*ट्रंप के आने के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध के खत्म होने की कितनी उम्मीद, क्या बाइडेन ने बढ़ा दी है मुश्किलें?
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अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा चुने जाने के बाद रूस-यूक्रेन युद्ध अब कौन सा मोड़ ले सकता है, इस पर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुई हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति चुने जाने की घोषणा होने के तुरंत बाद जेलेंस्की ने ट्रंप को बधाई देते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध में शांति स्थापित होने की उम्मीद जाहिर की है। वहीं राष्ट्रपति पुतिन के क्रेमलिन कार्यालय ने भी कहा है कि अमेरिका अगर चाहता है तो मॉस्को बातचीत का विकल्प खुला रखेगा। मगर साथ में रूस ने यह भी कहा कि जब जनवरी में ट्रंप अपना कार्यभार संभालेंगे तो रूस-यूक्रेन युद्ध पर अमेरिका की क्या नई पॉलिसी होगी, इस पर उसकी नजर बनी है।
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अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन के तहत यूक्रेन को रूस के खिलाफ जंग में पर्याप्त सैन्य सहायता प्राप्त हुई है। यही वजह है कि रूस और अमेरिका के रिश्ते तनाव के चरम पर हैं। हालांकि, ट्रंप की वापसी के बाद उम्मीद की जा रही थी कि यूक्रेन रूस युद्ध रुक सकता है। अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पूरे चुनाव प्रचार के दौरान बाइडेन की नीतियों का विरोध किया था। देश की जनता के सामने ट्रंप ने दावा किया कि अगर वह राष्ट्रपति होते, तो यूक्रेन जंग शुरू ही नहीं होती।साथ ही व्हाइट हाउस वापसी के बाद उन्होंने जंग खत्म करने का वादा किया है। लेकिन जो बाइडेन के हालिया कदम से ऐसा लग रहा है कि वे ट्रंप के इस वादे को पूरा नहीं होने देंगे।
दरअसल, गाजा और यूक्रेन जंग के लंबा खिंचने के पीछे भी ट्रंप ने बाइडेन प्रशासन की कमजोर नीतियों को जिम्मेदार बताया है। लेकिन बाइडेन ने अपने आखिरी दिनों में यूक्रेन को फ्री हैंड दे दिया है।जो बाइडेन ने यूक्रेन को अमेरिका और पश्चिमी देशों के घातक हथियारों से रूसी जमीन पर हमला करने की छूट दे दी है। अब तक यूक्रेन को लंबी दूरी और घातक हथियारों से रूस पर हमले की परमिशन नहीं थी।
क्या युद्ध को बढ़ावा दे रहे बाइडन?
बाइडेन ने यूक्रेन को एटीएसीएमएस मिसाइलों से रूस पर हमले की मंजूरी दी। अमेरिकी मिसाइलों के यूज पर बाइडन से ग्रीन सिग्नल मिलने के बाद जेलेंस्की के इरादों को जैसे पंख लग गए। इसके बाद यूक्रेन ने रूस पर मिसाइलें दाग भी दी। यूक्रेन ने अमेरिकी और ब्रिटिश मिसाइलों की मदद से रूस पर कई हमले किए। इसके जवाब में रूस की ओर से इस युद्ध में पहली बार इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया गया।
बाइडेन के फैसले से युद्ध में नया मोड़ लिया
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के यूक्रेन को युद्ध में लंबी दूरी की मिसाइलों का इस्तेमाल करने की अनुमति युद्ध में एक नया मोड़ ला दिया है। ट्रंप की वापसी के बाद उम्मीद की जा रही थी कि यूक्रेन रूस युद्ध रुक सकता है। लेकिन बाइडेन ने अपने आखिरी दिनों में यूक्रेन को फ्री हैंड दे दिया है। बाइडेन के इस फैसले का विरोध रूस में बड़े पैमाने पर देखने को मिला है। रूसी पार्लियामेंट के अपर हाउस फेडरेशन काउंसिल के सीनियर मेंबर आंद्रेई क्लिशास ने टेलीग्राम पर अमेरिका के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पश्चिमी देशों ने तनाव को इस स्तर तक बढ़ा दिया है कि इससे यूक्रेन का अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। इसके अलावा रूस के अंतरराष्ट्रीय मामलों के अधिकारी दिमीर दज़बारोव ने कहा कि अगर यूक्रेन रूस के अंदर हमला करता है, तो यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत का कदम होगा।
“बाइडेन तीसरा विश्व युद्ध शुरू करना चाहते हैं”
बाइडेन प्रशासन के इस फैसले पर डोनाल्ड के सबसे बड़े बेटे ट्रंप जूनियर ने राष्ट्रपति बाइडेन और डेमोक्रेटिक पार्टी की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि मेरे पिता को शांति कायम करने का मौका मिलने से पहले ही, बाइडेन तीसरा विश्व युद्ध शुरू करना चाहते हैं।









अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद से ही कुछ देश खौफ में हैं। कहा जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप इन देशों के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए ट्रंप भले ही 20 जनवरी को कुर्सी संभालेंगे लेकिन दुश्मनों की नींद उन्होंने अभी से उड़ा दी है। ट्रंप ने सोमवार को एक बड़ा ऐलान किया है। ताजा ऐलान भारत को दो दुश्मन देशों को लेकर है। ट्रंप ने कहा कि वह जनवरी में कार्यभार संभालने के पहले दिन ही ऐसे आदेशों पर हस्ताक्षर करेंगे, जिसके तहत मेक्सिको और कनाडा से आने वाले सभी सामानों पर 25 फीसदी आयात शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप का कहना है कि वो ऐसा तब तक करेंगे जब तक ये देश अपने अमेरिका में अवैध अप्रवासियों और फेंटेनाइल दवाओं के प्रवाह को बंद नहीं करते हैं। *अवैध अप्रवासी कई समस्याओं की जड़-ट्रंप* ट्रंप ने ट्रूंथ सोशल नेटवर्क पर एक पोस्ट में लिखा है कि 20 जनवरी को ऑफिस संभालते ही कनाडा, मेक्सिको और चीन के ख़िलाफ़ टैरिफ लगाने के लिए एक एग्जेक्युटिव ऑर्डर पर हस्ताक्षर करेंगे।ट्रंप ने कहा, ''सभी को पता है कि कनाडा और मेक्सिको से हज़ारों लोग अमेरिका में घुस रहे हैं। ये अपने साथ ड्रग्स ला रहे हैं और कई अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। जिस स्तर पर ये सब हो रहा है, वैसा पहले कभी नहीं हुआ।'' *कैसे हैं ट्रंप-ट्रूडो के संबंध?* कनाडा और अमेरिका के बीच दुनिया का सबसे लंबा लैंड बॉर्डर है और दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंध एक ट्रिलियन डॉलर से भी ज़्यादा का है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने ट्रंप की जीत के तत्काल बाद ही बधाई दी थी लेकिन दोनों नेताओं के संबंधों में पर्याप्त तनाव रहा है। अमेरिका में कोई भी राष्ट्रपति कमान संभालने के बाद पारंपरिक रूप से पहला विदेशी दौरा कनाडा या मेक्सिको का करता था लेकिन ट्रंप ने 2017 में पहला विदेशी दौरा सऊदी अरब का किया था। यानी ट्रंप ने आते ही संदेश दे दिया था। जस्टिन ट्रूडो पर ट्रंप व्यक्तिगत हमले भी करते रहे हैं। ट्रूडो को ट्रंप ने 'घोर-वामपंथी पागल' कहा था। कनाडा की आर्थिक स्थिति पहले से ही चिंताजनक है और ट्रंप के टैरिफ से वहाँ की अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने की आशंका बढ़ जाएगी। कनाडा का 75 प्रतिशत निर्यात अमेरिका में होता है. ऐसे में 25 प्रतिशत का टैरिफ कनाडा को भारी पड़ सकता है। ट्रूडो के लिए ये मुश्किलें तब खड़ी हो रही हैं, जब कनाडा में चुनाव सिर पर है। कई चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में बताया जा रहा है कि ट्रूडो चुनाव में कंजर्वेटिव पार्टी से हार सकते हैं। *चीन पर निशाना साधा* ट्रंप ने ट्रुथ पर एक दूसरे पोस्ट में चीन पर निशाना साधा, उन्होंने पोस्ट में लिखा, "मैंने चीन से संयुक्त राज्य अमेरिका में भेजी जा रही ड्रग्स, विशेष रूप से फेंटेनाइल के बारे में कई बार बातचीत की, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। चीन के प्रतिनिधियों ने मुझसे कहा था कि वह इस काम में शामिल किसी भी ड्रग तस्कर को मौत की सजा देंगे, लेकिन अफसोस, उन्होंने कभी इसे लागू नहीं किया और ड्रग्स हमारे देश में मुख्य रूप से मेक्सिको के जरिए भारी मात्रा में आ रही हैं। जब तक यह नहीं रुकता, हम चीन पर उनके सभी उत्पादों पर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगाएंगे, जो संयुक्त राज्य अमेरिका में आयात हो रहे हैं, किसी भी अन्य टैरिफ के ऊपर होगा।" *टैरिफ डोनाल्ड ट्रंप का अहम एजेंडा* टैरिफ डोनाल्ड ट्रंप के आर्थिक एजेंडे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, रिपब्लिकन पार्टी के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति ने 5 नवम्बर की अपनी जीत से पहले चुनाव प्रचार के दौरान सहयोगियों और विरोधियों पर समान रूप से व्यापक शुल्क लगाने की कसम खाई थी। हालांकि, कई अर्थशास्त्रियों ने चेतावनी दी है कि टैरिफ से विकास को नुकसान पहुंचेगा और मुद्रास्फीति बढ़ेगी, क्योंकि टैरिफ का भुगतान मुख्य रूप से अमेरिका में सामान लाने वाले आयातकों द्वारा किया जाता है, जो अक्सर उन लागतों को उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं।

Nov 26 2024, 20:04
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