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बिना कुछ खाए व्हाइट हाउस से निकले जेलेंस्की, ऐसे होती है दो देशों के नेताओं के बीच मुलाकात?

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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। बातचीत के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के बीच जोरदार बहस हो गई। जेलेंस्की अपने दावे कर रहे थे तो ट्रंप अपने तेवर दिखा रहे थे।रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लेकर हो रही बातचीत अचानक जुबानी जंग में तब्दील हो गई। ट्रंप और जेलेंस्की एक-दूसरे से बहस करते और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आए। नौबत यहां तक पहुंच गई कि ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से चले जाने और समझौते को तैयार होने के बाद ही वार्ता के लिए आने को कह दिया।

ट्रंप ने जिस तरह से जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर जाने को कहा, उसे साफ तौर पर बेइज्जत करके बाहर निकालना कहते हैं। यहां तक की इतनी दूर से आए किसी देश के मुखिया को अपने घर पर निमंत्रित कर खाने तक को नहीं पूछा गया। तीखी नोकझोंक के बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहते थे कि सब ठीक हो जाए। ट्रंप से आगे की बात की जाए। दुनिया को नया संदेश दिया जाए कि ऑल इज वेल। पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कहां मानने वाले थे। उन्होंने साफ-साफ संदेश भिजवा दिया। कह दो जेलेंस्की से कि वो चला जाए।

जेलेंस्की के साथ तकरार के बाद ट्रंप ने अपने सलाहकारों के साथ बातचीत की और वहां से निकल गए। दूसरी ओर यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल करीब एक घंटे तक दूसरे कमरे में इंतजार करता रहा। यूक्रेनी डेलीगेशन को उम्मीद थी कि खनिज सौदे पर हस्ताक्षर हो जाएंगे और यात्रा को खराब होने से बचाया जा सकेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस छोड़ने के लिए कह दिया। ऐसे में जेलेंस्की को खाली हाथ वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जेलेंस्की का दौरा कितने खराब माहौल में खत्म हुआ इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद उन्होंने अपने दो सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द कर दिए। उन्होंने एक्स पर अमेरिका का धन्यवाद करते हुए लिखा कि यूक्रेन को स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम उसके लिए काम कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जेलेंस्की बिना खाना खाए ही वाइट हाउस से लौट गए।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ओवल ऑफिस में हुई बहस के बाद वाइट हाउस के अंदर एक बार फिर जेलेंस्की की बेइज्जती हुई। ओवल ऑफिस में हुई बहस के फौरन बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रमुख सलाहकारों के साथ बैठक की। जेलेंस्की संग क्या किया जाए और क्या नहीं, इस पर ट्रंप ने चर्चा की। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने वेंस, रुबियो, बेसेंट आदि से सलाह ली। यहीं पर ट्रंप ने फैसला किया कि जेलेंस्की बातचीत की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने विदेश मंत्री रुबियो और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज को ये संदेश देने का निर्देश दिया- जाकर कह दो कि जेलेंस्की के अब जाने का समय हो गया है।

हैरानी की बात है कि जब ट्रंप ने यह आदेश दिया, तब बगल वाले कमरे में जेलेंस्की और उनकी टीम बैठी थी। जेलेंस्की के साथ यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल पास के एक अलग कमरे में इंतजार कर रहा था। दरअसल, जेलेंस्की और यूक्रेनी डेलीगेशन लंच का इंतजार कर रहे थे। उन्हें लगा था कि ट्रंप लंच पर बैठेंगे तो गर्मी थोड़ी शांत हो जाएगी।

पुष्पा स्टाइल में जेलेंस्की ने ट्रंप को दिखाया तेवर, माफी मांगेने से इनकार, फिर भी कहा-थैंक यू अमेरिका

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दुनिया के सबसे ताकतवर देश को पूरी दुनिया के सामने सुना देना, वाकई हिम्मत की बात है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने सुपरपावर अमेरिका के सबसे ताकतवर जगह से हुंकार भरी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को ओवल ऑफिस में दुनिया ने कुछ ऐसा देखा, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लेकर हो रही बातचीत अचानक जुबानी जंग में तब्दील हो गई।

ट्रंप ने जेलेंस्की पर तीसरा विश्व युद्ध की आग भड़काने का आरोप लगाया। बहस के बाद जेलेंस्की ने ट्रंप के समझौते के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। जेलेंस्की बिना समझौता किए वहां से निकल गए। इस तरह ट्रंप और जेलेंस्की के बीच की वार्ता सफल नहीं रही। इस घटना के बाद अमेरिका-यूक्रेन संबंधों पर सवाल खड़े हो गए हैं। लेकिन इन सबके बीच जेलेंस्की ने जाते-जाते एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने थैंक्यू अमेरिका तो बोला है।

ट्रंप से तीखी बहस के बाद जेलेंस्की ने अमेरिका को धन्यवाद कहा। यूक्रेन राष्ट्रपति ने कहा कि आपके समर्थन और इस यात्रा के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कांग्रेस और अमेरिकी लोगों को धन्यवाद। यूक्रेन को न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम ठीक उसी के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन यह जता दिया कि वे फिलहाल झुकने वाले नहीं है।

दरअसल, यूक्रेन-अमेरिका वार्ता के विफल होन के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति ने फॉक्स न्यूज को एक विशेष साक्षात्कार दिया। जिसमें शो के होस्ट ब्रेट बेयर ने जेलेंस्की से पूछा कि क्या वह इस मीटिंग में जो कुछ हुआ उसके लिए माफी मांगेंगे। इस पर जेलेंस्की ने किसी भी गलती से इनकार किया। जेलेंस्की ने कहा, नहीं, मैं राष्ट्रपति और अमेरिकी जनता का सम्मान करता हूं। हमें खुला और ईमानदार रहना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि हमने कुछ गलत किया है। शायद कुछ चीजों पर मीडिया से अलग चर्चा करनी चाहिए।

हालांकि, जेलेंस्की ने कहा कि अगर अमेरिका अपने हाथ खींच ले तो रूस से यूक्रेन की रक्षा करना हमारे लिए मुश्किल होगा। उन्होंने दुख जताया कि इस पूरे वाकये को टेलीविजन पर दिखाया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृपया इसे ठीक करें। हमें सब कुछ ठीक करना होगा। मैं विनम्र होना चाहता हूं।

इससे पहले ट्रंप शुक्रवार को ओवल ऑफिस में एक बैठक के दौरान जेलेंस्की पर बरस पड़े। उन्होंने लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के लिए जेलेंस्की को फटकार लगाई। ट्रंप ने कहा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति की कार्रवाई तीसरा विश्व युद्ध भड़का सकती है। इसके बाद जेलेंस्की ने अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण खनिज समझौते पर हस्ताक्षर किए बिना अचानक व्हाइट हाउस छोड़ दिया। नौबत यहां तक पहुंच गई कि ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से चले जाने और समझौते को तैयार होने के बाद ही वार्ता के लिए आने को कह दिया।

व्हाइट हाउस में ट्रंप-जेलेंस्की के बीच तेज बहस, नोकझोंक के बाद ट्रंप बोले- तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं आप

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने व्हाइट हाउस में शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर की मुलाकात एक तू-तू मैं-मैं वाली बहस में बदल गई। जेलेंस्की के लिए यह बैठक बेहद शर्मिंदा करने वाली रही। जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें ओवल ऑफिस में जमकर सुनाया। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। इस पर ट्रंप ने कहा कि यूक्रेनी नेता तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं। बहस के दौरान ट्रंप ने तीखे तेवर में यूक्रेन से खनिज सौदे के लिए दबाव बनाया और कहा कि या तो आप डील करिए वरना हम (शांति प्रक्रिया) से बाहर हो जाएंगे। इसके कुछ देर बाद ही जेलेंस्की वॉइट हाउस की मीटिंग से बाहर चले गए।

ट्रंप ने कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा

ओवल ऑफिस में हुई मुलाकात के दौरान जब रूस-यूक्रेन युद्ध विराम का मुद्दा उठा तो दोनों नेताओं में बहस हो गई। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। जेलेंस्की ने ट्रंप से कहा कि व्लादिमीर पुतिन के शांति के वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने रूसी नेता के वादे तोड़ने के इतिहास को भी याद दिलाया। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे तौर पर टीवी कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा और कहा कि वह युद्ध हार रहे हैं।

ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई

ट्रंप ने कहा, आपके हाथ में कोई कार्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि आप हमारा अनादर कर रहे हैं। हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, आपको इसके साथ खेलने का कोई अधिकार नहीं है। आपको आभारी होना चाहिए. इस तरह से काम करना बहुत मुश्किल होगा। ओवल ऑफिस में बैठे हुए ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई और उन्हें ज्यादा “आभारी” होने के लिए कहा और कहा, “आप यह तय करने की स्थिति में नहीं हैं कि हम क्या महसूस करने जा रहे हैं?”

