*गोमती मित्र मण्डल का अद्वितीय निर्णय, पारस्परिक अभिवादन वन्देमातरम से करने का फैसला*
सुल्तानपुर,बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी द्वारा रचित व भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा बनकर उभरे अमर मंत्र जिसे हमारे राष्ट्रगीत का गौरव हासिल है की 150 वीं वर्षगांठ के गौरवशाली अवसर को केंद्र सरकार द्वारा पूरे वर्ष राष्ट्रव्यापी जन-उत्सव के रूप में मनाये जाने के निर्णय से हर हिंदुस्तानी आह्लादित व रोमांचित है,, उसी क्रम में गोमती मित्र मण्डल समिति सुल्तानपुर ने भी अपने को इस कार्यक्रम से जोड़ते हुये यह निर्णय लिया है की अब से प्रत्येक गोमती मित्र आपस में व जनमानस के साथ भी पारस्परिक अभिवादन वन्देमातरम से ही करेगा साथ ही यथासंभव इससे जुड़े कार्यक्रम भी आयोजित करने का प्रयास करेगा। प्रदेश अध्यक्ष मदन सिंह के इस निर्णय पे प्रबंधक राजेंद्र शर्मा,महिला प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्षा शालिनी कसौधन, मीडिया प्रभारी रमेश माहेश्वरी,संत कुमार प्रधान,राजेश पाठक,डॉ कुंवर दिनकर प्रताप सिंह,मुन्ना सोनी,अजय प्रताप सिंह,राकेश सिंह दद्दू,सेनजीत कसौधन,रामु सोनी,युवा मण्डल संयोजक रामेन्द्र सिंह राणा,युवा मण्डल अध्यक्ष अजय वर्मा,विपिन सोनी,आलोक तिवारी,सोनू सिंह,अर्जुन यादव,अभय मिश्रा आदि ने प्रसन्नता प्रकट करते आम जनों से इस कार्यक्रम को बल प्रदान करने की अपील की है।
भागलपुर में स्कूल टीचर बच्चों से मंगवा रहे सीमेंट और सब्जी, ट्रक की चपेट में आने से बाल-बाल बचे छात्र

शिक्षा सुधार के दावों के बीच बिहार के भागलपुर जिले से बेहद चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है. यहां पढ़ाई के समय छोटे-छोटे बच्चों से क्लास की जगह स्कूल के निर्माण कार्य के लिए सीमेंट और सब्जी मंगवाई जा रही है. छात्रों का आरोप है कि शिक्षिका ने 500-500 रुपये देकर 2 किमी दूर साईकल से सीमेंट लाने के लिए भेज दिया. मामला भागलपुर के गोराडीह प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय शेरगढ़ का है.

स्कूल में सातवीं कक्षा के छात्र ने बताया कि शिक्षिका गायत्री मैम ने 500 रुपये के दो नोट देकर बच्चों को मुरहन भेजा, जो स्कूल से लगभग 2 किलोमीटर दूर है. साथ ही कहा कि वहां से सीमेंट लेकर आओ.सीमेंट लाते वक्त मुरहन और शेरगढ़ के बीच पुल के पास बच्चे एक मिनी ट्रक की चपेट में आने से बाल-बाल बच गए. अगर कुछ पल की चूक होती तो बड़ा हादसा हो सकता था. सवाल यह है कि ऐसी लापरवाही से यदि किसी बच्चे के साथ अनहोनी हो जाती तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता?

यहां लापरवाही सिर्फ सीमेंट तक ही सीमित नहीं है. बच्चों ने बताया कि आलम सर सब्जी लाने के लिए भी छात्रों को भेजते हैं और कई बार फूलगोभी, आलू, प्याज जैसे सामान मंगवाए. एक छात्रा ने बताया कि प्रधानाध्यापक रविंद्र कुमार पहले भी कई बार आलू, गोभी, चना दाल सहित अन्य सामान मंगवाते थे.

आदेश जारी, फिर भी अनदेखी

इस मामले में जब गोराडीह प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) दिनेश कुमार दास से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी. बड़ा सवाल यह है कि 26 सितंबर 2025 को BEO ने पत्रांक 582 के माध्यम से पहले ही पूरे प्रखंड के सभी शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट निर्देश दिया था.

इस निर्देश में लिखा था कि विद्यालय अवधि में कोई भी बच्चा कहीं भी अनियमित रूप से घूमता दिखा तो संबंधित शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी. इसके बावजूद शिक्षकों द्वारा खुलेआम इस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और बच्चों से काम करवाया जा रहा है.

आगे क्या होगा?

घटना के सामने आने के बाद स्थानीय लोग और अभिभावक सवाल उठा रहे हैं कि क्या शिक्षा पदाधिकारी इस बार कठोर कार्रवाई करेंगे, या फिर हमेशा की तरह केवल स्पष्टीकरण मांगकर मामला दबा दिया जाएगा. बच्चों के भविष्य के साथ ऐसे खिलवाड़ को क्या सिर्फ औपचारिक कार्रवाई से निपटाया जाएगा.

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस साल 85 हजार वीजा किए कैंसिल, छात्रों पर सबसे ज्यादा असर

#trumpadministrationusrevokes85000visassince_january

अमेरिका ने इमिग्रेशन नियम कड़े करने के बाद जनवरी से अब तक 85 हजार वीजा रद्द किए हैं। जिनमें 8 हजार से ज्यादा छात्र शामिल हैं, जो पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने बताया है कि यह कार्रवाई इमिग्रेशन और बॉर्डर सिक्योरिटी पर ट्रम्प प्रशासन के बढ़ते फोकस का हिस्सा है।

डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद से इमिग्रेशन मुद्दे पर लगातार सख्त रुख अपनाया हुआ है। इसी क्रम में अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार क एक्स पर लिखा, 'जनवरी से अब तक 85,000 वीजा कैंसिल किए गए हैं। प्रेसिडेंट ट्रंप और सेक्रेटरी रुबियो एक आसान से आदेश का पालन करते हैं और वे जल्द ही रुकने वाले नहीं हैं।' पोस्ट में ट्रंप की तस्वीर के साथ 'मेक अमेरिका सेफ अगेन' का स्लोगन दिया गया है। यानी अमेरिका को सुरक्षित बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

रद्द किए गए वीजा में 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के

विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा, हमने सभी कैटेगरी के 85,000 वीजा रद्द कर दिए हैं। जिनमें 8,000 से ज्यादा छात्र शामिल हैं, जो पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। रद्द किए गए वीजा में से 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के थे। इसकी प्रमुख वजह नशे में गाड़ी चलाना, चोरी और हमला जैसे अपराध थे, जो पिछले साल के लगभग आधे कैंसिलेशन का हिस्सा थे।

वीजा रद्द की क्या हैं वजहें?

