/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1728120807932935.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs1/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs4/1630055818836552.png/home/streetbuzz1/public_html/ajaydev/system/../storage/avatars/thumbs5/1630055818836552.png StreetBuzz s:trump
कभी अमेरिका के आतंकियों के लिस्ट में था नाम, अब उससे रियाद में मिले राष्ट्रपति ट्रंप

#trumpmeetssyrianleaderal_shara

डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है, तब से उन्होंने अपने फैसलों से दुनिया को टौंका कर रख दिया है। इस बार अपनी मध्य पूर्व यात्रा के दौरान ट्रंप ने सीरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान किया। यही नहीं, ट्रंप ने सीरिया के लीडर अहमद अल-शरा से भी मुलाकात की है। सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा वही शख्स हैं, जो पिछले साल तक अमेरिकी आतंकी सूची में था।

13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से रियाद में मुलाकात की। उनके साथ सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी थे। डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अल-शरा से अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने और इजरायल को मान्यता देने को कहा है। इसके अलावा ट्रंप ने सीरिया पर लगे 13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान किया। साथ ही कहा कि हमें उम्मीद है कि सीरिया की नई सरकार देश में स्थिरता और शांति लाएगी।

क्राउन प्रिंस और एर्दोआन भी बैठक में हुए शामिल

डोनाल्ड ट्रंप और सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के बीच बैठक लगभग 33 मिनट तक चली, जिसमें सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी मौजूद रहे और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने वीडियो कॉल के जरिए हिस्सा लिया। बैठक के बाद ट्रंप ने बताया कि उन्हें अल-शरा से मिलने के लिए सऊदी और तुर्की नेताओं ने प्रेरित किया। साथ ही इस बैठक के बाद ट्रंप ने ऐलान किया कि सीरिया पर 2011 से लगे आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीरिया में अब एक नई सरकार है जो देश में शांति और स्थिरता ला सकती है। यही हम देखना चाहते हैं।

ट्रंप की इस मुलाकात पर उठ रहे सवाल

अल-शरा सीरिया के चरमपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम के प्रमुख है। इसी संगठन ने सीरिया से बशर अल-असद के तख्तापलट में अहम भूमिका निभाई है और अल-कायदा से जुड़े रहे हैं। ये संगठन भी अमेरिका की प्रतिबंधित सूची में शामिल है। ट्रंप की इस मुलाकात के बाद उनके ऊपर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, जिस अमेरिका ने आतंकवाद को खत्म करने के नाम पर मध्य पूर्व के कई देशों में बम गिराए उसका नेता आज एक ‘आतंकवादी’ से मिल रहा है।

अल-शरा ने उखाड़ फेंका असद की सरकार

सीरिया में बशर अल-असद ने लगभग 25 सालों तक सख़्ती के साथ शासन किया था और अक्सर पश्चिमी देशों सहित कई अन्य देश इसकी निंदा भी करते रहे हैं। लेकिन पिछले साल नवंबर में हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस के नेतृत्व वाले विद्रोहियों ने असद सरकार को उखाड़ फेंका और देश पर कब्जा कर लिया। बशर अल-असद के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद एचटीएस के प्रमुख अहमद अल-शरा उर्फ अबू मोहम्मद अल जुलानी देश की कमान संभाल रहे हैं।

क्या सीजफायर के लिए ट्रंप ने दी थी ट्रेड ना करने की धमकी? भारत ने खारिज किया ट्रंप का दावा


#trumponindiapakistanceasefire

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को दूसरों के बीच ‘टांग अड़ाने’ की बुरी आदत है। ट्रंप ने भारत पाकिस्‍तान सैन्‍य संघर्ष के बीच कूदकर भी अपनी फजीहत करायी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि हमने परमाणु युद्ध रुकवाया है। भारत और पाकिस्तान का नेतृत्व अडिग और शक्तिशाली था। उन्होंने यहां तक कहा कि हमने भारत और पाकिस्तान को व्यापार बंद करने को लेकर धमकाया। अगर युद्धविराम नहीं किया तो व्यापार नहीं करेंगे। ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों ने तुरंत माना और सीजफायर हुआ।ट्रंप ने इससे पहले भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम में मध्यस्थता का दावा किया था, जिसे भारत ने तुरंत खारिज कर दिया था।

व्यापार को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया?

ट्रंप ने कहा, "...मुझे आपको यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि भारत और पाकिस्तान का नेतृत्व अडिग और शक्तिशाली था, लेकिन दोनों मामलों में अडिग - वे वास्तव में ताकत, बुद्धि और धैर्य रखने के दृष्टिकोण से अडिग थे, ताकि वे स्थिति की गंभीरता को पूरी तरह से समझ सकें। हमने इस पूरे मामले में काफी मदद की। सिर्फ कूटनीतिक रूप से नहीं, बल्कि व्यापार के जरिये भी हमने उन्‍हें समझाया।ट्रंप ने कहा कि उन्होंने व्यापार को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया।

ट्रंप ने क्या कहा?

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, मैंने कहा- चलो, हम आप लोगों के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं। चलो इसे रोकते हैं, चलो इसे रोकते हैं। यदि आप इसे रोकते हैं, तो हम व्यापार कर रहे हैं। यदि आप इसे नहीं रोकते हैं, तो हम कोई व्यापार नहीं करने जा रहे हैं। लोगों ने वास्तव में कभी भी व्यापार का उपयोग उस तरह से नहीं किया है जिस तरह से मैंने किया है। इससे, मैं आपको बता सकता हूं, और अचानक उन्होंने कहा। मुझे लगता है कि हम इसे रोकने जा रहे हैं, और उन्होंने ऐसा किया।"

संघर्षविराम को लेकर पहले भी कर चुके हैं दावा

इससे पहले ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम हुआ। उन्होंने सबसे पहले यह घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान में संघर्षविराम हो गया है। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने संघर्षविराम की पुष्टि की। इतना ही नहीं, इसके तुरंत बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने तो यहां तक दावा कर दिया कि दोनों देश किसी तटस्थ देश में बैठक कर विवादों पर बातचीत करेंगे। हालांकि, भारत ने साफ कर दिया कि इस संघर्षविराम में किसी भी तीसरे देश की भूमिका नहीं है।