जेडी वेंस ने प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया

बहस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी कूद पड़े और जेलेंस्की पर प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया। वेंस ने कहा, मुझे लगता है कि आपके लिए ओवल ऑफिस में आना और अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा चलाने की कोशिश करना अपमानजनक है।

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने जारी किया बयान

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान जारी किया जिसमें जेलेंस्की के व्यवहार को अमेरिका के लिए अपमानजनक कहा। बयान में कहा गया कि 'आज व्हाइट हाउस में हमारी बहुत सार्थक बैठक हुई। बहुत कुछ ऐसा सीखा गया जो इस तरह की तपिश और दबाव की बातचीत के बगैर कभी नहीं समझा जा सकता था।

बयान में आगे कहा गया कि 'यह आश्चर्यजनक है कि भावनाओं के माध्यम से क्या सामने आता है, और मैंने यह निर्धारित किया है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं हैं यदि अमेरिका इसमें शामिल है, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमारी भागीदारी उन्हें वार्ता में बड़ा लाभ देती है। मुझे लाभ नहीं चाहिए, मुझे शांति चाहिए। उन्होंने प्रिय ओवल ऑफिस में संयुक्त राज्य अमेरिका का अपमान किया। जब वह शांति के लिए तैयार होंगे तो वह वापस आ सकते हैं।'

ट्रंप ने ब्रिटिश पीएम से पूछ लिया ऐसा सवाल, हक्का-बक्का हो गए स्टार्मर

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डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद वैश्विक नेताओं का वॉशिंगटन जाना शुरू हो गया है। इसी क्रम में ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर अमेरिका दौरे पर पहुंचे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक की। बैठक के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान ट्रंप ने ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर को चैलेंज करते हुए पूछ लिया कि क्या वे अकेले रूस का मुकाबला कर पाएंगे? पत्रकारों के सामने ट्रंप का यह सवाल सुनकर स्टार्मर चौंक गए।

गुरुवार को ट्रंप से मुलाकात के बाद दोनों ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान ट्रंप से सवाल पूछा गया था कि यदि यूक्रेन में ब्रिटिश सेना तैनात होती है तो क्या अमेरिका उनकी मदद करेगा? ट्रं ने पहले ‘नहीं’ कहा। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश अपना ख्याल बहुत अच्छे से रख सकते हैं। कुछ ही देर बाद उन्होंने कहा कि यदि ब्रिटेन को मदद की जरूरत होगी तो अमेरिका उनका साथ देगा। फिर ट्रम्प, स्टार्मर की तरफ मुड़े और उनसे पूछ लिया- क्या आप अकेले रूस का मुकाबला कर पाएंगे? इस पर स्टार्मर कोई जवाब नहीं दे सके और मुस्कुराकर रह गए।

दरअसल, ओवल में व्हाइट हाउस में ब्रिटिश पीएम और अमेरिकी राष्ट्रपति प्रेस को संबोधित कर रहे थे और सवालों के जवाब दे रहे थे। इसी दौरान स्टारमर ने कहा, इतिहास को शांति स्थापित करने वाले के पक्ष में होना चाहिए, ना कि आक्रमणकारी के पक्ष में। यूके किसी समझौते का समर्थन करने के लिए जमीन पर सैनिक और एयरफोर्स विमान भेजने के लिए तैयार है। हम अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिससे शांति बनी रहेगी। इसी दौरान ट्रंप ने सवाल किया, ‘…क्या आप अकेले रूस से मुकाबला कर सकते हैं? सवाल सुनते ही स्टार्मर झेंप जाते हैं।

वहीं, बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन जंग रोकने के लिए शुरू हुई बातचीत अब बहुत आगे बढ़ चुकी है। वहीं, स्टार्मर ने कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि जंग पूरी तरह स्थायी हो और किसी एक पक्ष को इसका फायदा न हो।

स्टार्मर ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, शांति वैसी नहीं हो सकती जो हमलावर को फायदा पहुंचाती हो या फिर ईरान जैसी शासन व्यवस्था को बढ़ावा देती हो। इतिहास को शांति निर्माता के पक्ष में होना चाहिए, आक्रमणकारी के पक्ष में नहीं।

रूस और यूक्रेन का हिंसक संघर्ष खत्म करने के मुद्दे पर स्टार्मर ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ आज एक योजना पर चर्चा हुई। इससे यूक्रेन को मदद मिलेगी। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में कार्रवाई के लिए वापस आने से रोकने के लिए यूक्रेन योजना बनाएगा। ब्रिटेन और अमेरिका पूरी ताकत के साथ मदद करेंगे।

ट्रंप की पहली कैबिनेट बैठक: मस्क की सरकारी भूमिका, बजट कटौती और विदेश नीति पर अहम फैसले

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AP

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नए कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक आयोजित की, जिसमें कई महत्वपूर्ण और असामान्य फैसले सामने आए। इस बैठक में सबसे खास बात यह थी कि टेस्ला के CEO और "सरकारी दक्षता विभाग" (DOGE) के सह-अध्यक्ष एलन मस्क का शामिल होना। मस्क की उपस्थिति ट्रंप प्रशासन की कार्यशैली को दर्शाती है, जिसमें वह सरकारी सुधारों में सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं। बैठक में मस्क ने कई अहम मुद्दों पर अपने विचार साझा किए, जिनमें सरकारी खर्चों में कटौती, बड़े पैमाने पर छंटनी और विदेश नीति से जुड़े फैसले शामिल थे।

1. एलन मस्क की सरकारी दक्षता में भूमिका

एलन मस्क ने अपनी भूमिका को "विनम्र तकनीकी सहायता" के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चों में कटौती करना और दक्षता बढ़ाना है। मस्क ने चेतावनी दी कि अगर यह प्रयास विफल होते हैं तो अमेरिका दिवालिया हो सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे यूएसएआईडी द्वारा इबोला रोकथाम अनुदान गलती से रद्द कर दिया गया था, लेकिन बाद में इसे बहाल कर दिया गया।

2. बड़े पैमाने पर छंटनी और बजट में कटौती

ट्रंप प्रशासन ने संघीय सरकार के आकार को छोटा करने के लिए बड़ी छंटनी की योजना बनाई है। ट्रंप ने कहा कि संघीय एजेंसियों को कर्मचारियों की संख्या में "काफी कमी" करने के लिए 13 मार्च तक योजनाएं प्रस्तुत करनी होंगी। मस्क ने बताया कि इस साल के $6.7 ट्रिलियन के बजट में $1 ट्रिलियन की कटौती की जा सकती है। यह कदम अमेरिका के राष्ट्रीय ऋण को कम करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास हो सकता है।

3. मस्क की कार्य रिपोर्ट की मांग और विवाद

एलन मस्क ने संघीय कर्मचारियों से साप्ताहिक कार्य रिपोर्ट भेजने को कहा, जिसमें कर्मचारियों से यह बताया गया था कि उन्होंने सप्ताह में क्या हासिल किया। मस्क ने समय सीमा के भीतर रिपोर्ट न भेजने पर बर्खास्तगी की धमकी दी, जिससे कई संघीय एजेंसियों में असहमति हुई। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने बाद में इस आदेश को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया। मस्क ने अपनी इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए था कि सरकारी भुगतान सही कर्मचारियों तक पहुंच रहा है।

4. "गोल्ड कार्ड" वीजा कार्यक्रम का प्रस्ताव

ट्रंप ने एक नया "गोल्ड कार्ड" वीजा कार्यक्रम पेश किया, जो पुराने EB-5 वीजा कार्यक्रम की जगह लेगा। ट्रंप का मानना है कि इस योजना से $5 ट्रिलियन तक का राजस्व प्राप्त हो सकता है यदि एक मिलियन गोल्ड कार्ड बेचे जाते हैं। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि यह कार्यक्रम अमीर निवेशकों को आकर्षित करेगा, जो अमेरिका में पूंजी निवेश करेंगे और नौकरी सृजन में मदद करेंगे। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कार्यक्रम को कांग्रस की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।

5. कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ

ट्रंप ने घोषणा की कि 2 अप्रैल से कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। हालांकि यह निर्णय पहले ही टैरिफ के लिए निर्धारित था, लेकिन सीमा सुरक्षा उपायों पर समझौते के बाद इसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया। ट्रंप ने इसे फेंटेनाइल के प्रवाह को रोकने के लिए एक आवश्यक कदम बताया।

6. यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का वाशिंगटन दौरा

ट्रंप ने पुष्टि की कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की 4 मार्च को वाशिंगटन में आएंगे और एक महत्वपूर्ण खनिज सौदे पर हस्ताक्षर करेंगे। हालांकि, ज़ेलेंस्की ने इस दौरे को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह सौदा एक बड़ी सफलता हो सकती है या चुपचाप पारित हो सकता है। ट्रंप ने यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने की बात पर वे सहमत नहीं हैं, और यूक्रेन की नाटो सदस्यता को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यूरोप को यह जिम्मेदारी उठानी होगी, न कि अमेरिका को।

 7. नाटो और यूक्रेन के बारे में ट्रंप की स्थिति

ट्रंप ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के विचार को एक बार फिर खारिज किया और यह भी कहा कि यूक्रेन के युद्ध की शुरुआत के लिए जिम्मेदारी यूक्रेन पर ही है। ट्रंप ने यह तर्क दिया कि नाटो का विस्तार युद्ध के प्रारंभ का एक कारण हो सकता है। उन्होंने यूक्रेन को एक "अच्छा सौदा" देने की बात की, जिससे वे अपनी अधिकतम भूमि को वापस प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, ट्रंप ने यह भी कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शांति वार्ता के लिए "रियायतें" देनी होंगी।

राष्ट्रपति ट्रंप की पहली कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए, जो उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के अनुरूप हैं। एलन मस्क की सरकारी दक्षता में सक्रिय भूमिका, संघीय कर्मचारियों से कार्य रिपोर्ट की मांग, और "गोल्ड कार्ड" वीजा कार्यक्रम का प्रस्ताव उनके प्रशासन की कार्यशैली को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। इसके अलावा, विदेश नीति में यूक्रेन और नाटो के मुद्दे पर ट्रंप की स्थिति उनके कठोर दृष्टिकोण को दर्शाती है। इन फैसलों के प्रभाव को आने वाले महीनों में देखा जा सकेगा।