वीजा रद्द करने के कारणों में पहले अवधि से अधिक समय रुकना, आपराधिक चिंताएं और आतंकवाद का समर्थन शामिल रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने गाजा को लेकर हो रहे छात्र विरोध प्रदर्शनों में शामिल अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निशाना बनाया गया है। इन छात्रों को यहूदी-विरोधी करते हुए वीजा पर सख्ती की गई है।

सोशल मीडिया अकाउंट की जांच के बाद मिलेगा H-1B वीजा

इधर, अमेरिका लगातार वीजा नियमों को भी सख्त कर रहा है। 5 दिसंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा नियमों में सख्ती के आदेश दिए थे। इसके तहत H-1B आवेदकों को अपना सोशल मीडिया अकाउंट सार्वजनिक करना होगा, ताकि अमेरिकी अधिकारी आवेदक की प्रोफाइल, सोशल मीडिया पोस्ट और लाइक्स को देख सकें। यदि आवेदक की कोई भी सोशल मीडिया एक्टिविटी अमेरिकी हितों के खिलाफ दिखी तो H-1B वीजा जारी नहीं किया जाएगा। H-1B के आश्रितों (पत्नी, बच्चों और पेरेंट्स) के लिए H-4 वीजा के लिए भी सोशल मीडिया प्रोफाइल को पब्लिक करना जरूरी होगा। ऐसा पहली बार है, जब H-1B वीजा के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच जरूरी की गई है। नए नियम 15 दिसंबर से लागू होंगे। ट्रम्प प्रशासन ने सभी दूतावासों को निर्देश जारी किए हैं।

प्राथमिक शिक्षकों की अब होगी ऑनलाइन हाजिरी, स्कूल शुरू होने के एक घंटे के अंदर देनी होगी अटेंडेंस


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति व्यवस्था में बड़ा बदलाव लागू होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश शासन ने हाईकोर्ट के निर्देशों के आधार पर अध्यापकों के लिए ऑनलाइन डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम तत्काल प्रभाव से शुरू करने का आदेश जारी किया है।

अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने जारी किया शासनादेश

अब प्रदेश के करीब 1.33 लाख सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में काम कर रहे 4.50 लाख शिक्षकों को रोजाना विद्यालय खुलने के एक घंटे के भीतर अपनी हाजिरी दर्ज करानी होगी।अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की ओर से जारी शासनादेश के मुताबिक, उपस्थिति दर्ज कराने की ज़िम्मेदारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक को सौंपी गई है। यदि किसी स्थिति में प्रधानाध्यापक उपलब्ध न हों तो यह जिम्मेदारी संबंधित दूसरे शिक्षक को दी जाएगी।

नेटवर्क बाधित होने पर भी अनुपस्थित नहीं माना जाएगा

नई प्रणाली के तहत यदि इंटरनेट नेटवर्क की समस्या आती है तो हाजिरी ऑफलाइन मोड में दर्ज होगी और नेटवर्क उपलब्ध होने पर ऑटोमेटिक सिंक हो जाएगी। इस दौरान किसी शिक्षक को बिना कारण बताए अनुपस्थित नहीं चिह्नित किया जाएगा और न ही बिना पक्ष सुने कोई कार्रवाई होगी।

हाईकोर्ट के निर्देश पर फिर सक्रिय हुआ विभाग

यह व्यवस्था पहले वर्ष 2024 में लागू की जानी थी, लेकिन शिक्षकों के विरोध के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके बाद कोर्ट में याचिका पहुंची और 16 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि विभाग शिक्षकों की उपस्थिति की पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करे।

वरिष्ठ अधिकारियों और शिक्षा विशेषज्ञों की एक समिति गठित

इसी क्रम में शासन ने वरिष्ठ अधिकारियों और शिक्षा विशेषज्ञों की एक समिति गठित की, जिसमें —महानिदेशक स्कूल शिक्षा ,निदेशक समाज कल्याण व अल्पसंख्यक कल्याण, निदेशक बेसिक शिक्षा व एससीईआरटी, बीएसए लखनऊ, सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन, शिक्षक प्रतिनिधि को शामिल किया गया। समिति की 6 नवंबर को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था को बिना देरी लागू करना आवश्यक है।शासन ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को निर्देशित किया है कि वह सभी जिलों में इस व्यवस्था को सख़्ती से लागू कराएं और प्रगति रिपोर्ट शासन को नियमित रूप से भेजें।
शिक्षामित्रों की घर वापसी शुरू, शासन का बड़ा फैसला, 30 हजार को मिलेगी राहत
लखनऊ। लंबे समय से अपने मूल विद्यालयों में वापसी की राह देख रहे शिक्षामित्रों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। ठंड की छुट्टियों के बीच शासन ने मंगलवार को शिक्षामित्रों को मूल विद्यालयों में भेजने का आदेश जारी कर दिया है। इससे प्रदेश के लगभग 30 हजार शिक्षामित्रों को अपने गांव-घर के पास तैनाती मिलने का रास्ता साफ हो गया है। खासतौर पर महिला शिक्षामित्रों को इस निर्णय का बड़ा लाभ होगा, क्योंकि उन्हें अपने वर्तमान कार्यस्थल या पति के आवास वाली ग्राम सभा, ग्राम पंचायत अथवा वार्ड में तैनाती दी जाएगी।

शिक्षामित्रों की तैनाती की प्रक्रिया विकल्प के आधार पर पूरी की जाएगी

बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अवधेश कुमार तिवारी की ओर से जारी आदेश के अनुसार, शिक्षामित्रों की तैनाती की प्रक्रिया विकल्प के आधार पर पूरी की जाएगी। जो वर्तमान विद्यालय में ही रहना चाहते हैं, उनके विकल्प पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी।जो पुरुष या अविवाहित महिला शिक्षामित्र अपने मूल विद्यालय में वापस जाना चाहते हैं, वहां पद खाली होने पर तुरंत तैनाती कर दी जाएगी।जहां सीट खाली नहीं होगी, वहां उसी ग्राम सभा या वार्ड के किसी अन्य विद्यालय में समायोजन किया जाएगा। निर्देश के अनुसार, जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी समिति जिसमें सीडीओ, डायट प्राचार्य, बीएसए और सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी शामिल होंगे पूरी प्रक्रिया को अंजाम देगी।

संघ की चेतावनी के बाद सक्रिय हुआ विभाग

शासन ने 3 जनवरी को आदेश जारी किया था और 12 जून को इसके क्रियान्वयन के निर्देश दिए गए थे, लेकिन विभाग अब तक इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाया। इसी बीच उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए सरकार पर दबाव बनाया था।संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा इस फैसले से लगभग 30 हजार शिक्षामित्रों को अपने घरों के पास जाने का अवसर मिलेगा। विभाग जल्द इस पर अमल शुरू करे।”

हर विद्यालय में सिर्फ दो शिक्षामित्र का नियम

शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रत्येक विद्यालय में अधिकतम दो शिक्षामित्र ही कार्यरत रह सकेंगे।नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अधिकतम तीन शिक्षामित्र की अनुमति होगी।रिक्तियों की गणना इसी आधार पर की जाएगी और उसी अनुसार समायोजन पूरा किया जाएगा।

दो चरणों में पूरी होगी तैनाती प्रक्रिया

पहला चरण: मूल विद्यालय में पद खाली रहने पर या पास के विद्यालय में तबादला चाहने वालों को मौका।
दूसरा चरण: शेष शिक्षामित्रों का समायोजन, इसके लिए अलग निर्देश बाद में जारी होंगे।
इस फैसले से वर्षों से तैनाती दूरस्थ क्षेत्रों में झेल रहे हजारों शिक्षामित्रों के जीवन में बड़ी राहत आएगी और नए वर्ष से ही उनकी “घर वापसी” संभव मानी जा रही है।
हेमंत सरकार झारखंडी युवाओं और स्थानीय समुदायों के हितों के लिए प्रतिबद्ध : विनोद पांडेय

रांची। भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों पर झामुमो ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा सिर्फ़ राजनीतिक लाभ के लिए भ्रामक बातें फैलाने में लगी है, जबकि हेमंत सोरेन सरकार राज्यहित में ठोस और संवेदनशील कदम उठा रही है।

विनोद पांडेय ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा - भाजपा नेताओं को पहले यह बताना चाहिए कि 18 वर्षों के लंबे शासनकाल में उसने खतियान आधारित स्थानीय नीति पर क्या काम किया? जिन मुद्दों पर आज सवाल उठाए जा रहे हैं, उन्हीं पर भाजपा की सरकारें वर्षों तक चुप क्यों रहीं?

