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तीसरी बार भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे ट्रंप, बोले-संविधान बदलने की सोच रहा हूं

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत भी दिया। ट्रंप ने कहा है कि वे तीसरे कार्यकाल के लिए विचार कर रहे हैं और इसके लिए संविधान को बदलने के बारे में सोच रहे हैं। अमेरिका का संविधान किसी भी व्यक्ति को केवल दो बार चुने जाने की अनुमति देता है। हालांकि, रविवार को एनबीसी को एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि वह तीसरी बार भी इस पद पर सेवाएं देना चाहते हैं।

एनबीसी न्यूज चैनल को रविवार को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि वे तीसरे कार्यकाल के लिए विचार कर रहे हैं और इसके लिए संविधान को बदलने के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि मजाक नहीं कर रहे हैं। ऐसे तरीके हैं जिनसे आप ऐसा कर सकते हैं। हालांकि इसके बारे में विचार करना अभी काफी जल्दबाजी होगी। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका की जनता उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें तीसरा कार्यकाल देने के लिए तैयार हो जाएगी।

ट्रंप नवंबर में दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। इससे पहले वह 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं। अगर ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की कोशिश करते हैं तो इसके लिए उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए अमेरिकी संसद और राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी।

किस रणनीति पर काम कर रहे ट्रंप?

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या उनके पास कोई रणनीति है जिससे वे तीसरी बार चुनाव लड़ सकें, तो ट्रम्प ने जवाब दिया, हां, कुछ तरीके हैं। जब उनसे एक संभावित योजना के बारे में पूछा गया कि क्या उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस 2028 में चुनाव लड़ सकते हैं और फिर ट्रम्प को सत्ता सौंप सकते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, हां, यह एक तरीका हो सकता है, लेकिन और भी तरीके हैं। हालांकि, ट्रंप ने इन तरीकों का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

क्या कहता है अमेरिकी संविधान?

संविधान का 22वां संशोधन 1951 में राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के लगातार चार बार निर्वाचित होने के बाद जोड़ा गया था। इसमें कहा गया है कि 'कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर दो बार से अधिक नहीं चुना जाएगा।

क्या ट्रंप संविधान बदल सकते हैं?

ट्रंप को तीसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के लिए उतरना है तो उन्हें अमेरिकी संविधान में बदलाव करना होगा, जो इतना आसान नहीं है। ट्रंप को इसके लिए अमेरिकी सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव दोनों में दो-तिहाई बहुमत से एक बिल पास कराना होगा। ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास दोनों सदनों में इतने सदस्य नहीं हैं।

सीनेट में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास 100 में से 52 सीनेटर है। वहीं, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 435 में से 220 सदस्य हैं। ये संविधान संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई यानी 67% बहुमत से काफी कम है।

अगर ट्रंप ये बहुमत हासिल कर लेते हैं तब भी उनके लिए संविधान में संशोधन करना इतना आसान नहीं होगा। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इस संशोधन के लिए राज्यों से मंजूरी लेनी होती है।

इसके लिए तीन चौथाई राज्यों का बहुमत मिलन के बाद ही संविधान में संशोधन हो सकता है। यानी 50 अमेरिकी राज्यों में से अगर 38 संविधान में बदलाव के लिए राजी हो जाए तो ही नियम बदल सकते हैं।

क्या अमेरिका भी रूस-चीन की राह पर?

रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन में शी जिनपिंग पहले ही संवैधानिक बदलाव कराकर अपनी सत्ता को लंबा खींच चुके हैं। पुतिन ने रूसी संविधान में संशोधन कर 2036 तक सत्ता में बने रहने का मार्ग प्रशस्त कर लिया, जबकि जिनपिंग ने चीन में राष्ट्रपति पद की समय सीमा को ही खत्म कर दिया। सवाल यह है कि क्या ट्रंप भी इसी राह पर चल रहे हैं?

ट्रंप के करीबी सहयोगी और पूर्व व्हाइट हाउस रणनीतिकार स्टीव बैनन ने हाल ही में दावा किया कि ट्रंप 2028 में फिर से चुनाव लड़ सकते हैं। बैनन के अनुसार, हम इस पर काम कर रहे हैं, और कुछ विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन संविधान की भाषा और व्याख्या को लेकर कानूनी विकल्प खोजे जा रहे हैं।

ट्रंप ने रेयर अर्थ डील पर जेलेंस्की को चेताया, बोले-अगर पीछे हटे तो करना होगा बड़ी परेशानी का सामना

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले कुछ समय से यूक्रेन पर खनिजों की डील के लिए दबाव बना रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की जब अमेरिका दौरे पर आए थे, तब दोनों देशों के बीच यूक्रेनी खनिजों की डील होने वाली थी, लेकिन ट्रंप और जेलेंस्की की बहस के बाद यह डील नहीं हो पाई। हालांकि बाद में जेलेंस्की इस डील के लिए तैयार हो गए। फिलहाल यह डील हुई नहीं है और इसके जल्द होने के आसार जताए जा रहे हैं। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप ने जेलेंस्की को मिनरल डील को लेकर चेतावनी दी है।

ट्रंप ने कहा है कि, जेलेंस्की को देखकर मुझे लग रहा हैं कि वह दुर्लभ खनिज के समझौते से पीछे हटने की कोशिश कर रहे हैं और अगर वो ऐसा कुछ करते हैं तो इसका परिणाम ठीक नहीं होगा, उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। ट्रंप ने कहा, इन्हीं हरकतों की वजह से यूक्रेन नाटो समूह का हिस्सा नहीं बनने वाला है। अगर जेलेंस्की को लग रहा है कि वह खनिज समझौते पर दोबारा बातचीत शुरू करके इससे बच जाएंगे तो ऐसा बिल्कुल नहीं होने वाला है।

रेयर अर्थ डील वॉशिंगटन और कीव के बीच एक खास समझौता है, जिसके तहत अमेरिका रूस के खिलाफ युद्ध में कीव को 35 अरब डॉलर, सैन्य उपकरण की मदद के बदले में यूक्रेन के दुर्लभ खनिज संसाधनों का दोहन करेगा।

जेलेंस्की से पहले ट्रंप ने पुतिन की खड़ी की खाट

वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जेलेंस्की को धमकाने से पहले रूस की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी चेतावनी दी थी। ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति पर यूक्रेन के साथ युद्धशांति समझौते में दिक्कत उत्पन्न करने के आरोप लगाए और कहा कि वह राष्ट्रपति पुतिन से काफी नाराज हैं।

रूस पर टैरिफ की धमकी

डोनाल्ड ट्रंप ने शांति समझौते में बाधा डालने के कोशिश को लेकर कहा कि अगर रूस सीजफायर की कोशिश में बाधा डालेगा तो अमेरिका रूसी तेल पर 25 से 50 प्रतिशत तक सेकेंडरी टैरिफ लगा देंगे।

हमारे दोस्त मोदी बुद्धिमान और महान प्रधानमंत्री हैं”, भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर ट्रंप आश्वस्त

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है और उन्हें 'घनिष्ठ मित्र' और 'बहुत स्मार्ट शख्स' बताया है। साथ ही ट्रंप ने भरोसा जताया कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत के उच्च टैरिफ की उनकी लंबे समय से चली आ रही आलोचनाओं के बावजूद, अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापार वार्ता सकारात्मक समाधान पर पहुंचेगी।

