचिका दायर करने वाले डॉ. हरिदत्त ने अपने निलंबन को चुनौती देते हुए कहा कि उन्हें बिना किसी विभागीय जांच और सुनवाई के पद से हटाया गया। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया कि उसी दिन विपक्षी पार्टी संख्या-3 को सीएमओ पद पर तैनात कर दिया गया, जो नियमों के विरुद्ध है।

याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एल.पी. मिश्रा ने दलील दी कि डॉ. हरिदत्त को केवल माइनर पेनल्टी के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा गया था, न कि निलंबन के लिए। कोर्ट ने प्रथम दृष्टया माना कि याचिकाकर्ता की दलीलों में दम है। निलंबन आदेश बिना उचित प्रक्रिया और UP Govt. Servants (Discipline & Appeal) Rules, 1999 के प्रावधानों के उल्लंघन के तहत पारित किया गया प्रतीत होता है।
इस आधार पर अदालत ने 19 जून को पारित दोनों निलंबन आदेशों (Annexure 1 और 2) पर रोक लगा दी है। अब राज्य सरकार को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
अब बांग्लादेश की बारी, गंगा संधि की समीक्षा की तैयारी मे मोदी सरकार, पड़ोसी देश पर डाला दबाव

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भारत को पड़ोसी देश उसे आंखे दिखाने से बाज नहीं आ रहे। ऐसे में भारत सरकार ने भी इनपर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हाल ही में जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु समझौते को निलंबित कर दिया है। अब मोदी सरकार ने बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि पर फिर से बातचीत करने का फैसला किया है।

बांग्लादेश को पहुंचाया संदेश

भारत ने बांग्लादेश के साथ भी गंगा जल संधि पर फिर दोबारा विचार शुरू कर दिया है। बांग्लादेश के साथ गंगा नदी जल संधि की मियाद अगले साल ही पूरी होने वाली है। ऐसे में भारत ने अभी से बांग्लादेश को यह संदेश पहुंचा दिया है कि उसे अपनी जरूरत पूरा करने लिए और पानी चाहिए। भारत ने अपने समकक्ष को बताया है कि उसे अपनी विकास संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए अधिक पानी की आवश्यकता है।

छोटी अवधी के लिए हो सकती है नई संधि

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अगर संधि बढ़ी भी तो पहली जितनी लंबी अवधि के लिए नहीं होगी। नई संधि संभवतः छोटी अवधि की होगी, जो 10 से 15 वर्ष तक चलेगी। छोटी अवधि दोनों देशों के लिए आगे बढ़ने में लचीलापन और अनुकूलनशीलता को बढ़ावा देगी।

बता दें कि गंगा जल संधि पर 12 दिसम्बर 1996 को हस्ताक्षर किये गये थे, जिसमें जल बंटवारे, विशेष रूप से कम वर्षा वाले मौसम में फरक्का बैराज के आसपास जल बंटवारे पर जोर दिया गया था।

पहलगाम हमले के बाद स्थिति बदली

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया है कि पहले सरकार गंगा जल संधि को पहले की तरह 30 साल के लिए बढ़ाना चाहती थी। लेकिन, पहलगाम की घटना के बाद स्थिति बदल गई। मई में बांग्लादेश के अधिकारियों के साथ एक बैठक हुई थी। अधिकारी ने कहा कि यह एक सामान्य बैठक थी, जो साल में दो बार होती है। इस बैठक में भारत ने अपने लिए पानी की जरूरत के बारे में बताया।

कैसे होता है गंगा जल संधि के तहत पानी का बंटवारा

1996 की गंगा जल संधि के अनुसार अगर फरक्का में पानी की उपलब्धता 70,000 क्यूसेक या उससे कम रहती है, तो दोनों देशों को आधा-आधा पानी मिलता है। लेकिन, अगर यह उपलब्धता 70,000 क्यूसेक से 75,000 क्यूसेक के बीच होता है तो बांग्लादेश को 35,000 क्यूसेक और भारत को बाकी हिस्सा मिलता है। लेकिन, अगर पानी की उपलब्धता 75,000 क्यूसेक या उससे भी ज्यादा होता है तो भारत उसका 40,000 क्यूसेक हिस्सा इस्तेमाल कर सकता है और बाकी प्रवाह बांग्लादेश को जाता है

ट्रंप को नोबेल नामांकन पर पाकिस्तान में ही घिरी शहबाज सरकार, जानें पूरा मामला

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करने के फैसले के बाद पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार अपने ही लोगों के निशाने पर आ गई है। पाकिस्तान के कुछ नेताओं और प्रमुख हस्तियों ने ईरान के तीन परमाणु केंद्रों पर अमेरिका के हमले के बाद सरकार से 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नाम की सिफारिश करने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कह रहे हैं।

