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Sep 28 2023, 15:15

चीन ने भारत के मिशन चंद्र की सफलता पर उठाया सवाल, कहा- चांद के दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतरा चंद्रयान-3

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भारत और चीन के बीच का तनाव किसी से छुपा नहीं है। चीन अक्सर भारतीय क्षेत्रों पर अपने दावे करता रहता है। इस बीच चीन ने ऐसा दावा किया जिससे साफ जाहिर होता है कि ड्रैगन को भारत की सफलता पची नहीं है। दरअसल, एक शीर्ष चीनी वैज्ञानिक ने दावा किया है कि भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव या उसके आसपास नहीं उतरा।बता दें कि, भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरा था और ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन गया था।लेकिन अब चीनी वैज्ञानिक ने कहा है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र है ही नहीं।

चीन के वैज्ञानिक ने यह दावा ऐसे समय पर किया है जब भारत विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को फिर से सक्रिय करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहा है।यह टिप्पणियां बुधवार को चीनी ब्रह्मांड रसायनज्ञ ओयांग ज़ियुआन द्वारा की गईं। जो चीन के पहले चंद्र मिशन के मुख्य वैज्ञानिक थे।उन्‍होंने यह भी दावा किया कि भारत के चंद्रयान 3 ने न तो दक्षिणी ध्रुव पर या न ही उसके पास लैंडिंग की है। चीनी वैज्ञानिक ने कहा, चंद्रयान-3 का लैंडिंग साइट चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव नहीं था। न ही चंद्रमा का ध्रुवीय इलाका या अंटारकटिक का ध्रुवीय इलाका।

चीनी वैज्ञानिक ने दिया ये तर्क

ज़ियुआन ने आधिकारिक साइंस टाइम्स अखबार से बातचीत करते हुए कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को लेकर अलग-अलग धारणाओं से उपजा है।चीनी वैज्ञानिक अपने दावे के समर्थन में दलील देते हैं कि चूंकि चंद्रमा 1.5 डिग्री झुका है, ऐसे में उसका दक्षिणी ध्रुव का इलाका धरती के मुकाबले बहुत छोटा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मानना है कि चंद्रमा का दक्षिणी इलाका 80 से 90 डिग्री के बीच है। वहीं चीनी वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि यह 88.5 से 90 डिग्री के बीच है जो काफी छोटा है।जियूआन कहते हैं कि यह चंद्रमा के 1.5 डिग्री झुकाव की वजह से है।

किसी भी वैज्ञानिक ने भारत की सफलता का खंडन नहीं किया

अब तक दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक ने भारत के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने के दावे का खंडन नहीं किया है। यही नहीं नासा और यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी ने तो इसरो के वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की है। वहीं चीन के ही हांगकांग यूनिवर्सिटी के स्‍पेस रीसर्य लेब्रोटरी ने चीनी वैज्ञानिक जियूआन के दावे को खारिज कर दिया है। लेब्रोटरी के चीनी वैज्ञानिक क्‍वेंटिन पार्कर कहते हैं कि जिस क्षण आप दक्षिणी ध्रुव के नजदीक अपना रोवर उतारते हैं, जिसे दक्षिणी ध्रुव माना गया है, वह अपने आप में ही बड़ी उपलब्धि है।

भारत बना चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश

अगर चंद्रयान-3 मिशन की बात करें तो 14 जुलाई को इसे लॉन्च किया गया था, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की चांद के दक्षिणी हिस्से पर सफलतम लैंडिंग हुई। भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना है, जबकि चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश है। इस हिस्से को भारत ने ‘शिवशक्ति प्वाइंट’ नाम दिया है। 23 अगस्त के बाद से ही विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर ने काम शुरू किया, अभी के हिसाब से 2 सितंबर तक इनकी लाइफलाइन है।

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Sep 15 2023, 15:58

धरती के कारण चंद्रमा पर बन रहा है पानी, चंद्रयान-1 के डेटा स्टडी के बाद वैज्ञानिकों का दावा

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15 साल पहले लॉन्‍च हुए भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी का पता लगाया था। यह मिशन आज भी वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बना हुआ है। चंद्रयान-1 की ओर से भेजे गए डेटा की स्टडी के बाद अब खुलासा हो रहा है कि धरती की वजह से ही चांद पर पानी बन रहा है। चंद्रयान-1 के डेटा की स्टडी कर रहे अमेरिका की हवाई यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने दावा किया है कि पृथ्वी के हाई एनर्जी इलेक्ट्रॉन चांद पर पानी बना रहे हैं। ये इलेक्ट्रॉन्स पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में हैं, जो मौसमी प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार है, यानी इनके होने से ही पृथ्वी के मौसम में बदलाव होता है।

अमेरिका के मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय (यूएच) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली टीम ने चंद्रयान-1 के रिमोट सेंसिंग डेटा का एनालिसिस किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में इलेक्ट्रॉन चंद्रमा की सतह पर अपक्षय प्रक्रियाओं यानी चट्टानों और खनिजों के टूटने या घुलने में मदद कर रहे हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में इसे लेकर एक शोध प्रकाशित किया गया है। इस शोध में पाया गया कि इलेक्ट्रॉन चंद्र पिंड पर पानी का निर्माण करने में मदद किए होंगे। 

इस स्टडी में कहा गया है कि भले ही चंद्रमा पर तेजी से पानी के उत्पादन के प्रमुख स्रोत के रूप में सोलर विंड के महत्व की पुष्टि की गई है, मगर धरती के प्लाज्मा शीट के अब तक नहीं देखे गए गुण भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। साइंटिस्टों ने कहा कि चंद्रमा पर पानी के जमाव और वितरण को जानना इसके गठन और विकास को समझने और भविष्य में मानव खोजों के लिए जल संसाधन उपलब्ध कराने के लिए महत्वपूर्ण है।

रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर स्थायी रूप से छाया में रहने वाले क्षेत्रों में पहले तलाशी गई बर्फ की उत्पत्ति को समझने के लिए चंद्रयान -1 मिशन के डेटा का उपयोग किया है। रिसर्चर्स ने पिछली रिसर्च पर और काम किया। इसमें पता चला कि पृथ्वी के मैग्नेटोटेल में ऑक्सीजन की वजह से चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में लोहे को जंग लगा रही है। साथ ही चंद्रमा के पृथ्वी के मैग्नेटोटेल से गुजरने पर सतह के मौसम में बदलाव की जांच करने का निर्णय लिया। ली शुआई जो इस रिसर्च में शामिल थे उन्‍होंने बताया, यह चंद्रमा की सतह पर पानी के गठन की प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए एक नैचुरल लैब मुहैया कराता है। जब चंद्रमा मैग्नेटोटेल के बाहर होता है तो चंद्रमा की सतह पर सौर हवा की वजह से बमबारी होती है। मैग्नेटोटेल के अंदर सौर हवा के प्रोटॉन लगभग न के बराबर होते हैं। ऐसे में पानी के निर्माण की उम्‍मीद जीरो थी।