शुक्रवार को वॉइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने उम्मीद जताई कि भारत के साथ चल रही टैरिफ वार्ता बहुत अच्छी तरह से काम करेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पत्रकारों से कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में यहां आए थे और हम हमेशा से बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं। पीएम मोदी को लेकर ट्रंप ने आगे कहा, वे बहुत स्मार्ट व्यक्ति हैं और मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं। हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही। मुझे लगता है कि भारत और हमारे देश के बीच सब कुछ बहुत अच्छा होने वाला है। उन्होंने आगे कहा, मैं कहना चाहता हूं कि आपके पास एक महान प्रधानमंत्री है।

ट्रंप का इशारा अमेरिका और भारत के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार समझौता वार्ता की ओर था। यह वार्ता 26 मार्च, 2025 से नई दिल्ली में शुरू हुई, जिसमें अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक टीम भारत आई है। यह टीम 29 मार्च तक भारत में रहकर चर्चा करेगी। अब अमेरिकी राष्‍ट्रपति के प्रधानमंत्री मोदी को दोस्‍त बताने और ‘बातचीत अच्‍छी चलने’ की जानकारी देने से कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर बात बन गई है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी कह चुके हैं कि वार्ता अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है और द्विपक्षीय समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।

ट्रंप का ताजा बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने की तैयारी कर रहा है। अगर द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो गया तो भारत अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल लगाए जाने वाले ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ से बच जाएगा। अगर समझौता होता है, तो भारत-अमेरिका व्यापार को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। नहीं तो टैरिफ वॉर का खतरा बना रहेगा। ट्रंप ने लगातार भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने भारत को टैरिफ किंग कहा है और इसके आयात शुल्क को बहुत अनुचित बताया है।

अमेरिका में चुनाव के नियमों में बदलाव, जानें ट्रंप ने भारत का उदाहरण क्यों दिया?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से व्हाइट हाउस में वापसी की है, तब ही से वह देश में नए-नए बदलाव कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप देश की चुनाव प्रणाली में व्यापक बदलाव करने जा रहे हैं। ट्रंप ने मंगलवार, 25 मार्च को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें अमेरिका में होने वाले चुनावों में व्यापक बदलाव की मांग की गई।उन्होंने वहां के फेडरल चुनावों (केंद्रीय) में वोटिंग के रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है। यानी जैसे भारत में हम आधार कार्ड या वोटर कार्ड जैसे आधिकारिक आईडी प्रूव देते हैं वैसे ही अमेरिका में अब कोई वहां का नागरिक है, उसका डॉक्यूमेंट दिखाना होगा, तभी जाकर वो खुद को वोट डालने के लिए रजिस्टर कर सकता है।

ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश के अनुसार, केवल चुनाव के दिन तक प्राप्त होने वाले मतपत्रों को ही गिनती में शामिल किया जाएगा। अपने ताजा आदेश में ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका अब तक बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा लागू करने में विफल रहा है।

राज्यों से संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की अपील

नए कार्यकारी आदेश जारी होने के बाद ट्रंप प्रशासन ने राज्यों से मतदाता सूचियों को साझा करने और चुनाव अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। सहयोग न करने की स्थिति में संघीय वित्तीय मदद वापस लेने की चेतावनी भी दी गई है। यदि राज्यों के चुनाव अधिकारी संघीय आदेशों का पालन नहीं करते, तो उनके लिए संघीय वित्त पोषण रोका जा सकता है।

भारत का दिया उदाहरण

भारत और कुछ अन्य देशों का हवाला देते हुए, आदेश में कहा गया कि अमेरिका, "स्वशासन वाले अग्रणी देश" होने के बावजूद, आधुनिक, विकसित और विकासशील देशों द्वारा उपाय में लाए जाने वाले बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा को लागू करने में विफल रहा है। इसमें कहा गया है, उदाहरण के लिए, भारत और ब्राजील मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका नागरिकता के लिए यह काफी हद तक स्व-सत्यापन (सेल्फ अटेस्ट करने) पर निर्भर है।

चुनावों में धांधली के आरोप

ट्रंप अक्सर दावा करते हैं कि चुनाव में धांधली हो रही है। 2020 के चुनाव नतीजे आने से पहले ही उन्होंने डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। चुनाव में मिली हार के बाद से ही ट्रंप मतदान से जुड़े कई कानूनों का खुलकर विरोध कर रहे हैं और बार-बार धोखाधड़ी के आरोप लगा रहे हैं।

हमने उन्हें बेनकाब कर दिया”...,टैरिफ पर ट्रंप ने भारत को लेकर दिया बड़ा बयान

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर धमकी भरे अंदाज में बात की है। ट्रंप ने दो अप्रैल से भारत पर भी टैरिफ वाला “चाबुक” चलाने की बात दोहराई है। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो 2 अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है।

अमेरिकी समाचार वेबसाइट ‘ब्रेइटबार्ट न्यूज’ के साथ साक्षात्कार में ट्रंप ने भारत के साथ अमेरिका के संबंधों पर चर्चा की। वेबसाइट ने ट्रंप के हवाले से कहा, भारत के साथ उनके बेहद अच्छे संबंध हैं। लेकिन, मेरी एकमात्र समस्या यह है कि वह दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में से एक हैं।

ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो 2 अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है।

बता दें कि ट्रंप पहले ही एलान कर चुके हैं कि 2 अप्रैल से वे भी व्यापार सहयोगी देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाएंगे। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर को लेकर ट्रंप ने कहा कि यह शानदार देशों का समूह है, जो उन देशों का मुकाबला करेगा, जो हमारे व्यापार को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर पर बीते महीने पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर भी अहम बातचीत हुई थी।

इससे पहले ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत अपने शुल्क में काफी कटौती करने पर सहमत हो गया है। उन्होंने अपना यह दावा भी दोहराया था कि अमेरिका पर भारत भारी शुल्क लगाता है, जिससे वहां उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाता है।

डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका, कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स के सेना में शामिल होने पर लगी रोक हटाई

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डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका राष्ट्रपति पद की शपथ ली एक के बाद एक कई बड़े फैसले लिए। उनमें कुछ पर विवाद भी हुआ। इसी क्रम में डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर साइन करके अमेरिकी की मिलिट्री में शामिल ट्रांसजेंडर समुदाय पर बैन लगा दिया था। अब एक फेडरल जज ने समानता के सिद्धांत का हवाला देते हुए ट्रंप प्रशासन के इस बैन को ही सस्पेंड कर दिया है।

वाशिंगटन डीसी में न्यायाधीश एना रेयेस ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रंप का ट्रांसजेंडर सैनिकों को सैन्य सेवा से बाहर करने का आदेश संभवत: उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने प्रशासन को अपील करने के लिए समय देते हुए अपने आदेश को तीन दिन के लिए टाल दिया।

दरअसल,सेना में सेवा दे रहे छह ट्रांसजेंडर्स और सेना में शामिल होने के इच्छुक दो ट्रांसजेंडर्स ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिस पर संघीय जज ने यह प्रारंभिक निषेधाज्ञा जारी की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद 27 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया है कि ट्रांसजेंडर सैन्यकर्मियों की यौन पहचान सैनिकों की सम्मानजनक, सत्यनिष्ठ और अनुशासित जीवनशैली के प्रति प्रतिबद्धता के साथ टकराव करती है। जिसके तहत ट्रांसजेंडर्स लोगों के सेना में भर्ती होने पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश के जवाब में रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने जेंडर डिस्फोरिया वाले लोगों को सैन्य सेवाओं के लिए अयोग्य घोषित करने की नीति जारी की।