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने स्थानीय युवाओं के रोजगार, पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया और सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से काम किया है। नीति निर्माण एक संवैधानिक प्रक्रिया है। सरकार ने इसे जिम्मेदारी से आगे बढ़ाया है। यह जग जाहिर है कि भाजपा नेता झारखंड के विकास और यहां की अस्मिता से जुड़े हेमंत सरकार के फैसलों को अटकाने का काम करते हैं।

75% ठेका स्थानीय लोगों को देने के मुद्दे पर विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। “सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि स्थानीय ठेकेदारों और उद्यमियों को अधिक अवसर मिले। प्रक्रियाओं को सक्षम, पारदर्शी और व्यावहारिक बनाने के लिए सुधार किए जा रहे हैं। भाजपा बिना तथ्यों की जांच किए दिग्भ्रमित करने के लिए सोच सोच समझ कर बयान दे रही है।

विनोद पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार झारखंडी युवाओं और स्थानीय समुदायों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है, और भाजपा सिर्फ़ राजनीति के लिए अनावश्यक विवाद पैदा कर रही है। जनता सब देख रही है और झूठे आरोपों से गुमराह नहीं होगी।

आईआईटी-ISM धनबाद के 100वें स्थापना दिवस पर गौतम अडानी का संदेश: भारत को महाशक्ति बनाने के लिए युवाओं को दिया मंत्र

देश के प्राचीन और प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान आईआईटी (ISM) धनबाद ने अपने 100वें स्थापना दिवस का भव्य समारोह आयोजित किया, जिसमें अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने छात्रों, पूर्व छात्रों और शिक्षकों को करीब 40 मिनट का प्रेरक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने भारत की महाशक्ति बनने की राह के बारे में महत्वपूर्ण विचार साझा किए।

गौतम अडानी ने कहा कि भारत को अपनी तकदीर खुद लिखनी होगी और इसके लिए सबसे पहले उसे अपनी जमीन और संसाधनों को पूरी तरह समझना और नियंत्रित करना जरूरी है। उन्होंने जोर दिया कि यदि भारत की जमीन और उसके नीचे मौजूद संसाधनों पर उसका पूरा अधिकार नहीं होगा तो वह कभी पूर्ण रूप से संप्रभु नहीं बन सकता। अडानी ने यह स्पष्ट किया कि जमीन पर कब्जा हो तो उसी की ऊर्जा पर भी कब्जा होता है, और ऊर्जा पर नियंत्रण ही संप्रभुता की कुंजी है।

अडानी ने आईआईटी-ISM धनबाद के 1926 में स्थापना के समय की दूरदर्शिता का महत्व बताते हुए कहा कि उस दौर में देश में स्वतंत्रता की आंधी के बीच इंडियन नेशनल कांग्रेस के नेताओं ने भविष्य को देखते हुए खनन और भू-वैज्ञानिक इंजीनियरों की जरूरत को पहचाना था। उन्होंने कहा कि कोयला, लोहा, तांबा, बॉक्साइट जैसे संसाधन भारत की रीढ़ की हड्डी हैं, और आज ये संसाधन भारत को विश्व में महाशक्ति बनाने की आधारशिला होंगे।

विश्व व्यवस्था में हो रहे बदलावों पर अडानी ने कहा कि पुराना वैश्विक व्यापार और सहयोग ढांचा टूट रहा है। अमेरिका, चीन, यूरोप जैसे शक्तिशाली देश अब अपनी घरेलू सुरक्षा और उत्पादन को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे सेमीकंडक्टर और दुर्लभ मिट्टी जैसे संसाधनों की महत्त्वपूर्ण लड़ाई छिड़ी है। उन्होंने कहा कि भारत को इस नए परिवर्तन को समझकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा और संसाधनों का पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करना होगा।

गौतम अडानी ने युवाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि इतिहास को कभी कैनवास नहीं समझना चाहिए, जिस पर कोई और अपनी मर्जी से तस्वीर बनाए। इतिहास को आईना बनाना चाहिए, जिससे अपने अतीत को समझकर भविष्य खुद बनाया जा सके। उन्होंने छात्रों से अनुरोध किया कि वे अपनी धरती की ताकत को पहचानें और उस पर पूरा हक जमाएं।

अखिर में उन्होंने संस्थान के छात्रों को याद दिलाया कि वे उस धरती पर अध्ययन कर रहे हैं जहां देश के 70 प्रतिशत से अधिक कोयला खदानें, लौह अयस्क, यूरेनियम और दुर्लभ खनिज मौजूद हैं। वे सिर्फ इंजीनियर नहीं, बल्कि उस टीम के हिस्से हैं जो आने वाले 50 वर्षों तक भारत की ऊर्जा और संप्रभुता की नींव रखेगी। अडानी ने इस काम को केवल नौकरी नहीं बल्कि राष्ट्रनिर्माण का महान कार्य बताया।

इस प्रकार, गौतम अडानी ने आईआईटी-ISM के शताब्दी समारोह के माध्यम से युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर देश के ऊर्जा और संसाधनों के प्रति जागरूकता बढ़ाई, जिससे भारत अपने महाशक्ति बनने के सपने को साकार कर सके।

बिहार में सताने लगी सर्दी, पछुआ हवा ने बढ़ाई परेशानी, तापमान में तेज गिरावट

#biharweatheicywesterlywindsbreakrecordstempraturedrops

बिहार में ठंड और तेज होती जा रही है। पूरे राज्य में शीतलहर ने दस्तक दे दी है।बिहार में पछुआ हवा के कारण ठंड और बढ़ गई है। 20–25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ठंडी हवा चल रही है। जिसके कारण राज्य भर में न्यूनतम तापमान लगातार नीचे जा रहा है, जिससे कड़ाके की ठंड लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है।

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार, पिछले दो-तीन दिनों में राज्य के कई जिलों में रात का पारा काफी नीचे तक रिकॉर्ड किया गया है। पटना में न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस और गया में 10.6 डिग्री दर्ज हुआ। प्रशासन ने बच्चों, बुजुर्गों और यात्रियों को विशेष सावधानी बरतने की अपील की है, क्योंकि ये ठंड अगले कुछ दिनों तक जारी रहने की संभावना है।

घने कोहरे को लेकर अलर्ट

बिहार मौसम सेवा केंद्र ने 11 दिसंबर तक राज्य के उत्तर और पूर्वी हिस्सों में घने कोहरे को लेकर अलर्ट जारी किया है। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, गोपालगंज, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज जैसे जिलों में घने कोहरे की चेतावनी है, जबकि औरंगाबाद, गया, रोहतास और कैमूर में भी कोहरे का असर दिख सकता है। सबसे कम तापमान सबौर में 8.4 डिग्री दर्ज किया गया है।

48 घंटे तक लगातार जारी रहेंगी पछुआ हवाएं

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 15-20 किमी/घंटा की रफ्तार वाली ठंडी पछुआ हवाएं अगले 48 घंटे तक लगातार जारी रहेंगी। हवाओं और तापमान में गिरावट के कारण सुबह के समय घना कोहरा दिख रहा है। जिससे विजिबिलिटी (दृश्यता) काफी कम हो जा रही है। विजिबिलिटी कई जिलों में 50 मीटर से भी नीचे जाने की आशंका है, जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित होने की संभावना है।