अमेरिका-चीन में 'सीजफायर', टैरिफ पर ट्रंप और जिनपिंग में बनी बात

#trumpjinpingceasefiretariffwar

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच दुनिया के दो और ताकतवर देशों के बीच का गतिरोध कम होता दिख रहा है। यहां बात हो रही है- अमेरिका और चीन की। दरअसल, अमेरिका और चीन में आखिरकार ‘व्यापार युद्ध’ को कम करने के लिए सहमति बन गई है। वाशिंगटन और बीजिंग दोनों ने रेसिप्रोकल टैरिफ को कम करने के लिए एक समझौते पर सहमति व्यक्त की है। दोनों देश अलगे 90 दिनों के लिए एक-दूसरे पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को 115% कम करेंगे।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने कहा है कि चीन से आने वाले ज्यादातर सामान पर टैरिफ 145% से घटाकर 30% कर दिया जाएगा। यह व्यवस्था 14 मई से लागू होगी और शुरुआत में 90 दिन के लिए रहेगी। दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच स्विट्जरलैंड के जेनेवा में दो दिन तक बैठक चली थी। चीन ने कहा है कि वह अमेरिकी सामान पर पहले लगाए गए 91% के अतिरिक्त टैक्स को भी हटा देगा। दोनों देशों के बीच हुई इस डील से उन उद्योगों को राहत मिलेगा जो टैरिफ की वजह से बहुत परेशान थे।

दुनियाभर के बाजारों में उछाल

अमेरिका और चीन के ट्रेड वॉर पर इस ‘सीजफायर’ से दुनिया में खुशी की लहर देखी जा सकती है। इस ऐलान के बाद हांगकांग के शेयर मार्केट इंडेक्स हेंगशेंग में 3 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। जबकि चीन के शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में भी तेजी का रुख रहा है। भारत में भी सोमवार को शेयर बाजारों में काफी तेज गति देखी गई। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी आने, सीमा पर सीजफायर होने से जहां बाजार को ताकत मिली। वहीं चीन और अमेरिका की डील से ग्लोबल ट्रेड मार्केट पर छाए संकट के बादल छंटने से बाजार को उम्मीद मिली और उसने दमभर कर उछाल मारा। अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वॉर से ग्लोबल सप्लाई चेन को लेकर एक बड़ा संकट पैदा हो गया था। इसकी वजह से दोनों देशों के बीच होने वाला करीब 600 अरब डॉलर (करीब 50,969 अरब रुपये) का ट्रेड रुक गया था।

यूएस-चीन के बीच कम हो सकता है तनाव कम

चूंकि अमेरिका ने अबतक चीन से आने वाले सामानों पर 145% का टैरिफ लगा रखा था, वो अब 90 दिनों के लिए कम होकर 30% ही रह जाएगा। वहीं चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125% का टैरिफ लगा रखा था जो कम होकर केवल 10% पर आ जाएगा। टैरिफ में यह कमी चीन की तरफ से आर्थिक तनाव को कम करने और अमेरिका के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने की कोशिश है। इस घोषणा से पता चलता है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम हो सकता है। पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर काफी तनातनी चल रही थी।

अब गैर-अमेरिकी फिल्मों पर चला ट्रंप का “चाबुक”, लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ

#donaldtrumpannounces100tariffformoviesproducedoutside

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ को लेकर दुनियाभर में हाहाकार मचा है। तमाम देश ट्रंप के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका से बाहर बनने वाली फिल्मों पर 100% का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री तेजी से खत्म हो रही है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर दी। अपने पोस्ट में, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को इस तरह के टैरिफ को तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत किया है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा, यह अन्य देशों द्वारा एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। बाकी सब चीज़ों के अलावा, यह मैसेंजिंग और प्रोपेगेंडा भी है!

अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही-ट्रंप

ट्रंप ने लिखा अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही है। अन्य देश हमारे फिल्म प्रोड्यूसर्स और स्टूडियो को अमेरिका से दूर खींचने के लिए हर तरह का प्रोत्साहन दे रहे हैं। हॉलीवुड और यूएसए के कई अन्य क्षेत्र तबाह हो रहे हैं। यह अन्य राष्ट्रों का एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह, बाकी सब चीजों के अलावा, मैसेंजिंग और प्रोपेगैंडा है! इसलिए, मैं डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को हमारे देश में आने वाली किसी भी और विदेशी भूमि में निर्मित सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं। हम दोबारा अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी पोस्ट में आगे 100 प्रतिशत टैरिफ का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, मैं वाणिज्य विभाग और संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को तुरंत हमारे देश में आने वाली सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं, जो विदेशी भूमि में बनाई गई हैं। हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

ट्रंप ने दो अप्रैल को लगाया था जवाबी टैरिफ

बता दें कि ट्रंप ने इससे पहले 2 अप्रैल को भारत और चीन सहित दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया था, जिसके बाद से दुनिया भर की स्टॉक मार्केट पर भी इसका असर देखने को मिला था। हालांकि, इसके बाद नौ अप्रैल को ट्रंप चीन और हॉन्गकॉन्ग को छोड़कर नौ जुलाई तक टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित करने की घोषणा की थी। क्योंकि लगभग 75 देशों ने व्यापार सौदों के लिए अमेरिका से संपर्क किया था। हालांकि इन देशों पर लगाया गया 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ अभी भी प्रभावी है। इसके अलावा स्टील, एल्युमीनियम और ऑटो कलपुर्जों पर 25 प्रतिशत शुल्क भी लागू है। ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा चीन प्रभावित हुआ है।

भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर में लंबा तनाव…,पहलगाम हमले पर बोले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप

#donald_trump_on_pahalgam_terrorist_attack

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत को दुनियाभर के देशों का समर्थन मिल रहा है। अमेरिका और रूस जैसे ताकतवर देश आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की बात कर रहे हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर बयान दिया है। कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए उन्होंने इसे 'बुरा हमला' कहा। उन्होंने माना कि कश्मीर में आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है।

ट्रंप ने यह बात उस समय कही जब वे रोम जाने के लिए एयर फोर्स वन विमान में सवार थे। साथ ही पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी पहली टिप्पणी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को बुरा बताया। एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच तनाव लंबे समय से चल रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों पक्ष इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।

भारत और पाकिस्तान के बहुत करीब-ट्रंप

कश्मीर में हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने जवाब दिया, मैं भारत के बहुत करीब हूं और पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं, जैसा कि आप जानते हैं। और कश्मीर में वे एक हजार साल से लड़ रहे हैं। कश्मीर एक हजार साल से चल रहा है, शायद उससे भी अधिक समय से। कल का (आतंकवादी हमला) बहुत बुरा था, वह बहुत बुरा था, जिसमें 30 लोग मारे गए।

