भारत से ब्रह्मोस खरीदेगा इंडोनेशिया, गणतंत्र पर आ रहे राष्ट्रपति प्रबोवो फाइनल करेंगे डील

#indonesiatobuybrahmosmissilefromindia 

भारत की ब्रह्मोस मिसाइलों की दुनिया भर में डिमांड बढ़ रही है। कभी हथियारों के सबसे बड़े आयातक रहे भारत के लिए यह बड़ी सफलता है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो इस बार गणतंत्र दिवस 2025 समारोह के मुख्य अतिथि हो सकते हैं। उनकी यात्रा से ब्रह्मोस मिसाइलों के प्रस्तावित निर्यात सहित द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को बढ़ावा मिल सकता है। 

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के आयात के लिए इंडोनेशिया से बातचीत अंतिम चरण में है। हालांकि, इस सौदे पर पहले ही हस्ताक्षर हो सकते थे, लेकिन इंडोनेशिया के आंतरिक मामलों की वजह से इसमें देरी हुई। पूर्व रक्षा मंत्री और इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति और ताकतवर नेता सुहार्तो के दामाद प्रबोवो भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भी रिपब्लिक डे के मौके पर भारत आ रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश के राष्ट्राध्यक्ष के साथ भारत कई समझौते कर सकता है। इनमें से एक समझौता ब्रह्मोस मिसाइलों को लेकर भी होने वाला है। 

मिसाइल की खासियत

इस मिसाइल को भारत, रूस ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत यह है कि इसे जल, जमीन और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल दुश्मन को करीब 650 किलोमीटर दूर तक मार गिरा सकती है। यह दूर से ही अपने तय लक्ष्य को भेद सकती है। खास बात यह है कि यह मिसाइल इस तरह से डिजाइन की गई है कि सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को भेदने के दौरान भी वह रास्ता न भटके। यह मिसाइल समुद्र से लेकर ऊंचे पर्वतों तक पर दुश्मन के ठिकानों को भेद सकती है।

भारत और इंडोनेशिया के संबंध

भारत और इंडोनेशिया के द्विपक्षीय संबंध बीते कुछ सालों में मजबूत हुए हैं। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में इंडोनेशिया को महत्वपूर्ण साझेदार देश माना जा रहा है। 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंडोनेशिया दौरे के बाद दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ गई थी। दोनों देशों के बीच इस साझेदारी का मुख्य स्तंभ समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर आधारित है. 2018 में भारतीय नौसेना, इंडोनेशियाई नौसेना का द्विपक्षीय सैन्याम्यास समुद्र शक्ति हुआ था। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ रही उपस्थिति और नतूना द्वीप के पास चीन की गतिविधियां बढ़ने की वजह से भारत और इंडोनेशिया समुद्री सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।

भारत ने फिलीपींस को सौंपी ब्रह्मोस की पहली खेप, साउथ चाइना सी में तैनात होंगी, चीन की चिंता बढ़ी

#brahmos_missile_delivered_to_philippines_by_india

भारत ने चीन की चिंता को बढ़ने का काम किया है। दरअसल, भारत ने चीन के पड़ोसी देश फिलीपींस को शुक्रवार को ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप सौंपी। भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ने चीन के पड़ोसी फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप सौंपी है। फिलीपींस इसे दक्षिणी चीन सागर में तैनात करेगा, जिससे चीन की चिंता बढ़ गई है। 

जनवरी 2022 में फिलीपींस ने भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद के लिए 2,966 करोड़ रुपये का सौदा किया था। भारत व रूस को छोड़कर ब्रह्मोस मिसाइल पाने वाला फिलीपींस दुनिया का पहला देश है। वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान के जरिये ब्रह्मोस की डिलिवरी की गई। वायुसेना का यह विमान शुक्रवार सुबह फिलीपींस की राजधानी मनीला पहुंचा। ब्रह्मोस के तीन सिस्टम सौंपे गए हैं। हर सिस्टम में दो मिसाइल लॉन्चर, एक रडार और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर होता है।इसके जरिए सबमरीन, शिप, एयक्राफ्ट से दो ब्रह्मोस मिसाइलें 10 सेकेंड के अंदर दुश्मन पर दागी जा सकती है। इसके अलावा भारत फिलीपींस को मिसाइल ऑपरेट करने की भी ट्रेनिंग देगा। 

फिलीपींस को उस समय मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी मिली है, जब उसके और चीन के बीच साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ा हुआ है।फिलीपींस की चीन के साथ हाल ही में साउथ चाइना सी में कई बार झड़प हुई है।ब्रह्मोस मिसाइलों से समुद्र में फिलीपींस की ताकत बढ़ेगी और समुद्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को भी रोका जा सकेगा। फिलीपींस ब्रह्मोस के 3 मिसाइल सिस्टम को तटीय इलाकों (साउथ चाइना सी) में तैनात करेगा, ताकि चीन के खतरे से निपटा जा सके।

