India

Aug 01 2024, 19:45

बीजेपी ने क्यों उठाई बंगाल बांटने की मांग, जानें क्या हो सकता है सियासी फायदा?

#propasal_to_make_north_bengal_a_separate_state_will_benefit_bjp 

केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल को बांटने की मांग उठाकर सियासत में हलचल पैदा कर दी है।सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे। अब यह सवाल उठ रहा है कि कि आखिर बीजेपी उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट स्टेट में क्यों विलय करने की मांग कर रही है?

दरअसल, उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट में विलय करन मांग के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है। हाल के सालों में बीजेपी ने बंगाल में एक सेयासी जमीन तैयार की है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। 

वहीं, 2019 के इसी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2024 में हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को झटका लगा है और उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है, लेकिन उत्तर बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ बकरार रखी है और 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस नंबर से एक बात तो साफ है कि उत्तर बंगाल में बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है और अगर उत्तर बंगाल को लेकर सुकांत मजूमदार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अमल करती है, तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा और उसका वोटबैंक मजबूत होगा। साथ ही टीएमसी को बड़ा झटका लगेगा। ममता बनर्जी को बड़ी सियासी चोट लगेगी।

अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी।अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी। इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी। दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए।जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी।

दूसरी ओर, उत्तर बंगार और दक्षिण बंगाल मौसम, खानपान, भौगौलिक मानचित्र, पर्यटन सभी दृष्टि से एक-दूसरे से अलग है और उत्तर बंगाल के जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और अलीपुरद्वार उत्तर पूर्वी राज्यों के काफी करीब हैं. इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनाने पर बीजेपी की उत्तर बंगाल के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में पकड़ मजबूत होगी।

India

Aug 01 2024, 19:42

बीजेपी ने क्यों उठाई बंगाल बांटने की मांग, जानें क्या हो सकता है सियासी फायदा?

#propasal_to_make_north_bengal_a_separate_state_will_benefit_bjp 

केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल को बांटने की मांग उठाकर सियासत में हलचल पैदा कर दी है।सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे। अब यह सवाल उठ रहा है कि कि आखिर बीजेपी उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट स्टेट में क्यों विलय करने की मांग कर रही है?

दरअसल, उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट में विलय करन मांग के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है। हाल के सालों में बीजेपी ने बंगाल में एक सेयासी जमीन तैयार की है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। 

वहीं, 2019 के इसी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2024 में हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को झटका लगा है और उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है, लेकिन उत्तर बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ बकरार रखी है और 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस नंबर से एक बात तो साफ है कि उत्तर बंगाल में बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है और अगर उत्तर बंगाल को लेकर सुकांत मजूमदार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अमल करती है, तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा और उसका वोटबैंक मजबूत होगा। साथ ही टीएमसी को बड़ा झटका लगेगा। ममता बनर्जी को बड़ी सियासी चोट लगेगी।

अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी।अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी। इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी। दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए।जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी।

दूसरी ओर, उत्तर बंगार और दक्षिण बंगाल मौसम, खानपान, भौगौलिक मानचित्र, पर्यटन सभी दृष्टि से एक-दूसरे से अलग है और उत्तर बंगाल के जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और अलीपुरद्वार उत्तर पूर्वी राज्यों के काफी करीब हैं. इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनाने पर बीजेपी की उत्तर बंगाल के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में पकड़ मजबूत होगी।

India

Jul 26 2024, 14:44

*क्या फिर होगा बंगाल का बंटवारा? उत्तर बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के विलय का सुकांत मजूमदार ने दिया प्रस्ताव

#propasaltomakenorthbengalaseparate_state

अगर आप इतिहास के पन्नों को पलटें, तो देश के इतिहास में बंगाल विभाजन एक बड़ी घटना है। ब्रिटिश काल में साल 1905 में लार्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की थी। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य सेलार्ड कर्जन की घोषणा के बाद पूरा बंगाल जल उठा था और इसके खिलाफ पूरे बंगाल में उग्र प्रदर्शन हुए थे और अंततः लार्ड कर्जन को विभाजन का प्रस्ताव वापस लेना पड़ा था। बड़े पैमाने पर राजनीतिक विरोध के कारण 1911 में विभाजन रद्द कर दिया गया। हालांकि, 1936 में धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि भाषाई आधार पर बंगाल बंट गया।बिहार और उड़ीसा प्रांत बंगाल से अलग करके बनाया गया। 1947 में बंगाल दूसरी बार, इस बार धार्मिक आधार पर, विभाजित हुआ। यह पूर्वी पाकिस्तान बन गया। 