दोनों नेता खुद सुलझा लेंगे तनाव-ट्रंप

साथ ही ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद पर कहा कि भारत पाकिस्तान के बीच सीमा पर 1,500 सालों से तनाव रहा है। यह नया नहीं है। लेकिन मुझे भरोसा है कि भारत और पाकिस्तान इसे किसी तरह से सुलझा लेंगे। मैं दोनों नेताओं को जानता हूं। वे इसे किसी न किसी तरह से खुद ही सुलझा लेंगे।

पहले भी कर चुके हैं आतंकी हमले की कड़ी निंदा

जब ट्रंप ने पूछा गया कि क्या वे दोनों नेताओं से संपर्क करेंगे, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करके आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने इस जघन्य हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने में भारत को पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया था। प्रधानमंत्री मोदी से बात करने से पहले ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में हमले को लेकर गहरी चिंता जताई थी। उन्होंने लिखा, कश्मीर से बेहद परेशान करने वाली खबर आई है। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

मुश्किल वक्त में भारत को मिला दोस्तों का साथ, ट्रंप-पुतिन ने दिया समर्थन

#trumptalkedwithpmmodiputinreactiononpahalgam_attack

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम हमले के बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। उन्होंने आतंकी हमले के पीड़ितों के प्रति संवेदना जताई। हमले की निंदा करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया। वहीं दूसरी ओर, पीएम मोदी के मित्र और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है और भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, कश्मीर से आई खबर बेहद परेशान करने वाली है। अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। हम मृतकों की आत्मा की शांति और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और भारत के अद्भुत लोगों को हमारा पूरा समर्थन और गहरी संवेदना है।

अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ

इस बारे में अपडेट देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया और जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में निर्दोष लोगों की जान जाने पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और इस जघन्य हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए भारत को पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक साथ खड़े हैं।

पुतिन ने किया आतंकियों को कठोर सजा देने का समर्थन

वहीं दूसरी ओर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी को संदेश भेजकर संवेदना व्यक्त की और कहा, इस क्रूर अपराध को किसी भी मायने में सही ठहराया नहीं जा सकता। हम उम्मीद करते हैं कि हमला करने वालों को सख्त सजा मिलेगी। पुतिन ने रूस की ओर से भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, पहलगाम में पर्यटकों पर हुए जघन्य आतंकी हमले पर भारत के लोगों और सरकार के प्रति गहरी संवेदना। रूस आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

'आप अपने से 20 गुना बड़े व्यक्ति से युद्ध शुरू नहीं कर सकते', एक बार फिर ट्रंप ने जेलेंस्की को सरेआम “धोया”


#trump_zelensky_ukraine_war_blame

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से खासे नाराज नजर आए। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर रूस के साथ युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "आप अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको कुछ मिसाइलें दे देंगे। ट्रंप का ये बयान यूक्रेन के शहर सूमी में सोमवार को हुए रूसी हमले के बाद आया है। सूमी पर इस रूसी स्ट्राइक ने कम से कम 35 लोगों की जान ली है। जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अल सल्वाडोर के अध्यक्ष नायब बुकेले से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने मीडिया से बात की और इस दौरान ही उन्होंने जेलेंस्की को लेकर ये बयान दिया और साथ ही तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी युद्ध के लिए जिम्मेदार माना। डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन का युद्ध बताया है। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की पर बाइडेन के साथ मिलकर इस त्रासदी को शुरू करने की अनुमति देने में बिल्कुल भयानक काम करने का आरोप लगाया है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, तीन लोगों की वजह से लाखों लोग मारे गए। हम पुतिन को नंबर एक कहें, लेकिन बाइडेन जिन्हें पता नहीं था कि वह क्या कर रहे हैं, नंबर दो और ज़ेलेंस्की। ट्रंप ने आगे कहा, जब आप युद्ध शुरू करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आप युद्ध जीत सकते हैं। अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और युद्ध शुरू होने पर फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको मिसाइलें दे देंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि मेरा इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन मैं मौत और विनाश को रोकने के लिए लगन से काम कर रहा हूं। अगर 2020 का राष्ट्रपति चुनाव धांधली वाला नहीं होता, जो वो कई तरह से धांधली वाला था, तो यह भयानक युद्ध कभी नहीं होता। लेकिन वह अतीत है। अब हमें इसे रोकना होगा और इसे जल्दी रोकना होगा। ये बहुत दुखद है।

आपको बता दें कि इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन के शहर सुमी में रूसी हमले को भी काम कम करने आका था। उस हमले में दो बच्चों सहित 35 लोग मारे गए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को "गलती" बताया था। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि यह भयानक था, और मुझे बताया गया कि उन्होंने गलती की, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक भयानक बात है। मुझे लगता है कि पूरा युद्ध एक भयानक बात है।

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 125% टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन का अगला कदम क्या हो सकता है?

#chinasnextbigstepaftertrumpincreasedtariffto125percent

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को लागू हुए चीनी आयात पर टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% करने के बाद चीन के साथ व्यापार युद्ध को और तेज कर दिया है।

सोशल मीडिया पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह कई अन्य व्यापारिक साझेदारों पर अपने तथाकथित "पारस्परिक टैरिफ" को रोक रहे हैं, क्योंकि उन्होंने जवाबी कार्रवाई करने के बजाय बातचीत के लिए आगे आकर जवाब दिया था। उन्होंने चीन पर "सम्मान की कमी" का आरोप लगाया। बीजिंग ने भी उसी तरह जवाब दिया, बुधवार को ट्रंप के पिछले टैरिफ की तरह ही अमेरिकी आयात पर 84% टैरिफ लगा दिया। जनवरी में पदभार संभालने के बाद से ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ को पांच बार बढ़ाया है।

चीन आगे क्या कर सकता है, यहां बताया गया है

चीन ने दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध में "अंत तक लड़ने" की बार-बार कसम खाई है। इसने यह भी कहा कि इसने ट्रम्प प्रशासन द्वारा "धमकाने" की रणनीति का हवाला देते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज की है। पिनपॉइंट एसेट मैनेजमेंट के मुख्य अर्थशास्त्री झिवेई झांग ने AFP को बताया कि चीन ने "स्पष्ट संकेत" दिया है कि वह पीछे नहीं हटेगा, साथ ही कहा कि संघर्ष से "(कोई) त्वरित और आसान रास्ता नहीं है"। 

स्काई न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात को और नियंत्रित कर सकता है। इन खनिजों का उपयोग कंप्यूटर चिप्स और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी जैसे उच्च तकनीक वाले उत्पादों में किया जाता है। चीन दुनिया की दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है। यह कृषि वस्तुओं जैसे उच्च प्रभाव वाले उत्पादों पर टैरिफ भी बढ़ा सकता है और Apple और Tesla जैसी हाई-प्रोफाइल अमेरिकी कंपनियों को निशाना बना सकता है। हालाँकि, बाद वाला मुश्किल है क्योंकि चीन अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग अमेरिकी फिल्मों के आयात पर प्रतिबंध लगाने या सभी अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार करने पर भी विचार कर सकता है।

 इससे पहले, कम्युनिस्ट पार्टी समर्थित पीपुल्स डेली के सप्ताहांत संपादकीय में टैरिफ को चीन के लिए आर्थिक विकास के मुख्य चालक के रूप में उपभोग को मजबूत करने के लिए एक "रणनीतिक अवसर" के रूप में वर्णित किया गया था, एएफपी के अनुसार। हमें "दबाव को प्रेरणा में बदलना चाहिए"। 

अब फार्मा सेक्टर पर भी टैरिफ लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, जानें भारत पर क्या असर?