आसान शब्दों में हम इसे ऐसे समझ सकते हैं कि चांद पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। यानी 14 दिन ही यहां पर सूरज की रोशनी होती है। जब यहां सूरज की रोशनी नहीं होती तो सोलर विंड की बौछार होती है। इसी दौरान पानी बनने का दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि नई खोज पहले खोजी गई पानी की बर्फ की उत्पत्ति को समझाने में भी मददगार हो सकती है।

 मालूम हो कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 का सफल लॉन्च किया था। चंद्रयान-1 ने आठ महीने में चांद के 3,000 चक्कर लगाए और 70 हजार से ज्यादा तस्वीरें भेजीं। इनमें चांद पर बने पहाड़ों और क्रेटर को भी दिखाया गया था। चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों में अंधेरे इलाके के फोटो भी इसने भेजे। इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी चांद पर पानी के होने की पुष्टि थी।

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Sep 06 2023, 12:47

NASA: విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ను క్లిక్‌మనిపించిన నాసా ఉపగ్రహం..

వాషింగ్టన్‌: భారత్‌లో చంద్రయాన్‌-3(Chandrayaan-3) ప్రయోగానికి సంబంధించి ఇస్రో(ISRO) ఎప్పటికప్పుడు అప్‌డేట్స్‌ ఇస్తూ ప్రజల్లో ఆసక్తిని పెంచుతూనే ఉంది..

అయితే తాజాగా అమెరికాకు చెందిన నేషనల్‌ ఏరోనాటిక్స్‌ స్పేస్‌ అడ్మినిస్ట్రేషన్‌(నాసా)(NASA) చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌ చిత్రాన్ని ఎక్స్‌(ట్విటర్‌)లో పంచుకుంది. తన ఉపగ్రహం ఈ ఫొటోను తీసినట్లు తెలిపింది.

'జాబిల్లి ఉపరితలంపై ఉన్న చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌ను నాసాకు చెందిన ఎల్‌ఆర్‌ఓ(లునార్‌ రికానజెన్స్‌ ఆర్బిటర్‌) స్పేస్‌క్రాఫ్ట్‌ ఫొటో తీసింది. ఆగస్టు 23న ఈ ల్యాండర్‌ చంద్రుడి దక్షిణ ధ్రువానికి సుమారు 600 కి.మీ దూరంలో దిగింది' అని నాసా వెల్లడించింది. ల్యాండర్ దిగిన నాలుగురోజుల తర్వాత ఆగస్టు 27న ఎల్‌ఆర్‌ఓ ఈ చిత్రాన్ని తీసింది. జాబిల్లి ఉపరితలంపై ల్యాండర్ దిగుతున్నప్పుడు కలిగిన రాపిడి వల్ల ఒక తెల్లని వలయం ఏర్పడిందని ఈ చిత్రాలను బట్టి తెలుస్తోంది..

చంద్రుడి ఉపరితలం 3డీ అనాగ్లిఫ్‌ చిత్రాన్ని నిన్న ఇస్రో విడుదల చేసింది. అందులో విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ ఉన్న ప్రాంతంలో చంద్రుడి ఉపరితలం ఎలా ఉందో స్పష్టంగా కనిపిస్తోంది. ప్రజ్ఞాన్‌ రోవర్‌కు అమర్చిన నేవిగేషన్‌ కెమెరాలతో తీసిన చిత్రాలను ప్రత్యేక పద్దతిలో క్రోడీకరించి ఈ చిత్రాన్ని రూపొందించినట్లు ఇస్రో ఎక్స్‌ (ట్విటర్‌) వేదికగా విడుదల చేసింది. స్టీరియో లేదా మల్టీ వ్యూ ఇమేజ్‌లను ఒకచోట చేర్చి అవి మూడు కోణాల్లో కనిపించేలా చేయడమే అనాగ్లిఫ్‌. ప్రస్తుతం నిద్రాణంలో ఉన్న ల్యాండర్, రోవర్ సెప్టెంబర్ 22న తిరిగి మేల్కొనే అవకాశం ఉందని ఇస్రో భావిస్తోంది. ఊహించినట్లు అవి పని చేస్తే.. ఇంకొన్నాళ్లపాటు పరిశోధనలు సాగించేందుకు అవకాశం ఉంటుందని పేర్కొంది..

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Sep 04 2023, 18:48

प्रज्ञान के बाद विक्रम भी आज से 18 दिन की नींद में सोया, इसरो ने बताया-कब जागेगी ये जोड़ी?

#chandrayaan3landervikramandroverpragyaninsleep_mode

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद पर प्रज्ञान को सुलाने के बाद आज विक्रम लैंडर को भी सुला दिया। 23 अगस्त को चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद आज विक्रम चांद पर 18 दिन की लंबी नींद में चला गया। नींद में जाने से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने आज सुबह चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग कराई गई। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन का ‘विक्रम’ लैंडर स्लीप मोड में चला गया है। इससे पहले रोवर ‘प्रज्ञान’ शनिवार को सुप्तावस्था में चला गया था। बता दें कि चांद पर अब रात हो गई है।

लैंडर के रिसीवर को रखा गया है चालू

इसरो ने 23 अगस्त को लैंड करने के बाद रोवर प्रज्ञान के निकलने के समय और आज की तस्वीर को भी शेयर किया। इसरो ने एक्स पर लिखा, विक्रम लैंडर भारतीय समयानुसार सुबह करीब आठ बजे सुप्तावस्था में चला गया। इससे पहले चास्ते, रंभा-एलपी और इलसा पेलोड द्वारा नये स्थान पर यथावत प्रयोग किये गये। जो आंकड़े संग्रहित किये गये, उन्हें पृथ्वी पर भेजा गया। पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है। इसके साथ ही इसरो ने बताया कि सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में चला जाएगा। उनके 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है।

विक्रम ने चांद रपर दोबारा लैंडिंग

स्लीप मोड में जाने से पहले विक्रम में चांद पर फिर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसरो ने बताया कि लैंडर के इंजनों को दोबारा चालु किया गया और इसके बाद उसने खुद को लगभग 40 सेमी ऊपर उछाला और 30-40 सेमी के बाद सुरक्षित रूप से लैंड करा दिया। दोबारा सॉफ्ट लैंडिंग से यह साबित हो गया कि लैंडर के अंदर लगे सभी उपकरण बिलकुल ठीक हैं और सभी सक्रिय हैं।