अगले 3–4 दिनों तक कैसा रहेगा मौसम

मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 3–4 दिनों में प्रदेश के मौसम में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। इसके साथ ही, अधिकतम तापमान में हल्की कमी आ सकती है, जबकि न्यूनतम तापमान में गिरावट की संभावना नहीं जताई गई है। दक्षिण बिहार के कई जिले जैसे बक्सर, भोजपुर, औरंगाबाद, अरवल और रोहतास में रात का तापमान 8 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है। 15 दिसंबर तक पूरे राज्य में मौसम शुष्क बने रहने का अनुमान है और बारिश को लेकर कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है।

मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव को लेकर विवाद, मुस्लिम समाज के असली मुद्दों को लेकर उठे सवाल

संभल । पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 6 दिसंबर को हमायूँ कबीर नामक राजनीतिक व्यक्ति द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखने को लेकर विवाद गहरा गया है। हमायूँ कबीर पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। आरोप है कि उन्होंने इस कदम को राजनीतिक स्वार्थ और भावनात्मक मुद्दों को उभारकर मुस्लिम समाज में विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से उठाया है।इस मामले पर मौहम्मद फ़िरोज़ खान हिन्दुस्तानी ,सामाजिक कार्यकर्त्ता प्रबंधक-मदरसा मौलाना मौहम्मद अली जौहर,अध्यक्ष-गामा पहलवान महिला-पुरुष कुश्ती ग्रामीण खेलकूद प्रशिक्षण एकेडमी ने ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बाबर या किसी भी मुगल शासक को भारत के मुसलमानों द्वारा कभी भी अपना पूर्वज नहीं माना गया है और इस प्रकार के मुद्दों का न तो वर्तमान मुस्लिम समाज से संबंध है और न ही इससे समाज का कोई वास्तविक हित जुड़ा है।

भारत में मुस्लिम समुदाय की सबसे बड़ी जरूरतें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास, सुरक्षा और न्याय से जुड़ी हैं। उन्होंने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट के 403 पन्नों में मुस्लिम समाज की आर्थिक व शैक्षिक स्थिति को बेहद खराब बताया गया था, लेकिन रिपोर्ट लगभग 19 वर्षों से लागू होने का इंतजार कर रही है।बाबरी मस्जिद के नाम पर फिर से आंदोलन या निर्माण की बात सामने आने को लेकर आशंका जताई जा रही है कि इससे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। कुछ हिंदूवादी संगठनों ने विरोध भी शुरू कर दिया है और मस्जिद निर्माण न होने देने की चेतावनी दी है।इस स्थिति में सामाजिक संगठनों ने अपील की है कि मुस्लिम समुदाय को नफरत और भावनात्मक राजनीति से दूर रहकर अपने वास्तविक विकास से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही मुस्लिम नेतृत्व और जिम्मेदार व्यक्तियों से अपील की गई है कि वे ऐसे राजनीतिक प्रयासों का विरोध करें जो समाज में वैमनस्य फैलाने वाली साम्प्रदायिक ताकतों को बढ़ावा दें।संगठनों का कहना है कि वर्तमान समय में देश की एकता, सद्भाव और गंगा-जमुनी तहज़ीब को मजबूत बनाए रखना प्राथमिकता होनी चाहिए तथा किसी भी प्रकार की उकसावे वाली कार्रवाई को सफल नहीं होने देना चाहिए।

महापौर ने 50 सदस्यो के दल तमिलनाडू से प्रयागराज पहुंचने पर उनका भव्य रूप से स्वागत किया

काशी तमिल संगमम् यात्रा ने भाषा संस्कृति और क्षेत्रीय भिन्नताओं के नाम पर फैलाए गए भ्रमों को दूर करने का काम किया-महापौर

काशी तमिल संगमम यात्रा हमारी एकता समरसता और सांस्कृतिक गौरव का जीवंत उदाहरण

संजय द्विवेदी प्रयागराज।काशी तमिल संगमम् यात्रा के 50 सदस्य जो सड़क मार्ग से तमिलनाडू से चलकर मंगलवार को प्रयागराज के होटल रवीसा पहुंचे उनका भव्य रूप से स्वागत एवं अभिनंदन महापौर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी द्वारा किया। दल में सम्मिलित सदस्यो का तिलक लगाकर एवं माला पहनाकर स्वागत किया गया। काशी तमिल संगमम्’’यात्रा दल में सम्मिलित सदस्यो के साथ होटल रवीसा में आयोजित कार्यक्रम में हेल्थ अवेयरनेस कैम्प तमिल साहित्य और भाषा की समृद्धि के बारे में जागरूकता डिजिटल तरीकों से शिक्षा की पहुंच को बढ़ाना फाइनेंशियल लिटरेसी के बारे में जागरूकता फैलाना शारीरिक और आध्यात्मिक सेहत एवं रिपेयर और मेंटेनेंस सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा की गयी।इस अवसर पर महापौर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने कहा कि काशी तमिल संगमम् यात्रा माननीय प्रधानमंत्री की एक महत्वपूर्ण पहल है जिसने भाषा संस्कृति और क्षेत्रीय भिन्नताओ के नाम पर फैलाए गए भ्रमो को दूर किया है।यह कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक एकता को जगाने वाला है।उन्होंने कहा कि काशी और तमिल संस्कृति के बीच प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक और विद्यानिष्ठ सम्बंध रहे है।यह संगमम युवा पीढ़ी को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का उत्कृष्ट माध्यम है।उन्होंने कहा कि हमारी पुरातन संस्कृति में कभी भाषा का विवाद एवं जातीयता का उन्माद नहीं रहा। हमारी संस्कृति‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’के मंत्र को आत्मसात करते हुए पूरे विश्व के कल्याण की कामना करती है।उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम यात्रा हमारे एकता समरसता और सांस्कृतिक गौरव का जीवंत उदाहरण है।इस अवसर पर नगर मजिस्टेट विनोद कुमार सिंह ने कहा कि काशी तमिल संगमम यात्रा भारतीय संस्कृति की उस आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है,जो उत्तर से दक्षिण तक हमें जोड़ती है।हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि यह यात्रा यहां पहुंची और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का सुअवसर प्रदान किया।काशी तमिल संगमम यात्रा में सम्मिलित सदस्यों ने प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास स्थापित तिरूवल्लुवर की भव्य प्रतिमा का दर्शन भी किया।इस अवसर पर काशी तमिल संगमम यात्रा में सम्मिलित सदस्यो सहित अन्य सम्बंधित लोग उपस्थित रहे।

*गोमती मित्र मण्डल का अद्वितीय निर्णय, पारस्परिक अभिवादन वन्देमातरम से करने का फैसला*
सुल्तानपुर,बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जी द्वारा रचित व भारत के स्वतंत्रता संग्राम की आत्मा बनकर उभरे अमर मंत्र जिसे हमारे राष्ट्रगीत का गौरव हासिल है की 150 वीं वर्षगांठ के गौरवशाली अवसर को केंद्र सरकार द्वारा पूरे वर्ष राष्ट्रव्यापी जन-उत्सव के रूप में मनाये जाने के निर्णय से हर हिंदुस्तानी आह्लादित व रोमांचित है,, उसी क्रम में गोमती मित्र मण्डल समिति सुल्तानपुर ने भी अपने को इस कार्यक्रम से जोड़ते हुये यह निर्णय लिया है की अब से प्रत्येक गोमती मित्र आपस में व जनमानस के साथ भी पारस्परिक अभिवादन वन्देमातरम से ही करेगा साथ ही यथासंभव इससे जुड़े कार्यक्रम भी आयोजित करने का प्रयास करेगा। प्रदेश अध्यक्ष मदन सिंह के इस निर्णय पे प्रबंधक राजेंद्र शर्मा,महिला प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्षा शालिनी कसौधन, मीडिया प्रभारी रमेश माहेश्वरी,संत कुमार प्रधान,राजेश पाठक,डॉ कुंवर दिनकर प्रताप सिंह,मुन्ना सोनी,अजय प्रताप सिंह,राकेश सिंह दद्दू,सेनजीत कसौधन,रामु सोनी,युवा मण्डल संयोजक रामेन्द्र सिंह राणा,युवा मण्डल अध्यक्ष अजय वर्मा,विपिन सोनी,आलोक तिवारी,सोनू सिंह,अर्जुन यादव,अभय मिश्रा आदि ने प्रसन्नता प्रकट करते आम जनों से इस कार्यक्रम को बल प्रदान करने की अपील की है।
भागलपुर में स्कूल टीचर बच्चों से मंगवा रहे सीमेंट और सब्जी, ट्रक की चपेट में आने से बाल-बाल बचे छात्र