#donaldtrumpsaysuswillsoonannouncetariffson_pharmaceutical

हर तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा है। दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप अभी रूकने के मूड मे नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब एलान किया है कि जल्द ही दवाओं के आयात पर शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर बड़े टैरिफ की घोषणा करेगा।

विदेश में दवा बना रही कंपनियों को वापस लाना है-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। अब उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। हालांकि, ट्रंप दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy's, Aurobindo Pharma और Gland Pharma जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं और उनके शेयर बुधवार को दबाव में नजर आए.

अभी फार्मा पर कितना टैरिफ है?

आपको बता दें कि फिलहाल भारत देश अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा पर करीब 10 फ़ीसदी का टैरिफ चार्ज वसूलता है जबकि अमेरिका देश भारत से आने वाले फार्मा आयात पर किसी भी प्रकार का टैरिफ नहीं वसूलता है. आने वाले समय में अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो इससे भारतीय फार्मा कंपनियों के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

#tradewartrumpamericaimposed104tariffonchina

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'

कभी अमेरिका के आतंकियों के लिस्ट में था नाम, अब उससे रियाद में मिले राष्ट्रपति ट्रंप

#trumpmeetssyrianleaderal_shara

डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिका के राष्ट्रपति का पद संभाला है, तब से उन्होंने अपने फैसलों से दुनिया को टौंका कर रख दिया है। इस बार अपनी मध्य पूर्व यात्रा के दौरान ट्रंप ने सीरिया पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने का ऐलान किया। यही नहीं, ट्रंप ने सीरिया के लीडर अहमद अल-शरा से भी मुलाकात की है। सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा वही शख्स हैं, जो पिछले साल तक अमेरिकी आतंकी सूची में था।

13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा से रियाद में मुलाकात की। उनके साथ सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी थे। डोनाल्ड ट्रंप ने सीरिया के राष्ट्रपति अल-शरा से अब्राहम समझौते पर हस्ताक्षर करने और इजरायल को मान्यता देने को कहा है। इसके अलावा ट्रंप ने सीरिया पर लगे 13 साल पुराने प्रतिबंध हटाने का एलान किया। साथ ही कहा कि हमें उम्मीद है कि सीरिया की नई सरकार देश में स्थिरता और शांति लाएगी।

क्राउन प्रिंस और एर्दोआन भी बैठक में हुए शामिल

डोनाल्ड ट्रंप और सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल-शरा के बीच बैठक लगभग 33 मिनट तक चली, जिसमें सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी मौजूद रहे और तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोआन ने वीडियो कॉल के जरिए हिस्सा लिया। बैठक के बाद ट्रंप ने बताया कि उन्हें अल-शरा से मिलने के लिए सऊदी और तुर्की नेताओं ने प्रेरित किया। साथ ही इस बैठक के बाद ट्रंप ने ऐलान किया कि सीरिया पर 2011 से लगे आर्थिक प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीरिया में अब एक नई सरकार है जो देश में शांति और स्थिरता ला सकती है। यही हम देखना चाहते हैं।

ट्रंप की इस मुलाकात पर उठ रहे सवाल

अल-शरा सीरिया के चरमपंथी संगठन हयात तहरीर अल-शाम के प्रमुख है। इसी संगठन ने सीरिया से बशर अल-असद के तख्तापलट में अहम भूमिका निभाई है और अल-कायदा से जुड़े रहे हैं। ये संगठन भी अमेरिका की प्रतिबंधित सूची में शामिल है। ट्रंप की इस मुलाकात के बाद उनके ऊपर कई सवाल उठाए जा रहे हैं, जिस अमेरिका ने आतंकवाद को खत्म करने के नाम पर मध्य पूर्व के कई देशों में बम गिराए उसका नेता आज एक ‘आतंकवादी’ से मिल रहा है।

अल-शरा ने उखाड़ फेंका असद की सरकार

सीरिया में बशर अल-असद ने लगभग 25 सालों तक सख़्ती के साथ शासन किया था और अक्सर पश्चिमी देशों सहित कई अन्य देश इसकी निंदा भी करते रहे हैं। लेकिन पिछले साल नवंबर में हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस के नेतृत्व वाले विद्रोहियों ने असद सरकार को उखाड़ फेंका और देश पर कब्जा कर लिया। बशर अल-असद के सत्ता से बेदख़ल होने के बाद एचटीएस के प्रमुख अहमद अल-शरा उर्फ अबू मोहम्मद अल जुलानी देश की कमान संभाल रहे हैं।

क्या सीजफायर के लिए ट्रंप ने दी थी ट्रेड ना करने की धमकी? भारत ने खारिज किया ट्रंप का दावा


#trumponindiapakistanceasefire

अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को दूसरों के बीच ‘टांग अड़ाने’ की बुरी आदत है। ट्रंप ने भारत पाकिस्‍तान सैन्‍य संघर्ष के बीच कूदकर भी अपनी फजीहत करायी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा है कि हमने परमाणु युद्ध रुकवाया है। भारत और पाकिस्तान का नेतृत्व अडिग और शक्तिशाली था। उन्होंने यहां तक कहा कि हमने भारत और पाकिस्तान को व्यापार बंद करने को लेकर धमकाया। अगर युद्धविराम नहीं किया तो व्यापार नहीं करेंगे। ट्रंप ने कहा कि दोनों देशों ने तुरंत माना और सीजफायर हुआ।ट्रंप ने इससे पहले भारत-पाकिस्तान संघर्षविराम में मध्यस्थता का दावा किया था, जिसे भारत ने तुरंत खारिज कर दिया था।

व्यापार को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया?