ये बातें पृष्भूमि में हैं। असम मसला ये है कि एक बार फिर बंगाल को विभाजित करने की बातें होने लगी हैं।भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने बंगाल के बंटवारे की बात कहकर हलचल मचा दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।बुधवार को भाजपा के बंगाल ईकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्होंने उत्तर बंगाल के आठ राज्यों को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ विलय का प्रस्ताव दिया।

मजूमदार के इस बयान को लेकर नया राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसदों ने इसे अलगाववादी कदम करार दिया है। उन्होंने कहा कि इसे लागू नहीं किया जा सकता। वहीं भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने मजूमदार के इस प्रस्ताव का बचाव किया। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख मजूमदार ने बुधवार को कहा था कि उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर पश्चिम बंगाल को डोनर मंत्रालय के अंतर्गत शामिल करने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया है। 

सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि उत्तर बंगाल को भी सिक्किम की तरह उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास के मद में मिलने वाले आवंटन का लाभ मिल सके।मजूमदार पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं। ऐसे में उनका यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण हो जाता है। वे पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष भी हैं, जिससे मांग का राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है।

टीएमसी ने साधा निशाना

टीएमसी नेता ने कहा, 'सुकांत मजूमदार को याद रखना चाहिए कि बंगाल के लोग ऐसी मांग बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर वे इस तरह से बात करेंगे तो जिस तरह से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) और कांग्रेस शून्य हो गए ठीक उसी तरह बंगाल में भाजपा भी शून्य हो जाएगी।'

पहले भी उठी है उत्तर बंगाल को अलग राज्य की मांग

हालांकि, ऐसा नहीं है कि पश्चिम बंगाल में अभी उत्तर बंगाल को अलग राज्य की मांग उठी है। इसके पहले भी उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग उठती रही है। केवल उत्तर बंगाल में ही दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग, कूचबिहार में ग्रेटर कूचबिहार की मांग, कामतापुरी अलग राज्य की मांग और दक्षिण बंगाल में अलग राज्य रार बंगाल गठित करने की मांग उठती रही है।

सुकांत मजूमदार से पहले साल 2021में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और अलीपुरद्वार से पूर्व सांसद जॉन बारला सहित कुछ भाजपा नेताओं ने उत्तर बंगाल के आठ जिलों कूचबिहार, दार्जिलिंग, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, जलपाईगुड़ी, मालदा, अलीपुरद्वार और कलिम्पोंग को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने का सुझाव दिया था। जॉन बारला की मांग पर जब हंगामा मचने लगा था, उस समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने उस मांग से किनारा कर लिया था।

India

Aug 01 2024, 19:45

बीजेपी ने क्यों उठाई बंगाल बांटने की मांग, जानें क्या हो सकता है सियासी फायदा?

#propasal_to_make_north_bengal_a_separate_state_will_benefit_bjp 

केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल को बांटने की मांग उठाकर सियासत में हलचल पैदा कर दी है।सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे। अब यह सवाल उठ रहा है कि कि आखिर बीजेपी उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट स्टेट में क्यों विलय करने की मांग कर रही है?

दरअसल, उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट में विलय करन मांग के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है। हाल के सालों में बीजेपी ने बंगाल में एक सेयासी जमीन तैयार की है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। 

वहीं, 2019 के इसी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2024 में हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को झटका लगा है और उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है, लेकिन उत्तर बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ बकरार रखी है और 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस नंबर से एक बात तो साफ है कि उत्तर बंगाल में बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है और अगर उत्तर बंगाल को लेकर सुकांत मजूमदार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अमल करती है, तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा और उसका वोटबैंक मजबूत होगा। साथ ही टीएमसी को बड़ा झटका लगेगा। ममता बनर्जी को बड़ी सियासी चोट लगेगी।

अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी।अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी। इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी। दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए।जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी।

दूसरी ओर, उत्तर बंगार और दक्षिण बंगाल मौसम, खानपान, भौगौलिक मानचित्र, पर्यटन सभी दृष्टि से एक-दूसरे से अलग है और उत्तर बंगाल के जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और अलीपुरद्वार उत्तर पूर्वी राज्यों के काफी करीब हैं. इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनाने पर बीजेपी की उत्तर बंगाल के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में पकड़ मजबूत होगी।

India

Aug 01 2024, 19:42

बीजेपी ने क्यों उठाई बंगाल बांटने की मांग, जानें क्या हो सकता है सियासी फायदा?

#propasal_to_make_north_bengal_a_separate_state_will_benefit_bjp 

केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने बंगाल को बांटने की मांग उठाकर सियासत में हलचल पैदा कर दी है।सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को उत्तर पूर्वी राज्यों में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।मजूमदार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तय समय में प्रस्ताव पर निर्णय लेंगे। अब यह सवाल उठ रहा है कि कि आखिर बीजेपी उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट स्टेट में क्यों विलय करने की मांग कर रही है?

दरअसल, उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्ट में विलय करन मांग के पीछे बीजेपी की खास रणनीति है। हाल के सालों में बीजेपी ने बंगाल में एक सेयासी जमीन तैयार की है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें हासिल कर सभी को चौंका दिया था। 

वहीं, 2019 के इसी लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उत्तर बंगाल की 8 सीटों में से 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। साल 2024 में हालांकि पश्चिम बंगाल में बीजेपी को झटका लगा है और उसकी सीटों की संख्या 18 से घटकर 12 रह गई है, लेकिन उत्तर बंगाल में बीजेपी अपनी पकड़ बकरार रखी है और 8 में से 6 सीटों पर जीत हासिल की। इस नंबर से एक बात तो साफ है कि उत्तर बंगाल में बीजेपी ने अपनी सियासी जमीन तैयार कर ली है और अगर उत्तर बंगाल को लेकर सुकांत मजूमदार के प्रस्ताव पर केंद्र सरकार अमल करती है, तो इसका फायदा बीजेपी को मिलेगा और उसका वोटबैंक मजबूत होगा। साथ ही टीएमसी को बड़ा झटका लगेगा। ममता बनर्जी को बड़ी सियासी चोट लगेगी।

अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी।अगर ये राज्य अलग होता है तो बीजेपी की यहां सरकार बनेगी। इस तरह पूरे बंगाल पर नहीं तो कम से कम आधे बंगाल पर बीजेपी को राज करने का अधिकार मिल जाएगा। इसके साथ ही दक्षिण बंगाल के रार बंगाल आंदोलन को भी हवा मिलेगी। दक्षिण बंगाल के आदिवासियों की डिमांड रही है कि उनके लिए अलग राज्य बनाया जाए।जाहिर है कि बीजेपी उनके लिए उम्मीद की किरण होगी।

दूसरी ओर, उत्तर बंगार और दक्षिण बंगाल मौसम, खानपान, भौगौलिक मानचित्र, पर्यटन सभी दृष्टि से एक-दूसरे से अलग है और उत्तर बंगाल के जिले कूचबिहार, जलपाईगुड़ी, दार्जिलिंग और अलीपुरद्वार उत्तर पूर्वी राज्यों के काफी करीब हैं. इस प्रस्ताव के अमलीजामा पहनाने पर बीजेपी की उत्तर बंगाल के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों में पकड़ मजबूत होगी।

India

Jul 26 2024, 14:44

*क्या फिर होगा बंगाल का बंटवारा? उत्तर बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के विलय का सुकांत मजूमदार ने दिया प्रस्ताव