जेंडर डिस्फोरिया वह अवस्था है, जिसमें किसी व्यक्ति का निर्धारित लिंग और उसकी लिंग पहचान मेल नहीं खाते। चिकित्सा स्थिति में इसे अवसाद और आत्महत्या के विचारों से जोड़ा जाता है। अदालत में जब इस आदेश को चुनौती दी गई तो दावा किया गया कि यह अमेरिकी संविधान के पांचवें संशोधन के तहत ट्रांसजेंडर्स को मिले अधिकारों का उल्लंघन है। अमेरिकी सेना में हजारों की संख्या में ट्रांसजेंडर्स सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन ये कुल सैनिकों की संख्या का एक प्रतिशत से भी कम है

ट्रंप को भी खूब पसंद आया पीएम मोदी के पॉडकास्ट, अमेरिकी राष्ट्रपति ने शेयर किया “दोस्त”वीडियो

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अमेरिका के लोकप्रिय पॉडकास्टर और कंप्यूटर वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन बातचीत की थी। इस दौरान पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति को अपना दोस्त बताया था और उन्होंने एक साहसिक शख्सियत करार दिया। तीन घंटे से अधिक समय तक चली बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि उनकी और ट्रंप की बॉन्डिंग बहुत अच्छी है, क्योंकि दोनों अपने-अपने देशों को पहले रखते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इससे काफी गदगद नजर आ रहे हैं। तभी तो उन्होंने मोदी के पॉडकास्ट का वीडियो लिंक अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया है।

रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में मोदी ने रविवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता है। वे बेहतर तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं, क्योंकि वे हर चीज से ऊपर अपने राष्ट्रीय हितों को रखने में विश्वास करते हैं। फ्रिडमैन के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट नीति" की जमकर तारीफ की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह उनके "इंडिया फर्स्ट" नजरिए से मेल खाता है। उन्होंने कहा, उनका जीवन उनके देश के लिए था। उनके विचारों में अमेरिका फर्स्ट की भावना झलकती है, ठीक वैसे ही जैसे मैं देश पहले में विश्वास करता हूं। मैं भारत पहले के लिए खड़ा हूं, इसलिए हम इतने अच्छे से जुड़ते हैं। ये ऐसी चीजें हैं जो वास्तव में गूंजती हैं।

पीएम मोदी ने अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम का जिक्र किया। उन्होंने कहा,मैं और राष्ट्रपति ट्रंप वहां मौजूद थे। पूरा स्टेडियम लोगों से खचाखच भरा हुआ था। इतने लोगों का एक जगह पर एकत्र होना अमेरिका के लिए बहुत बड़ी घटना थी। मैंने जब भाषण दे रहा था तो राष्ट्रपति ट्रंप स्टेडियम में कुर्सी पर बैठकर मेरा भाषण सुन रहे थे। यह उनका बड़प्पन है।

पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक साहसी व्यक्ति बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार के दौरान उन पर हत्या की कोशिश की गई। इसके बाद वह बेखौफ रहे। कोई डर नहीं दिखाया और अमेरिका के लिए अडिग रूप से समर्पित रहे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान उन्हें ट्रंप की टीम के सदस्यों से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि उन्होंने मजबूत और सक्षम टीम बनाई है। और इतनी मजबूत टीम के साथ, मुझे लगता है कि वे राष्ट्रपति ट्रंप के दृष्टिकोण को लागू करने में पूरी तरह सक्षम हैं। इस दौरान उन्होंने उपराष्ट्रपति जे डी वेंस, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड, विवेक रामास्वामी और एलन मस्क के साथ अपनी बैठकों को याद किया।

'मैं नहीं चाहता पीएम मोदी और दुनिया के दूसरे नेता राजधानी में गड्ढे देखें', आखिर ट्रंप ने ऐसा क्यों कहा?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी की साफ सफाई को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि वह नहीं चाहते थे कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनसे मिलने आए अन्य वैश्विक नेताओं को वाशिंगटन में संघीय भवनों के पास तंबू और भित्तिचित्र देखने को मिलें। यही कारण है कि वैश्विक नेताओं के दौरे के दौरान उनके रूट को डायवर्ट कराया था। बता दें कि पिछले महीने पीएम मोदी सहित कई नेताओं ने अमेरिका का दौरा किया था।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हम अपने शहर की सफाई करने जा रहे हैं। हम इस महान राजधानी की सफाई करेंगे, और यहां अपराध नहीं होने देंगे। हम भित्तिचित्रों को हटाने जा रहे हैं, और हम पहले से ही टेंट्स को हटा रहे हैं। इसके लिए हम प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने वाशिंगटन डीसी के मेयर म्यूरियल बोसर की तारीफ की और कहा कि वे राजधानी की सफाई का अच्छा काम कर रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि 'हमने कहा कि विदेश विभाग के ठीक सामने बहुत सारे टेंट हैं। उन्हें हटाना होगा और उन्होंने उन्हें तुरंत हटा दिया। हम एक ऐसी राजधानी चाहते हैं जिसकी दुनियाभर में तारीफ हो।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति ये सभी लोग… ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सभी पिछले डेढ़ सप्ताह में मुझसे मिलने आए थे और जब वे आए… तो मैंने मार्ग परिवर्तित कराया था। मैं नहीं चाहता था कि वे तंबू लगे देखें। मैं नहीं चाहता था कि वे भित्तिचित्र देखें। मैं नहीं चाहता था कि वे सड़कों पर टूटे हुए बैरियर और गड्ढे देखें। हमने इसे सुंदर बना दिया।

ट्रंप ने आगे कहा कि हम एक अपराध मुक्त राजधानी बनाने जा रहे हैं। जब यहां लोग आएंगे तो उन्हें लूटा नहीं जाएगा, गोली नहीं मारी जाएगी या दुष्कर्म नहीं किया जाएगा। यह पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित, साफ और बेहतर राजधानी होगी और इसमें ज्यादा समय भी नहीं लगेगा।

41 देशों पर ट्रैवल बैन लगाने की तैयारी में ट्रंप, क्या लिस्ट में भारत का नाम भी?

