झारखंड शराब घोटाले की आंच छत्तीसगढ़ तक, CBI करेगी जांच, साय सरकार ने दी सहमति

रायपुर- झारखंड में शराब नीति में बदलाव कर करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने के मामले की जांच अब CBI करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी करते हुए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत CBI को छत्तीसगढ़ में जांच के लिए सहमति दी है। यह मामला रायपुर स्थित आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा दर्ज अपराध से जुड़ा है।

साय सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

छत्तीसगढ़ से फैला घोटाले का नेटवर्क

बता दें कि यह घोटाला झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव के जरिए रचा गया था, जिसकी योजना छत्तीसगढ़ में बनी। आरोप है कि रायपुर से डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर शराब की आपूर्ति झारखंड में की गई, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ। EOW ने पिछले साल इस मामले में FIR दर्ज की थी, लेकिन जब उनके अधिकारी जांच के लिए झारखंड पहुंचे, तो वहां के अधिकारियों ने सहयोग नहीं किया। इसके बाद जांच को केंद्रीय एजेंसी CBI को सौंपने का निर्णय लिया गया।

घोटालेबाजों की बढ़ी मुश्किलें

बता दें कि इस जांच के दायरे में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, सलाहकार अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह, सिद्धार्थ सिंघानिया, विधु गुप्ता, निरंजन दास और अन्य की मुसीबतें अब और बढ़ने वाली हैं।

सिंडिकेट और शराब दुकानों में घोटाले का तरीका

गौरतलब है कि झारखंड में FL-10A लाइसेंस मॉडल पर आधारित नई शराब नीति बनाई गई, जो पूरी तरह छत्तीसगढ़ की तर्ज पर थी। इसके तहत पुरानी ठेका प्रणाली को खत्म कर एक चहेती एजेंसी को आपूर्ति का ठेका दिया गया। आरोप है कि सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम का उपयोग कर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की।

अब क्या होगा आगे?

CBI की टीम अब FIR की कॉपी के आधार पर झारखंड में नए सिरे से जांच करेगी और जिन लोगों के नाम EOW की चार्जशीट में हैं, उनसे पूछताछ के बाद गिरफ्तारी की संभावना भी जताई जा रही है। इस जांच से झारखंड-छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य की सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपये के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।

नीट पेपर लीक कांड के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया का सनसनीखेज खुलासा, मामले डीआईजी रैंक के अधिकारी का रिश्तेदार शामिल

डेस्क : नीट पेपर लीक कांड के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया ने सीबीआई पूछताछ में सनसनीखेज खुलासे किए हैं. उसने स्वीकारा कि वह परीक्षा के दिन गोधरा में मौजूद था, जहां से पेपर लीक हुआ. साज़िश में डीआईजी रैंक के अधिकारी का रिश्तेदार भी शामिल है.

सीबीआई को मिली जानकारी के अनुसार, विभोर आनंद अभ्यर्थियों को परशुराम राय से मिलवाता था जो एक वीजा कंसल्टेंसी फर्म चलाता है. जब अभ्यर्थी डील के लिए तैयार हो जाते तब विभोर को मोटा कमीशन मिलता था.

सीबीआई सूत्रों की मानें तो संजीव मुखिया की जड़ें सिर्फ गुजरात या बिहार तक सीमित नहीं हैं. उसका नेटवर्क राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब तक फैला हुआ है. यह भी सामने आया है कि ये लोग लंबे समय से मेडिकल और प्रतियोगी परीक्षाओं को टारगेट कर रहे थे.

नीट परीक्षा में पेपर लीक मामले में परीक्षा माफिया संजीव मुखिया गिरफ्तार है. जांच एजेंसी रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ में जुटी है. चर्चित केस की गुत्थी सुलझाने में जुटी CBI को बड़ी सफलता मिली है. पूछताछ में मास्टरमाइंड संजीव मुखिया ने स्वीकार किया है कि वह 5 मई 2024 को गुजरात के गोधरा में मौजूद था. पेपर लीक जिस जय जलाराम स्कूल से हुआ, उस जगह से संजीव मुखिया महज डेढ़ किलोमीटर दूर था.

सीबीआई को अनुसंधान में अहम सुराग हाथ लगे हैं. जांच में यह पता चला है कि इस नेटवर्क में एक डीआजी रैंक के पुलिस अधिकारी का करीबी रिश्तेदार भी शामिल था. यही शख्स परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों से संपर्क करता था और उन्हें डील कराता था. सीबीआई की पूछताछ पूरी होने के बाद अब गुजरात पुलिस की टीम संजीव मुखिया को गोधरा में दर्ज मामले में आगे की पूछताछ के लिए अहमदाबाद ले जाने की तैयारी में है. अधिकारी मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में और भी कई चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं.

JPSC नियुक्ति घोटाला मामले में चार अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई,

झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) नियुक्ति घोटाला मामले में चार आरोपियों-पुलिस अधिकारियों विकास पांडेय और अरविंद सिंह, तथा प्रशासनिक पदाधिकारियों कुमुद कुमार और संगीता कुमारी-की अग्रिम जमानत याचिका पर बुधवार को CBI की विशेष अदालत में सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई 2025 को होगी।

क्या है मामला?

JPSC नियुक्ति घोटाला पहली और दूसरी सिविल सेवा भर्ती (2005-2006) से जुड़ा है, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप है। CBI ने इस मामले में 12 साल की जांच के बाद अक्टूबर 2024 में चार्जशीट दाखिल की थी।

पहली भर्ती में 37 और दूसरी भर्ती में 70 आरोपियों को नामजद किया गया है, जिनमें तत्कालीन JPSC अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद, सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह, शांति देवी, राधा गोविंद नागेश, और परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी सिंह शामिल हैं।

अन्य आरोपी सरकारी अधिकारियों, उम्मीदवारों, और प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार हैं।

आरोप है कि चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार, निशान पत्रों में हेरफेर, और प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों को अनुचित लाभ दिया गया। उदाहरण के लिए, कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ाए गए, जैसे रोशन कुमार साह, जिनके 80 अंक को 180 दिखाया गया।

विकास पांडेय, अरविंद सिंह, कुमुद कुमार, और संगीता कुमारी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए CBI की विशेष अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने कोर्ट से जवाब तैयार करने के लिए और समय मांगा, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। इन चारों पर आरोप है कि इन्होंने चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं में भूमिका निभाई या इससे लाभ उठाया।

CBI की विशेष अदालत ने इस घोटाले से जुड़े कई आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी हैं। उदाहरण के लिए, फरवरी 2025 में अरविंद कुमार लाल सहित पांच आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया गया था।

हालांकि, कुछ आरोपियों, जैसे पूर्व JPSC अध्यक्ष दिलीप प्रसाद और अन्य, को सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शी लाने सरकार की बड़ी पहल : अब आम जनता देख सकेंगे दवा आपूर्ति, अस्पताल निर्माण की जानकारी

रायपुर- छत्तीसगढ़ में CGMSC घोटाले के बाद साय सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए DPDMIS (ड्रग प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) पोर्टल को अब आम नागरिकों के लिए सार्वजनिक कर दिया है. स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी अब केवल अधिकारियों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आमजन भी दवा आपूर्ति, अस्पताल निर्माण की जानकारी ले सकेंगे. 

बता दें कि तात्कालीन कांग्रेस सरकार में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 550 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया था. IAS, IFS समेत अफसरों ने मिलीभगत कर सिर्फ 27 दिनों में करोड़ों रुपए की खरीदी की थी. इस पर लगाम लगाने अब DPDMIS (ड्रग प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) पोर्टल को आम नागरिकों के लिए सार्वजनिक कर दिया गया है. स्वास्थ्य संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में दवा, चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति, वितरण, स्टॉक की स्थिति यहां तककीकि निर्माणाधीन अस्पताल भवनों की प्रगति को भी रियल-टाइम देखा जा सकता है.