23 अगस्त को हुई थी लॉन्चिंग

बता दें कि 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया था। इसरो के वैज्ञानिकों ने 23 अगस्त शाम 6 बजकर 3 मिनट पर चांद के सतर पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था। लैंडर विक्रम के चांद पर उतरने के करीब चार घंटे बाद रोवर प्रज्ञान ने चांद पर कदम रखा था। जिसके बाद रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम ने अब तक का काम पूरा कर लिया है। रोवर की ओर से धरती पर अब तक जो भी जानकारी भेजी गई है उस पर अध्ययन किया जा रहा है। बता दें कि रोवर प्रज्ञान ने ऑक्सीजन के साथ-साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर एल्युमिनियम, आयरन, टाइटेनियम, कैल्शियम, मैगनीज, सिलिकॉल और सल्फर का पता लगाया है। इस खोज के साथ ही भारत दुनिया का पहला देश है जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन के सबूत दिए हैं। इसरो का अगला पड़ाव चांद के इस हिस्से में जीवन के सबूत खोजना है।

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Sep 04 2023, 10:12

चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के काउंटडाउन में सुनी गई आवाज खामोश, इसरो की वैज्ञानिक का कार्डिएक अरेस्ट से निधन

#chandrayaan3launchcountdownvoiceisroscientistvalarmathipasses_away

चंद्रयान-3 हो या इसरो का कोई भी सेटेलाइट लॉन्चिंग। जब पूरी दुनिया की निगाहें रॉकेट की तरफ रहती हैं तो कानों में एक ही आवाज आती है। यह आवाज होती है काउंटडाउन की। इसरो के जितने भी लॉन्च होते थे, उनके काउंटडाउन के दौरान जो आवाज़ सुनाई देती थी, वो अब लोगों को सुनाई नहीं देगी। यह आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई है। इसरो की वैज्ञानिक वलारमती का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है।

इसरो ने जताया दुख

वलारमथी के निधन पर इसरो ने बताया कि रॉकेट लॉन्च काउंटडाउन के पीछे की प्रतिष्ठित महिला आवाज को श्रीहरिकोटा से भविष्य के मिशनों में नहीं सुना जाएगा। वलारमथी मैम के अप्रत्याशित निधन के साथ, आवाज अनंत काल के लिए फीकी पड़ गई है! वलारमती मैम का शनिवार शाम चेन्नई के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।वैज्ञानिक वलारमथी का अंतिम मिशन चंद्रयान-3 ही था, जो 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ था।

इसरो के पूर्व डायरेक्टर ने जताया शोक

तमिलनाडु के अलियायुर से आने वालीं वलारमथी ने शनिवार को चेन्नई में अंतिम सांस ली।इसरो के पूर्व डायरेक्टर पी.वी. वेंकटकृष्णन ने ट्वीट कर वलारमथी के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि श्रीहरिकोटा में इसरो के आने वाले मिशनों के दौरान अब काउंटडाउन में वलारमथी मैडम की आवाज़ नहीं आएगा। चंद्रयान-3 उनका फाइनल अनाउसमेंट था। ये काफी दुख का क्षण है। प्रणाम।

कई वर्षों तक इसरो टीम का एक अभिन्न हिस्सा रहीं

वलारमथी अपने सहयोगियों के बीच 'मैम' के नाम से भी जानी जाती थीं। कई वर्षों तक इसरो टीम का एक अभिन्न हिस्सा रहीं। आत्मविश्वास और अधिकार से भरी उनकी विशिष्ट आवाज ने इसरो के कई सफल रॉकेट प्रक्षेपणों का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने देश की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चेन्नई में जन्मी और पली-बढ़ी, वलारमती को कम उम्र से ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी का शौक था। उन्होंने इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा प्राप्त की और एक युवा उम्र में ही इसरो में शामिल हुईं। इन वर्षों में, वह अपने सटीक काउंटडाउन और अपने काम के प्रति अटूट समर्पण के साथ संगठन के लिए एक अमूल्य संपत्ति बन गईं।

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Aug 31 2023, 22:10

Chandrayaan-3: చంద్రుడి ఉపరితలంపై సహజ ప్రకంపనలు..?

బెంగళూరు: జాబిల్లిపై శాస్త్రీయ పరిశోధనలు సాగిస్తోన్న చంద్రయాన్‌-3 (Chandrayaan-3) పేలోడ్‌లు.. ఆసక్తికర సమాచారాన్ని వెల్లడిస్తున్నాయి. చంద్రుడి ఉపరితలంపై ఉష్ణోగ్రతల వివరాలు, సల్ఫర్‌ వంటి మూలకాల లభ్యత తదితర సమాచారాన్ని ఇప్పటికే చేరవేశాయి..

ఈ క్రమంలోనే విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ (Vikram Lander)లోని ఇన్‌స్ట్రుమెంట్‌ ఫర్‌ లూనార్‌ సిస్మిక్‌ యాక్టివిటీ (ILSA) పేలోడ్‌.. తాజాగా చంద్రుడిపై సహజ ప్రకంపనలను నమోదు చేయడం గమనార్హం. ఈ మేరకు ఇస్రో (ISRO) ఓ ట్వీట్‌ చేసింది..

'చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌లోని 'ఇల్సా' పేలోడ్‌.. చంద్రుడి ఉపరితలంపై రోవర్‌, ఇతర పేలోడ్‌ల కారణంగా ఏర్పడిన ప్రకంపనలు నమోదు చేసింది. వీటికి అదనంగా.. అక్కడ సహజంగా ఏర్పడినట్లు భావిస్తోన్న ప్రకంపనలనూ గుర్తించింది. ఆగస్టు 26న వాటిని నమోదు చేసింది. వాటి మూలాన్ని గుర్తించే దిశగా అన్వేషణ సాగుతోంది. ఇదిలా ఉండగా.. 'ఇల్సా' పేలోడ్‌.. చంద్రుడిపై మొట్టమొదటి మైక్రో ఎలక్ట్రో మెకానికల్ సిస్టమ్స్ (MEMS) సాంకేతిక ఆధారిత పరికరం' అని ఇస్రో తెలిపింది. 'ఇల్సా' పేలోడ్‌ను 'లేబొరేటరీ ఫర్‌ ఎలక్ట్రో- ఆప్టిక్స్‌ సిస్టమ్స్‌' రూపొందించిందని వెల్లడించింది. దాన్ని చంద్రుడి ఉపరితలంపై మోహరించే యంత్రాంగాన్ని యూఆర్ రావు శాటిలైట్ సెంటర్ అభివృద్ధి చేసిందని తెలిపింది..