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दुनिया के अलग-अलग देशों पर अधिक टैरिफ लगाने की बात करने के बाद अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 41 देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की भी तैयारी कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने कुल 41 देशों की कुल 3 लिस्ट बनाई है। जिन्हें तीन अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया है. इस सूची में पाकिस्तान का भी नाम है।

तीन ग्रुप में बांटे गए देश

-पहले ग्रुप में 10 देशों का नाम शामिल है. इन देशों में अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया, क्यूबा और उत्तर कोरिया जैसे देश शामिल हैं। पहले ग्रुप के देशों के वीजा पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी।

-दूसरे समूह में पांच देश यानी इरिट्रिया, हैती, लाओस, म्यांमार और दक्षिण सूडान शामिल हैं। इन्हें आंशिक निलंबन का सामना करना पड़ेगा। पर्यटक और छात्र वीजा के साथ-साथ अन्य आप्रवासी वीजा प्रभावित होंगे, लेकिन कुछ अपवाद भी होंगे।

-तीसरे समूह में कुल 26 देश शामिल हैं। लिस्ट में बेलारूस, पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे देश हैं. इन देशों के नागरिकों के लिए वीजा जारी करने पर आंशिक प्रतिबंध लगाया जा सकता है। हालांकि इन देशों को 60 दिनों में कमियों को दूर करने का प्रयास करना होगा। यह सुरक्षा से जुड़े हो सकते हैं।

सूची में बदलाव संभव

रिपोर्ट के अनुसार एक अज्ञात अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इस सूची में बदलाव संभव है। यानी कुछ नए देशों को जोड़ा जा सकता है, जबकि कुछ देशों को हटा दिया जा सकता है। अंतिम सूची प्रशासन की मंजूरी के बाद ही जारी होगी। अगर ट्रंप प्रशासन वीजा प्रतिबंध लगाता है, तो यह नई नीति नहीं होगी। अपने पहले कार्यकाल में, डोनाल्ड ट्रंप ने सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था, जिसे 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था।

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही 20 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश जारी किया था, जिसमें अमेरिका में प्रवेश चाहने वाले किसी भी विदेशी की सुरक्षा और जांच को और भी सख्त करने की बात कही गई थी। आदेश में कैबिनेट के कई सदस्यों को 21 मार्च तक उन देशों की लिस्ट देने को कहा गया था, जिनके नागरिकों की यात्रा को आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करना चाहिए। इन देशों का नाम इस आधार पर शामिल करना था, जहां जांच और स्क्रीनिंग की प्रक्रिया में भारी कमियां हैं।

भारत पर ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका भी होगा परेशान, महंगी हो जाएंगी दवाएं

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दुनिया में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी से हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिका ने भारत पर भी जवाबी शुल्‍क यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।ट्रंप ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल से भारत से आयात पर भारी शुल्क लगाया जाएगा। इसका असर सिर्फ भारत पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों के लिए गले की फांस बन सकता है। इससे अमेरिका में लाखों मरीजों को महंगी दवाओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भारत का दवा उद्योग भी संकट में आ सकता है।

अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग आधी जेनेरिक दवाएं अकेले भारत से आती हैं। ये दवाएं ब्रांड नाम वाली दवाओं के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। अमेरिका में डॉक्टर मरीजों को जिन 10 दवाओं को लेने की सलाह देते हैं, उनमें से नौ दवाएं भारत जैसे देशों से आयात की जाती हैं। इससे वाशिंगटन को स्वास्थ्य सेवा लागत में अरबों की बचत होती है।

अमेरिका में उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य की 60% से अधिक दवाएँ भारत से आती हैं। मिसाल के तौर पर सबसे ज्यादा सलाह दी गई दवा एंटी-डिप्रेसेंट सेरट्रालाइन की आपूर्ति में भारत की बड़ी भूमिका है, और ये दवाएं गैर-भारतीय कंपनियों की तुलना में आधी कीमत पर मिलती हैं।

उपभोक्ता हितों के लिए काम करने वाली संस्था पब्लिक सिटिजंस के वकील पीटर मेबार्डक ने बीबीसी से कहा कि अमेरिका में हर चार में से एक मरीज पहले ही दवाओं की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें लेने में असमर्थ है। ट्रंप के टैरिफ़ से यह संकट और गहरा सकता है। अमेरिकी अस्पताल और जेनेरिक दवा निर्माता पहले से ही ट्रंप के चीन से आयात पर बढ़ाए गए टैरिफ़ से दबाव में हैं। दवाओं के लिए कच्चे माल का 87% हिस्सा अमेरिका के बाहर से आता है, जिसमें से 40% वैश्विक आपूर्ति चीन से होती है। ट्रंप के कार्यकाल में चीनी आयात पर टैरिफ़ 20% बढ़ने से कच्चे माल की लागत पहले ही बढ़ चुकी है।

भारतीय दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाएं बेचती हैं। वे पहले से ही कम मार्जिन पर काम करती हैं और वे भारी कर का खर्च वहन नहीं कर पाएंगी। वे प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में बहुत कम कीमतों पर बेचती हैं। यही वजह है कि ये दुनिया के सबसे बड़े फार्मा बाजार में हृदय, मानसिक स्वास्थ्य, त्वचाविज्ञान और महिलाओं के स्वास्थ्य की दवाओं में लगातार प्रभुत्व हासिल कर रही हैं।

माना जा रहा है कि न तो अमेरिका और न ही भारत फार्मा आपूर्ति श्रृंखला में टूट का जोखिम उठा सकते हैं। इससे बचने के लिए भारत और अमेरिका एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना है। पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अमेरिका की एक अनिर्धारित यात्रा की थी। इस यात्रा का उद्देश्य व्यापार समझौते पर सहमति बनाना था।

तीसरी बार भी राष्ट्रपति चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे ट्रंप, बोले-संविधान बदलने की सोच रहा हूं

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वह तीसरी बार राष्ट्रपति पद के लिए प्रयास कर सकते हैं। इसके लिए देश की राजनीति में एक बड़े बदलाव का संकेत भी दिया। ट्रंप ने कहा है कि वे तीसरे कार्यकाल के लिए विचार कर रहे हैं और इसके लिए संविधान को बदलने के बारे में सोच रहे हैं। अमेरिका का संविधान किसी भी व्यक्ति को केवल दो बार चुने जाने की अनुमति देता है। हालांकि, रविवार को एनबीसी को एक इंटरव्यू में ट्रंप ने कहा कि वह तीसरी बार भी इस पद पर सेवाएं देना चाहते हैं।

एनबीसी न्यूज चैनल को रविवार को दिए गए इंटरव्यू में कहा कि वे तीसरे कार्यकाल के लिए विचार कर रहे हैं और इसके लिए संविधान को बदलने के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने साफ किया कि मजाक नहीं कर रहे हैं। ऐसे तरीके हैं जिनसे आप ऐसा कर सकते हैं। हालांकि इसके बारे में विचार करना अभी काफी जल्दबाजी होगी। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका की जनता उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें तीसरा कार्यकाल देने के लिए तैयार हो जाएगी।

ट्रंप नवंबर में दूसरी बार राष्ट्रपति चुने गए हैं। इससे पहले वह 2017 से 2021 तक राष्ट्रपति रह चुके हैं। अगर ट्रम्प तीसरी बार राष्ट्रपति बनने की कोशिश करते हैं तो इसके लिए उन्हें संविधान में संशोधन करना होगा। इसके लिए अमेरिकी संसद और राज्यों से समर्थन की जरूरत होगी।

किस रणनीति पर काम कर रहे ट्रंप?

जब ट्रंप से पूछा गया कि क्या उनके पास कोई रणनीति है जिससे वे तीसरी बार चुनाव लड़ सकें, तो ट्रम्प ने जवाब दिया, हां, कुछ तरीके हैं। जब उनसे एक संभावित योजना के बारे में पूछा गया कि क्या उपराष्ट्रपति जे.डी. वेंस 2028 में चुनाव लड़ सकते हैं और फिर ट्रम्प को सत्ता सौंप सकते हैं, तो उन्होंने जवाब दिया, हां, यह एक तरीका हो सकता है, लेकिन और भी तरीके हैं। हालांकि, ट्रंप ने इन तरीकों का खुलासा करने से इनकार कर दिया।

क्या कहता है अमेरिकी संविधान?

