हटिया मजदूर यूनियन ने केंद्र सरकार पर लगाया रणनीतिक PSU को खत्म करने का आरोप, कहा- "घाटा कृत्रिम संकट का परिणाम"
रांची स्थित देश की प्रतिष्ठित सार्वजनिक क्षेत्र की इकाई हेवी इंजीनियरिंग कॉरपोरेशन (HEC) को बंद करने की केंद्र सरकार की सिफारिश और मंत्रालय से रिपोर्ट तलब किए जाने पर भारी विरोध शुरू हो गया है। हटिया मजदूर यूनियन (सीटू) के कार्यकारी अध्यक्ष भवन सिंह ने एक प्रेस बयान जारी कर केंद्र सरकार की नीतियों को 'जन-विरोधी, सीपीएसयू-विरोधी और राष्ट्र-विरोधी' करार दिया है।
यूनियन ने आरोप लगाया है कि पिछले सात वर्षों के घाटे का हवाला देकर एचईसी को 'अकार्यक्षम' बताने की कोशिश की जा रही है, जबकि यह घाटा सरकार की सुनियोजित नीतियों का प्रत्यक्ष परिणाम है।
सरकार पर लगाए गए मुख्य आरोप (घाटे का कारण)
यूनियन ने स्पष्ट किया कि एचईसी को घाटे में धकेलने के पीछे बाजार की विफलता नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं:
आरोप विवरण
पूंजी और निवेश का अभाव एचईसी को पूंजीगत निवेश नहीं दिया गया, जिससे मशीनरी और संयंत्र का उन्नयन नहीं हो सका।
बकाया भुगतान रोकना केंद्र सरकार ने एचईसी के ₹4300 करोड़ के बकाये का भुगतान रोके रखा, जो विभिन्न परियोजनाओं में किए गए कार्यों के एवज में लंबित है।
नए कॉन्ट्रैक्ट्स से दूरी भारी मशीनरी, खनन, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक विशेषज्ञता के बावजूद, एचईसी को जानबूझकर नए कॉन्ट्रैक्ट्स से दूर रखा गया।
सुनियोजित घाटा 2018-19 से 2024-25 तक घाटा लगातार बढ़ा, जिसे यूनियन ने PSU को पंगु बनाने की नीति का हिस्सा बताया है।
भवन सिंह ने कहा, "बिना पूंजी और बिना आदेश के कोई भी उद्योग लाभ कैसे कमा सकता है? अब इसी कृत्रिम संकट का हवाला देकर इकाई को बंद करने का प्रयास किया जा रहा है।"
सरकार की वास्तविक मंशा
यूनियन ने आरोप लगाया कि सरकार की वास्तविक मंशा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को निजी पूँजीपतियों के लिए खाली मैदान बनाना और देश की सामरिक औद्योगिक क्षमता (भारी इंजीनियरिंग, अंतरिक्ष, रक्षा) को निजी हाथों में सौंपना है।
हटिया मजदूर यूनियन की प्रमुख माँगे
यूनियन ने केंद्र सरकार को स्पष्ट चेतावनी देते हुए निम्नलिखित माँगे रखी हैं:
तत्काल रोक: एचईसी बंद करने की किसी भी प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए।
बैंक गारंटी बहाल: केंद्र सरकार एचईसी की रद्द एसबीआई की बैंक गारंटी को तुरंत बहाल करे।
फंड और कॉन्ट्रैक्ट्स: एचईसी को नए आदेश, आधुनिकीकरण बजट और तकनीकी उन्नयन पैकेज प्रदान किया जाए।
नीतिगत बदलाव: सार्वजनिक उद्योग नीति को पुनः बहाल किया जाए।
कर्मचारियों की सुरक्षा: मजदूरों, इंजीनियरों और तकनीकी कर्मचारियों की आजीविका की रक्षा सुनिश्चित की जाए; किसी भी प्रकार की छँटनी या विनिवेश स्वीकार नहीं किया जाएगा।
यूनियन ने इस जन-विरोधी निर्णय का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि एचईसी का निजीकरण या बंदी किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं की जाएगी, क्योंकि यह झारखंड के लाखों परिवारों और भारत की औद्योगिक क्षमता पर सीधा हमला है।
5 hours ago
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