ट्रंप बेच रहे “नागरिकता”, अमेरिका में बसने का दिया शानदार ऑफर, 50 लाख डॉलर में मिलेगी 'गोल्ड कार्ड'
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अमेरिका की सत्ता में वापसी के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले ही आदेश के तहत देश में अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। ट्रंप ने इस काम के लिए अमेरिकी सेना को लगाया और सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया गया। पड़ोसी मेक्सिको से लेकर, अर्जेंटीना, भारत समेत कई देशों के प्रवासियों को जहाजों में भरकर भेजा गया। ये वो लोग हैं, जिन्होंने अमेरिका में रहने का सपना देखा। वहीं दूसरी तरफ ट्रंप ने अमेरिका मे बसने का सपना देखने वालों के लिए बड़ा ऑफर पेश किया है। ये ऑफर अमीरों के लिए है। जी हां, अपर आपके पास पैसे हैं तो आप आसानी से अमेरिका की नागरिकता खरीद सकते हैं।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को अमीर आप्रवासियों के लिए गोल्ड कार्ड पेश किया है, जिसे 50 लाख डॉलर में खरीदा जा सकता है। भारतीय करेंसी में करीब 44 करोड़ रुपए अमेरिका में निवेश करवाएंगे। ट्रंप ने इसे अमेरिकी नागरिकता का रास्ता बताया। ट्रंप ने इसमें शामिल होने वाले लोगों के बारे में बताते हुए कहा, वे अमीर होंगे और सफल होंगे। वे बहुत सारा पैसा खर्च करेंगे और बहुत सारे टैक्स का भुगतान करेंगे और बहुत से लोगों को रोजगार देंगे। हमें लगता है कि यह बहुत सफल होने वाला है।

*वीजा कार्ड ईबी-5 की जगह लेगा 'ट्रंप गोल्ड कार्ड'*
ट्रंप ने गोल्ड कार्ड को मौजूदा आप्रवासी निवेशक वीजा कार्यक्रम ईबी-5 के विकल्प के लिए रूप में प्रस्तावित किया है और कहा कि भविष्य में 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाएंगे।ट्रंप ने कहा कि वे ईबी-5 आप्रवासी निवेशक वीजा कार्यक्रम को गोल्ड कार्ड के साथ बदल देंगे जो बड़ी रकम वाले विदेशी निवेशकों को अमेरिकी नौकरियों का सृजन या संरक्षण करने के लिए स्थायी निवासी बनने की अनुमति देता है। उन्होंने दावा किया कि इस पहल से राष्ट्रीय कर्ज का भुगतान जल्द हो सकता है।

*ईबी-5 वीजा क्या है?*
• अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए फिलहाल EB-5 वीजा आसान विकल्प है
• इसके लिए 1 मिलियन डॉलर यानी कि 8.75 करोड़ रुपए चुकाने होते हैं
• इस वीजा को लेकर अमेरिका का स्थायी नागरिक बना जा सकता है
• इससे अमेरिकी बिजनेस में निवेश करने वाले विदेशियों को "ग्रीन कार्ड" मिलता है है
• EB-5 वीजा की शुरुआत अमेरिका ने साल 1990 में की थी
• इस वीजा प्रोग्राम का मकसद विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित करना था

*ईबी-5 को क्यों बदल रहे ट्रंप?*
ईबी-5 वीजा कार्यक्रम, विदेशियों को ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के लिए अमेरिकी प्रोजेक्ट में कम से कम 10.5 लाख डॉलर या आर्थिक रूप से संकटग्रस्त क्षेत्रों में 800,000 डॉलर निवेश करने अनुमति देता है। हालांकि, इस कार्यक्रम को दुरुपयोग के लिए आलोचना का भी सामना करना पड़ा है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रम्प ने न्यूनतम निवेश को बढ़ाकर 18 लाख डॉलर करने का प्रयास किया, लेकिन 2021 में एक न्यायाधीश ने इस कदम को पलट दिया। बाइडन प्रशासन ने बाद में 2022 में कार्यक्रम को नवीनीकृत करते समय वर्तमान निवेश स्तर 10,50,000/800,000 डॉलर निर्धारित किया।
बर्बाद हो चुके यूक्रेन से क्या चाहते हैं ट्रंप? मदद के बदले खनिज समझौते पर हस्ताक्षर का दबाव

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रूस जैसे शक्तिशाली देश से जंग कर यूक्रेन पहले ही बर्बाद हो चुका है। अब यूक्रेन के पास बची-खुची जो संपदा है, उस पर अमेरिका की नजर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन की मदद के बदले उसके दुर्लभ पृथ्वी तत्वों तक अपनी पहुंच की मांग की है। डोनाल्‍ड ट्रंप यूक्रेन पर जंग खत्‍म करने का लगातार दबाव बना रहे हैं। लेकिन, एकमात्र शांति ही वो वजह नहीं है। ट्रंप की नजर यूक्रेन के उस खजाने पर है, जिसे लेकर वे मालामाल होना चाहते हैं। यूक्रेन के एक मंत्री ने दावा क‍िया क‍ि राष्‍ट्रपत‍ि वोलोदि‍मीर जेलेंस्‍की और अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि के बीच यूक्रेन के खनिज भंडारों को लेकर एक डील होने ही वाली है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा है कि अमेरिका ने रूस के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए यूक्रेन के समर्थन में जो मदद दी है, वो उसे लाने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन की कोशिश, बाइडेन प्रशासन के दौरान यूक्रेन को दिए गये मदद को वापस लेना है।

डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन में कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस में प्रतिनिधियों से कहा, कि "मैं पैसे वापस पाने या सुरक्षित करने की कोशिश कर रहा हूं।" उन्होंने कहा कि "मैं चाहता हूं कि वे हमारे द्वारा लगाए गए सभी पैसे के बदले हमें कुछ दें। हम दुर्लभ पृथ्वी और तेल मांग रहे हैं, जो कुछ भी हमें मिल सकता है। हमें अपना पैसा वापस मिलेगा। मुझे लगता है कि हम सौदे के बहुत करीब हैं, और हमें करीब होना चाहिए क्योंकि यह एक भयानक स्थिति रही है।"

वहीं, रूस-यूक्रेन संघर्ष आरंभ होने के तीन साल पूरे होने के अवसर पर रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेलेंस्की ने कहा, यदि आपकी शर्त यह है कि यदि मैं समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करता तो आप मदद नहीं देंगे तो बात साफ है। जेलेंस्की ने कहा, यदि हम पर दबाव डाला जाता है और हम इसके बिना कुछ नहीं कर सकते तो शायद हम इस दिशा में आगे बढ़ें... हालांकि मैं सिर्फ राष्ट्रपति ट्रंप से बात करना चाहता हूं। ट्रंप प्रशासन ने रूस के हमले से बचाने और हमले का जवाब देने के लिए यूक्रेन को दी गई मदद के बदले अब यूक्रेन को अपनी दुर्लभ खनिज संपदा तक अमेरिका को पहुंच देने का दबाव बनाना आरंभ किया है। इसके लिए ट्रंप के वार्ताकार कीव में मौजूद हैं।

गौरतलब है कि जेलेंस्की ने पहले अमेरिका के शुरुआती ऑफर को पूरी तरह ठुकरा दिया था। उनका कहना था कि इससे यूक्रेन को रूस के खतरे से अपनी सुरक्षा करने की गारंटी नहीं मिलती। जेलेंस्की ने रविवार को कहा कि वह अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों से लाभान्वित होने देने के लिए तैयार हैं लेकिन ट्रंप प्रशासन की ओर से इस मद में ऑफर की जा रही 500 अरब डॉलर की सहायता राशि उन्हें मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा, मैं ऐसे किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करूंगा जिसकी कीमत यूक्रेन की दस पीढ़ियों को चुकानी पड़े।

शांति का मतलब यूक्रेन का आत्मसमर्पण नहीं होना चाहिए', फ्रांसीसी राष्‍ट्रपति ने ट्रंप की बोलती बंद की

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का स्वागत किया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रूस-यूक्रेन वॉर में शांति वार्ता को लेकर मुलाकात की है। इसके बाद दोनों देशों के राष्ट्रपति ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच मतभेद साफ दिखाई दिए। इस दौरान मैक्रों ने कहा, बिना किसी गारंटी के युद्धविराम नहीं होना चाहिए। यह शांति यूक्रेन की संप्रभुता को बनाए रखने वाली होनी चाहिए और उसे अन्य देशों से स्वतंत्र रूप से बातचीत करने की अनुमति देनी चाहिए।

सोमवार को जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों से वॉइट हाउस में मुलाकात की, तो इस पर पूरी दुनिया की नजर थी। इस दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति ने ट्रंप की बोलती बंद कर दी। दरअसल, वॉइट हाउस में मुलाकात के बाद जब दोनों नेता प्रेस के सामने थे, उसी दौरान ट्रंप ने एक बार फिर से यूरोपीय देशों के पैसा उधार देने का जिक्र किया तो मैक्रों ने ट्रंप का हाथ पकड़कर उन्हें रोका और जोर देकर खंडन किया। मैक्रों ने कहा, वास्तव में अगर स्पष्ट रूप से कहें तो हमने भुगतान किया है। हमने कुल प्रयास का 60% भुगतान किया है और यह अनुदान के माध्यम से था, कर्ज के रूप में नहीं। हमने असलियत में धन दिया।

मैक्रों ने जोर देकर कहा कि यूरोप ने रूस की लगभग 230 अरब डॉलर की संपत्ति की फ्रीज कर दिया। इसके साथ ही स्पष्ट किया कि इसका उपयोग क्षतिपूर्ति के रूप में नहीं किया जा रहा है क्योंकि ये संपत्ति रूस की है और अभी फ्रीज है। उन्होंने यह भी कहा कि आखिर में यह संपत्तियां रूस के साथ समझौते का हिस्सा हो सकती हैं।

वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप ने उम्मीद जताई कि यूक्रेन में रूस का युद्ध खत्म होने के करीब है। लेकिन फ्रांस के नेता ने आगाह किया कि यह महत्वपूर्ण है कि मॉस्को के साथ कोई भी संभावित समझौता यूक्रेन के लिए आत्मसमर्पण करने जैसा न हो। मैक्रों ने कहा, शांति का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि यूक्रेन को बिना सुरक्षा गारंटी के युद्ध विराम के लिए मजबूर किया जाए। शांति का अर्थ यूक्रेन की संप्रभुता को बनाए रखना और उसे अन्य देशों के साथ बातचीत करने का मौका देना होना चाहिए।

चीन-भारत का नाम लेकर फिर ट्रंप ने दी धमकी, जानें अब क्या कहा?