अब हॉस्पिटल से दवा नहीं मिलने पर मरीज स्टॉक चेक करके सवाल उठा सकता है. दवा है तो दिया क्यों नहीं जा रहा है ? दवा नहीं है तो मंगाया क्यों नहीं गया ? दवा सप्लाई के लिए बजट छह माह पहले दिया जाता है तो दवा की कमी क्यों है ? मरीज़ या आम जनता प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में दवा और चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति, वितरण, स्टॉक की स्थिति और यहां तक कि निर्माणाधीन अस्पताल भवनों की प्रगति को भी रियल-टाइम में देख सकेंगे।


पोर्टल की प्रमुख सुविधाएं

  • दवा एवं उपकरण खरीदी: पोर्टल पर सभी निविदाएं, स्वीकृत आपूर्तिकर्ता और अनुबंध मूल्य सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.
  • वितरण प्रणाली: दवाओं की डिलीवरी, स्टॉक की वर्तमान स्थिति और लंबित मांग की जानकारी दिन-प्रतिदिन अपडेट होती है.
  • वाहन ट्रैकिंग: दवा परिवहन में लगे वाहनों की लाइव लोकेशन और उनके रूट की जानकारी भी नागरिक देख सकते हैं.
  • अधोसंरचना निगरानी: निर्माणाधीन मेडिकल संस्थानों की प्रगति, बजट और योजनागत विवरण अब जनता की नज़रों में होगी.

सुशासन की दिशा में अनुकरणीय प्रयास : CGMSC प्रबंध संचालक

CGMSC की प्रबंध संचालक पद्मिनी भोई ने इस पहल के बारे में कहा, पारदर्शिता केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आमजन यह जान सकें कि उनके स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा खर्च किया जा रहा प्रत्येक संसाधन कहां और कैसे उपयोग हो रहा है. यह पोर्टल उसी दिशा में एक प्रभावी कदम है. पद्मिनी भोई ने यह भी स्पष्ट किया कि DPDMIS पोर्टल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की दक्षता में अभिवृद्धि करेगा, बल्कि कार्य में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार नियंत्रण तथा नागरिकों के विश्वास में वृद्धि के लिए एक प्रभावशाली माध्यम सिद्ध होगा. यह पहल छत्तीसगढ़ राज्य में सुशासन की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास है, जो भविष्य की स्वास्थ्य सेवा योजनाओं को सशक्त आधार प्रदान करेगी.

जानिए क्या है सीजीएमएससी घोटाला

दरअसल, CGMSC घोटाले में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 550 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया. IAS, IFS समेत अफसरों ने मिलीभगत कर सिर्फ 27 दिनों में करोड़ रुपए की खरीदी की थी. CGMSC के अधिकारियों ने मोक्षित कार्पोरेशन को 27 दिन में 750 करोड़ का कारोबार दिया था. मेडिकल किट समेत अन्य मशीनों की आवश्यकता नहीं थी. इसके बावजूद सिंडिकेट की तरह काम किया गया. आम जनता को निशुल्क डायग्नोस्टिक जांच उपलब्ध कराने के लिए सभी जिला अस्पतालों, एफआरयू सीएचसी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और उप स्वास्थ्य केन्द्रों में हमर लैब योजना में खरीदे जाने वाले मेडिकल उपकरण, रीएजेंट्स की निविदा में पुल टेण्डरिंग और आवश्यक मात्रा से कहीं अधिक रीएजेंट्स की अनावश्यक खरीदी की गई थी. CGMSC के अधिकारी, मोक्षित कार्पोरेशन, रिकॉर्ड्स और मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कार्पोरेशन ने 8 रुपये में मिलने वाले EDTA ट्यूब 2,352 रुपए और 5 लाख वाली CBS मशीन 17 लाख में खरीदी थी.

दिसंबर 2024 में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने दिल्ली में PMO, केंद्रीय गृहमंत्री कार्यालय, CBI और ED मुख्यालय जाकर CGMSC में घोटाले की शिकायत की थी. इस शिकायत के बाद केंद्र से EOW को निर्देश मिला. इसके बाद EOW की टीम ने 5 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की. EOW की जांच होने के बाद श्री शारदा इंडस्ट्रीज प्रबंधन ने अपनी फर्म को बंद कर दिया है. कंपनी की साइट पर उसका स्टेट टेंपरेरी बंद बता रहा है. EOW के अनुसार आर.के नाम का कारोबारी इस कंपनी का संचालक है. यह कंपनी ग्राम तर्रा, तहसील धरसींवा रायपुर में स्थित है. कंपनी संचालक को जांच के दायरे में लाया गया है. यह कंपनी 1 जुलाई 2017 को GST के दायरे में आई थी. कंपनी ने 5 जून 2024 को अपना अंतिम टैक्स जमा किया है.

मोक्षित कार्पोरेशन तीन साल के लिए ब्लैकलिस्टेड

मोक्षित कार्पोरेशन को आखिरकार साय सरकार ने ब्लैकलिस्टेड कर दिया है. ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की जांच के बाद सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ राज्य चिकित्सा आपूर्ति निगम) ने कंपनी को अगले तीन साल के लिए अपात्र घोषित कर दिया है. अब मोक्षित कार्पोरेशन से किसी भी दवा या मेडिकल उपकरण की खरीद नहीं की जा सकेगी.

10 जून तक न्यायिक रिमांड पर 6 आरोपी

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) घोटाला मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने लगभग 18 हजार पन्नों की चार्जशीट तैयार कर विशेष अदालत में दाखिल कर दी है. चार्जशीट में अब तक गिरफ्तार 6 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं. सभी आरोपियों को कोर्ट ने 10 जून 2025 यानी करीब डेढ़ महीने के लिए न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है. बता दें कि जिन आरोपियों को न्यायिक रिमांड में लिया गया उनमें शशांक चोपड़ा (संचालक, मोक्षित कॉर्पोरेशन), बसंत कुमार कौशिक (तत्कालीन प्रभारी महाप्रबंधक, CGMSC), छिरोद रौतिया (बायो मेडिकल इंजीनियर), कमलकांत पाटनवार (उपप्रबंधक), डॉ. अनिल परसाई और दीपक कुमार बंधे (मेडिकल इंजीनियर) शामिल हैं..

रेलवे ठेकेदार के घर CBI का छापा, 10 सदस्यीय टीम कर रही है दस्तावेजों की जांच

बिलासपुर- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की एक टीम ने रेलवे से जुड़े कार्यों में शामिल ठेकेदार कंपनी झाझरिया कंस्ट्रक्शन लिमिटेड पर शुक्रवार को छापा मारा. यह कार्रवाई सुबह के समय शुरू हुई, जिसमें 8 से 10 सदस्यों वाली CBI टीम मौके पर जांच कर रही है.

सूत्रों के अनुसार, यह छापा रेलवे प्रोजेक्ट्स में संभावित गड़बड़ियों और अनियमितताओं की जांच के तहत मारा गया है. झाझरिया कंस्ट्रक्शन लिमिटेड रेलवे के कई बड़े निर्माण कार्यों को ठेके पर अंजाम देती है और हाल के वर्षों में इस कंपनी को करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट आवंटित किए गए हैं.

CBI अधिकारियों ने कंपनी के कार्यालय में दस्तावेजों की गहन तलाशी ली और कई महत्वपूर्ण फाइलों व डिजिटल डेटा को जब्त किया. इस दौरान कंपनी के अधिकारियों से भी पूछताछ की गई.

हालांकि, अभी तक CBI की ओर से आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन यह कार्रवाई बड़े रेलवे ठेकों में भ्रष्टाचार की आशंका को लेकर की जा रही बताई जा रही है. जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि CBI आने वाले दिनों में और भी ठिकानों पर छापेमारी कर सकती है.

भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पर EOW की कार्रवाई, तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार सहित 17-20 अधिकारियों के ठिकानों पर दी दबिश…

रायपुर- भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पर ईओडब्ल्यू ने आज सुबह नया रायपुर, अभनपुर, दुर्ग-भिलाई, आरंग सहित प्रदेश के अन्य जिलों में करीबन 20 ठिकानों पर छापा मारा है.

जानकारी के अनुसार, ईओडब्ल्यू ने तत्कालिक अभनपुर एसडीएम निर्भय साहू और तत्कालिक तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के रायपुर स्थित घरों के साथ करीबन 17 से 20 अधिकारी-कर्मचारियों के स्थित ठिकानों पर पहुंची है. ईओडब्ल्यू की टीम इन ठिकानों पर संबंधित दस्तावेजों की तलाश कर रही है.

220 करोड़ के भ्रष्टाचार की संभावना

शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि हासिल कर ली. लेकिन विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गया है. अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जांच एजेंसी को मिल चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है.

इस घोटाले को लेकर चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी मुद्दा उठाया था. इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब ईओडब्ल्यू ने इस पूरे मामले की जांच को और तेज कर दिया है.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

CGPSC भर्ती घोटाले पर अब ED जाँच से हड़कंप, आरोपियों और नेताओं के ठिकाने निशाने पर…

रायपुर- छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच का जिम्मा संभाल लिया है। इससे पहले मामले की जांच पुलिस, आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) कर रही थी। CBI की रिपोर्ट के आधार पर ED ने ईसीआईआर (ECIR) दर्ज की है, क्योंकि प्रारंभिक जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस प्रमाण मिले हैं। मामले में ED की एंट्री से हड़कंप मच गया है। जांच में कई नेताओं की भूमिका भी सामने आई है।

बता दें कि CBI जांच में खुलासा हुआ कि बारनवापारा स्थित एक रिसॉर्ट में चयनित अभ्यर्थियों को पांच दिन तक परीक्षा की विशेष तैयारी कराई गई थी। यह रिसॉर्ट स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ एक महिला IAS अधिकारी के पति का बताया जा रहा है। अब इस महिला IAS और उनके पति को समन जारी करने की तैयारी चल रही है।


गिरफ्तार हुए प्रमुख आरोपी

CBI ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है — तत्कालीन CGPSC चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, उप परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर, कारोबारी श्रवण गोयल, नितेश सोनवानी, साहिल सोनवानी, शशांक गोयल और भूमिका कटियार गोयल। ये सभी फिलहाल रायपुर जेल में हैं। ED अब कोर्ट से अनुमति लेकर इनसे पूछताछ करेगी।

हवाला के जरिए पहुँचा पैसा नेताओं और अधिकारियों तक

ED की जांच का फोकस इस बात पर है कि अभ्यर्थियों के परिजनों और रिश्तेदारों ने परीक्षा पास कराने के लिए हवाला नेटवर्क के जरिए मोटी रकम चुकाई थी। यह पैसा नेताओं और अधिकारियों तक पहुंचा, जिसकी कड़ियां अब दिल्ली और कोलकाता तक जुड़ रही हैं।

जांच के घेरे में कई VIP नाम

इस मामले में जिन लोगों के नाम जांच में सामने आए हैं, उनमें कई प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार और परिवारजन शामिल हैं —

  • टामन सोनवानी के भतीजे नितेश, भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले और अन्य रिश्तेदार
  • तत्कालीन पीएससी सचिव जीवन किशोर का बेटा सुमित ध्रुव
  • राज्यपाल के पूर्व सचिव अमृत खलखो की बेटी नेहा और बेटा निखिल
  • डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी
  • कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल
  • उद्योगपति का बेटा शशांक गोयल
  • मंत्री के ओएसडी के साढ़ की बेटी खुशबू बिजौरा
  • कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम
  • उप परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर की रिश्तेदार मीनाक्षी गनवीर

गौरतलब है कि ED जल्द ही महासमुंद, रायपुर और बिलासपुर में कई ठिकानों पर छापेमारी कर सकती है। दस्तावेजों की गहन जांच चल रही है और इस घोटाले में शामिल अन्य बड़े नामों का भी जल्द खुलासा हो सकता है। यह मामला छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक भर्तियों की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है, वहीं ED की एंट्री के बाद अब आर्थिक लेनदेन की परतें भी खुलने लगी हैं।

CGPSC घोटाला : पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित CGPSC घोटाला मामले में फंसे पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को हाइकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने टामन सिंह सोनवानी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने 17 अप्रैल को जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व रखा था, जिसे आज जारी किया गया है।

CGPSC 2021 घोटाला मामले की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई की टीम ने पिछले साल नवंबर में CGPSC के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के वक्त सोनवानी सरगुजा में अपने गांव से मैनपाट जा रहा था, जहां उसका आलीशान फॉर्म हाउस है।

सीबीआई को जांच में पता चला था कि टामन सोनवानी ने भतीजे नीतेश सोनवानी, बड़े भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले, भाई की बहू दीपा अजगले, बहन की बेटी सुनीता जोशी समेत 5 रिश्तेदारों का चयन कराया था। इसके अलावा पीएससी सचिव जीवन किशोर के बेटे सुमित ध्रुव, भूपेश सरकार में राज्यपाल के सचिव रहे अमृत खलखो की बेटी नेहा खलखो, बेटा निखिल, डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी ध्रुव, कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल, एक उद्योगपति के बेटे और बहू, मंत्री के ओएसडी के साढ़ू की बेटी खुशबू बिजौरा, कांग्रेस नेता के बेटे राजेंद्र कौशिक, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के बेटे स्वर्णिम, मीनाक्षी गनवीर समेत अन्य का भी चयन हुआ था, जिसकी जांच जारी है।

पीएससी घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई ने चयनित अभ्यर्थियों के यहां से प्रश्नपत्र से जुड़े दस्तावेज बरामद किए। उनके परिजनों के बैंक खातों से ट्रांजेक्शन की भी जानकारी ली, जिसके आधार पर सोनवानी को समन जारी कर बुलाया गया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए तब उनकी गिरफ्तारी की गई।


एक चयनित अभ्यर्थी के यहां डायरी में लेनदेन का मिला था हिसाब

CGPSC 2021 में चयनित 18 अभ्यर्थियों के घरों में इस घोटाले को लेकर छापेमारी भी की गई थी। अभ्यर्थियों के यहां 300 से ज्यादा किताबों-नोटबुक और मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप की जांच की गई। इस दौरान एक चयनित अभ्यर्थी के यहां डायरी में लेनदेन का हिसाब भी मिला था। अभ्यर्थियों, उनके परिजन के बैंक खातों की जांच के अलावा सीबीआई ने पीएससी के अफसरों से बातचीत की। 5 साल की कॉल डिटेल और लोकेशन भी खंगाली, जिसके आधार पर सीबीआई ने पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया।

CBI ने 7 लोगों को बनाया है आरोपी

बता दें कि इस घोटाले में आरोपी बनाए गए बजरंग इस्पात के डायरेक्टर श्रवण गोयल के बेटे शशांक गोयल और उनकी बहू भूमिका की पहले ही जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। सीबीआई ने इस घोटाले में मुख्यतः श्रवण गोयल, शशांक गोयल, भूमिका कटियार, नितेश सोनवानी, साहिल सोनवानी, ललित गणवीर समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया है।

CGPSC घोटाला : दलालों और पेपर सॉल्वर के ठिकानाें से मिले अहम दस्तावेज, जांच के घेरे में कई अभ्यर्थी, CBI ने छापेमार कार्रवाई की दी जानकारी

रायपुर-  छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाला मामले में CBI ने गुरुवार को पांच ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस मामले की जांच को लेकर सीबीआई ने बयान जारी किया है. सीबीआई के मुताबिक, रायपुर में तीन और महासमुंद में दो कुल पांच स्थानों पर छापेमारी कर अहम दस्तावेज जब्त किए गए हैं. यह कार्रवाई उन पांच संदिग्धों के खिलाफ की गई है, जिनमें दलाल, पेपर सॉल्वर और अन्य शामिल हैं. यह मामला 2020 से 2022 के बीच डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे वरिष्ठ पदों की भर्ती में गड़बड़ी से जुड़ा है.

