क्या सुधरने लगे हैं भारत-अमेरिका के रिश्ते? पीएम मोदी के बाद आया जयशंकर का बयान

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोस्ती वाले बयान को लेकर पीएम मोदी के बाद अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। पीएम मोदी के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी भारत-अमेरिका संबंधों पर बात की है। जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका रिश्ते अब भी बने हुए हैं। दोनों देश लगातार बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा है, पीएम मोदी अमेरिका के साथ दोस्ती को बहुत महत्व देते हैं। पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से प्रशंसा किए जाने पर आभार व्यक्त किया है।

पीएम मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंध हमेशा बेहतर-जयशंकर

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक बात कहने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, पीएम मोदी अमेरिका के साथ हमारी साझेदारी को बहुत महत्व देते हैं। जहां तक राष्ट्रपति ट्रंप का सवाल है, पीएम मोदी के राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हमेशा से बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध रहे हैं। हालांकि, यहां मुद्दा यह है कि हम अमेरिका के साथ जुड़े हुए हैं। हमारे संबंध बने हुए हैं। हम बातचीत कर रहे हैं। इस समय मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।'

भारत-अमेरिका रिश्तों की अहमियत

विदेश मंत्री के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत अमेरिका के साथ संबंधों को सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से नहीं बल्कि रणनीतिक और आर्थिक सहयोग की दृष्टि से भी देखता है. रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में भारत-अमेरिका साझेदारी पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुई है. विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दोनों देशों का सहयोग चीन की बढ़ती सक्रियता को संतुलित करने के लिए भी अहम माना जाता है.

ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ

दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को 'महान प्रधानमंत्री' कहा है। शुक्रवार को ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप से सवाल किया गया कि क्या वे भारत के साथ संबंधों को फिर से सुधारने के लिए तैयार हैं? इसके जवाब में ट्रंप ने कहा कि मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं, लेकिन मुझे इस समय उनके काम पसंद नहीं आ रहे हैं। हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच एक खास रिश्ता है। चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे बीच ऐसे पल आते जाते हैं।

ट्रंप के बयान पर क्या बोले पीएम मोदी?

ट्रंप के बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट किया। इसमें ट्रंप के बयान वाले एएनआई के पोस्ट को साझा कर पीएम मोदी ने लिखा, 'राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की हम तहे दिल से सराहना करते हैं। हम उनका पूर्ण समर्थन करते हैं। भारत और अमेरिका के बीच बहुत ही सकारात्मक, दूरदर्शी, व्यापक, वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी है।'

भारत को निशाना बनाना गलत...’ यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। भारत हमेशा शांति और बातचीत की वकालत करता रहा है। विदेश मंत्री की इस टिप्पणी को संयुक्त राज्य अमेरिका के उन आरोपों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसमें कहा गया कि भारत रियायती मूल्य पर रूस से कच्चा तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में मॉस्को की युद्ध मशीन की सहायता कर रहा है।

एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस संबंध में एक पोस्ट किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बात हुई। हमने यूक्रेन जंग और इसके असर पर बात की। इस मामले में भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। हम बातचीत और डिप्लोमेसी के पक्ष में हैं।

यूरोप में भारत की बढ़ती अहमियत

फिनलैंड की विदेश मंत्री वाल्तोनेन के साथ यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब यूरोप भारत की भूमिका को लेकर काफी उत्सुक है। यूरोपीय संघ के कई देशों ने साफ कहा है कि उन्हें भारत से ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा के मामलों में संतुलित सहयोग चाहिए। जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि भारत को किसी के राजनीतिक नैरेटिव का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए और हमारी प्राथमिकता हमेशा शांति स्थापना ही रहेगी।

अमेरिका का भारत पर गंभीर आरोप

दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भारत पर रूसी तेल खरीद की वजह से 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया। इसके कुछ ही दिनों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 परसेंट टैरिफ लगाने की घोषणा की। जिसके बाद अमेरिका की ओर से भारत पर लगने वाला अतिरिक्त टैरिफ बढ़कर 50 परसेंट हो गया। ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जिस वजह से पुतिन को यूक्रेन जंग जारी रखने में मदद मिल रही है

ट्रंप के सलाहकार का बेतुका बयान

वहीं, अमेरिका के व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने इस सप्ताह कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया 50 परसेंट टैरिफ सिर्फ भारत के अनुचित व्यापार के बारे में नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मॉस्को की युद्ध मशीन को नई दिल्ली की ओर से दी गई वित्तीय जीवन रेखा को काटना भी है। हालांकि, भारत पहले ही अमेरिका की ओर से लगाए जा रहे इन आरोपों को खारिज कर चुका है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने आश्चर्यजनक रूप से चीन की आलोचना नहीं की है, जो रूस से तेल क सबसे बड़ा आयातक है।

कान खोलकर सुन लें...' ट्रंप के दावों पर बिफरे विदेश मंत्री एस जयशंकर

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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के सवालों का जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्यसभा में विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों का सिलसिलेवार और तीखा जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा, मैं उनको कहना चाहता हूं, कान खोलके सुन लें, 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक भी फोन कॉल राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में नहीं हुआ।

विपक्ष को जयशंकर की दो टूक

ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार का पक्ष रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति के संघर्ष विराम के दावों पर सरकार से स्पष्टीकरण को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच एस जयशंकर ने कहा कि मैं उनको कहना चाहता हूं, वे कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच एक बार भी फोन पर बात नहीं हुई।जयशंकर ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय नीति है कि कोई भी बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए। पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से संघर्ष विराम का अनुरोध किया गया था।

कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि 'जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ तो कई देश यह जानना चाहते थे कि स्थिति कितनी गंभीर है और ये हालात कब तक चलेंगे, लेकिन हमने सभी को एक ही संदेश दिया कि हम किसी भी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। हमारे और पाकिस्तान के बीच कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा। हम पाकिस्तानी हमले का जवाब दे रहे हैं, और देते रहेंगे। अगर यह लड़ाई रुकनी है, तो पाकिस्तान को इसका अनुरोध करना होगा और यह अनुरोध केवल डीजीएमओ के माध्यम से ही आ सकता है।