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डोनाल्ड ट्रंप जबसे अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। ट्रंप बार-बार कई देशों को टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे चुके हैं। इन देशों में भारत और चीन का नाम भी शामिल है। एक बार फिर उन्होंने भारत-चीन का नाम लेकर टैरिफ की धमकी दी है। यही नहीं, इस बार तो उन्होंने इस बात की कसम भी खाई है। बता दें कि ट्रंप का ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की बात करने की बावजूद आया है।हाल ही में पीएम मोदी ने अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने ट्रंप के साथ व्यापार, रक्षा समेत टैरिफ के मुद्दे पर बात की थी।

शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भी वही शुल्क लगाएगा, जो ये देश अमेरिकी वस्तुओं पर लगाते हैं। हम जल्द ही रिसिप्रोकल टैरिफ का एलान करेंगे। ट्रंप ने कहा कि वे हम पर शुल्क लगाते हैं। हम उन पर शुल्क लगाएंगे। जो भी कंपनी या देश, जैसे भारत या चीन, हम पर शुल्क लगाते हैं। हम निष्पक्ष होना चाहते हैं। कोई भी कंपनी या देश जैसे कि भारत और चीन जो भी शुल्क लगाते हैं, वहीं हम भी लगाएंगे। ट्रंप ने आगे कहा कि हमने ऐसा कभी नहीं किया। कोविड महामारी से पहले हम ऐसा करना चाहते थे। ट्रंप ने यह टिप्पणी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की थी जब उनसे टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की पीएम मोदी के साथ बैठक के बारे में पूछा गया था

पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मीटिंग को एक ही सप्ताह हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि अमेरिका और भारत व्यापार समझौते पर काम करेंगे। उन्होंने टैरिफ में ढील देने के अलावा व्यापार में आ रहे गतिरोध के बीच रियायतों पर बातचीत की पेशकश भी की थी। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वे भारत से व्यापार घाटे को कम करने के लिए बातचीत पर सहमत हैं।

खास बात तो ये है कि ट्रंप पहले से ही भारत को टैरिफ किंग नाम से संबोधित करते हुए आ रहे हैं। ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स पर ट्रंप ने भारत के टैरिफ की आलोचना की है। टैरिफ को लेकर उन्होंने अपने चुनावी कैंपेन में भी जिक्र किया है। ऐसे में अब वो अपनी उस बात को आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। साथ ही टैरिफ को लेकर किसी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है।

डोनाल्ड ट्रम्प का एशिया की ऊर्जा आपूर्ति में बदलाव: अमेरिकी गैस से क्षेत्रीय रणनीति को नया आकार

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जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस महीने जापान के समकक्ष शिगेरू इशिबा के साथ दोपहर के भोजन पर बैठे, तो उनकी बातचीत जल्दी ही अमेरिकी गैस और ऊर्जा के संबंध में महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित हो गई। चर्चा का मुख्य विषय था अलास्का में गैस के लिए दशकों पुराने प्रस्ताव को पुनः जीवित करना और इसे एशिया में अमेरिकी सहयोगियों तक पहुँचाने का तरीका। इस योजना में जापान की भूमिका महत्वपूर्ण थी, जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी खरीदार है और ऊर्जा अवसंरचना में एक प्रमुख निवेशक है।

अलास्का एलएनजी परियोजना:

अलास्का एलएनजी (Liquefied Natural Gas) परियोजना अमेरिकी सरकार द्वारा प्रस्तावित की गई है, जिसका उद्देश्य अलास्का के गैस क्षेत्रों को उसके प्रशांत तट पर एक निर्यात टर्मिनल से जोड़ने के लिए एक पाइपलाइन नेटवर्क का निर्माण करना है। यह परियोजना उच्च लागत और जटिल भौगोलिक स्थिति के कारण कई वर्षों से अटकी हुई है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन इसे एक रणनीतिक अवसर के रूप में देख रहा है।

ट्रम्प प्रशासन की ऊर्जा रणनीति:

ट्रम्प प्रशासन का उद्देश्य एशिया के साथ अमेरिकी आर्थिक संबंधों को पुनः आकार देना है, खासकर ऊर्जा क्षेत्र में। यह रणनीति मुख्य रूप से अमेरिकी जीवाश्म ईंधन, विशेष रूप से एलएनजी के निर्यात को बढ़ाने पर आधारित है। इसके अंतर्गत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और अन्य देशों को अमेरिकी गैस आयात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह प्रयास चीन और रूस के प्रभाव को कम करने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का एक तरीका है।

जापान की भूमिका:

जापान को इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा रही है। जापान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी खरीदार है, और उसे अमेरिकी गैस के निर्यात के लिए एक प्रमुख बाजार माना जा रहा है। ट्रम्प प्रशासन की योजना के अनुसार, जापान के लिए मध्य पूर्व से गैस शिपमेंट को अमेरिकी एलएनजी के साथ बदलना संभव हो सकता है, जिससे न केवल व्यापार असंतुलन कम होगा बल्कि ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी।

दक्षिण कोरिया और ताइवान:

दक्षिण कोरिया और ताइवान भी इस योजना में शामिल हैं, और दोनों देशों ने अमेरिकी गैस की खरीद बढ़ाने पर विचार किया है। दक्षिण कोरिया विशेष रूप से अलास्का एलएनजी और अन्य अमेरिकी ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने का इच्छुक है। ताइवान ने भी अधिक अमेरिकी ऊर्जा खरीदने के बारे में विचार किया है, क्योंकि इससे उसे चीन द्वारा संभावित आक्रामक कदमों के खिलाफ सुरक्षा मिल सकती है।

रणनीतिक महत्व:

अलास्का एलएनजी परियोजना का रणनीतिक महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह मध्य पूर्व और दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को नकारते हुए गैस शिपमेंट के सुरक्षित मार्ग प्रदान कर सकती है। इसके अलावा, जापान के निकटता के कारण, शिपमेंट की लागत में कमी आ सकती है, और यह अमेरिकी गैस को दक्षिण-पूर्व एशिया तक पहुंचाने में मदद कर सकता है।

आर्थिक और राजनीतिक फायदे:

यह योजना केवल ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में नहीं है, बल्कि यह अमेरिकी व्यापारिक हितों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। ट्रम्प प्रशासन ने जापान और दक्षिण कोरिया के साथ दीर्घकालिक खरीद समझौतों पर विचार करने के लिए बातचीत की है। इसके अलावा, अमेरिकी सीनेटर डैन सुलिवन ने यह भी बताया कि यह परियोजना न केवल एशियाई देशों को रूस के गैस पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी, बल्कि यह अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों को भी मजबूत करेगी।

डोनाल्ड ट्रम्प का उद्देश्य एशिया के देशों को ऊर्जा आपूर्ति के एक नए मार्ग पर जोड़कर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। अलास्का एलएनजी परियोजना, हालांकि तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही है, फिर भी अमेरिकी गैस के निर्यात को बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। अगर यह योजना सफल होती है, तो इससे न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा, बल्कि एशियाई देशों के लिए भी एक स्थिर और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति का रास्ता खुलेगा।

बिना कुछ खाए व्हाइट हाउस से निकले जेलेंस्की, ऐसे होती है दो देशों के नेताओं के बीच मुलाकात?

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यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। बातचीत के दौरान ट्रंप और जेलेंस्की के बीच जोरदार बहस हो गई। जेलेंस्की अपने दावे कर रहे थे तो ट्रंप अपने तेवर दिखा रहे थे।रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लेकर हो रही बातचीत अचानक जुबानी जंग में तब्दील हो गई। ट्रंप और जेलेंस्की एक-दूसरे से बहस करते और एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप करते नजर आए। नौबत यहां तक पहुंच गई कि ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से चले जाने और समझौते को तैयार होने के बाद ही वार्ता के लिए आने को कह दिया।

ट्रंप ने जिस तरह से जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से बाहर जाने को कहा, उसे साफ तौर पर बेइज्जत करके बाहर निकालना कहते हैं। यहां तक की इतनी दूर से आए किसी देश के मुखिया को अपने घर पर निमंत्रित कर खाने तक को नहीं पूछा गया। तीखी नोकझोंक के बाद राष्ट्रपति जेलेंस्की चाहते थे कि सब ठीक हो जाए। ट्रंप से आगे की बात की जाए। दुनिया को नया संदेश दिया जाए कि ऑल इज वेल। पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कहां मानने वाले थे। उन्होंने साफ-साफ संदेश भिजवा दिया। कह दो जेलेंस्की से कि वो चला जाए।

जेलेंस्की के साथ तकरार के बाद ट्रंप ने अपने सलाहकारों के साथ बातचीत की और वहां से निकल गए। दूसरी ओर यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल करीब एक घंटे तक दूसरे कमरे में इंतजार करता रहा। यूक्रेनी डेलीगेशन को उम्मीद थी कि खनिज सौदे पर हस्ताक्षर हो जाएंगे और यात्रा को खराब होने से बचाया जा सकेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वाल्ट्ज ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस छोड़ने के लिए कह दिया। ऐसे में जेलेंस्की को खाली हाथ वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