यह मामला छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने दर्ज किया था, जिसमें पहले स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज मामलों को अपने हाथ में लिया. इन मामलों में वर्ष 2020 से 2022 के बीच परीक्षा/साक्षात्कार के दौरान योग्यता के बजाय अन्य आधारों पर करीबी रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य वरिष्ठ पदों पर चयनित किए जाने के आरोप शामिल हैं. सीबीआई ने इस मामले में 18 नवंबर 2024 को तत्कालीन सीजीपीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड रायपुर के तत्कालीन निदेशक श्रवण कुमार गोयल को गिरफ्तार किया था.


सीबीआई ने 10 जनवरी 2025 को पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें तत्कालीन अध्यक्ष के भतीजे और डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित नितेश सोनवानी और तत्कालीन डिप्टी परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर शामिल थे. इसके अलावा 12 जनवरी 2025 को डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित शशांक गोयल, भूमि‍का कटियार और डिप्टी एसपी के रूप में चयनित साहिल सोनवानी को भी गिरफ्तार किया था. CBI ने 16 जनवरी 2025 को रायपुर की विशेष CBI अदालत में चार्जशीट दाखिल की, जिनमें सात आरोपी शामिल हैं. CBI ने बताया कि अन्य उम्मीदवारों की भूमिका की जांच अभी जारी है.

सीबीआई की चार्जशीट में इन आरोपियों के हैं नाम

  1. टामन सिंह सोनवानी
  2. श्रवण कुमार गोयल
  3. शशांक गोयल
  4. भूमिका कटियार
  5. नितेश सोनवानी
  6. साहिल सोनवानी
  7. ललित गणवीर

ये है पूरा मामला (CGPSC Scam)

CGPSC 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है. ईओडब्ल्यू और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार-अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज किया है. CGPSC ने 2020 में 175 पदों पर और 2021 में 171 पदों पर परीक्षा ली थी. प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया. इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई. आरोप है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों समेत कांग्रेसी नेता और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चों की नौकरी लगवाई है.

CGPSC घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई, रायपुर और महासमुंद में 5 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी, कई अहम दस्तावेज जब्त

रायपुर- छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) घोटाले की जांच में CBI ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रायपुर और महासमुंद में एक साथ पांच ठिकानों पर छापेमारी की है. इस छापेमारी में कई अहम दस्तावेज और तकनीकी साक्ष्य जब्त किए गए हैं.

CBI की टीम ने रायपुर के फूल चौक स्थित एक निजी होटल, सिविल लाइन इलाके के एक कोचिंग सेंटर और महासमुंद में एक सरकारी डॉक्टर के आवास पर दबिश दी. इसके अलावा महासमुंद में अभ्यारण्य गेस्ट हाउस और एक अन्य स्थानों पर भी कार्रवाई की गई है.

बताया जा रहा है कि यह छापेमारी CGPSC परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर की गई है. इस कार्रवाई में CBI ने कई अहम दस्तावेज और अन्य तकनीकी साक्ष्य जब्त किए हैं, जिनकी जांच की जा रही है.

CGPSC घोटाले में अब तक हुई गिरफ्तारी

टामन सिंह सोनवानी (पूर्व CGPSC चेयरमैन)

साहिल सोनवानी (टामन सिंह सोनवानी के भतीजे)

शशांक गोयल (बजरंग पावर के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल के बेटे)

भूमिका कटियार

नितेश सोनवानी (टामन सिंह सोनवानी के भतीजे)

ललित गनवीर (पूर्व डिप्टी एग्जाम कंट्रोलर)

ये है पूरा मामला (CGPSC Scam)

CGPSC 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है. ईओडब्ल्यू और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार-अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज किया है. CGPSC ने 2020 में 175 पदों पर और 2021 में 171 पदों पर परीक्षा ली थी. प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया. इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई. आरोप है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों समेत कांग्रेसी नेता और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चों की नौकरी लगवाई है.

झारखंड शराब घोटाले की आंच छत्तीसगढ़ तक, CBI करेगी जांच, साय सरकार ने दी सहमति

रायपुर- झारखंड में शराब नीति में बदलाव कर करोड़ों रुपये के घोटाले को अंजाम देने के मामले की जांच अब CBI करेगी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसके लिए अधिसूचना जारी करते हुए दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 की धारा 6 के तहत CBI को छत्तीसगढ़ में जांच के लिए सहमति दी है। यह मामला रायपुर स्थित आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) द्वारा दर्ज अपराध से जुड़ा है।

साय सरकार ने जारी किया नोटिफिकेशन

छत्तीसगढ़ से फैला घोटाले का नेटवर्क

बता दें कि यह घोटाला झारखंड की आबकारी नीति में बदलाव के जरिए रचा गया था, जिसकी योजना छत्तीसगढ़ में बनी। आरोप है कि रायपुर से डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर शराब की आपूर्ति झारखंड में की गई, जिससे सरकारी राजस्व को भारी नुकसान हुआ। EOW ने पिछले साल इस मामले में FIR दर्ज की थी, लेकिन जब उनके अधिकारी जांच के लिए झारखंड पहुंचे, तो वहां के अधिकारियों ने सहयोग नहीं किया। इसके बाद जांच को केंद्रीय एजेंसी CBI को सौंपने का निर्णय लिया गया।

घोटालेबाजों की बढ़ी मुश्किलें

बता दें कि इस जांच के दायरे में छत्तीसगढ़ शराब घोटाले के आरोपी पूर्व IAS अफसर अनिल टुटेजा, सलाहकार अधिकारी अरुणपति त्रिपाठी, कारोबारी अनवर ढेबर, झारखंड के आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेन्द्र सिंह, सिद्धार्थ सिंघानिया, विधु गुप्ता, निरंजन दास और अन्य की मुसीबतें अब और बढ़ने वाली हैं।

सिंडिकेट और शराब दुकानों में घोटाले का तरीका

गौरतलब है कि झारखंड में FL-10A लाइसेंस मॉडल पर आधारित नई शराब नीति बनाई गई, जो पूरी तरह छत्तीसगढ़ की तर्ज पर थी। इसके तहत पुरानी ठेका प्रणाली को खत्म कर एक चहेती एजेंसी को आपूर्ति का ठेका दिया गया। आरोप है कि सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम का उपयोग कर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की।

अब क्या होगा आगे?

CBI की टीम अब FIR की कॉपी के आधार पर झारखंड में नए सिरे से जांच करेगी और जिन लोगों के नाम EOW की चार्जशीट में हैं, उनसे पूछताछ के बाद गिरफ्तारी की संभावना भी जताई जा रही है। इस जांच से झारखंड-छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है।

क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाला?

यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच राज्य की सरकारी शराब दुकानों से अवैध तरीके से शराब बेचने का था, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान होने का आरोप है। इस घोटाले में लगभग दो हजार करोड़ रुपये के नुकसान का खुलासा हुआ है। ED की जांच में यह सामने आया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के शासनकाल में IAS अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी ए.पी. त्रिपाठी और कारोबारी अनवर ढेबर के गठजोड़ ने यह घोटाला किया। ED ने इस मामले में 28 दिसंबर 2024 को कवासी लखमा और उनके परिवार के सदस्यों के घरों पर छापे मारे थे और कई महत्वपूर्ण दस्तावेज व डिजिटल डिवाइस जब्त किए थे, जिनमें अपराध से अर्जित आय के सबूत मिले थे।

नीट पेपर लीक कांड के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया का सनसनीखेज खुलासा, मामले डीआईजी रैंक के अधिकारी का रिश्तेदार शामिल

डेस्क : नीट पेपर लीक कांड के मास्टरमाइंड संजीव मुखिया ने सीबीआई पूछताछ में सनसनीखेज खुलासे किए हैं. उसने स्वीकारा कि वह परीक्षा के दिन गोधरा में मौजूद था, जहां से पेपर लीक हुआ. साज़िश में डीआईजी रैंक के अधिकारी का रिश्तेदार भी शामिल है.

सीबीआई को मिली जानकारी के अनुसार, विभोर आनंद अभ्यर्थियों को परशुराम राय से मिलवाता था जो एक वीजा कंसल्टेंसी फर्म चलाता है. जब अभ्यर्थी डील के लिए तैयार हो जाते तब विभोर को मोटा कमीशन मिलता था.

सीबीआई सूत्रों की मानें तो संजीव मुखिया की जड़ें सिर्फ गुजरात या बिहार तक सीमित नहीं हैं. उसका नेटवर्क राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब तक फैला हुआ है. यह भी सामने आया है कि ये लोग लंबे समय से मेडिकल और प्रतियोगी परीक्षाओं को टारगेट कर रहे थे.

नीट परीक्षा में पेपर लीक मामले में परीक्षा माफिया संजीव मुखिया गिरफ्तार है. जांच एजेंसी रिमांड पर लेकर उससे पूछताछ में जुटी है. चर्चित केस की गुत्थी सुलझाने में जुटी CBI को बड़ी सफलता मिली है. पूछताछ में मास्टरमाइंड संजीव मुखिया ने स्वीकार किया है कि वह 5 मई 2024 को गुजरात के गोधरा में मौजूद था. पेपर लीक जिस जय जलाराम स्कूल से हुआ, उस जगह से संजीव मुखिया महज डेढ़ किलोमीटर दूर था.

सीबीआई को अनुसंधान में अहम सुराग हाथ लगे हैं. जांच में यह पता चला है कि इस नेटवर्क में एक डीआजी रैंक के पुलिस अधिकारी का करीबी रिश्तेदार भी शामिल था. यही शख्स परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों और उनके अभिभावकों से संपर्क करता था और उन्हें डील कराता था. सीबीआई की पूछताछ पूरी होने के बाद अब गुजरात पुलिस की टीम संजीव मुखिया को गोधरा में दर्ज मामले में आगे की पूछताछ के लिए अहमदाबाद ले जाने की तैयारी में है. अधिकारी मान रहे हैं कि आने वाले दिनों में और भी कई चौंकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं.

JPSC नियुक्ति घोटाला मामले में चार अधिकारियों की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई,

झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) नियुक्ति घोटाला मामले में चार आरोपियों-पुलिस अधिकारियों विकास पांडेय और अरविंद सिंह, तथा प्रशासनिक पदाधिकारियों कुमुद कुमार और संगीता कुमारी-की अग्रिम जमानत याचिका पर बुधवार को CBI की विशेष अदालत में सुनवाई हुई।

सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने जवाब दाखिल करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई 14 मई 2025 को होगी।

क्या है मामला?

JPSC नियुक्ति घोटाला पहली और दूसरी सिविल सेवा भर्ती (2005-2006) से जुड़ा है, जिसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप है। CBI ने इस मामले में 12 साल की जांच के बाद अक्टूबर 2024 में चार्जशीट दाखिल की थी।

पहली भर्ती में 37 और दूसरी भर्ती में 70 आरोपियों को नामजद किया गया है, जिनमें तत्कालीन JPSC अध्यक्ष डॉ. दिलीप प्रसाद, सदस्य गोपाल प्रसाद सिंह, शांति देवी, राधा गोविंद नागेश, और परीक्षा नियंत्रक एलिस उषा रानी सिंह शामिल हैं।

अन्य आरोपी सरकारी अधिकारियों, उम्मीदवारों, और प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार हैं।

आरोप है कि चयन प्रक्रिया में भ्रष्टाचार, निशान पत्रों में हेरफेर, और प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदारों को अनुचित लाभ दिया गया। उदाहरण के लिए, कुछ उम्मीदवारों के अंक बढ़ाए गए, जैसे रोशन कुमार साह, जिनके 80 अंक को 180 दिखाया गया।

विकास पांडेय, अरविंद सिंह, कुमुद कुमार, और संगीता कुमारी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए CBI की विशेष अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी।

सुनवाई के दौरान उनके वकीलों ने कोर्ट से जवाब तैयार करने के लिए और समय मांगा, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया। इन चारों पर आरोप है कि इन्होंने चयन प्रक्रिया में अनियमितताओं में भूमिका निभाई या इससे लाभ उठाया।

CBI की विशेष अदालत ने इस घोटाले से जुड़े कई आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी हैं। उदाहरण के लिए, फरवरी 2025 में अरविंद कुमार लाल सहित पांच आरोपियों को जमानत देने से इनकार किया गया था।

हालांकि, कुछ आरोपियों, जैसे पूर्व JPSC अध्यक्ष दिलीप प्रसाद और अन्य, को सुप्रीम कोर्ट और झारखंड हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।

स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शी लाने सरकार की बड़ी पहल : अब आम जनता देख सकेंगे दवा आपूर्ति, अस्पताल निर्माण की जानकारी

रायपुर- छत्तीसगढ़ में CGMSC घोटाले के बाद साय सरकार ने बड़ा कदम उठाया है. छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए DPDMIS (ड्रग प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) पोर्टल को अब आम नागरिकों के लिए सार्वजनिक कर दिया है. स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी अब केवल अधिकारियों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आमजन भी दवा आपूर्ति, अस्पताल निर्माण की जानकारी ले सकेंगे. 

बता दें कि तात्कालीन कांग्रेस सरकार में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 550 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया था. IAS, IFS समेत अफसरों ने मिलीभगत कर सिर्फ 27 दिनों में करोड़ों रुपए की खरीदी की थी. इस पर लगाम लगाने अब DPDMIS (ड्रग प्रोक्योरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम) पोर्टल को आम नागरिकों के लिए सार्वजनिक कर दिया गया है. स्वास्थ्य संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में दवा, चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति, वितरण, स्टॉक की स्थिति यहां तककीकि निर्माणाधीन अस्पताल भवनों की प्रगति को भी रियल-टाइम देखा जा सकता है.

अब हॉस्पिटल से दवा नहीं मिलने पर मरीज स्टॉक चेक करके सवाल उठा सकता है. दवा है तो दिया क्यों नहीं जा रहा है ? दवा नहीं है तो मंगाया क्यों नहीं गया ? दवा सप्लाई के लिए बजट छह माह पहले दिया जाता है तो दवा की कमी क्यों है ? मरीज़ या आम जनता प्रदेश के स्वास्थ्य संस्थानों जैसे मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी में दवा और चिकित्सीय उपकरणों की आपूर्ति, वितरण, स्टॉक की स्थिति और यहां तक कि निर्माणाधीन अस्पताल भवनों की प्रगति को भी रियल-टाइम में देख सकेंगे।


पोर्टल की प्रमुख सुविधाएं

  • दवा एवं उपकरण खरीदी: पोर्टल पर सभी निविदाएं, स्वीकृत आपूर्तिकर्ता और अनुबंध मूल्य सूची सार्वजनिक रूप से उपलब्ध हैं.
  • वितरण प्रणाली: दवाओं की डिलीवरी, स्टॉक की वर्तमान स्थिति और लंबित मांग की जानकारी दिन-प्रतिदिन अपडेट होती है.
  • वाहन ट्रैकिंग: दवा परिवहन में लगे वाहनों की लाइव लोकेशन और उनके रूट की जानकारी भी नागरिक देख सकते हैं.
  • अधोसंरचना निगरानी: निर्माणाधीन मेडिकल संस्थानों की प्रगति, बजट और योजनागत विवरण अब जनता की नज़रों में होगी.

