सावन प्रयागराज में मांत्रृशक्ति शिवभक्ति का उत्सव: दशाश्वमेध घाट से महिला कांवड़ियों ने आस्था के साथ की पदयात्रा
विश्वनाथ प्रताप सिंह प्रयागराज।सावन माह में शिवभक्ति की आस्था प्रयागराज के दशाश्वमेध घाट पर चरम पर पहुंच गई है। घाट पर हर दिन कांवड़ियों का सैलाब उमड़ रहा है, जो गंगाजल भरकर बाबा भोलेनाथ के दर्शन और जलाभिषेक के लिए काशी, बैद्यनाथ धाम और सोमेश्वर महादेव तथा मनकामेश्वर धाम लालापुर मंदिरों की ओर प्रस्थान कर रहे हैं। विशेष बात यह है कि इस बार महिला कांवड़ियों की सहभागिता भी काफी उत्साहजनक रही। दशाश्वमेध घाट पर बड़ी संख्या में महिलाएं एकत्र हुईं।
युवतियों से लेकर बुजुर्गों तक की टोलियों ने गंगाजल से भरी कांवड़ उठाई और बोल बम-बोल बम के जयघोषों के साथ पैदल यात्रा शुरू की। इन महिला श्रद्धालुओं की मंज़िल थी सोमेश्वर महादेव मंदिर, जहां वे भगवान शिव का जलाभिषेक करेंगी। स्थानीय निवासी सुष्मिता शर्मा ने कहा, “हर साल सावन में हम लोग दशाश्वमेध घाट से गंगाजल भरकर सोमेश्वर महादेव मंदिर तक पैदल जाते हैं।
इस यात्रा से न सिर्फ आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि यह हमारे परिवार की सुख-समृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करती है।”वहीं पहली बार कांवड़ यात्रा में शामिल हो रही माही ने बताया, “मैं बहुत उत्साहित हूं। यह मेरा पहला अनुभव है और मैं भगवान शिव के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने के लिए इस यात्रा में शामिल हुई हूं।
इस रास्ते में जो भक्ति और सामूहिक ऊर्जा महसूस हो रही है, वह अविस्मरणीय है।”चाका, नैनी से आईं एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि गंगा का जलस्तर भले ही बढ़ रहा हो, लेकिन हमारी आस्था डगमगाने वाली नहीं है। “हम जनकल्याण और अपने परिवार की सुख-शांति की कामना के साथ यह जल चढ़ाने जा रहे हैं।” गौरतलब है कि सावन का महीना भगवान शिव की उपासना के लिए विशेष महत्व रखता है। देशभर में कांवड़ यात्रा एक सांस्कृतिक और धार्मिक परंपरा बन चुकी है।
प्रयागराज स्थित दशाश्वमेध घाट, गंगा तट पर होने के कारण विशेष रूप से कांवड़ियों का प्रमुख केंद्र है। यहां से जल लेकर शिवधामों की ओर प्रस्थान करना, शिवभक्ति और समर्पण का प्रतीक माना जाता है। यह दृश्य न केवल आस्था और परंपरा का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक सहभागिता और सामूहिक श्रद्धा की एक जीवंत मिसाल भी है।
Jul 29 2025, 20:09