ट्रंप ने कहा, "...मुझे आपको यह बताते हुए बहुत गर्व हो रहा है कि भारत और पाकिस्तान का नेतृत्व अडिग और शक्तिशाली था, लेकिन दोनों मामलों में अडिग - वे वास्तव में ताकत, बुद्धि और धैर्य रखने के दृष्टिकोण से अडिग थे, ताकि वे स्थिति की गंभीरता को पूरी तरह से समझ सकें। हमने इस पूरे मामले में काफी मदद की। सिर्फ कूटनीतिक रूप से नहीं, बल्कि व्यापार के जरिये भी हमने उन्‍हें समझाया।ट्रंप ने कहा कि उन्होंने व्यापार को एक रणनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल किया।

ट्रंप ने क्या कहा?

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा, मैंने कहा- चलो, हम आप लोगों के साथ बहुत सारा व्यापार करने जा रहे हैं। चलो इसे रोकते हैं, चलो इसे रोकते हैं। यदि आप इसे रोकते हैं, तो हम व्यापार कर रहे हैं। यदि आप इसे नहीं रोकते हैं, तो हम कोई व्यापार नहीं करने जा रहे हैं। लोगों ने वास्तव में कभी भी व्यापार का उपयोग उस तरह से नहीं किया है जिस तरह से मैंने किया है। इससे, मैं आपको बता सकता हूं, और अचानक उन्होंने कहा। मुझे लगता है कि हम इसे रोकने जा रहे हैं, और उन्होंने ऐसा किया।"

संघर्षविराम को लेकर पहले भी कर चुके हैं दावा

इससे पहले ट्रंप ने दावा किया था कि अमेरिका की मध्यस्थता में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम हुआ। उन्होंने सबसे पहले यह घोषणा की थी कि भारत और पाकिस्तान में संघर्षविराम हो गया है। इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने संघर्षविराम की पुष्टि की। इतना ही नहीं, इसके तुरंत बाद अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने तो यहां तक दावा कर दिया कि दोनों देश किसी तटस्थ देश में बैठक कर विवादों पर बातचीत करेंगे। हालांकि, भारत ने साफ कर दिया कि इस संघर्षविराम में किसी भी तीसरे देश की भूमिका नहीं है।

अमेरिका-चीन में 'सीजफायर', टैरिफ पर ट्रंप और जिनपिंग में बनी बात

#trumpjinpingceasefiretariffwar

भारत और पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच दुनिया के दो और ताकतवर देशों के बीच का गतिरोध कम होता दिख रहा है। यहां बात हो रही है- अमेरिका और चीन की। दरअसल, अमेरिका और चीन में आखिरकार ‘व्यापार युद्ध’ को कम करने के लिए सहमति बन गई है। वाशिंगटन और बीजिंग दोनों ने रेसिप्रोकल टैरिफ को कम करने के लिए एक समझौते पर सहमति व्यक्त की है। दोनों देश अलगे 90 दिनों के लिए एक-दूसरे पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ को 115% कम करेंगे।

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने कहा है कि चीन से आने वाले ज्यादातर सामान पर टैरिफ 145% से घटाकर 30% कर दिया जाएगा। यह व्यवस्था 14 मई से लागू होगी और शुरुआत में 90 दिन के लिए रहेगी। दोनों देशों के प्रतिनिधियों के बीच स्विट्जरलैंड के जेनेवा में दो दिन तक बैठक चली थी। चीन ने कहा है कि वह अमेरिकी सामान पर पहले लगाए गए 91% के अतिरिक्त टैक्स को भी हटा देगा। दोनों देशों के बीच हुई इस डील से उन उद्योगों को राहत मिलेगा जो टैरिफ की वजह से बहुत परेशान थे।

दुनियाभर के बाजारों में उछाल

अमेरिका और चीन के ट्रेड वॉर पर इस ‘सीजफायर’ से दुनिया में खुशी की लहर देखी जा सकती है। इस ऐलान के बाद हांगकांग के शेयर मार्केट इंडेक्स हेंगशेंग में 3 प्रतिशत का उछाल देखा गया है। जबकि चीन के शंघाई कंपोजिट इंडेक्स में भी तेजी का रुख रहा है। भारत में भी सोमवार को शेयर बाजारों में काफी तेज गति देखी गई। भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव में कमी आने, सीमा पर सीजफायर होने से जहां बाजार को ताकत मिली। वहीं चीन और अमेरिका की डील से ग्लोबल ट्रेड मार्केट पर छाए संकट के बादल छंटने से बाजार को उम्मीद मिली और उसने दमभर कर उछाल मारा। अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वॉर से ग्लोबल सप्लाई चेन को लेकर एक बड़ा संकट पैदा हो गया था। इसकी वजह से दोनों देशों के बीच होने वाला करीब 600 अरब डॉलर (करीब 50,969 अरब रुपये) का ट्रेड रुक गया था।

यूएस-चीन के बीच कम हो सकता है तनाव कम

चूंकि अमेरिका ने अबतक चीन से आने वाले सामानों पर 145% का टैरिफ लगा रखा था, वो अब 90 दिनों के लिए कम होकर 30% ही रह जाएगा। वहीं चीन ने अमेरिकी सामानों पर 125% का टैरिफ लगा रखा था जो कम होकर केवल 10% पर आ जाएगा। टैरिफ में यह कमी चीन की तरफ से आर्थिक तनाव को कम करने और अमेरिका के साथ बातचीत को आगे बढ़ाने की कोशिश है। इस घोषणा से पता चलता है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम हो सकता है। पिछले कुछ महीनों से दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर काफी तनातनी चल रही थी।

अब गैर-अमेरिकी फिल्मों पर चला ट्रंप का “चाबुक”, लगाया 100 प्रतिशत टैरिफ

#donaldtrumpannounces100tariffformoviesproducedoutside

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जवाबी टैरिफ को लेकर दुनियाभर में हाहाकार मचा है। तमाम देश ट्रंप के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अमेरिका से बाहर बनने वाली फिल्मों पर 100% का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है।उन्होंने इसकी घोषणा करते हुए कहा कि अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री तेजी से खत्म हो रही है। उन्होंने इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने यह जानकारी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ पर दी। अपने पोस्ट में, उन्होंने दावा किया कि उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि को इस तरह के टैरिफ को तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत किया है। ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पोस्ट में कहा, यह अन्य देशों द्वारा एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। बाकी सब चीज़ों के अलावा, यह मैसेंजिंग और प्रोपेगेंडा भी है!

अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही-ट्रंप

ट्रंप ने लिखा अमेरिका में फिल्म इंडस्ट्री बहुत तेजी से मर रही है। अन्य देश हमारे फिल्म प्रोड्यूसर्स और स्टूडियो को अमेरिका से दूर खींचने के लिए हर तरह का प्रोत्साहन दे रहे हैं। हॉलीवुड और यूएसए के कई अन्य क्षेत्र तबाह हो रहे हैं। यह अन्य राष्ट्रों का एक ठोस प्रयास है और इसलिए, राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। यह, बाकी सब चीजों के अलावा, मैसेंजिंग और प्रोपेगैंडा है! इसलिए, मैं डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स और अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को हमारे देश में आने वाली किसी भी और विदेशी भूमि में निर्मित सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं। हम दोबारा अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं-ट्रंप

ट्रंप ने अपनी पोस्ट में आगे 100 प्रतिशत टैरिफ का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, मैं वाणिज्य विभाग और संयुक्त राज्य अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि को तुरंत हमारे देश में आने वाली सभी फिल्मों पर 100% टैरिफ लगाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकृत कर रहा हूं, जो विदेशी भूमि में बनाई गई हैं। हम फिर से अमेरिका में बनी फिल्में चाहते हैं!

ट्रंप ने दो अप्रैल को लगाया था जवाबी टैरिफ

बता दें कि ट्रंप ने इससे पहले 2 अप्रैल को भारत और चीन सहित दुनिया के कई देशों पर टैरिफ लगाया था, जिसके बाद से दुनिया भर की स्टॉक मार्केट पर भी इसका असर देखने को मिला था। हालांकि, इसके बाद नौ अप्रैल को ट्रंप चीन और हॉन्गकॉन्ग को छोड़कर नौ जुलाई तक टैरिफ को 90 दिनों के लिए निलंबित करने की घोषणा की थी। क्योंकि लगभग 75 देशों ने व्यापार सौदों के लिए अमेरिका से संपर्क किया था। हालांकि इन देशों पर लगाया गया 10 प्रतिशत का बेसलाइन टैरिफ अभी भी प्रभावी है। इसके अलावा स्टील, एल्युमीनियम और ऑटो कलपुर्जों पर 25 प्रतिशत शुल्क भी लागू है। ट्रंप के टैरिफ से सबसे ज्यादा चीन प्रभावित हुआ है।

भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर में लंबा तनाव…,पहलगाम हमले पर बोले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप

#donald_trump_on_pahalgam_terrorist_attack

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के बाद भारत को दुनियाभर के देशों का समर्थन मिल रहा है। अमेरिका और रूस जैसे ताकतवर देश आतंक के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई की बात कर रहे हैं। इस बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर बयान दिया है। कश्मीर में हुए आतंकी हमले की निंदा करते हुए उन्होंने इसे 'बुरा हमला' कहा। उन्होंने माना कि कश्मीर में आतंकवादी हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है।

ट्रंप ने यह बात उस समय कही जब वे रोम जाने के लिए एयर फोर्स वन विमान में सवार थे। साथ ही पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पहलगाम आतंकी हमले के बाद अपनी पहली टिप्पणी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले को बुरा बताया। एयरफोर्स वन में पत्रकारों से बात करते हुए ट्रंप ने कहा कि बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच तनाव लंबे समय से चल रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि दोनों पक्ष इस मुद्दे को सुलझा लेंगे।

भारत और पाकिस्तान के बहुत करीब-ट्रंप

कश्मीर में हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बारे में पूछे जाने पर ट्रंप ने जवाब दिया, मैं भारत के बहुत करीब हूं और पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं, जैसा कि आप जानते हैं। और कश्मीर में वे एक हजार साल से लड़ रहे हैं। कश्मीर एक हजार साल से चल रहा है, शायद उससे भी अधिक समय से। कल का (आतंकवादी हमला) बहुत बुरा था, वह बहुत बुरा था, जिसमें 30 लोग मारे गए।

दोनों नेता खुद सुलझा लेंगे तनाव-ट्रंप

साथ ही ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान सीमा विवाद पर कहा कि भारत पाकिस्तान के बीच सीमा पर 1,500 सालों से तनाव रहा है। यह नया नहीं है। लेकिन मुझे भरोसा है कि भारत और पाकिस्तान इसे किसी तरह से सुलझा लेंगे। मैं दोनों नेताओं को जानता हूं। वे इसे किसी न किसी तरह से खुद ही सुलझा लेंगे।

पहले भी कर चुके हैं आतंकी हमले की कड़ी निंदा

जब ट्रंप ने पूछा गया कि क्या वे दोनों नेताओं से संपर्क करेंगे, तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि, इससे पहले डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करके आतंकी हमले की कड़ी निंदा की थी। उन्होंने इस जघन्य हमले के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाने में भारत को पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया था। प्रधानमंत्री मोदी से बात करने से पहले ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में हमले को लेकर गहरी चिंता जताई थी। उन्होंने लिखा, कश्मीर से बेहद परेशान करने वाली खबर आई है। आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

मुश्किल वक्त में भारत को मिला दोस्तों का साथ, ट्रंप-पुतिन ने दिया समर्थन

#trumptalkedwithpmmodiputinreactiononpahalgam_attack

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहलगाम हमले के बाद मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की। उन्होंने आतंकी हमले के पीड़ितों के प्रति संवेदना जताई। हमले की निंदा करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत को पूर्ण समर्थन का भरोसा दिया। वहीं दूसरी ओर, पीएम मोदी के मित्र और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी इस हमले की कड़ी निंदा की है और भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले के तुरंत बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की और पीड़ितों के प्रति अपनी संवेदनाएं व्यक्त की। ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, कश्मीर से आई खबर बेहद परेशान करने वाली है। अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। हम मृतकों की आत्मा की शांति और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की प्रार्थना करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी और भारत के अद्भुत लोगों को हमारा पूरा समर्थन और गहरी संवेदना है।

अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ

इस बारे में अपडेट देते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने एक्स पर लिखा, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन किया और जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले में निर्दोष लोगों की जान जाने पर अपनी गहरी संवेदना व्यक्त की और इस जघन्य हमले के अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए भारत को पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक साथ खड़े हैं।

पुतिन ने किया आतंकियों को कठोर सजा देने का समर्थन

वहीं दूसरी ओर, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम मोदी को संदेश भेजकर संवेदना व्यक्त की और कहा, इस क्रूर अपराध को किसी भी मायने में सही ठहराया नहीं जा सकता। हम उम्मीद करते हैं कि हमला करने वालों को सख्त सजा मिलेगी। पुतिन ने रूस की ओर से भारत के साथ आतंकवाद के खिलाफ सहयोग को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, पहलगाम में पर्यटकों पर हुए जघन्य आतंकी हमले पर भारत के लोगों और सरकार के प्रति गहरी संवेदना। रूस आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ मजबूती से खड़ा है।