पाकिस्तान सरकार ने शुक्रवार को अचानक घोषणा की थी कि भारत-पाकिस्तान के बीच हालिया तनाव कम करने में डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका को देखते हुए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया जाएगा। इसके लिए उपप्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने नॉर्वे में नोबेल कमेटी को सिफारिश पत्र भी भेज दिया। 

ट्रंप के लिए इस सिफारिश के कुछ घंटों बाद ही अमेरिका ने ईरान के तीन अहम परमाणु ठिकानों पर हमला बोल दिया, जिसके बाद पाकिस्तान में सरकार की कड़ी आलोचना शुरू हो गई। देश के कुछ प्रमुख राजनेताओं ने सरकार से नवीनतम घटनाक्रम के मद्देनजर अपने फैसले की समीक्षा करने की मांग की है। 

शहबाज सरकार से फैसला वापस लेने की मांग

जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम (JUI-F) के प्रमुख वरिष्ठ नेता मौलाना फजलुर रहमान ने मांग की कि सरकार अपना फैसला वापस ले। फजल ने रविवार को मरी में पार्टी की एक बैठक में कार्यकर्ताओं से कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप का शांति का दावा झूठा साबित हुआ है। नोबेल पुरस्कार के लिए प्रस्ताव वापस लिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की हाल में पाकिस्तान के सेना प्रमुख, फील्ड मार्शल आसिम मुनीर के साथ बैठक और दोनों के साथ में भोजन करने से ‘पाकिस्तानी शासकों को इतनी खुशी हुई’ कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की सिफारिश कर दी।

‘अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा’

फजल ने सवाल किया, ट्रंप ने फिलिस्तीन, सीरिया, लेबनान और ईरान पर इजराइल के हमलों का समर्थन किया है। यह शांति का संकेत कैसे हो सकता है?' उन्होंने कहा, जब अमेरिका के हाथों पर अफगानों और फिलिस्तीनियों का खून लगा हो, तो वह शांति का समर्थक होने का दावा कैसे कर सकता है?'

ट्रंप कोई शांति दूत नहीं- पूर्व सांसद

पूर्व सांसद मुशाहिद हुसैन ने ट्रंप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ट्रंप अब कोई 'शांति दूत' नहीं, बल्कि 'युद्ध का समर्थक' बन चुके हैं। उन्होंने पाकिस्तान सरकार से नोबेल की सिफारिश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि ट्रंप ने खुद को इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू और युद्ध लॉबी के चंगुल में फंसा लिया है।

कुंभ भगदड़ पर राहुल गांधी का सरकार को घेरा, बोले-आंकड़ों में छुपाई गई गरीबों की लाशें

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इस साल प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में हुई भगदड़ में मरने वालों को लेकर एक बार फिर सियासत गरमा गई है। महाकुंभ हादसे में मरने वालों की तादाद को लेकर विपक्ष लगातार केन्द्र की बीजेपी सरकार को घर रहा है।विपक्ष का आरोप रहा है कि वहां हुई भगदड़ व हादसों में मृतकों के आंकड़ों को छुपाया गया है। इस बीच कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को बीबीसी की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए आरोप लगाया कि महाकुंभ के दौरान भगदड़ में मरने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दबा दी गई है। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि उसकी कोई जवाबदेही नहीं है। 

आंकड़े गायब कर दो, ज़िम्मेदारी भी खत्म-राहुल गांधी

बीबीसी के हवाले से राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर कहा कि बीजेपी सरकार का यही तरीका है-'आंकड़े गायब कर दो, तो ज़िम्मेदारी भी खत्म हो जाती है।' राहुल ने आरोप लगाया कि यही खेल कोविड महामारी के समय भी हुआ था, जब गरीबों की लाशें गंगा किनारे बहती मिलीं, लेकिन सरकारी आंकड़ों में मौतें बहुत कम बताई गईं। 

मृतकों के आंकड़े छिपाना 'बीजेपी मॉडल'-राहुल गांधी

कांग्रेस नेता का कहना था कि हर बड़े रेल हादसे के बाद भी यही होता है, असली आंकड़े छुपा दिए जाते हैं। हादसे के बाद मृतकों के आंकड़े छिपाने को उन्होंने 'बीजेपी मॉडल' करार देते हुए कहा कि गरीबों की गिनती नहीं तो जवाबदेही भी नहीं।

अखिलेश यादव ने भी लगाया झूठ बोलने का आरोप

इससे पहले मंगलवार को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसी मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार पर 29 जनवरी के महाकुंभ भगदड़ में मरने वालों की संख्या के बारे में झूठ बोलने का आरोप लगाया और कहा कि जो लोग "झूठे आंकड़े" पेश करते हैं, जनता के विश्वास के लायक नहीं हैं।

बीबीसी ने रिपोर्ट में क्या?