ब्रह्मोस मिसाइल 3400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमला करती है। इसे दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में एक माना जाता है।ब्रह्मोस के हमले को रोकना लगभग नामुमकिन है। ये एक बार चलेगी तो टारगेट बर्बाद करके ही रुकेगी।

ఆయుధాల కొనుగోలుకు రూ.70 వేల కోట్ల రక్షణశాఖ డీల్

ఆయుధ సామాగ్రి కొనుగోలుకు కేంద్ర రక్షణశాఖ కీలక నిర్ణయం తీసుకుంది. భారత రక్షణ దళాలకు వివిధ ఆయుధ సంపత్తిని కొనుగోలు చేసేందుకు రూ.70 వేల కోట్ల విలువైన ప్రతిపాదనలకు రక్షణ మంత్రిత్వ శాఖ (Defence Ministry) ఆమోదించినట్లు అధికారులు తెలిపారు. 

భారత నౌకా దళానికి 60 మేడ్ -ఇన్-ఇండియా యుటిలిటీ హెలికాప్టర్లు మెరైన్, బ్రహ్మోస్ సూపర్ సోనిక్ క్రూయిజ్ క్షిపణులు (BrahMos missiles), భారత సైన్యం కోసం 307 ATAGS హోవిట్జర్లు, 9 ALH ధృవ్ ఛాపర్‌ల (Dhruv choppers)ను కొనుగోలు చేసే ప్రతిపాదనలకు రక్షణ మంత్రి రాజ్‌నాథ్ సింగ్ (Defence Minister Rajnath Singh ) నేతృత్వంలోని మండలి సమావేశం ఆమోదం తెలిపింది.

ఈ డీల్‌లో హెచ్‌ఏఎల్ నుంచి 60 యూహెచ్ మెరైన్ చాపర్‌లను కొనుగోలు చేసేందుకు భారత నావికాదళానికి రూ.32 వేల కోట్ల మెగా ఆర్డర్ కూడా ఉందని అధికారులు తెలిపారు. భారత నౌకాదళానికి రూ. 56 వేల కోట్ల విలువైన బ్రహ్మోస్ క్షిపణులు, శక్తి ఈడబ్ల్యూ సిస్టమ్స్, యూటీలిటీ హెలికాప్టర్లు- మారీమ్ అనుమతి లభించింది.

भारत से ब्रह्मोस खरीदेगा इंडोनेशिया, गणतंत्र पर आ रहे राष्ट्रपति प्रबोवो फाइनल करेंगे डील

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भारत की ब्रह्मोस मिसाइलों की दुनिया भर में डिमांड बढ़ रही है। कभी हथियारों के सबसे बड़े आयातक रहे भारत के लिए यह बड़ी सफलता है। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो इस बार गणतंत्र दिवस 2025 समारोह के मुख्य अतिथि हो सकते हैं। उनकी यात्रा से ब्रह्मोस मिसाइलों के प्रस्तावित निर्यात सहित द्विपक्षीय रक्षा साझेदारी को बढ़ावा मिल सकता है। 

फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के आयात के लिए इंडोनेशिया से बातचीत अंतिम चरण में है। हालांकि, इस सौदे पर पहले ही हस्ताक्षर हो सकते थे, लेकिन इंडोनेशिया के आंतरिक मामलों की वजह से इसमें देरी हुई। पूर्व रक्षा मंत्री और इंडोनेशिया के पूर्व राष्ट्रपति और ताकतवर नेता सुहार्तो के दामाद प्रबोवो भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो भी रिपब्लिक डे के मौके पर भारत आ रहे हैं। दुनिया के सबसे बड़े मुस्लिम देश के राष्ट्राध्यक्ष के साथ भारत कई समझौते कर सकता है। इनमें से एक समझौता ब्रह्मोस मिसाइलों को लेकर भी होने वाला है। 

मिसाइल की खासियत

इस मिसाइल को भारत, रूस ने संयुक्त रूप से तैयार किया है। ब्रह्मोस मिसाइल की खासियत यह है कि इसे जल, जमीन और हवा से लॉन्च किया जा सकता है। यह मिसाइल दुश्मन को करीब 650 किलोमीटर दूर तक मार गिरा सकती है। यह दूर से ही अपने तय लक्ष्य को भेद सकती है। खास बात यह है कि यह मिसाइल इस तरह से डिजाइन की गई है कि सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को भेदने के दौरान भी वह रास्ता न भटके। यह मिसाइल समुद्र से लेकर ऊंचे पर्वतों तक पर दुश्मन के ठिकानों को भेद सकती है।

भारत और इंडोनेशिया के संबंध

भारत और इंडोनेशिया के द्विपक्षीय संबंध बीते कुछ सालों में मजबूत हुए हैं। भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में इंडोनेशिया को महत्वपूर्ण साझेदार देश माना जा रहा है। 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इंडोनेशिया दौरे के बाद दोनों देशों के बीच साझेदारी बढ़ गई थी। दोनों देशों के बीच इस साझेदारी का मुख्य स्तंभ समुद्री सुरक्षा और रक्षा सहयोग पर आधारित है. 2018 में भारतीय नौसेना, इंडोनेशियाई नौसेना का द्विपक्षीय सैन्याम्यास समुद्र शक्ति हुआ था। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ रही उपस्थिति और नतूना द्वीप के पास चीन की गतिविधियां बढ़ने की वजह से भारत और इंडोनेशिया समुद्री सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है।