#propasaltomakenorthbengalaseparate_state

अगर आप इतिहास के पन्नों को पलटें, तो देश के इतिहास में बंगाल विभाजन एक बड़ी घटना है। ब्रिटिश काल में साल 1905 में लार्ड कर्जन ने बंगाल विभाजन की घोषणा की थी। एक मुस्लिम बहुल प्रान्त का सृजन करने के उद्देश्य सेलार्ड कर्जन की घोषणा के बाद पूरा बंगाल जल उठा था और इसके खिलाफ पूरे बंगाल में उग्र प्रदर्शन हुए थे और अंततः लार्ड कर्जन को विभाजन का प्रस्ताव वापस लेना पड़ा था। बड़े पैमाने पर राजनीतिक विरोध के कारण 1911 में विभाजन रद्द कर दिया गया। हालांकि, 1936 में धार्मिक आधार पर नहीं बल्कि भाषाई आधार पर बंगाल बंट गया।बिहार और उड़ीसा प्रांत बंगाल से अलग करके बनाया गया। 1947 में बंगाल दूसरी बार, इस बार धार्मिक आधार पर, विभाजित हुआ। यह पूर्वी पाकिस्तान बन गया। 

ये बातें पृष्भूमि में हैं। असम मसला ये है कि एक बार फिर बंगाल को विभाजित करने की बातें होने लगी हैं।भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने बंगाल के बंटवारे की बात कहकर हलचल मचा दिया है।मजूमदार का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर कहा है कि राज्य के उत्तरी हिस्सों को उत्तर पूर्व क्षेत्र में शामिल करने की मांग की है।बुधवार को भाजपा के बंगाल ईकाई के अध्यक्ष और केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की और उन्होंने उत्तर बंगाल के आठ राज्यों को पूर्वोत्तर राज्यों के साथ विलय का प्रस्ताव दिया।

मजूमदार के इस बयान को लेकर नया राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसदों ने इसे अलगाववादी कदम करार दिया है। उन्होंने कहा कि इसे लागू नहीं किया जा सकता। वहीं भारतीय जनता पार्टी के सांसदों ने मजूमदार के इस प्रस्ताव का बचाव किया। भाजपा की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख मजूमदार ने बुधवार को कहा था कि उन्होंने क्षेत्र के विकास के लिए उत्तर पश्चिम बंगाल को डोनर मंत्रालय के अंतर्गत शामिल करने का प्रस्ताव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दिया है। 

सुकांत मजूमदार ने उत्तर बंगाल को नॉर्थ ईस्टर्न काउंसिल में शामिल करने का प्रस्ताव दिया है, ताकि उत्तर बंगाल को भी सिक्किम की तरह उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास के मद में मिलने वाले आवंटन का लाभ मिल सके।मजूमदार पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास से संबंधित मंत्रालय के राज्य मंत्री हैं। ऐसे में उनका यह प्रस्ताव महत्वपूर्ण हो जाता है। वे पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष भी हैं, जिससे मांग का राजनीतिक महत्व बढ़ जाता है।

टीएमसी ने साधा निशाना

टीएमसी नेता ने कहा, 'सुकांत मजूमदार को याद रखना चाहिए कि बंगाल के लोग ऐसी मांग बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर वे इस तरह से बात करेंगे तो जिस तरह से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) और कांग्रेस शून्य हो गए ठीक उसी तरह बंगाल में भाजपा भी शून्य हो जाएगी।'

पहले भी उठी है उत्तर बंगाल को अलग राज्य की मांग

हालांकि, ऐसा नहीं है कि पश्चिम बंगाल में अभी उत्तर बंगाल को अलग राज्य की मांग उठी है। इसके पहले भी उत्तर बंगाल में अलग राज्य की मांग उठती रही है। केवल उत्तर बंगाल में ही दार्जिलिंग में अलग गोरखालैंड की मांग, कूचबिहार में ग्रेटर कूचबिहार की मांग, कामतापुरी अलग राज्य की मांग और दक्षिण बंगाल में अलग राज्य रार बंगाल गठित करने की मांग उठती रही है।

सुकांत मजूमदार से पहले साल 2021में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री और अलीपुरद्वार से पूर्व सांसद जॉन बारला सहित कुछ भाजपा नेताओं ने उत्तर बंगाल के आठ जिलों कूचबिहार, दार्जिलिंग, उत्तर दिनाजपुर, दक्षिण दिनाजपुर, जलपाईगुड़ी, मालदा, अलीपुरद्वार और कलिम्पोंग को मिलाकर एक केंद्र शासित प्रदेश बनाने का सुझाव दिया था। जॉन बारला की मांग पर जब हंगामा मचने लगा था, उस समय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने उस मांग से किनारा कर लिया था।