सेना का श्रेय किसी और को देना उनका अपमान-जयशंकर

जयशंकर ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) द्वारा 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने नूर खान एयरबेस समेत कई आतंकी ठिकानों पर सफल हमले किए। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सेना का श्रेय किसी और को देना उनका अपमान है। भारतीय सेना ने अकेले दम पर आतंकियों का सफाया किया है।

खून-पानी एक साथ नहीं बहेगा... सिंधु जल समझौते स्थगित करने पर राज्यसभा में जयशंकर की दो टूक

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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर गरमा-गर्म बहस जारी है।संसद में मानसून सत्र का आज आंठवा दिन है। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लोकसभा में बहस पूरी हो चुकी है, तो वहीं राज्यसभा में अभी भी बहस जारी है। बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चर्चा में शामिल होते हुए विपक्ष पर हमला बोला। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि हमने सिंधु जल संधि को सस्पेंड किया। ये कदम इसलिए उठाया क्योंकि पाकिस्तान आतंकी घटनाओं पर लगाम लगाता नहीं दिख रहा।

राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सिंधु जल संधि पर कांग्रेस को जबरदस्त घेरा। उन्होंने कहा, सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनूठा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सोच सकता जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो। इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और, जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना महत्वपूर्ण है। कल मैंने लोगों को सुना, कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं।

कांग्रेस पर करारा अटैक

जयशंकर ने विपक्ष पर करारा अटैक करते हुए कहा कि, उन्होंने कहा कि उनको फिक्र थी पाकिस्तानी किसानों की थी, हमें फिक्र हैं हिमाचल-राजस्थान के किसानों की। सिंधु जल समझौता शांति की कीमत थी नहीं ये तुष्टीकरण की कीमत थी। इसी के साथ जयशंकर ने तत्कालिन कांग्रेस सरकार पर बड़ा हमला किया।

मोदी सरकार का आतंकवाद पर सख्त एक्शन

विदेश मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद पर सख्त एक्शन का फैसला लिया। पहलगाम हमले के बाद हमने कहा कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता। हमने पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया। हमने ऑपरेशन सिंदूर में लक्ष्य को हासिल किया। आधे घंटे के एक्शन में हमने पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकी संगठनों को निशाना बनाया। हमारे टारगेट में आम लोग नहीं थे।

हमने आतंकवादी को ग्लोबल एजेंडा बनाया-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पिछले दशक से पीएम मोदी के सरकार ने आतंकवाद को लेकर कई सारी चीजें बदली हैं। हमलोगों ने आतंकवादी को ग्लोबल एजेंडा बनाया है। इस तरह से हम कहसकते हैं कि अगर आज आतंकवाद के बारे में विश्व के किसी भी मंच पर चर्चा करते हैं तो वह पीएम मोदी की वजह से मुमकिन हो सका है। हम लोगों ने मसूद अजहर और अब्दुल रहमान मक्की जैसे खतरनाक आतंकवादियों को यूनाईटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में रखने में कामयाब रहे हैं।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले एस जयशंकर, जानें क्यों खास है ये मुलाकात?

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भारत और चीन के बीच बीते कुछ वर्षों से चले आ रहे के बाद हालात सुधरते नजर आ रहे हैं। इस बीच दोनों देशों को लेकर एक सकारात्मक तस्वीर सामने आई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर हुई। शी जिनपिंग ने सोमवार 15 जुलाई को एससीओ के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की। इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद रहे। इस दौरान भारतीय विदेश मंत्री की चीनी नेता के साथ मुलाकात हुई।

जयशंकर ने इस मुलाकात की तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा, आज सुबह बीजिंग में अपने साथी एससीओ विदेश मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन पहुंचाया। साथ ही उन्होंने भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में हाल के सुधारों की जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि दोनों देशों के नेताओं का मार्गदर्शन इस संबंध में काफी अहम रहा है और रिश्तों को नई दिशा देने में मदद कर रहा है।

चीनी विदेश मंत्री से भी मिले जयशंकर

जयशंकर ने इससे पहले सोमवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से भी द्विपक्षीय चर्चा की। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि पिछले 9 महीनों में भारत और चीन के बीच संबंधों में ‘अच्छी प्रगति’ हुई है। खासकर सीमा पर तनाव कम हुआ है और शांति की स्थिति बनी है। उन्होंने यह भी कहा कि अब दोनों पक्षों को डि-एस्केलेशन और अन्य लंबित मुद्दों को हल करने की जरूरत है।

गलवान हिंसा के बाद सुधर रहे संबंध

2020 में गलवान हिंसा के बाद यह जयशंकर का पहला चीन दौरा है। माना जा रहा है कि इससे चीन और भारत के रिश्तों में और सुधार होगा। गलवान हिंसा के बाद भारत और चीन के संबंध रसातल में चले गए थे। मगर पिछले साल कजान में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी की मुलाकात के बाद रिश्तों में जमी बर्फ पिघली है। दोनों देशों के कदम अब सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं।

चीनी उपराष्ट्रपति से मिले विदेश मंत्री जयशंकर, गलवान घाटी संघर्ष के पांच साल बाद चीन की धरती पर रखा कदम

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर तीन दिनों की चीन यात्रा पर हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर पिछले पाँच वर्षों में अपनी पहली चीन यात्रा पर हैं। जयशंकर के इस दौरे का मकसद 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन के खराब रिश्तों को सुलझाना है। जयशंकर मंगलवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे, और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे।

विदेश मंत्री ने सोमवार को चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की और विश्वास व्यक्त किया कि दोनों पड़ोसी देश अपने द्विपक्षीय संबंधों में हाल ही में हुए सुधार के सकारात्मक रुख को बनाए रखेंगे। जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया, "आज बीजिंग पहुँचने के तुरंत बाद उपराष्ट्रपति हान झेंग से मिलकर प्रसन्नता हुई। चीन की एससीओ अध्यक्षता के लिए भारत का समर्थन व्यक्त किया। हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर ध्यान दिया। और विश्वास व्यक्त किया कि मेरी यात्रा के दौरान हुई चर्चाएँ इस सकारात्मक रुख को बनाए रखेंगी।"