నిజంనిప్పులాంటిది

Aug 24 2023, 20:08

Chandrayaan-3: చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండింగ్‌తో.. '45 ట్రిలియన్‌' ట్రెండింగ్‌..!

జాబిల్లి దక్షిణ ధ్రువంపై చంద్రయాన్‌-3 (Chandrayaan-3) విజయవంతంగా అడుగుపెట్టడం యావత్‌ ప్రపంచం దృష్టిని ఆకర్షించింది. అసాధ్యమనుకున్న ఈ యాత్రను సుసాధ్యం చేసిన భారత్‌ (India), ఇస్రో (ISRO) శాస్త్రవేత్తలపై అన్ని దేశాలూ ప్రశంసల జల్లు కురిపిస్తున్నాయి..

అయితే, చంద్రయాన్‌-3 (Chandrayaan-3) ల్యాండింగ్‌ నేపథ్యంలో ఇప్పుడు '45 ట్రిలియన్‌ (45 Trillion)' అనే పదం నెట్టింట తెగ ట్రెండ్‌ అవుతోంది. మన చారిత్రక ప్రయోగంపై బ్రిటిష్‌ (British) జర్నలిస్టులు చేసిన వ్యాఖ్యలే ఇందుక్కారణం. ఇంతకీ ఏం జరిగిందంటే..

చంద్రయాన్‌-3 ప్రయోగంపై ప్రపంచవ్యాప్తంగా హర్షాతిరేకలు వెల్లువెత్తుతున్న వేళ.. కొందరు బ్రిటన్‌ (Britain) జర్నలిస్టులు భారత్‌పై అక్కసు వెళ్లగక్కారు. ''జాబిల్లి దక్షిణ ధ్రువంపైకి రాకెట్లను పంపించేలా అంతరిక్ష రంగంలో పురోగతి సాధించిన దేశాలకు యూకే (UK) ఆర్థిక సాయం పంపించాల్సిన అవసరం లేదు'' అని యూకేకు చెందిన సోఫీ అనే జర్నలిస్టు సోషల్‌మీడియాలో పోస్ట్‌ చేశారు. జీబీ న్యూస్‌కు చెందిన మరో మీడియా ప్రజెంటేటర్‌ స్పందిస్తూ.. ''రూల్‌ ప్రకారం.. జాబిల్లికి అవతలివైపు రాకెట్లను ప్రయోగించే మీరు.. విదేశీ సాయం కోసం మా వద్దకు రావొద్దు. అంతేగాక, మేమిచ్చిన 2.3 బిలియన్‌ పౌండ్లను మాకు తిరిగిచ్చేయాలి'' అని అన్నారు..

దీంతో వీరి పోస్టులపై భారతీయులు తీవ్ర ఆగ్రహం వ్యక్తం చేశారు. రెండు శతాబ్దాల పాటు భారత్‌ను పాలించిన యూకే.. తమ నుంచి దోచుకున్న మొత్తం 45 ట్రిలియన్‌ డాలర్లను తిరిగిచ్చేయాలంటూ నెట్టింట కామెంట్లు చేస్తున్నారు. దీంతో ఇప్పుడు '45 ట్రిలియన్‌' అనే పదం సోషల్‌మీడియాలో ట్రెండ్‌ అవుతోంది.

ఈ 45 ట్రిలియన్‌ ఎలా తెలిసిందంటే..?

భారత్‌కు చెందిన ప్రముఖ ఆర్థికవేత్త ఉత్సా పట్నాయక్‌ ఇటీవల కొలంబియా యూనివర్శిటీ ప్రెస్‌లో ఓ అధ్యయనాన్ని ప్రచురించారు. 1765 నుంచి 1938 వరకు బ్రిటన్‌.. భారత్‌ నుంచి 45 ట్రిలియన్‌ డాలర్లు సంపాదించిందని పట్నాయక్‌ పేర్కొన్నారు. రెండు శతాబ్దాల కాలంలో పన్నులు, వాణిజ్యంపై ఉన్న డేటాను అధ్యయనం చేసి ఆమె ఈ లెక్క చెప్పారు. ఈ మొత్తం.. ప్రస్తుతం యూకే జీడీపీ కంటే 15 రెట్లు ఎక్కువ..

ఇదిలా ఉండగా.. అంతరిక్ష ప్రయోగాలకు యూకే నుంచి ఆర్థిక సాయాన్ని భారత్‌ 2015లోనే నిలిపివేసిందని ఈ ఏడాది మార్చిలో గార్డియన్‌ ఓ కథనం వెలువరించింది. అయితే, ఆ తర్వాత ఇండిపెండెంట్‌ కమిషన్‌ ఫర్‌ ఎయిడ్ ఇంపాక్ట్‌ సమీక్ష చేపట్టి.. 2016 నుంచి 2021 వరకు యూకే.. భారత్‌కు 2.3 బిలియన్‌ పౌండ్లు సాయంగా ఇచ్చిందని ప్రకటించింది. దీన్ని ఉద్దేశిస్తూనే యూకే జర్నలిస్టులు పోస్టులు చేశారు..

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Aug 23 2023, 18:54

गौरव का पल, भारत की 'चन्द्रविजय' ! ISRO ने की चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग, ये उपलब्धि पाने वाला दुनिया का पहला देश बना हिंदुस्तान

ISRO ने बुधवार को शाम को विश्वभर में इतिहास रच दिया है। चंद्रयान-3 चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंड कर चुका है, जो भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है। भारत चंद्रमा की दक्षिणी सतह पर आसानी से अंतरिक्ष यान उतारने वाला पहला देश बन गया है। 140 करोड़ लोगों की प्रार्थना और ISRO के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिकों की 4 साल की कड़ी मेहनत और लगन आखिर रंग ले ही लाई और अब पूरी दुनिया ही नहीं चांद भी भारत की मुठ्ठी में है।  

अब ISRO ने चांद पर तिरंगा लहरा दिया है। अब बच्चे केवल चंदा मामा नहीं बुलाएंगे। चांद की तरफ देख कर अपने भविष्य के सपने को भी देखेंगे। करवा चौथ की छन्नी से भारतीय स्त्री केवल चांद को ही नहीं, बल्कि भारत की बुलंदी भी दिखेगी। Chandrayaan-3 ने चांद की दक्षिणी सतह पर अपने कदम रख दिए हैं। बीते चार वर्षों से ISRO के साढ़े 16 हजार वैज्ञानिक जो मेहनत कर रहे थे, वो पूरी हो चुकी है। भारत का नाम अब विश्व के उन 4 देशों में जुड़ गया है, जो सॉफ्ट लैंडिंग में एक्सपर्ट हैं। चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के पीछे वैज्ञानिकों की मेहनत के साथ ही लगभग 140 करोड़ लोगों की प्राथनाएं भी कबूल हो गई हैं।  