सुशासन की दिशा में अनुकरणीय प्रयास : CGMSC प्रबंध संचालक

CGMSC की प्रबंध संचालक पद्मिनी भोई ने इस पहल के बारे में कहा, पारदर्शिता केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि आमजन यह जान सकें कि उनके स्वास्थ्य के लिए सरकार द्वारा खर्च किया जा रहा प्रत्येक संसाधन कहां और कैसे उपयोग हो रहा है. यह पोर्टल उसी दिशा में एक प्रभावी कदम है. पद्मिनी भोई ने यह भी स्पष्ट किया कि DPDMIS पोर्टल न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की दक्षता में अभिवृद्धि करेगा, बल्कि कार्य में पारदर्शिता, भ्रष्टाचार नियंत्रण तथा नागरिकों के विश्वास में वृद्धि के लिए एक प्रभावशाली माध्यम सिद्ध होगा. यह पहल छत्तीसगढ़ राज्य में सुशासन की दिशा में एक अनुकरणीय प्रयास है, जो भविष्य की स्वास्थ्य सेवा योजनाओं को सशक्त आधार प्रदान करेगी.

जानिए क्या है सीजीएमएससी घोटाला

दरअसल, CGMSC घोटाले में अधिकारियों और कारोबारियों ने सरकार को 550 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया. IAS, IFS समेत अफसरों ने मिलीभगत कर सिर्फ 27 दिनों में करोड़ रुपए की खरीदी की थी. CGMSC के अधिकारियों ने मोक्षित कार्पोरेशन को 27 दिन में 750 करोड़ का कारोबार दिया था. मेडिकल किट समेत अन्य मशीनों की आवश्यकता नहीं थी. इसके बावजूद सिंडिकेट की तरह काम किया गया. आम जनता को निशुल्क डायग्नोस्टिक जांच उपलब्ध कराने के लिए सभी जिला अस्पतालों, एफआरयू सीएचसी, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों और उप स्वास्थ्य केन्द्रों में हमर लैब योजना में खरीदे जाने वाले मेडिकल उपकरण, रीएजेंट्स की निविदा में पुल टेण्डरिंग और आवश्यक मात्रा से कहीं अधिक रीएजेंट्स की अनावश्यक खरीदी की गई थी. CGMSC के अधिकारी, मोक्षित कार्पोरेशन, रिकॉर्ड्स और मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज और सीबी कार्पोरेशन ने 8 रुपये में मिलने वाले EDTA ट्यूब 2,352 रुपए और 5 लाख वाली CBS मशीन 17 लाख में खरीदी थी.

दिसंबर 2024 में पूर्व गृहमंत्री ननकीराम कंवर ने दिल्ली में PMO, केंद्रीय गृहमंत्री कार्यालय, CBI और ED मुख्यालय जाकर CGMSC में घोटाले की शिकायत की थी. इस शिकायत के बाद केंद्र से EOW को निर्देश मिला. इसके बाद EOW की टीम ने 5 लोगों के खिलाफ नामजद FIR दर्ज की. EOW की जांच होने के बाद श्री शारदा इंडस्ट्रीज प्रबंधन ने अपनी फर्म को बंद कर दिया है. कंपनी की साइट पर उसका स्टेट टेंपरेरी बंद बता रहा है. EOW के अनुसार आर.के नाम का कारोबारी इस कंपनी का संचालक है. यह कंपनी ग्राम तर्रा, तहसील धरसींवा रायपुर में स्थित है. कंपनी संचालक को जांच के दायरे में लाया गया है. यह कंपनी 1 जुलाई 2017 को GST के दायरे में आई थी. कंपनी ने 5 जून 2024 को अपना अंतिम टैक्स जमा किया है.

मोक्षित कार्पोरेशन तीन साल के लिए ब्लैकलिस्टेड

मोक्षित कार्पोरेशन को आखिरकार साय सरकार ने ब्लैकलिस्टेड कर दिया है. ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध शाखा) की जांच के बाद सीजीएमएससी (छत्तीसगढ़ राज्य चिकित्सा आपूर्ति निगम) ने कंपनी को अगले तीन साल के लिए अपात्र घोषित कर दिया है. अब मोक्षित कार्पोरेशन से किसी भी दवा या मेडिकल उपकरण की खरीद नहीं की जा सकेगी.

10 जून तक न्यायिक रिमांड पर 6 आरोपी

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (CGMSC) घोटाला मामले में आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) ने लगभग 18 हजार पन्नों की चार्जशीट तैयार कर विशेष अदालत में दाखिल कर दी है. चार्जशीट में अब तक गिरफ्तार 6 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय कर दिए गए हैं. सभी आरोपियों को कोर्ट ने 10 जून 2025 यानी करीब डेढ़ महीने के लिए न्यायिक रिमांड पर भेज दिया है. बता दें कि जिन आरोपियों को न्यायिक रिमांड में लिया गया उनमें शशांक चोपड़ा (संचालक, मोक्षित कॉर्पोरेशन), बसंत कुमार कौशिक (तत्कालीन प्रभारी महाप्रबंधक, CGMSC), छिरोद रौतिया (बायो मेडिकल इंजीनियर), कमलकांत पाटनवार (उपप्रबंधक), डॉ. अनिल परसाई और दीपक कुमार बंधे (मेडिकल इंजीनियर) शामिल हैं..

रेलवे ठेकेदार के घर CBI का छापा, 10 सदस्यीय टीम कर रही है दस्तावेजों की जांच

बिलासपुर- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की एक टीम ने रेलवे से जुड़े कार्यों में शामिल ठेकेदार कंपनी झाझरिया कंस्ट्रक्शन लिमिटेड पर शुक्रवार को छापा मारा. यह कार्रवाई सुबह के समय शुरू हुई, जिसमें 8 से 10 सदस्यों वाली CBI टीम मौके पर जांच कर रही है.

सूत्रों के अनुसार, यह छापा रेलवे प्रोजेक्ट्स में संभावित गड़बड़ियों और अनियमितताओं की जांच के तहत मारा गया है. झाझरिया कंस्ट्रक्शन लिमिटेड रेलवे के कई बड़े निर्माण कार्यों को ठेके पर अंजाम देती है और हाल के वर्षों में इस कंपनी को करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट आवंटित किए गए हैं.

CBI अधिकारियों ने कंपनी के कार्यालय में दस्तावेजों की गहन तलाशी ली और कई महत्वपूर्ण फाइलों व डिजिटल डेटा को जब्त किया. इस दौरान कंपनी के अधिकारियों से भी पूछताछ की गई.

हालांकि, अभी तक CBI की ओर से आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन यह कार्रवाई बड़े रेलवे ठेकों में भ्रष्टाचार की आशंका को लेकर की जा रही बताई जा रही है. जांच से जुड़े सूत्रों का कहना है कि CBI आने वाले दिनों में और भी ठिकानों पर छापेमारी कर सकती है.

भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पर EOW की कार्रवाई, तत्कालीन एसडीएम, तहसीलदार सहित 17-20 अधिकारियों के ठिकानों पर दी दबिश…

रायपुर- भारतमाला प्रोजेक्ट में गड़बड़ी पर ईओडब्ल्यू ने आज सुबह नया रायपुर, अभनपुर, दुर्ग-भिलाई, आरंग सहित प्रदेश के अन्य जिलों में करीबन 20 ठिकानों पर छापा मारा है.