भारत-चीन संबंधों में हालिया सुधार का जिक्र किया

चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात के दौरान जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों में हालिया सुधार का जिक्र किया। दोनों नेताओं के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में जयशंकर ने कहा, भारत और चीन के संबंध अक्टूबर 2023 में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से लगातार बेहतर हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच 75 साल के राजनयिक संबंध पूरे हो चुके हैं।

जयशंकर ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात को जटिल बताया और कहा कि भारत और चीन जैसे बड़े पड़ोसी देशों के बीच खुलकर बातचीत बेहद जरूरी है। उन्होंने चीनी उपराष्ट्रपति को बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने को भारत में बेहद सराहा गया है

पिछले पांच सालों में निम्नतर स्तर पर पहुंचा संबंध

15 जून, 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष ने भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध छह दशक के गिरावट के स्तर पर पहुंच गए। इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे, जिसमें से एक कमांडिंग ऑफिसर भी थे। वहीं चीन ने अपने सैनिकों के हताहत होने की बात तो मानी, लेकिन उनकी असली संख्या नहीं बताई। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत से ज्यादा नुकसान चीन की सेना को उठाना पड़ा था।

चीन जाने वाले हैं एस जयशंकर, जानें गलवान झड़प के बाद क्यों खास है विदेश मंत्री का ये पहला दौरा

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भी अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए 13 जुलाई के आसपास चीन का दौरा करेंगे। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा होगी।

इस साल एससीओ की अध्यक्षता चीन कर रहा है। चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है और वह समूह की बैठकों की मेजबानी कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीनी शहर चिंगदाओ की यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद हो रही है। इस समिट में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जशंकर चीन की यात्रा करेंगे।

चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की भी संभावना

विदेश मंत्री एस जयशंकर की 14 और 15 जुलाई को तिआनजिन में आयोजित एससीओ के विदेश मंत्रियों की काउंसिल बैठक में शामिल होने से पहले बीजिंग में अपने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। दोनों देश के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली यह बैठक भारत और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चल रही उन सीरिज बैठकों का हिस्सा होगी, जिसका मकसद दोनों देश के द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना और लंबे समय से जारी सीमा विवाद का समाधान ढूंढना है।

गलवान घाटी की हिंसा के बाद जयशंकर का पहला दौरा

यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह गलवान घाटी की हिंसक झड़प (जून 2020) के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वे अपने चीनी समकक्ष से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पांच साल में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बैठक

विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2023 में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी। यह बैठक पांच वर्षों में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई थी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया और विभिन्न जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा की।

जब वो वक्त आएगा, तब देखा जाएगा', रूस प्रतिबंध विधेयक को लेकर बोले एस जयशंकर

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रूस के यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बाद से अमेरिका की कोशिश रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने की रही है। अमेरिका ने लगातार ऐसे देशों पर दबाव बनाने की कोशिश की है, जो रूस के साथ व्यापार करते हैं। हालांकि चीन, भारत, ईरान जैसे देशों ने अमेरिका की धमकियों को नजरअंदाज किया है। ऐसे में बीच-बीच में अमेरिकी नेता इन देशों पर खीज निकालते रहते हैं। अब अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक बार फिर भारत को नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इसी बीच अमेरिका के दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्रा ने अमेरिका सीनेटर की धमकी का जवाब दिया है। 

अमेरिका दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से बुधवार को अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के नए विधेयक को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास और हमारे राजदूत लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं, बाकी जब विधेयक पारित होगा तो उस वक्त देखा जाएगा कि क्या करना है।

बढ़ सकती हैं भारत की मुश्किलें

अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम रूस प्रतिबंध विधेयक ला रहे हैं, जिसमें रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और अन्य उत्पाद खरीदने वाले देशों से अमेरिका में आने वाले सामान पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रावधान है। अगर ऐसा होता है तो भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि जब से रूस यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से भारत अपनी जरूरत के तेल का बड़ा हिस्सा रूस से ही खरीद रहा है। 

निशाने पर भारत और चीन

डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के नेता ग्राहम का कहना है कि भारत और चीन ऐसे देश हैं, जो लगातार रूस की मदद कर रहे हैं। अगर ये देश ऐसा करने से नहीं रुकते हैं तो फिर इन पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाएगा। ग्राहम ने दावा किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनको चीन और भारत पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक (सैंक्शन बिल) तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि अब इस विधेयक पर आगे बढ़ने का समय आ गया है। इस विधेयक के निशाने पर खासतौर से भारत और चीन हैं।

आतंकवाद के खिलाफ जारी रहेगी कड़ी कार्रवाई” एस जयशंकर ने पाक को अमेरिकी धरती से लताड़ा

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान जयशंकर क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) की वाशिंगटन डीसी में हुई बैठक में शामिल हुए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में क्वाड सम्मेलन में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर खरी-खरी सुनाई। इस सम्मेलन में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत भविष्य में आतंकी हमलों का करारा जवाब देगा।

जयशंकर ने बताया ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य

जयशंकर ने क्वाड देशों के साथ ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने साफ कहा कि अगर आगे ऐसे हमले हुए तो भारत चुप नहीं बैठेगा। भारत को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है। विदेश मंत्री ने कहा कि यह बयान हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें दुनिया को बताना होगा कि हमने क्या किया? सात मई को हुए ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य यह है कि अगर आतंकवादी हमले होते हैं, तो हम अपराधियों, समर्थकों, वित्तपोषकों और समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। यह संदेश बहुत स्पष्टता के साथ दिया गया था।

आतंकवाद पर चुप्पी साधने वालों को सुनाया

जयशंकर ने कहा कि हमने क्वाड के साथ-साथ विश्व स्तर पर अपने समकक्षों के साथ आतंकवाद की प्रकृति को साझा किया। साथ ही उन्होंने इस दौरान उन देशों को भी सुनाया जो दूसरे देशों के आतंक का शिकार होने पर चुप्पी साधे रहते हैं।

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की तारीफ

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए भारत ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के कई देशों में भेजा था। इसी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का भी जयशंकर ने जिक्र किया। विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में अलग-अलग विचारधाराओं के नेताओं का एक साथ आना हमारे देश की एकता को दिखाता है। उन्होंने शशि थरूर, सुप्रिया सुले और गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं का नाम लिया।