शिक्षा सुधार के दावों के बीच बिहार के भागलपुर जिले से बेहद चौंकाने वाली लापरवाही सामने आई है. यहां पढ़ाई के समय छोटे-छोटे बच्चों से क्लास की जगह स्कूल के निर्माण कार्य के लिए सीमेंट और सब्जी मंगवाई जा रही है. छात्रों का आरोप है कि शिक्षिका ने 500-500 रुपये देकर 2 किमी दूर साईकल से सीमेंट लाने के लिए भेज दिया. मामला भागलपुर के गोराडीह प्रखंड स्थित मध्य विद्यालय शेरगढ़ का है.

स्कूल में सातवीं कक्षा के छात्र ने बताया कि शिक्षिका गायत्री मैम ने 500 रुपये के दो नोट देकर बच्चों को मुरहन भेजा, जो स्कूल से लगभग 2 किलोमीटर दूर है. साथ ही कहा कि वहां से सीमेंट लेकर आओ.सीमेंट लाते वक्त मुरहन और शेरगढ़ के बीच पुल के पास बच्चे एक मिनी ट्रक की चपेट में आने से बाल-बाल बच गए. अगर कुछ पल की चूक होती तो बड़ा हादसा हो सकता था. सवाल यह है कि ऐसी लापरवाही से यदि किसी बच्चे के साथ अनहोनी हो जाती तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेता?

यहां लापरवाही सिर्फ सीमेंट तक ही सीमित नहीं है. बच्चों ने बताया कि आलम सर सब्जी लाने के लिए भी छात्रों को भेजते हैं और कई बार फूलगोभी, आलू, प्याज जैसे सामान मंगवाए. एक छात्रा ने बताया कि प्रधानाध्यापक रविंद्र कुमार पहले भी कई बार आलू, गोभी, चना दाल सहित अन्य सामान मंगवाते थे.

आदेश जारी, फिर भी अनदेखी

इस मामले में जब गोराडीह प्रखंड के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) दिनेश कुमार दास से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि मामले की जांच कर कार्रवाई की जाएगी. बड़ा सवाल यह है कि 26 सितंबर 2025 को BEO ने पत्रांक 582 के माध्यम से पहले ही पूरे प्रखंड के सभी शिक्षकों एवं प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट निर्देश दिया था.

इस निर्देश में लिखा था कि विद्यालय अवधि में कोई भी बच्चा कहीं भी अनियमित रूप से घूमता दिखा तो संबंधित शिक्षक पर कार्रवाई की जाएगी. इसके बावजूद शिक्षकों द्वारा खुलेआम इस आदेश की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं और बच्चों से काम करवाया जा रहा है.

आगे क्या होगा?

घटना के सामने आने के बाद स्थानीय लोग और अभिभावक सवाल उठा रहे हैं कि क्या शिक्षा पदाधिकारी इस बार कठोर कार्रवाई करेंगे, या फिर हमेशा की तरह केवल स्पष्टीकरण मांगकर मामला दबा दिया जाएगा. बच्चों के भविष्य के साथ ऐसे खिलवाड़ को क्या सिर्फ औपचारिक कार्रवाई से निपटाया जाएगा.

डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने इस साल 85 हजार वीजा किए कैंसिल, छात्रों पर सबसे ज्यादा असर

#trumpadministrationusrevokes85000visassince_january

अमेरिका ने इमिग्रेशन नियम कड़े करने के बाद जनवरी से अब तक 85 हजार वीजा रद्द किए हैं। जिनमें 8 हजार से ज्यादा छात्र शामिल हैं, जो पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। यूएस स्टेट डिपार्टमेंट ने बताया है कि यह कार्रवाई इमिग्रेशन और बॉर्डर सिक्योरिटी पर ट्रम्प प्रशासन के बढ़ते फोकस का हिस्सा है।

डोनाल्ड ट्रंप ने इस साल जनवरी में राष्ट्रपति बनने के बाद से इमिग्रेशन मुद्दे पर लगातार सख्त रुख अपनाया हुआ है। इसी क्रम में अमेरिकी विदेश विभाग ने मंगलवार क एक्स पर लिखा, 'जनवरी से अब तक 85,000 वीजा कैंसिल किए गए हैं। प्रेसिडेंट ट्रंप और सेक्रेटरी रुबियो एक आसान से आदेश का पालन करते हैं और वे जल्द ही रुकने वाले नहीं हैं।' पोस्ट में ट्रंप की तस्वीर के साथ 'मेक अमेरिका सेफ अगेन' का स्लोगन दिया गया है। यानी अमेरिका को सुरक्षित बनाने के लिए यह कदम उठाया गया है।

रद्द किए गए वीजा में 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के

विदेश विभाग के एक अधिकारी ने कहा, हमने सभी कैटेगरी के 85,000 वीजा रद्द कर दिए हैं। जिनमें 8,000 से ज्यादा छात्र शामिल हैं, जो पिछले साल की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा है। रद्द किए गए वीजा में से 8 हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स के थे। इसकी प्रमुख वजह नशे में गाड़ी चलाना, चोरी और हमला जैसे अपराध थे, जो पिछले साल के लगभग आधे कैंसिलेशन का हिस्सा थे।

वीजा रद्द की क्या हैं वजहें?

वीजा रद्द करने के कारणों में पहले अवधि से अधिक समय रुकना, आपराधिक चिंताएं और आतंकवाद का समर्थन शामिल रहा है। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, प्रशासन ने गाजा को लेकर हो रहे छात्र विरोध प्रदर्शनों में शामिल अंतरराष्ट्रीय छात्रों को निशाना बनाया गया है। इन छात्रों को यहूदी-विरोधी करते हुए वीजा पर सख्ती की गई है।

सोशल मीडिया अकाउंट की जांच के बाद मिलेगा H-1B वीजा

इधर, अमेरिका लगातार वीजा नियमों को भी सख्त कर रहा है। 5 दिसंबर को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा नियमों में सख्ती के आदेश दिए थे। इसके तहत H-1B आवेदकों को अपना सोशल मीडिया अकाउंट सार्वजनिक करना होगा, ताकि अमेरिकी अधिकारी आवेदक की प्रोफाइल, सोशल मीडिया पोस्ट और लाइक्स को देख सकें। यदि आवेदक की कोई भी सोशल मीडिया एक्टिविटी अमेरिकी हितों के खिलाफ दिखी तो H-1B वीजा जारी नहीं किया जाएगा। H-1B के आश्रितों (पत्नी, बच्चों और पेरेंट्स) के लिए H-4 वीजा के लिए भी सोशल मीडिया प्रोफाइल को पब्लिक करना जरूरी होगा। ऐसा पहली बार है, जब H-1B वीजा के लिए सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच जरूरी की गई है। नए नियम 15 दिसंबर से लागू होंगे। ट्रम्प प्रशासन ने सभी दूतावासों को निर्देश जारी किए हैं।