जानकारी के अनुसार, ईओडब्ल्यू ने तत्कालिक अभनपुर एसडीएम निर्भय साहू और तत्कालिक तहसीलदार शशिकांत कुर्रे के रायपुर स्थित घरों के साथ करीबन 17 से 20 अधिकारी-कर्मचारियों के स्थित ठिकानों पर पहुंची है. ईओडब्ल्यू की टीम इन ठिकानों पर संबंधित दस्तावेजों की तलाश कर रही है.

220 करोड़ के भ्रष्टाचार की संभावना

शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि कुछ सरकारी अधिकारियों, भू-माफियाओं और प्रभावशाली लोगों ने मिलीभगत कर फर्जी तरीके से लगभग 43 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि हासिल कर ली. लेकिन विस्तृत जांच में यह आंकड़ा 220 करोड़ रुपये से ज्यादा तक पहुंच गया है. अब तक 164 करोड़ रुपये के संदिग्ध लेन-देन का रिकॉर्ड भी जांच एजेंसी को मिल चुका है. मामले की गंभीरता को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने 6 मार्च को प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिखकर CBI जांच की मांग की है.

इस घोटाले को लेकर चरणदास महंत ने विधानसभा बजट सत्र 2025 में भी मुद्दा उठाया था. इसके बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस प्रकरण की जांच ईओडब्ल्यू (EOW) को सौंपने का निर्णय लिया गया था. अब ईओडब्ल्यू ने इस पूरे मामले की जांच को और तेज कर दिया है.

क्या है भारतमाला परियोजना का मुआवजा घोटाला?

छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना के तहत राजधानी रायपुर से विशाखपट्टनम तक 950 कि.मी. सड़क निर्माण किया जा रहा है. इस परियोजना में रायपुर से विशाखापटनम तक फोरलेन सड़क और दुर्ग से आरंग तक सिक्स लेन सड़क बनना प्रस्तावित है. इस सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने कई किसानों की जमींने अधिग्रहित की हैं. इसके एवज में उन्हें मुआवजा दिया जाना है, लेकिन कई किसानों को अब भी मुआवजा नहीं मिल सका है. विधानसभा बजट सत्र 2025 के दूसरे दिन नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने इस मुद्दे को उठाया था, जिसके बाद इस मामले में जांच का फैसला लिया गया.

भूमि अधिग्रहण नियम

भूमि अधिग्रहण नियम 2013 के तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी. इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा.

इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा. इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे.

CGPSC भर्ती घोटाले पर अब ED जाँच से हड़कंप, आरोपियों और नेताओं के ठिकाने निशाने पर…

रायपुर- छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाले में अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी जांच का जिम्मा संभाल लिया है। इससे पहले मामले की जांच पुलिस, आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) कर रही थी। CBI की रिपोर्ट के आधार पर ED ने ईसीआईआर (ECIR) दर्ज की है, क्योंकि प्रारंभिक जांच में मनी लॉन्ड्रिंग के ठोस प्रमाण मिले हैं। मामले में ED की एंट्री से हड़कंप मच गया है। जांच में कई नेताओं की भूमिका भी सामने आई है।

बता दें कि CBI जांच में खुलासा हुआ कि बारनवापारा स्थित एक रिसॉर्ट में चयनित अभ्यर्थियों को पांच दिन तक परीक्षा की विशेष तैयारी कराई गई थी। यह रिसॉर्ट स्वास्थ्य विभाग में पदस्थ एक महिला IAS अधिकारी के पति का बताया जा रहा है। अब इस महिला IAS और उनके पति को समन जारी करने की तैयारी चल रही है।


गिरफ्तार हुए प्रमुख आरोपी

CBI ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है — तत्कालीन CGPSC चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी, उप परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर, कारोबारी श्रवण गोयल, नितेश सोनवानी, साहिल सोनवानी, शशांक गोयल और भूमिका कटियार गोयल। ये सभी फिलहाल रायपुर जेल में हैं। ED अब कोर्ट से अनुमति लेकर इनसे पूछताछ करेगी।

हवाला के जरिए पहुँचा पैसा नेताओं और अधिकारियों तक

ED की जांच का फोकस इस बात पर है कि अभ्यर्थियों के परिजनों और रिश्तेदारों ने परीक्षा पास कराने के लिए हवाला नेटवर्क के जरिए मोटी रकम चुकाई थी। यह पैसा नेताओं और अधिकारियों तक पहुंचा, जिसकी कड़ियां अब दिल्ली और कोलकाता तक जुड़ रही हैं।

जांच के घेरे में कई VIP नाम

इस मामले में जिन लोगों के नाम जांच में सामने आए हैं, उनमें कई प्रभावशाली लोगों के रिश्तेदार और परिवारजन शामिल हैं —

  • टामन सोनवानी के भतीजे नितेश, भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले और अन्य रिश्तेदार
  • तत्कालीन पीएससी सचिव जीवन किशोर का बेटा सुमित ध्रुव
  • राज्यपाल के पूर्व सचिव अमृत खलखो की बेटी नेहा और बेटा निखिल
  • डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी
  • कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल
  • उद्योगपति का बेटा शशांक गोयल
  • मंत्री के ओएसडी के साढ़ की बेटी खुशबू बिजौरा
  • कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला की बेटी स्वर्णिम
  • उप परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर की रिश्तेदार मीनाक्षी गनवीर

गौरतलब है कि ED जल्द ही महासमुंद, रायपुर और बिलासपुर में कई ठिकानों पर छापेमारी कर सकती है। दस्तावेजों की गहन जांच चल रही है और इस घोटाले में शामिल अन्य बड़े नामों का भी जल्द खुलासा हो सकता है। यह मामला छत्तीसगढ़ में प्रशासनिक भर्तियों की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है, वहीं ED की एंट्री के बाद अब आर्थिक लेनदेन की परतें भी खुलने लगी हैं।

CGPSC घोटाला : पूर्व चेयरमैन टामन सोनवानी को बड़ा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की जमानत याचिका

बिलासपुर- छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित CGPSC घोटाला मामले में फंसे पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को हाइकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। कोर्ट ने टामन सिंह सोनवानी की जमानत याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस बीडी गुरु की सिंगल बेंच ने 17 अप्रैल को जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद फैसला रिजर्व रखा था, जिसे आज जारी किया गया है।

CGPSC 2021 घोटाला मामले की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई की टीम ने पिछले साल नवंबर में CGPSC के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के वक्त सोनवानी सरगुजा में अपने गांव से मैनपाट जा रहा था, जहां उसका आलीशान फॉर्म हाउस है।

सीबीआई को जांच में पता चला था कि टामन सोनवानी ने भतीजे नीतेश सोनवानी, बड़े भाई के बेटे साहिल, बहू निशा कोसले, भाई की बहू दीपा अजगले, बहन की बेटी सुनीता जोशी समेत 5 रिश्तेदारों का चयन कराया था। इसके अलावा पीएससी सचिव जीवन किशोर के बेटे सुमित ध्रुव, भूपेश सरकार में राज्यपाल के सचिव रहे अमृत खलखो की बेटी नेहा खलखो, बेटा निखिल, डीआईजी ध्रुव की बेटी साक्षी ध्रुव, कांग्रेस नेता की बेटी अनन्या अग्रवाल, एक उद्योगपति के बेटे और बहू, मंत्री के ओएसडी के साढ़ू की बेटी खुशबू बिजौरा, कांग्रेस नेता के बेटे राजेंद्र कौशिक, कांग्रेस नेता राजेंद्र शुक्ला के बेटे स्वर्णिम, मीनाक्षी गनवीर समेत अन्य का भी चयन हुआ था, जिसकी जांच जारी है।