संविधान का 22वां संशोधन 1951 में राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूजवेल्ट के लगातार चार बार निर्वाचित होने के बाद जोड़ा गया था। इसमें कहा गया है कि 'कोई भी व्यक्ति राष्ट्रपति के पद पर दो बार से अधिक नहीं चुना जाएगा।

क्या ट्रंप संविधान बदल सकते हैं?

ट्रंप को तीसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव के लिए उतरना है तो उन्हें अमेरिकी संविधान में बदलाव करना होगा, जो इतना आसान नहीं है। ट्रंप को इसके लिए अमेरिकी सीनेट और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव दोनों में दो-तिहाई बहुमत से एक बिल पास कराना होगा। ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास दोनों सदनों में इतने सदस्य नहीं हैं।

सीनेट में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी के पास 100 में से 52 सीनेटर है। वहीं, हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 435 में से 220 सदस्य हैं। ये संविधान संशोधन के लिए आवश्यक दो तिहाई यानी 67% बहुमत से काफी कम है।

अगर ट्रंप ये बहुमत हासिल कर लेते हैं तब भी उनके लिए संविधान में संशोधन करना इतना आसान नहीं होगा। अमेरिकी कांग्रेस के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद इस संशोधन के लिए राज्यों से मंजूरी लेनी होती है।

इसके लिए तीन चौथाई राज्यों का बहुमत मिलन के बाद ही संविधान में संशोधन हो सकता है। यानी 50 अमेरिकी राज्यों में से अगर 38 संविधान में बदलाव के लिए राजी हो जाए तो ही नियम बदल सकते हैं।

क्या अमेरिका भी रूस-चीन की राह पर?

रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन में शी जिनपिंग पहले ही संवैधानिक बदलाव कराकर अपनी सत्ता को लंबा खींच चुके हैं। पुतिन ने रूसी संविधान में संशोधन कर 2036 तक सत्ता में बने रहने का मार्ग प्रशस्त कर लिया, जबकि जिनपिंग ने चीन में राष्ट्रपति पद की समय सीमा को ही खत्म कर दिया। सवाल यह है कि क्या ट्रंप भी इसी राह पर चल रहे हैं?

ट्रंप के करीबी सहयोगी और पूर्व व्हाइट हाउस रणनीतिकार स्टीव बैनन ने हाल ही में दावा किया कि ट्रंप 2028 में फिर से चुनाव लड़ सकते हैं। बैनन के अनुसार, हम इस पर काम कर रहे हैं, और कुछ विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि हम लोकतंत्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन संविधान की भाषा और व्याख्या को लेकर कानूनी विकल्प खोजे जा रहे हैं।

ट्रंप ने रेयर अर्थ डील पर जेलेंस्की को चेताया, बोले-अगर पीछे हटे तो करना होगा बड़ी परेशानी का सामना

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले कुछ समय से यूक्रेन पर खनिजों की डील के लिए दबाव बना रहे हैं। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की जब अमेरिका दौरे पर आए थे, तब दोनों देशों के बीच यूक्रेनी खनिजों की डील होने वाली थी, लेकिन ट्रंप और जेलेंस्की की बहस के बाद यह डील नहीं हो पाई। हालांकि बाद में जेलेंस्की इस डील के लिए तैयार हो गए। फिलहाल यह डील हुई नहीं है और इसके जल्द होने के आसार जताए जा रहे हैं। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप ने जेलेंस्की को मिनरल डील को लेकर चेतावनी दी है।

ट्रंप ने कहा है कि, जेलेंस्की को देखकर मुझे लग रहा हैं कि वह दुर्लभ खनिज के समझौते से पीछे हटने की कोशिश कर रहे हैं और अगर वो ऐसा कुछ करते हैं तो इसका परिणाम ठीक नहीं होगा, उनके लिए मुश्किल खड़ी हो जाएगी। ट्रंप ने कहा, इन्हीं हरकतों की वजह से यूक्रेन नाटो समूह का हिस्सा नहीं बनने वाला है। अगर जेलेंस्की को लग रहा है कि वह खनिज समझौते पर दोबारा बातचीत शुरू करके इससे बच जाएंगे तो ऐसा बिल्कुल नहीं होने वाला है।

रेयर अर्थ डील वॉशिंगटन और कीव के बीच एक खास समझौता है, जिसके तहत अमेरिका रूस के खिलाफ युद्ध में कीव को 35 अरब डॉलर, सैन्य उपकरण की मदद के बदले में यूक्रेन के दुर्लभ खनिज संसाधनों का दोहन करेगा।

जेलेंस्की से पहले ट्रंप ने पुतिन की खड़ी की खाट

वहीं, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जेलेंस्की को धमकाने से पहले रूस की राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी चेतावनी दी थी। ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति पर यूक्रेन के साथ युद्धशांति समझौते में दिक्कत उत्पन्न करने के आरोप लगाए और कहा कि वह राष्ट्रपति पुतिन से काफी नाराज हैं।

रूस पर टैरिफ की धमकी

डोनाल्ड ट्रंप ने शांति समझौते में बाधा डालने के कोशिश को लेकर कहा कि अगर रूस सीजफायर की कोशिश में बाधा डालेगा तो अमेरिका रूसी तेल पर 25 से 50 प्रतिशत तक सेकेंडरी टैरिफ लगा देंगे।

हमारे दोस्त मोदी बुद्धिमान और महान प्रधानमंत्री हैं”, भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर ट्रंप आश्वस्त

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है और उन्हें 'घनिष्ठ मित्र' और 'बहुत स्मार्ट शख्स' बताया है। साथ ही ट्रंप ने भरोसा जताया कि अमेरिकी वस्तुओं पर भारत के उच्च टैरिफ की उनकी लंबे समय से चली आ रही आलोचनाओं के बावजूद, अमेरिका और भारत के बीच चल रही व्यापार वार्ता सकारात्मक समाधान पर पहुंचेगी।

शुक्रवार को वॉइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने उम्मीद जताई कि भारत के साथ चल रही टैरिफ वार्ता बहुत अच्छी तरह से काम करेगी। अमेरिकी राष्ट्रपति ने पत्रकारों से कहा, 'प्रधानमंत्री मोदी हाल ही में यहां आए थे और हम हमेशा से बहुत अच्छे दोस्त रहे हैं। पीएम मोदी को लेकर ट्रंप ने आगे कहा, वे बहुत स्मार्ट व्यक्ति हैं और मेरे बहुत अच्छे मित्र हैं। हमारी बातचीत बहुत अच्छी रही। मुझे लगता है कि भारत और हमारे देश के बीच सब कुछ बहुत अच्छा होने वाला है। उन्होंने आगे कहा, मैं कहना चाहता हूं कि आपके पास एक महान प्रधानमंत्री है।

ट्रंप का इशारा अमेरिका और भारत के बीच चल रही द्विपक्षीय व्यापार समझौता वार्ता की ओर था। यह वार्ता 26 मार्च, 2025 से नई दिल्ली में शुरू हुई, जिसमें अमेरिकी सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में एक टीम भारत आई है। यह टीम 29 मार्च तक भारत में रहकर चर्चा करेगी। अब अमेरिकी राष्‍ट्रपति के प्रधानमंत्री मोदी को दोस्‍त बताने और ‘बातचीत अच्‍छी चलने’ की जानकारी देने से कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर बात बन गई है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी कह चुके हैं कि वार्ता अच्छी तरह से आगे बढ़ रही है और द्विपक्षीय समझौता दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा।