प्राथमिक शिक्षकों की अब होगी ऑनलाइन हाजिरी, स्कूल शुरू होने के एक घंटे के अंदर देनी होगी अटेंडेंस


लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की उपस्थिति व्यवस्था में बड़ा बदलाव लागू होने जा रहा है। उत्तर प्रदेश शासन ने हाईकोर्ट के निर्देशों के आधार पर अध्यापकों के लिए ऑनलाइन डिजिटल अटेंडेंस सिस्टम तत्काल प्रभाव से शुरू करने का आदेश जारी किया है।

अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने जारी किया शासनादेश

अब प्रदेश के करीब 1.33 लाख सरकारी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में काम कर रहे 4.50 लाख शिक्षकों को रोजाना विद्यालय खुलने के एक घंटे के भीतर अपनी हाजिरी दर्ज करानी होगी।अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा की ओर से जारी शासनादेश के मुताबिक, उपस्थिति दर्ज कराने की ज़िम्मेदारी विद्यालय के प्रधानाध्यापक को सौंपी गई है। यदि किसी स्थिति में प्रधानाध्यापक उपलब्ध न हों तो यह जिम्मेदारी संबंधित दूसरे शिक्षक को दी जाएगी।

नेटवर्क बाधित होने पर भी अनुपस्थित नहीं माना जाएगा

नई प्रणाली के तहत यदि इंटरनेट नेटवर्क की समस्या आती है तो हाजिरी ऑफलाइन मोड में दर्ज होगी और नेटवर्क उपलब्ध होने पर ऑटोमेटिक सिंक हो जाएगी। इस दौरान किसी शिक्षक को बिना कारण बताए अनुपस्थित नहीं चिह्नित किया जाएगा और न ही बिना पक्ष सुने कोई कार्रवाई होगी।

हाईकोर्ट के निर्देश पर फिर सक्रिय हुआ विभाग

यह व्यवस्था पहले वर्ष 2024 में लागू की जानी थी, लेकिन शिक्षकों के विरोध के चलते मामला ठंडे बस्ते में चला गया था। इसके बाद कोर्ट में याचिका पहुंची और 16 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिए कि विभाग शिक्षकों की उपस्थिति की पारदर्शी व्यवस्था सुनिश्चित करे।

वरिष्ठ अधिकारियों और शिक्षा विशेषज्ञों की एक समिति गठित

इसी क्रम में शासन ने वरिष्ठ अधिकारियों और शिक्षा विशेषज्ञों की एक समिति गठित की, जिसमें —महानिदेशक स्कूल शिक्षा ,निदेशक समाज कल्याण व अल्पसंख्यक कल्याण, निदेशक बेसिक शिक्षा व एससीईआरटी, बीएसए लखनऊ, सीबीएसई के पूर्व चेयरमैन, शिक्षक प्रतिनिधि को शामिल किया गया। समिति की 6 नवंबर को हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब डिजिटल उपस्थिति व्यवस्था को बिना देरी लागू करना आवश्यक है।शासन ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को निर्देशित किया है कि वह सभी जिलों में इस व्यवस्था को सख़्ती से लागू कराएं और प्रगति रिपोर्ट शासन को नियमित रूप से भेजें।
शिक्षामित्रों की घर वापसी शुरू, शासन का बड़ा फैसला, 30 हजार को मिलेगी राहत
लखनऊ। लंबे समय से अपने मूल विद्यालयों में वापसी की राह देख रहे शिक्षामित्रों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। ठंड की छुट्टियों के बीच शासन ने मंगलवार को शिक्षामित्रों को मूल विद्यालयों में भेजने का आदेश जारी कर दिया है। इससे प्रदेश के लगभग 30 हजार शिक्षामित्रों को अपने गांव-घर के पास तैनाती मिलने का रास्ता साफ हो गया है। खासतौर पर महिला शिक्षामित्रों को इस निर्णय का बड़ा लाभ होगा, क्योंकि उन्हें अपने वर्तमान कार्यस्थल या पति के आवास वाली ग्राम सभा, ग्राम पंचायत अथवा वार्ड में तैनाती दी जाएगी।

शिक्षामित्रों की तैनाती की प्रक्रिया विकल्प के आधार पर पूरी की जाएगी

बेसिक शिक्षा विभाग के विशेष सचिव अवधेश कुमार तिवारी की ओर से जारी आदेश के अनुसार, शिक्षामित्रों की तैनाती की प्रक्रिया विकल्प के आधार पर पूरी की जाएगी। जो वर्तमान विद्यालय में ही रहना चाहते हैं, उनके विकल्प पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी।जो पुरुष या अविवाहित महिला शिक्षामित्र अपने मूल विद्यालय में वापस जाना चाहते हैं, वहां पद खाली होने पर तुरंत तैनाती कर दी जाएगी।जहां सीट खाली नहीं होगी, वहां उसी ग्राम सभा या वार्ड के किसी अन्य विद्यालय में समायोजन किया जाएगा। निर्देश के अनुसार, जिलाधिकारी की अध्यक्षता में बनी समिति जिसमें सीडीओ, डायट प्राचार्य, बीएसए और सहायक वित्त एवं लेखाधिकारी शामिल होंगे पूरी प्रक्रिया को अंजाम देगी।

संघ की चेतावनी के बाद सक्रिय हुआ विभाग

शासन ने 3 जनवरी को आदेश जारी किया था और 12 जून को इसके क्रियान्वयन के निर्देश दिए गए थे, लेकिन विभाग अब तक इसकी प्रक्रिया शुरू नहीं कर पाया। इसी बीच उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए सरकार पर दबाव बनाया था।संघ के प्रदेश अध्यक्ष शिव कुमार शुक्ला ने सरकार के इस कदम का स्वागत करते हुए कहा इस फैसले से लगभग 30 हजार शिक्षामित्रों को अपने घरों के पास जाने का अवसर मिलेगा। विभाग जल्द इस पर अमल शुरू करे।”

हर विद्यालय में सिर्फ दो शिक्षामित्र का नियम

शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि प्रत्येक विद्यालय में अधिकतम दो शिक्षामित्र ही कार्यरत रह सकेंगे।नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में अधिकतम तीन शिक्षामित्र की अनुमति होगी।रिक्तियों की गणना इसी आधार पर की जाएगी और उसी अनुसार समायोजन पूरा किया जाएगा।

दो चरणों में पूरी होगी तैनाती प्रक्रिया

पहला चरण: मूल विद्यालय में पद खाली रहने पर या पास के विद्यालय में तबादला चाहने वालों को मौका।
दूसरा चरण: शेष शिक्षामित्रों का समायोजन, इसके लिए अलग निर्देश बाद में जारी होंगे।
इस फैसले से वर्षों से तैनाती दूरस्थ क्षेत्रों में झेल रहे हजारों शिक्षामित्रों के जीवन में बड़ी राहत आएगी और नए वर्ष से ही उनकी “घर वापसी” संभव मानी जा रही है।
हेमंत सरकार झारखंडी युवाओं और स्थानीय समुदायों के हितों के लिए प्रतिबद्ध : विनोद पांडेय

रांची। भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों पर झामुमो ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा सिर्फ़ राजनीतिक लाभ के लिए भ्रामक बातें फैलाने में लगी है, जबकि हेमंत सोरेन सरकार राज्यहित में ठोस और संवेदनशील कदम उठा रही है।

विनोद पांडेय ने भाजपा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा - भाजपा नेताओं को पहले यह बताना चाहिए कि 18 वर्षों के लंबे शासनकाल में उसने खतियान आधारित स्थानीय नीति पर क्या काम किया? जिन मुद्दों पर आज सवाल उठाए जा रहे हैं, उन्हीं पर भाजपा की सरकारें वर्षों तक चुप क्यों रहीं?

उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार ने स्थानीय युवाओं के रोजगार, पारदर्शी नियुक्ति प्रक्रिया और सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए योजनाबद्ध तरीके से काम किया है। नीति निर्माण एक संवैधानिक प्रक्रिया है। सरकार ने इसे जिम्मेदारी से आगे बढ़ाया है। यह जग जाहिर है कि भाजपा नेता झारखंड के विकास और यहां की अस्मिता से जुड़े हेमंत सरकार के फैसलों को अटकाने का काम करते हैं।

75% ठेका स्थानीय लोगों को देने के मुद्दे पर विनोद पांडेय ने कहा कि भाजपा तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रही है। “सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि स्थानीय ठेकेदारों और उद्यमियों को अधिक अवसर मिले। प्रक्रियाओं को सक्षम, पारदर्शी और व्यावहारिक बनाने के लिए सुधार किए जा रहे हैं। भाजपा बिना तथ्यों की जांच किए दिग्भ्रमित करने के लिए सोच सोच समझ कर बयान दे रही है।

विनोद पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार झारखंडी युवाओं और स्थानीय समुदायों के हितों के लिए प्रतिबद्ध है, और भाजपा सिर्फ़ राजनीति के लिए अनावश्यक विवाद पैदा कर रही है। जनता सब देख रही है और झूठे आरोपों से गुमराह नहीं होगी।

आईआईटी-ISM धनबाद के 100वें स्थापना दिवस पर गौतम अडानी का संदेश: भारत को महाशक्ति बनाने के लिए युवाओं को दिया मंत्र

देश के प्राचीन और प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान आईआईटी (ISM) धनबाद ने अपने 100वें स्थापना दिवस का भव्य समारोह आयोजित किया, जिसमें अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने छात्रों, पूर्व छात्रों और शिक्षकों को करीब 40 मिनट का प्रेरक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने भारत की महाशक्ति बनने की राह के बारे में महत्वपूर्ण विचार साझा किए।

गौतम अडानी ने कहा कि भारत को अपनी तकदीर खुद लिखनी होगी और इसके लिए सबसे पहले उसे अपनी जमीन और संसाधनों को पूरी तरह समझना और नियंत्रित करना जरूरी है। उन्होंने जोर दिया कि यदि भारत की जमीन और उसके नीचे मौजूद संसाधनों पर उसका पूरा अधिकार नहीं होगा तो वह कभी पूर्ण रूप से संप्रभु नहीं बन सकता। अडानी ने यह स्पष्ट किया कि जमीन पर कब्जा हो तो उसी की ऊर्जा पर भी कब्जा होता है, और ऊर्जा पर नियंत्रण ही संप्रभुता की कुंजी है।

अडानी ने आईआईटी-ISM धनबाद के 1926 में स्थापना के समय की दूरदर्शिता का महत्व बताते हुए कहा कि उस दौर में देश में स्वतंत्रता की आंधी के बीच इंडियन नेशनल कांग्रेस के नेताओं ने भविष्य को देखते हुए खनन और भू-वैज्ञानिक इंजीनियरों की जरूरत को पहचाना था। उन्होंने कहा कि कोयला, लोहा, तांबा, बॉक्साइट जैसे संसाधन भारत की रीढ़ की हड्डी हैं, और आज ये संसाधन भारत को विश्व में महाशक्ति बनाने की आधारशिला होंगे।

विश्व व्यवस्था में हो रहे बदलावों पर अडानी ने कहा कि पुराना वैश्विक व्यापार और सहयोग ढांचा टूट रहा है। अमेरिका, चीन, यूरोप जैसे शक्तिशाली देश अब अपनी घरेलू सुरक्षा और उत्पादन को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे सेमीकंडक्टर और दुर्लभ मिट्टी जैसे संसाधनों की महत्त्वपूर्ण लड़ाई छिड़ी है। उन्होंने कहा कि भारत को इस नए परिवर्तन को समझकर अपनी ऊर्जा सुरक्षा और संसाधनों का पूर्ण नियंत्रण सुनिश्चित करना होगा।

गौतम अडानी ने युवाओं को एक महत्वपूर्ण संदेश देते हुए कहा कि इतिहास को कभी कैनवास नहीं समझना चाहिए, जिस पर कोई और अपनी मर्जी से तस्वीर बनाए। इतिहास को आईना बनाना चाहिए, जिससे अपने अतीत को समझकर भविष्य खुद बनाया जा सके। उन्होंने छात्रों से अनुरोध किया कि वे अपनी धरती की ताकत को पहचानें और उस पर पूरा हक जमाएं।

अखिर में उन्होंने संस्थान के छात्रों को याद दिलाया कि वे उस धरती पर अध्ययन कर रहे हैं जहां देश के 70 प्रतिशत से अधिक कोयला खदानें, लौह अयस्क, यूरेनियम और दुर्लभ खनिज मौजूद हैं। वे सिर्फ इंजीनियर नहीं, बल्कि उस टीम के हिस्से हैं जो आने वाले 50 वर्षों तक भारत की ऊर्जा और संप्रभुता की नींव रखेगी। अडानी ने इस काम को केवल नौकरी नहीं बल्कि राष्ट्रनिर्माण का महान कार्य बताया।

इस प्रकार, गौतम अडानी ने आईआईटी-ISM के शताब्दी समारोह के माध्यम से युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनकर देश के ऊर्जा और संसाधनों के प्रति जागरूकता बढ़ाई, जिससे भारत अपने महाशक्ति बनने के सपने को साकार कर सके।

बिहार में सताने लगी सर्दी, पछुआ हवा ने बढ़ाई परेशानी, तापमान में तेज गिरावट

#biharweatheicywesterlywindsbreakrecordstempraturedrops

बिहार में ठंड और तेज होती जा रही है। पूरे राज्य में शीतलहर ने दस्तक दे दी है।बिहार में पछुआ हवा के कारण ठंड और बढ़ गई है। 20–25 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से ठंडी हवा चल रही है। जिसके कारण राज्य भर में न्यूनतम तापमान लगातार नीचे जा रहा है, जिससे कड़ाके की ठंड लोगों के लिए परेशानी का कारण बनी हुई है।

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार, पिछले दो-तीन दिनों में राज्य के कई जिलों में रात का पारा काफी नीचे तक रिकॉर्ड किया गया है। पटना में न्यूनतम तापमान 13 डिग्री सेल्सियस और गया में 10.6 डिग्री दर्ज हुआ। प्रशासन ने बच्चों, बुजुर्गों और यात्रियों को विशेष सावधानी बरतने की अपील की है, क्योंकि ये ठंड अगले कुछ दिनों तक जारी रहने की संभावना है।

घने कोहरे को लेकर अलर्ट

बिहार मौसम सेवा केंद्र ने 11 दिसंबर तक राज्य के उत्तर और पूर्वी हिस्सों में घने कोहरे को लेकर अलर्ट जारी किया है। पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, गोपालगंज, मधेपुरा, अररिया, किशनगंज जैसे जिलों में घने कोहरे की चेतावनी है, जबकि औरंगाबाद, गया, रोहतास और कैमूर में भी कोहरे का असर दिख सकता है। सबसे कम तापमान सबौर में 8.4 डिग्री दर्ज किया गया है।

