खीरी थाने की महान पुलिस का कारनामा, जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान
विश्वनाथ प्रताप सिंह,अल्हवा कोरांव प्रयागराज। पुलिस देखा जाए तो खुद अप्रिय घटना को अंजाम देना चाहती है, जातीय द्वेष भावना से ग्रसित हो कर आरोपियों को बचाने का कार्य करती है,क्योंकि उसमे एक आरोपी पुलिस का खास बताया जाता है।हिना पुत्री खलीकुल्ल ग्राम अल्हवा को नीबी गांव के बृजेश कुमार बिंद पुत्र छोटेंलाल सात साल पूर्व करीब कम उम्र में ही बहला फुसला कर विद्यालय से भागा ले गया था। गैर प्रांत रहते हुए दोनों के मध्य दो बच्चे हुए,अब गांव नीबी में एक दलित महिला से उसका चक्कर चल रहा है तो आए दिन हिना को जाति धर्म मजहब की दुहाई दे कर रास्ते से हटाना है पति। एक अप्रैल को बृजेश बिंद पुत्र छूटे लाल ने लाठियों से हिनां की जम कर तुड़ाई कर दी,जिससे वह मर जाए तो वह समाज में दूसरा विवाह कर ले।। पूरे शरीर पर गंभीर चोटों के निसान है।
दर असल 6 अप्रैल को पीड़िता थाना कोरांव 1090 वालों के कहने पर गई। किंतु कोरांव थाने वालों ने खीरी तहरीर रेफर कर दिया। खीरी पुलिस कैंपस ग्राम प्रधान अल्हवा शहजादे पत्रकार खुद अपने साधन से पीड़िता को ले कर गए। थाना प्रभारी अपने कमरे में आराम फरमा रहे थे। नहीं निकले। किंतु वहा तैनात महिला दरोगा वा पुरुष दरोगा दीवान तहरीर तीन बार चेंज करवाए। पुलिस का उद्देश्य था की तहरीर में जो जेठ,ससुर का नाम डाल रहे हैं उनका नाम हटवाना चाहते थे। और खीरी थाना के बजाय कोराओं थाने ही केस दर्ज कराना चाहते थे। दिन भर प्रधान और पीड़िता को बैठाए रहे एफआईआर न दर्ज कर और न डाक्टरी कराए बैरंग वापिस भेज दिए। जिसकी शिकायत ट्विटर से पुलिस अधिकारी सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया।
डीसीपी यमुनानगर के निर्देशानुसार पुलिस को पीड़िता को बुलवाकर केस दर्ज कराना पड़ा। किंतु खीरी की महान पुलिस ने एफआईआर की तहरीर को अपने से पीड़िता को दबाव डाल कर आरोपियों को बचाने के लिए चेंज कर एनसीआर लिख दिया और मेडिकल जांच के लिए कोरांव सीएचसी भेज दिया। जहां पीड़िता हिना की मेडिकल जांच हुई शरीर पर चोटों के अनुसार उपचार की गई।चर्चा है कि खीरी पुलिस ने पीड़िता को धमकाया कि सोशल मीडिया पर तुम्हारा मामला चल रहा है इससे कोई लाभ तुझे नहीं मिलेगा। अंत में ग्राम प्रधान अल्हवा द्वारा पीड़िता के साथ जुल्म सितम की घटना को विपक्षी के इशारे और सांठ गांठ से एनसीआर केस लिखवा दिया।
मजेदार बात तो यह है कि खीरी पुलिस ने देर शाम बिना किसी सिपाही साधन के कोरांव डाक्टरी हेतु पीड़िता को भेज दिया। डेट शाम तक कोई साधन न मिलने पर दुग्ध वहां से पीड़िता के घर महिला सिपाही ने पहुंचाया। समाचार लिखे जाने तक स्केली महिला सिपाही कैसे खीरी थाने पहुंची होगी। पता नहीं चला। किंतु खीरी पुलिस का कृत सरमशार करने वाला है। सीधे दस बजे रात महिला पीड़िता को अल्वा गांव घर पहुंचा कर कैसे गई होगी यदि कोई घटना रास्ते में महिला सिपाही के साथ होगी तो कौन जिम्मेदार होगा। फिलहाल वह महिला सिपाही के आंसू छलक पड़े।
जब मेरे प्रयास पर मेरे गांव की मुस्लिम बिरादरी की लड़की को दूसरे संप्रदाय के युवक को भगा ले जाने पर शांति व्यवस्था कायम रखाई,कोई कार्रवाई नहीं कराई,धर्म परिवर्तन कराया नाम बदला तब भी आज उसकी इज्जत करने के बजाय उसे एक महिला के चक्कर में रास्ते से हटाना चाहता है। उल्टा स्थानीय पुलिस उक्त गंभीर प्रकृति के अपराध को हल्के में ले कर प्रताड़ित करने वालों की ही मदद करती दिख रही। जब हम जैसे जनप्रतिनिधि,वरिष्ठ पत्रकार,सोशल वर्कर के द्वारा न्याय के लिए प्रयास किया गया तो असर नहीं पड़ा, तब साधारण गरीब आदमी की पुलिस कितना मदद करती होगी यह अंदाजा लगाया जा सकता है। मैं पीड़िता के मामले को सीधे मुख्यमंत्री जी,पुलिस आयुक्त,डीसीपी यमुना नगर से मिलूंगा और पुलिस की संदिग्धता की जांच कार्रवाई की मांग करूंगा। यदि उक्त पीड़िता के साथ कोई अप्रिय घटना घटी तो मुलजिम के साथ 120 में पुलिस के भी खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी और जा मामला महिला आयोग और डीजीपी तक मैं खुद ले जाऊंगा।
Apr 10 2024, 16:33