जेलेंस्की का दौरा कितने खराब माहौल में खत्म हुआ इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि व्हाइट हाउस छोड़ने के बाद उन्होंने अपने दो सार्वजनिक कार्यक्रम रद्द कर दिए। उन्होंने एक्स पर अमेरिका का धन्यवाद करते हुए लिखा कि यूक्रेन को स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम उसके लिए काम कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि जेलेंस्की बिना खाना खाए ही वाइट हाउस से लौट गए।

सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, ओवल ऑफिस में हुई बहस के बाद वाइट हाउस के अंदर एक बार फिर जेलेंस्की की बेइज्जती हुई। ओवल ऑफिस में हुई बहस के फौरन बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने प्रमुख सलाहकारों के साथ बैठक की। जेलेंस्की संग क्या किया जाए और क्या नहीं, इस पर ट्रंप ने चर्चा की। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रंप ने वेंस, रुबियो, बेसेंट आदि से सलाह ली। यहीं पर ट्रंप ने फैसला किया कि जेलेंस्की बातचीत की स्थिति में नहीं हैं। उन्होंने विदेश मंत्री रुबियो और अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज को ये संदेश देने का निर्देश दिया- जाकर कह दो कि जेलेंस्की के अब जाने का समय हो गया है।

हैरानी की बात है कि जब ट्रंप ने यह आदेश दिया, तब बगल वाले कमरे में जेलेंस्की और उनकी टीम बैठी थी। जेलेंस्की के साथ यूक्रेनी प्रतिनिधिमंडल पास के एक अलग कमरे में इंतजार कर रहा था। दरअसल, जेलेंस्की और यूक्रेनी डेलीगेशन लंच का इंतजार कर रहे थे। उन्हें लगा था कि ट्रंप लंच पर बैठेंगे तो गर्मी थोड़ी शांत हो जाएगी।

पुष्पा स्टाइल में जेलेंस्की ने ट्रंप को दिखाया तेवर, माफी मांगेने से इनकार, फिर भी कहा-थैंक यू अमेरिका

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दुनिया के सबसे ताकतवर देश को पूरी दुनिया के सामने सुना देना, वाकई हिम्मत की बात है। यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर जेलेंस्की ने सुपरपावर अमेरिका के सबसे ताकतवर जगह से हुंकार भरी। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच शुक्रवार को ओवल ऑफिस में दुनिया ने कुछ ऐसा देखा, जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। रूस-यूक्रेन के बीच शांति समझौते के लेकर हो रही बातचीत अचानक जुबानी जंग में तब्दील हो गई।

ट्रंप ने जेलेंस्की पर तीसरा विश्व युद्ध की आग भड़काने का आरोप लगाया। बहस के बाद जेलेंस्की ने ट्रंप के समझौते के प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। जेलेंस्की बिना समझौता किए वहां से निकल गए। इस तरह ट्रंप और जेलेंस्की के बीच की वार्ता सफल नहीं रही। इस घटना के बाद अमेरिका-यूक्रेन संबंधों पर सवाल खड़े हो गए हैं। लेकिन इन सबके बीच जेलेंस्की ने जाते-जाते एक ट्वीट किया जिसमें उन्होंने थैंक्यू अमेरिका तो बोला है।

ट्रंप से तीखी बहस के बाद जेलेंस्की ने अमेरिका को धन्यवाद कहा। यूक्रेन राष्ट्रपति ने कहा कि आपके समर्थन और इस यात्रा के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, कांग्रेस और अमेरिकी लोगों को धन्यवाद। यूक्रेन को न्यायसंगत और स्थायी शांति की आवश्यकता है और हम ठीक उसी के लिए काम कर रहे हैं। लेकिन यह जता दिया कि वे फिलहाल झुकने वाले नहीं है।

दरअसल, यूक्रेन-अमेरिका वार्ता के विफल होन के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति ने फॉक्स न्यूज को एक विशेष साक्षात्कार दिया। जिसमें शो के होस्ट ब्रेट बेयर ने जेलेंस्की से पूछा कि क्या वह इस मीटिंग में जो कुछ हुआ उसके लिए माफी मांगेंगे। इस पर जेलेंस्की ने किसी भी गलती से इनकार किया। जेलेंस्की ने कहा, नहीं, मैं राष्ट्रपति और अमेरिकी जनता का सम्मान करता हूं। हमें खुला और ईमानदार रहना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि हमने कुछ गलत किया है। शायद कुछ चीजों पर मीडिया से अलग चर्चा करनी चाहिए।

हालांकि, जेलेंस्की ने कहा कि अगर अमेरिका अपने हाथ खींच ले तो रूस से यूक्रेन की रक्षा करना हमारे लिए मुश्किल होगा। उन्होंने दुख जताया कि इस पूरे वाकये को टेलीविजन पर दिखाया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृपया इसे ठीक करें। हमें सब कुछ ठीक करना होगा। मैं विनम्र होना चाहता हूं।

इससे पहले ट्रंप शुक्रवार को ओवल ऑफिस में एक बैठक के दौरान जेलेंस्की पर बरस पड़े। उन्होंने लाखों लोगों के जीवन के साथ खिलवाड़ करने के लिए जेलेंस्की को फटकार लगाई। ट्रंप ने कहा कि यूक्रेनी राष्ट्रपति की कार्रवाई तीसरा विश्व युद्ध भड़का सकती है। इसके बाद जेलेंस्की ने अमेरिका के साथ महत्वपूर्ण खनिज समझौते पर हस्ताक्षर किए बिना अचानक व्हाइट हाउस छोड़ दिया। नौबत यहां तक पहुंच गई कि ट्रंप ने जेलेंस्की को व्हाइट हाउस से चले जाने और समझौते को तैयार होने के बाद ही वार्ता के लिए आने को कह दिया।

व्हाइट हाउस में ट्रंप-जेलेंस्की के बीच तेज बहस, नोकझोंक के बाद ट्रंप बोले- तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं आप

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यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने व्हाइट हाउस में शुक्रवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात की। व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर की मुलाकात एक तू-तू मैं-मैं वाली बहस में बदल गई। जेलेंस्की के लिए यह बैठक बेहद शर्मिंदा करने वाली रही। जहां अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने उन्हें ओवल ऑफिस में जमकर सुनाया। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। इस पर ट्रंप ने कहा कि यूक्रेनी नेता तीसरे विश्व युद्ध का जुआ खेल रहे हैं। बहस के दौरान ट्रंप ने तीखे तेवर में यूक्रेन से खनिज सौदे के लिए दबाव बनाया और कहा कि या तो आप डील करिए वरना हम (शांति प्रक्रिया) से बाहर हो जाएंगे। इसके कुछ देर बाद ही जेलेंस्की वॉइट हाउस की मीटिंग से बाहर चले गए।

ट्रंप ने कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा

ओवल ऑफिस में हुई मुलाकात के दौरान जब रूस-यूक्रेन युद्ध विराम का मुद्दा उठा तो दोनों नेताओं में बहस हो गई। जेलेंस्की ने कहा कि वह युद्ध विराम मानने के लिए तैयार नहीं हैं। जेलेंस्की ने ट्रंप से कहा कि व्लादिमीर पुतिन के शांति के वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। उन्होंने रूसी नेता के वादे तोड़ने के इतिहास को भी याद दिलाया। इस पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे तौर पर टीवी कैमरों के सामने जेलेंस्की को डांटा और कहा कि वह युद्ध हार रहे हैं।

ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई

ट्रंप ने कहा, आपके हाथ में कोई कार्ड नहीं है। उन्होंने कहा कि आप हमारा अनादर कर रहे हैं। हम तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहे हैं, आपको इसके साथ खेलने का कोई अधिकार नहीं है। आपको आभारी होना चाहिए. इस तरह से काम करना बहुत मुश्किल होगा। ओवल ऑफिस में बैठे हुए ट्रंप ने जेलेंस्की को फटकार लगाई और उन्हें ज्यादा “आभारी” होने के लिए कहा और कहा, “आप यह तय करने की स्थिति में नहीं हैं कि हम क्या महसूस करने जा रहे हैं?”

जेडी वेंस ने प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया

बहस में अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भी कूद पड़े और जेलेंस्की पर प्रोपेगैंडा यात्रा करने का आरोप लगाया। वेंस ने कहा, मुझे लगता है कि आपके लिए ओवल ऑफिस में आना और अमेरिकी मीडिया के सामने इस मामले पर मुकदमा चलाने की कोशिश करना अपमानजनक है।

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने जारी किया बयान

मुलाकात के बाद राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान जारी किया जिसमें जेलेंस्की के व्यवहार को अमेरिका के लिए अपमानजनक कहा। बयान में कहा गया कि 'आज व्हाइट हाउस में हमारी बहुत सार्थक बैठक हुई। बहुत कुछ ऐसा सीखा गया जो इस तरह की तपिश और दबाव की बातचीत के बगैर कभी नहीं समझा जा सकता था।

बयान में आगे कहा गया कि 'यह आश्चर्यजनक है कि भावनाओं के माध्यम से क्या सामने आता है, और मैंने यह निर्धारित किया है कि राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की शांति के लिए तैयार नहीं हैं यदि अमेरिका इसमें शामिल है, क्योंकि उन्हें लगता है कि हमारी भागीदारी उन्हें वार्ता में बड़ा लाभ देती है। मुझे लाभ नहीं चाहिए, मुझे शांति चाहिए। उन्होंने प्रिय ओवल ऑफिस में संयुक्त राज्य अमेरिका का अपमान किया। जब वह शांति के लिए तैयार होंगे तो वह वापस आ सकते हैं।'