'आप अपने से 20 गुना बड़े व्यक्ति से युद्ध शुरू नहीं कर सकते', एक बार फिर ट्रंप ने जेलेंस्की को सरेआम “धोया”


#trump_zelensky_ukraine_war_blame

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से खासे नाराज नजर आए। ट्रंप ने ज़ेलेंस्की पर रूस के साथ युद्ध शुरू करने का आरोप लगाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "आप अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको कुछ मिसाइलें दे देंगे। ट्रंप का ये बयान यूक्रेन के शहर सूमी में सोमवार को हुए रूसी हमले के बाद आया है। सूमी पर इस रूसी स्ट्राइक ने कम से कम 35 लोगों की जान ली है। जिसकी पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में अल सल्वाडोर के अध्यक्ष नायब बुकेले से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ट्रंप ने मीडिया से बात की और इस दौरान ही उन्होंने जेलेंस्की को लेकर ये बयान दिया और साथ ही तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को भी युद्ध के लिए जिम्मेदार माना। डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन का युद्ध बताया है। उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमीर जेलेंस्की पर बाइडेन के साथ मिलकर इस त्रासदी को शुरू करने की अनुमति देने में बिल्कुल भयानक काम करने का आरोप लगाया है। 

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, तीन लोगों की वजह से लाखों लोग मारे गए। हम पुतिन को नंबर एक कहें, लेकिन बाइडेन जिन्हें पता नहीं था कि वह क्या कर रहे हैं, नंबर दो और ज़ेलेंस्की। ट्रंप ने आगे कहा, जब आप युद्ध शुरू करते हैं, तो आपको पता होना चाहिए कि आप युद्ध जीत सकते हैं। अपने से 20 गुना बड़े किसी व्यक्ति के खिलाफ युद्ध शुरू नहीं करते और युद्ध शुरू होने पर फिर उम्मीद करते हैं कि लोग आपको मिसाइलें दे देंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने आगे कहा कि मेरा इस युद्ध से कोई लेना-देना नहीं था, लेकिन मैं मौत और विनाश को रोकने के लिए लगन से काम कर रहा हूं। अगर 2020 का राष्ट्रपति चुनाव धांधली वाला नहीं होता, जो वो कई तरह से धांधली वाला था, तो यह भयानक युद्ध कभी नहीं होता। लेकिन वह अतीत है। अब हमें इसे रोकना होगा और इसे जल्दी रोकना होगा। ये बहुत दुखद है।

आपको बता दें कि इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन के शहर सुमी में रूसी हमले को भी काम कम करने आका था। उस हमले में दो बच्चों सहित 35 लोग मारे गए थे। डोनाल्ड ट्रंप ने हमले को "गलती" बताया था। उन्होंने कहा था कि मुझे लगता है कि यह भयानक था, और मुझे बताया गया कि उन्होंने गलती की, लेकिन मुझे लगता है कि यह एक भयानक बात है। मुझे लगता है कि पूरा युद्ध एक भयानक बात है।

डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 125% टैरिफ लगाए जाने के बाद चीन का अगला कदम क्या हो सकता है?

#chinasnextbigstepaftertrumpincreasedtariffto125percent

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को लागू हुए चीनी आयात पर टैरिफ को 104% से बढ़ाकर 125% करने के बाद चीन के साथ व्यापार युद्ध को और तेज कर दिया है।

सोशल मीडिया पोस्ट में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि वह कई अन्य व्यापारिक साझेदारों पर अपने तथाकथित "पारस्परिक टैरिफ" को रोक रहे हैं, क्योंकि उन्होंने जवाबी कार्रवाई करने के बजाय बातचीत के लिए आगे आकर जवाब दिया था। उन्होंने चीन पर "सम्मान की कमी" का आरोप लगाया। बीजिंग ने भी उसी तरह जवाब दिया, बुधवार को ट्रंप के पिछले टैरिफ की तरह ही अमेरिकी आयात पर 84% टैरिफ लगा दिया। जनवरी में पदभार संभालने के बाद से ट्रंप ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ को पांच बार बढ़ाया है।

चीन आगे क्या कर सकता है, यहां बताया गया है

चीन ने दुनिया की शीर्ष दो अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध में "अंत तक लड़ने" की बार-बार कसम खाई है। इसने यह भी कहा कि इसने ट्रम्प प्रशासन द्वारा "धमकाने" की रणनीति का हवाला देते हुए विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज की है। पिनपॉइंट एसेट मैनेजमेंट के मुख्य अर्थशास्त्री झिवेई झांग ने AFP को बताया कि चीन ने "स्पष्ट संकेत" दिया है कि वह पीछे नहीं हटेगा, साथ ही कहा कि संघर्ष से "(कोई) त्वरित और आसान रास्ता नहीं है"। 

स्काई न्यूज़ की एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन दुर्लभ पृथ्वी खनिजों के निर्यात को और नियंत्रित कर सकता है। इन खनिजों का उपयोग कंप्यूटर चिप्स और इलेक्ट्रिक वाहन बैटरी जैसे उच्च तकनीक वाले उत्पादों में किया जाता है। चीन दुनिया की दुर्लभ पृथ्वी खनिजों की आपूर्ति के एक बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है। यह कृषि वस्तुओं जैसे उच्च प्रभाव वाले उत्पादों पर टैरिफ भी बढ़ा सकता है और Apple और Tesla जैसी हाई-प्रोफाइल अमेरिकी कंपनियों को निशाना बना सकता है। हालाँकि, बाद वाला मुश्किल है क्योंकि चीन अधिक विदेशी निवेश आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, बीजिंग अमेरिकी फिल्मों के आयात पर प्रतिबंध लगाने या सभी अमेरिकी उत्पादों का बहिष्कार करने पर भी विचार कर सकता है।

 इससे पहले, कम्युनिस्ट पार्टी समर्थित पीपुल्स डेली के सप्ताहांत संपादकीय में टैरिफ को चीन के लिए आर्थिक विकास के मुख्य चालक के रूप में उपभोग को मजबूत करने के लिए एक "रणनीतिक अवसर" के रूप में वर्णित किया गया था, एएफपी के अनुसार। हमें "दबाव को प्रेरणा में बदलना चाहिए"। 

अब फार्मा सेक्टर पर भी टैरिफ लगाएंगे डोनाल्ड ट्रंप, जानें भारत पर क्या असर?