बता दें कि, दुनिया में अब तक चांद पर महज तीन देश सफलतापूर्वक उतर पाए थे। अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन। लेकिन, ये भी दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतरे थे। भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता पाई है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन चुका है। वहीं, दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला दुनिया का पहला देश बनकर इतिहास रच दिया है।

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Aug 22 2023, 15:57

एक्टर प्रकाश राज के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज, चंद्रयान 3 का मजाक उड़ाना पड़ा भारी

#case_filed_against_actor_prakash_raj_accused_of_making_fun_of_chandrayaan_3

फिल्म अभिनेता प्रकाश राज की मुश्किल बढ़ सकती है। चंद्रयान-3 पर पोस्ट की वजह से केस दर्ज किया गया है।प्रकाश राज ने सोशल मीडिया पर 'चंद्रयान-3' से जोड़कर एक फोटो शेयर की थी, जिसको लेकर उन्हें काफी ट्रोल किया गया।अब हिंदूवादी संगठनों ने उनके खिलाफ शिकायत भी दर्ज कराई है।प्रकाश राज के खिलाफ कर्नाटक के बागलकोट जिले के बनहट्टी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई है।

भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 पर अभिनेता प्रकाश राज की एक हालिया पोस्ट ने सोशल मीडिया पर आक्रोश पैदा कर दिया है। 58 साल के अभिनेता के चंद्रमा पर एक चाय बेचने वाले के बारे में एक पुराने मलयाली चुटकुले के चित्रण को चंद्रयान-3 मिशन पर व्यंग्यात्मक और अपमानजनक रूप में देखा जा रहा है। 

प्रकाश राज ने हाल ही में ट्विटर पर एक विवादित पोस्ट किया था और 'इसरो' के मून मिशन 'चंद्रयान 3' का मजाक उड़ाया था। एक्टर ने इस मून मिशन का मजाक उड़ाते हुए एक कार्टून शेयर किया था। उनके इस पोस्ट में एक शख्स लुंगी पहने हुए एक मग से दूसरे मग में चाय डालता दिख रहा है। इसे तस्वीर के साथ उन्होंने लिखा है, 'चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर से चांद की आने वाली पहली तस्वीर'।

सोशल मीडिया पर आक्रोश का सामना कर रहे प्रकाश राज ने एक्स पर स्पष्ट किया कि उनकी टिप्पणियां केवल मजाक के तौर पर थीं। नफरत केवल नफरत देखती है...मैं हमारे केरल चायवाला का जश्न मनाते हुए #आर्मस्ट्रांग के समय के एक चुटकुले का जिक्र कर रहा था - ट्रोल्स ने कौन सा चायवाला देखा? अगर आपको चुटकुला समझ नहीं आया तो चुटकुला आप पर है. बड़े हो जाओ #जस्टअस्किंग"।

నిజంనిప్పులాంటిది

Aug 22 2023, 12:43

Chandrayaan-3: లాంచింగ్‌ నుంచి ల్యాండింగ్‌ వరకు.. 60 సెకన్లలో చంద్రయాన్‌-3 ప్రయాణం

కోట్లాది మంది భారతీయులు ఎంతో ఉత్కంఠతో ఎదురుచూస్తున్న చారిత్రక క్షణాలు చేరువయ్యాయి. మరికొద్ది గంటల్లో మన వ్యోమనౌక జాబిల్లి (Moon) దక్షిణ ధ్రువంపై అడుగుపెట్టనుంది..

జులై 14న శ్రీహరికోటలోని షార్‌ ప్రయోగ వేదిక నుంచి రోదసిలోకి దూసుకెళ్లిన చంద్రయాన్‌-3 (Chandrayaan-3).. బుధవారం (ఆగస్టు 23) సాయంత్రం 6.04 గంటలకు చంద్రుడిపై సాఫ్ట్‌ ల్యాండ్‌ కానున్నట్లు ఇస్రో ఇప్పటికే వెల్లడించింది.

ఈ క్రమంలోనే 40 రోజుల చంద్రయాన్‌-3 ప్రయాణాన్ని 60 సెకన్లలో చూపిస్తూ PIB (ప్రెస్‌ ఇన్ఫర్మేషన్‌ బ్యూరో) ఓ వీడియో రూపొందించింది..

ఇస్రో (ISRO) శాస్త్రవేత్తలు చంద్రయాన్‌-3 (Chandrayaan-3)ను రూపొందించినప్పటి నుంచి షార్‌ వేదిక వద్ద ప్రయోగం, రోదసిలోకి దూసుకెళ్లడం, భూకక్ష్యలో నుంచి చంద్రుడి కక్ష్యలోకి మారడం వంటివి ఇందులో చూపించారు. చివరగా జాబిల్లి ఉపరితలంపై ల్యాండర్‌ అడుగుపెట్టినట్లు ఆ వీడియోలో ఉంది.

విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ కిందకు దిగగానే అందులోని ప్రజ్ఞాన్‌ రోవడ్‌ జారుకుంటూ బయటకు వచ్చినట్లు ఊహాజనితంగా యానిమేషన్‌ రూపంలో వీడియోలో చూపించారు.

అన్ని అనుకూలిస్తే రేపు సాయంత్రం జాబిల్లి దక్షిణ ధ్రువంపై ల్యాండర్‌ కాలుమోపనుంది. ఆ తర్వాత రెండు వారాల పాటు ల్యాండర్‌, రోవర్‌ చంద్రుడి ఉపరితలంపై పరిశోధనలు సాగిస్తాయి. ఈ ప్రయోగం విజయవంతమైతే.. అమెరికా, రష్యా, చైనా తర్వాత జాబిల్లిపై కాలుమోపిన నాలుగో దేశంగా భారత్‌ అవతరించనుంది. ఇక, దక్షిణ ధ్రువంపై అడుగుపెట్టిన తొలి దేశంగా సరికొత్త చరిత్రను లిఖించనుంది..