जर्मनी से एस जयशंकर की पाक को खुली चेतावनी, कहा-आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे, यूरोपीय देशों से की खास अपील

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भारत और पाकिस्तान तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर यूरोप के दौरे पर है। जयशंकर तीन देशों की यात्रा पर हैं। उन्होंने पहले नीदरलैंड और डेनमार्क का दौरा किया। बर्लिन उनकी यात्रा का अंतिम पड़ाव था। बर्लिन में उन्होंने जर्मनी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बर्लिन में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की। जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में बातचीत के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।

एस जयशंकर ने कहा, यह एक आतंकी हमला था, जो एक पैटर्न का हिस्सा है, जिसने न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि भारत के अन्य हिस्सों को भी निशाना बनाया है। इसका मकसद डर का माहौल बनाना और कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नष्ट करना था। इसका मकसद धार्मिक मतभेद पैदा करना था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए हम आतंकवाद का जवाब दे रहे थे। जब हमने जवाब दिया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी समझ थी। हमने आतंकी मुख्यालयों और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। हमारा ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ है। इस मामले में आतंकी पड़ोसी देश से आते हैं, क्योंकि उस देश ने कई सालों से आतंकवाद को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है।

हम 80 साल से आतंकवाद झेल रहे हैं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 1947 में हमारी आजादी के बाद से ही पाकिस्तान ने कश्मीर में हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया है। उसके बाद से आठ दशकों (80 साल) में हमने क्या देखा है? जयशंकर ने कहा कि आप लोग तो अब जागे हैं हम 80 साल से आतंकवाद और पाकिस्तान की हरकतों को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र को जितना कमजोर पश्चिमी देशों ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया है।

जयशंकर ने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान की भूमिका को लगातार उजागर किया है और लंबे समय से यह कहा है कि इस्लामाबाद की सत्ता संरचना पर सेना का प्रभुत्व है, जो आतंकवादी समूहों को कश्मीर घाटी, अफगानिस्तान समेत पूरे उपमहाद्वीप में सपोर्ट करता रहा है।

वैश्विक मंच पर भारत अपनी बात बिना हिचक रख रहा-एस जयशंकर

जयशंकर ने वैश्विक गठबंधनों पर भी बात की। उन्होंने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने क्वाड की तारीफ की। उन्होंने इसे एक लचीला और आधुनिक गठबंधन बताया, जो आज के बदलते वैश्विक माहौल में जरूरी है। यह गठबंधन देशों के हितों को ध्यान में रखकर काम करता है और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

जयशंकर की यह टिप्पणी भारत और यूरोप के बीच संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत चाहता है कि यूरोप और अन्य पश्चिमी देश पाकिस्तान की सैन्य नीतियों पर सवाल उठाएं और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं। उनकी यह स्पष्ट बातचीत दिखाती है कि भारत अब वैश्विक मंच पर अपनी बात बिना किसी हिचक के रख रहा है।

क्या सुधरने लगे हैं भारत-अमेरिका के रिश्ते? पीएम मोदी के बाद आया जयशंकर का बयान

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोस्ती वाले बयान को लेकर पीएम मोदी के बाद अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। पीएम मोदी के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी भारत-अमेरिका संबंधों पर बात की है। जयशंकर ने कहा है कि भारत और अमेरिका रिश्ते अब भी बने हुए हैं। दोनों देश लगातार बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा है, पीएम मोदी अमेरिका के साथ दोस्ती को बहुत महत्व देते हैं। पीएम मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से प्रशंसा किए जाने पर आभार व्यक्त किया है।

पीएम मोदी और ट्रंप के बीच व्यक्तिगत संबंध हमेशा बेहतर-जयशंकर

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की ओर से भारत-अमेरिका संबंधों पर सकारात्मक बात कहने को लेकर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया पर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, पीएम मोदी अमेरिका के साथ हमारी साझेदारी को बहुत महत्व देते हैं। जहां तक राष्ट्रपति ट्रंप का सवाल है, पीएम मोदी के राष्ट्रपति ट्रंप के साथ हमेशा से बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंध रहे हैं। हालांकि, यहां मुद्दा यह है कि हम अमेरिका के साथ जुड़े हुए हैं। हमारे संबंध बने हुए हैं। हम बातचीत कर रहे हैं। इस समय मैं इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।'

भारत-अमेरिका रिश्तों की अहमियत

विदेश मंत्री के इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि भारत अमेरिका के साथ संबंधों को सिर्फ राजनीतिक दृष्टि से नहीं बल्कि रणनीतिक और आर्थिक सहयोग की दृष्टि से भी देखता है. रक्षा, व्यापार, ऊर्जा, टेक्नोलॉजी और शिक्षा जैसे कई क्षेत्रों में भारत-अमेरिका साझेदारी पिछले कुछ वर्षों में मजबूत हुई है. विशेषकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दोनों देशों का सहयोग चीन की बढ़ती सक्रियता को संतुलित करने के लिए भी अहम माना जाता है.

ट्रंप ने की पीएम मोदी की तारीफ

दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम नरेंद्र मोदी को 'महान प्रधानमंत्री' कहा है। शुक्रवार को ओवल ऑफिस में मीडिया से बात करते हुए राष्ट्रपति ट्रंप से सवाल किया गया कि क्या वे भारत के साथ संबंधों को फिर से सुधारने के लिए तैयार हैं? इसके जवाब में ट्रंप ने कहा कि मैं हमेशा मोदी का दोस्त रहूंगा, वह एक महान प्रधानमंत्री हैं, लेकिन मुझे इस समय उनके काम पसंद नहीं आ रहे हैं। हालांकि, भारत और अमेरिका के बीच एक खास रिश्ता है। चिंता की कोई बात नहीं है। हमारे बीच ऐसे पल आते जाते हैं।

ट्रंप के बयान पर क्या बोले पीएम मोदी?