पीएससी घोटाले की जांच के दौरान सीबीआई ने चयनित अभ्यर्थियों के यहां से प्रश्नपत्र से जुड़े दस्तावेज बरामद किए। उनके परिजनों के बैंक खातों से ट्रांजेक्शन की भी जानकारी ली, जिसके आधार पर सोनवानी को समन जारी कर बुलाया गया, लेकिन वह उपस्थित नहीं हुए तब उनकी गिरफ्तारी की गई।


एक चयनित अभ्यर्थी के यहां डायरी में लेनदेन का मिला था हिसाब

CGPSC 2021 में चयनित 18 अभ्यर्थियों के घरों में इस घोटाले को लेकर छापेमारी भी की गई थी। अभ्यर्थियों के यहां 300 से ज्यादा किताबों-नोटबुक और मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप की जांच की गई। इस दौरान एक चयनित अभ्यर्थी के यहां डायरी में लेनदेन का हिसाब भी मिला था। अभ्यर्थियों, उनके परिजन के बैंक खातों की जांच के अलावा सीबीआई ने पीएससी के अफसरों से बातचीत की। 5 साल की कॉल डिटेल और लोकेशन भी खंगाली, जिसके आधार पर सीबीआई ने पीएससी के पूर्व चेयरमैन टामन सिंह सोनवानी को गिरफ्तार किया।

CBI ने 7 लोगों को बनाया है आरोपी

बता दें कि इस घोटाले में आरोपी बनाए गए बजरंग इस्पात के डायरेक्टर श्रवण गोयल के बेटे शशांक गोयल और उनकी बहू भूमिका की पहले ही जमानत याचिका खारिज हो चुकी है। सीबीआई ने इस घोटाले में मुख्यतः श्रवण गोयल, शशांक गोयल, भूमिका कटियार, नितेश सोनवानी, साहिल सोनवानी, ललित गणवीर समेत 7 लोगों को आरोपी बनाया है।

CGPSC घोटाला : दलालों और पेपर सॉल्वर के ठिकानाें से मिले अहम दस्तावेज, जांच के घेरे में कई अभ्यर्थी, CBI ने छापेमार कार्रवाई की दी जानकारी

रायपुर-  छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) भर्ती घोटाला मामले में CBI ने गुरुवार को पांच ठिकानों पर छापामार कार्रवाई की थी. इस मामले की जांच को लेकर सीबीआई ने बयान जारी किया है. सीबीआई के मुताबिक, रायपुर में तीन और महासमुंद में दो कुल पांच स्थानों पर छापेमारी कर अहम दस्तावेज जब्त किए गए हैं. यह कार्रवाई उन पांच संदिग्धों के खिलाफ की गई है, जिनमें दलाल, पेपर सॉल्वर और अन्य शामिल हैं. यह मामला 2020 से 2022 के बीच डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी जैसे वरिष्ठ पदों की भर्ती में गड़बड़ी से जुड़ा है.

यह मामला छत्तीसगढ़ सरकार के अनुरोध पर सीबीआई ने दर्ज किया था, जिसमें पहले स्थानीय पुलिस द्वारा दर्ज मामलों को अपने हाथ में लिया. इन मामलों में वर्ष 2020 से 2022 के बीच परीक्षा/साक्षात्कार के दौरान योग्यता के बजाय अन्य आधारों पर करीबी रिश्तेदारों को डिप्टी कलेक्टर, डीएसपी और अन्य वरिष्ठ पदों पर चयनित किए जाने के आरोप शामिल हैं. सीबीआई ने इस मामले में 18 नवंबर 2024 को तत्कालीन सीजीपीएससी अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी और बजरंग पावर एंड इस्पात लिमिटेड रायपुर के तत्कालीन निदेशक श्रवण कुमार गोयल को गिरफ्तार किया था.


सीबीआई ने 10 जनवरी 2025 को पांच और आरोपियों को गिरफ्तार किया, जिनमें तत्कालीन अध्यक्ष के भतीजे और डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित नितेश सोनवानी और तत्कालीन डिप्टी परीक्षा नियंत्रक ललित गनवीर शामिल थे. इसके अलावा 12 जनवरी 2025 को डिप्टी कलेक्टर के रूप में चयनित शशांक गोयल, भूमि‍का कटियार और डिप्टी एसपी के रूप में चयनित साहिल सोनवानी को भी गिरफ्तार किया था. CBI ने 16 जनवरी 2025 को रायपुर की विशेष CBI अदालत में चार्जशीट दाखिल की, जिनमें सात आरोपी शामिल हैं. CBI ने बताया कि अन्य उम्मीदवारों की भूमिका की जांच अभी जारी है.

सीबीआई की चार्जशीट में इन आरोपियों के हैं नाम

  1. टामन सिंह सोनवानी
  2. श्रवण कुमार गोयल
  3. शशांक गोयल
  4. भूमिका कटियार
  5. नितेश सोनवानी
  6. साहिल सोनवानी
  7. ललित गणवीर

ये है पूरा मामला (CGPSC Scam)

CGPSC 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है. ईओडब्ल्यू और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार-अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज किया है. CGPSC ने 2020 में 175 पदों पर और 2021 में 171 पदों पर परीक्षा ली थी. प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया. इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई. आरोप है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों समेत कांग्रेसी नेता और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चों की नौकरी लगवाई है.

CGPSC घोटाले में CBI की बड़ी कार्रवाई, रायपुर और महासमुंद में 5 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी, कई अहम दस्तावेज जब्त

रायपुर- छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (CGPSC) घोटाले की जांच में CBI ने बड़ी कार्रवाई करते हुए रायपुर और महासमुंद में एक साथ पांच ठिकानों पर छापेमारी की है. इस छापेमारी में कई अहम दस्तावेज और तकनीकी साक्ष्य जब्त किए गए हैं.

CBI की टीम ने रायपुर के फूल चौक स्थित एक निजी होटल, सिविल लाइन इलाके के एक कोचिंग सेंटर और महासमुंद में एक सरकारी डॉक्टर के आवास पर दबिश दी. इसके अलावा महासमुंद में अभ्यारण्य गेस्ट हाउस और एक अन्य स्थानों पर भी कार्रवाई की गई है.

बताया जा रहा है कि यह छापेमारी CGPSC परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर की गई है. इस कार्रवाई में CBI ने कई अहम दस्तावेज और अन्य तकनीकी साक्ष्य जब्त किए हैं, जिनकी जांच की जा रही है.

CGPSC घोटाले में अब तक हुई गिरफ्तारी

टामन सिंह सोनवानी (पूर्व CGPSC चेयरमैन)

साहिल सोनवानी (टामन सिंह सोनवानी के भतीजे)

शशांक गोयल (बजरंग पावर के डायरेक्टर श्रवण कुमार गोयल के बेटे)

भूमिका कटियार

नितेश सोनवानी (टामन सिंह सोनवानी के भतीजे)

ललित गनवीर (पूर्व डिप्टी एग्जाम कंट्रोलर)

ये है पूरा मामला (CGPSC Scam)

CGPSC 2019 से 2022 तक की भर्ती में कुछ अभ्यर्थियों के चयन को लेकर विवाद है. ईओडब्ल्यू और अर्जुंदा पुलिस ने भ्रष्टाचार-अनियमितता के आरोप में मामला दर्ज किया है. CGPSC ने 2020 में 175 पदों पर और 2021 में 171 पदों पर परीक्षा ली थी. प्री-एग्जाम 13 फरवरी 2022 को कराया गया. इसमें 2 हजार 565 पास हुए थे. इसके बाद 26, 27, 28 और 29 मई 2022 को हुई मेंस परीक्षा में 509 अभ्यर्थी पास हुए. इंटरव्यू के बाद 11 मई 2023 को 170 अभ्यर्थियों की सिलेक्शन लिस्ट जारी हुई. आरोप है कि तत्कालीन चेयरमैन सोनवानी ने अपने रिश्तेदारों समेत कांग्रेसी नेता और ब्यूरोक्रेट्स के बच्चों की नौकरी लगवाई है.