48 घंटे तक लगातार जारी रहेंगी पछुआ हवाएं

मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि 15-20 किमी/घंटा की रफ्तार वाली ठंडी पछुआ हवाएं अगले 48 घंटे तक लगातार जारी रहेंगी। हवाओं और तापमान में गिरावट के कारण सुबह के समय घना कोहरा दिख रहा है। जिससे विजिबिलिटी (दृश्यता) काफी कम हो जा रही है। विजिबिलिटी कई जिलों में 50 मीटर से भी नीचे जाने की आशंका है, जिससे सड़क और रेल यातायात प्रभावित होने की संभावना है।

अगले 3–4 दिनों तक कैसा रहेगा मौसम

मौसम विभाग का अनुमान है कि अगले 3–4 दिनों में प्रदेश के मौसम में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा। इसके साथ ही, अधिकतम तापमान में हल्की कमी आ सकती है, जबकि न्यूनतम तापमान में गिरावट की संभावना नहीं जताई गई है। दक्षिण बिहार के कई जिले जैसे बक्सर, भोजपुर, औरंगाबाद, अरवल और रोहतास में रात का तापमान 8 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की उम्मीद है। 15 दिसंबर तक पूरे राज्य में मौसम शुष्क बने रहने का अनुमान है और बारिश को लेकर कोई चेतावनी जारी नहीं की गई है।

मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद की नींव को लेकर विवाद, मुस्लिम समाज के असली मुद्दों को लेकर उठे सवाल

संभल । पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 6 दिसंबर को हमायूँ कबीर नामक राजनीतिक व्यक्ति द्वारा बाबरी मस्जिद की नींव रखने को लेकर विवाद गहरा गया है। हमायूँ कबीर पूर्व में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। आरोप है कि उन्होंने इस कदम को राजनीतिक स्वार्थ और भावनात्मक मुद्दों को उभारकर मुस्लिम समाज में विभाजन पैदा करने के उद्देश्य से उठाया है।इस मामले पर मौहम्मद फ़िरोज़ खान हिन्दुस्तानी ,सामाजिक कार्यकर्त्ता प्रबंधक-मदरसा मौलाना मौहम्मद अली जौहर,अध्यक्ष-गामा पहलवान महिला-पुरुष कुश्ती ग्रामीण खेलकूद प्रशिक्षण एकेडमी ने ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बाबर या किसी भी मुगल शासक को भारत के मुसलमानों द्वारा कभी भी अपना पूर्वज नहीं माना गया है और इस प्रकार के मुद्दों का न तो वर्तमान मुस्लिम समाज से संबंध है और न ही इससे समाज का कोई वास्तविक हित जुड़ा है।

भारत में मुस्लिम समुदाय की सबसे बड़ी जरूरतें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, आवास, सुरक्षा और न्याय से जुड़ी हैं। उन्होंने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि रिपोर्ट के 403 पन्नों में मुस्लिम समाज की आर्थिक व शैक्षिक स्थिति को बेहद खराब बताया गया था, लेकिन रिपोर्ट लगभग 19 वर्षों से लागू होने का इंतजार कर रही है।बाबरी मस्जिद के नाम पर फिर से आंदोलन या निर्माण की बात सामने आने को लेकर आशंका जताई जा रही है कि इससे देश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ सकता है। कुछ हिंदूवादी संगठनों ने विरोध भी शुरू कर दिया है और मस्जिद निर्माण न होने देने की चेतावनी दी है।इस स्थिति में सामाजिक संगठनों ने अपील की है कि मुस्लिम समुदाय को नफरत और भावनात्मक राजनीति से दूर रहकर अपने वास्तविक विकास से जुड़े मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही मुस्लिम नेतृत्व और जिम्मेदार व्यक्तियों से अपील की गई है कि वे ऐसे राजनीतिक प्रयासों का विरोध करें जो समाज में वैमनस्य फैलाने वाली साम्प्रदायिक ताकतों को बढ़ावा दें।संगठनों का कहना है कि वर्तमान समय में देश की एकता, सद्भाव और गंगा-जमुनी तहज़ीब को मजबूत बनाए रखना प्राथमिकता होनी चाहिए तथा किसी भी प्रकार की उकसावे वाली कार्रवाई को सफल नहीं होने देना चाहिए।

महापौर ने 50 सदस्यो के दल तमिलनाडू से प्रयागराज पहुंचने पर उनका भव्य रूप से स्वागत किया

काशी तमिल संगमम् यात्रा ने भाषा संस्कृति और क्षेत्रीय भिन्नताओं के नाम पर फैलाए गए भ्रमों को दूर करने का काम किया-महापौर

काशी तमिल संगमम यात्रा हमारी एकता समरसता और सांस्कृतिक गौरव का जीवंत उदाहरण

संजय द्विवेदी प्रयागराज।काशी तमिल संगमम् यात्रा के 50 सदस्य जो सड़क मार्ग से तमिलनाडू से चलकर मंगलवार को प्रयागराज के होटल रवीसा पहुंचे उनका भव्य रूप से स्वागत एवं अभिनंदन महापौर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी द्वारा किया। दल में सम्मिलित सदस्यो का तिलक लगाकर एवं माला पहनाकर स्वागत किया गया। काशी तमिल संगमम्’’यात्रा दल में सम्मिलित सदस्यो के साथ होटल रवीसा में आयोजित कार्यक्रम में हेल्थ अवेयरनेस कैम्प तमिल साहित्य और भाषा की समृद्धि के बारे में जागरूकता डिजिटल तरीकों से शिक्षा की पहुंच को बढ़ाना फाइनेंशियल लिटरेसी के बारे में जागरूकता फैलाना शारीरिक और आध्यात्मिक सेहत एवं रिपेयर और मेंटेनेंस सहित अन्य बिंदुओं पर चर्चा की गयी।इस अवसर पर महापौर उमेश चन्द्र गणेश केसरवानी ने कहा कि काशी तमिल संगमम् यात्रा माननीय प्रधानमंत्री की एक महत्वपूर्ण पहल है जिसने भाषा संस्कृति और क्षेत्रीय भिन्नताओ के नाम पर फैलाए गए भ्रमो को दूर किया है।यह कार्यक्रम भारत की सांस्कृतिक एकता को जगाने वाला है।उन्होंने कहा कि काशी और तमिल संस्कृति के बीच प्राचीन काल से ही आध्यात्मिक और विद्यानिष्ठ सम्बंध रहे है।यह संगमम युवा पीढ़ी को हमारी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का उत्कृष्ट माध्यम है।उन्होंने कहा कि हमारी पुरातन संस्कृति में कभी भाषा का विवाद एवं जातीयता का उन्माद नहीं रहा। हमारी संस्कृति‘‘वसुधैव कुटुम्बकम’’के मंत्र को आत्मसात करते हुए पूरे विश्व के कल्याण की कामना करती है।उन्होंने कहा कि काशी तमिल संगमम यात्रा हमारे एकता समरसता और सांस्कृतिक गौरव का जीवंत उदाहरण है।इस अवसर पर नगर मजिस्टेट विनोद कुमार सिंह ने कहा कि काशी तमिल संगमम यात्रा भारतीय संस्कृति की उस आध्यात्मिक एकता का प्रतीक है,जो उत्तर से दक्षिण तक हमें जोड़ती है।हमारे लिए यह गौरव का विषय है कि यह यात्रा यहां पहुंची और सांस्कृतिक आदान-प्रदान का सुअवसर प्रदान किया।काशी तमिल संगमम यात्रा में सम्मिलित सदस्यों ने प्रयागराज रेलवे स्टेशन के पास स्थापित तिरूवल्लुवर की भव्य प्रतिमा का दर्शन भी किया।इस अवसर पर काशी तमिल संगमम यात्रा में सम्मिलित सदस्यो सहित अन्य सम्बंधित लोग उपस्थित रहे।