ट्रंप के बयान के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट किया। इसमें ट्रंप के बयान वाले एएनआई के पोस्ट को साझा कर पीएम मोदी ने लिखा, 'राष्ट्रपति ट्रंप की भावनाओं और हमारे संबंधों के सकारात्मक मूल्यांकन की हम तहे दिल से सराहना करते हैं। हम उनका पूर्ण समर्थन करते हैं। भारत और अमेरिका के बीच बहुत ही सकारात्मक, दूरदर्शी, व्यापक, वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी है।'

भारत को निशाना बनाना गलत...’ यूक्रेन युद्ध को लेकर बोले जयशंकर

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बातचीत में कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। भारत हमेशा शांति और बातचीत की वकालत करता रहा है। विदेश मंत्री की इस टिप्पणी को संयुक्त राज्य अमेरिका के उन आरोपों के संदर्भ में देखा जा रहा है, जिसमें कहा गया कि भारत रियायती मूल्य पर रूस से कच्चा तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध में मॉस्को की युद्ध मशीन की सहायता कर रहा है।

एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस संबंध में एक पोस्ट किया। उन्होंने एक्स पर लिखा, फिनलैंड के विदेश मंत्री से फोन पर बात हुई। हमने यूक्रेन जंग और इसके असर पर बात की। इस मामले में भारत को गलत तरीके से निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए। हम बातचीत और डिप्लोमेसी के पक्ष में हैं।

यूरोप में भारत की बढ़ती अहमियत

फिनलैंड की विदेश मंत्री वाल्तोनेन के साथ यह बातचीत ऐसे समय हुई है जब यूरोप भारत की भूमिका को लेकर काफी उत्सुक है। यूरोपीय संघ के कई देशों ने साफ कहा है कि उन्हें भारत से ऊर्जा, व्यापार और सुरक्षा के मामलों में संतुलित सहयोग चाहिए। जयशंकर ने अप्रत्यक्ष रूप से कहा कि भारत को किसी के राजनीतिक नैरेटिव का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए और हमारी प्राथमिकता हमेशा शांति स्थापना ही रहेगी।

अमेरिका का भारत पर गंभीर आरोप

दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भारत पर रूसी तेल खरीद की वजह से 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाया। इसके कुछ ही दिनों के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25 परसेंट टैरिफ लगाने की घोषणा की। जिसके बाद अमेरिका की ओर से भारत पर लगने वाला अतिरिक्त टैरिफ बढ़कर 50 परसेंट हो गया। ट्रंप का कहना है कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जिस वजह से पुतिन को यूक्रेन जंग जारी रखने में मदद मिल रही है

ट्रंप के सलाहकार का बेतुका बयान

वहीं, अमेरिका के व्हाइट हाउस के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने इस सप्ताह कहा था कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारतीय वस्तुओं पर लगाया गया 50 परसेंट टैरिफ सिर्फ भारत के अनुचित व्यापार के बारे में नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य मॉस्को की युद्ध मशीन को नई दिल्ली की ओर से दी गई वित्तीय जीवन रेखा को काटना भी है। हालांकि, भारत पहले ही अमेरिका की ओर से लगाए जा रहे इन आरोपों को खारिज कर चुका है। संयुक्त राज्य अमेरिका ने आश्चर्यजनक रूप से चीन की आलोचना नहीं की है, जो रूस से तेल क सबसे बड़ा आयातक है।

कान खोलकर सुन लें...' ट्रंप के दावों पर बिफरे विदेश मंत्री एस जयशंकर

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लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर विपक्ष के सवालों का जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया। विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने राज्यसभा में विपक्ष के तमाम सवालों और आरोपों का सिलसिलेवार और तीखा जवाब दिया। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा, मैं उनको कहना चाहता हूं, कान खोलके सुन लें, 22 अप्रैल से 16 जून तक, एक भी फोन कॉल राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच में नहीं हुआ।

विपक्ष को जयशंकर की दो टूक

ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में सरकार का पक्ष रखा। अमेरिकी राष्ट्रपति के संघर्ष विराम के दावों पर सरकार से स्पष्टीकरण को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच एस जयशंकर ने कहा कि मैं उनको कहना चाहता हूं, वे कान खोलकर सुन लें। 22 अप्रैल से 16 जून तक राष्ट्रपति ट्रंप और पीएम मोदी के बीच एक बार भी फोन पर बात नहीं हुई।जयशंकर ने कहा कि हमारी राष्ट्रीय नीति है कि कोई भी बातचीत द्विपक्षीय होनी चाहिए। पाकिस्तान के डीजीएमओ की तरफ से संघर्ष विराम का अनुरोध किया गया था।

कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा-जयशंकर

जयशंकर ने कहा कि 'जब ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ तो कई देश यह जानना चाहते थे कि स्थिति कितनी गंभीर है और ये हालात कब तक चलेंगे, लेकिन हमने सभी को एक ही संदेश दिया कि हम किसी भी मध्यस्थता के लिए तैयार नहीं हैं। हमारे और पाकिस्तान के बीच कोई भी समझौता द्विपक्षीय तौर पर ही होगा। हम पाकिस्तानी हमले का जवाब दे रहे हैं, और देते रहेंगे। अगर यह लड़ाई रुकनी है, तो पाकिस्तान को इसका अनुरोध करना होगा और यह अनुरोध केवल डीजीएमओ के माध्यम से ही आ सकता है।

सेना का श्रेय किसी और को देना उनका अपमान-जयशंकर

जयशंकर ने बताया कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) द्वारा 26 निर्दोष पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया। इस ऑपरेशन के दौरान भारतीय सेना ने नूर खान एयरबेस समेत कई आतंकी ठिकानों पर सफल हमले किए। जयशंकर ने जोर देकर कहा कि सेना का श्रेय किसी और को देना उनका अपमान है। भारतीय सेना ने अकेले दम पर आतंकियों का सफाया किया है।

खून-पानी एक साथ नहीं बहेगा... सिंधु जल समझौते स्थगित करने पर राज्यसभा में जयशंकर की दो टूक

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संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर गरमा-गर्म बहस जारी है।संसद में मानसून सत्र का आज आंठवा दिन है। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर लोकसभा में बहस पूरी हो चुकी है, तो वहीं राज्यसभा में अभी भी बहस जारी है। बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चर्चा में शामिल होते हुए विपक्ष पर हमला बोला। ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि हमने सिंधु जल संधि को सस्पेंड किया। ये कदम इसलिए उठाया क्योंकि पाकिस्तान आतंकी घटनाओं पर लगाम लगाता नहीं दिख रहा।