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Sep 28 2023, 15:15

चीन ने भारत के मिशन चंद्र की सफलता पर उठाया सवाल, कहा- चांद के दक्षिण ध्रुव पर नहीं उतरा चंद्रयान-3

#chinesescientistclaimsindiaschandrayaan3didnotlandednearmoonsouthpole

भारत और चीन के बीच का तनाव किसी से छुपा नहीं है। चीन अक्सर भारतीय क्षेत्रों पर अपने दावे करता रहता है। इस बीच चीन ने ऐसा दावा किया जिससे साफ जाहिर होता है कि ड्रैगन को भारत की सफलता पची नहीं है। दरअसल, एक शीर्ष चीनी वैज्ञानिक ने दावा किया है कि भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव या उसके आसपास नहीं उतरा।बता दें कि, भारत का चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरा था और ऐसा करने वाला भारत पहला देश बन गया था।लेकिन अब चीनी वैज्ञानिक ने कहा है कि चंद्रयान-3 की लैंडिंग साइट दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र है ही नहीं।

चीन के वैज्ञानिक ने यह दावा ऐसे समय पर किया है जब भारत विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को फिर से सक्रिय करने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहा है।यह टिप्पणियां बुधवार को चीनी ब्रह्मांड रसायनज्ञ ओयांग ज़ियुआन द्वारा की गईं। जो चीन के पहले चंद्र मिशन के मुख्य वैज्ञानिक थे।उन्‍होंने यह भी दावा किया कि भारत के चंद्रयान 3 ने न तो दक्षिणी ध्रुव पर या न ही उसके पास लैंडिंग की है। चीनी वैज्ञानिक ने कहा, चंद्रयान-3 का लैंडिंग साइट चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव नहीं था। न ही चंद्रमा का ध्रुवीय इलाका या अंटारकटिक का ध्रुवीय इलाका।

चीनी वैज्ञानिक ने दिया ये तर्क

ज़ियुआन ने आधिकारिक साइंस टाइम्स अखबार से बातचीत करते हुए कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र को लेकर अलग-अलग धारणाओं से उपजा है।चीनी वैज्ञानिक अपने दावे के समर्थन में दलील देते हैं कि चूंकि चंद्रमा 1.5 डिग्री झुका है, ऐसे में उसका दक्षिणी ध्रुव का इलाका धरती के मुकाबले बहुत छोटा है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का मानना है कि चंद्रमा का दक्षिणी इलाका 80 से 90 डिग्री के बीच है। वहीं चीनी वैज्ञानिक दावा कर रहे हैं कि यह 88.5 से 90 डिग्री के बीच है जो काफी छोटा है।जियूआन कहते हैं कि यह चंद्रमा के 1.5 डिग्री झुकाव की वजह से है।

किसी भी वैज्ञानिक ने भारत की सफलता का खंडन नहीं किया

अब तक दुनिया के किसी भी वैज्ञानिक ने भारत के दक्षिणी ध्रुव के पास सफलतापूर्वक उतरने के दावे का खंडन नहीं किया है। यही नहीं नासा और यूरोपीय स्‍पेस एजेंसी ने तो इसरो के वैज्ञानिकों की जमकर तारीफ की है। वहीं चीन के ही हांगकांग यूनिवर्सिटी के स्‍पेस रीसर्य लेब्रोटरी ने चीनी वैज्ञानिक जियूआन के दावे को खारिज कर दिया है। लेब्रोटरी के चीनी वैज्ञानिक क्‍वेंटिन पार्कर कहते हैं कि जिस क्षण आप दक्षिणी ध्रुव के नजदीक अपना रोवर उतारते हैं, जिसे दक्षिणी ध्रुव माना गया है, वह अपने आप में ही बड़ी उपलब्धि है।

भारत बना चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश

अगर चंद्रयान-3 मिशन की बात करें तो 14 जुलाई को इसे लॉन्च किया गया था, 23 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर की चांद के दक्षिणी हिस्से पर सफलतम लैंडिंग हुई। भारत चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला चौथा देश बना है, जबकि चांद के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश है। इस हिस्से को भारत ने ‘शिवशक्ति प्वाइंट’ नाम दिया है। 23 अगस्त के बाद से ही विक्रम लैंडर, प्रज्ञान रोवर ने काम शुरू किया, अभी के हिसाब से 2 सितंबर तक इनकी लाइफलाइन है।

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Sep 15 2023, 15:58

धरती के कारण चंद्रमा पर बन रहा है पानी, चंद्रयान-1 के डेटा स्टडी के बाद वैज्ञानिकों का दावा

#chandrayaan_1_data_suggests_electrons_from_earth_forming_water_on_moon

15 साल पहले लॉन्‍च हुए भारत के पहले चंद्र मिशन चंद्रयान-1 ने चांद की सतह पर पानी का पता लगाया था। यह मिशन आज भी वैज्ञानिकों के लिए शोध का विषय बना हुआ है। चंद्रयान-1 की ओर से भेजे गए डेटा की स्टडी के बाद अब खुलासा हो रहा है कि धरती की वजह से ही चांद पर पानी बन रहा है। चंद्रयान-1 के डेटा की स्टडी कर रहे अमेरिका की हवाई यूनिवर्सिटी के साइंटिस्ट्स ने दावा किया है कि पृथ्वी के हाई एनर्जी इलेक्ट्रॉन चांद पर पानी बना रहे हैं। ये इलेक्ट्रॉन्स पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में हैं, जो मौसमी प्रक्रिया के लिए जिम्मेदार है, यानी इनके होने से ही पृथ्वी के मौसम में बदलाव होता है।

अमेरिका के मनोआ में हवाई विश्वविद्यालय (यूएच) के शोधकर्ताओं के नेतृत्व वाली टीम ने चंद्रयान-1 के रिमोट सेंसिंग डेटा का एनालिसिस किया। इस दौरान उन्होंने पाया कि पृथ्वी की प्लाज्मा शीट में इलेक्ट्रॉन चंद्रमा की सतह पर अपक्षय प्रक्रियाओं यानी चट्टानों और खनिजों के टूटने या घुलने में मदद कर रहे हैं। नेचर एस्ट्रोनॉमी जर्नल में इसे लेकर एक शोध प्रकाशित किया गया है। इस शोध में पाया गया कि इलेक्ट्रॉन चंद्र पिंड पर पानी का निर्माण करने में मदद किए होंगे। 

इस स्टडी में कहा गया है कि भले ही चंद्रमा पर तेजी से पानी के उत्पादन के प्रमुख स्रोत के रूप में सोलर विंड के महत्व की पुष्टि की गई है, मगर धरती के प्लाज्मा शीट के अब तक नहीं देखे गए गुण भी इसमें एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। साइंटिस्टों ने कहा कि चंद्रमा पर पानी के जमाव और वितरण को जानना इसके गठन और विकास को समझने और भविष्य में मानव खोजों के लिए जल संसाधन उपलब्ध कराने के लिए महत्वपूर्ण है।