दरअसल, हाल ही में बीबीसी ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इस रिपोर्ट में उसने कुंभ के दौरान मची भगदड़ में हुई मौतों के आंकड़े बताए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कुंभ में कम से कम 82 लोगों की जान गई जबकि सरकार ने कहा कि 37 लोगों की मौत हुई है।

लालू यादव का नीतीश कुमार पर बड़ा आरोप, बोले-कानून व्यवस्था का किया अंतिम संस्कार

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राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने बिहार में बढ़ते अपराध पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तीखा वार किया है। लालू यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर नीतीश सरकार को आंकड़े दिखाकर घेरने की कोशिश की है।लालू यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिये आंकड़ों का जिक्र करते हुए नीतीश सरकार पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि नीतीश कुमार और बीजेपी ने कानून व्यवस्था का अंतिम संस्कार कर दिया है।

नीतीश के शासनकाल में 65,000 हत्याएं ?

लालू यादव ने मंगलवार सुबह ट्वीट करते हुए लिखा, नीतीश बताएं कि शाम पांच बजे से पहले घर में घुसकर ही कितनी हत्याएं हो रही है? क्या नीतीश जानते, पहचानते व समझते हैं कि उनके शासनकाल में आधिकारिक आंकड़ों में 65,000 हत्याएं हुई हैं? नीतीश-बीजेपी ने विधि व्यवस्था का दम ही नहीं निकाला बल्कि उसका अंतिम संस्कार भी कर दिया है। बिहार में इतनी भ्रष्ट, लापरवाह और कामचोर पुलिस कभी भी नहीं रही।

लालू का नीतीश सरकार पर जारी है हमला

इससे पहले भी लालू प्रसाद यादव ने नीतीश सरकार पर हमला बोला था। तीन दिन पहले सात जून को उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि बिहार में अपराधी बेलगाम हैं। अफसरशाही मदमस्त हैं। सरकार बेहोश है और महंगाई रिकॉर्डतोड़ है।राज्य गरीबी, बेरोजगारी, पलायन बढ़ गई है। 20 वर्षों की इस एनडीए सरकार ने बिहार का बंटाधार कर दिया है।

बिहार में आपराध के बढ़े मामले

दरअसल, बिहार में हाल की घटनाओं ने कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। हाल ही में मुजफ्फरपुर में एक दलित बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या, पटना सिटी में डबल मर्डर, आरा में ज्वेलरी लूटकांड समेत बिहार के अलग-अलग जिलों में अपराध के बढ़ते मामले लगातार बिहार में कानून व्यवस्था को चुनौती दे रहे हैं। बिहार की राजधानी पटना में बीते दिनों वीआईपी इलाके में खुलेआम हुई फायरिंग की घटना ने भी पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाने का काम किया है।

हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में प्रवेश शुरू, जानिए कब तक ऑनलाइन कर सकते हैं आवेदन…

दुर्ग- हेमचंद यादव विश्वविद्यालय से सम्बद्धता प्राप्त महाविद्यालयों में सत्र 2025-26 के तहत स्नातक प्रथम सेमेस्टर में नियमित प्रवेश के लिए ऑनलाइन प्रवेश 5 जून से शुरू हो गया है. छात्र-छात्राएं विश्वविद्यालय की वेबबसाइट www.durguniversity.ac.in पर जाकर अथवा http://durg1.ucanapply.com के जरिए ऑनलाइन आवेदन फार्म भर सकते हैं.

विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में प्रथम चरण के लिए 5 जून से शुरू हुई प्रक्रिया 15 जून तक चलेगी, 16 जून को मेरिट सूची जारी की जाएगी. इसके बाद 16 से 20 जून तक सूची में शामिल छात्र प्रवेश ले सकते हैं. इसके बाद दूसरे चरण के लिए प्रवेश प्रक्रिया 21 से 30 जून तक चलेगी. एक जुलाई को मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी.

मेरिट लिस्ट में शामिल छात्र एक जुलाई से 7 जुलाई तक प्रवेश ले सकते हैं. इसी तरह तृतीय चरण के लिए प्रवेश प्रक्रिया 8 से 21 जुलाई तक चलेगी. मेरिट लिस्ट 22 जुलाई को जारी की जाएगी. चयनित छात्र 22 से 31 जुलाई तक महाविद्यालयों में प्रवेश ले सकते हैं.