ट्रंप का ताजा बयान ऐसे समय में आया है, जब अमेरिका 2 अप्रैल से भारत समेत कई देशों पर पारस्परिक टैरिफ लागू करने की तैयारी कर रहा है। अगर द्विपक्षीय व्यापार समझौता हो गया तो भारत अमेरिका द्वारा 2 अप्रैल लगाए जाने वाले ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ से बच जाएगा। अगर समझौता होता है, तो भारत-अमेरिका व्यापार को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। नहीं तो टैरिफ वॉर का खतरा बना रहेगा। ट्रंप ने लगातार भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना की है। उन्होंने भारत को टैरिफ किंग कहा है और इसके आयात शुल्क को बहुत अनुचित बताया है।

अमेरिका में चुनाव के नियमों में बदलाव, जानें ट्रंप ने भारत का उदाहरण क्यों दिया?

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब से व्हाइट हाउस में वापसी की है, तब ही से वह देश में नए-नए बदलाव कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप देश की चुनाव प्रणाली में व्यापक बदलाव करने जा रहे हैं। ट्रंप ने मंगलवार, 25 मार्च को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए जिसमें अमेरिका में होने वाले चुनावों में व्यापक बदलाव की मांग की गई।उन्होंने वहां के फेडरल चुनावों (केंद्रीय) में वोटिंग के रजिस्ट्रेशन के लिए नागरिकता का डॉक्यूमेंट प्रूव देना अनिवार्य कर दिया है। यानी जैसे भारत में हम आधार कार्ड या वोटर कार्ड जैसे आधिकारिक आईडी प्रूव देते हैं वैसे ही अमेरिका में अब कोई वहां का नागरिक है, उसका डॉक्यूमेंट दिखाना होगा, तभी जाकर वो खुद को वोट डालने के लिए रजिस्टर कर सकता है।

ट्रंप के नए कार्यकारी आदेश के अनुसार, केवल चुनाव के दिन तक प्राप्त होने वाले मतपत्रों को ही गिनती में शामिल किया जाएगा। अपने ताजा आदेश में ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका अब तक बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा लागू करने में विफल रहा है।

राज्यों से संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने की अपील

नए कार्यकारी आदेश जारी होने के बाद ट्रंप प्रशासन ने राज्यों से मतदाता सूचियों को साझा करने और चुनाव अपराधों पर मुकदमा चलाने के लिए संघीय एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है। सहयोग न करने की स्थिति में संघीय वित्तीय मदद वापस लेने की चेतावनी भी दी गई है। यदि राज्यों के चुनाव अधिकारी संघीय आदेशों का पालन नहीं करते, तो उनके लिए संघीय वित्त पोषण रोका जा सकता है।

भारत का दिया उदाहरण

भारत और कुछ अन्य देशों का हवाला देते हुए, आदेश में कहा गया कि अमेरिका, "स्वशासन वाले अग्रणी देश" होने के बावजूद, आधुनिक, विकसित और विकासशील देशों द्वारा उपाय में लाए जाने वाले बुनियादी और आवश्यक चुनाव सुरक्षा को लागू करने में विफल रहा है। इसमें कहा गया है, उदाहरण के लिए, भारत और ब्राजील मतदाता पहचान को बायोमेट्रिक डेटाबेस से जोड़ रहे हैं, जबकि अमेरिका नागरिकता के लिए यह काफी हद तक स्व-सत्यापन (सेल्फ अटेस्ट करने) पर निर्भर है।

चुनावों में धांधली के आरोप

ट्रंप अक्सर दावा करते हैं कि चुनाव में धांधली हो रही है। 2020 के चुनाव नतीजे आने से पहले ही उन्होंने डेमोक्रेट प्रत्याशी जो बाइडन पर कई गंभीर आरोप लगाए थे। चुनाव में मिली हार के बाद से ही ट्रंप मतदान से जुड़े कई कानूनों का खुलकर विरोध कर रहे हैं और बार-बार धोखाधड़ी के आरोप लगा रहे हैं।

हमने उन्हें बेनकाब कर दिया”...,टैरिफ पर ट्रंप ने भारत को लेकर दिया बड़ा बयान

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत को लेकर धमकी भरे अंदाज में बात की है। ट्रंप ने दो अप्रैल से भारत पर भी टैरिफ वाला “चाबुक” चलाने की बात दोहराई है। ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो 2 अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है।

अमेरिकी समाचार वेबसाइट ‘ब्रेइटबार्ट न्यूज’ के साथ साक्षात्कार में ट्रंप ने भारत के साथ अमेरिका के संबंधों पर चर्चा की। वेबसाइट ने ट्रंप के हवाले से कहा, भारत के साथ उनके बेहद अच्छे संबंध हैं। लेकिन, मेरी एकमात्र समस्या यह है कि वह दुनिया में सबसे अधिक शुल्क लगाने वाले देशों में से एक हैं।

ट्रंप ने कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि भारत, अमेरिकी सामान पर लगने वाले टैरिफ को कम करेगा। हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि अगर भारत ऐसा नहीं करता है तो 2 अप्रैल से उनकी सरकार भी भारत पर उतना ही टैरिफ लगाएगी, जितना भारत द्वारा लगाया जाता है।

बता दें कि ट्रंप पहले ही एलान कर चुके हैं कि 2 अप्रैल से वे भी व्यापार सहयोगी देशों पर पारस्परिक टैरिफ लगाएंगे। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर को लेकर ट्रंप ने कहा कि यह शानदार देशों का समूह है, जो उन देशों का मुकाबला करेगा, जो हमारे व्यापार को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर पर बीते महीने पीएम मोदी के अमेरिका दौरे पर भी अहम बातचीत हुई थी।

इससे पहले ट्रंप ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि भारत अपने शुल्क में काफी कटौती करने पर सहमत हो गया है। उन्होंने अपना यह दावा भी दोहराया था कि अमेरिका पर भारत भारी शुल्क लगाता है, जिससे वहां उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाता है।

डोनाल्ड ट्रंप को कोर्ट से बड़ा झटका, कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स के सेना में शामिल होने पर लगी रोक हटाई

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डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका राष्ट्रपति पद की शपथ ली एक के बाद एक कई बड़े फैसले लिए। उनमें कुछ पर विवाद भी हुआ। इसी क्रम में डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर साइन करके अमेरिकी की मिलिट्री में शामिल ट्रांसजेंडर समुदाय पर बैन लगा दिया था। अब एक फेडरल जज ने समानता के सिद्धांत का हवाला देते हुए ट्रंप प्रशासन के इस बैन को ही सस्पेंड कर दिया है।

वाशिंगटन डीसी में न्यायाधीश एना रेयेस ने अपने आदेश में कहा है कि ट्रंप का ट्रांसजेंडर सैनिकों को सैन्य सेवा से बाहर करने का आदेश संभवत: उनके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करता है। उन्होंने प्रशासन को अपील करने के लिए समय देते हुए अपने आदेश को तीन दिन के लिए टाल दिया।