राज्यसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान, विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने सिंधु जल संधि पर कांग्रेस को जबरदस्त घेरा। उन्होंने कहा, सिंधु जल संधि कई मायनों में एक अनूठा समझौता है। मैं दुनिया में ऐसे किसी भी समझौते के बारे में नहीं सोच सकता जहां किसी देश ने अपनी प्रमुख नदियों को उस नदी पर अधिकार के बिना दूसरे देश में बहने दिया हो। इसलिए यह एक असाधारण समझौता था और, जब हमने इसे स्थगित कर दिया है, तो इस घटना के इतिहास को याद करना महत्वपूर्ण है। कल मैंने लोगों को सुना, कुछ लोग इतिहास से असहज हैं। वे चाहते हैं कि ऐतिहासिक चीजों को भुला दिया जाए। शायद यह उन्हें शोभा नहीं देता, वे केवल कुछ चीजों को याद रखना पसंद करते हैं।

कांग्रेस पर करारा अटैक

जयशंकर ने विपक्ष पर करारा अटैक करते हुए कहा कि, उन्होंने कहा कि उनको फिक्र थी पाकिस्तानी किसानों की थी, हमें फिक्र हैं हिमाचल-राजस्थान के किसानों की। सिंधु जल समझौता शांति की कीमत थी नहीं ये तुष्टीकरण की कीमत थी। इसी के साथ जयशंकर ने तत्कालिन कांग्रेस सरकार पर बड़ा हमला किया।

मोदी सरकार का आतंकवाद पर सख्त एक्शन

विदेश मंत्री ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंकवाद पर सख्त एक्शन का फैसला लिया। पहलगाम हमले के बाद हमने कहा कि खून और पानी साथ नहीं बह सकता। हमने पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया। हमने ऑपरेशन सिंदूर में लक्ष्य को हासिल किया। आधे घंटे के एक्शन में हमने पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकी संगठनों को निशाना बनाया। हमारे टारगेट में आम लोग नहीं थे।

हमने आतंकवादी को ग्लोबल एजेंडा बनाया-जयशंकर

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पिछले दशक से पीएम मोदी के सरकार ने आतंकवाद को लेकर कई सारी चीजें बदली हैं। हमलोगों ने आतंकवादी को ग्लोबल एजेंडा बनाया है। इस तरह से हम कहसकते हैं कि अगर आज आतंकवाद के बारे में विश्व के किसी भी मंच पर चर्चा करते हैं तो वह पीएम मोदी की वजह से मुमकिन हो सका है। हम लोगों ने मसूद अजहर और अब्दुल रहमान मक्की जैसे खतरनाक आतंकवादियों को यूनाईटेड नेशन सिक्योरिटी काउंसिल में रखने में कामयाब रहे हैं।

चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिले एस जयशंकर, जानें क्यों खास है ये मुलाकात?

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भारत और चीन के बीच बीते कुछ वर्षों से चले आ रहे के बाद हालात सुधरते नजर आ रहे हैं। इस बीच दोनों देशों को लेकर एक सकारात्मक तस्वीर सामने आई है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बीजिंग में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। यह मुलाकात शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक के मौके पर हुई। शी जिनपिंग ने सोमवार 15 जुलाई को एससीओ के विदेश मंत्रियों के साथ बैठक की। इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी मौजूद रहे। इस दौरान भारतीय विदेश मंत्री की चीनी नेता के साथ मुलाकात हुई।

जयशंकर ने इस मुलाकात की तस्वीरें पोस्ट करते हुए लिखा, आज सुबह बीजिंग में अपने साथी एससीओ विदेश मंत्रियों के साथ राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन पहुंचाया। साथ ही उन्होंने भारत-चीन के द्विपक्षीय संबंधों में हाल के सुधारों की जानकारी दी। उन्होंने लिखा कि दोनों देशों के नेताओं का मार्गदर्शन इस संबंध में काफी अहम रहा है और रिश्तों को नई दिशा देने में मदद कर रहा है।

चीनी विदेश मंत्री से भी मिले जयशंकर

जयशंकर ने इससे पहले सोमवार को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से भी द्विपक्षीय चर्चा की। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि पिछले 9 महीनों में भारत और चीन के बीच संबंधों में ‘अच्छी प्रगति’ हुई है। खासकर सीमा पर तनाव कम हुआ है और शांति की स्थिति बनी है। उन्होंने यह भी कहा कि अब दोनों पक्षों को डि-एस्केलेशन और अन्य लंबित मुद्दों को हल करने की जरूरत है।

गलवान हिंसा के बाद सुधर रहे संबंध

2020 में गलवान हिंसा के बाद यह जयशंकर का पहला चीन दौरा है। माना जा रहा है कि इससे चीन और भारत के रिश्तों में और सुधार होगा। गलवान हिंसा के बाद भारत और चीन के संबंध रसातल में चले गए थे। मगर पिछले साल कजान में पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी की मुलाकात के बाद रिश्तों में जमी बर्फ पिघली है। दोनों देशों के कदम अब सकारात्मक दिशा में बढ़ रहे हैं।

चीनी उपराष्ट्रपति से मिले विदेश मंत्री जयशंकर, गलवान घाटी संघर्ष के पांच साल बाद चीन की धरती पर रखा कदम

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भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर तीन दिनों की चीन यात्रा पर हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को बीजिंग में चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर पिछले पाँच वर्षों में अपनी पहली चीन यात्रा पर हैं। जयशंकर के इस दौरे का मकसद 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद भारत और चीन के खराब रिश्तों को सुलझाना है। जयशंकर मंगलवार को तियानजिन में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे, और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बातचीत भी करेंगे।

विदेश मंत्री ने सोमवार को चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात की और विश्वास व्यक्त किया कि दोनों पड़ोसी देश अपने द्विपक्षीय संबंधों में हाल ही में हुए सुधार के सकारात्मक रुख को बनाए रखेंगे। जयशंकर ने एक्स पर पोस्ट किया, "आज बीजिंग पहुँचने के तुरंत बाद उपराष्ट्रपति हान झेंग से मिलकर प्रसन्नता हुई। चीन की एससीओ अध्यक्षता के लिए भारत का समर्थन व्यक्त किया। हमारे द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर ध्यान दिया। और विश्वास व्यक्त किया कि मेरी यात्रा के दौरान हुई चर्चाएँ इस सकारात्मक रुख को बनाए रखेंगी।"