ट्रंप ने ब्रिटिश पीएम से पूछ लिया ऐसा सवाल, हक्का-बक्का हो गए स्टार्मर

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डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद वैश्विक नेताओं का वॉशिंगटन जाना शुरू हो गया है। इसी क्रम में ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर अमेरिका दौरे पर पहुंचे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ बैठक की। बैठक के बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान ट्रंप ने ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर को चैलेंज करते हुए पूछ लिया कि क्या वे अकेले रूस का मुकाबला कर पाएंगे? पत्रकारों के सामने ट्रंप का यह सवाल सुनकर स्टार्मर चौंक गए।

गुरुवार को ट्रंप से मुलाकात के बाद दोनों ने जॉइंट प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इस दौरान ट्रंप से सवाल पूछा गया था कि यदि यूक्रेन में ब्रिटिश सेना तैनात होती है तो क्या अमेरिका उनकी मदद करेगा? ट्रं ने पहले ‘नहीं’ कहा। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश अपना ख्याल बहुत अच्छे से रख सकते हैं। कुछ ही देर बाद उन्होंने कहा कि यदि ब्रिटेन को मदद की जरूरत होगी तो अमेरिका उनका साथ देगा। फिर ट्रम्प, स्टार्मर की तरफ मुड़े और उनसे पूछ लिया- क्या आप अकेले रूस का मुकाबला कर पाएंगे? इस पर स्टार्मर कोई जवाब नहीं दे सके और मुस्कुराकर रह गए।

दरअसल, ओवल में व्हाइट हाउस में ब्रिटिश पीएम और अमेरिकी राष्ट्रपति प्रेस को संबोधित कर रहे थे और सवालों के जवाब दे रहे थे। इसी दौरान स्टारमर ने कहा, इतिहास को शांति स्थापित करने वाले के पक्ष में होना चाहिए, ना कि आक्रमणकारी के पक्ष में। यूके किसी समझौते का समर्थन करने के लिए जमीन पर सैनिक और एयरफोर्स विमान भेजने के लिए तैयार है। हम अपने सहयोगियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिससे शांति बनी रहेगी। इसी दौरान ट्रंप ने सवाल किया, ‘…क्या आप अकेले रूस से मुकाबला कर सकते हैं? सवाल सुनते ही स्टार्मर झेंप जाते हैं।

वहीं, बातचीत के दौरान ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन जंग रोकने के लिए शुरू हुई बातचीत अब बहुत आगे बढ़ चुकी है। वहीं, स्टार्मर ने कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि जंग पूरी तरह स्थायी हो और किसी एक पक्ष को इसका फायदा न हो।

स्टार्मर ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा, शांति वैसी नहीं हो सकती जो हमलावर को फायदा पहुंचाती हो या फिर ईरान जैसी शासन व्यवस्था को बढ़ावा देती हो। इतिहास को शांति निर्माता के पक्ष में होना चाहिए, आक्रमणकारी के पक्ष में नहीं।

रूस और यूक्रेन का हिंसक संघर्ष खत्म करने के मुद्दे पर स्टार्मर ने कहा, अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ आज एक योजना पर चर्चा हुई। इससे यूक्रेन को मदद मिलेगी। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में कार्रवाई के लिए वापस आने से रोकने के लिए यूक्रेन योजना बनाएगा। ब्रिटेन और अमेरिका पूरी ताकत के साथ मदद करेंगे।

ट्रंप की पहली कैबिनेट बैठक: मस्क की सरकारी भूमिका, बजट कटौती और विदेश नीति पर अहम फैसले

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नए कार्यकाल की पहली कैबिनेट बैठक आयोजित की, जिसमें कई महत्वपूर्ण और असामान्य फैसले सामने आए। इस बैठक में सबसे खास बात यह थी कि टेस्ला के CEO और "सरकारी दक्षता विभाग" (DOGE) के सह-अध्यक्ष एलन मस्क का शामिल होना। मस्क की उपस्थिति ट्रंप प्रशासन की कार्यशैली को दर्शाती है, जिसमें वह सरकारी सुधारों में सक्रिय रूप से शामिल हो रहे हैं। बैठक में मस्क ने कई अहम मुद्दों पर अपने विचार साझा किए, जिनमें सरकारी खर्चों में कटौती, बड़े पैमाने पर छंटनी और विदेश नीति से जुड़े फैसले शामिल थे।

1. एलन मस्क की सरकारी दक्षता में भूमिका

एलन मस्क ने अपनी भूमिका को "विनम्र तकनीकी सहायता" के रूप में बताया। उन्होंने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य सरकारी खर्चों में कटौती करना और दक्षता बढ़ाना है। मस्क ने चेतावनी दी कि अगर यह प्रयास विफल होते हैं तो अमेरिका दिवालिया हो सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि कैसे यूएसएआईडी द्वारा इबोला रोकथाम अनुदान गलती से रद्द कर दिया गया था, लेकिन बाद में इसे बहाल कर दिया गया।

2. बड़े पैमाने पर छंटनी और बजट में कटौती

ट्रंप प्रशासन ने संघीय सरकार के आकार को छोटा करने के लिए बड़ी छंटनी की योजना बनाई है। ट्रंप ने कहा कि संघीय एजेंसियों को कर्मचारियों की संख्या में "काफी कमी" करने के लिए 13 मार्च तक योजनाएं प्रस्तुत करनी होंगी। मस्क ने बताया कि इस साल के $6.7 ट्रिलियन के बजट में $1 ट्रिलियन की कटौती की जा सकती है। यह कदम अमेरिका के राष्ट्रीय ऋण को कम करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास हो सकता है।

3. मस्क की कार्य रिपोर्ट की मांग और विवाद

एलन मस्क ने संघीय कर्मचारियों से साप्ताहिक कार्य रिपोर्ट भेजने को कहा, जिसमें कर्मचारियों से यह बताया गया था कि उन्होंने सप्ताह में क्या हासिल किया। मस्क ने समय सीमा के भीतर रिपोर्ट न भेजने पर बर्खास्तगी की धमकी दी, जिससे कई संघीय एजेंसियों में असहमति हुई। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने बाद में इस आदेश को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया। मस्क ने अपनी इस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि यह सुनिश्चित करने के लिए था कि सरकारी भुगतान सही कर्मचारियों तक पहुंच रहा है।

4. "गोल्ड कार्ड" वीजा कार्यक्रम का प्रस्ताव

ट्रंप ने एक नया "गोल्ड कार्ड" वीजा कार्यक्रम पेश किया, जो पुराने EB-5 वीजा कार्यक्रम की जगह लेगा। ट्रंप का मानना है कि इस योजना से $5 ट्रिलियन तक का राजस्व प्राप्त हो सकता है यदि एक मिलियन गोल्ड कार्ड बेचे जाते हैं। वाणिज्य सचिव हॉवर्ड लुटनिक ने कहा कि यह कार्यक्रम अमीर निवेशकों को आकर्षित करेगा, जो अमेरिका में पूंजी निवेश करेंगे और नौकरी सृजन में मदद करेंगे। ट्रंप ने यह भी स्पष्ट किया कि इस कार्यक्रम को कांग्रस की मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।

5. कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ

ट्रंप ने घोषणा की कि 2 अप्रैल से कनाडा और मेक्सिको पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। हालांकि यह निर्णय पहले ही टैरिफ के लिए निर्धारित था, लेकिन सीमा सुरक्षा उपायों पर समझौते के बाद इसे कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया। ट्रंप ने इसे फेंटेनाइल के प्रवाह को रोकने के लिए एक आवश्यक कदम बताया।

6. यूक्रेनी राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की का वाशिंगटन दौरा

ट्रंप ने पुष्टि की कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की 4 मार्च को वाशिंगटन में आएंगे और एक महत्वपूर्ण खनिज सौदे पर हस्ताक्षर करेंगे। हालांकि, ज़ेलेंस्की ने इस दौरे को लेकर मिश्रित प्रतिक्रिया दी और कहा कि यह सौदा एक बड़ी सफलता हो सकती है या चुपचाप पारित हो सकता है। ट्रंप ने यह स्पष्ट किया कि यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देने की बात पर वे सहमत नहीं हैं, और यूक्रेन की नाटो सदस्यता को भी खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि यूरोप को यह जिम्मेदारी उठानी होगी, न कि अमेरिका को।

 7. नाटो और यूक्रेन के बारे में ट्रंप की स्थिति

ट्रंप ने यूक्रेन के नाटो में शामिल होने के विचार को एक बार फिर खारिज किया और यह भी कहा कि यूक्रेन के युद्ध की शुरुआत के लिए जिम्मेदारी यूक्रेन पर ही है। ट्रंप ने यह तर्क दिया कि नाटो का विस्तार युद्ध के प्रारंभ का एक कारण हो सकता है। उन्होंने यूक्रेन को एक "अच्छा सौदा" देने की बात की, जिससे वे अपनी अधिकतम भूमि को वापस प्राप्त कर सकें। इसके अलावा, ट्रंप ने यह भी कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को शांति वार्ता के लिए "रियायतें" देनी होंगी।

राष्ट्रपति ट्रंप की पहली कैबिनेट बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए, जो उनकी "अमेरिका फर्स्ट" नीति के अनुरूप हैं। एलन मस्क की सरकारी दक्षता में सक्रिय भूमिका, संघीय कर्मचारियों से कार्य रिपोर्ट की मांग, और "गोल्ड कार्ड" वीजा कार्यक्रम का प्रस्ताव उनके प्रशासन की कार्यशैली को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं। इसके अलावा, विदेश नीति में यूक्रेन और नाटो के मुद्दे पर ट्रंप की स्थिति उनके कठोर दृष्टिकोण को दर्शाती है। इन फैसलों के प्रभाव को आने वाले महीनों में देखा जा सकेगा।