रिपोर्ट के अनुसार वैज्ञानिकों ने चंद्रमा पर स्थायी रूप से छाया में रहने वाले क्षेत्रों में पहले तलाशी गई बर्फ की उत्पत्ति को समझने के लिए चंद्रयान -1 मिशन के डेटा का उपयोग किया है। रिसर्चर्स ने पिछली रिसर्च पर और काम किया। इसमें पता चला कि पृथ्वी के मैग्नेटोटेल में ऑक्सीजन की वजह से चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में लोहे को जंग लगा रही है। साथ ही चंद्रमा के पृथ्वी के मैग्नेटोटेल से गुजरने पर सतह के मौसम में बदलाव की जांच करने का निर्णय लिया। ली शुआई जो इस रिसर्च में शामिल थे उन्‍होंने बताया, यह चंद्रमा की सतह पर पानी के गठन की प्रक्रियाओं का अध्ययन करने के लिए एक नैचुरल लैब मुहैया कराता है। जब चंद्रमा मैग्नेटोटेल के बाहर होता है तो चंद्रमा की सतह पर सौर हवा की वजह से बमबारी होती है। मैग्नेटोटेल के अंदर सौर हवा के प्रोटॉन लगभग न के बराबर होते हैं। ऐसे में पानी के निर्माण की उम्‍मीद जीरो थी।

आसान शब्दों में हम इसे ऐसे समझ सकते हैं कि चांद पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। यानी 14 दिन ही यहां पर सूरज की रोशनी होती है। जब यहां सूरज की रोशनी नहीं होती तो सोलर विंड की बौछार होती है। इसी दौरान पानी बनने का दावा किया गया है। शोधकर्ताओं ने कहा कि नई खोज पहले खोजी गई पानी की बर्फ की उत्पत्ति को समझाने में भी मददगार हो सकती है।

 मालूम हो कि चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर पानी के अणुओं की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसरो ने 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रयान-1 का सफल लॉन्च किया था। चंद्रयान-1 ने आठ महीने में चांद के 3,000 चक्कर लगाए और 70 हजार से ज्यादा तस्वीरें भेजीं। इनमें चांद पर बने पहाड़ों और क्रेटर को भी दिखाया गया था। चांद के ध्रुवीय क्षेत्रों में अंधेरे इलाके के फोटो भी इसने भेजे। इस मिशन की सबसे बड़ी उपलब्धि थी चांद पर पानी के होने की पुष्टि थी।

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Sep 06 2023, 12:47

NASA: విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ను క్లిక్‌మనిపించిన నాసా ఉపగ్రహం..

వాషింగ్టన్‌: భారత్‌లో చంద్రయాన్‌-3(Chandrayaan-3) ప్రయోగానికి సంబంధించి ఇస్రో(ISRO) ఎప్పటికప్పుడు అప్‌డేట్స్‌ ఇస్తూ ప్రజల్లో ఆసక్తిని పెంచుతూనే ఉంది..

అయితే తాజాగా అమెరికాకు చెందిన నేషనల్‌ ఏరోనాటిక్స్‌ స్పేస్‌ అడ్మినిస్ట్రేషన్‌(నాసా)(NASA) చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌ చిత్రాన్ని ఎక్స్‌(ట్విటర్‌)లో పంచుకుంది. తన ఉపగ్రహం ఈ ఫొటోను తీసినట్లు తెలిపింది.

'జాబిల్లి ఉపరితలంపై ఉన్న చంద్రయాన్‌-3 ల్యాండర్‌ను నాసాకు చెందిన ఎల్‌ఆర్‌ఓ(లునార్‌ రికానజెన్స్‌ ఆర్బిటర్‌) స్పేస్‌క్రాఫ్ట్‌ ఫొటో తీసింది. ఆగస్టు 23న ఈ ల్యాండర్‌ చంద్రుడి దక్షిణ ధ్రువానికి సుమారు 600 కి.మీ దూరంలో దిగింది' అని నాసా వెల్లడించింది. ల్యాండర్ దిగిన నాలుగురోజుల తర్వాత ఆగస్టు 27న ఎల్‌ఆర్‌ఓ ఈ చిత్రాన్ని తీసింది. జాబిల్లి ఉపరితలంపై ల్యాండర్ దిగుతున్నప్పుడు కలిగిన రాపిడి వల్ల ఒక తెల్లని వలయం ఏర్పడిందని ఈ చిత్రాలను బట్టి తెలుస్తోంది..

చంద్రుడి ఉపరితలం 3డీ అనాగ్లిఫ్‌ చిత్రాన్ని నిన్న ఇస్రో విడుదల చేసింది. అందులో విక్రమ్‌ ల్యాండర్‌ ఉన్న ప్రాంతంలో చంద్రుడి ఉపరితలం ఎలా ఉందో స్పష్టంగా కనిపిస్తోంది. ప్రజ్ఞాన్‌ రోవర్‌కు అమర్చిన నేవిగేషన్‌ కెమెరాలతో తీసిన చిత్రాలను ప్రత్యేక పద్దతిలో క్రోడీకరించి ఈ చిత్రాన్ని రూపొందించినట్లు ఇస్రో ఎక్స్‌ (ట్విటర్‌) వేదికగా విడుదల చేసింది. స్టీరియో లేదా మల్టీ వ్యూ ఇమేజ్‌లను ఒకచోట చేర్చి అవి మూడు కోణాల్లో కనిపించేలా చేయడమే అనాగ్లిఫ్‌. ప్రస్తుతం నిద్రాణంలో ఉన్న ల్యాండర్, రోవర్ సెప్టెంబర్ 22న తిరిగి మేల్కొనే అవకాశం ఉందని ఇస్రో భావిస్తోంది. ఊహించినట్లు అవి పని చేస్తే.. ఇంకొన్నాళ్లపాటు పరిశోధనలు సాగించేందుకు అవకాశం ఉంటుందని పేర్కొంది..

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Sep 04 2023, 18:48

प्रज्ञान के बाद विक्रम भी आज से 18 दिन की नींद में सोया, इसरो ने बताया-कब जागेगी ये जोड़ी?