भारत-चीन संबंधों में हालिया सुधार का जिक्र किया

चीन के उपराष्ट्रपति हान झेंग से मुलाकात के दौरान जयशंकर ने भारत-चीन संबंधों में हालिया सुधार का जिक्र किया। दोनों नेताओं के बीच हुई द्विपक्षीय बैठक में जयशंकर ने कहा, भारत और चीन के संबंध अक्टूबर 2023 में कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद से लगातार बेहतर हो रहे हैं। दोनों देशों के बीच 75 साल के राजनयिक संबंध पूरे हो चुके हैं।

जयशंकर ने मौजूदा अंतरराष्ट्रीय हालात को जटिल बताया और कहा कि भारत और चीन जैसे बड़े पड़ोसी देशों के बीच खुलकर बातचीत बेहद जरूरी है। उन्होंने चीनी उपराष्ट्रपति को बताया कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने को भारत में बेहद सराहा गया है

पिछले पांच सालों में निम्नतर स्तर पर पहुंचा संबंध

15 जून, 2020 को गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हुए संघर्ष ने भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंध छह दशक के गिरावट के स्तर पर पहुंच गए। इसमें भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे, जिसमें से एक कमांडिंग ऑफिसर भी थे। वहीं चीन ने अपने सैनिकों के हताहत होने की बात तो मानी, लेकिन उनकी असली संख्या नहीं बताई। रिपोर्ट्स के अनुसार भारत से ज्यादा नुकसान चीन की सेना को उठाना पड़ा था।

चीन जाने वाले हैं एस जयशंकर, जानें गलवान झड़प के बाद क्यों खास है विदेश मंत्री का ये पहला दौरा

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बाद अब विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर भी अगले सप्ताह चीन की यात्रा पर जा रहे हैं। विदेश मंत्री एस जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए 13 जुलाई के आसपास चीन का दौरा करेंगे। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 के सैन्य गतिरोध के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में गंभीर तनाव आने के बाद विदेश मंत्री जयशंकर की यह पहली चीन यात्रा होगी।

इस साल एससीओ की अध्यक्षता चीन कर रहा है। चीन एससीओ का वर्तमान अध्यक्ष है और वह समूह की बैठकों की मेजबानी कर रहा है। विदेश मंत्री जयशंकर की यह यात्रा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा शंघाई सहयोग संगठन के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए चीनी शहर चिंगदाओ की यात्रा के कुछ ही हफ्तों बाद हो रही है। इस समिट में शामिल होने के लिए विदेश मंत्री एस जशंकर चीन की यात्रा करेंगे।

चीनी विदेश मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक की भी संभावना

विदेश मंत्री एस जयशंकर की 14 और 15 जुलाई को तिआनजिन में आयोजित एससीओ के विदेश मंत्रियों की काउंसिल बैठक में शामिल होने से पहले बीजिंग में अपने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक करने की संभावना है। दोनों देश के विदेश मंत्रियों के बीच होने वाली यह बैठक भारत और चीन के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चल रही उन सीरिज बैठकों का हिस्सा होगी, जिसका मकसद दोनों देश के द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना और लंबे समय से जारी सीमा विवाद का समाधान ढूंढना है।

गलवान घाटी की हिंसा के बाद जयशंकर का पहला दौरा

यह दौरा विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह गलवान घाटी की हिंसक झड़प (जून 2020) के बाद जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी। इससे पहले वे अपने चीनी समकक्ष से विभिन्न बहुपक्षीय मंचों पर मिलते रहे हैं, लेकिन यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों की बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

पांच साल में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर बैठक

विदेश मंत्री का यह दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत-चीन संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कई उच्चस्तरीय मुलाकातें हो चुकी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की अक्टूबर 2023 में रूस के कजान में ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान हुई द्विपक्षीय बैठक ने इस प्रक्रिया को गति दी। यह बैठक पांच वर्षों में पहली बार प्रतिनिधिमंडल स्तर पर हुई थी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बीजिंग का दौरा किया और विभिन्न जटिल मुद्दों पर गहन चर्चा की।

जब वो वक्त आएगा, तब देखा जाएगा', रूस प्रतिबंध विधेयक को लेकर बोले एस जयशंकर

#whenthattimecomeswewillseesaidjaishankar

रूस के यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेड़ने के बाद से अमेरिका की कोशिश रूस को आर्थिक रूप से कमजोर करने की रही है। अमेरिका ने लगातार ऐसे देशों पर दबाव बनाने की कोशिश की है, जो रूस के साथ व्यापार करते हैं। हालांकि चीन, भारत, ईरान जैसे देशों ने अमेरिका की धमकियों को नजरअंदाज किया है। ऐसे में बीच-बीच में अमेरिकी नेता इन देशों पर खीज निकालते रहते हैं। अब अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम ने एक बार फिर भारत को नए टैरिफ लगाने की धमकी दी है। इसी बीच अमेरिका के दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्रा ने अमेरिका सीनेटर की धमकी का जवाब दिया है। 

अमेरिका दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर से बुधवार को अमेरिकी सांसद लिंडसे ग्राहम के नए विधेयक को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय दूतावास और हमारे राजदूत लिंडसे ग्राहम के संपर्क में हैं, बाकी जब विधेयक पारित होगा तो उस वक्त देखा जाएगा कि क्या करना है।

बढ़ सकती हैं भारत की मुश्किलें

अमेरिका के सीनेटर लिंडसे ग्राहम रूस प्रतिबंध विधेयक ला रहे हैं, जिसमें रूस से तेल, गैस, यूरेनियम और अन्य उत्पाद खरीदने वाले देशों से अमेरिका में आने वाले सामान पर 500 प्रतिशत टैरिफ लगाने का प्रावधान है। अगर ऐसा होता है तो भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं क्योंकि जब से रूस यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ है, तब से भारत अपनी जरूरत के तेल का बड़ा हिस्सा रूस से ही खरीद रहा है। 