दरअसल,सेना में सेवा दे रहे छह ट्रांसजेंडर्स और सेना में शामिल होने के इच्छुक दो ट्रांसजेंडर्स ने अदालत में याचिका दायर की थी, जिस पर संघीय जज ने यह प्रारंभिक निषेधाज्ञा जारी की है।

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के तुरंत बाद 27 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें कहा गया है कि ट्रांसजेंडर सैन्यकर्मियों की यौन पहचान सैनिकों की सम्मानजनक, सत्यनिष्ठ और अनुशासित जीवनशैली के प्रति प्रतिबद्धता के साथ टकराव करती है। जिसके तहत ट्रांसजेंडर्स लोगों के सेना में भर्ती होने पर रोक लगा दी गई थी। इस आदेश के जवाब में रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने जेंडर डिस्फोरिया वाले लोगों को सैन्य सेवाओं के लिए अयोग्य घोषित करने की नीति जारी की।

जेंडर डिस्फोरिया वह अवस्था है, जिसमें किसी व्यक्ति का निर्धारित लिंग और उसकी लिंग पहचान मेल नहीं खाते। चिकित्सा स्थिति में इसे अवसाद और आत्महत्या के विचारों से जोड़ा जाता है। अदालत में जब इस आदेश को चुनौती दी गई तो दावा किया गया कि यह अमेरिकी संविधान के पांचवें संशोधन के तहत ट्रांसजेंडर्स को मिले अधिकारों का उल्लंघन है। अमेरिकी सेना में हजारों की संख्या में ट्रांसजेंडर्स सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन ये कुल सैनिकों की संख्या का एक प्रतिशत से भी कम है

ट्रंप को भी खूब पसंद आया पीएम मोदी के पॉडकास्ट, अमेरिकी राष्ट्रपति ने शेयर किया “दोस्त”वीडियो

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अमेरिका के लोकप्रिय पॉडकास्टर और कंप्यूटर वैज्ञानिक लेक्स फ्रिडमैन के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिन बातचीत की थी। इस दौरान पीएम मोदी ने अमेरिका के राष्ट्रपति को अपना दोस्त बताया था और उन्होंने एक साहसिक शख्सियत करार दिया। तीन घंटे से अधिक समय तक चली बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि उनकी और ट्रंप की बॉन्डिंग बहुत अच्छी है, क्योंकि दोनों अपने-अपने देशों को पहले रखते हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इससे काफी गदगद नजर आ रहे हैं। तभी तो उन्होंने मोदी के पॉडकास्ट का वीडियो लिंक अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर किया है।

रिसर्चर लेक्स फ्रिडमैन के साथ बातचीत में मोदी ने रविवार को कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके बीच परस्पर विश्वास का रिश्ता है। वे बेहतर तरीके से एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं, क्योंकि वे हर चीज से ऊपर अपने राष्ट्रीय हितों को रखने में विश्वास करते हैं। फ्रिडमैन के साथ बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट नीति" की जमकर तारीफ की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह उनके "इंडिया फर्स्ट" नजरिए से मेल खाता है। उन्होंने कहा, उनका जीवन उनके देश के लिए था। उनके विचारों में अमेरिका फर्स्ट की भावना झलकती है, ठीक वैसे ही जैसे मैं देश पहले में विश्वास करता हूं। मैं भारत पहले के लिए खड़ा हूं, इसलिए हम इतने अच्छे से जुड़ते हैं। ये ऐसी चीजें हैं जो वास्तव में गूंजती हैं।

पीएम मोदी ने अमेरिका के ह्यूस्टन में आयोजित 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम का जिक्र किया। उन्होंने कहा,मैं और राष्ट्रपति ट्रंप वहां मौजूद थे। पूरा स्टेडियम लोगों से खचाखच भरा हुआ था। इतने लोगों का एक जगह पर एकत्र होना अमेरिका के लिए बहुत बड़ी घटना थी। मैंने जब भाषण दे रहा था तो राष्ट्रपति ट्रंप स्टेडियम में कुर्सी पर बैठकर मेरा भाषण सुन रहे थे। यह उनका बड़प्पन है।

पॉडकास्ट में पीएम मोदी ने ट्रंप की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक साहसी व्यक्ति बताया। प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्रचार के दौरान उन पर हत्या की कोशिश की गई। इसके बाद वह बेखौफ रहे। कोई डर नहीं दिखाया और अमेरिका के लिए अडिग रूप से समर्पित रहे।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान उन्हें ट्रंप की टीम के सदस्यों से मिलने का अवसर मिला। उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि उन्होंने मजबूत और सक्षम टीम बनाई है। और इतनी मजबूत टीम के साथ, मुझे लगता है कि वे राष्ट्रपति ट्रंप के दृष्टिकोण को लागू करने में पूरी तरह सक्षम हैं। इस दौरान उन्होंने उपराष्ट्रपति जे डी वेंस, राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड, विवेक रामास्वामी और एलन मस्क के साथ अपनी बैठकों को याद किया।

'मैं नहीं चाहता पीएम मोदी और दुनिया के दूसरे नेता राजधानी में गड्ढे देखें', आखिर ट्रंप ने ऐसा क्यों कहा?

#trump_says_never_wanted_pm_modi_to_see_tent_and_graffiti_washington

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वाशिंगटन डीसी की साफ सफाई को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि वह नहीं चाहते थे कि भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनसे मिलने आए अन्य वैश्विक नेताओं को वाशिंगटन में संघीय भवनों के पास तंबू और भित्तिचित्र देखने को मिलें। यही कारण है कि वैश्विक नेताओं के दौरे के दौरान उनके रूट को डायवर्ट कराया था। बता दें कि पिछले महीने पीएम मोदी सहित कई नेताओं ने अमेरिका का दौरा किया था।

डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि हम अपने शहर की सफाई करने जा रहे हैं। हम इस महान राजधानी की सफाई करेंगे, और यहां अपराध नहीं होने देंगे। हम भित्तिचित्रों को हटाने जा रहे हैं, और हम पहले से ही टेंट्स को हटा रहे हैं। इसके लिए हम प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। उन्होंने वाशिंगटन डीसी के मेयर म्यूरियल बोसर की तारीफ की और कहा कि वे राजधानी की सफाई का अच्छा काम कर रहे हैं। ट्रंप ने कहा कि 'हमने कहा कि विदेश विभाग के ठीक सामने बहुत सारे टेंट हैं। उन्हें हटाना होगा और उन्होंने उन्हें तुरंत हटा दिया। हम एक ऐसी राजधानी चाहते हैं जिसकी दुनियाभर में तारीफ हो।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे कहा कि जब भारत के प्रधानमंत्री मोदी, फ्रांस के राष्ट्रपति ये सभी लोग… ब्रिटेन के प्रधानमंत्री सभी पिछले डेढ़ सप्ताह में मुझसे मिलने आए थे और जब वे आए… तो मैंने मार्ग परिवर्तित कराया था। मैं नहीं चाहता था कि वे तंबू लगे देखें। मैं नहीं चाहता था कि वे भित्तिचित्र देखें। मैं नहीं चाहता था कि वे सड़कों पर टूटे हुए बैरियर और गड्ढे देखें। हमने इसे सुंदर बना दिया।

ट्रंप ने आगे कहा कि हम एक अपराध मुक्त राजधानी बनाने जा रहे हैं। जब यहां लोग आएंगे तो उन्हें लूटा नहीं जाएगा, गोली नहीं मारी जाएगी या दुष्कर्म नहीं किया जाएगा। यह पहले से कहीं ज्यादा सुरक्षित, साफ और बेहतर राजधानी होगी और इसमें ज्यादा समय भी नहीं लगेगा।

41 देशों पर ट्रैवल बैन लगाने की तैयारी में ट्रंप, क्या लिस्ट में भारत का नाम भी?