#chandrayaan3landervikramandroverpragyaninsleep_mode

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चांद पर प्रज्ञान को सुलाने के बाद आज विक्रम लैंडर को भी सुला दिया। 23 अगस्त को चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद आज विक्रम चांद पर 18 दिन की लंबी नींद में चला गया। नींद में जाने से पहले इसरो के वैज्ञानिकों ने आज सुबह चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 के ‘विक्रम’ लैंडर की एक बार फिर सॉफ्ट लैंडिंग कराई गई। इसरो ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन का ‘विक्रम’ लैंडर स्लीप मोड में चला गया है। इससे पहले रोवर ‘प्रज्ञान’ शनिवार को सुप्तावस्था में चला गया था। बता दें कि चांद पर अब रात हो गई है।

लैंडर के रिसीवर को रखा गया है चालू

इसरो ने 23 अगस्त को लैंड करने के बाद रोवर प्रज्ञान के निकलने के समय और आज की तस्वीर को भी शेयर किया। इसरो ने एक्स पर लिखा, विक्रम लैंडर भारतीय समयानुसार सुबह करीब आठ बजे सुप्तावस्था में चला गया। इससे पहले चास्ते, रंभा-एलपी और इलसा पेलोड द्वारा नये स्थान पर यथावत प्रयोग किये गये। जो आंकड़े संग्रहित किये गये, उन्हें पृथ्वी पर भेजा गया। पेलोड को बंद कर दिया गया और लैंडर के रिसीवर को चालू रखा गया है। इसके साथ ही इसरो ने बताया कि सौर ऊर्जा खत्म हो जाने और बैटरी से भी ऊर्जा मिलना बंद हो जाने पर विक्रम प्रज्ञान के पास ही निष्क्रिय अवस्था में चला जाएगा। उनके 22 सितंबर, 2023 के आसपास सक्रिय होने की उम्मीद है।

विक्रम ने चांद रपर दोबारा लैंडिंग

स्लीप मोड में जाने से पहले विक्रम में चांद पर फिर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसरो ने बताया कि लैंडर के इंजनों को दोबारा चालु किया गया और इसके बाद उसने खुद को लगभग 40 सेमी ऊपर उछाला और 30-40 सेमी के बाद सुरक्षित रूप से लैंड करा दिया। दोबारा सॉफ्ट लैंडिंग से यह साबित हो गया कि लैंडर के अंदर लगे सभी उपकरण बिलकुल ठीक हैं और सभी सक्रिय हैं।

23 अगस्त को हुई थी लॉन्चिंग

बता दें कि 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च किया गया था। इसरो के वैज्ञानिकों ने 23 अगस्त शाम 6 बजकर 3 मिनट पर चांद के सतर पर सॉफ्ट लैंडिंग कर इतिहास रच दिया था। लैंडर विक्रम के चांद पर उतरने के करीब चार घंटे बाद रोवर प्रज्ञान ने चांद पर कदम रखा था। जिसके बाद रोवर प्रज्ञान और लैंडर विक्रम ने अब तक का काम पूरा कर लिया है। रोवर की ओर से धरती पर अब तक जो भी जानकारी भेजी गई है उस पर अध्ययन किया जा रहा है। बता दें कि रोवर प्रज्ञान ने ऑक्सीजन के साथ-साथ चांद के दक्षिणी ध्रुव पर एल्युमिनियम, आयरन, टाइटेनियम, कैल्शियम, मैगनीज, सिलिकॉल और सल्फर का पता लगाया है। इस खोज के साथ ही भारत दुनिया का पहला देश है जिसने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर ऑक्सीजन के सबूत दिए हैं। इसरो का अगला पड़ाव चांद के इस हिस्से में जीवन के सबूत खोजना है।

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Sep 04 2023, 10:12

चंद्रयान-3 लॉन्चिंग के काउंटडाउन में सुनी गई आवाज खामोश, इसरो की वैज्ञानिक का कार्डिएक अरेस्ट से निधन

#chandrayaan3launchcountdownvoiceisroscientistvalarmathipasses_away

चंद्रयान-3 हो या इसरो का कोई भी सेटेलाइट लॉन्चिंग। जब पूरी दुनिया की निगाहें रॉकेट की तरफ रहती हैं तो कानों में एक ही आवाज आती है। यह आवाज होती है काउंटडाउन की। इसरो के जितने भी लॉन्च होते थे, उनके काउंटडाउन के दौरान जो आवाज़ सुनाई देती थी, वो अब लोगों को सुनाई नहीं देगी। यह आवाज हमेशा के लिए शांत हो गई है। इसरो की वैज्ञानिक वलारमती का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है।

इसरो ने जताया दुख

वलारमथी के निधन पर इसरो ने बताया कि रॉकेट लॉन्च काउंटडाउन के पीछे की प्रतिष्ठित महिला आवाज को श्रीहरिकोटा से भविष्य के मिशनों में नहीं सुना जाएगा। वलारमथी मैम के अप्रत्याशित निधन के साथ, आवाज अनंत काल के लिए फीकी पड़ गई है! वलारमती मैम का शनिवार शाम चेन्नई के एक अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया।वैज्ञानिक वलारमथी का अंतिम मिशन चंद्रयान-3 ही था, जो 14 जुलाई को श्रीहरिकोटा से लॉन्च हुआ था।

इसरो के पूर्व डायरेक्टर ने जताया शोक

तमिलनाडु के अलियायुर से आने वालीं वलारमथी ने शनिवार को चेन्नई में अंतिम सांस ली।इसरो के पूर्व डायरेक्टर पी.वी. वेंकटकृष्णन ने ट्वीट कर वलारमथी के निधन पर दुख व्यक्त किया। उन्होंने लिखा कि श्रीहरिकोटा में इसरो के आने वाले मिशनों के दौरान अब काउंटडाउन में वलारमथी मैडम की आवाज़ नहीं आएगा। चंद्रयान-3 उनका फाइनल अनाउसमेंट था। ये काफी दुख का क्षण है। प्रणाम।

कई वर्षों तक इसरो टीम का एक अभिन्न हिस्सा रहीं

वलारमथी अपने सहयोगियों के बीच 'मैम' के नाम से भी जानी जाती थीं। कई वर्षों तक इसरो टीम का एक अभिन्न हिस्सा रहीं। आत्मविश्वास और अधिकार से भरी उनकी विशिष्ट आवाज ने इसरो के कई सफल रॉकेट प्रक्षेपणों का मार्गदर्शन किया है। उन्होंने देश की अंतरिक्ष अन्वेषण यात्रा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। चेन्नई में जन्मी और पली-बढ़ी, वलारमती को कम उम्र से ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी का शौक था। उन्होंने इंजीनियरिंग में अपनी शिक्षा प्राप्त की और एक युवा उम्र में ही इसरो में शामिल हुईं। इन वर्षों में, वह अपने सटीक काउंटडाउन और अपने काम के प्रति अटूट समर्पण के साथ संगठन के लिए एक अमूल्य संपत्ति बन गईं।