भारत ने फिलीपींस को सौंपी ब्रह्मोस की पहली खेप, साउथ चाइना सी में तैनात होंगी, चीन की चिंता बढ़ी

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भारत ने चीन की चिंता को बढ़ने का काम किया है। दरअसल, भारत ने चीन के पड़ोसी देश फिलीपींस को शुक्रवार को ब्रह्मोस मिसाइल की पहली खेप सौंपी। भारतीय वायुसेना के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट ने चीन के पड़ोसी फिलीपींस को ब्रह्मोस मिसाइलों की पहली खेप सौंपी है। फिलीपींस इसे दक्षिणी चीन सागर में तैनात करेगा, जिससे चीन की चिंता बढ़ गई है। 

जनवरी 2022 में फिलीपींस ने भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद के लिए 2,966 करोड़ रुपये का सौदा किया था। भारत व रूस को छोड़कर ब्रह्मोस मिसाइल पाने वाला फिलीपींस दुनिया का पहला देश है। वायुसेना के सी-17 ग्लोबमास्टर विमान के जरिये ब्रह्मोस की डिलिवरी की गई। वायुसेना का यह विमान शुक्रवार सुबह फिलीपींस की राजधानी मनीला पहुंचा। ब्रह्मोस के तीन सिस्टम सौंपे गए हैं। हर सिस्टम में दो मिसाइल लॉन्चर, एक रडार और एक कमांड एंड कंट्रोल सेंटर होता है।इसके जरिए सबमरीन, शिप, एयक्राफ्ट से दो ब्रह्मोस मिसाइलें 10 सेकेंड के अंदर दुश्मन पर दागी जा सकती है। इसके अलावा भारत फिलीपींस को मिसाइल ऑपरेट करने की भी ट्रेनिंग देगा। 

फिलीपींस को उस समय मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी मिली है, जब उसके और चीन के बीच साउथ चाइना सी में तनाव बढ़ा हुआ है।फिलीपींस की चीन के साथ हाल ही में साउथ चाइना सी में कई बार झड़प हुई है।ब्रह्मोस मिसाइलों से समुद्र में फिलीपींस की ताकत बढ़ेगी और समुद्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को भी रोका जा सकेगा। फिलीपींस ब्रह्मोस के 3 मिसाइल सिस्टम को तटीय इलाकों (साउथ चाइना सी) में तैनात करेगा, ताकि चीन के खतरे से निपटा जा सके।

ब्रह्मोस मिसाइल 3400 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हमला करती है। इसे दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइलों में एक माना जाता है।ब्रह्मोस के हमले को रोकना लगभग नामुमकिन है। ये एक बार चलेगी तो टारगेट बर्बाद करके ही रुकेगी।

ఆయుధాల కొనుగోలుకు రూ.70 వేల కోట్ల రక్షణశాఖ డీల్

ఆయుధ సామాగ్రి కొనుగోలుకు కేంద్ర రక్షణశాఖ కీలక నిర్ణయం తీసుకుంది. భారత రక్షణ దళాలకు వివిధ ఆయుధ సంపత్తిని కొనుగోలు చేసేందుకు రూ.70 వేల కోట్ల విలువైన ప్రతిపాదనలకు రక్షణ మంత్రిత్వ శాఖ (Defence Ministry) ఆమోదించినట్లు అధికారులు తెలిపారు. 

భారత నౌకా దళానికి 60 మేడ్ -ఇన్-ఇండియా యుటిలిటీ హెలికాప్టర్లు మెరైన్, బ్రహ్మోస్ సూపర్ సోనిక్ క్రూయిజ్ క్షిపణులు (BrahMos missiles), భారత సైన్యం కోసం 307 ATAGS హోవిట్జర్లు, 9 ALH ధృవ్ ఛాపర్‌ల (Dhruv choppers)ను కొనుగోలు చేసే ప్రతిపాదనలకు రక్షణ మంత్రి రాజ్‌నాథ్ సింగ్ (Defence Minister Rajnath Singh ) నేతృత్వంలోని మండలి సమావేశం ఆమోదం తెలిపింది.

ఈ డీల్‌లో హెచ్‌ఏఎల్ నుంచి 60 యూహెచ్ మెరైన్ చాపర్‌లను కొనుగోలు చేసేందుకు భారత నావికాదళానికి రూ.32 వేల కోట్ల మెగా ఆర్డర్ కూడా ఉందని అధికారులు తెలిపారు. భారత నౌకాదళానికి రూ. 56 వేల కోట్ల విలువైన బ్రహ్మోస్ క్షిపణులు, శక్తి ఈడబ్ల్యూ సిస్టమ్స్, యూటీలిటీ హెలికాప్టర్లు- మారీమ్ అనుమతి లభించింది.