निशाने पर भारत और चीन

डोनाल्ड ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के नेता ग्राहम का कहना है कि भारत और चीन ऐसे देश हैं, जो लगातार रूस की मदद कर रहे हैं। अगर ये देश ऐसा करने से नहीं रुकते हैं तो फिर इन पर 500 प्रतिशत तक टैरिफ लगाया जाएगा। ग्राहम ने दावा किया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनको चीन और भारत पर प्रतिबंध लगाने वाला विधेयक (सैंक्शन बिल) तैयार करने को कहा है। उन्होंने कहा कि अब इस विधेयक पर आगे बढ़ने का समय आ गया है। इस विधेयक के निशाने पर खासतौर से भारत और चीन हैं।

आतंकवाद के खिलाफ जारी रहेगी कड़ी कार्रवाई” एस जयशंकर ने पाक को अमेरिकी धरती से लताड़ा

#sjaishankarslamspakistanonterrorismin_us

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर इस समय अमेरिका के दौरे पर हैं। इस दौरान जयशंकर क्वाड देशों (भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया) की वाशिंगटन डीसी में हुई बैठक में शामिल हुए। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अमेरिका में क्वाड सम्मेलन में पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर खरी-खरी सुनाई। इस सम्मेलन में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत भविष्य में आतंकी हमलों का करारा जवाब देगा।

जयशंकर ने बताया ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य

जयशंकर ने क्वाड देशों के साथ ऑपरेशन सिंदूर पर भी बात की। उन्होंने साफ कहा कि अगर आगे ऐसे हमले हुए तो भारत चुप नहीं बैठेगा। भारत को आत्मरक्षा का पूरा अधिकार है। विदेश मंत्री ने कहा कि यह बयान हमारे लिए इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें दुनिया को बताना होगा कि हमने क्या किया? सात मई को हुए ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य यह है कि अगर आतंकवादी हमले होते हैं, तो हम अपराधियों, समर्थकों, वित्तपोषकों और समर्थकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे। यह संदेश बहुत स्पष्टता के साथ दिया गया था।

आतंकवाद पर चुप्पी साधने वालों को सुनाया

जयशंकर ने कहा कि हमने क्वाड के साथ-साथ विश्व स्तर पर अपने समकक्षों के साथ आतंकवाद की प्रकृति को साझा किया। साथ ही उन्होंने इस दौरान उन देशों को भी सुनाया जो दूसरे देशों के आतंक का शिकार होने पर चुप्पी साधे रहते हैं।

सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की तारीफ

ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के आतंकवाद को बेनकाब करने के लिए भारत ने एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल दुनिया के कई देशों में भेजा था। इसी सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का भी जयशंकर ने जिक्र किया। विदेश मंत्री ने कहा कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत में अलग-अलग विचारधाराओं के नेताओं का एक साथ आना हमारे देश की एकता को दिखाता है। उन्होंने शशि थरूर, सुप्रिया सुले और गुलाम नबी आजाद जैसे नेताओं का नाम लिया।

जर्मनी से एस जयशंकर की पाक को खुली चेतावनी, कहा-आतंकवाद बर्दाश्त नहीं करेंगे, यूरोपीय देशों से की खास अपील

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भारत और पाकिस्तान तनाव के बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर यूरोप के दौरे पर है। जयशंकर तीन देशों की यात्रा पर हैं। उन्होंने पहले नीदरलैंड और डेनमार्क का दौरा किया। बर्लिन उनकी यात्रा का अंतिम पड़ाव था। बर्लिन में उन्होंने जर्मनी के कई बड़े नेताओं से मुलाकात की। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बर्लिन में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की। जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस में बातचीत के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने पहलगाम आतंकी हमले और 'ऑपरेशन सिंदूर' पर बात की। उन्होंने कहा कि भारत आतंकवाद को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।

एस जयशंकर ने कहा, यह एक आतंकी हमला था, जो एक पैटर्न का हिस्सा है, जिसने न केवल जम्मू-कश्मीर बल्कि भारत के अन्य हिस्सों को भी निशाना बनाया है। इसका मकसद डर का माहौल बनाना और कश्मीर की पर्यटन अर्थव्यवस्था को नष्ट करना था। इसका मकसद धार्मिक मतभेद पैदा करना था। 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए हम आतंकवाद का जवाब दे रहे थे। जब हमने जवाब दिया तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी समझ थी। हमने आतंकी मुख्यालयों और आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया। हमारा ऑपरेशन आतंकवाद के खिलाफ है। इस मामले में आतंकी पड़ोसी देश से आते हैं, क्योंकि उस देश ने कई सालों से आतंकवाद को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया है।

हम 80 साल से आतंकवाद झेल रहे हैं

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 1947 में हमारी आजादी के बाद से ही पाकिस्तान ने कश्मीर में हमारी सीमाओं का उल्लंघन किया है। उसके बाद से आठ दशकों (80 साल) में हमने क्या देखा है? जयशंकर ने कहा कि आप लोग तो अब जागे हैं हम 80 साल से आतंकवाद और पाकिस्तान की हरकतों को झेल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र को जितना कमजोर पश्चिमी देशों ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया है।

जयशंकर ने कहा कि भारत ने सीमा पार आतंकवाद में पाकिस्तान के सैन्य प्रतिष्ठान की भूमिका को लगातार उजागर किया है और लंबे समय से यह कहा है कि इस्लामाबाद की सत्ता संरचना पर सेना का प्रभुत्व है, जो आतंकवादी समूहों को कश्मीर घाटी, अफगानिस्तान समेत पूरे उपमहाद्वीप में सपोर्ट करता रहा है।

वैश्विक मंच पर भारत अपनी बात बिना हिचक रख रहा-एस जयशंकर

जयशंकर ने वैश्विक गठबंधनों पर भी बात की। उन्होंने भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच बने क्वाड की तारीफ की। उन्होंने इसे एक लचीला और आधुनिक गठबंधन बताया, जो आज के बदलते वैश्विक माहौल में जरूरी है। यह गठबंधन देशों के हितों को ध्यान में रखकर काम करता है और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देता है।

जयशंकर की यह टिप्पणी भारत और यूरोप के बीच संबंधों को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भारत चाहता है कि यूरोप और अन्य पश्चिमी देश पाकिस्तान की सैन्य नीतियों पर सवाल उठाएं और आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाएं। उनकी यह स्पष्ट बातचीत दिखाती है कि भारत अब वैश्विक मंच पर अपनी बात बिना किसी हिचक के रख रहा है।