महाविद्यालयों में सीटें रिक्त होने की स्थिति में कुलपति की अनुमति से प्रवेश की अंतिम तिथि 14 अगस्त है. बीसीए, बीबीए, बीएससी. गृह विज्ञान, बीए, डीसीए कक्षाओं के लिए प्रवेश आवेदन पोर्टल खोला जा रहा है. इसी तरह से प्राइवेट विद्यार्थियों के अलग से पंजीयन पोर्टल खोला जाएगा. जिसके लिए वेबसाइट www.durguniversity.ac.in का अवलोकन करने कहा गया है.

विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि प्रवेश आवेदन फार्म पूर्णतः निःशुल्क है. छात्रों को ABC (Academic Bank of Credit) आईडी (Link:- http://www.abc.gov.in) बनाना अनिवार्य है. ABC (Academic Bank of Credit) आई.डी. बनाने के पश्चात ही विद्यार्थी प्रवेश आवेदन फार्म भर सकेंगे.

साइंस कॉलेज में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ

शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय दुर्ग (साइंस कॉलेज) में 6 जून से प्रथम सेमेस्टर में प्रवेश के लिए आवेदन प्रक्रिया प्रारंभ शुरू हो गई है. प्रथम सेमेस्टर विज्ञान संकाय के अंतर्गत जीव विज्ञान के समस्त समूह, गणित संकाय के समस्त समूह, वाणिज्य संकाय, कला संकाय तथा कम्प्यूटर साइंस विषय हेतु प्रवेश प्रक्रिया के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. इच्छुक विद्यार्थी सांइस कॉलेज की वेबसाइट www.govtsciencecollegedurg.ac.in पर प्रवेश के लिए लिंक पर जाकर अपना पंजीयन कर सकते हैं.

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख बने रहेंगे मोहम्मद यूनुस, इमरजेंसी मीटिंग के बाद “यूटर्न

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बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस अपने पद पर बने रहेंगे।बांग्लादेश के अंतरिम मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की अटकलों के बीच बुलाई गई आपात बैठक के बाद ये साफ हो गया है कि यूनुस फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। उनके मंत्रिमंडल के एक सलाहकार ने शनिवार को यह जानकारी दी। दो दिन पहले यूनुस के एक प्रमुख सहयोगी ने कहा था कि वह इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं। अब उन्होंने इसे पूरी तरह से नकार दिया है।

शनिवार को सलाहकार परिषद की एक गैर-निर्धारित बैठक के बाद योजना सलाहकार वहीदुद्दीन महमूद ने कहा कि यूनुस ने यह नहीं कहा था कि वह पद छोड़ देंगे। उन्होंने कहा था कि हमें सौंपे गए काम और जिम्मेदारियों को पूरा करने में कई बाधाएं आ रही हैं, लेकिन हम उन पर काबू पाने की कोशिश रहे हैं। वहीदुद्दीन महमूद ने आगे कहा- वे निश्चित रूप से बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी सलाहकार कहीं नहीं जा रहा है क्योंकि हमें सौंपी गई जिम्मेदारी महत्वपूर्ण है; हम इस कर्तव्य को नहीं छोड़ सकते। यह बयान ऐसे समय आया है जब यूनुस के इस्तीफे की अटकलें दो दिन पहले सामने आई थीं।

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने शनिवार को अपने प्रशासन, राजनीतिक दलों और सेना के बीच बढ़ती असहजता की समीक्षा के लिए सलाहकार परिषद की एक बैठक बुलाई थी। इससे पहले यूनुस ने मुख्य सलाहकार के पद से हटने की इच्छा व्यक्त की थी। उन्होंने बदलाव को लेकर राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति न बन पाने के कारण काम करने में आ रहीं परेशानियों का हवाला दिया था।

देश की राजनीति इस समय अस्थिरता के दौर से गुजर रही है। अगस्त 2024 में शेख हसीना की सरकार को सत्ता से हटाए जाने के बाद से हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। विरोधी पार्टियों, छात्र संगठनों और ट्रेड यूनियनों ने पिछले कुछ दिनों में ढाका की सड़कों पर प्रदर्शन तेज कर दिया है। यूनुस की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को भंग कर दिया है और उसके कई वरिष्ठ नेताओं को जेल भेज दिया है। इधर बीएनपी की मांग है कि जल्द से जल्द चुनाव की तारीख घोषित की जाए। पार्टी ने इस सप्ताह बड़े प्रदर्शन भी किए हैं। साथ ही, उन्होंने कैबिनेट से छात्र प्रतिनिधियों को हटाने की मांग की है, जबकि एनसीपी ने दो सलाहकारों को हटाने की बात कही है, जिन पर बीएनपी के हित में काम करने का आरोप है।