ट्रंप बेच रहे “नागरिकता”, अमेरिका में बसने का दिया शानदार ऑफर, 50 लाख डॉलर में मिलेगी 'गोल्ड कार्ड'
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अमेरिका की सत्ता में वापसी के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले ही आदेश के तहत देश में अवैध प्रवासियों के खिलाफ अभियान शुरू कर दिया। ट्रंप ने इस काम के लिए अमेरिकी सेना को लगाया और सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया गया। पड़ोसी मेक्सिको से लेकर, अर्जेंटीना, भारत समेत कई देशों के प्रवासियों को जहाजों में भरकर भेजा गया। ये वो लोग हैं, जिन्होंने अमेरिका में रहने का सपना देखा। वहीं दूसरी तरफ ट्रंप ने अमेरिका मे बसने का सपना देखने वालों के लिए बड़ा ऑफर पेश किया है। ये ऑफर अमीरों के लिए है। जी हां, अपर आपके पास पैसे हैं तो आप आसानी से अमेरिका की नागरिकता खरीद सकते हैं।

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को अमीर आप्रवासियों के लिए गोल्ड कार्ड पेश किया है, जिसे 50 लाख डॉलर में खरीदा जा सकता है। भारतीय करेंसी में करीब 44 करोड़ रुपए अमेरिका में निवेश करवाएंगे। ट्रंप ने इसे अमेरिकी नागरिकता का रास्ता बताया। ट्रंप ने इसमें शामिल होने वाले लोगों के बारे में बताते हुए कहा, वे अमीर होंगे और सफल होंगे। वे बहुत सारा पैसा खर्च करेंगे और बहुत सारे टैक्स का भुगतान करेंगे और बहुत से लोगों को रोजगार देंगे। हमें लगता है कि यह बहुत सफल होने वाला है।

*वीजा कार्ड ईबी-5 की जगह लेगा 'ट्रंप गोल्ड कार्ड'*
ट्रंप ने गोल्ड कार्ड को मौजूदा आप्रवासी निवेशक वीजा कार्यक्रम ईबी-5 के विकल्प के लिए रूप में प्रस्तावित किया है और कहा कि भविष्य में 10 लाख गोल्ड कार्ड बेचे जाएंगे।ट्रंप ने कहा कि वे ईबी-5 आप्रवासी निवेशक वीजा कार्यक्रम को गोल्ड कार्ड के साथ बदल देंगे जो बड़ी रकम वाले विदेशी निवेशकों को अमेरिकी नौकरियों का सृजन या संरक्षण करने के लिए स्थायी निवासी बनने की अनुमति देता है। उन्होंने दावा किया कि इस पहल से राष्ट्रीय कर्ज का भुगतान जल्द हो सकता है।

*ईबी-5 वीजा क्या है?*
• अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए फिलहाल EB-5 वीजा आसान विकल्प है
• इसके लिए 1 मिलियन डॉलर यानी कि 8.75 करोड़ रुपए चुकाने होते हैं
• इस वीजा को लेकर अमेरिका का स्थायी नागरिक बना जा सकता है
• इससे अमेरिकी बिजनेस में निवेश करने वाले विदेशियों को "ग्रीन कार्ड" मिलता है है
• EB-5 वीजा की शुरुआत अमेरिका ने साल 1990 में की थी
• इस वीजा प्रोग्राम का मकसद विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहित करना था

*ईबी-5 को क्यों बदल रहे ट्रंप?*
ईबी-5 वीजा कार्यक्रम, विदेशियों को ग्रीन कार्ड प्राप्त करने के लिए अमेरिकी प्रोजेक्ट में कम से कम 10.5 लाख डॉलर या आर्थिक रूप से संकटग्रस्त क्षेत्रों में 800,000 डॉलर निवेश करने अनुमति देता है। हालांकि, इस कार्यक्रम को दुरुपयोग के लिए आलोचना का भी सामना करना पड़ा है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रम्प ने न्यूनतम निवेश को बढ़ाकर 18 लाख डॉलर करने का प्रयास किया, लेकिन 2021 में एक न्यायाधीश ने इस कदम को पलट दिया। बाइडन प्रशासन ने बाद में 2022 में कार्यक्रम को नवीनीकृत करते समय वर्तमान निवेश स्तर 10,50,000/800,000 डॉलर निर्धारित किया।
बर्बाद हो चुके यूक्रेन से क्या चाहते हैं ट्रंप? मदद के बदले खनिज समझौते पर हस्ताक्षर का दबाव

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रूस जैसे शक्तिशाली देश से जंग कर यूक्रेन पहले ही बर्बाद हो चुका है। अब यूक्रेन के पास बची-खुची जो संपदा है, उस पर अमेरिका की नजर है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप यूक्रेन की मदद के बदले उसके दुर्लभ पृथ्वी तत्वों तक अपनी पहुंच की मांग की है। डोनाल्‍ड ट्रंप यूक्रेन पर जंग खत्‍म करने का लगातार दबाव बना रहे हैं। लेकिन, एकमात्र शांति ही वो वजह नहीं है। ट्रंप की नजर यूक्रेन के उस खजाने पर है, जिसे लेकर वे मालामाल होना चाहते हैं। यूक्रेन के एक मंत्री ने दावा क‍िया क‍ि राष्‍ट्रपत‍ि वोलोदि‍मीर जेलेंस्‍की और अमेर‍िकी राष्‍ट्रपत‍ि के बीच यूक्रेन के खनिज भंडारों को लेकर एक डील होने ही वाली है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शनिवार को कहा है कि अमेरिका ने रूस के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए यूक्रेन के समर्थन में जो मदद दी है, वो उसे लाने की कोशिश कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन की कोशिश, बाइडेन प्रशासन के दौरान यूक्रेन को दिए गये मदद को वापस लेना है।

डोनाल्ड ट्रंप ने वॉशिंगटन में कंजर्वेटिव पॉलिटिकल एक्शन कॉन्फ्रेंस में प्रतिनिधियों से कहा, कि "मैं पैसे वापस पाने या सुरक्षित करने की कोशिश कर रहा हूं।" उन्होंने कहा कि "मैं चाहता हूं कि वे हमारे द्वारा लगाए गए सभी पैसे के बदले हमें कुछ दें। हम दुर्लभ पृथ्वी और तेल मांग रहे हैं, जो कुछ भी हमें मिल सकता है। हमें अपना पैसा वापस मिलेगा। मुझे लगता है कि हम सौदे के बहुत करीब हैं, और हमें करीब होना चाहिए क्योंकि यह एक भयानक स्थिति रही है।"

वहीं, रूस-यूक्रेन संघर्ष आरंभ होने के तीन साल पूरे होने के अवसर पर रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में जेलेंस्की ने कहा, यदि आपकी शर्त यह है कि यदि मैं समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करता तो आप मदद नहीं देंगे तो बात साफ है। जेलेंस्की ने कहा, यदि हम पर दबाव डाला जाता है और हम इसके बिना कुछ नहीं कर सकते तो शायद हम इस दिशा में आगे बढ़ें... हालांकि मैं सिर्फ राष्ट्रपति ट्रंप से बात करना चाहता हूं। ट्रंप प्रशासन ने रूस के हमले से बचाने और हमले का जवाब देने के लिए यूक्रेन को दी गई मदद के बदले अब यूक्रेन को अपनी दुर्लभ खनिज संपदा तक अमेरिका को पहुंच देने का दबाव बनाना आरंभ किया है। इसके लिए ट्रंप के वार्ताकार कीव में मौजूद हैं।

गौरतलब है कि जेलेंस्की ने पहले अमेरिका के शुरुआती ऑफर को पूरी तरह ठुकरा दिया था। उनका कहना था कि इससे यूक्रेन को रूस के खतरे से अपनी सुरक्षा करने की गारंटी नहीं मिलती। जेलेंस्की ने रविवार को कहा कि वह अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिजों से लाभान्वित होने देने के लिए तैयार हैं लेकिन ट्रंप प्रशासन की ओर से इस मद में ऑफर की जा रही 500 अरब डॉलर की सहायता राशि उन्हें मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा, मैं ऐसे किसी समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करूंगा जिसकी कीमत यूक्रेन की दस पीढ़ियों को चुकानी पड़े।

शांति का मतलब यूक्रेन का आत्मसमर्पण नहीं होना चाहिए', फ्रांसीसी राष्‍ट्रपति ने ट्रंप की बोलती बंद की

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को व्हाइट हाउस में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का स्वागत किया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रूस-यूक्रेन वॉर में शांति वार्ता को लेकर मुलाकात की है। इसके बाद दोनों देशों के राष्ट्रपति ने साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस किया, लेकिन इस दौरान दोनों के बीच मतभेद साफ दिखाई दिए। इस दौरान मैक्रों ने कहा, बिना किसी गारंटी के युद्धविराम नहीं होना चाहिए। यह शांति यूक्रेन की संप्रभुता को बनाए रखने वाली होनी चाहिए और उसे अन्य देशों से स्वतंत्र रूप से बातचीत करने की अनुमति देनी चाहिए।

सोमवार को जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने फ्रांसीसी समकक्ष इमैनुएल मैक्रों से वॉइट हाउस में मुलाकात की, तो इस पर पूरी दुनिया की नजर थी। इस दौरान फ्रांस के राष्ट्रपति ने ट्रंप की बोलती बंद कर दी। दरअसल, वॉइट हाउस में मुलाकात के बाद जब दोनों नेता प्रेस के सामने थे, उसी दौरान ट्रंप ने एक बार फिर से यूरोपीय देशों के पैसा उधार देने का जिक्र किया तो मैक्रों ने ट्रंप का हाथ पकड़कर उन्हें रोका और जोर देकर खंडन किया। मैक्रों ने कहा, वास्तव में अगर स्पष्ट रूप से कहें तो हमने भुगतान किया है। हमने कुल प्रयास का 60% भुगतान किया है और यह अनुदान के माध्यम से था, कर्ज के रूप में नहीं। हमने असलियत में धन दिया।