#trumpisnowpreparingtoimposetravelbanon41countries

दुनिया के अलग-अलग देशों पर अधिक टैरिफ लगाने की बात करने के बाद अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 41 देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगाने की भी तैयारी कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, ट्रंप प्रशासन ने कुल 41 देशों की कुल 3 लिस्ट बनाई है। जिन्हें तीन अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया है. इस सूची में पाकिस्तान का भी नाम है।

तीन ग्रुप में बांटे गए देश

-पहले ग्रुप में 10 देशों का नाम शामिल है. इन देशों में अफगानिस्तान, ईरान, सीरिया, क्यूबा और उत्तर कोरिया जैसे देश शामिल हैं। पहले ग्रुप के देशों के वीजा पर पूरी तरह से रोक लगा दी जाएगी।

-दूसरे समूह में पांच देश यानी इरिट्रिया, हैती, लाओस, म्यांमार और दक्षिण सूडान शामिल हैं। इन्हें आंशिक निलंबन का सामना करना पड़ेगा। पर्यटक और छात्र वीजा के साथ-साथ अन्य आप्रवासी वीजा प्रभावित होंगे, लेकिन कुछ अपवाद भी होंगे।

-तीसरे समूह में कुल 26 देश शामिल हैं। लिस्ट में बेलारूस, पाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान जैसे देश हैं. इन देशों के नागरिकों के लिए वीजा जारी करने पर आंशिक प्रतिबंध लगाया जा सकता है। हालांकि इन देशों को 60 दिनों में कमियों को दूर करने का प्रयास करना होगा। यह सुरक्षा से जुड़े हो सकते हैं।

सूची में बदलाव संभव

रिपोर्ट के अनुसार एक अज्ञात अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इस सूची में बदलाव संभव है। यानी कुछ नए देशों को जोड़ा जा सकता है, जबकि कुछ देशों को हटा दिया जा सकता है। अंतिम सूची प्रशासन की मंजूरी के बाद ही जारी होगी। अगर ट्रंप प्रशासन वीजा प्रतिबंध लगाता है, तो यह नई नीति नहीं होगी। अपने पहले कार्यकाल में, डोनाल्ड ट्रंप ने सात मुस्लिम बहुल देशों के नागरिकों पर यात्रा प्रतिबंध लगाया था, जिसे 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था।

डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति बनते ही 20 जनवरी को एक कार्यकारी आदेश जारी किया था, जिसमें अमेरिका में प्रवेश चाहने वाले किसी भी विदेशी की सुरक्षा और जांच को और भी सख्त करने की बात कही गई थी। आदेश में कैबिनेट के कई सदस्यों को 21 मार्च तक उन देशों की लिस्ट देने को कहा गया था, जिनके नागरिकों की यात्रा को आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिबंधित करना चाहिए। इन देशों का नाम इस आधार पर शामिल करना था, जहां जांच और स्क्रीनिंग की प्रक्रिया में भारी कमियां हैं।

भारत पर ट्रंप के टैरिफ से अमेरिका भी होगा परेशान, महंगी हो जाएंगी दवाएं

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दुनिया में अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी से हड़कंप मचा हुआ है। अमेरिका ने भारत पर भी जवाबी शुल्‍क यानी रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की चेतावनी दी है।ट्रंप ने घोषणा की है कि 2 अप्रैल से भारत से आयात पर भारी शुल्क लगाया जाएगा। इसका असर सिर्फ भारत पर ही नहीं पड़ेगा, बल्कि ट्रंप का टैरिफ अमेरिकियों के लिए गले की फांस बन सकता है। इससे अमेरिका में लाखों मरीजों को महंगी दवाओं का सामना करना पड़ सकता है, जबकि भारत का दवा उद्योग भी संकट में आ सकता है।

अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली लगभग आधी जेनेरिक दवाएं अकेले भारत से आती हैं। ये दवाएं ब्रांड नाम वाली दवाओं के मुकाबले काफी सस्ती होती हैं। अमेरिका में डॉक्टर मरीजों को जिन 10 दवाओं को लेने की सलाह देते हैं, उनमें से नौ दवाएं भारत जैसे देशों से आयात की जाती हैं। इससे वाशिंगटन को स्वास्थ्य सेवा लागत में अरबों की बचत होती है।

अमेरिका में उच्च रक्तचाप और मानसिक स्वास्थ्य की 60% से अधिक दवाएँ भारत से आती हैं। मिसाल के तौर पर सबसे ज्यादा सलाह दी गई दवा एंटी-डिप्रेसेंट सेरट्रालाइन की आपूर्ति में भारत की बड़ी भूमिका है, और ये दवाएं गैर-भारतीय कंपनियों की तुलना में आधी कीमत पर मिलती हैं।

उपभोक्ता हितों के लिए काम करने वाली संस्था पब्लिक सिटिजंस के वकील पीटर मेबार्डक ने बीबीसी से कहा कि अमेरिका में हर चार में से एक मरीज पहले ही दवाओं की ऊंची कीमतों के कारण उन्हें लेने में असमर्थ है। ट्रंप के टैरिफ़ से यह संकट और गहरा सकता है। अमेरिकी अस्पताल और जेनेरिक दवा निर्माता पहले से ही ट्रंप के चीन से आयात पर बढ़ाए गए टैरिफ़ से दबाव में हैं। दवाओं के लिए कच्चे माल का 87% हिस्सा अमेरिका के बाहर से आता है, जिसमें से 40% वैश्विक आपूर्ति चीन से होती है। ट्रंप के कार्यकाल में चीनी आयात पर टैरिफ़ 20% बढ़ने से कच्चे माल की लागत पहले ही बढ़ चुकी है।

भारतीय दवा कंपनियां बड़े पैमाने पर जेनेरिक दवाएं बेचती हैं। वे पहले से ही कम मार्जिन पर काम करती हैं और वे भारी कर का खर्च वहन नहीं कर पाएंगी। वे प्रतिस्पर्धी कंपनियों की तुलना में बहुत कम कीमतों पर बेचती हैं। यही वजह है कि ये दुनिया के सबसे बड़े फार्मा बाजार में हृदय, मानसिक स्वास्थ्य, त्वचाविज्ञान और महिलाओं के स्वास्थ्य की दवाओं में लगातार प्रभुत्व हासिल कर रही हैं।

माना जा रहा है कि न तो अमेरिका और न ही भारत फार्मा आपूर्ति श्रृंखला में टूट का जोखिम उठा सकते हैं। इससे बचने के लिए भारत और अमेरिका एक व्यापार समझौते पर बातचीत कर रहे हैं। इसका लक्ष्य दोनों देशों के बीच व्यापार को बढ़ाना है। पिछले सप्ताह वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने अधिकारियों के साथ चर्चा के लिए अमेरिका की एक अनिर्धारित यात्रा की थी। इस यात्रा का उद्देश्य व्यापार समझौते पर सहमति बनाना था।