#donaldtrumpsaysuswillsoonannouncetariffson_pharmaceutical

हर तरफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ की चर्चा है। दुनियाभर के 180 से अधिक देशों पर 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ लगाने के बाद ट्रंप अभी रूकने के मूड मे नहीं दिख रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अब एलान किया है कि जल्द ही दवाओं के आयात पर शुल्क लगाया जाएगा। ट्रंप ने मंगलवार को कहा कि अमेरिका जल्द ही दवा आयात पर बड़े टैरिफ की घोषणा करेगा।

विदेश में दवा बना रही कंपनियों को वापस लाना है-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दवाएं दूसरे देशों में बनती हैं और इसके लिए आपको ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है। लंदन में जो दवा 88 डॉलर में बिकती है, वही दवा अमेरिका में 1300 डॉलर में बिक रही है। अब यह सब खत्म हो जाएगा। अब उनका मकसद विदेश में दवा बना रही कंपनियों को अमेरिका में वापस लाना और घरेलू दवा इंडस्ट्री को बढ़ावा देना है।

टैरिफ लगाने से फार्मा कंपनियां वापस आएंगी-ट्रंप

ट्रंप ने कहा कि दूसरे देश दवाओं की कीमतों को कम रखने के लिए बहुत ज्यादा दबाव बनाते हैं। वहां ये कंपनियां सस्ती दवा बेचती हैं लेकिन अमेरिका में ऐसा नहीं होता है। एक बार जब इन दवा कंपनियों पर टैरिफ लग जाएगा तो ये सारी कंपनियां अमेरिका वापस आ जाएंगी, क्योंकि अमेरिका बहुत बड़ा बाजार है। हालांकि, ट्रंप दवाओं पर कब से और कितना टैरिफ लगाएंगे, इसकी तारीख उन्होंने नहीं बताई है।

भारतीय फार्मा कंपनियों पर असर

अगर अमेरिका दवाओं पर भी टैरिफ लगाने का फैसला लेता है तो इसका भारत पर भी असर पड़ेगा। भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारतीय फार्मास्यूटिकल्स कंपनियां हर साल अमेरिका को 40% जेरेनिक दवाएं भेजती हैं। ऐसे में ट्रंप के इस फैसले का सीधा असर भारतीय फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा। Sun Pharma, Lupin, Dr. Reddy's, Aurobindo Pharma और Gland Pharma जैसी कंपनियां अमेरिकी बाजार पर काफी निर्भर हैं और उनके शेयर बुधवार को दबाव में नजर आए.

अभी फार्मा पर कितना टैरिफ है?

आपको बता दें कि फिलहाल भारत देश अमेरिका से आयात होने वाले फार्मा पर करीब 10 फ़ीसदी का टैरिफ चार्ज वसूलता है जबकि अमेरिका देश भारत से आने वाले फार्मा आयात पर किसी भी प्रकार का टैरिफ नहीं वसूलता है. आने वाले समय में अगर डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ लगाते हैं तो इससे भारतीय फार्मा कंपनियों के बिजनेस पर बड़ा प्रभाव पड़ेगा.

लागू हो गया ट्रंप का नया टैरिफ: चीन पर फिर चला अमेरिकी “चाबुक”

#tradewartrumpamericaimposed104tariffonchina

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ बुधवार आधी रात के बाद पूरी तरह से लागू हो गए।अमेरिका के स्थानीय समयानुसार मंगलवार आधी रात से भारत समेत दर्जनों देशों पर ट्रंप का जवाबी टैरिफ लागू हो गया है।इसके तहत भारत पर अब 26 फीसदी टैरिफ प्रभावी हो गया है। इसके साथ ही उन लगभग 60 देशों पर भी टैरिफ लग गए, जिन्हें ट्रंप प्रशासन ने अमेरिका पर 'सबसे अधिक टैरिफ लगाने वाले सबसे खराब देश' बताया था। ट्रंप ने 2 अप्रैल को जवाबी टैरिफ का एलान किया था।

नया टैरिफ लागू होने से पहले अमेरिका ने चीन पर एक बार फिर “चाबुक” चलाया है। अमेरिका ने चीनी सामानों पर अतिरिक्त टैरिफ को प्रभावी करने का फैसला लिया है। व्हाइट हाउस ने ऐलान किया है कि चीनी इलेक्ट्रिक वाहनों पर 104 फीसदी टैरिफ लागू हो गया है और अतिरिक्त शुल्क मंगलवार आधी रात यानी 9 अप्रैल से शुरू हो जाएंगे। यह वॉशिंगटन और बीजिंग के बीच जारी ट्रेड वॉर में अब तक उठाए गए सबसे आक्रामक कदमों में से एक है। फॉक्स बिजनेस के अनुसार, व्हाइट हाउस प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि चीन ने अमेरिका पर अपने प्रतिशोधी टैरिफ को नहीं हटाया है। ऐसे में अमेरिका कल, 9 अप्रैल से चीनी आयात पर कुल 104% टैरिफ लगाना शुरू कर देगा।

चीन की धमकी के बाद यूएस का एक्शन

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को चीन पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कही थी। डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा था कि अगर चीन ने अमेरिका पर लगाए गए 34% टैरिफ को वापस नहीं लिया, तो अमेरिका भी उस पर 50% अतिरिक्त टैरिफ लगाएगा। अब व्हाइट हाउस की ओर से इस धमकी को अमलीजामा पहनाते हुए कुल 104% टैरिफ की घोषणा कर दी गई है।

बता दें कि ट्रंप ने चीन की ओर से अमेरिकी सामानों पर 34 प्रतिशत का जवाबी टैरिफ लगाने के बाद ये चेतावनी दी थी।

चीन ने कहा था- अमेरिका का ब्लैकमेलिंग वाला रवैया

ट्रंप के बयान पर कल चीन ने कहा था कि हमारे ऊपर लगे टैरिफ को और बढ़ाने की धमकी देकर अमेरिका गलती के ऊपर गलती कर रहा है। इस धमकी से अमेरिका का ब्लैकमेलिंग करने वाला रवैया सामने आ रहा है। चीन इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा। अगर अमेरिका अपने हिसाब से चलने की जिद करेगा तो चीन भी आखिर तक लड़ेगा।

रविवार को चीन ने दुनिया के लिए साफ संदेश भेजा था- ‘अगर ट्रेड वॉर हुआ, तो चीन पूरी तरह तैयार है- और इससे और मजबूत होकर निकलेगा।‘ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र पीपल्स डेली ने रविवार को एक टिप्पणी में लिखा: 'अमेरिकी टैरिफ का असर जरूर होगा, लेकिन 'आसमान नहीं गिरेगा।'