मैक्रों ने जोर देकर कहा कि यूरोप ने रूस की लगभग 230 अरब डॉलर की संपत्ति की फ्रीज कर दिया। इसके साथ ही स्पष्ट किया कि इसका उपयोग क्षतिपूर्ति के रूप में नहीं किया जा रहा है क्योंकि ये संपत्ति रूस की है और अभी फ्रीज है। उन्होंने यह भी कहा कि आखिर में यह संपत्तियां रूस के साथ समझौते का हिस्सा हो सकती हैं।

वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप ने उम्मीद जताई कि यूक्रेन में रूस का युद्ध खत्म होने के करीब है। लेकिन फ्रांस के नेता ने आगाह किया कि यह महत्वपूर्ण है कि मॉस्को के साथ कोई भी संभावित समझौता यूक्रेन के लिए आत्मसमर्पण करने जैसा न हो। मैक्रों ने कहा, शांति का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि यूक्रेन को बिना सुरक्षा गारंटी के युद्ध विराम के लिए मजबूर किया जाए। शांति का अर्थ यूक्रेन की संप्रभुता को बनाए रखना और उसे अन्य देशों के साथ बातचीत करने का मौका देना होना चाहिए।

चीन-भारत का नाम लेकर फिर ट्रंप ने दी धमकी, जानें अब क्या कहा?

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डोनाल्ड ट्रंप जबसे अमेरिका के राष्ट्रपति बने हैं, पूरी दुनिया में हड़कंप मचा हुआ है। ट्रंप बार-बार कई देशों को टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे चुके हैं। इन देशों में भारत और चीन का नाम भी शामिल है। एक बार फिर उन्होंने भारत-चीन का नाम लेकर टैरिफ की धमकी दी है। यही नहीं, इस बार तो उन्होंने इस बात की कसम भी खाई है। बता दें कि ट्रंप का ये बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक में इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की बात करने की बावजूद आया है।हाल ही में पीएम मोदी ने अमेरिका की दो दिवसीय यात्रा की थी। इस दौरान उन्होंने ट्रंप के साथ व्यापार, रक्षा समेत टैरिफ के मुद्दे पर बात की थी।

शुक्रवार को डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका भी वही शुल्क लगाएगा, जो ये देश अमेरिकी वस्तुओं पर लगाते हैं। हम जल्द ही रिसिप्रोकल टैरिफ का एलान करेंगे। ट्रंप ने कहा कि वे हम पर शुल्क लगाते हैं। हम उन पर शुल्क लगाएंगे। जो भी कंपनी या देश, जैसे भारत या चीन, हम पर शुल्क लगाते हैं। हम निष्पक्ष होना चाहते हैं। कोई भी कंपनी या देश जैसे कि भारत और चीन जो भी शुल्क लगाते हैं, वहीं हम भी लगाएंगे। ट्रंप ने आगे कहा कि हमने ऐसा कभी नहीं किया। कोविड महामारी से पहले हम ऐसा करना चाहते थे। ट्रंप ने यह टिप्पणी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान की थी जब उनसे टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की पीएम मोदी के साथ बैठक के बारे में पूछा गया था

पीएम मोदी और डोनाल्ड ट्रंप की मीटिंग को एक ही सप्ताह हुआ है। डोनाल्ड ट्रंप के साथ द्विपक्षीय बैठक में पीएम मोदी ने कहा था कि अमेरिका और भारत व्यापार समझौते पर काम करेंगे। उन्होंने टैरिफ में ढील देने के अलावा व्यापार में आ रहे गतिरोध के बीच रियायतों पर बातचीत की पेशकश भी की थी। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि वे भारत से व्यापार घाटे को कम करने के लिए बातचीत पर सहमत हैं।

खास बात तो ये है कि ट्रंप पहले से ही भारत को टैरिफ किंग नाम से संबोधित करते हुए आ रहे हैं। ग्लोबल प्लेटफॉर्म्स पर ट्रंप ने भारत के टैरिफ की आलोचना की है। टैरिफ को लेकर उन्होंने अपने चुनावी कैंपेन में भी जिक्र किया है। ऐसे में अब वो अपनी उस बात को आगे बढ़ाते हुए दिखाई दे रहे हैं। साथ ही टैरिफ को लेकर किसी तरह की रियायत देने के मूड में नहीं है।

डोनाल्ड ट्रम्प का एशिया की ऊर्जा आपूर्ति में बदलाव: अमेरिकी गैस से क्षेत्रीय रणनीति को नया आकार

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जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इस महीने जापान के समकक्ष शिगेरू इशिबा के साथ दोपहर के भोजन पर बैठे, तो उनकी बातचीत जल्दी ही अमेरिकी गैस और ऊर्जा के संबंध में महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित हो गई। चर्चा का मुख्य विषय था अलास्का में गैस के लिए दशकों पुराने प्रस्ताव को पुनः जीवित करना और इसे एशिया में अमेरिकी सहयोगियों तक पहुँचाने का तरीका। इस योजना में जापान की भूमिका महत्वपूर्ण थी, जो विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी खरीदार है और ऊर्जा अवसंरचना में एक प्रमुख निवेशक है।

अलास्का एलएनजी परियोजना:

अलास्का एलएनजी (Liquefied Natural Gas) परियोजना अमेरिकी सरकार द्वारा प्रस्तावित की गई है, जिसका उद्देश्य अलास्का के गैस क्षेत्रों को उसके प्रशांत तट पर एक निर्यात टर्मिनल से जोड़ने के लिए एक पाइपलाइन नेटवर्क का निर्माण करना है। यह परियोजना उच्च लागत और जटिल भौगोलिक स्थिति के कारण कई वर्षों से अटकी हुई है, लेकिन ट्रम्प प्रशासन इसे एक रणनीतिक अवसर के रूप में देख रहा है।

ट्रम्प प्रशासन की ऊर्जा रणनीति:

ट्रम्प प्रशासन का उद्देश्य एशिया के साथ अमेरिकी आर्थिक संबंधों को पुनः आकार देना है, खासकर ऊर्जा क्षेत्र में। यह रणनीति मुख्य रूप से अमेरिकी जीवाश्म ईंधन, विशेष रूप से एलएनजी के निर्यात को बढ़ाने पर आधारित है। इसके अंतर्गत, जापान, दक्षिण कोरिया, ताइवान और अन्य देशों को अमेरिकी गैस आयात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह प्रयास चीन और रूस के प्रभाव को कम करने और अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का एक तरीका है।

जापान की भूमिका:

जापान को इस परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका दी जा रही है। जापान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एलएनजी खरीदार है, और उसे अमेरिकी गैस के निर्यात के लिए एक प्रमुख बाजार माना जा रहा है। ट्रम्प प्रशासन की योजना के अनुसार, जापान के लिए मध्य पूर्व से गैस शिपमेंट को अमेरिकी एलएनजी के साथ बदलना संभव हो सकता है, जिससे न केवल व्यापार असंतुलन कम होगा बल्कि ऊर्जा सुरक्षा भी मजबूत होगी।

दक्षिण कोरिया और ताइवान:

दक्षिण कोरिया और ताइवान भी इस योजना में शामिल हैं, और दोनों देशों ने अमेरिकी गैस की खरीद बढ़ाने पर विचार किया है। दक्षिण कोरिया विशेष रूप से अलास्का एलएनजी और अन्य अमेरिकी ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करने का इच्छुक है। ताइवान ने भी अधिक अमेरिकी ऊर्जा खरीदने के बारे में विचार किया है, क्योंकि इससे उसे चीन द्वारा संभावित आक्रामक कदमों के खिलाफ सुरक्षा मिल सकती है।

रणनीतिक महत्व:

अलास्का एलएनजी परियोजना का रणनीतिक महत्व इस तथ्य में निहित है कि यह मध्य पूर्व और दक्षिण चीन सागर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को नकारते हुए गैस शिपमेंट के सुरक्षित मार्ग प्रदान कर सकती है। इसके अलावा, जापान के निकटता के कारण, शिपमेंट की लागत में कमी आ सकती है, और यह अमेरिकी गैस को दक्षिण-पूर्व एशिया तक पहुंचाने में मदद कर सकता है।

आर्थिक और राजनीतिक फायदे:

यह योजना केवल ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में नहीं है, बल्कि यह अमेरिकी व्यापारिक हितों के लिए भी फायदेमंद हो सकती है। ट्रम्प प्रशासन ने जापान और दक्षिण कोरिया के साथ दीर्घकालिक खरीद समझौतों पर विचार करने के लिए बातचीत की है। इसके अलावा, अमेरिकी सीनेटर डैन सुलिवन ने यह भी बताया कि यह परियोजना न केवल एशियाई देशों को रूस के गैस पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी, बल्कि यह अमेरिका के साथ रणनीतिक संबंधों को भी मजबूत करेगी।

डोनाल्ड ट्रम्प का उद्देश्य एशिया के देशों को ऊर्जा आपूर्ति के एक नए मार्ग पर जोड़कर अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। अलास्का एलएनजी परियोजना, हालांकि तकनीकी और वित्तीय चुनौतियों का सामना कर रही है, फिर भी अमेरिकी गैस के निर्यात को बढ़ाने और ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। अगर यह योजना सफल होती है, तो इससे न केवल अमेरिकी अर्थव्यवस्था को फायदा होगा, बल्कि एशियाई देशों के लिए भी एक स्थिर और विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति का रास्ता खुलेगा।